Menu

Why Should Students Study on Their Own?

Contents hide

1.छात्र-छात्राएं अध्यापन कार्य स्वयं क्यों करें? (Why Should Students Study on Their Own?),छात्र-छात्राएँ गणित का कार्य स्वयं क्यों करें? (Why Should Students Do Mathematics Work Themselves?):

  • छात्र-छात्राएं अध्यापन कार्य स्वयं क्यों करें? (Why Should Students Study on Their Own?) क्योंकि अध्ययन कार्य अथवा गणित का कार्य स्वयं नहीं करेंगे तो वे पंगु हो जाएंगे।हमें कर्मेंद्रियां (हाथ,पैर,वाणी,लिंग और गुदा),ज्ञानेंद्रियां (कान,आंख,नाक,जिव्हा,त्वचा) तथा मन इसीलिए दी हैं कि हम उनका उपयोग करें और जीवन का निर्माण करें।यदि छात्र-छात्राएं बीमार पड़ जाते हैं तो माता-पिता शीघ्र से शीघ्र हमें स्वस्थ कराने का प्रयास करते हैं ताकि हम काम करने,अध्ययन करने का कार्य करते रह सके।हमारे शुभचिंतक भी सदैव यही कामना करते हैं कि हम सदैव गतिशील और कार्यरत रहे।यदि हम हमारा जीवन दूसरों के सहारे व्यतीत करते हैं तथा हर कार्य के लिए दूसरों पर आश्रित होते हैं तो हमारा जैसा अभागा कोई न होगा।जो छात्र-छात्रा यह सोचता है कि उसके अध्ययन का कार्य,गृह कार्य,परीक्षा देने का कार्य,नोट्स बनाने का कार्य कोई अन्य छात्र-छात्राएं कर दें तो वह अपने उद्देश्य को प्राप्त नहीं कर सकता है।
  • संसार में जितने भी महान गणितज्ञ,वैज्ञानिक,मनस्वी और महापुरुष हुए हैं वे सब के सब कठोर परिश्रम करने वाले कर्मठ एवं कर्मयोगी रहे हैं।अमेरिका के स्वतंत्रता सेनानी और बाद में वहां के राष्ट्रपति जॉर्ज वाशिंगटन एक विधवा के पुत्र थे और उनका जन्म एक झोपड़ी में हुआ था परंतु अपने आप पर विश्वास और अनवरत प्रयत्न करके राष्ट्रपति बने।एक बार वे नगर का मुआयना कर रहे थे।रास्ते में एक भवन निर्माण का कार्य चल रहा था।उन्होंने देखा कि कुछ मजदूर एक भारी पत्थर को इमारत तक ले जाने का प्रयास कर रहे थे।परंतु पत्थर भारी होने के कारण उठ नहीं रहा था।ठेकेदार उन मजदूरों को पत्थर न उठा सकने पर डांट रहा था।जाॅर्ज वाशिंगटन ठेकेदार के पास जाकर बोले कि एक ओर आदमी मदद करे तो यह पत्थर उठ सकता है।तुम जाकर उनकी मदद करो।ठेकेदार वाशिंगटन को पहचान नहीं पाया और रौब से बोला मैं दूसरों से काम लेता हूं,मैं मजदूरी नहीं करता।यह सुनकर जाॅर्ज वाशिंगटन घोड़े से उतरे और मजदूरों की मदद करने लगे।उनके सहारा देते ही पत्थर उठ गया।वे वापस अपने घोड़े पर बैठे और ठेकेदार को सलाम करते हुए बोले तुम्हें कभी एक व्यक्ति की कमी मालूम पड़े तो राष्ट्रपति भवन में आकर जॉर्ज वाशिंगटन को याद कर लेना।यह सुनते ही ठेकेदार उनके पैरों में गिर पड़ा और अपने दुर्व्यवहार के लिए क्षमा मांगने लगा।जाॅर्ज वाशिंगटन बोले काम करने से कोई छोटा नहीं हो जाता।मजदूरों की मदद करने से तुम उनसे सम्मान हासिल करोगे।कर्मठ व्यक्ति की समाज में प्रतिष्ठा बढ़ती है।इसलिए जीवन में ऊंचाइयां हासिल करने के लिए कर्मठता और नम्रता धारण करना बेहद जरूरी है।
  • आपको यह जानकारी रोचक व ज्ञानवर्धक लगे तो अपने मित्रों के साथ इस गणित के आर्टिकल को शेयर करें।यदि आप इस वेबसाइट पर पहली बार आए हैं तो वेबसाइट को फॉलो करें और ईमेल सब्सक्रिप्शन को भी फॉलो करें।जिससे नए आर्टिकल का नोटिफिकेशन आपको मिल सके । यदि आर्टिकल पसन्द आए तो अपने मित्रों के साथ शेयर और लाईक करें जिससे वे भी लाभ उठाए । आपकी कोई समस्या हो या कोई सुझाव देना चाहते हैं तो कमेंट करके बताएं।इस आर्टिकल को पूरा पढ़ें।

Also Read This Article:How to Overcome Mathematics Phobia in Students?

2.छात्र-छात्राएं अध्ययन कार्य स्वयं करें (Students Should Study Themselves):

  • कितने ही छात्र-छात्राओं के पास प्रतिभा और क्षमता होती है परंतु वे पहचान ही नहीं पाते हैं।यदि जागरूकता और एकाग्रता को अध्ययन कार्य में जुटा दिया जाए तो उनकी प्रगति पथ को कोई नहीं रोक सकता।प्रगति पथ पर बढ़ने के लिए अनेक गुणों में से मनोबल सबसे बड़ा साधन है।अपने मनोबल को साधने से बड़ा से बड़ा कार्य संपन्न किया जा सकता है और मनोबल को साधना ही सबसे बड़ी बुद्धिमत्ता है।
  • माता-पिता,शिक्षक,मित्र तथा अन्य लोग अध्ययन कार्य में एक सीमा तक ही सहयोग कर सकते हैं।वस्तुतः अध्ययन कार्य में आने वाली समस्याओं तथा अध्ययन संबंधी कार्य खुद को ही करना पड़ता है।अपनी समस्याओं और कार्यों को आप खुद नहीं कर सकते तो दूसरों से यह अपेक्षा कैसे की जा सकती है कि वे अपना कार्य छोड़कर हमारे कार्य को निपटाएंगे।अन्य लोगों के पास इतना फालतू समय या साधन कहां है जो वे हमारे लिए लगाएंगे।
  • कुछ छात्र-छात्राएं अनुकूल परिस्थितियां प्राप्त करके भी उनका उपयोग नहीं करते हैं।वे सुख-सुविधाओं में पलते और बढ़ते हैं।अध्ययन तथा गणितीय प्रतिभा को विकसित करने के लिए प्रतिभा,सचरित्रता,लगन,निष्ठा,धैर्य,ईमानदारी,व्यवहार-कुशलता,कठिन परिश्रम,जागरूकता,उत्साह जैसे गुणों की आवश्यकता है।इन गुणों के आधार पर छात्र-छात्राएं अध्ययन तथा गणित के सवालों व समस्याओं को स्वयं हल करते हैं तभी विकसित होते हैं।परन्तु अनुकूल परिस्थिति पाकर वे दूसरों पर आश्रित हो जाते हैं फलस्वरूप वे इन गुणों को विकसित करने से वंचित रह जाते हैं।ऐसे छात्र-छात्राएं सफलता से कोसों दूर रह जाते हैं।क्योंकि सफलता के लिए जिस जीवट और कठिन परिश्रम की आवश्यकता होती है वह उनके जीवन में नहीं पाया जाता है।
  • कई छात्र-छात्राएं धन और अपने प्रभाव के बल पर अध्ययन का गृह कार्य,अपने विषयों के नोट्स,बाजार से अध्ययन सामग्री खरीदने का कार्य,अपना थैला घर तक पहुंचाने व स्कूल ले जाने तक का कार्य,सवाल व समस्याओं हल करने का कार्य अन्य छात्र-छात्राओं से करवाते हैं।यहां तक कि वे यह भी चाहते हैं कि मासिक टेस्ट,अर्धवार्षिक परीक्षा,प्री बोर्ड परीक्षा इत्यादि भी उनकी एवज में छात्र-छात्राएं दे आए।
  • यदि ऐसे छात्र-छात्राओं को कोई जॉब मिल जाता है तो ऑफिस में वे ऐसे कर्मचारी को ढूंढते हैं जो उनका कार्य करके दे दे और वेतन वे स्वयं उठा लें।ऐसे छात्र-छात्राओं का छात्र-जीवन,गृहस्थी जीवन तथा व्यावसायिक जीवन दूसरों के भरोसे ही चलता है।इस प्रकार के छात्र-छात्राओं को न तो यह पता होता है और न वे ऐसा सोचते हैं कि भाग्य का निर्माण कठिन परिश्रम और कष्ट सहिष्णुता से ही होता है।
  • विद्याध्ययन कठोर तप और साधना है।यह अध्ययन तथा गणित के सवालों व समस्याओं का मूल मंत्र है।छात्र-छात्राओं के दो हाथ,दो पैर,मस्तिष्क उनके सर्वोत्तम मित्र हैं परंतु यदि छात्र-छात्राएं इनको काम में नहीं ले तो न तो वह सच्चा विद्यार्थी बन सकता है और जीवन भी उसके लिए भारस्वरूप ही है।छात्र-छात्राएं स्वयं अध्ययन करते हैं,स्वयं अध्ययन का गृहकार्य करते हैं,स्वयं अपने मस्तिष्क का प्रयोग करके नोट्स बनाते हैं,स्वयं परीक्षा देते हैं तो उनके द्वारा किए गए कार्य के बारे में पूर्णतः आश्वस्त होते हैं।जबकि यदि वे अन्य व्यक्ति अथवा अन्य छात्र-छात्राओं से उक्त कार्य करवाते हैं तो उन्हें उनके किए गए कार्य पर संदेह रहता है।जब दूसरों के किए गए कार्य को पूरी तरह जांच लेते हैं तभी उनका संदेह दूर होता है।

3.छात्र-छात्राओं द्वारा गणित को स्वयं अध्ययन करने की टिप्स (Tips for Students to Study on Their Own):

  • (1.)सर्वप्रथम टाॅपिक की थ्योरी को पढ़ें।कठिन शब्दों को नोटबुक में उतार लें।शब्दकोश तथा सन्दर्भ पुस्तकों से उनका अर्थ देखें और समझने की कोशिश करें।उदाहरणार्थ उच्चतम और निम्नतम टॉपिक पढ़ रहे हैं तो सर्वप्रथम इसकी थ्योरी पढ़ें।थ्योरी में प्रथम अवकलज परीक्षण तथा द्वितीय अवकलज परीक्षण को समझे।इसकी थ्योरी पढ़ते समय कठिन शब्द चरम मान,स्थानीय उच्चतम एवं स्थानीय निम्नतम मान,निरपेक्ष उच्चतम मान एवं निरपेक्ष निम्नतम मान,नति परिवर्तन बिंदु (point of infection), स्तब्ध बिन्दु (stationary point), उच्चिष्ठ और निम्निष्ठ बिन्दु इत्यादि हो सकते हैं।इन्हें शब्दकोश एवं सन्दर्भ पुस्तकों से देखने के बाद चित्र से समझने का प्रयास करें।
  • (2.)थ्योरी पढ़ने और समझने के बाद संबंधित टाॅपिक के उदाहरणों को पुस्तक से समझकर स्वयं हल करें।
  • (3.)उदाहरणों में कोई कठिनाई हो तो संदर्भ पुस्तकों,मित्रों व शिक्षक की मदद से समझें।
  • (4.)उदाहरणों को हल करने के बाद प्रश्नावली के सवालों को हल करने का प्रयास करें।
  • (5.)नियमित रूप से गणित व अपने कोर्स की पुस्तकों का अध्ययन और अभ्यास करें।
  • (6.)टाॅपर्स तथा अच्छी संगति,अच्छे विचारों वाले छात्र-छात्राओं के आदर्श को सामने रखकर अध्ययन करने की प्रवृत्ति विकसित करने की कोशिश करें।
  • (7.)अध्ययन करते समय चिंता,तनाव इत्यादि से मुक्त होकर प्रसन्नचित्त होकर और पूर्ण एकाग्रता के साथ अध्ययन करें।चिंता,क्रोध,ईर्ष्या,द्वेष,घृणा,भय,तनाव से ग्रस्त होकर किया गया अध्ययन न तो ठीक से समझ में आएगा और न ही स्मरण होगा।एकांत स्थान अथवा कक्ष में अध्ययन करें।
  • (9.)पुस्तकों,नोट्स,नोटबुक तथा अपने अध्ययन की सामग्री को यथास्थान रखें जिससे उनको ढूंढने में समय नष्ट न हो।
  • (10.)बहुत अधिक समय के बजाय कम समय पढ़ें परन्तु समझकर पढ़ें।बहुत अधिक पढ़ने के बजाय समझकर पढ़ा हुआ अधिक लाभदायक है।
  • (11.)अध्ययन के बीच में ब्रेक लें तथा पानी पीते रहें।(12.)अध्ययन उथले मन से न करके रुचि व लगन के साथ करें।
  • (12.)विद्यार्थी का व्यक्तित्व ही अध्ययन में प्राण फूँकता है अन्यथा अध्ययन मानसिक व्यायाम बनकर रह जाता है।
  • (13.)अध्ययन और गणित के अध्ययन को केवल जाॅब प्राप्ति का माध्यम मान लेना और अपने व्यक्तित्व को ऊंचा न उठाने के कारण ही वर्तमान शिक्षा के प्रति निराशा छाई हुई है।
  • (14.)योग्यता,पात्रता विकसित करना हो तो वर्तमान अध्ययन और गणित के अध्ययन से भी किया जा सकता है अन्यथा आध्यात्मिक पुस्तकों की ढेरों पुस्तकें पढ़ने से भी व्यक्तित्त्व ओछा बना रह सकता है।
  • (15.)कठिन परिश्रम,संकल्प,धैर्य,श्रद्धा और मन की एकाग्रता अपनाने से अध्ययन में तीव्र गति से विकास होता है।
  • (16.)अध्ययन जैसे पुण्य कार्य की अवहेलना सबसे बड़ा पाप है जिसके बिना जीवन में मिलने वाले कई लाभों से वंचित रह जाते हैं।
  • (17.)क्रोध,अहंकार से सावधान रहें क्योंकि क्रोध व अहंकार को पाले रखना पागलपन के समान है।
  • (18.)अध्ययन ऐसी फसल के समान है जिससे अनेक गुना लाभ होते हैं।
  • (19.)अध्ययन में आत्म-श्रद्धा,गुरु-श्रद्धा तथा भगवत-श्रद्धा न होने से अध्ययन के प्रति लगाव,जिज्ञासा समाप्त होती है जिससे भटकाव पैदा होता है और अध्ययन करना पाखंड लगने लगता है।
  • (20.)विद्यार्थी में पात्रता होनी चाहिए जिसने चरित्र और व्यवहार को सुधार लिया वही सच्चा विद्यार्थी है।
  • (21.)सुख-सुविधाओं का उपयोग त्याग की भावना से करके अध्ययन करना चाहिए आसक्ति रखकर सुख-सुविधाओं का भोग करके अध्ययन नहीं किया जा सकता है।
  • (22.)गणित का केवल सैद्धांतिक ज्ञान ही प्राप्त न करें बल्कि उसका अभ्यास अर्थात् प्रैक्टिकल भी करें।
  • (23.)चाय,कॉफी,तंबाकू,भांग,अफीम,चरस,गांजा,शराब,नशीली दवाओं आदि नशीली चीजों से,गरम मसाला,लाल मिर्च आदि उत्तेजक पदार्थों तथा मांस,मछली,अंडा आदि अभक्ष्य पदार्थों का सेवन नहीं करने चाहिए।ये शरीर में उत्तेजना पैदा करते हैं जो अध्ययन में बाधक है।
  • (24.)रोजाना मन को एकाग्र करने के लिए ध्यान व योग-प्राणायाम करना चाहिए।

4.अध्ययन कार्य न करने का दृष्टांत (Example of not Doing the Study Work Yourself):

  • जो छात्र-छात्राएं दूसरों का अहित चाहते हैं वे दूसरे छात्र-छात्राओं को आगे बढ़ते हुए नहीं देखना चाहते हैं।वे ऐसा जाल बिछाते हैं ताकि वे अध्ययन न कर पाएं।मन में वे दूसरों के प्रति डाह रखते हैं और ऊपर से प्रेम प्रदर्शित करते हैं।वे अध्ययन के दोषों का वर्णन करते हुए मिलेंगे उसके गुणों का वर्णन नहीं करेंगे ताकि दूसरे छात्र-छात्राओं का अध्ययन से ध्यान भंग हो जाए।परन्तु कई छात्र-छात्राएं सबसे अधिक अहित स्वयं ही करते हैं।अध्ययन कार्य करने से ही प्रतिभा निखरती है।परंतु अपना अहित करने वाले छात्र-छात्राएं अन्य छात्र-छात्राओं से अपना अध्ययन कार्य कराकर ही प्राप्त सफलता को असली सफलता समझते हैं।
  • ऐसे ही एक विद्यार्थी था।उसने गणित ऐच्छिक विषय के रूप ले लिया।12वीं तक उसने कठिन परिश्रम किया।अपने कस्बे में गणित में उसने टॉप किया।इसके बाद कॉलेज की शिक्षा प्राप्त करने हेतु जयपुर शहर में महाराजा कॉलेज में प्रवेश ले लिया।जयपुर में किराया का कमरा लेकर रहने लगा।घर वाले सम्पन्न थे इसलिए उसकी सुख-सुविधाओं में कोई कमी नहीं रखते थे।धीरे-धीरे वह सुख-सुविधाओं का आदी हो गया।उसने पढ़ना-लिखना छोड़कर ऐशोआराम से जिंदगी जीना चालू कर दिया।वार्षिक परीक्षा से पूर्व प्रैक्टिकल परीक्षा थी।चूँकि उसने गंभीरता पूर्वक प्रैक्टिकल नहीं किए हुए थे।इसलिए उसने अपने एक कक्षा के साथी को कहा कि वह उसकी एवज में परीक्षा दे दे।अपने कक्षा के साथी को तैयार करने के लिए उसने धन-बल का उपयोग किया।कक्षा का साथी तैयार हो गया।कक्षा के साथी ने उसके एवज में प्रैक्टिकल परीक्षा दे दी।प्रैक्टिकल परीक्षा में तो वह उत्तीर्ण हो गया परन्तु थ्योरी के पेपर्स में वह असफल हो गया।इस प्रकार उसके आगे का अध्ययन रुक गया।उसने स्वयं ही अपने पैरों पर कुल्हाड़ी मार ली।ऎसे दृष्टान्त कई मिल जाएंगे जो इसी तरह के गोरखधंधे में लिप्त रहते हैं तथा इसी प्रकार से प्राप्त सफलता को असली सफलता मानते हैं।ऐसे विद्यार्थियों को सोच लेना चाहिए कि वैज्ञानिकों ने अभी तक ऐसा कोई यन्त्र नहीं बनाया है जिससे छात्र-छात्राओं को डाल देने पर वे विद्वान बनकर बाहर आ जाए।गणित के प्रकाण्ड विद्वान बन जाएं।
  • उपर्युक्त आर्टिकल में छात्र-छात्राएं अध्यापन कार्य स्वयं क्यों करें? (Why Should Students Study on Their Own?),छात्र-छात्राएँ गणित का कार्य स्वयं क्यों करें? (Why Should Students Do Mathematics Work Themselves?) के बारे में बताया गया है।

Also Read This Article:Studying Maths is Penance and Devotion

5.गणित की पुस्तक और टब (हास्य-व्यंग्य) (Mathematics Book and Tub):

  • रीना (माँ से):मीना (छोटी बहन) ने मेरी गणित की पुस्तक को पानी के टब में भिगोकर खराब कर दी।
  • माँ (रीना से):जरा डण्डा लाना,उस शैतान को मैं मजा चखाती हूँ।
  • रीना (माँ से):नहीं माँ,सजा तो मैं दे चुकी हूं।
    मां:वह कैसे?
  • रीना (माँ से):मैंने उसको पानी के टब में डुबो दिया है।

6.छात्र-छात्राएं अध्यापन कार्य स्वयं क्यों करें? (Frequently Asked Questions Related to Why Should Students Study on Their Own?),छात्र-छात्राएँ गणित का कार्य स्वयं क्यों करें? (Why Should Students Do Mathematics Work Themselves?) से संबंधित अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्नः

प्रश्न:1.क्या विद्यार्थी की सहायता भगवान् करते हैं? (Does God Help the Student?):

उत्तरःविद्यार्थी का कार्य है अध्ययन कार्य करते रहना।जो विद्यार्थी अपने अध्ययन कार्य को पूर्ण निष्ठा के साथ करता है उसकी भगवान अवश्य मदद करते हैं।भगवान उसी की मदद करते हैं जो पुरुषार्थी है।परंतु केवल भगवान का जाप करने,मंत्र पाठ करने से ही उसकी सहायता हासिल नहीं की जा सकती।यदि अध्ययन या जाॅब प्राप्ति में असफलता मिल रही हो तो भी प्रयत्न करना छोड़ना नहीं चाहिए।परंतु विद्यार्थी यह सोचे कि अध्ययन कार्य को खुद भगवान ही कर दें तो यह असंभव है।

प्रश्नः2.स्मरण शक्ति को कैसे बढ़ाया जा सकता है? (How Can Memory be Increased?):

उत्तरःस्मरणशक्ति शक्ति को बढ़ाने के लिए मन की एकाग्रता अर्थात् मन को साधना सबसे प्रमुख उपाय है।इसके अतिरिक्त किसी भी विषय का बार-बार अभ्यास करने,ज्ञानार्जन करने,सुने हुए विषय को पुनः सुनने से स्मरण शक्ति बढ़ती है।अध्ययन को रुचिपूर्वक तथा लगन के साथ करना।अध्ययन किए गए विषय पर मनन-चिंतन करने से स्मरण शक्ति में वृद्धि होती है।

प्रश्न:3.स्वयं अध्ययन के ओर कौन से उपाय हैं? (What are the Ways to Study Yourself?):

उत्तर:(1.)अपना आत्म निरीक्षण,आत्मविकास करने का कौशल जिस विद्यार्थी ने अर्जित कर लिया है उनमें इतनी शक्ति,सामर्थ्य तथा प्रतिभा का विकास हो जाता है कि उन्हें दूसरों की सहायता पर निर्भर नहीं रहना पड़ता है।
(2.)जो छात्र-छात्राएं अपनी संकल्प,शक्ति,धैर्य,साहस को विकसित और जागृत कर लेते हैं उनके लिए कोई भी कार्य करना कठिन नहीं होता है।दूसरों की सहायता-सहयोग से केवल छोटी-छोटी सफलताएँ अर्जित की जा सकती है प्रगति के पथ पर आगे बढ़ने के लिए खुद की सहायता से बड़ी सहायता किसी से नहीं मिल सकती है।
(3.)अपने अन्तःकरण को शुद्ध करने तथा अपने अन्दर के गुणों को विकसित और व्यवस्थित कर लें तो ऐसा ही अपनी सहायता खुद करना होता है।ओर यह सहायता सहायकों की सहायता से अनेक गुना बढ़कर है।

  • उपर्युक्त प्रश्नों के उत्तर द्वारा छात्र-छात्राएं अध्यापन कार्य स्वयं क्यों करें? (Why Should Students Study on Their Own?),छात्र-छात्राएँ गणित का कार्य स्वयं क्यों करें? (Why Should Students Do Mathematics Work Themselves?) के बारे में ओर अधिक जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।

Why Should Students Study on Their Own?

छात्र-छात्राएं अध्यापन कार्य स्वयं क्यों करें?
(Why Should Students Study on Their Own?)

Why Should Students Study on Their Own?

छात्र-छात्राएं अध्यापन कार्य स्वयं क्यों करें? (Why Should Students Study on Their Own?)
क्योंकि अध्ययन कार्य अथवा गणित का कार्य स्वयं नहीं करेंगे तो वे पंगु हो जाएंगे।
हमें कर्मेंद्रियां (हाथ,पैर,वाणी,लिंग और गुदा),ज्ञानेंद्रियां (कान,आंख,नाक,जिव्हा,त्वचा)
तथा मन इसीलिए दी हैं कि हम उनका उपयोग करें और जीवन का निर्माण करें।

No. Social Media Url
1. Facebook click here
2. you tube click here
3. Instagram click here
4. Linkedin click here
5. Facebook Page click here
6. Twitter click here

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *