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Synergy Between Intellect and Action

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1.बुद्धि और कर्म में तालमेल (Synergy Between Intellect and Action),गणित के अध्ययन के लिए बुद्धि और कर्म में तालमेल कैसे करें? (How to Coordinate Wisdom and Effort for Study of Mathematics?):

  • बुद्धि और कर्म में तालमेल (Synergy Between Intellect and Action) रखेंगे तो छात्र-छात्राएं गणित तथा अन्य विषयों को पढ़ने में सिद्धहस्त हो सकेंगे।छात्र-छात्राओं को यह ध्यान रखना चाहिए कि जब भी वे अध्ययन करते हैं तो अध्ययन और अभ्यास करने में उनके दो भाग कार्य करते हैं।पहला भाग है मानसिक और दूसरा भाग है शारीरिक।किसी सवाल अथवा विषय को पढ़ने के लिए उस पर विचार व चिंतन-मनन करते हैं।विचार तथा चिंतन हमारा मन करता है।विचार व चिंतन-मनन करने के बाद जब उस सवाल को हल करते है अथवा नोटबुक में नोट्स तैयार करते हैं तो उसको सक्रिय रूप देना शरीर का काम होता है।इस प्रकार मन जैसा विचार व चिंतन करता है वैसे ही हमारा शरीर कार्य करता है।इस प्रकार अध्ययन करने का मुख्य कर्त्ता तो मन ही होता है पर उस पर अमल करने का काम शरीर करता है।अच्छे अथवा कमजोर अध्ययन करने के लिए मूलरूप से मन ही जिम्मेदार होता है।अतः यदि मन और शरीर में उचित तालमेल होता है तो अध्ययन प्रभावी तथा अच्छा होता है।यदि मन और शरीर में उचित तालमेल नहीं होता है तो अध्ययन दुर्बल अथवा निष्प्रभावी होता है।
  • मन और शरीर में तालमेल से तात्पर्य है कि यदि अध्ययन कर रहे हैं तो मन भी अध्ययन करने में लगा हुआ है और इन्द्रियाँ तथा शरीर भी अध्ययन कार्य में लगा हुआ है।यदि मन और शरीर में तालमेल नहीं हो तो मन कहीं ओर दिशा में विचार-चिंतन कर रहा होता है तथा शरीर से पुस्तक व नोटबुक को पढ़ने में लगाए हुए हैं।ऐसी स्थिति में अध्ययन प्रभावी नहीं होता है।कक्षा में छात्र-छात्राएं बैठे हुए हैं और शिक्षक गणित या अन्य विषय पढ़ा रहे हैं परंतु छात्र-छात्राओं का मन ओर कहीं लगा हुआ है तथा शरीर कक्षा में उपस्थित है।
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2.बुद्धि और कर्म का तालमेल कैसे करें? (How to Combine Wisdom and Action?):

  • यदि छात्र छात्राएं अध्ययन नहीं कर पा रहे हैं तो यह तय है कि उनके मन और शरीर में उचित समन्वय नहीं है।मन कहीं ओर भटकता रहता है और शरीर से पुस्तक पकड़े रहते हैं।जिन छात्र-छात्राओं की बुद्धि अध्ययन और अध्ययन के अभ्यास में लगी रहती है,जो सांसारिक क्रियाकलापों में नहीं फँसती वही अध्येता कहलाता है।मन और शरीर से अध्ययन करना थोड़े समय भी लाभदायक हो जाता है जबकि भटके हुए मन और शरीर से कई घंटों का अध्ययन भी निष्फल रहता है।मन को विवेकपूर्ण बुद्धि से काम लेने की दक्षता हासिल करने वाले विद्यार्थी ही सफलता का वरण करते हैं।
  • विवेक और सद्बुद्धि में मन को नियंत्रित करने की वह शक्ति है जो मनरूपी बिगड़ैल घोड़े को काबू रखने की क्षमता रखते हैं।
    यदि हम इच्छाशक्ति और पुरुषार्थ द्वारा अध्ययन पद्धति को ढालने की कोशिश करेंगे तो अवश्य सफल होंगे क्योंकि महान गणितज्ञ,वैज्ञानिक इसी रास्ते पर चलकर महानता को प्राप्त हुए हैं।
  • महान विभूतियां आर्किमिडीज,ब्रह्मगुप्त,यूक्लिड,भास्कराचार्य,आइजक न्यूटन,अल्बर्ट आइंस्टीन के सामने कई प्रलोभन और विपरीत परिस्थितियां आई।परन्तु उन्होंने अपने मन और बुद्धि को काबू में रखा तो प्रतिकूल परिस्थितियां उनकी तरफ देखती रह गई और उनका कुछ भी नहीं बिगाड़ सकी।
  • अतएव गणित अथवा किसी भी विषय को भली प्रकार समझने का मन्त्र यही है कि बुद्धि और पुरुषार्थ में तालमेल हो तो सफलता अवश्य मिलेगी।बुद्धि से तात्पर्य है कि कामनारहित,स्वार्थरहित इच्छा अर्थात् कर्त्तव्य की भावना में संलग्न से है।सांसारिक कार्यों,भविष्य की रंगीन तस्वीरें देखने,मन के भटकने से बुद्धि पर पर्दा पड़ जाता है और बुद्धि व शरीर की एकरूपता,तारतम्यता,साहचर्य भंग हो जाती है।ऐसी स्थिति में आप पुस्तक को पकड़े हुए बाहरी रूप से ऐसे दिखते हैं जैसे अध्ययन कर रहे हों परंतु वास्तविक रूप में जब तक बुद्धिपूर्वक अध्ययन नहीं करते हैं तब तक वह अध्ययन सतही अध्ययन ही होता है।
  • मन और शरीर में तालमेल होने के लिए मन व शरीर का स्वस्थ रहना आवश्यक है।यदि शरीर रोगग्रस्त होगा तो मन बार-बार रोगग्रस्त अंग की तरफ केन्द्रित होगा।जैसे आपके सिरदर्द हो रहा है तो मन बार-बार सिरदर्द की तरफ जाएगा और अध्ययन की तरफ मन केन्द्रित नहीं होगा।
  • मन को विवेकपूर्वक नियंत्रण करना तथा विकारों काम,क्रोधादि से मुक्त रखकर इसे एकाग्र तथा स्वस्थ रखा जा सकता है।शरीर को रोगग्रस्त होने से बचाने के लिए योगासन-प्राणायाम तथा व्यायाम करना चाहिए।यदि कोई अंग रोगग्रस्त है तो उसकी चिकित्सा करवानी चाहिए।मन को एकाग्र करने का दूसरा उपाय है लक्ष्य केंद्रित अध्ययन करना।लक्ष्य केन्द्रित अध्ययन करने से हमारे शरीर की पूरी ऊर्जा केन्द्रित होकर उसको प्राप्त करने में जुट जाती है। रोजाना प्रातःकाल ध्यान करके भी मन को एकाग्र किया जा सकता है।शरीर को स्वस्थ रखने के लिए पौष्टिक,सुपाच्य भोजन करना चाहिए।भूख से कम भोजन करना चाहिए।तले-भुने,चटपटे,तामसिक,मांस,अंडे इत्यादि सेवन न करके सात्त्विक भोजन करना चाहिए।शराब,मादक पदार्थ इत्यादि का सेवन न करें।तात्पर्य यह है कि मन तथा शरीर को स्वस्थ रखकर उचित तालमेल रखा जा सकता है।

3.मन और शरीर के तालमेल में बाधक तत्त्व (Elements Hindering the Coordination of Mind and Body):

  • गणित के सवालों,समस्याओं तथा अन्य विषयों की जटिलताओं के कारण मन विचलित हो जाता है और मन की एकाग्रता भंग हो जाती है।फलतः गणित तथा अन्य विषयों को पढ़ने में हमारी अरुचि हो जाती है।समस्याओं,कठिनाइयों,कष्टों व संकटों को हमारी नियति (भाग्य प्रकृति) नहीं कहा जा सकता है अथवा नियति नहीं हो सकते हैं।यदि छात्र-छात्राएं समस्याओं से घबरा जाते हैं इसका तात्पर्य है कि उनकी इच्छाशक्ति और पुरुषार्थ दुर्बल है।
  • जो बुद्धि और शरीर को नहीं साध सकता है उसके लिए पुस्तके किसी काम की नहीं है।जैसे नेत्रहीन के लिए दर्पण बेकार है।बुद्धि और शरीर में बुद्धि को गुरु और शरीर को शिष्य की संज्ञा दी जा सकती है।बुद्धि प्रेरणा का कार्य करती है और शरीर उसके अनुसार कार्य संपन्न करता है।विवेकशील शरीर को तप और साधना द्वारा शरीर को बड़े-बड़े संकट,विघ्न,बाधाओं का सामना करने में सक्षम बनाते हैं।
  • जीवन में वही असफल होते हैं जो मन में कुछ ओर विचार करते रहते हैं और शरीर से कुछ ओर कार्य कर रहे होते हैं।लक्ष्य को पूरा करने के लिए मन (बुद्धि) और शरीर की समस्त शक्तियों को एक ही कार्य पर केन्द्रित करना होगा।हमें निरंतर मन और शरीर में तालमेल रखने के लिए निरंतर अभ्यास और प्रयत्न करते रहना चाहिए।
  • मनुष्य तथा छात्र-छात्राओं का भाग्य भी अध्ययन कार्य में बाधक बन जाता है परन्तु जिस प्रकार छाता लगाकर धूप के प्रभाव को कम किया जा सकता है उसी प्रकार भाग्य को नियंत्रित किया जा सकता है।इसी प्रकार भौतिक सुख-सुविधाओं में आसक्ति भी अध्ययन कार्य में बाधक बन जाती है परंतु सुख-सुविधाओं को त्याग की भावना से काम लेकर उनका सदुपयोग अध्ययन कार्य में लिया जा सकता है।न तो अति भोगवादी होना चाहिए और न अत्यधिक त्यागवादी।

4.मन और शरीर के संतुलन का दृष्टांत (A Parable of the Synergy of Mind and Body):

  • मंजुल की अंकतालिका देखकर माता-पिता हैरान रह गए।गणित में मुश्किल से उत्तीर्ण था तथा अन्य विषयों में अच्छे अंक नहीं थे।माता-पिता उसको डांट भी नहीं सकते थे क्योंकि घर पर वह पढ़ता रहता था यहां तक कि खेलता भी नहीं था। माता-पिता ने विचार किया कि गणित में इतनी तैयारी करने के बावजूद इतने कम अंक कैसे आए।
  • माँ ने एकदिन गौर से देखा तो मंजुल गणित की पुस्तक पढ़ रहा था।मंजुल की माँ ने उससे गणित की पुस्तक लेकर कुछ सवाल हल करने के लिए कहा तो मंजुल एक भी सवाल हल नहीं कर पाया।मंजुल की माँ ने पूछा मंजुल क्या तुम्हें गणित समझ में नहीं आ रही है?मंजुल ने कहा कि मैं गणित तथा अन्य विषयों को पढ़ने की खूब कोशिश करता हूं परंतु कुछ याद ही नहीं रहता है।मैं न तो दोस्तों के साथ मटरगश्ती करता हूं,न मुझे कोई गलत शौक है फिर भी कक्षा में पिछड़ता जा रहा हूं।
  • मंजुल की मां ने कहा कि इस समय गणित के सवाल करते समय तुम्हारे मन में क्या विचार चल रहा था,सच सच बताओ?मंजुल ने कहा कि मेरे कुछ साथी जेईई-मेन की परीक्षा के फॉर्म भर रहे हैं,मुझे भी आवेदन करना चाहिए या नहीं।मंजुल की मां ने कहा कि तुम जरूर भर सकते हो परंतु इस समय यह सोचने का सही समय नहीं है।इससे तुम्हारी एकाग्रता भंग होती है।तुम्हारा मन तो किसी ओर बात के उधेड़बुन में लग रहा है और शरीर से गणित के सवाल हल करने की कोशिश कर रहे हो। जब गणित और अन्य विषयों को पढ़ो तो तुम्हारा मन और पुरुषार्थ दोनों से अध्ययन करने का काम ही करना चाहिए।यदि एकाग्रचित होकर तन व मन से अध्ययन करोगे तो दिनभर तथा रात-रातभर जागकर पढ़ने की आवश्यकता नहीं है।एकाग्रचित्त होकर पढ़ने से कम समय में ही अच्छी तैयारी कर सकते हो।
  • जाओ पहले खेलकूद आओ और हां खेलकूद करते समय पढ़ाई की बातें बिल्कुल भी ध्यान में मत लाना।मंजुल खेलकूद कर आया तो अपने आपको तरोताजा महसूस कर रहा था।उसने हाथ मुंह धोकर कुछ नाश्ता किया और पढ़ने बैठ गया।2 घंटे के बाद उसकी मां आई।मंजुल ने कहा कि मुझे पाठ ठीक से याद हो गया है।आप कहीं से भी पूछ सकती हो।उसकी मां ने कहा कि पहले खाना खा लो और भोजन करने के कुछ देर बाद पढ़ने बैठ जाओ।
  • मंजुल खाना खाकर पढ़ने बैठ गया।रात के 10:00 बजे उसकी मां ने कहा कि अब सो जाओ।मंजुल ने कहा कि अभी लेसन अधूरा है।उसकी मां ने कहा वो भी हो जाएगा।पहले थके हुए शरीर और दिमाग को आराम दो,जिससे उसको थोड़ी ओर ऊर्जा मिले।वरना मन इधर-उधर भटकेगा।
  • कुछ दिनों बात मंजुल का टेस्ट हुआ और उसे अच्छे अंक प्राप्त हुए।मंजुल की माँ ने कहा इसी तरह मन और तन से एकाग्रचित्त होकर पुरुषार्थ करो तो तुम अच्छे अंक ला सकोगे।सफलता का यही मूल मंत्र है।
    उपर्युक्त आर्टिकल में बुद्धि और कर्म में तालमेल (Synergy Between Intellect and Action),गणित के अध्ययन के लिए बुद्धि और कर्म में तालमेल कैसे करें? (How to Coordinate Wisdom and Effort for Study of Mathematics?) के बारे में बताया गया है।

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5.अध्ययन और जम्हाईयां (हास्य-व्यंग्य) (Study and Yawning) (Humour-Satire):

  • मां (बेटे से):बिस्तर पर से उठो।बिस्तर पर पढ़ते-पढ़ते जम्हाईयां ले रहे हो।ऐसे जम्हाईयां लेते रहोगे तो नींद आ जाएगी।तुम्हारी तरह कोई पढ़ता है क्या?
  • बेटा (माँ से):कई छात्र-छात्राएं तो जम्हाईयां लेते ही नहीं बल्कि बिस्तर पर लेटे-लेटे पढ़ते हैं और सो जाते हैं।मैं सिर्फ जम्हाईयां ही तो ले रहा हूं,उस पर भी रोक लगाना चाहती हो।<

6.बुद्धि और कर्म में तालमेल (Frequently Asked Questions Related to Synergy Between Intellect and Action),गणित के अध्ययन के लिए बुद्धि और कर्म में तालमेल कैसे करें? (How to Coordinate Wisdom and Effort for Study of Mathematics?) से संबंधित अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्नः

प्रश्नः1.अध्ययन में सर्वोच्च स्तर कैसे प्राप्त किया जा सकता है? (How Can the Highest Level in Study be Achieved?):

उत्तरःकोई छात्र-छात्रा उस समय तक सर्वोच्च स्तर प्राप्त नहीं कर सकता है जब तक वह एकाग्रचित्त होकर पुरुषार्थ नहीं करता है।अध्ययन की लय और समयानुकुलता की आवश्यकता होती है जो पहले विचारों में प्रगट होनी चाहिए फिर मांसपेशियों से उसका अभ्यास करना चाहिए।छात्र-छात्राओं को आन्तरिक सुसंगति या तालमेल प्राप्त करने के लिए सही विचार करने की आवश्यकता है।इसके बिना अध्ययन पर पूर्ण अधिकार नहीं प्राप्त कर सकते।

प्रश्नः2.चिन्तन का अध्ययन पर क्या असर पड़ता है? (What Effect Does Thinking Have on the Study?):

उत्तरःआप जितने ऊँचे स्तर का अध्ययन करना चाहते हैं वैसा ही मन में सदैव विचार कीजिए।इसके बाद इस प्रकार कार्य कीजिए जैसे आप विचार और चिंतन कर रहे हैं उसी प्रकार का अनुभव करने का प्रयत्न कीजिए।अभ्यास तथा चिंतन,विचार छूटने पर निराश मत होइए और जल्दी से जल्दी अपनी विचार पद्धति में अध्ययन पद्धति को अपना लीजिए।प्रातः उठते ही अध्ययन पद्धति के बारे में विचार प्रारंभ करें।

प्रश्नः3.नकारात्मक अध्ययन से छुटकारा कैसे सम्भव है? (How is It Possible to Get Rid of Negative Studies?):

उत्तरःयदि आपने अध्ययन करने का दृढ़ निश्चय कर लिया है तो आपको मन को वश में करना होगा,मन को सेवक और स्वयं को मालिक बनाना होगा। अपने को सदैव जागृत रखना होगा,सावधान रखना होगा कि मन आपको अपना सेवक न बना ले।
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  • उपर्युक्त प्रश्नों के उत्तर द्वारा बुद्धि और कर्म में तालमेल (Synergy Between Intellect and Action),गणित के अध्ययन के लिए बुद्धि और कर्म में तालमेल कैसे करें? (How to Coordinate Wisdom and Effort for Study of Mathematics?) के बारे में ओर अधिक जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।Synergy Between Intellect and Action

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बुद्धि और कर्म में तालमेल
(Synergy Between Intellect and Action)

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बुद्धि और कर्म में तालमेल (Synergy Between Intellect and Action)
रखेंगे तो छात्र-छात्राएं गणित तथा अन्य विषयों को पढ़ने में सिद्धहस्त हो सकेंगे।
छात्र-छात्राओं को यह ध्यान रखना चाहिए कि जब भी वे अध्ययन करते हैं तो
अध्ययन और अभ्यास करने में उनके दो भाग कार्य करते हैं।Synergy Between Intellect and Action

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