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6 Tips to Success in Mathematics

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2 (1.)दृढ़ आत्मविश्वास का होना (Have strong self-confidence):

1.गणित में सफलता के लिए 6 टिप्स (6 Tips to Success in Mathematics):

  • गणित में सफलता के लिए 6 टिप्स (6 Tips to Success in Mathematics):सफलता किसे माना जाए।क्योंकि सफलता तो परीक्षा में गणित का पर्चा चुराना,नकल करना,शिक्षकों को डरा-धमका कर उत्तर पुस्तिका में अंक बढ़वाना,कर्मचारियों को रिश्वत देकर बोर्ड पुस्तिका का पता लगाकर शिक्षकों से अंक बढ़वाना,बोर्ड कर्मचारियों को रिश्वत देकर अंक तालिका में अंक बढ़वाना आदि से भी प्राप्त की जा सकती है।एक नम्बर के आलसी, चरित्रहीन विद्यार्थी भी किसी प्रकार सफल हो जाते हैं।विद्यार्थियों के वेश में चोर,लुटेरे और अपराधी भी मिल जाते हैं, उनको प्रतिष्ठा और यश भी मिल जाता है।क्या ऐसे लोगों को सफल माना जा सकता है।उत्तर स्पष्ट रूप से नहीं में मिलेगा।वास्तविकता में बाहरी सफलता की बजाय नैतिकता और दृष्टिकोण के आधार पर विद्यार्थी की सफलता का मूल्यांकन करना चाहिए। नैतिकता और दृष्टिकोण के आधार पर ही किसी भी विद्यार्थी को परीक्षा अथवा गणित में सफल माना जाना चाहिए।
  • अनैतिकता तथा अनुचित दृष्टिकोण अपनाकर चाहे जितनी उपाधियां,पदक,अंकतालिका तथा सर्टिफिकेट प्राप्त कर लिया जाए परंतु इन तमाम चीजों को बटोरने के बावजूद ऐसे विद्यार्थी तथा व्यक्ति को सफल नहीं कहा जा सकता है।
    सुकरात को अपने जीवनकाल में कई ऐसे व्यक्तियों के संपर्क में आना पड़ा जो केवल सुकरात पर अपनी विद्वता की धाक जमाकर सुकरात से अधिक प्रतिष्ठा प्राप्त करना चाहते थे।यदि सही ढंग से विद्या-वैभव बढ़ाना था तो उसका सही रास्ता कठोर परिश्रम का रास्ता अपनाना था।परंतु उन लोगों से कठिन परिश्रम का मार्ग अपनाने का धैर्य नहीं बन पड़ा।इसलिए असली सफलता के लिए नैतिकता तथा सही दृष्टिकोण को अपनाना जरूरी है। सफलता अर्जित करने के लिए निम्न टिप्स हैं:

(1.)दृढ़ आत्मविश्वास का होना (Have strong self-confidence):

  • आत्मविश्वास का अर्थ है अपने प्रति आस्था,अपने कर्म के प्रति निष्ठा का होना।यह आस्था और निष्ठा ही कठिन परिश्रम,साहस तथा प्रतिभाशाली व्यक्तित्व का निर्माण करती है।स्मरण रखना चाहिए कि आत्मविश्वास का अर्थ बिना पंखों के आसमान में उड़ने का नाम नहीं है।आत्मविश्वास में अपने अनुभवों,योग्यताओं,सामर्थ्य और साधनों का मूल्यांकन करना पड़ता है।इस समीक्षा के साथ यह निष्कर्ष निकालना पड़ता है कि वर्तमान परिस्थितियों में कितना साहस किया जा सकता है? और कितनी ऊँची छलांग लगाई जा सकती है?यदि निष्कर्ष इतनी ऊँची छलांग लगाने की सामर्थ्य नहीं देते तो फिर वैसी सामर्थ्य जुटानी पड़ती है,उपयुक्त परिस्थितियों का निर्माण करना पड़ता है और आवश्यक साधन जुटाने होते हैं।
  • जैसे यदि आपके कक्षा दसवीं में 70% अंक प्राप्त हुए हैं तो आप 12 वीं कक्षा में एकदम से 95 से 100% छलांग लगाना चाहते हैं।यह आपके सामर्थ्य में नहीं है।इसलिए 95 से 100% अंक अर्जित करना चाहते हैं तो उसके अनुकूल कठिन परिश्रम,सामर्थ्य तथा आवश्यक साधन अर्थात् पुस्तकें,मॉडल पेपर्स,साॅल्वड पेपर्स इत्यादि को जुटाना पड़ेगा।जो लोग कोरा आत्मविश्वास रखकर केवल अच्छे अंको के सपने देखते रहते हैं और अपने लक्ष्य को साकार करने का प्रयत्न और सामर्थ्य नहीं जुटाते वे अंतत हाथ मलते हुए ही रह जाते हैं।
  • लव-कुश ने बालक होते हुए भी अश्वमेध यज्ञ का घोड़ा रोक लिया,बालक श्री कृष्ण ने शेषनाग को काबू में कर लिया,तेनजिंग-हिलेरी ने एवरेस्ट को जीत लिया,कल्पना चावला अंतरिक्ष मिशन तक जा पहुँची,कई बार हमारे सैनिकों ने खतरनाक आतंकवादियों को मार गिराया,अभिनव बिंद्रा को ओलंपिक मेडल,सचिन का सर्वाधिक रनों का विश्व रिकार्ड,नीरज चोपड़ा ने 2021 ओलंपिक में भारत के लिए स्वर्ण पदक प्राप्त कर लिया।ऐसे सैकड़ों उदाहरण हैं।इन सब की सफलता का रहस्य है आत्मविश्वास।
  • 2007 में ऑस्ट्रेलियाई गेंदबाज ब्रैड हॉग सचिन तेंदुलकर का विकेट लेने के बाद उनसे उस यादगार क्षण की तस्वीर पर ऑटोग्राफ लेने पहुंचे।तब सचिन ने उस तस्वीर पर यह लिखकर हस्ताक्षर किए थे” कि ऐसा फिर कभी नहीं होगा दोस्त”।उनका मतलब था कि आप फिर कभी मेरा विकेट नहीं ले पाएंगे। इसे कहते हैं अपने आप पर दृढ़ आत्मविश्वास।
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(2.)सकारात्मक दृष्टिकोण (positive outlook):

  • कहावत है कि मन के हारे हार है मन के जीते जीत।अर्थात् दृढ़ आत्मविश्वास रखते हुए हमेशा मन में सकारात्मक दृष्टिकोण रखें।हमेशा मन में यह भावना रखें कि मैं गणित में अवश्य सफल होऊँगा। परीक्षा में अवश्य सफल होऊँगा।मन में नकारात्मक विचार आने से आपको गणित के सवाल जो भी याद है उन्हें भी आप भूलने लगते हैं।जबकि सकारात्मक दृष्टिकोण से यदि आपको कोई सवाल थोड़ा बहुत भी याद है तो वह तत्काल पूरी तरह याद आ जाता है क्योंकि सकारात्मक दृष्टिकोण से हमारे शरीर की सारी ऊर्जा उस समस्या को हल करने में तथा याद करने में लग जाती है जिस समस्या के प्रति हमारी सकारात्मक विचारधारा है। कभी-कभी देखा होगा कि हमारे मन में किसी सवाल की धुँधली सी तस्वीर रहती है।परन्तु दिमाग पर जोर डालने तथा सकारात्मक दृष्टिकोण रखने पर उस सवाल की तस्वीर पूरी तरह स्पष्ट हो जाती है।

(3.)कठिन परिश्रम करना (To work hard):

  • कठिन परिश्रम का कोई विकल्प नहीं है।गणित जैसे विषयों पर यह बात बिल्कुल सटीक बैठती है।आप बार-बार अभ्यास करेंगे तथा नियमित रूप से कठिन परिश्रम करेंगे तो गणित विषय आपको सरल लगने लगेगा।कोई भी विषय कठिन होता है तो उसके लिए अधिक परिश्रम करने की आवश्यकता होती है।कुछ विद्यार्थियों की सोच यह होती है कि गणित विषय को हल करना हमारे बस में नहीं है।लेकिन यह बात हर विद्यार्थी के लिए लागू नहीं होती है।गणित विषय कुछ विद्यार्थियों के लिए सरल है तथा वे चुटकियों में सवाल को हल कर देते हैं।जबकि कुछ विद्यार्थियों के लिए गणित के सवाल हल करना कठिन ही नहीं बल्कि असाध्य हो जाता है।गणित विषय जिन विद्यार्थियों के लिए सरल होता हैं उनमें गणित को हल करने के प्रति लगन, उत्साह, क्षमता तथा योग्यता होती है।इसके अभाव में गणित कठिन हो जाता है।इसलिए यदि जिन विद्यार्थियों को गणित कठिन लगता है वे गणित के प्रति लगन,उत्साह,हिम्मत और अपने अंदर अध्यवसाय की प्रवृत्ति रखेंगे तो गणित धीरे-धीरे सरल होता जाएगा।
  • इसलिए गणित को सरल करते समय यह सोचना चाहिए कि गणित को सरल करने जितनी योग्यता तथा क्षमता है या नहीं है।यदि नहीं है तो कठिन परिश्रम,अध्यवसाय और अभ्यास से धीरे-धीरे योग्यता व क्षमता उत्पन्न हो जाती है।धीरे-धीरे गणित को हल करने में आनंद महसूस होगा।जिससे आपमें लगन और उत्साह का संचार होगा।
  • ऐरी शेफर ने कहा है कि “जीवन में शारीरिक और मानसिक परिश्रम के बिना कोई कार्य सिद्ध नहीं होता है।दृढ़चित्त और महान उद्देश्य वाला मनुष्य जो चाहे सो कर सकता है।”इसी प्रकार महाभारत में वेदव्यास जी ने कहा है कि “जगत में पुरुषार्थ करने से स्वर्ग,भोग,धर्म में निष्ठा और बुद्धिमत्ता की उपलब्धि होती है।”
  • रात्रि को शयन करते समय पूरे दिन की गतिविधियों पर चिन्तन करेंगे।कितना समय फालतू बर्बाद किया।किस सवाल को हल नहीं कर पाए तो उसे किस प्रकार हल किया जा सकता है।दिन को ओर कितने श्रेष्ठ तरीके से व्यतीत किया जा सकता था।आपको जानकर आश्चर्य और हर्ष होगा कि इससे आपका मनोबल कितना बढ़ जाएगा और आप समस्याओं को ओर अच्छे तरीके से हल कर पाएंगे।

(4.)सही रणनीति (Right strategy):

  • गणित तथा परीक्षा में सफल होने के लिए सही रणनीति की आवश्यकता है।गणित में अपने कमजोर और सबल पक्षों की पहचान करें।इसके पश्चात सबल टॉपिक की स्वयं तैयारी करें।कमजोर टाॅपिक को हल करते समय जहां-जहां कठिनाई आती है उनको नोट कर लें।स्वयं के प्रयत्न करने पर भी कोई सवाल,सूत्र अथवा थ्योरी समझ में नहीं आ रही है तो उसे अपने मित्रों से वार्ता करके अथवा शिक्षक की मदद से हल करें।कमजोर टाॅपिक को हल करने में इंटरनेट पर उपलब्ध सामग्री की सहायता भी ले सकते हैं।आपकी मदद के लिए चारों ओर रास्ते हैं,उन रास्तों को चुनाव तो स्वयं को ही करना पड़ेगा।जहां चाह होती है वहां राह भी मिल जाती है।गणित की समस्याओं को हल करने के लिए आधुनिक युग में अनेक रास्ते हैं।इसलिए गणित को हल करने के लिए सत्र आरंभ होते समय में ही सटीक रणनीति बना ले।रणनीति के अनुसार अपने कार्य को साकार करने की पूरी चेष्टा करें।

(5.)संशयात्मक दृष्टिकोण (Skeptical Attitude):

  • परीक्षा प्रारंभ होने से पूर्व,गणित का प्रश्न हल करने से आपके मन में कई प्रकार के विचार उठते रहते हैं।अर्थात् क्या पता गणित का प्रश्न-पत्र सही होगा या नहीं ,न मालूम गणित का प्रश्न पत्र कितना कठिन आएगा?गणित के प्रश्न पत्र में सफल हो पाऊंगा या नहीं।परीक्षा में अच्छे नंबर मिलेंगे या नहीं।जैसे ही आपके मन में कार्य को आरंभ करने से पहले संशय आ गया तो फिर समझ लो उस कार्य में सफलता की संभावनाएं बहुत क्षीण हो जाती हैं।इसका कारण है अपने आप पर विश्वास न होना।हमें अपने आप पर विश्वास नहीं होता है,इसलिए किसी भी कार्य को ठीक प्रकार से अंजाम नहीं दे सकते हैं।मन में बार-बार शंकाएं उत्पन्न होने लगती है,हृदय की धड़कन बढ़ जाती है,मन बेचैन हो जाता है।ये शंकाएं तेज गति से हमारे शरीर पर प्रभाव डालती हैं और हमारा मन निराशा की ओर बढ़ने लगता है। हमारे अंदर से सकारात्मक ऊर्जा का ह्रास होने लगता है और हमारे मन और मस्तिष्क में असफलता का डर समा जाता है।हमें असफलता हमारे सम्मुख ही दिखाई देने लगती है।
  • श्रीमद्भगवत गीता के अध्याय 4 के श्लोक 40 में भगवान श्री कृष्ण ने कहा है कि 
    “अज्ञश्चाश्रद्धानश्च संशयात्मा विनश्यति।
    नायं लोकोअस्ति न परो न सुखं संशयात्मन:।।”
    अर्थात् विवेकहीन और श्रद्धारहित संशययुक्त मनुष्य परमार्थ से अवश्य भ्रष्ट हो जाता है।ऐसे संशययुक्त मनुष्य के लिए न यह लोक है अर्थात् वर्तमान जीवन, न परलोक अर्थात् आगामी जीवन,न सुख ही है।
  • इसलिए हम जो भी कर्म करे वह पूर्ण श्रद्धा व आत्मविश्वास के साथ करें तो उस कार्य को पूरी योग्यता तथा क्षमता के साथ कर सकेंगे।अतः संशय में पड़ा हुआ व्यक्ति विनाश को प्राप्त होता है।हमें आत्म-विश्वास भी भगवान के प्रति पूर्ण श्रद्धा रखने से ही प्राप्त होता है।यह श्रद्धा शुभ कर्म के लिए ही हो सकती है।श्रद्धा अर्थात् आसक्तिरहित होकर अशुभ,गलत और बुरे कर्म किए ही नहीं जा सकते हैं।
  • इसी अध्याय में कहा है कि श्रद्धावांल्लभते ज्ञानं तत्पर: संयतेन्द्रियः अर्थात् जो जितेन्द्रिय है, साधन परायण है और श्रद्धावान है वही मनुष्य ज्ञान प्राप्त कर पाता है।

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(6.)गणित में सफलता के लिए 6 टिप्स का निष्कर्ष (Conclusion of 6 Tips to Success in Mathematics):

  • असफलता कोई अभिशाप या दंड नहीं है बल्कि अभिशाप या दण्ड है अपने लक्ष्य से भटकना,अपने लक्ष्य को छोटा बनाना।कायर व्यक्ति उस जलाशय के समान है जो थोड़े से जल से भर जाता है जबकि धीर,वीर,प्रतिभाशाली व निडर व्यक्ति समुद्र के समान होते हैं।ऐसे व्यक्ति असंभव को संभव बनाने का माद्दा रखते हैं और अपने जीवन पथ पर अग्रसर होते हैं।जलधारा की दिशा में तो कोई भी तैराक तैर सकता है परंतु जलधारा की विपरीत दिशा में वही तैराक तैर सकता है जो कुशल तैराक है।इतिहास ऐसे लोगों से ही बनता है वरना कीड़े-मकोड़े के जैसा जीवन जीने से कोई भी याद नहीं करता है।पुरुषार्थ वही है जो समस्याओं,कठिनाइयों में प्रकट होता है।
  • उपर्युक्त आर्टिकल में गणित में सफलता के लिए 6 टिप्स (6 Tips to Success in Mathematics) के बारे में बताया गया है।

2.गणित में सफलता के लिए 6 टिप्स (6 Tips to Success in Mathematics) के सम्बन्ध में अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न:

प्रश्न:1.मैं गणित में कैसे सफल हो सकता हूँ? (How can I be successful in maths?):

उत्तर:गणित के कोर्स में सफल होने के टिप्स
उचित मात्रा में काम में लगाएं।
काम की उचित गुणवत्ता में रखो।
सीखने की प्रक्रिया को समझें।
पाठ्यपुस्तक पढ़ें।
होमवर्क जल्दी शुरू करें।
कार्यालय समय का सदुपयोग करें।
ट्यूटर्स का उचित उपयोग करें।
समझें कि गणित याद रखने के बारे में नहीं है बल्कि अभ्यास करने तथा समझने का विषय है।

प्रश्न:2.गणित के 6 सिद्धांत क्या हैं? (What are the 6 principles of mathematics?):

उत्तर:स्कूली गणित के सिद्धांत और मानक एक सदस्य संसाधन है।
छह सिद्धांत व्यापक विषयों को संबोधित करते हैं:
हिस्सेदारी (Equity)।
पाठ्यक्रम (Curriculum)।
शिक्षण (Teaching)।
सीखना (Learning)।
मूल्यांकन (Assessment)।
प्रौद्योगिकी (Technology)।

प्रश्न:3.मैं गणित में स्मार्ट कैसे बन सकता हूँ? (How can I be smart in maths?),गणित में होशियार कैसे बनें? (How to Get Smarter in Math?):

उत्तर:स्मार्ट तरीकों से सीखें।जिस तरह लोग या तो बाएं या दाएं हाथ के होते हैं,उनके मस्तिष्क के गोलार्ध भी प्रमुख होते हैं।
स्मार्ट तरीके से अध्ययन करें।क्योंकि गणित एक सीखा हुआ कौशल है जिसके लिए अभ्यास की आवश्यकता होती है,आपको अन्य विषयों की तुलना में गृहकार्य और अध्ययन पर अधिक समय बिताने की आवश्यकता हो सकती है।
स्मार्ट तरीके से अभ्यास करें।
स्मार्ट तरीके से सोचो।

प्रश्न:4.गणित के मूल सिद्धांत क्या हैं? (What are the basic principles of mathematics?):

उत्तर:गणित में सबसे प्रसिद्ध क्रम सिद्धांत संचालन का क्रम (order of operations) है,जो गणितीय संचालन करने का क्रम देता है:PEMDAS,कोष्ठक (parenthesis),घातांक (exponents),गुणा (multiplication),भाग (division),जोड़ (addition),घटाव (subtraction) जो वह क्रम है जिसमें गणितीय समस्याएं होनी चाहिए  हल किया।

प्रश्न:5.गणित के सिद्धांत के रूप में किसे जाना जाता है? (Who is known as principle of mathematics?):

उत्तर:गणित के सिद्धांत (PoM) बर्ट्रेंड रसेल (Bertrand Russell) की 1903 की पुस्तक है,जिसमें लेखक ने अपना प्रसिद्ध विरोधाभास प्रस्तुत किया और अपनी थीसिस का तर्क दिया कि गणित और तर्क समान (identical) हैं।

उपर्युक्त प्रश्नों के उत्तर द्वारा गणित में सफलता के लिए 6 टिप्स (6 Tips to Success in Mathematics) के बारे में ओर अधिक जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।

6 Tips to Success in Mathematics

गणित में सफलता के लिए 6 टिप्स
(6 Tips to Success in Mathematics)

6 Tips to Success in Mathematics

गणित में सफलता के लिए 6 टिप्स (6 Tips to Success in Mathematics):सफलता किसे माना जाए।
क्योंकि सफलता तो परीक्षा में गणित का पर्चा चुराना,नकल करना,शिक्षकों को डरा-धमका कर
उत्तर पुस्तिका में अंक बढ़वाना,कर्मचारियों को रिश्वत देकर बोर्ड पुस्तिका का पता लगाकर शिक्षकों से अंक बढ़वाना,
बोर्ड कर्मचारियों को रिश्वत देकर अंक तालिका में अंक बढ़वाना आदि से भी प्राप्त की जा सकती है।

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