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Be Optimist About Studying Mathematics

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1.गणित का अध्ययन करने के लिए आशावादी बनिए (Be Optimist About Studying Mathematics),छात्र-छात्राएँ आशावादी बनें (Students Should be Optimistic):

  • गणित का अध्ययन करने के लिए आशावादी बनिए (Be Optimist About Studying Mathematics),ऐसा क्यों कहा जा रहा है? इसका मूल कारण यह है कि छात्र-छात्राओं को सामान्यतः गणित विषय कठिन लगता है। कठिनाइयों,समस्याओं तथा गणित के सवाल हल न होने पर छात्र-छात्राएं निराश,उत्साहहीन तथा अपने आपको कमजोर समझने लगते हैं।जबकि आशा से उत्साह का संचार होता है,मन प्रफुल्लित रहता है,शरीर का अंग-अंग खुशी से दमकने लगता है।
  • गणित के छात्र-छात्राओं को उदासीनता,अवसाद,निराशा घेर लेती है ऐसी स्थिति में उनकी सबसे बड़ी औषधि आशा,सफलता प्राप्त करने और सुख-शांति पाने की आशा ही है।इस उक्ति के विरुद्ध यह आपत्ति की जा सकती है कि बिना किसी सफलता का संकेत मिले,बिना गणित के सवालों के हल हुए कैसे विद्यार्थी आशा भरी बातें कर सकता है,आशाभरी सोच रख सकता है।वस्तुतः आशाभरी सोच रखना और बातें करना ऐसे ही समय में जरूरी है जब विद्यार्थी से कोई सवाल हल नहीं हो रहा हो,बिल्कुल रास्ता ही दिखाई नहीं दे रहा हो,गणित का हर सवाल हल नहीं हो रहा हो।
  • चारों से परेशानियों,विपत्तियों,कठिनाइयों से घिरे होने पर ही अपने आपमें आशा का संचार करना जरूरी होता है।निराशा,उदासीनता,हीनता अंधकार है तो आशा,उत्साह,खुशी प्रकाश है।अंधकार के बाद प्रकाश आता ही है।हमेशा अंधकार ही छाया नहीं रहता है।अंधकार के बाद प्रकाश तथा प्रकाश के बाद अंधकार आता है।यह प्रकृति का नियम है। इसलिए बुद्धिमान छात्र-छात्राएं समस्याओं,परेशानियों,कष्टों और विपत्तियों से घबराकर परेशान या उदास नहीं होते हैं।
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2.आशावादी बनने का अभ्यास करें (Practice Being Optimistic):

  • व्यक्ति तथा छात्र-छात्राएं मनवाला होने से मनुष्य कहलाता है।परंतु छात्र-छात्राएं केवल मन व शरीर नहीं है बल्कि मन और शरीर से भी ऊपर है।जिस प्रकार गाड़ी के चालक की इच्छा के अनुसार गाड़ी चलती है परंतु गाड़ी की कोई इच्छा नहीं होती है। गाड़ी चालक को नहीं चला सकती है।इसी प्रकार विद्यार्थी तथा मानव के मन और शरीर आत्मा द्वारा निर्देशित होते हैं।
  • यदि आप गणित तथा अन्य विषय में कमजोर हैं,गणित की समस्याओं को हल नहीं कर पा रहे हैं तो भी निराश होने के बजाय आशापूर्ण विचार रखने तथा आशावादी बातें करने के परिणाम भी अच्छे होते हैं।इससे आप अपने शरीर की कार्य क्षमता को बढ़ा सकते हैं,आपकी कार्यकुशलता भी बढ़ती है। सबसे मुख्य बात यह है कि समस्याओं और कठिनाइयों को हल करने का विचार करने,हल करने का उपाय करने से ही हल होगीं।फिर निराशावादी विचार रखने का क्या फायदा है? इसका अर्थ यह नहीं है कि गणित जैसे विषय में सवाल हल नहीं होने वाली वास्तविक सच्चाई और कटु सत्य की उपेक्षा कर दें या उनकी तरफ ध्यान ही न दें।परन्तु मन में आशा बनाए रखने से हम गणित की कठोर और कड़वी सच्चाइयों का सामना करने और उनका हल ढूंढने में कामयाब हो सकते हैं।
  • आशावादी रहने से आपको ऐसी शक्ति और संतुलन प्राप्त होगा जो कठिनाइयों और समस्याओं को हल करने में मदद करेगा।निस्संदेह गणित तथा अन्य विषयों में एक से बढ़कर एक कठिनाई व समस्या का सामना करना पड़ता है परंतु आशा की किरण कठिन से कठिन बाधा को भी भस्म कर सकती है। इसका अर्थ यह नहीं है कि आप एकदम से आशावादी हो जाएंगे और सभी समस्याएं काफूर हो जाएंगी।बल्कि धीरे-धीरे धीरे-धीरे अभ्यास करने और आशावादी बातें दोहराते रहने से वे हमारी विचार और कार्यप्रणाली का अंग बनती जाती हैं। जीवन से निराशा और अवसाद के विचार दूर होने लगते हैं।निराशा,उदासीनता और अवसाद आपके विचार को प्रभावित करती है और विचार से कृत्य (कार्य प्रणाली) प्रभावित होते हैं।अतः सदैव आशावादी रहिए।

3.मन को आशावादी विचारों से बदलें (Replace the Mind with Optimistic Thoughts):

  • यह सच है कि विद्यार्थी के जीवन में असफलता,कठिनाइयों,समस्याओं के कारण वातावरण अंधकारमय बना रहता है परंतु इसका अर्थ यह तो नहीं है कि आपको जीवन में सफलता मिल ही नहीं सकती है,कठिनाइयों और समस्याओं का समाधान हो ही नहीं सकता है।विद्यार्थी जीवन में सफलता तथा असफलता मिलती रहती है,मिल सकती है।हमेशा ही सफलता मिलती नहीं रहती है,हमेशा ही असफलता नहीं मिलती रहती है।ऐसे भाग्यवान विरले ही होते हैं जिन्हें जीवन में सफलता ही सफलता मिलती रहती होगी।
  • यदि आपसे गलती हो भी जाती है तो उससे सीख लेने की जरूरत है।गलती तो महात्मा गांधी और जवाहरलाल नेहरू जैसे महापुरुषों से भी हुई है। फिर विद्यार्थी से गलती हो जाती है तो कोई खास बात नहीं है।गलती से शिक्षा लेंगे और हमेशा बढ़िया कार्य करने का प्रयत्न करेंगे तो आगे से आगे बढ़ते जाएंगे।अपने चिंतन को आशावादी बनाइए और मन को शुभ विचारों से भरकर रखिए तो आपका जीवन जीवन्त और प्रकाशमय हो उठेगा।मन के ऊपर जमे हुए निराशावादी मैल को साफ करके प्रकाश के मार्ग के अवरोध को दूर कीजिए।मंगलमय और शुभ विचारों से भविष्य के प्रति आशावान और आश्वस्त हो जाएंगे।आपका बदला हुआ दृष्टिकोण आपको उत्साह और स्फूर्ति से भर देगा।छोटी-छोटी असफलताएं आपको भविष्य में बड़ी सफलता का संदेश देती हुई प्रतीत होने लगेगी।आशावादी विचार हम जो कुछ है उसे अधिक बनने की प्रेरणा प्रदान करती है।
  • यजुर्वेद में आशा के बारे में उल्लेखित हैः
    “अस्माकं संत्वाशिषः,सत्या नः संत्वाशिषः।(यजुर्वेद)
    अर्थात् हम आशावादी बनें,हमारी आशाएं सफल हों।
  • इसी प्रकार नीति में कहा है किः
    “मानवस्योन्नतिः सर्वा साफल्यं जीवनस्य च।
    चरितार्थ्यं तथा सृष्टेराशावादे प्रतिष्ठितम्।।”
    अर्थात् मनुष्य की सब उन्नति,जीवन की सफलता और सृष्टि की चरितार्थता आशावाद में ही प्रतिष्ठित है।
  • आशा जीवन का लंगर है,उसका सहारा छोड़ने से आदमी भवसागर में बह जाता है।लेकिन हाथ-पैर हिलाए बिना केवल आशा करने से काम नहीं चल सकता-लुकमान

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4.आशावाद का दृष्टांत (Parable of Optimism):

  • निराशा एवं पराजय की बातें करने वाले व्यक्ति के हाथ निराशा और पराजय ही लगती है और ऐसे व्यक्ति के जीवन में कोई रस नहीं रह जाता है। आशावाद का सहारा लेने का यह अर्थ नहीं है कि आप पुरुषार्थ करना छोड़ दें,कोशिश ही न करें। उदासी केवल एक मनोवृत्ति है।मन में उदासी के विचारों को बदलने के लिए मन के विचारों को खुशनुमा विषयों या चीजों की ओर मोड़ देना है। परमात्मा के प्यार और उसकी सत्ता में पूर्ण विश्वास का विचार संसार की सबसे महान शक्ति है।वह कब किसी के भाग्योदय का द्वार खोल दे,पता ही नहीं चलता है।
  • एक विद्यार्थी का वृतांत है।सचिन नाम के विद्यार्थी की एक आदत थी कि वह प्रत्येक कार्य को शुभ ही मानता था।एक बार की बात है कि उसने क्रिकेट टीम में सम्मिलित होने के लिए फिटनेस टेस्ट दिया। फिटनेस टेस्ट के लिए उसने भरपूर मेहनत की थी परंतु क्रिकेट टीम में उसका चयन नहीं हुआ।उसके मित्रों ने उसे मसखरी करने के लिए पूछा कि क्यों,क्या हुआ,क्रिकेट टीम में चयन हो गया क्या? सचिन ने सहज भाव से कहा कि मेरा चयन न होने के पीछे भी शुभ छुपा हुआ है।मित्रों ने मजे लेते हुए कहा कि वह छुपा हुआ शुभ कब प्रकट होगा?सचिन ने कहा कि समय पर प्रगट हो जाएगा।
  • सचिन आईपीएस के लिए भी कड़ी तैयारी कर रहा था।प्रारंभिक और मुख्य परीक्षा में उत्तीर्ण होने के बाद साक्षात्कार की तैयारी कर रहा था।3 महीने बाद उसका साक्षात्कार हुआ और आईपीएस में उसका चयन हो गया।उसके मजे लेने वाली मित्रों की जुबान पर ताला लग गया।सचिन ने सोचा कि उस दिन क्रिकेट टीम में चयन हो जाता तो आईपीएस बनने से वंचित रह जाता।
  • उपर्युक्त आर्टिकल में गणित का अध्ययन करने के लिए आशावादी बनिए (Be Optimist About Studying Mathematics),छात्र-छात्राएँ आशावादी बनें (Students Should be Optimistic) के बारे में बताया गया है।

5.गणित में कम अंक आने का संतोष (हास्य-व्यंग्य) (Satisfaction of Getting Low Marks in Mathematics) (Humour-Satire):

  • माँ (श्याम से):तुम्हारी रिपोर्ट कार्ड में इस बार गणित में इतने कम नम्बर क्यों आए हैं?
  • श्याम (मां से):मां आप ही तो हमेशा कहती है ना कि आदमी को हमेशा थोड़े में संतोष करने की आदत डालनी चाहिए।

6.गणित का अध्ययन करने के लिए आशावादी बनिए (Be Optimist About Studying Mathematics),छात्र-छात्राएँ आशावादी बनें (Students Should be Optimistic) से संबंधित अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न:

प्रश्न:1.क्या असफलता की चर्चा करना गलत है? (Is It Wrong to Discuss Failure?):

उत्तर:विद्यार्थी विद्यालय में कितने असफल हुए हैं उसकी चर्चा करते रहते हैं और उसमें रस भी लेते हैं।प्रश्न है कि क्या विद्यालय में विद्यार्थी उत्तीर्ण नहीं होते हैं? असफलता की बातें करते-करते हम निराशा,उदासीनता,भय और संत्रास का जीवन जीने लगते हैं।इसके विपरीत हम सफल होने वाले विद्यार्थियों तथा उनके द्वारा प्राप्त प्राप्तांक की बात करें तो हमारा दृष्टिकोण आशावादी हो जाएगा और हमारे चिंतन की दिशा ही बदल जाएगी।हमारी सामान्य धारणा यह बन गई है कि असफल विद्यार्थी बहुत हो रहे हैं तथा जो सफल हो रहे हैं वे भी जीवन में आगे जाकर असफल हो जाते हैं।परंतु जिस दिन सभी विद्यार्थी असफल हो जाएंगे तब विद्यार्थियों का अध्ययन करने से मोहभंग हो जाएगा।अध्ययन के प्रति लगन व जिज्ञासा ही खत्म हो जाएगी।

प्रश्न:2.उदासी,अवसाद और निराशा से छुटकारा कैसे पाएं? (How to Get Rid of Sadness Depression and Hopelessness?):

उत्तर:हमेशा दिन की शुरुआत परमात्मा की प्रार्थना तथा योगासन-प्राणायाम से शुरू करें।धर्म और औषधि दोनों ही जीवन में लचीलापन लाने के लिए आवश्यक है।अपने आध्यात्मिक अनुभव को गहरा करने से हमें अपने व्यक्तित्त्व का विकास करने की प्रेरणा मिलती है।अपने मन को परमात्मा के प्रति विश्वास से भर दो।इससे आपको जीवन की पराजयों और उदासीनता पर नियंत्रण पाने की आश्चर्यजनक शक्ति प्राप्त होगी।

प्रश्न:3.संकट में भगवान किस प्रकार सहायक है? (How God is Helpful in Crisis?):

उत्तर:हमारे अवचेतन मन में अपार शक्ति छिपी हुई है।धर्म ग्रंथों में जिस आत्मा को परमात्मा का अंश कहा गया है उसकी शक्ति मानव के मनोमस्तिष्क से भी कहीं अधिक है।मनुष्य की इन छिपी हुई मानसिक और आध्यात्मिक शक्तियों का वर्णन विश्व के प्रत्येक धर्मग्रन्थ में मिलता है।संकट में पड़ने पर मनुष्य की ये आध्यात्मिक शक्तियां उसके अपने धार्मिक विश्वास का आधार पाकर जागृत होकर सहायता करती हैं।

  • उपर्युक्त प्रश्नों के उत्तर द्वारा गणित का अध्ययन करने के लिए आशावादी बनिए (Be Optimist About Studying Mathematics),छात्र-छात्राएँ आशावादी बनें (Students Should be Optimistic) के बारे में ओर अधिक जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।

Be Optimist About Studying Mathematics

गणित का अध्ययन करने के लिए आशावादी बनिए
(Be Optimist About Studying Mathematics)

Be Optimist About Studying Mathematics

गणित का अध्ययन करने के लिए आशावादी बनिए (Be Optimist About Studying Mathematics),
ऐसा क्यों कहा जा रहा है? इसका मूल कारण यह है कि छात्र-छात्राओं को सामान्यतः गणित विषय कठिन लगता है।

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