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Meditation and Problem Solving in Math

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2 2.गणित में चिन्तन और समस्या समाधान (Meditation and Problem Solving in Math),मैथेमेटिक्स में चिन्तन और समस्या समाधान (Meditation and Problem Solving in Mathematics) के सम्बन्ध में अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न:

1.गणित में चिन्तन और समस्या समाधान (Meditation and Problem Solving in Math),मैथेमेटिक्स में चिन्तन और समस्या समाधान (Meditation and Problem Solving in Mathematics):

  • गणित में चिन्तन और समस्या समाधान (Meditation and Problem Solving in Math) के द्वारा अद्भुत एवं आश्चर्यजनक परिणाम प्राप्त किए जा सकते हैं।दरअसल चिंतन कई प्रकार से किया जा सकता है जिसमेंमुख्यत: सर्जनात्मक चिंतन,आलोचनात्मक चिंतन तथा तार्किक चिंतन मुख्य है।परंतु उपरर्युक्त चिंतन का चमत्कारिक परिणाम तभी प्राप्त किया जा सकता है जबकि बुद्धि सात्विक हो।
    बुद्धि तीन प्रकार की होती है:
  • (i)सात्विक बुद्धि:जिसमें पतंजलि के अष्टांग योग यम (अहिंसा,सत्य,अस्तेय,ब्रह्मचर्य और अपरिग्रह),नियम (शौच,संतोष,तप,स्वाध्याय और भगवद् भक्ति),आसन,प्राणायाम,प्रत्याहार,ध्यान,धारणा,समाधि का पालन करने वाली,आस्तिक,धर्मयुक्त,तर्क,युक्तियुक्त,स्थिर,विवेकयुक्त,धैर्य,अनासक्ति,वात्सल्यभाव,स्नेह,श्रद्धा,हर्ष,आनंद,भक्ति,मेधा,धारणशक्ति,स्मृति,एकाग्रता,निश्चयात्मकता,सुदृढ़ता,मनन-चिंतन आदि शुभ गुणों को धारण करने वाली होती है।
  • (ii)राजसिक बुद्धि:रजोगुण वाली बुद्धि में चंचलता,अस्थिरता वाली होने से यह सात्विक गुणों के विपरीत आचरण करने वाली होती है जिससे चिंता,विषाद,मान-अभिमान,अधैर्य,विषयलिप्सा,विलासिता,श्रृंगारप्रियता,काम,क्रोध,लोभ,मोह,शोक,भय,राग-द्वेष,स्पर्धा,निंदा आदि अनेक अवगुणों की उत्पत्ति होती है।
  • (iii)तामसिक बुद्धि:तमोगुण वाली बुद्धि अज्ञान और अविद्या वाली होती है जिससे यह सात्विक और राजसिक बुद्धि की अपेक्षा में निकृष्ट होती है। इसके कारण अविवेक,हिंसा,क्रूरता,आलस्य,दुराचार,व्यभिचार,कपट,छल,दंभ,अनाचार,मांस,मदिरा आदि अभक्ष्य पदार्थों का आहार,विस्मृति,मद,पापाचरण आदि दुष्ट मनोवृत्ति के अधीन होकर तमोगुण व्यक्ति अपने लिए ही नहीं बल्कि दूसरों के लिए भी दुख व क्लेश का कारण होता है।
  • यदि इसे विद्यार्थी पर लागू करें तो ऐसे छात्र-छात्राएं जिनकी बुद्धि तामसिक वृत्ति की होती है।वे अध्यापकों से मारपीट करना,परीक्षा में नकल करने हेतु परीक्षक को डराना-धमकाना,प्रश्नपत्र को धन के बल पर परीक्षा से पूर्व प्राप्त करना,हड़ताल करवाना,दंगे भड़काना,मौजमस्ती में मशगूल होना,गुंडागर्दी करना,विद्यार्जन के स्थान पर अय्याशी करना,शराब,गांजा,तरस जैसे मादक पदार्थों का सेवन करना,बोर्ड में धनबल के आधार पर अंक तालिका में नंबर बढ़वाना,हत्या,डकैती लूटपाट के कार्य में लिप्त होना जैसे कार्यों को करने में संलग्न रहते हैं।वास्तविक रूप में ऐसे छात्र-छात्राओं को विद्यार्थी कहा ही नहीं जा सकता है बल्कि विद्यार्थी के वेश में चोर,डकैत,हत्यारे या लुटेरे होते हैं।
  • सात्विक बुद्धि विद्यार्थी तभी धारण कर सकता है जबकि उस पर विवेक का नियंत्रण होता है।तामसिक बुद्धि में व्यक्ति की इंद्रिया विषयों (रूप,रस,गंध,स्पर्श इत्यादि) में फंस जाती है।इंद्रियां मन को तथा मन बुद्धि को अपने अनुसार चलाता है।इस प्रकार उसकी गति उल्टी हो जाती है जबकि सात्विक बुद्धि में इंद्रियां विषयों में आसक्त नहीं होती है तथा मन,इंद्रियों को वश में रखता है व बुद्धि (सत्वबुद्धि) मन को नियंत्रित और संचालित करती है और बुद्धि आत्मा द्वारा निर्देशित होती है।इस प्रकार सात्विक बुद्धि आत्मा द्वारा निर्देशित अनुभव से आती है।जैसे गणित का सवाल हल करना तभी आ सकता है जबकि आप उससे स्वयं हल करेंगे। केवल अध्यापकों से सवाल पूछ लेना,अध्यापकों से सवाल हल करवा लेना,मित्रों से सवाल हल करवा लेना,पुस्तकों से सवाल का हल देख लेना,इंटरनेट,वीडियो में सवालों के हल देख लेने से सवाल हल करना नहीं आ सकता है।इसलिए सजग,सक्रिय,चौकस होकर व्यावहारिक रूप से स्वयं सवालों को हल करने से सत्त्वबुद्धि उपलब्ध हो सकती है।सत्वबुद्धि धारण करने के लिए अर्थात् गणित के सवालों,गणित की समस्याओं को हल कर सके इसके लिए अनुभव से गुजरना ही होगा।
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(1.)मन,बुद्धि,अहंकार,चित्त (Mind,Intellect, Ego,conscious):

  • हमें मन,बुद्धि,अहंकार,चित्त इत्यादि के बारे में अलग-अलग पढ़ने को मिलता है।जिससे हम इसको अलग-अलग मानने लगते हैं।दरअसल जब मन सत्त्वबुद्धि वाला होकर मनन करता है तब यह विवेक होता है।जब यह किसी गणितीय समस्या या अन्य कोई समस्या पर विचार करता है,चिंतन करता है तथा किसी निर्णय पर पहुंचता है तब यह बुद्धि हो जाता है।जब मन न अच्छा सोचता है,न बुरा सोचता है,न पक्ष में सोचता है और न विपक्ष में सोचता है तब यह चित्त हो जाता है।जब मन सोचता है कि सब कुछ मैं ही करता हूं,सारे कार्यों का करने वाला मैं ही हूं,मेरी वजह से कोई कार्य होता है तब मैं यानि अहम् भाव वाला हो जाता है तब यह अहंकार हो जाता है।जैसे कोई विद्यार्थी अपने कमरे में बैठकर किसी गणित के सवाल को हल करने के बारे में सोचता है।किसी विशिष्ट सवाल अर्थात् एक उद्देश्य को लेकर चिंतन मनन करता है तब वह सत्त्वबुद्धि (विवेक) होता है।जब विद्यार्थी बिना दिशा और उद्देश्य के विचार करता रहता है।यानि दिन में आईएएस या कोई बड़ा अफसर बनने,बहुत उच्च काम्पीटिशन को टाॅप बनने के काल्पनिक विचार करता-रहता है यानि कल्पनालोक में अपने काम को साकार होता देखता है परंतु वास्तविक रूप में नहीं कर पाता है तब वह चित्त होता है।

(2.)मनन-चिंतन (Meditation-Contemplation):

  • चिंतन और मनन में फर्क है।जब हम भौतिक संपत्ति,भौतिक विषयों के बारे में ही विचार करते हैं तथा बुद्धि आत्मा से निर्देशित नहीं होती है।ऐसी स्थिति में द्वन्द्व पैदा होता है,संघर्ष पैदा होता है।जब हम किसी गणित की समस्या से जूझते हैं,लड़ते हैं,उसको बलपूर्वक हल करने की चेष्टा करते हैं तो यह चिंतन होता है।ऐसी स्थिति में जब हम गणित की समस्या को हल नहीं कर पाते हैं तो हमारे अहंकार को चोट लगती है।हमारे अंदर ईर्ष्या की भावना पैदा हो जाती है।
  • परंतु जब होशपूर्वक,बोधपूर्वक आत्मा से निर्देशित अर्थात् सत्त्वबुद्धि से मनन करते हैं तो समस्या का समाधान होता है तब हमें आनंद की अनुभूति होती है।यदि समस्या का समाधान नहीं होता है तो हम किए गए मनन का निरीक्षण करते हैं।बार-बार अपने अंदर होने वाली त्रुटि की जांच करते हैं।ओर अधिक विनम्रतापूर्वक,धैर्यपूर्वक,होशपूर्वक,सचेष्ट,सजग होकर मनन करते हैं।मनन में हम अधिक से अधिक समर्पण करते हैं।गणित की समस्याओं को हल करते समय उस विषय के प्रति जितना समर्पित होकर समाधान खोजने की कोशिश करते हैं तो हमें आनंद की अनुभूति होती है।
  • चिंतन में हमें गणित विषय की कठिनाईयाँ ही कठिनाईयाँ दिखाई देती है।जबकि मनन में हमें गणित की अच्छाईयां ही अच्छाइयां नजर आती है। ऐसी स्थिति में गणित की कठिनाइयां भी हमें अच्छाइयां ही नजर आती है।इस प्रकार चिंतन से भौतिक विषयों,समस्याओं तथा विशिष्ट ज्ञान के लिए उपयोगी होता है।परंतु मनन भौतिक क्षेत्र,विषयों,व्यावहारिक क्षेत्र,व्यावहारिक समस्याओं और गणित की समस्याओं को हल करने के साथ-साथ आध्यात्मिक क्षेत्र में भी उपयोगी होता है।हालांकि चिंतन से भी समस्याएं हल होती है परंतु उससे हमें तृप्ति,संतोष,आत्मसंतुष्टि नहीं मिलती है। बल्कि लंबे संघर्ष और द्वंद से कुंठा,तनाव पैदा होता है।इसलिए भारतीय ऋषियों ने मनन-चिंतन में मनन को प्रथम स्थान तथा चिन्तन को द्वितीय स्थान दिया है।
  • गणित की समस्याओं को भी यदि हम चिंतन को मनन में रूपांतरित कर देंगे तो चमत्कारिक परिणाम तो देखने को मिलेंगे ही साथ ही आत्मसंतुष्टि भी मिलेगी।हमारी आध्यात्मिक यात्रा भी सुखद,मंगलमय होगी।

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(3.)चिंतन (मनन) एवं समस्या समाधान (Contemplation (Meditation) and Problem Solving):

  • जैसा कि ऊपर उल्लेख कर चुके हैं कि चिन्तन के सर्जनात्मक,आलोचनात्मक तथा तार्किक चिंतन ही मुख्य रूप है वैसे इसके ओर भी प्रकार हैं परंतु हम इनके बारे में ही संक्षिप्त चर्चा करेंगे।
  • (i)सृजनात्मक चिन्तन (Creative Thinking):इस प्रकार के चिंतन को आगमन चिंतन (Creative Thinking) भी कहते हैं।इस प्रकार के चिंतन में छात्र-छात्राएं अपनी ओर से कोई नई बातों को जोड़कर एक निश्चित निष्कर्ष पर पहुंचता है।जैसे आपको कहा जाए कि त्रिकोणमिति का असाधारण उपयोग क्या है?त्रिकोणमिति का साधरण उपयोग है त्रिभुजों के कुछ कोण या भुजाएँ ज्ञात होने पर शेष कोणों और भुजाओं का मान ज्ञात करना।परंतु संसार की सबसे ऊंची चोटी एवरेस्ट (हिमालय पर्वत की चोटी) की ऊंचाई ज्ञात करना इसका असाधारण उपयोग है।
  • (ii)आलोचनात्मक चिंतन (Evaluate Thinking):आलोचनात्मक चिंतन उसे कहा जाता है जिसमें छात्र-छात्राएं किसी वस्तु,घटना,तथ्य अथवा गणित के सवाल,गणित की समस्याओं की सच्चाई को स्वीकार करने से पहले उसके सत्य या असत्य की जांच करता है।कुछ छात्र-छात्राएं किसी सवाल के लिए सही या गलत कहा जाता है तो उसे सही या गलत जो भी कहा जाता है उसे वही समझकर स्वीकार कर लेते हैं।जैसे किसी विद्यार्थी से कहा जाता है कि 2,4 से बड़ा होता है।
    \frac{1}{2}>\frac{1}{4}
    \Rightarrow \log\frac{1}{2}>\log\frac{1}{4}
    \Rightarrow \log{1}-\log{2}>\log{1}-\log{4}
    \Rightarrow -\log{2}>-\log{4}
    स्टेप:5. \Rightarrow \log{2}>\log{4}
    \Rightarrow 2>4
  • इसमें आलोचनात्मक चिंतन करने वाला छात्र-छात्रा बता सकता है कि स्टेप:5 में ऋणात्मक चिन्ह को हटाते समय असमिका का चिन्ह बदल जाता है।जबकि आलोचनात्मक चिन्तन नहीं करने वाला इसको सही स्वीकार कर लेता है।
  • (iii)तार्किक चिंतन (Reasoning Thinking):तार्किक चिन्तन एक प्रकार का वास्तविक चिंतन है।तर्क के द्वारा छात्र-छात्राएं अपने चिन्तन को क्रमबद्ध (Systematic) बनाता है और तर्क-वितर्क के आधार पर निष्कर्ष तक पहुंचता है।तार्किक चिंतन में निगमनात्मक (Deductive Reasoning),आगमनात्मक (Inductive Reasoning),आलोचनात्मक (Evaluative Reasoning) शामिल है।
  • इस प्रकार के चिंतन में जब विद्यार्थी किसी सवाल को हल करता है और सवाल गलत हो जाता है तो वह चिंतन करता है कि किस स्टेप में गलती के कारण सवाल गलत हो गया।परंतु जब वह उसी तरह का उदाहरण देखता है तो पाता है कि इसमें कोई गलती नहीं हुई है।तब वह सोचता है की गणित की गणना करने में त्रुटि हो गई हो।फिर वह सवाल के गणना की जांच करता है और उसे सही पाता है।तब वह सोचता है कि हो सकता है यह सवाल दूसरी विधि (Method) से हल होगा।दूसरी विधि से हल करने पर सवाल हल हो जाता है।इस प्रकार क्रमबद्ध रूप से हल करने पर वह सही निष्कर्ष पर पहुंच जाता है।

(4.)गणित में चिन्तन और समस्या समाधान का निष्कर्ष (Conclusion of Meditation and Problem Solving in Math):

  • चिंतन (मनन) द्वारा गणित की समस्याओं को उत्कृष्ट तरीके से हल कर सकते हैं।छात्र-छात्राओं को चिंतन व तर्क शक्ति का उपयोग गणितीय समस्याओं में करना चाहिए।तर्क शक्ति का उपयोग करने हेतु छात्र-छात्राओं को प्रोत्साहित करना चाहिए।यदि छात्र-छात्राएं चिंतन (मनन) एवं तर्कशक्ति को आधार बनाकर गणित की समस्याओं को हल करने का प्रयास करेंगे तो उनकी गणितीय क्षमता का विकास गतिशील होगा।
  • कक्षा में चिंतन एवं तर्कशक्ति का विकास करने के लिए कुछ सवाल उनको जादूई वर्ग,जादुई वृत्त,गणितीय पहेलियां तथा मनोरंजन गणितीय समस्याएँ दी जानी चाहिए।हालांकि अध्यापक को गणित का पाठ्यक्रम पूर्ण करना होता है इसलिए अधिक संख्या में उपर्युक्त गणितीय समस्याएं तो नहीं दी जा सकती है।परंतु उचित अवसर देखकर तथा छात्र-छात्राओं की जिज्ञासा बढ़ाने के लिए इस प्रकार की समस्याएं अवश्य देनी चाहिए।इस प्रकार की गणित की समस्याएं देने से छात्र-छात्राएं प्रेरित होते हैं।गणितीय समस्याओं को हल करने में वैज्ञानिक ढंग की ओर अग्रसर होते हैं।वैसे उपर्युक्त गणितीय पहेलियों,मनोरंजक गणितीय समस्याएं तथा जादुई वर्ग इत्यादि के लिए उपयुक्त मंच गणित क्लब है।
  • विभिन्न परीक्षणों से यह सिद्ध हुआ है कि चिंतन (मनन) से गणितीय समस्याओं का समाधान उपयोगी सिद्ध होता है।कौतुहल एवं आकुलता समस्या समाधान को गति प्रदान करते हैं।समस्या जितनी जीवन्त एवं प्रासंगिक होगी उतनी ही वे छात्र-छात्राओं को हल ज्ञात करने की प्रेरणा देगी। समस्या समाधान में
  • विवेचना,अनुमान,विश्लेषण,संश्लेषण,आगमन तथा निगमन समाधान में निश्चितता प्रदान करते हैं।
  • चिंतन (मनन) तर्क पर आधारित है तथा जनतांत्रिक है।सीखना,चेतनता,जागरूकता,सक्रियता,एकाग्रता,प्रेरणा,परीक्षणों की क्षमता,तर्कपूर्णता, कौतुहलता, आकुलता,वैज्ञानिकता इत्यादि इसके महत्वपूर्ण पक्ष हैं।हम चिंतन (मनन) से हमारी व्यावहारिक तथा जीवन में आने वाली अन्य समस्याओं का समाधान भी कर सकते हैं।गणितीय समस्याएं हल करने से चिंतन का सर्वोत्तम प्रशिक्षण प्राप्त होता है।छात्र-छात्राओं का चिंतन उच्च स्तर का होता जाता है।
  • उपर्युक्त विवरण में गणित में चिन्तन और समस्या समाधान (Meditation and Problem Solving in Math),मैथेमेटिक्स में चिन्तन और समस्या समाधान (Meditation and Problem Solving in Mathematics) के बारे में बताया गया है।

2.गणित में चिन्तन और समस्या समाधान (Meditation and Problem Solving in Math),मैथेमेटिक्स में चिन्तन और समस्या समाधान (Meditation and Problem Solving in Mathematics) के सम्बन्ध में अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न:

प्रश्न:1.क्या ध्यान गणित में मदद कर सकता है? (Can meditation help in mathematics?):

उत्तर:ध्यान आपके दिमाग को एक उपकरण के रूप में विकसित करता है-इसे स्थिर करता है,इसे तेज करता है,आपको इसे नियंत्रित करने में अभ्यास देता है।यह आपको अपने सिर में विश्वसनीय प्रयोगों को चलाने की अनुमति देता है (जो कि गणित क्या है बताता है)।
लेकिन आप इसका इस्तेमाल बेहतर गणित करने के लिए भी कर सकते हैं ।
ध्यान अक्सर मन को एकाग्र करने में मदद करता और नए निष्कर्षों का सुझाव है कि यह लोगों को मानसिक जाल है के बाहर खींच समस्या को सुलझाने करता हैं।ध्यान का उद्देश्य अक्सर चेतना (consciousness) की सीमाओं का विस्तार करना है।

प्रश्न:2.गणित में समस्या को सुलझाने की प्रक्रिया क्या है? (What is the problem solving process in math?):

उत्तर:समस्या समाधान एक गणितीय प्रक्रिया है।इस प्रकार यह तर्क और तर्क और संचार (Logic and Reasoning and Communication) के साथ गणितीय प्रक्रियाओं के तट (Strand) में पाया जाना है।यह गणित का पक्ष है जो हमें विभिन्न प्रकार की स्थितियों में कौशल का उपयोग करने में सक्षम बनाता है।

प्रश्न:3.गणित में समस्या को सुलझाने के लिए 4 कदम क्या हैं? (What are the 4 steps for problem solving in math?):

उत्तर:पॉलीया ने समस्या को सुलझाने के लिए अपनी प्रसिद्ध चार-चरण प्रक्रिया बनाई जिसका उपयोग समस्या समाधान में लोगों की सहायता के लिए किया जाता है:
चरण 1:समस्या को समझें (Understand the problem)।
चरण 2:एक योजना ईजाद (अनुवाद)(Devise a plan (translate))।
चरण 3:योजना को पूरा करें (हल करें)(Carry out the plan (solve))।
चरण 4:पीछे मुड़कर देखें (जांच और व्याख्या)(Look back (check and interpret))।

प्रश्न:4.मैं अपने गणित समस्या को सुलझाने के कौशल में सुधार कैसे कर सकते हैं? (How can I improve my maths problem solving skills?):

उत्तर:शिक्षण समस्या को सुलझाने के लिए सिद्धांत
एक उपयोगी समस्या को सुलझाने की विधि मॉडल।समस्या को सुलझाना मुश्किल और कई बार थकाऊ हो सकता है ।
एक विशिष्ट संदर्भ में सिखाएं।
छात्रों को समस्या को समझने में मदद करें।
पर्याप्त समय लें।
सवाल पूछें और सुझाव दें।
त्रुटियों को भ्रांतियों से लिंक करें (Link errors to misconceptions)।

प्रश्न:5.क्या गणित समस्या को सुलझाने के बारे में है? (Is mathematics all about problem-solving?):

उत्तर:गणित सीखने में समस्या को सुलझाने का महत्व इस विश्वास से आता है कि गणित मुख्य रूप से तर्क (reasoning) के बारे में है,याद करना नहीं (not memorization)।समस्या को सुलझाना छात्रों को समझ विकसित करने और प्रक्रियाओं का एक सेट लागू करने के बजाय समाधान पर पहुंचने के लिए इस्तेमाल किया जाता है और प्रक्रियाओं की व्याख्या करने की अनुमति देता है ।
प्रश्न:6 कुछ गणित रणनीतियों क्या हैं? (What are some math strategies?):
उत्तर:प्राथमिक गणित शिक्षण के लिए 7 प्रभावी रणनीतियां
इसे हाथ पर बनाओ।
दृश्यों और छवियों का उपयोग करें।
सीखने में अंतर करने के अवसर खोजें।
छात्रों से अपने विचारों को समझाने के लिए कहें।
वास्तविक दुनिया परिदृश्यों के लिए कनेक्शन बनाने के लिए कहानी कहने को शामिल करें।
नई अवधारणाओं को दिखाएं और बताएं।
अपने छात्रों को नियमित रूप से बताएं कि वे कैसे कर रहे हैं।

प्रश्न:7.गणित की समस्या को हल करने का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा क्या है? (What is the most important part of solving a math problem?):

उत्तर:यह कहना उचित हो सकता है कि गणित की समस्याओं को हल करने में सब कुछ महत्वपूर्ण है! यदि एक शब्द की समस्या का समाधान किया जा रहा है,सबसे महत्वपूर्ण पहलू समस्या में व्यक्त की संख्या और अवधारणाओं के साथ एक समीकरण पैदा कर रहा है।समस्या में शब्द एक गणितीय आपरेशन का प्रतिनिधित्व करना चाहिए या समस्या का समाधान नहीं किया जा सकता है।

उपर्युक्त प्रश्नों के उत्तर द्वारा गणित में चिन्तन और समस्या समाधान (Meditation and Problem Solving in Math),मैथेमेटिक्स में चिन्तन और समस्या समाधान (Meditation and Problem Solving in Mathematics) के बारे में ओर अधिक जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।

Meditation and Problem Solving in Math

गणित में चिन्तन और समस्या समाधान
(Meditation and Problem Solving in Math)

Meditation and Problem Solving in Math

गणित में चिन्तन और समस्या समाधान (Meditation and Problem Solving in Math) के द्वारा अद्भुत एवं आश्चर्यजनक परिणाम प्राप्त किए जा सकते हैं।
दरअसल चिंतन कई प्रकार से किया जा सकता है जिसमें मुख्यत: सर्जनात्मक चिंतन,आलोचनात्मक चिंतन तथा तार्किक चिंतन मुख्य है।
परंतु उपरर्युक्त चिंतन का चमत्कारिक परिणाम तभी प्राप्त किया जा सकता है जबकि बुद्धि सात्विक हो।

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