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7 Essential Condition for True Success

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1.सच्ची सफलता हेतु 7 अनिवार्य शर्तें (7 Essential Condition for True Success),सच्ची सफलता हेतु 7 बेहतरीन टिप्स (7 Best Tips for True Success):

  • सच्ची सफलता हेतु 7 अनिवार्य शर्तें (7 Essential Condition for True Success) सफलता प्राप्त करने के लिए महत्त्वपूर्ण है।सफलता तीर या तुक्का अथवा संयोग मात्र नहीं है।यह दृष्टिकोण को उन्नत और सकारात्मक करने का परिणाम है।नीति-नियमों तथा आदर्शों का पालन करके ही सच्ची सफलता अर्जित की जा सकती है।नीति-नियमों तथा उच्च आदर्शों का पालन करने पर असफलता मिले तो उसे श्रेष्ठ और स्वीकार किया जाना चाहिए।
  • सफलता का कोई गूढ़ रहस्य नहीं है बल्कि कुछ मौलिक नियमों का सतत पालन करने का सुखद परिणाम है।इसके विपरीत असफलता गलतियाँ,त्रुटियाँ,दोषों को दूर न करने तथा कुछ गलतियों को लगातार दुहराने का परिणाम है।
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2.उच्च आदर्शों का पालन करें (Follow High Ideals):

  • उच्च लक्ष्य अथवा आदर्श की लगातार प्राप्ति का नाम ही सफलता है।उच्च आदर्शो को प्राप्त करने,जीने के लिए सतत प्रयास आवश्यक है।सफलता एक सफर है,मंजिल नहीं।मंजिल या लक्ष्य प्राप्ति के पश्चात् ठहर जाना सफलता का अंत है।लक्ष्य मिलने पर एक सुखद अनुभव होता है।सफलता इसी अनुभूति का विषय है।इसे अंदर एहसास किया जा सकता है।सफलता का सफर लक्ष्य की मूल्यता के महत्त्व पर निर्भर करता है।यदि लक्ष्य उत्कृष्ट एवं ऊंचा है,तो सफलता भी उतनी ही महान् एवं पावन होगी।यही सफलता की कहानी है,परंतु यह कहानी पूर्णता और संतोष के बिना अधूरी है।
  • संसार में ऐसा कुछ भी नहीं है,जिसे सुधारा या सुगढ़ नहीं बनाया जा सकता।श्रेष्ठता,उच्च आदर्शों तथा पूर्णता की प्राप्ति असंभव तो नहीं,हां,कठिन साध्य लक्ष्य हो सकता है।परंतु श्रेष्ठता और उच्च आदर्श को प्राप्त किया जा सकता है।श्रेष्ठ उच्च आदर्शों में सफलता सम्मिलित है।इस प्रयास हेतु संघर्ष की आवश्यकता पड़ती है।बिना संघर्ष के जीवन में कुछ भी उपलब्ध नहीं हो सकता।संघर्ष कठिनाइयों,समस्याओं से जूझने की कला सिखाता है।
  • आत्म-विश्वास तभी जग सकता है,जब मुसीबतों व कठिनाइयों का डटकर सामना किया जाता है,उनको जीता जाता है।कष्ट-कठिनाइयां जीवन का अनिवार्य अंग है।इनसे जूझना ही संघर्ष है।विजेता कभी मायूस एवं निराश नहीं होता।वह संघर्षरत रहता है।संघर्ष सफलता है।हर चीज आसान होने से पहले कठिन होती है।कठिनाइयों से नहीं भागना चाहिए।
  • यदि छात्र-छात्राओं के सामने कठिनाईयां व समस्याएं आए ही नहीं अथवा कठिन व जटिल सवालों को हल करके दे दिए जाएँ और वे कोई प्रयास ही नहीं करें तो कभी भी कुशल,पारंगत नहीं हो सकते हैं और न ही वे कभी आगे बढ़ सकते हैं।

3.अध्ययन को विधिपूर्वक करना (Methodical Conduct of Study):

  • सच्ची सफलता का पैमाना है अध्ययन अथवा उचित कार्य को विधिपूर्वक करना और अपने लक्ष्य की ओर निरंतर बढ़ते जाना।जीवन में सफलता या असफलता दूसरों से तुलना करके आगे बढ़ने या पिछड़ने के आधार पर ही नहीं मापी जाती और न ही इस बात से मापी जाती है कि दूसरों की तुलना में हम क्या कर रहे हैं।हमारी सफलता तो इस तथ्य पर आधारित है कि हम अपनी क्षमताओं,योग्यताओं की तुलना में क्या कर रहे हैं।
  • सफल छात्र-छात्राएं अध्ययन करने में अवरोध बनने वाले स्वयं के दोषों से लड़ते हैं।वे अपनी कार्यपद्धति में निरंतर सुधार करते रहते हैं और प्रगति की ओर अग्रसर होते हैं।सफलता का मानदंड हमारे द्वारा प्राप्त केवल ऊंचाई के आधार पर नहीं होता है बल्कि इस बात पर भी निर्भर करता है कि हम गिरकर कितनी बार उठते हैं।गिरकर बार-बार उठने की शक्ति ही सफलता का पथ प्रशस्त करती है।
  • अध्ययन अथवा अन्य श्रेष्ठ कार्य करना सरल कार्य नहीं है,बल्कि अनेक कष्ट,मुसीबतों व समस्याओं का सामना करना पड़ता है।ये कष्ट और कठिनाइयाँ अधिकांशत हमारे दोषों के कारण ही आते हैं।ये मुसीबतें हैं:अहंकार,सफलता-असफलता का डर,आत्म-विश्वास की कमी,आर्थिक असुरक्षा,जिंदगी का बदलाव,योजना की कमी,लक्ष्य का अभाव,असह्य पारिवारिक दायित्व,दिशाहीनता,अकेलेपन का एहसास,सारा बोझ स्वयं उठाना,दूसरों से कुछ सहायता-सहयोग न लेने की प्रवृत्ति,क्षमता से अधिक स्वयं को बांधना,प्रशिक्षण,दृढ़ता व प्राथमिकता की कमी,पलायनवादी मनोवृत्ति,अधीर हो उठना,साहस की कमी आदि।इन कठिनाइयों को पार करके ही सफलता का सेहरा सिर पर बँधता है।

4.दृढ़ मन:स्थिति (Strong State of Mind):

  • किसी भी परिस्थिति में हम अपने आपको कैसे संभालते,ढालते हैं और किस कुशलता के साथ उसका सामना करते हैं,उसी से हमारी सफलता तय होती है।असफल व्यक्ति दो प्रकार के होते हैं:वह जो करते हैं,परंतु सोचते नहीं।दूसरे वे जो सोचते तो हैं,परंतु कुछ करते नहीं।सोचने-विचारने की क्षमता का प्रयोग किए बिना जीवन जीना,अध्ययन करना,जाॅब करना अथवा अन्य कोई कार्य करना ठीक उसी तरह है जैसे अंधेरे में तीर चलाना,बिना निशाने के तीर चलाना।
  • दृढ़ मनःस्थिति के बिना चुनौती को स्वीकारने में झिझक होती है तथा ऐसा व्यक्ति असफल हो जाता है।जीवन में एक से बढ़कर एक खतरे आते हैं,उनसे डरना सफलता के लिए घातक है।खतरा उठाने वाले सदैव सतर्क व सजग होते हैं और असफलता उनके पास नहीं फटकती।सतत प्रयास-पुरुषार्थ के अभाव से असफलता हाथ लगती है।
  • जब कठिनाइयाँ भारी पड़ती हैं,तो पलायन सबसे आसान तरीका नजर आता है।विजेता बारम्बार असफलता के बावजूद हार नहीं मानता।असफलता से न तो घबराता है और न ही हतोत्साहित होता है।अधिकतर लोग ज्ञान और प्रतिभा की कमी से नहीं हारते,बल्कि वे इसलिए हार जाते हैं क्योंकि वे भाग खड़े होते हैं।सफलता का रहस्य है सतत कोशिश और विरोध।कोई छात्र-छात्रा अध्ययन में प्रखर,तेजस्वी इसलिए नहीं होता कि वह किसी ओर से ज्यादा प्रखर,तेजस्वी है वरन इसलिए होता है क्योंकि वह अपनी प्रखरता,तेजस्विता दूसरों की तुलना में अधिक तेजी से व ज्यादा प्रकट करता है।

5.असफलता के कारणों को दूर करें (Eliminate the Reasons for Failure):

  • असफलता के कई कारण होते हैं:तुरंत इच्छा पूर्ति,प्राथमिकताओं की कमी,कामचोरी (अध्ययन से जी चुराना),स्वार्थ और लालच,लोभ व मोह आदि।लोभ-लालच का अंत नहीं है।स्वाभिमान की कमी से लालच पैदा होता है।लालच झूठा अहंकार,आडंबर,दिखावा,प्रदर्शन या बराबरी की आदत के रूप में दिखाई देता है।स्वार्थी और लालची व्यक्तियों के जीवन में सच्ची सफलता कभी नहीं आ सकती।
  • विश्वास का अभाव भी असफलता का एक कारण है।यह साहस और आत्म-विश्वास की कमी का द्योतक है।ऐसे लोग दूसरों की स्वीकृति पाने के लिए दूसरों के साथ चलते हैं।वे दूसरों की नजर में अच्छा करने के लिए जान-बूझकर गलत काम करते रहने को मजबूर होते हैं।दृढ़ विश्वास आस्था से उपजता है।आस्था के बिना सभी कार्य दिवास्वप्न के समान होते हैं।आस्था चमत्कार का इंतजार नहीं करती।परंतु उसे साकार बनाती है।अगर आप सोचते हैं कि आप कर सकते हैं या आप यह सोचते हैं कि आप नहीं कर सकते,तो आप दोनों ही तरह ठीक हैं।
  • प्रकृति या भगवान के नियमों को समझने का अभाव भी असफलता का कारण बन सकता है।परिवर्तन व बदलाव प्रकृति प्रदत्त नियम है।हर प्रगति एक बदलाव है,परंतु हर बदलाव एक प्रगति नहीं है।अतः परिवर्तन या बदलाव को जांच-परखकर स्वीकारना चाहिए।असफलता के कारणों में योजना बनाने और तैयारी करने की अनिच्छा भी आती है।जीतने की इच्छा सभी में होती है,परंतु जीतने के लिए तैयारी करने की इच्छा बहुत कम लोगों में होती है।सफलता और असफलता के बीच वही अंतर है,जो बिल्कुल सही और लगभग सही में है।
  • किसी भी क्षेत्र में सफलता प्राप्त करने के लिए पूरी तैयारी करना आवश्यक है।इसके लिए जरूरी है,उद्देश्य,सिद्धांत,योजना,अभ्यास,सतत प्रयास,धैर्य और गर्व।इसी से पूरी तैयारी होती है।तैयारी का तात्पर्य है अपनी गलतियों से सीख लेना।किसी त्रुटि एवं भूल को सुधारने का सबसे अच्छा तरीका है,जल्दी ही गलती स्वीकारना,उस पर अड़े न रहना,उससे सीखना,उसे दुहराना नहीं और न बढ़ाना और ना दूसरों पर दोषारोपण करना।
  • बहाननेबाजी,अवसरों को पहचानने में अयोग्यता,डर,अनुशासन की कमी,कमजोर स्वाभिमान,ज्ञान का अभाव,भाग्यवादी दृष्टिकोण,उद्देश्य की कमी,साहस का अभाव भी असफलता के कारणों में आते हैं।इन कारणों को दूर करके ही सफलता का सौभाग्य प्राप्त किया जा सकता है।
  • असफलता के गर्भ से ही सफलता रूपी शिशु का जन्म होता है।जब भी असफलता की दर दुगुनी या इससे अधिक होने लगती है,तो समझना चाहिए की सफलता मिलने वाली है।बस इससे जूझने हेतु साहस सँजोने की आवश्यकता भर है।सफलता की कहानियाँ बड़ी असफलता की कहानी भी होती है।

6.सफल गणितज्ञों के दृष्टांत (Parables of Successful Mathematicians):

  • महान यूनानी गणितज्ञ यूक्लिड ने ज्यामिति को तार्किक आधार प्रदान करने और उसके लिए विषयवस्तु इकट्ठी करने के लिए अथक परिश्रम किया था।यूक्लिड ने गणित में अनेक आविष्कार किए थे।यूक्लिड मुख्यतः अपने मूलतत्व (elements) के लिए ही प्रसिद्ध थे।यूनानी भाषा में यूक्लिड की ज्यामिति का नाम था स्टोइकेइया।यह ग्रंथ इतना अधिक प्रसिद्ध था कि यूक्लिड के बाद के सभी गणितज्ञ यूक्लिड को स्टोइकेइओटेस के नाम से ही जानते थे।स्टोइकेओटेस का अर्थ होता है ‘स्टोइकेइया का रचयिता’।एक लेखक के लिए कितने बड़े सम्मान की बात है कि केवल उसकी कृति के नाम से ही लोग उसे जानते हों।
  • महान् गणितज्ञ आर्किमिडीज घंटों समुद्र के किनारे बैठकर बालू पर रेखाएं खींचकर ज्यामिति के सवाल करने में खो जाते थे।नहाने जाते और उनके बदन पर तेल मला जाता तो बदन पर ही ऊँगली से ज्यामिति की आकृतियां बनाने लग जाते।उन्होंने विज्ञान में भी कई आविष्कार किए।
  • नोबेल पुरस्कार प्राप्तकर्ता चंद्रशेखर वेंकटरामन का जीवन एक तपस्वी का जीवन था,विज्ञान के एक सच्चे साधक का जीवन।अपने जीवन में एक आदर्श भारतीय थे,परंतु विज्ञान के रूप में वह विश्व के नागरिक थे।विज्ञान के सर्वोच्च शिखर पर पहुंचकर भी उनके जीवन और उनकी साधना की जड़े भारतीय भूमि में जमी हुई थीं।उनके जीवन का हर दौर इस आदर्श का परिचयाक था।
  • रामन के पिता चंद्रशेखर स्वयं एक गणितज्ञ थे और वह विजगापट्टम के कॉलेज में प्राध्यापक थे।वह ज्योतिषशास्त्र और संगीतशास्त्र के भी ज्ञाता थे।पिता के बौद्धिक गुण पुत्र में हु-ब-हू उतर आए।

7.सफल व्यक्ति की विशेषता (Characteristics of a successful Person):

  • सफल व्यक्ति छोटे-छोटे कार्यों को ही कुशलता एवं धैर्यपूर्वक करते हैं।वे किसी महान् कार्य के इंतजार में नहीं बैठे रहते।वे सफलता पाने के लिए अथक परिश्रम एवं धैर्य को बनाए रखते हैं।
  • जीवन में असफलताएं तो सच्ची सहचरी हैं।इनका स्वागत करना चाहिए।ये विनम्रता,संयम और धैर्य की शिक्षा देती हैं।कष्ट-कठिनाइयों में प्राप्त साहस और विश्वास असफलता से जूझने और उबरने में सहायता प्रदान करता है।व्यक्ति को सदैव कठिन परिस्थितियों से ऊपर उठकर जीना व जीतना सीखना चाहिए।
  • सफल होने के लिए कई गुणों की आवश्यकता पड़ती है।दृढ़ इच्छाशक्ति से सफलता प्राप्त करने की प्रेरणा मिलती है।इंसान जो सोच सकता है और जिसमें विश्वास करता,वह उसे प्राप्त भी कर सकता है।प्रतिबद्धता सफलता का आवश्यक गुण है।निष्ठा और बुद्धिमत्ता प्रतिबद्धता बनाने के दो दृढ़ आधार हैं।यहां पर निष्ठा का अर्थ है,नुकसान व क्षति होने पर भी अपना कार्य करना।बुद्धिमत्ता का तात्पर्य है कि ऐसे गलत कार्य ही न करना।
  • सफलता के लिए जिम्मेदारी भी होनी चाहिए।सच्चरित्र व्यक्ति जिम्मेदारियों को स्वीकारते हैं।वे अपना फैसला स्वयं करते हैं और अपने जीवन को दिशा भी स्वयं ही देते हैं।सफलता इतनी सहज एवं सरल नहीं है कि यूं ही अनायास संयोग से मिल जाए।इसके लिए कड़ी मेहनत की जरूरत है।मेहनत अपने आपमें प्रारंभ भी है और अंत भी।कठोर मेहनत ही सफलता की कुंजी है।
  • उपर्युक्त आर्टिकल में सच्ची सफलता हेतु 7 अनिवार्य शर्तें (7 Essential Condition for True Success),सच्ची सफलता हेतु 7 बेहतरीन टिप्स (7 Best Tips for True Success) के बारे में बताया गया है।

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8.कंजूस प्रिंसिपल (हास्य-व्यंग्य) (Stingy Principal) (Humour-Satire):

  • एक गणित के अध्यापक ने अपने कंजूस प्रिंसिपल से कहा:श्रीमान मैंने ख्वाब देखा है कि आपने मुझे ₹300 एडवांस्ड दिए हैं।
    कंजूस प्रिंसिपल ने जवाब दिया:ठीक है,अगले महीने तुम्हारी तनख्वाह से काट लिए जाएंगे।

9.सच्ची सफलता हेतु 7 अनिवार्य शर्तें (Frequently Asked Questions Related to 7 Essential Condition for True Success),सच्ची सफलता हेतु 7 बेहतरीन टिप्स (7 Best Tips for True Success) से संबंधित अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न:

प्रश्न:1.सफलता के लिए सबसे प्रमुख गुण कौनसा है?(What is the Key to Success?):

उत्तर:चरित्र सफलता का अपरिहार्य गुण है।चरित्र व्यक्ति के नैतिक मूल्यों,विश्वासों और शख्सियत से मिलकर बनता है।हर सफल व्यक्ति को यह विचार करना चाहिए कि मुझमें सदैव इतनी दृढ़ता और शारीरिक गुण हों कि मैं एक ईमानदार व्यक्ति के रूप में जाना जा सकूं।यह मेरे संसार के किसी भी महत्त्वपूर्ण पद-प्रतिष्ठा से बढ़कर है।चिंतन की उत्कृष्टता सफलता का एक अंग है।सही सोच क्षमताओं का भरपूर उपयोग करने में सहायक होती है।सच्चा विश्वास इसी सोच से कई गुना बढ़कर है।सच्चा विश्वास आत्मविश्वासी होने का दृष्टिकोण है।यह व्यापक तैयारियों से ही उपलब्ध होता है।वस्तुतः चरित्र के बिना कोई सफलता प्राप्त करना सच्ची व वास्तविकता सफलता नहीं मानी जा सकती है।

प्रश्न:2.सच्ची सफलता की अनिवार्य शर्त क्या है? (What Are the Essential Conditions for True Success?):

उत्तर:सच्ची सफलता के लिए शर्त है कि जितना पाएं उससे अधिक प्रदान करें।देने वाले का कोई प्रतियोगी नहीं होता।वह स्वयं ही प्रतियोगी बन जाता है।इससे ईर्ष्या-द्वेष का भाव नहीं पनपता और न ही उसके बढ़ते कदमों का कोई प्रतिकार करता है।यह गुण किसी भी डिग्री से कहीं ज्यादा महत्त्वपूर्ण है।इसके अलावा साहस का संबल प्रभु (अध्ययन) समर्पित कर्म,सतत जिज्ञासु प्रवृत्ति सफलता के सूत्र हैं।इन सूत्रों द्वारा व्यक्ति सफलता का दरवाजा खटखटा सकता है एवं सफलता के भव्य भवन में प्रवेश कर सकता है।।

प्रश्न:3.सफलता के मुख्य उपाय क्या हैं? (What Are the Main Measures of Success?):

उत्तर:सफलता के कुछ मुख्य उपाय हैं,जिंदगी जीने के लिए है हार के लिए नहीं,सदैव दूसरों की गलतियों से सीखना,चरित्रवान व्यक्तियों के साथ संबंध बनाना,पाने की अपेक्षा देने की सोचना,बिना कुछ दिए कभी पाने का प्रयास नहीं करना।दूरगामी सोच,विवेक एवं साहस के साथ कदम बढ़ाना और बढ़ाकर कभी वापस ना लेना- सफलता का सूत्र है।सफलता प्राप्ति के इच्छुक व्यक्ति को अपनी ईमानदारी के साथ कभी भी समझौता नहीं करना चाहिए।
पहल करें-कुछ नया करें,सकारात्मक दृष्टिकोण,रचनात्मकता,समय के साथ बदलाव,अपने जीवन का सही लक्ष्य चुनना,व्यावहारिक योजना बनाना,अपने लक्ष्य को जुनून बनाना,परिणाम केंद्रित सोच रखना,योजना को क्रियान्वयन करना,अपने कार्य से संबंधित ज्ञान अर्जित करने रहना,आत्मविश्वासी होना,अपने व्यक्तित्त्व में निखार लाते रहना,भावनाओं पर नियंत्रण,तनाव रहित रहना,समय का उचित उपयोग,मन को स्थिर रखना,आलोचना से हतोत्साहित ना होना आदि अनेक उपायों से सफलता हासिल की जा सकती है।

  • उपर्युक्त प्रश्नों के उत्तर द्वारा सच्ची सफलता हेतु 7 अनिवार्य शर्तें (7 Essential Condition for True Success),सच्ची सफलता हेतु 7 बेहतरीन टिप्स (7 Best Tips for True Success) के बारे में ओर अधिक जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
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