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How do Maths Students Achieve Success?

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1.गणित के छात्र-छात्राएं सफलता कैसे हासिल करें? (How do Maths Students Achieve Success?),विद्यार्थी के लिए सफलता हासिल करने का रहस्य (The Secret to Success for Students):

  • गणित के छात्र-छात्राएं सफलता कैसे प्राप्त करें? (How do Maths Students Achieve Success?) इसके उत्तर कई हो सकते हैं या होते हैं।सफलताप्राप्ति प्रविष्टि कई रहस्य अनेक ग्रंथ और पुस्तकें,पत्रिका में प्रकाशित होते रहते हैं।कई टाॅपर साक्षात्कार में सफलता के आवश्यक मंत्र हैं। प्रकार इस प्रकार। अलग-अलग कार्यनीति,सफलता के रहस्य,सफलता के अद्भुत जाम को सामान्य छात्र-छात्राएं मायने हैं तो दिग्भ्रमित हो जाते हैं।वे इस असमंजस में पड़ जाते हैं कि परीक्षा में सफलता के लिए कौन सी रणनीति अपनाई जाए? किस रणनीति की सफलता की विशिष्ट रणनीति है? हम भी नज़रअंदाज़ करने के बारे में कई लेख पोस्ट कर चुके हैं। सामान्य संदर्भ और रूपों को दिग्भ्रम होने की आवश्यकता नहीं है। सभी छात्रों को एक ही रणनीति का पालन करने पर सफलता नहीं मिलती है।
  • कुछ कारक ऐसे होते हैं जो सभी छात्रों को पालन करने की आवश्यकता होती है जैसे लक्ष्य का वृतांत,कठिन परिश्रम,दृढ़,समय का सदोपयोग,आत्मविश्वास आदि लेकिन कुछ विशिष्ट कारक होते हैं जैसे मानसिक संतुलन,संतोषवृत्ति,जिज्ञासा,उत्साह,रुचि,अध्ययन में गहरे दृष्टकोण, कल्पना शक्ति आदि गहराई से देखें तो सामान्य कारक और विशिष्ट कार्य आपस में जुड़े हुए हैं अर्थात् एक ही सिक्के के दो पहलू हैं। किसी भी एक पक्ष की अवहेलना करने से भाग्य हाथ साझेदारी है। लक्ष्य का प्रकार, आत्मविश्वास,मानसिक संतुलन, उत्साह, कठिन परिश्रम आदि के बारे में लेख पोस्ट कर चुके हैं इसलिए इनके बारे में जानने के लिए उन लेखों को पढ़ना चाहिए। लेख में कुछ ओर विषय सामग्री के बारे में विशेष रूप से दृश्‍य के बारे में बताया जा रहा है जो कि सफलता अपेक्षाकृत करने के लिए मुख्य कारक है।
  • समान योग्यता एवं क्षमताएं होने पर एक छात्र-छात्रा को सफलता तथा दूसरी को असफलता को देखकर मन में यह प्रश्न सहज ही उत्पन्न होता है कि सफल और असफल होने के मूल कारण कौन-कौन से हैं? किन परिस्थितियों के कारण एक छात्र-छात्रा अपने लक्ष्य को प्राप्त कर लेता है जबकि दूसरे छात्र-छात्रा द्वारा उसकी स्थिति देने से भाग्य हाथ लगता है? इसमें कोई भी संदेह नहीं है कि लक्ष्य एक साथ होना आवश्यक है क्योंकि लक्ष्य से जुड़े छात्र-छात्रा को निरंतर प्रवाह होता रहता है कि क्या बनता है और क्या करता है? लक्ष्यहीन छात्र-छात्रा निरुद्देश्य भटकता रहता है और वह कहीं नहीं मिलता।
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2.सफलता का रहस्य दृढ़ इच्छाशक्ति (The Secret to Success is Strong Willpower):

  • सफलता धारणा के लिए विश्वास, भगवान पर अटके हुए विश्वास के साथ-साथ नियर दृक् भी एक मुख्य कारक है। दृढ़ता के बिना कोई भी छात्र-छात्रा और दृष्टिकोण अपने संकल्प में स्थायी सफलता प्राप्त नहीं कर सकता है। जो छात्र-छात्रा और दृष्टिकोण जीवन में सफलता प्राप्त करना चाहता है, वह संवेदनशील को अपनी चेतनाशक्ति के साथ प्राप्त करने की चेष्टा करें तो अपने लक्ष्य को प्राप्त करने में सफल हो सकता है।
  • कुछ छात्रों को अपने लक्ष्य में असफलता मिलती है तो इसमें अन्य कारणों के साथ-साथ कमज़ोरी भी शामिल है।
  • छात्र-छात्राओं में दृष्य अपने जीवन के प्रारंभिक काल से ही दृढ हो जाता है। लेता है तो धीरे-धीरे उसका व्यवहार दृढ हो जाता है। वह समझता है कि गणित को सुलझाना उसकी वश की बात नहीं है।
  • कोई भी विषय कितना ही सरल हो इसमें कठोर स्वभाव होता है और वे काफी प्रयास करने पर ही हल हो सकते हैं।
  • कुछ-छात्राएं यह समझती हैं कि बुद्धि,कौशल आदि सहज ही प्राप्त होते हैं। उनका भाग्य पर इतना विश्वास होता है कि वे कोई उपाय करना नहीं चाहते हैं। यदि संभव हो तो मन को संयम धारण करना और मनोबल बनाए रखने के लिए भाग्य प्राप्त होता है। पर विश्वास करते हैं तो ठीक है। ऐसा विश्वास मनोबल बढ़ाने वाला होता है। परंतु भाग्य पर विश्वास करने का प्रयास न करने, प्रयत्न न करने, कठिन परिश्रम न करने के लिए करें तो यह मनोबल को कमजोर करने वाला सिद्ध होता है।
  • सबसे प्रमुख बात तो यह है कि लक्ष्य का एकसमान अपनी योग्यता,क्षमता,परिस्थितियों आदि पर भली-भांति सोच-विचारकर तय करना चाहिए।साथ ही भाग्य मिलने पर उसे कितना नुकसान हो सकता है, इसके लिए भी पहले से ही आपको तैयार रहना चाहिए इस प्रकार सोच-विचारकर कार्य करने से व्यक्ति के पद सभी के ऊपर होते हैं।
  • लगभग कई बार छात्र-छात्राएं कोई एक लक्ष्य तय कर लेते हैं और उस पर काम शुरू करने के कुछ समय बाद उनके सामने एक और छलावा आ जाता है। ऐसी स्थिति में मन दाँवाडोल हो जाता है और अनिश्चय की स्थिति प्राप्त हो जाती है। जैसे किसी छात्र ने जे. एक अकेले-मेन परीक्षा देने का निश्चय किया लेकिन किसी ने कहा कि इससे बड़ा तो लेक्चरशिप ठीक है या जॉइन करना ठीक है। कुछ छात्र- होस्ट एक बार लक्ष्य तय कर लेते हैं और उस पर कार्य शुरू करने के बाद नए प्रलोभन का शिकार हो जाता है, जिससे उसका सीसीटीवी डर्बर हो जाता है। या किसी अन्य प्रलोभन से प्रथम लक्ष्य से डिगना नहीं चाहिए।
  • छात्र-छात्राएं कितना समझदार हो, प्रतिभाशाली हो,कितने ही दूर कहें हो,कितने ही अनुभवी हो,कितने ही काल्पनिक हो लेकिन उन्होंने जो लक्ष्य तय किया है उसका मार्ग में आनेवाली,विघ्नों,बाधाओं का सटीक अनुमान लेना असंभव है। किसी भी लक्ष्य को तय करने के बाद मार्ग में कई ऐसी अप्रत्याशित संभावनाएं आ जाती हैं जैसा कि अनुमान भी नहीं लगाया गया था। ऐसी स्थिति में मन में भटकाव पैदा हो जाता है। असल में ऐसी स्थिति से बचने के लिए मन को घेरना और बाधाओं का गंभीरता से संपर्क करना किसी प्रॉक्सी का बना रहना संभव है।

3.लक्ष्य प्राप्ति में उचित साधनों का प्रयोग (Use of Appropriate Means to Achieve the Goal):

  • कई छात्र-छात्राएं परीक्षा में उत्तीर्ण होने के लिए अनुचित साधनों का प्रयोग करते हैं,परंतु उन्हें याद रखना चाहिए अनुचित साधनों से प्राप्त की गई सफलता स्थायी नहीं होती है।भले ही वे यह सोचते हों कि नकल करने,अनुचित साधनों से प्राप्त की गई सफलता का यही तरीका सीधा और सरल है।मन में भले ही ऐसे छात्र-छात्राएं यह सोच लें कि कितनी चालाकी और तरकीब से वे नकल करके व अन्य गलत तरीकों से परीक्षा में उत्तीर्ण हो गए हैं।परन्तु वे यह नहीं सोच पाते हैं कि वास्तव में उन्होंने अपने आपको ही सबसे बड़ा धोखा दिया है।
  • जाॅब में या किसी भी अवसर पर उन्हें कोई जिम्मेदारी दी जाती है और वे उसे ठीक से नहीं कर पाते हैं तो उनकी असलियत सामने आ जाती है।
  • उचित साधनों,सही तरीके अपनाने,कठिन परिश्रम के बावजूद भी यह जरूरी नहीं है कि छात्र-छात्राओं को सफलता मिल जाती है।असफलता मिलने के कारण सही रणनीति का चुनाव न करने,व्यवस्थित योजना के अभाव,मानसिक संतुलन न बनाए रखने इत्यादि हो सकते हैं।परंतु उन्हें अपनी असफलता इतनी कष्टदायक मालूम नहीं होती है क्योंकि एक तो उन्हें यह संतोष होता है कि उसने छल-कपट,धोखाधड़ी,नकल इत्यादि गलत तरीकों का प्रयोग नहीं किया है।दूसरा उन्हें यह भी सन्तोष होता है कि परीक्षा के लिए उसने कठिन परिश्रम किया है।तीसरा वे असफलता के कारणों को पहचानकर उन्हें दूर करने का प्रयास करते हैं तथा दुगुने उत्साह,जोश,संकल्प शक्ति और आत्मविश्वास के बल पर पुनः परीक्षा की तैयारी करते हैं।
  • दरअसल सफलता के लिए बाहरी साधनों,मित्रों व शिक्षकों का सहयोग,कोचिंग की व्यवस्था इत्यादि की जितनी आवश्यकता है उससे अधिक संतुलित मनःस्थिति,एकाग्रता,उत्कृष्ट व्यक्तित्त्व इत्यादि की आवश्यकता होती है।बाह्य और आन्तरिक परिस्थितियों में अनुकूलता प्राप्त होते ही सफलता का मार्ग खुल जाता है।तीव्र उत्कंठा,सक्रियता,तत्परता,तन्मयता और मन की एकाग्रता इत्यादि आंतरिक गुणों के बिना सच्ची सफलता कोई भी अर्जित नहीं कर सका है।

4.सफलता के रहस्य का दृष्टांत (The Parable of Secret of Success):

  • छात्र-छात्राएं अपने लिए सही लक्ष्य का निर्धारण ही नहीं कर पाते हैं।उनके सामने कई लक्ष्य होते हैं उनमें से किस लक्ष्य को अपनाएं और किस लक्ष्य को छोड़ें।फलतः वे किसी नतीजे पर नहीं पहुंच पाते हैं और चारों ओर अपने मन को डुलाते हुए किसी को भी ठीक तरह से नहीं कर पाते हैं।डांवाडोल मन उन्हें किसी निश्चित निर्णय तक पहुंचने नहीं देता है।फलतः उनके सभी लक्ष्य अधूरे रह जाते हैं।उनकी स्थिति छोटे बालकों की तरह हो जाती है।जैसे छोटे बच्चे किसी काम को शुरू करते हैं और दूसरे क्षण दूसरा काम करने लग जाते हैं।मिट्टी का एक घर बनाया और दूसरे क्षण ही उसे मिटाकर दूसरा मिट्टी का घर बनाने लगे।कभी नमकीन खाने का मन किया और दूसरे ही क्षण मीठा खाने का मन मचलने लगता है।
  • छात्र-छात्राओं की स्थिति भी ऐसी ही हो जाती है।वे जब किसी लक्ष्य को चुनते हैं तो उसकी अच्छाईयाँ अपनी ओर आकर्षित करती है,उसको करने में अधिक सुविधा एवं लाभ दिखाई देने लगता है तो मन उस ओर खींच जाता है।पहले लक्ष्य से मन उचटने लग जाता है तो दूसरे लक्ष्य को पकड़ लेते हैं।पूरी तरह न पिछला लक्ष्य छूट पाता है और न नया लक्ष्य प्रारम्भ हो पाता है।दोनों में ही मनोयोग न लगने के कारण किसी भी लक्ष्य को प्राप्त नहीं कर पाते हैं।किसी भी लक्ष्य में सफलता प्राप्त नहीं हो पाती है।ऐसी स्थिति में फंसने के बजाय सबसे अच्छा तरीका है कि जितने भी विकल्प हैं,उनकी सूची बनाकर योग्यता,क्षमता तथा परिस्थिति के अनुसार काँट-छाँट करके चुनाव किया जाए।जिस लक्ष्य को प्राप्त करने की सबसे अधिक सम्भावना है उसे ही पकड़ लेना चाहिए।अनेक पक्षों और पहलुओं पर अनेक दृष्टियों से विचार किया जाना चाहिए।इसमें कुछ देर लगे तो उसकी प्रतीक्षा करनी चाहिए।धैर्य इसी को कहते हैं कि सब्जबाग न देखे जाएं।दिवास्वप्नों न उड़ा जाए,यथार्थता के साथ जुड़ा जाए और जब निष्कर्ष निकल जाए तो मन की भटकन को बंद करके और एकाग्रता के साथ कार्य में जुट जाना चाहिए।सही दृष्टिकोण और सही व्यवस्था के साथ किया गया अध्ययन,लक्ष्य प्राप्ति में सफलता प्राप्त होती है।
  • एक नगर में शिवदत्त नाम का विद्यार्थी रहता था।उसे सभी छात्र-छात्राएं महामूर्ख समझते थे।शिवदत्त से सभी छात्र-छात्राएं कन्नी काटते थे। शिवदत्त ने गणित के अध्ययन करने में कठोर परिश्रम करना प्रारंभ कर दिया।शिवदत्त द्वारा गणित पढ़ने का सभी छात्र-छात्राएं मजाक उड़ाने लगे।
  • शिवदत्त कहता कि मैं अपने जीवन में गणित में पीएचडी करके गणित में शोध कार्य करूंगा।हालांकि यह कार्य बहुत बड़ा है परन्तु मेरी दृढ़ संकल्पशक्ति से बड़ा नहीं है।मैं जितना गणित का अभ्यास और चिन्तन-मनन करूँगा उतना ही यह कार्य छोटा होता जाएगा।सभी छात्र-छात्राएं उसकी दृढ़ इच्छाशक्ति को सुनकर हैरान हो गए।छात्र शिवदत्त को वे मूर्ख समझते थे वही उनको सफलता का मंत्र बता रहा था।एक दिन वही शिवदत्त दृढ़ इच्छाशक्ति,कठिन परिश्रम,ईमानदारी और सकारात्मक सोच के बल पर महान गणितज्ञ हुआ।उसने गणित में अनेक खोजें की।
  • उपर्युक्त आर्टिकल में गणित के छात्र-छात्राएं सफलता कैसे हासिल करें? (How do Maths Students Achieve Success?),विद्यार्थी के लिए सफलता हासिल करने का रहस्य (The Secret to Success for Students) के बारे में बताया गया है।

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5.गणित गोल है या चौकोर (हास्य-व्यंग्य) (Mathematics is Round or Chocked) (Humour-Satire):

  • गणित अध्यापक:गणित गोल है या चोकोर?
  • एक विद्यार्थी बीच में बोल पड़ाःगणित न तो गोल है और न चौकोर है और न त्रिकोण है।मेरे पिताजी कहते हैं कि गणित तो भूकम्प है।

6.गणित के छात्र-छात्राएं सफलता कैसे हासिल करें? (Frequently Asked Questions Related to How do Maths Students Achieve Success?),विद्यार्थी के लिए सफलता हासिल करने का रहस्य (The Secret to Success for Students) से सम्बन्धित अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्नः

प्रश्न:1.लक्ष्य को प्राप्त करने व न प्राप्त करने की शर्त क्या है? (What is the Condition of Achieving or not Achieving the Goal?):

उत्तरःजो छात्र-छात्राएं सभी विकल्पों के गुण-दोषों को तैयार करके तुलनात्मक दृष्टि से काँट-छाँट करते हैं और किसी भी लक्ष्य पर गंभीरतापूर्वक विचार करते हैं,हितैषियों और शुभचिंतकों के परामर्श पर भी विचार करते हैं इसके पश्चात किसी लक्ष्य को तय करते हैं।एक बार लक्ष्य तय करने के बाद उसको पूरी तत्परता और तन्मयता के साथ पूरा करने की योजना बनाते हैं और लक्ष्य को प्राप्त करने में जुट जाते हैं।ऐसी लगन से किया गया अध्ययन व लक्ष्य पूरा होता है।
परन्तु जिन छात्र-छात्राओं के मन में असमंजस बना रहता है तथा योजना को संदेह की दृष्टि से देखते हैं और सोचते हैं कि इसके बजाय अन्य लक्ष्य तय करना अच्छा होता।यह संदेह उनकी कार्य क्षमता और प्रतिभा को नष्ट कर देता है।फलतः आधे-अधूरे मन से किए गए लक्ष्य को ठीक प्रकार से प्राप्त नहीं कर पाते हैं।संदेह और असमंजस उनकी सफलता को निरस्त कर देता है।परिणाम यह होता है कि वह अपने निर्णय और दूसरों के परामर्श में ही छलावा देखते हैं।यह निश्चय नहीं हो पाता है कि जो किया जाना चाहिए था वही किया जा रहा है या भटकावों में भटका जा रहा है।
जब मन में निश्चिन्तता और दृढ़ता हो तो हाथ-पैर उत्साहपूर्ण व्यवस्थित रूप से किसी भी लक्ष्य में गतिशील होते हैं।अधूरे मन से किए गए अध्ययन या लक्ष्य या तो पूर्णतया असफल होते हैं या इस प्रकार अधर में लटकते रह जाते हैं जिन्हें असफलता के समतुल्य कहा जा सकता है।

प्रश्नः2.सफलता किनको मिलती है? (Who Gets Success?):

उत्तरःजिन विद्यार्थियों की कार्य पद्धति में आत्मविश्वास के साथ मन की एकाग्रता,तन्मयता,तत्परता,कठिन परिश्रम,लक्ष्य के प्रति निष्ठा,लगन इत्यादि गुण होते हैं वे चुंबकीय आकर्षण शक्ति की तरह सफलता को अपनी ओर खींच लेते हैं।

प्रश्न:3.क्या प्रतिकूल परिस्थितियों में सफलता अर्जित की जा सकती है? (Can Success be Achieved in Adverse Circumstances?):

उत्तरःसफलता के लिए अनुकूल परिस्थितियों का इंतजार नहीं किया जाता है।संकल्प शक्ति को जगाया,उभारा व विकसित किया जाता है।अध्ययन व लक्ष्य में आशातीत सफलता का एक ही तरीका है कि प्रतिकूल परिस्थितियों,विषम परिस्थितियों का डटकर मुकाबला करना और अपने अंदर छिपी हुई सामर्थ्य,प्रतिभा को उभारना।अपनी समस्त योग्यताओं,क्षमताओं का सदुपयोग करना।
How do Maths Students Achieve Success?

  • उपर्युक्त प्रश्नों के उत्तर द्वारा गणित के छात्र-छात्राएं सफलता कैसे हासिल करें? (How do Maths Students Achieve Success?),विद्यार्थी के लिए सफलता हासिल करने का रहस्य (The Secret to Success for Students) के बारे में ओर अधिक जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।

How do Maths Students Achieve Success?

गणित के छात्र-छात्राएं सफलता कैसे प्राप्त करें?
(How do Maths Students Achieve Success?)

How do Maths Students Achieve Success?

गणित के छात्र-छात्राएं सफलता कैसे प्राप्त करें? (गणित के छात्र सफलता कैसे प्राप्त करते हैं?)
इसके उत्तर कई हो सकते हैं या होते हैं।सफलताप्राप्ति प्रविष्टि कई रहस्य अनेक ग्रंथ
और पुस्तकें,पत्रिका में प्रकाशित होते रहते हैं।कई टाॅपर साक्षात्कार में सफलता के आवश्यक मंत्र हैं।

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