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5 Best Tips to Achieve Success

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1.सफलता प्राप्त करने की 5 बेहतरीन टिप्स (5 Best Tips to Achieve Success),जाॅब में सफलता प्राप्त करने की 5 बेहतरीन टिप्स (5 Best Tips to Get Success in Job):

  • सफलता प्राप्त करने की 5 बेहतरीन टिप्स (5 Best Tips to Achieve Success) के आधार पर आप सफलता प्राप्त करने के लिए रहस्य जान सकते हैं।सफलता चाहे अध्ययन करने में प्राप्त करने,जाॅब प्राप्त करने अथवा परीक्षा में अर्जित करनी हो इत्यादि में कुछ काॅमन टिप्स हैं तो कुछ विशेष टिप्स होते हैं।जाॅब,परीक्षा इत्यादि में सफलता प्राप्त करने के काॅमन टिप्स हैं:कठिन परिश्रम करना,लक्ष्य निर्धारित करना,क्रियान्वयन करना,योजना बनाना और उसको कार्यरूप प्रदान करना,आत्मविश्वास,दृढ़ संकल्पशक्ति,एकाग्रतापूर्वक कार्य करना इत्यादि। जबकि विशिष्ट टिप्स हैं:जॉब के लिए आवश्यक कौशल प्राप्त करना तो परीक्षा के लिए अनवरत अध्ययन करना,जाॅब पर शिखर पर पहुँचे हुए व्यक्तियों के अनुभवों को जानना तथा समझना,अध्ययन के लिए है कि प्रखर व तेजस्वी विद्यार्थियों की कार्यप्रणाली को समझना।
  • इस प्रकार विद्यार्थी द्वारा परीक्षा में सफलता अर्जित करना तथा जॉब में सफलता अर्जित करने के कुछ काॅमन सूत्र हैं तो विशेष सूत्र भी होते हैं।इन सूत्रों को अपनाकर आप अपने क्षेत्र के शिखर पर पहुंच सकते हैं,शिखर पर न भी पहुँचे तो भी उस विशिष्ट क्षेत्र में एक ऐसा मुकाम हासिल कर सकते हैं जो अन्य के लिए दुर्लभ हो सकता है।अपने गुण,कर्म तथा स्वभाव को पहचानकर सफलता के आवश्यक सूत्रों को अपनाएं और सफलता अर्जित करें।
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2.लक्ष्य निर्धारित करें (Set Goals):

  • बिना लक्ष्य निर्धारित किए विद्यार्थी द्वारा अध्ययन अथवा जाॅब करना वैसा ही है जैसे हवा में तीर चलाना अथवा पानी में लट्ठ मारना।अपने गुण,कर्म तथा स्वभाव को पहचान कर उसके अनुसार लक्ष्य तय करें।विद्यार्थी को जिस भी क्षेत्र में जाना हो उसका लक्ष्य आठवीं कक्षा तक आवश्यक रूप से तय कर लेना चाहिए।
  • कुछ विद्यार्थियों को विभिन्न क्षेत्र लुभावने लगते हैं। जैसे क्रिकेट में विराट कोहली को देखते हुए क्रिकेट में जाने का मन करता है,प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी को देखकर राजनीति में जाने का मन करता है,फिल्मों में अक्षय कुमार को देख कर फिल्मों में जाने का मन करता है,रतन टाटा,मुकेश अंबानी को देखकर कोई व्यवसाय को चयन करने का मन करता है।इस प्रकार के विद्यार्थियों का मन डाँवाडोल रहता है तथा वे कोई लक्ष्य निर्धारित नहीं कर पाते हैं।इधर-उधर भटकते रहते हैं।किसी एक जाॅब का चयन करते हैं और उसमें आने वाली कठिनाइयों व समस्याओं से घबराकर दूसरे जाॅब में चले जाते हैं।
  • विद्यार्थी प्रखर,तेजस्वी तथा निपुण छात्र-छात्राओं को देखकर सोचता है कि मुझे भी परीक्षा में 90-95% अंक अर्जित करने हैं।और जब परीक्षा देता है तो उत्तीर्ण होने के लाले पड़ जाते हैं। बमुश्किल उत्तीर्ण होता है।
  • अपने लक्ष्य का निर्धारण रुचि,योग्यता,गुण,कर्म और स्वभाव को पहचान कर निर्धारित करना चाहिए।जैसे यदि किसी विद्यार्थी को अक्सर 60-65% अंक परीक्षा में अर्जित होते हैं तो उसे 10-15% अंक बढ़ाकर अपना लक्ष्य तय करना चाहिए।इसका तात्पर्य यह नहीं है कि 60-65% अंक प्राप्त करने वाले विद्यार्थी 90-95% अंक नहीं प्राप्त कर सकता है।कर सकता है परंतु ऐसे विद्यार्थी अपवादस्वरूप ही होते हैं और अपवाद को नियम नहीं बनाया जा सकता है।कुछ विद्यार्थियों के लिए यह समस्या हो सकती है कि उन्हें यह मालूम ही नहीं है कि उनमें योग्यता क्या है,क्षमता क्या है,गुण क्या है और रुचि किस क्षेत्र में है? ऐसे विद्यार्थियों को माता-पिता,शिक्षक,मित्रों तथा शिक्षकों से मार्गदर्शन प्राप्त करना चाहिए।विद्यार्थी के बारे में तथा उसके अधिक संपर्क में यह लोग भी रहते हैं।यदि इन लोगों मित्रों,माता-पिता को समझ नहीं है तो ऐसे विशिष्ट व्यक्ति से परामर्श लेना चाहिए जो आपके बारे में जानता है या जान सकता है।इस प्रकार आप अपना लक्ष्य तय कर सकते हैं।

3.लक्ष्य प्राप्ति का ढंग (Manner of Achieving the Goal):

  • लक्ष्य तय करने के बाद अगला कदम आता है उसको प्राप्त करने का ढंग।जैसे किसी विद्यार्थी ने 90% अंक प्राप्त करने का लक्ष्य तय कर लिया है। वह 90 प्रतिशत अंक नकल करके,शिक्षकों को डरा-धमकाकर प्रश्न-पत्र हल करवाके,बोर्ड के कर्मचारियों को रिश्वत देकर अंक तालिका में अंक बढ़वाकर अथवा अन्य अनुचित तरीकों से प्राप्त कर सकता है।परंतु इस प्रकार प्राप्त की गई सफलता,इस प्रकार प्राप्त किया गया लक्ष्य असली नहीं है।श्रेष्ठ साधनों से,कठिन परिश्रम करके,अध्ययन करके,एकाग्रचित्त होकर साधना करके तथा परीक्षा में प्रश्नों के सही उत्तर लिखकर प्राप्त की गई सफलता ही वास्तविक सफलता है। भले ही ऐसी सफलता में उसे 90 के बजाय 80 प्रतिशत अंक ही प्राप्त होते हों।उचित साधनों,उचित प्रयत्नों द्वारा प्राप्त करने से विद्यार्थी को आत्म-संतुष्टि,आनंद की प्राप्ति होती है।
  • इसी प्रकार जॉब में कोई कर्मचारी अधिकारी की चापलूसी करके,अधिकारी की झूठी प्रशंसा करके,छल,कपट,पाखण्ड अपनाकर पदोन्नति प्राप्त करता है तो यह सही मायने में सफलता नहीं कही जा सकती है।समर्पित भाव से कार्य करके,कर्त्तव्यनिष्ठ होकर,काम में कुशलता तथा अधिक योग्यता प्राप्त करके,सही प्रयत्नों द्वारा पदोन्नति हासिल करता है तो वही असली सफलता है और उसका स्वाद शब्दों में वर्णन नहीं किया जा सकता है।

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4.आत्म-विश्वास रखें (Have Self-confidence):

  • लक्ष्य निर्धारित करने तथा उसके क्रियान्वयन में छात्र-छात्राओं के सामने कई प्रकार की परेशानी हो सकती है।जैसे गणित के सवाल हल नहीं हो पाते हैं,शिक्षक ठीक से नहीं पढ़ाता है तथा घरवाले कोचिंग की व्यवस्था करने में असमर्थ हैं।इस प्रकार की अनेक परेशानियां सामने आ सकती है।कई विद्यार्थी इन समस्याओं और परेशानियों से घबराकर अपना लक्ष्य बदल लेते हैं,भटक जाते हैं।जिस विद्यार्थी को अपने आप पर विश्वास नहीं होता है,अपने आपको जान,समझ नहीं सकता है अथवा अपने आपकी योग्यता को जानने का प्रयास नहीं करता है उसकी स्थिति ऊपर बताए अनुसार ही होती है।
  • अपने आप पर,परमात्मा पर विश्वास करने पर कुछ हासिल किया जा सकता है।विद्यार्थी कठिन परिश्रम भी करता है,परीक्षा में प्रश्न-पत्र भी अच्छा करता है फिर भी परिणाम हमारे अनुकूल नहीं होता है।कई बार पुनर्मूल्यांकन करने पर छात्र-छात्राओं के अंक बढ़ते देखे जाते हैं।इसका अर्थ है कि परिणाम विद्यार्थी के हाथ में नहीं है।
  • अपने आप पर तथा परमात्मा पर विश्वास रखते हुए सही दिशा में,सही प्रयत्न करते रहना ही विद्यार्थी के हाथ में है।आत्मविश्वास विद्यार्थी को कठिनाइयों तथा समस्याओं में खड़े रहने का साहस प्रदान करता है।
  • निरंतर अध्ययन करते रहने,ज्ञानार्जन करते रहने से तथा नई-नई बातें सीखने,नया करने,ज्ञान प्राप्ति की ललक और जिज्ञासा बनाए रखने से आत्मविश्वास में वृद्धि होती जाती है।ज्यों-ज्यों आप मार्ग में आने वाली बाधाओं को हल करते जाते हैं त्यों-त्यों आपमें आत्मविश्वास की वृद्धि होती जाती है।
  • आत्मविश्वास के बल पर झुग्गी-झोपड़ियों में रहने वाले,साधनों के अभाव में भी बड़े-बड़े अधिकारी बनते हुए तथा उच्च पदों पर आसीन होते हुए देखे जाते हैं।जिसमें आत्म-विश्वास की कमी होती है वह संघर्ष करने से पहले ही,परीक्षा देने से पहले ही अपनी हार मान बैठता है।उसका मनोबल कमजोर हो जाता है तथा उसकी ऊर्जा नकारात्मक चिंतन करने में लग जाती है।फिर उसका परिणाम भी वैसा ही होता है।
  • आत्म-विश्वास का धनी व्यक्ति परीक्षा में आने वाली हर चुनौती का डटकर मुकाबला करता है। आत्मविश्वास में कमी वाला विद्यार्थी हमेशा समय की कमी,कठिन प्रश्नों के होने,परीक्षा टलने की मंशा रखने,परीक्षा तिथि आगे बढ़ने की मनोवृति रखता है।आत्म-विश्वास से पूर्ण विद्यार्थी हमेशा शांत,प्रसन्नचित्त,उत्साही,लगनशील,जिज्ञासु दिखाई देता है और होता है।

5.कठिन परिश्रम करें (Work Hard):

  • लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए विद्यार्थी कठिन परिश्रम करता है,जी-जान से जुट जाता है तो सफलता उसके कदम चूमती है।कर्मठ व्यक्ति अपनी संकल्पशक्ति के बल पर असम्भव कार्य को भी करके दिखाता है।उसे अपना लक्ष्य गाण्डीवधारी अर्जुन की तरह दिखाई देता है।
  • विद्यार्थी की सफलता का असली रहस्य लक्ष्य केंद्रित कठिन परिश्रम में ही छुपा हुआ है।गीता में सफलता प्राप्ति के तीन साधन बताए गए हैं:कर्मयोग,ज्ञानयोग,भक्तियोग।परंतु ये बिल्कुल अलग-अलग नहीं है।किसी व्यक्ति में कठिन परिश्रम मुख्य तथा अन्य गुण गौण होते हैं।किसी व्यक्ति में ज्ञानयोग अर्थात् चिंतन-मनन मुख्य गुण तथा अन्य गौण गुण होते हैं।किसी व्यक्ति में भक्तियोग अर्थात् समर्पण भाव मुख्य तथा अन्य गौण गुण होते हैं।
  • जो विद्यार्थी परीक्षा फल की परवाह न करते हुए निरंतर कर्म करता रहता है अर्थात् अध्ययन करता रहता है उसे देर-सबेर सफलता अवश्य मिलती है। जीवन में,परीक्षा में,अध्ययन में अथवा जॉब में आने वाली कठिनाइयां,परेशानियां और विघ्न बाधाएं उसका कुछ नहीं बिगाड़ सकती है।कोई भी कार्य क्षेत्र क्यों नहीं हो अध्यवसायी उसे प्राप्त करके ही दम लेता है।परंतु उसे कार्यक्षेत्र एक ही चुनाव करना चाहिए इसका अर्थ यह नहीं है कि अन्य क्षेत्रों का ज्ञान अर्जित नहीं करना चाहिए।बहुआयामी व्यक्तित्व वाला विद्यार्थी और व्यक्ति ही सफलता अर्जित करता है।दरअसल एक क्षेत्र मुख्य होता है तथा अन्य क्षेत्र गौण होते हैं।
    विद्यार्थी का मुख्य क्षेत्र अध्ययन करना तथा व्यावहारिक ज्ञान प्राप्त करना,शारीरिक रूप से स्वस्थ रहना इत्यादि गौण क्षेत्र होते हैं।मुख्य क्षेत्र का उसे अधिक से अधिक ज्ञानार्जन करना होता है तथा गौण क्षेत्र की सामान्य जानकारी रखना आवश्यक है।

6.पुस्तकों का अध्ययन करें (Study Books):

  • विद्यार्थी को सुशिक्षित होने के लिए पुस्तकों का नियमित रूप से अध्ययन-मनन और अभ्यास करना चाहिए।पुस्तके विद्यार्थी तथा जॉब करने वाले की सच्ची मित्र है।जितने भी महान व्यक्ति हुए हैं उन्होंने सतत तथा नियमित रूप से अध्ययन किया है। पुस्तकों से हम बहुत सी जानकारी जुटाते हैं तथा ज्ञान अर्जित करते हैं।पुस्तकें विद्यार्थी की सच्ची मित्र हैं।पुस्तकों को पढ़ते समय विद्यार्थियों को खास-खास तथा मुख्य बातों को नोट करते रहना चाहिए।जो भी नोट्स बनाएं उनका निरंतर अध्ययन तथा अभ्यास करते रहना चाहिए।
  • किसी भी विषय में तथा क्षेत्र में महारत हासिल करनी हो तो पुस्तकों का नियमित रूप से अध्ययन करते रहना चाहिए।जाॅब करने वाले को अपने जाॅब से सम्बन्धित नई-नई जानकारी तथा नई-नई खोजों को जानने के लिए पुस्तकें अच्छा माध्यम है।अपने आपको अपडेट तथा अपग्रेड करने के लिए पुस्तकों को जीवन का अंग बना लेना चाहिए।
  • पुस्तकें पढ़ने से न केवल सामान्य ज्ञान में वृद्धि होती है बल्कि कई व्यावहारिक बातों को भी सीखते हैं।किसी भी अच्छी पुस्तक की विशेषता होती है कि जब हम उसको बार-बार पढ़ते हैं तो कोई न कोई नई जानकारी मिलती है।विद्यार्थी को कई बातें जो समझ में नहीं आती है वे पुस्तकों का नियमित रूप से अध्ययन करके समझ सकते हैं।पुस्तकें पढ़ने से नई-नई बातें तो जानते ही हैं साथ ही पुराना ज्ञान भी याददाश्त में बना रहता है।पुस्तकें पढ़ने से मन के बंद कपाट खुल जाते हैं।हमारा दायरा व्यापक और विस्तृत होता है।पुस्तकें पढ़ने से स्वाध्याय यानी अपने आप का अध्ययन करने में सहायता मिलती है।इस प्रकार पुस्तकों का अध्ययन हमारी सफलता में सहायक है।
  • गंभीरता पूर्वक अध्ययन-मनन करने से अर्जित ज्ञान स्थायी होता है और हमारे मन व मस्तिष्क पर अंकित हो जाता है। स्वाध्याय तथा मनन-चिन्तन से साधारण मानव से ऋषितुल्य बन जाता है।
  • उपर्युक्त आर्टिकल में सफलता प्राप्त करने की 5 बेहतरीन टिप्स (5 Best Tips to Achieve Success),जाॅब में सफलता प्राप्त करने की 5 बेहतरीन टिप्स (5 Best Tips to Get Success in Job) के बारे में बताया गया है।

7.मित्र का इलाज (हास्य-व्यंग्य) (Friend’s Treatment):

  • एक बार रवि,मनु को डॉक्टर के पास ले गया और बोला डॉक्टर साहब मेरा मित्र अपने आपको गणितज्ञ समझने लगा है।
  • डॉक्टर:मनु की अच्छी तरह जांच पड़ताल करने के बाद बोले आप चिंता ना करें मैं इनका इलाज कर दूंगा।
  • रवि:डॉक्टर साहब मैं चिंतित नहीं हूं।मैं तो यह चाहता हूं कि आप इसका ऐसा ही इलाज करें जिससे यह मैथमेटिक्स का एबल पुरस्कार जीत जाए।

8.सफलता प्राप्त करने की 5 बेहतरीन टिप्स (5 Best Tips to Achieve Success),जाॅब में सफलता प्राप्त करने की 5 बेहतरीन टिप्स (5 Best Tips to Get Success in Job) से संबंधित अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न:

प्रश्न:1.सफलता में एकाग्रता का क्या महत्व है? (What is the Importance of Concentration in Achieving Success?):

उत्तर:एकाग्रता के बिना विद्यार्थी का मन भटकने लगता है।उसका ध्यान कई दिशाओं में बँट जाता है तथा उसकी ऊर्जा कई दिशाओं मे बँट जाती है। उसे अपने लक्ष्य को प्राप्त करने में संशय रहता है। संशयग्रस्त विद्यार्थी विनाश को प्राप्त होता है अर्थात् परीक्षा में सफल नहीं हो सकता है।जो विद्यार्थी दत्तचित्त और एकाग्र होकर अपने लक्ष्य को प्राप्त करने में लग जाता है उसकी सारी ऊर्जा लक्ष्य को प्राप्त करने में जुट जाती है।
गीता में कहा है कि
अज्ञश्चाश्रद्दधानश्च संशयात्मा विनश्यति।नायं लोकोस्ति न परो न सुखं संशयात्मनः।।
अर्थात् गुरुजनों के बताए हुए विषय को न समझनेवाला,गुरुजन तथा पुस्तकों (शास्त्रों) में श्रद्धा (रुचि) से शून्य एवं प्रत्येक वस्तु में सन्देह करने वाला विद्यार्थी (व्यक्ति) नष्ट हो जाता है।कारण संदिग्धचित्त (एकाग्रता न किया हुआ) पुरुष के लिए न मानव लोक है और न परलोक है और न विषय सुख है अर्थात्  संशयात्मा किसी कार्य को पूर्ण दक्षता और योग्यता के साथ किसी कार्य को नहीं कर सकता है।

प्रश्न:2.सफलता में समर्पण का क्या महत्व है? (What is the Importance of Dedication in Success?):

उत्तर:समर्पण का अर्थ है विद्यार्थी द्वारा विद्याध्ययन में पूर्णतः अपने आपको संलग्न कर देना।विद्यार्थी को सोते-जागते,उठते-बैठते,खेलते-खाते,व्यवसाय (जाॅब) में हर पल अपने विद्याध्ययन से संबंधित सामग्री इकट्ठी करता रहता है।उसे हर पल यही लगता है कि जैसे उसका जन्म ही अध्ययन करने,ज्ञान प्राप्ति के लिए हुआ है।जाॅब करने वाले को हर समय यही लगता है जैसे वह पैदा ही इस जाॅब को करने के लिए हुआ है।उसका चिंतन,उसका अध्ययन,उसके समस्त कार्यकलाप अपने द्वारा चयनित कार्य पर केन्द्रित रहते हैं।
प्रश्न:3.पढ़ा हुआ समझ में कैसे आए? (How did you Understand What you Read?):
उत्तर’समझ में आए इसके लिए विद्यार्थी में कुशाग्र बुद्धि का होना आवश्यक है।यदि बुद्धि तीव्र नहीं हो तो छोटी कक्षाओं में रटकर पास हुआ जा सकता है परन्तु उच्च कक्षाओं में रटकर उत्तीर्ण होना मुश्किल है।इसलिए बुद्धि को तीव्र करने के प्रयास करने चाहिए।

प्रश्न:3.पढ़ा हुआ समझ में कैसे आए? (How did you Understand What you Read?):

उत्तर’समझ में आए इसके लिए विद्यार्थी में कुशाग्र बुद्धि का होना आवश्यक है।यदि बुद्धि तीव्र नहीं हो तो छोटी कक्षाओं में रटकर पास हुआ जा सकता है परन्तु उच्च कक्षाओं में रटकर उत्तीर्ण होना मुश्किल है।इसलिए बुद्धि को तीव्र करने के प्रयास करने चाहिए।

  • उपर्युक्त प्रश्नों के उत्तर द्वारा सफलता प्राप्त करने की 5 बेहतरीन टिप्स (5 Best Tips to Achieve Success),जाॅब में सफलता प्राप्त करने की 5 बेहतरीन टिप्स (5 Best Tips to Get Success in Job) के बारे में ओर अधिक जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।

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सफलता प्राप्त करने की 5 बेहतरीन टिप्स
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सफलता प्राप्त करने की 5 बेहतरीन टिप्स (5 Best Tips to Achieve Success)
के आधार पर आप सफलता प्राप्त करने के लिए रहस्य जान सकते हैं।
सफलता चाहे अध्ययन करने में प्राप्त करने,जाॅब प्राप्त करने अथवा परीक्षा में
अर्जित करनी हो इत्यादि में कुछ काॅमन टिप्स हैं तो कुछ विशेष टिप्स होते हैं।

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