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How to Update and Upgrade Over Time?

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1.समय के साथ अपडेट और अपग्रेड कैसे करें? (How to Update and Upgrade Over Time?),समय के साथ खुद को कैसे बदलें? (How to Change You Yourself Over Time?):

  • समय के साथ अपडेट और अपग्रेड कैसे करें? (How to Update and Upgrade Over Time?) क्योंकि जो समय के अनुसार अपने आपको नहीं ढालता है वह आधुनिक युग में फिसल जाता है चाहे वह विद्यार्थी हो,अभ्यर्थी (जॉब करने वाला) हो,व्यवसायी हो,कलाकार हो,कंपनी हो,शैक्षिक संस्थान हो अथवा अन्य कोई हो।
  • आधुनिक युग तकनीकी,विज्ञान,प्रौद्योगिकी और गणित का युग है,इसमें कोई चीज,काम करने के ढंग में,खोज,आविष्कारों में द्रुतगति से परिवर्तन हो रहे हैं इसलिए समय के साथ स्वयं को ढालते रहना ही उन्नति,विकास और सफलता की कुंजी है।
  • हम व्यावसायिक जगत अथवा अन्य संस्थाओं व व्यक्तियों का इतिहास उठाकर देख लें जो किसी समय व्यावसायिक जगत अथवा अपने क्षेत्र पर राज करती थी लेकिन आज उनका वजूद नहीं है या वे बहुत पिछड़ गई हैं।
  • उदाहरणार्थ HMT (घड़ी),Ambassador car (गाड़ी),Nokia (फोन) इन सभी की गुणवत्ता में कोई कमी नहीं थी फिर भी बाजार से बाहर हो गए।किसी समय गोयनका,गोदरेज,वाडिया,थापर,मोदी,बिड़ला,डालमिया आदि नाम के अतिरिक्त किसी अन्य का नाम धन कुबेरों के रूप में उदाहरण देने के लिए लिया ही नहीं जाता था,लेकिन आज इन नामों की चर्चा भी नहीं हो रही है।इन प्रथम पीढ़ी के धन कुबेरों की जगह आज नवधनाढ्यों अजीज एच प्रेमजी,शिव नादर,धीरूभाई अंबानी (मुकेश अंबानी),एन आर नारायण मूर्ति,मालविंदर सिंह एवं शिविंद्र सिंह,कुमार मंगलम बिड़ला (प्रथम पीढ़ी),राहुल बजाज,सुभाष चंद्र,वाई के हमीद,आरसी बर्मन आदि ने ले ली है।आखिर यह कैसे हुआ?
  • प्रथम कारण तो यह है कि समय के साथ बदलाव की चुनौतियों (उदारीकरण) को पहचानने और उसके योग्य कदम उठाने में देर कर दी जिससे पूरा दृश्य ही बदल गया।दूसरी बात यह भी थी कि ये लोग सभी तरह का व्यवसाय करते थे।हर क्षेत्र में पैर फैला देते थे।पर इन्हें मजबूत जानकारी किसी भी क्षेत्र की नहीं थी।बस परंपरागत ढंग से चलते रहना ही सब कुछ समझते थे।
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2.समय के साथ बदलाव करें (Change with Time):

  • न केवल अपने पेशे या जॉब में अपितु व्यक्तिगत जीवन में भी मनुष्य को समयानुसार बदलाव करते रहना चाहिए।किसी समय विद्यार्थियों को पाठ कंठस्थ कराने की व्यवस्था थी (प्राचीन काल में)।धीरे-धीरे पाटी पर धुली और पेंसिल से लिखकर पढ़ाया जाने लगा।आधुनिक युग में नोटबुक,कॉपी पर पेंसिल और पेन से लिखकर सिखाया जाता है।शिक्षक पहले उपदेश,प्रवचन द्वारा शिक्षण कराया करते थे।फिर श्यामपट्ट पर पढ़ाया जाने लगा।अब व्हाइट बोर्ड,डिजिटल बोर्ड तथा अन्य कई प्रकार के बोर्ड पर पढ़ाने का प्रचलन हो गया है।
  • पहले समाचार एक-दूसरे तक व्यक्ति स्वयं जाकर पहुंचाया करता था,फिर पत्र द्वारा और अब फोन,मोबाइल फोन,ईमेल आदि के द्वारा संदेश मिनटों,सैकण्डों में पहुंचाया जा सकता है जबकि पहले समाचार पहुंचाने में व्यक्ति व पत्र के द्वारा कई दिन लग जाते थे।
    प्राचीन काल में ज्ञान को ही महत्त्व दिया जाता था परंतु आज के युग में ज्ञान के साथ-साथ,जानकारी,वार्तालाप के ढंग,तकनीकी ज्ञान की जानकारी आदि अनेक बातों के आधार पर आपके व्यक्तित्त्व का पता लगाया जाता है।
  • प्राचीन भारत में योग,अध्यात्म,धर्म,दर्शन तथा ज्ञान इतना फल-फूल रहा था कि विश्व के कोने-कोने में इनकी गूंज सुनाई देती थी।परंतु पिछले सात-आठ सौ वर्षो में (स्वतंत्रता से पूर्व) इस तरफ विदेशों का ही नहीं बल्कि भारतीय लोगों का रुझान घट गया था।यहां तक की योग और शास्त्रीय संगीत जैसी विद्याएं भी हमारे यहां मुरझा गई थी।परंतु ज्योंही स्वामी रामदेव जी ने योग के व्यावसायिक तड़का लगाया और आधुनिक समय के अनुसार बदलाव किया तब कहीं भारत में इनकी पुनः गूंज सुनाई देने लगी।
  • इसलिए हमें अध्ययन,जाॅब अथवा किसी भी क्षेत्र में आधुनिक तकनीक के माध्यमों को सम्मिलित करने में नहीं हिचकिचाना चाहिए।एक सफल विद्यार्थी बनने के लिए हमें समय के साथ कदम मिलाकर चलना चाहिए।आज विद्यार्थी ज्ञानार्जन के लिए केवल शिक्षक,कोचिंग सेंटर पर ही निर्भर नहीं है बल्कि वह विभिन्न वेबसाइट्स,यूट्यूब वीडियो के माध्यम से भी सीखता है अर्थात् ऑफलाइन के साथ-साथ ऑनलाइन माध्यमों का उपयोग भी करता है।
  • पहले विद्यार्थी चिमनी,लालटेन के उजाले में ही अध्ययन करता था आज बल्ब की रोशनी,ट्यूबलाइट,बेंच,चेयर,मेज,टेबल लैंप इत्यादि का इस्तेमाल करते हुए अध्ययन करता है।लेकिन इसका अर्थ यह नहीं है कि सुख-सुविधाओं और तकनीक का उपयोग करके ही अध्ययन किया जाना चाहिए। इन सब साधनों का उपयोग करते हुए भी उसे कठिन परिश्रम,स्मार्ट सोच,सही रणनीति व योजना के साथ अध्ययन करना चाहिए तभी आप अध्ययन में शीर्ष पर पहुंच सकते हैं।
  • दरअसल अध्ययन के स्थापित मापदण्ड पहले थे,वे आज नहीं है।पहले पीढ़ी दर पीढ़ी जिस तरह शिक्षा विरासत में मिल जाती थी,आज वैसा नहीं है।और सच यही है कि इसकी शुरुआत कोचिंग सेंटर्स,आधुनिक स्कूलों,समय के साथ चलने वाले शिक्षकों व गुरुओं ने ही की है।आज इन सभी माध्यमों का प्रयोग एक साधारण से साधारण छात्र भी करता है।
  • बदलाव के लिए सिर्फ उचित अवसर को पहचानने की ही नहीं है बल्कि बात है उस अवसर को पहचानने के बाद उसकी तैयारी में पूरी तरह संलग्न होने की।

3.बदलाव को स्वीकार न करने के कारण (Reasons for Not Accepting the Change):

  • हम बदलाव के प्रति उदासीनता के कारण स्वीकार नहीं कर पाते हैं फलस्वरूप हमारी उन्नति व विकास के अवसरों में कमी हो जाती है।पुराने ढर्रे से ही जॉब करना हमारी एक बुरी छवि स्थापित करता है जो लंबे समय में जाकर हमारे लिए हानिकारक सिद्ध होता है।बदलाव को स्वीकारने न करने के कारण हम पिछड़ते चले जाते हैं।
  • जैसे अनावश्यक रूप से मोबाइल फोन और कंप्यूटर का उपयोग करना गलत है वैसे ही आवश्यक होने पर भी उपयोग न करने से इसके लाभों से वंचित हो जाते हैं।
  • यह सोचना की तकनीक और नए माध्यमों का उपयोग किए बिना भी तो जीवनयापन किया जा सकता है फिर मुझे इन माध्यमों का प्रयोग करने की क्या जरूरत है? जो युवक-युवतियां अस्त-व्यस्त रहते हैं,साफ-सफाई नहीं रखते हैं,नहाना-धोना जरूरी नहीं समझते,बालों में कंघी नहीं करते आदि,वे आधुनिक तकनीक के माध्यमों के बारे में तो सोच भी नहीं सकते हैं।
  • ऐसे युवक-युवतियां न केवल स्वयं तकनीक और आधुनिक माध्यमों से दूर रहते हैं बल्कि अपने सहपाठियों,सहकर्मियों को भी ऐसी चीजों से दूर रखना चाहते हैं।ऐसे लोग चाहे अध्ययन करते हों या जॉब करते हों उन्हें कोई साथी बनाना पसंद नहीं करता है।
    नकारात्मक विचारों,हीन भावना,निराशा से ग्रस्त,ईर्ष्यालु युवक-युवतियां दूसरों की उन्नति,विकास और ऊंचाइयों पर चढ़ते देखकर कुढ़ते हैं और अपनी संकीर्ण सोच से बाहर निकलने का प्रयास नहीं करते हैं।
  • बदलाव को अपनाने के लिए अपने दायरे से बाहर निकलें।यदि आप अपने दायरे से बाहर नहीं निकलेंगे तो पुरानी सोच पर ही कायम रहेंगे और बदलावों को स्वीकार नहीं करेंगे।अपने मस्तिष्क को खुला रखें और पुराने विचारों,ढर्रे से अलग हटकर सोचने का प्रयास करें।

4.बदलाव स्वीकार करने के लिए महत्त्वपूर्ण कारक (Key Factors for Accepting Change):

  • वस्तुतः आधुनिक तकनीक और नए माध्यमों को स्वीकार करके ग्रहण करना तभी उचित और सही रहता है जब आप अपने स्वभाव व चरित्र का निर्माण सही ढंग से करते हैं,अपने अहंकार तथा काम,क्रोधदि विकारों का त्याग करते हैं।
  • नित्यप्रति जीवन में हमारे सामने सहयोग,पारस्परिक सद्भावना एवं सहायता के अवसर आते रहते हैं परंतु हमारा आत्मकेंद्रित मस्तिष्क उन अवसरों को संघर्ष,मतभेद,एकाकीपन,ईर्ष्या,प्रतिस्पर्धा आदि में परिवर्तित कर देता है।वह प्रेम और सहयोग की बात करता है परंतु व्यवहार में द्वेष एवं विरोध का मार्ग अपनाता है।
  • यह एक बहुत ही दुःखद एवं विडम्बनापूर्ण स्थिति है जब इतनी श्रेष्ठ संभावनाएं मानव के सम्मुख उपलब्ध हैं,तब वह अपने लिए गंदगी भरे वातावरण का सृजन करता है।संभवतः प्रत्येक युवक-युवतियों एवं व्यक्ति के अंतर्मन में विरोधी प्रवृत्तियों का जन्मजात निवास रहता है।समस्या यह है कि वह उदात्त प्रवृत्तियों की श्रृंखला किस प्रकार बनाए रखें,शिक्षा इस मनोवृत्ति का ज्वलंत उदाहरण है।
  • मनुष्य शिक्षा का अर्थ तो करता है अपनी अन्तर्निहित अच्छी क्षमताओं को निखारना,उभारना,चमकाना और व्यवहार में शिक्षा को सामान्य ज्ञान संबंधी सूचनाओं में सीमित कर देता है।प्रश्न यह है कि हमारी शिक्षा पद्धति में जब सदाचरण,नैतिकता,धार्मिकता,मानवता आदि का विकास व उन्नति करने का प्रावधान नहीं है,तब हम वास्तविक शिक्षा के प्रति,जीवन के अपेक्षित उद्देश्य के प्रति अपने युवावर्ग को किस प्रकार शिक्षित करें? समाधान है अपनी दृष्टि को भीतर की ओर करें,अपने दोषों को खुद देखने की कला विकसित करें,अपनी अंतरात्मा की आवाज सुनो और उसके अनुसार मार्गदर्शन प्राप्त करो।
  • परंतु वस्तुतः हम अपने अंदर की ओर नहीं देखते हैं बल्कि बाहर की ओर हमारी दृष्टि रहती है।बाहर के लोगों के दोष दर्शन करने की दृष्टि रहती है।सदाचरण,नैतिकता,धार्मिकता,मानवता व सद्गुणों को अपनाना,अपने अंदर झांकना,अंतरात्मा की आवाज को सुनना अथवा उसकी बात करना पिछड़ापन,अंधविश्वास,पुरातनपंथी अथवा ढोंग समझा जाता है।
  • युवक-युवतियों तथा मानव ने अनेक क्षेत्रों में मूल्यों के प्रति लगाव प्रायः त्याग दिया है।अधिकांश युवक-युवतियां तथा मनुष्य लक्ष्य रहित जीवन व्यतीत करते हुए जमाने की लहर (बुरी संगति) के साथ बहते हुए दिखाई देते हैं।वे मानवता विरोधी शक्तियों के सामने घुटने टेक देते हैं और नैतिक पतन एवं मनोरोगों की दुनिया में रहते हुए देखे जा सकते हैं।
  • युवक-युवतियों का अधिकांश भाग निराशा,उदासी,मानसिक दबाव,अविश्वास का जीवन व्यतीत करता है।जीवन से पलायन करने के लिए वे मदिरा तथा अन्य नशीले पदार्थों का सेवन करते हैं।उनमें जीवन के प्रति ललक का अभाव हो गया है।हम इस दुःखद स्थिति को प्राप्त हो गए हैं क्योंकि हम अपने भीतर की,अपने अन्तःकरण की आवाज सुनने में असमर्थ हो गए हैं।
  • अतः बाहर के शोरगुल,बुरी बातों को देखना बंद करके अपने अंदर छिपी हुई शक्ति पहचाने,इसके लिए आवश्यक है कि अपने अंदर देखें।बाहर की वे ही बातें देखें जो अच्छी,शुभ तथा आपके आत्मिक विकास में सहायक है।जीवन में एक संतुलन होना चाहिए ताकि वह अंतर्मुखी और बहिर्मुखी हो सके।हमें अपनी गतिविधियों को रचनात्मक एवं सकारात्मक रखना चाहिए।मनुष्य रचनात्मक शक्ति का स्रोत माना जाता है और इसी रूप में उसकी अस्मिता की पहचान स्थापित की जाती है।मनुष्य केवल स्थूल शरीर ही नहीं होता है,वह स्थूल शरीर,सूक्ष्म मन एवं आत्मा का संघात होता है।इनको जान समझकर अपनी इच्छा,अपना ज्ञान एवं अपने कार्यों का निर्धारण करके ही मनुष्य अपनी मनुष्यता को सार्थक सिद्ध कर सकता है।शारीरिक आवश्यकतानों की पूर्ति के साथ मानसिक एवं आत्मिक संतुष्टि को अपनाने वाला मनुष्य ही मनुष्य है।
  • तात्पर्य है यह है कि विवेक,धैर्य,साहस,नैतिकता,धार्मिकता,सदाचरण इत्यादि गुणों को धारण करने एवं अहंकार,काम,क्रोधादि मनोविकारों को त्यागने पर ही आधुनिक तकनीक एवं नए माध्यमों को अपने अध्ययन,जाॅब,अन्य क्षेत्रों एवं जीवन में अपनाने पर सार्थक हो सकता है।

5.समय के साथ बदलाव का दृष्टांत (An Illustration of Change Over Time):

  • एक गंदी बस्ती में एक विद्यार्थी रहता था।वह सारे दिन अपना समय उस गंदी बस्ती में ही व्यतीत करता था।कभी अपनी बस्ती से बाहर जाने का विचार ही नहीं करता था।उसी का एक दोस्त उसी नगर की एक साफ सुथरी कॉलोनी में रहता था।साफ-सुथरी कॉलोनी में रहने वाले विद्यार्थी को यह बात पसंद नहीं थी कि वह गंदी बस्ती में रहकर अध्ययन करे।
  • वह अपने मित्र को बहुत समझता था कि वह उसकी कॉलोनी में आए।बाग-बगीचों में चले,सुरम्य वातावरण का आनंद ले,उसके घर पर अध्ययन करें।परंतु गंदी बस्ती वाला विद्यार्थी यह मानने के लिए तैयार ही नहीं था,वह गंदी बस्ती में रहकर ही खुश था।एक दिन साफ-सुथरी कॉलोनी वाले विद्यार्थी ने जिद की तो गंदी बस्ती वाला विद्यार्थी उसके साथ घूमने के लिए तैयार हो गया।
  • गन्दी बस्ती वाला विद्यार्थी साफ-सुथरी कॉलोनी में घूम रहा था लेकिन उसके चेहरे के भाव वैसे ही थे।साफ-सुथरी कॉलोनी वाले विद्यार्थी ने पूछा:क्या हुआ? क्या तुम्हें कॉलोनी का सुरम्य वातावरण अच्छा नहीं लग रहा? गन्दी बस्ती वाली विद्यार्थी ने पूछा कैसा सुरम्य वातावरण,मुझे तो दुर्गंध महसूस हो रही है।उसके मित्र को सुनकर हैरानी हुई।तब वह उसे एक बाग में ले गया और बोला;यहां कैसा महसूस हो रहा है? गन्दी बस्ती वाले विद्यार्थी ने कहा कि मुझे क्यों मूर्ख बना रहे हो,मुझे तो यहां भी दुर्गंध आ रही है।
  • अंत में साफ-सुथरी कॉलोनी वाला विद्यार्थी अपने घर ले गया जिसमें भीनी-भीनी खुशबु,मनमोहक गन्ध आ रही थी तथा घर में आगे की तरफ लाॅन था जिसमें गुलाब,केवड़ा इत्यादि के फूल लगे हुए थे।तब उसने गंदी बस्ती वाले विद्यार्थी से पूछा कि यहाँ कैसा महसूस हो रहा है? गंदी बस्ती वाले विद्यार्थी ने फिर वही उत्तर दिया।अब तो साफ-सुथरी कॉलोनी में रहने वाली विद्यार्थी के आश्चर्य का ठिकाना नहीं रहा।उसने तनिक सोचा और गन्दी बस्ती वाले विद्यार्थी से बोला अपनी शर्ट के बटन खोलो।उसके शरीर को सूंघकर देखा तो उसमें दुर्गंध आ रही थी।
  • साफ-सुथरी कॉलोनी वाले विद्यार्थी ने पूछा कि नहाए-धोए कितने दिन हो गए हैं? उसके मित्र ने कहा कि मैं तो 5-10 दिन से नहाता हूं।साफ-सुथरी कॉलोनी वाले विद्यार्थी ने कहा मूर्ख तेरे पूरे शरीर से तो दुर्गंध आ रही है और तुझे कॉलोनी के सुरम्य वातावरण,बागबगीचों के वातावरण और घर में फूलों की सुगन्ध तथा मनमोहक सुगन्ध कैसे महसूस होगी? इसीलिए तुम्हारे गणित व अन्य विषय में कम अंक आते हैं।कम से कम स्वयं तो नहा-धोकर साफ-सुथरे रहकर,कमरे की सफाई करके तो अध्ययन कर सकते हो।तुम गंदी बस्ती का माहौल तो नहीं बदल सकते परंतु अपने घर का माहौल तो बदल सकते हो।दुनिया कहां से कहां पहुंच गई और तुम्हारे अंदर कोई बदलाव नहीं है,तुम गंदी बस्ती के ढर्रे को छोड़ना नहीं चाहते हो।
  • उपर्युक्त आर्टिकल में समय के साथ अपडेट और अपग्रेड कैसे करें? (How to Update and Upgrade Over Time?),समय के साथ खुद को कैसे बदलें? (How to Change You Yourself Over Time?) के बारे में बताया गया है।

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6.गणित की पुस्तक टैंक में गिरी (हास्य-व्यंग्य) (Math Book Fell into Tank) (Humour-Satire):

  • चंद्रकांत सब दोस्तों को मिठाई बांट रहा था तो अभिषेक ने पूछा:क्यों भाई मिठाई किस बात की बांट रहे हो?
  • चंद्रकांत:आज छत पर पढ़ते समय गणित की पुस्तक ऊपर से नीचे पानी के टैंक में गिर गई।
  • अभिषेक:इसमें खुशी की बात क्या है?
  • चंद्रकांत:खुशी की बात यह है कि उस समय मैं गणित की पुस्तक नहीं पढ़ रहा था।

7.समय के साथ अपडेट और अपग्रेड कैसे करें? (Frequently Asked Questions Related to How to Update and Upgrade Over Time?),समय के साथ खुद को कैसे बदलें? (How to Change You Yourself Over Time?) से संबंधित अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न:

प्रश्न:1.अपडेट और अपग्रेड से क्या तात्पर्य है? (What Do You Mean by Updates and Upgrades?):

उत्तर:अपडेट (अद्यतन) अर्थात् पुरानी चीज या ढंग में बदलाव करना।जैसे कोई विद्यार्थी नहाता नहीं है,साफ-सुथरा नहीं रहता है परंतु अब नहा-धोकर साफ-सुथरा रहता है तो यह अपडेट होना है।अपग्रेड का अर्थ है नवीनीकरण अर्थात् पिछली चीज,वस्तु या ढंग से बिल्कुल नहीं नवीन चीज तैयार करना।जैसे कोई विद्यार्थी ऑफलाइन पढ़ता था लेकिन अब ऑनलाइन पढ़ता है तो यह अपग्रेड होना है।

प्रश्न:2.हम परिवर्तन से क्यों घबराते हैं? (Why Are We Afraid of Change?):

उत्तर:परिवर्तन से वह युवक-युवतियां और लोग ही घबराते हैं जो समय के अनुसार अपने आपको नहीं ढाल पाते हैं।ऐसे लोगों के लिए परिवर्तन एक चुनौती है।परंतु जो समय के अनुसार अपने आपमें बदलाव कर लेते हैं उनके लिए परिवर्तन एक अवसर है।

प्रश्न:3.बदलाव के लिए कैसा दिमाग चाहिए? (What Kind of Mind Do You Need for Change?):

उत्तर:बदलाव के लिए मजबूत दिमाग की आवश्यकता होती है।जब दिमाग कमजोर होता है तो युवक-युवतियों एवं लोगों के लिए परिवर्तन समस्या बन जाता है और वे यह सोच ही नहीं पाते की परिवर्तन से कैसे निपटे? परन्तु दिमाग जब स्थिर होता है तो उन लोगों के लिए परिवर्तन चुनौती बन जाता है।वे बदलाव के लिए तैयार तो हो जाते हैं परंतु अपने पुराने ढर्रे का मोह नहीं छोड़ पाते हैं। परंतु जिन मनुष्यों का दिमाग मजबूत होता है वे समय से आगे चलते हैं और अपने आपमें बदलाव के लिए सदैव तत्पर रहते हैं।ऐसे लोग दुनिया की दौड़ में पिछड़ते नहीं है बल्कि सदैव आगे बढ़ते रहते हैं। इसलिए परिवर्तन के लिए एक मजबूत दिमाग की आवश्यकता होती है।मजबूत दिमाग के लिए महत्वपूर्ण कारक में बताई गई बातों को अपने जीवन में अपनाना होता है अर्थात् सदाचारी होना।

  • उपर्युक्त प्रश्नों के उत्तर द्वारा समय के साथ अपडेट और अपग्रेड कैसे करें? (How to Update and Upgrade Over Time?),समय के साथ खुद को कैसे बदलें? (How to Change You Yourself Over Time?) के बारे में ओर अधिक जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
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