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4 Tips for Secret to Success

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1.सफलता का रहस्य की 4 टिप्स (4 Tips for Secret to Success),सफलता कैसे हासिल करें? (How to Achieve Success?):

  • सफलता का रहस्य की 4 टिप्स (4 Tips for Secret to Success) के आधार पर आप यह जान सकते हैं कि आखिर सफलता किसको कहा जाए और सफलता कैसे प्राप्त की जाए? कुछ लोग पद,प्रतिष्ठा,जॉब में उच्च पद प्राप्त करने को सफलता मानते हैं परंतु मानवीय गुणों के अभाव में पद,प्रतिष्ठा को सफलता का मापदंड नहीं माना जा सकता है।अर्थात् चोर,लुटेरे,अपराधी भी प्रतिष्ठा प्राप्त कर लेते हैं परंतु उन्हें सफल व्यक्ति की गणना में शामिल नहीं किया जा सकता है।योद्धा,कुशल शासक,राजनीतिज्ञ और साहसी व्यक्ति को भी सफल मानते हैं।नेपोलियन बोनापार्ट,हिटलर योद्धा,कुशल शासक,राजनीतिज्ञ और साहसी व्यक्ति ही थे।परंतु सफल व्यक्ति उन्हें नहीं माना जा सकता है क्योंकि वे अहंकारी व्यक्ति थे।इसी प्रकार कई लोग धन-सम्पत्ति प्राप्त करना और संचय करने को सफलता का मापदंड मानते हैं परंतु धन-दौलत तो वेश्या,जुआरी,तस्कर इत्यादि भी इकट्ठी कर लेते हैं परंतु इन्हें सफल व्यक्ति नहीं माना जा सकता है।
  • विद्यार्थी के रूप में ही लें तो जो विद्यार्थी सर्वोत्तम अंक प्राप्त करता है उसे सफल विद्यार्थी के रूप में माना जाता है।परंतु सफलता का मापदंड परीक्षा में सर्वोच्च अंक प्राप्त करने को नहीं माना जा सकता है।कई छात्र-छात्राएं परीक्षा में नकल करके,अनुचित साधनों का प्रयोग करके,बोर्ड के कर्मचारियों को घूस देकर अंक तालिका में सर्वोत्तम अंक प्राप्त कर लेते हैं अतः सफलता का मापदंड सर्वोत्तम अंक प्राप्त करने को नहीं माना जा सकता है।
  • किसी भी क्षेत्र में नैतिकता और मानवीय दृष्टिकोण जैसे ईमानदारी,सत्यता,उत्तम आचरण,सरलता,सादगी,विनम्रता,विद्वता इत्यादि के आधार पर सफलता प्राप्त करते हैं उसे ही सही रूप में सफल माना जा सकता है।इन गुणों का नाम सुनते ही कई छात्र-छात्राओं को बासी,ऊबाउपन और कोरे उपदेश की बातें लगती है।परंतु असलियत यही है कि इन गुणों को बिना संघर्षों और कठिनाइयों का सामना किए धारण नहीं किया जा सकता है।जबकि आज के छात्र-छात्राओं को सुविधा-साधन तथा भौतिक सुखों को अपनाकर विद्या ग्रहण करना,अध्ययन करना पसंद है।ऐसी स्थिति में वे क्योंकर संघर्षों व कठिनाईयों के मार्ग को वरण करेंगे।
  • आधुनिक युग के बहुत से छात्र-छात्राएं कष्टों,कठिनाइयों,संघर्षों से टकराकर हिम्मत हार जाते हैं।जो छात्र-छात्राएं झोपड़पट्टी में रहते हैं और वे बहुत से कष्टों को सहते हुए परीक्षा देते हैं तथा परीक्षा की तैयारी करके सर्वोत्तम अंक प्राप्त करते हुए देखे जा सकते हैं।ऐसी बात नहीं है कि सुख-सुविधाओं का भोग करने वाले छात्र-छात्राएं सर्वोत्तम अंक प्राप्त नहीं कर सकते हैं।वस्तुतः वे अच्छे अंक तभी प्राप्त कर सकते हैं जबकि भौतिक सुख-सुविधाओं को त्याग की भावना से प्रयोग में लेते हैं।भौतिक सुख-सुविधाओं के आदी न हों और न उनमें आसक्ति हो।
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2.सफलता के लिए विद्याध्ययन करें (Study for Success):

  • छात्र-छात्राओं की बुद्धि विकास में सबसे प्रमुख और महत्त्वपूर्ण स्थान विद्याध्ययन का है। आध्यात्मिक तथा भौतिक अथवा किसी भी क्षेत्र में विकास करना हो उसका मूल आधार विद्याध्ययन करना है।सभी महान व्यक्तियों ने अध्ययन संबंधी अध्यवसाय (कठोर परिश्रम) को अपने जीवन में अपनाया है।उन्होंने बहुत कष्ट उठाए हैं,अनेक अभावों को सहन किया है परंतु अध्ययन एवं ज्ञान का पालन करने में लापरवाही नही बरती है।
  • यदि वे लोग स्वाध्याय,अध्ययन और ज्ञान को इतना महत्त्व नहीं देते अथवा केवल उसे जाॅब प्राप्त करने का जरिया ही मानते तो उनकी गिनती महान व्यक्तियों में नहीं होती।न ही वे छात्र-छात्राओं और लोगों के प्रेरणा स्रोत बन पाते।अब्राहम लिंकन ने अध्ययन करने के लिए अनेक कष्ट व निर्धनता का सामना किया।गोपाल कृष्ण गोखले सार्वजनिक बल्ब के प्रकाश में बैठकर रात को पढ़ते थे।ऐसे एक नहीं अनेक उदाहरण मिल जाएंगे जिन्होंने अभावों और कष्टों को सहन करते हुए अध्ययन किया।ऐसे व्यक्ति विद्या,बुद्धि,ज्ञान,विवेक तथा आध्यात्मिक क्षेत्रों के उदाहरण बन चुके हैं।वे नित्य नियम से उत्तम ग्रंथों का अध्ययन करते हैं,इसी कारण उनकी बुद्धि प्रखर व तेजस्वी बन सकी।
  • विद्या के अभाव में उन्नति करना असंभव है।यदि आप खिलाड़ी हैं तो खेल के क्षेत्र में अध्ययन और ज्ञान अर्जित करना होगा।यदि आप उद्योगपति हैं तो संबंधित उद्योग का अधिक से अधिक अध्ययन व ज्ञानार्जन प्राप्त करना होगा।यदि आप कोई जॉब करते हैं तो संबंधित जाॅब की अधिक से अधिक जानकारी जुटानी होगी।निष्कर्ष रूप में कहा जा सकता है कि भारतीय आधुनिक शिक्षा के पाठ्यक्रम में नैतिक,सदाचार व आध्यात्मिक बातों से संबंधित विषय का अनिवार्य और ऐच्छिक विषय के रूप में समावेश होना चाहिए ताकि छात्र-छात्राओं के भौतिक पक्ष का विकास के साथ-साथ आध्यात्मिक व मानसिक विकास हो सके।नैतिक, सदाचार व आध्यात्मिक विषयों का अध्ययन न कराने से बालक-बालिकाओं में अच्छे संस्कारों व अच्छी आदतों का निर्माण नहीं किया जा सकता है।अच्छे संस्कारों व अच्छी आदतों के बिना न तो भौतिक प्रगति की जा सकती है और न आध्यात्मिक उन्नति की जा सकती है।
  • किसी भी क्षेत्र में देख लीजिए बिना विद्या और शिक्षा के आगे उन्नति नहीं की जा सकती है।जीवन के जिस क्षेत्र में आपको प्रगति करनी है तथा सफलता प्राप्त करना चाहते हैं तो उसी क्षेत्र का अधिक से अधिक अध्ययन करने में लग जाइए। सफलता का प्रथम रहस्य यही है कि विद्या और शिक्षा तथा ज्ञानार्जन में जुटे रहना चाहिए।यह बात केवल छात्र-छात्राओं के लिए ही नहीं है बल्कि किसी भी उम्र के व्यक्ति के लिए सही है।आप विद्या व शिक्षा ग्रहण करना समाप्त कर देंगे तभी से आपका नीचे की ओर पतन चालू हो जाएगा।यदि पतन न भी हुआ तो आगे आपकी प्रगति नहीं हो सकेगी।

3.सृजनशील बनें (Be Creative):

  • छात्र-छात्राओं को विद्यार्थी जीवन से ही सृजनशील चिन्तन करने का प्रयास करना चाहिए।सृजनशील छात्र-छात्राएं हमेशा कुछ न कुछ नया करने की सोचते हैं।अपने अध्ययन का तरीका परंपरागत नहीं रखते हैं अर्थात् रटना,स्मरण करने पर ध्यान को फोकस नहीं रखते हैं।सृजनशील छात्र-छात्राएं सोचते हैं कि अध्ययन के लिए किस रणनीति और योजना को अपनाया जाए जिससे बेहतरीन परिणाम प्राप्त किया जा सके।असल में सफल वे ही हैं जो नए-नए रास्ते खोजते हैं,अपने अध्ययन के तौर-तरीकों में बदलाव करते रहते हैं।जो दिशाहीन होकर केवल अध्ययन करते रहते हैं वे असफल नहीं होते हैं तो भी जैसे-तैसे केवल परीक्षा उत्तीर्ण कर पाते हैं।वास्तव में वे जीवन की दौड़ में पिछड़ जाते हैं और असफल हो जाते हैं।
  • सृजनशील विद्यार्थी न केवल अपनी प्रगति करते हैं बल्कि अपने साथियों की प्रगति में सहयोग करते हैं।
  • एक विद्यार्थी गणित के सवालों को काफी देर से हल करने की कोशिश कर रहा था परंतु गणित के सवाल जटिल थे तथा शिक्षक भी कक्षा में नहीं थे।वह काफी परेशान हो रहा था।तभी एक सहपाठी उसके पास से गुजरा लेकिन उसने उस पर कोई ध्यान नहीं दिया,वह बिना कुछ कहे अपनी सीट पर जाकर बैठ गया।एक ओर विद्यार्थी उसकी बगल से गुजरा और ठिठककर उस विद्यार्थी को देखा लेकिन फिर आगे बढ़ गया।चूँकि कालांश खाली था इसलिए कुछ विद्यार्थी इधर-उधर घूम रहे थे जबकि कुछ विद्यार्थी गणित के सवालों को हल कर रहे थे क्योंकि कालांश गणित का ही था।
  • एक उत्साही विद्यार्थी उसके पास आया और बोला कोशिश करो जरूर गणित के सवाल को हल कर लोगे।उसके मन में ऐसे भाव थे कि जैसे उसने अच्छा काम किया है।आखिर उसने सवाल हल करने की कोशिश करने वाले विद्यार्थी को प्रोत्साहित तो किया ही था।तभी एक गणित के सवालों को हल कर चुका विद्यार्थी आया और उसके पास बैठकर सवाल हल करवाएं और चुपचाप अपनी सीट पर जाकर बैठ गया।

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4.दूसरों का सहयोग करें (Cooperate with Others):

  • सफलता केवल एक अकेले व्यक्ति के पुरुषार्थ का फल नहीं होता है बल्कि सफलता में उसके कई सहयोगियों का हाथ होता है।यदि आप गणित में अथवा अन्य विषय में अथवा जॉब की किसी तकनीक में पारंगत है तो अपने साथियों,सहयोगियों,मित्रों का भी सहयोग करना सीखें।
  • सफलता और असफलता में मौलिक फर्क यह होता है कि सफलता लक्ष्य केंद्रित होती है।लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए अपनी संपूर्ण सामर्थ्य,क्षमता व योग्यता का उपयोग किया जाता है।जबकि असफलता का अर्थ है कि लक्ष्यहीन होना अथवा लक्ष्य है भी तो लक्ष्य को पूर्ण तन्मयता,एकाग्रता,संपूर्ण सामर्थ्य व योग्यता के साथ में न करना।सफल व्यक्ति तथा विद्यार्थी स्वयं सफलता की सीढ़ियों पर चढ़ता जाता है तो अपने साथियों को भी सफल होना देखना चाहता है और उनका सहयोग करता है।
    इस बात का ध्यान रखना आवश्यक है कि आप जो ज्ञान अर्जित कर रहे हैं अथवा कार्य कर रहे हैं उससे स्वयं के अलावा दूसरों को भी लाभ हो रहा है या नहीं।आपके ज्ञान और कार्य से एक नहीं अनेक लोग लाभान्वित होने चाहिए।इससे हमें मानसिक शांति और प्रेरणा प्राप्त होती है।हमें वास्तविक शांति व संतोष का अनुभव तभी होता है जब हमारी ऊर्जा और ज्ञान का उपयोग होता है।इससे न केवल दूसरों को लाभ होता है बल्कि आपके ज्ञान में भी वृद्धि होती है।
  • जब मैं बीएससी में पढ़ता था तो मुझे कार्बनिक रसायन समझ में नहीं आती थी।इस कारण बीएससी प्रथम वर्ष में कम अंक प्राप्त हुए।द्वितीय वर्ष में भी मेरे कम अंक आए।मैं कार्बनिक रसायन के कारण बहुत परेशान रहता था।बीएससी अन्तिम वर्ष में प्रोफेसर जी श्रीवास्तव (श्री घनश्याम श्रीवास्तव) पढ़ाते थे।वे ट्यूशन कराते थे।ट्यूशन कराने की फीस लेते थे परन्तु मैं ट्यूशन करने में असमर्थ था।एक दिन मैंने उन्हें अपनी व्यथा बताई कि कार्बनिक रसायन समझ में नहीं आती है।
  • उन्होंने मुझे अपने घर का पता बता दिया और रविवार के दिन आने के लिए कह दिया।दिनभर मुझे कार्बनिक रसायन पढ़ाते रहे।अन्त में मैं कार्बनिक रसायन पढ़कर आ गया।मुझे माॅडल्स के द्वारा पढ़ाया हुआ ठीक से समझ में आ गया।उस एक दिन अध्ययन कराने से मुझे कार्बनिक रसायन ठीक से समझ में आ गई।मुझे दुबारा उनके पास जाने की जरूरत महसूस नहीं हुई।दरअसल जितनी भी क्रिटिकल प्रोब्लम्स (Critical Problems) थी,वे सब मैंने ठीक से समझ लिया था।अंतिम वर्ष का परीक्षा परिणाम आया तो मुझे तीनों विषयों में अच्छे अंक प्राप्त हुए।उससे अन्य वर्षों में प्राप्तांक कम रहे थे उनको भी बढ़ाया।

5.असफलता का दृष्टान्त (Parable of Failure):

  • आगे बढ़ने,विकास करने तथा सफलता प्राप्त करने के लिए तीन टिप्स बताई गई है।परंतु सफलता केवल इन तीन गुणों के आधार पर ही हासिल नहीं की जा सकती है।लेकिन यदि आप शिकायत ही करते रहेंगे और किसी कार्य की शुरुआत ही नहीं करेंगे,किसी कार्य में संशय रहेगा तो सफलता नहीं मिलती है।श्रीमद्भगवत गीता में कहा है कि “संशयात्मा विनश्यति” अर्थात् संशय में पड़ा हुआ व्यक्ति विनाश को प्राप्त होता है।विवेकहीन,श्रद्धारहित और संशय में पड़ा हुआ व्यक्ति का विनाश होता है।अर्थात् उसे असफलता ही मिलती है।जब तक हम अध्ययन कार्य अथवा अन्य कार्य को पूर्ण आत्मविश्वास,दक्षता और योग्यता के साथ नहीं करेंगे तो उसमें असफलता मिलनी ही है।
  • एक विधवा जिसकी उम्र लगभग 25 साल की होगी।वह पति वियोग में हमेशा चिंता करती रहती थी।उसके जेठ उसे बहुत समझाते परन्तु उसने नकारात्मक चिंतन करना नहीं छोड़ा।वह अपने बच्चों की भी अच्छी तरह देखभाल नहीं करती थी। उसके जेठ ने कहा कि कम से कम 10 वीं पास कर लो तो विधवा कोटे से तुम अध्यापिका बन सकती हो।परंतु उसने कहा कि मैं असफल हो गई तो लोग मेरा मजाक उड़ाएंगे।फिर उसके जेठ ने कहा कि घर पर बैठकर कोई जाॅब ही कर लो जिससे पति वियोग की चिन्ता,फिक्र से भी ध्यान हटेगा।तब वह बोली मेरे बच्चे मुझे जाॅब करवाना पसंद नहीं करेंगे।
  • उसके जेठ ने एक ओर कोशिश करके कहा कि अच्छा तुम अपने बच्चों तथा दूसरे छोटे बच्चों को ट्यूशन ही करा दिया करो जिससे तुम्हें कुछ आमदनी भी होगी।लेकिन उसने कहा कि मुझे पढ़ाना ही नहीं आता है।तब जेठ ने कहा कि छोटे बच्चों को धीरे-धीरे पढ़ाने से सीख जाओगी और कुछ तकनीक मैं बता दूंगा।तब उसने जेठ से बातचीत करना ही छोड़ दिया और एक दिन पति वियोग में नकारात्मक चिंतन के कारण अपने बच्चों को बेसहारा छोड़ कर चल बसी।जेठ उसके संदेहों को समाप्त करने की कोशिश कर रहा था परंतु उस विधवा पर कोई असर ही नहीं हो रहा था।ऐसे लोग नकारात्मक और अकर्मण्य होते हैं।
  • उपर्युक्त आर्टिकल में सफलता का रहस्य की 4 टिप्स (4 Tips for Secret to Success),सफलता कैसे हासिल करें? (How to Achieve Success?) के बारे में बताया गया है।

6.गणित छात्रा को दीदी कहना महंगा पड़ा (हास्य-व्यंग्य) (It was Expensive to Call Math Student Didi) (Humour-Satire):

  • छात्रा (क्रोध से):तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई मुझे दीदी कहने की? क्या मैं तुम्हें अध्यापिका लगती हूं?
  • छात्र:अभी तो आपने कहा था कि गणित में मुझे सब कुछ आता है फिर आपमें और गणित मैडम में क्या फर्क हुआ?

7.सफलता का रहस्य की 4 टिप्स (4 Tips for Secret to Success),सफलता कैसे हासिल करें? (How to Achieve Success?) से संबंधित अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्नः

प्रश्न:1.क्या सफलता के लिए श्रद्धा होना आवश्यक है? (Is it Necessary to have Faith for Success?):

उत्तर:श्रद्धा के बिना कोई कर्म उचित फलदायक नहीं होता है।श्रीमद्भगवत गीता में कहा है कि:
“श्रद्धावान्ल्लभते ज्ञानम् तत्परः संयतेन्द्रिय।
ज्ञानलब्धवा परां शांतिम चिरेगाधिगच्छति।।
अर्थात् श्रद्धा से युक्त,गुरुजनों की सेवा,उपासना में लगा हुआ,जितेंद्रिय (इंद्रियों को वश में रखने वाला) व्यक्ति को ज्ञान प्राप्त होता है।ज्ञान को प्राप्त करके वह मुक्ति को प्राप्त करता है अर्थात् सभी प्रकार की परेशानियाँ,कठिनाइयाँ ज्ञान से ही समाप्त होती है। इसलिए सफलता के लिए इंद्रिय निग्रह,श्रद्धा (समर्पण) और संदेह रहित होना आवश्यक है।

प्रश्न:2.सफलता के लिए एकाग्रता का क्या महत्व है? (What is the Importance of Concentration for Success?):

उत्तर:संसार में जितने भी आविष्कार हुए हैं और मानव को सुखी बनाने के लिए जितने साधनों की खोज हुई है उन सबकी सफलता की कुंजी एकाग्रता है।एकाग्रता से आप सफलता की सीढ़ी तक पहुंच सकते हैं।यदि आप गणित की कोई समस्या हल नहीं कर पा रहे हैं तो आत्मविश्वास व एकाग्रता से तत्काल हल कर सकते हैं।

प्रश्नः3.क्या लक्ष्य के बिना सफलता नहीं मिलती है? (What Success is not Achieved without Goals?):

उत्तर:लक्ष्य के बिना विद्यार्थी के जीवन का कोई महत्त्व नहीं है।जैसे बिना पतवार के नांव लहरों में भटकती रहती है और पानी में डूब जाती है,उसी प्रकार लक्ष्य के बिना विद्यार्थी भटकता रहता है।

  • उपर्युक्त प्रश्नों के उत्तर द्वारा सफलता का रहस्य की 4 टिप्स (4 Tips for Secret to Success),सफलता कैसे हासिल करें? (How to Achieve Success?) के बारे में ओर अधिक जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।

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सफलता का रहस्य की 4 टिप्स
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सफलता का रहस्य की 4 टिप्स (4 Tips for Secret to Success)
के आधार पर आप यह जान सकते हैं कि आखिर सफलता किसको कहा जाए और
सफलता कैसे प्राप्त की जाए? कुछ लोग पद,प्रतिष्ठा,जॉब में उच्च पद प्राप्त करने को
सफलता मानते हैं परंतु मानवीय गुणों के अभाव में पद,प्रतिष्ठा
को सफलता का मापदंड नहीं माना जा सकता है।

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