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How to Do Things That Seem Impossible?

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1.असंभव लगने वाले कार्य कैसे करें? (How to Do Things That Seem Impossible?),असम्भव लगने वाले कार्य की क्या तकनीक है? (What is Technique of Doing Something That Seems Impossible?):

  • असंभव लगने वाले कार्य कैसे करें? (How to Do Things That Seem Impossible?) विद्यार्थियों के सामने कई ऐसे कार्य आते हैं जिन्हें देखकर उन्हें लगता है कि इसे करना उनके वश की बात नहीं है।जबकि कुछ अन्य विद्यार्थी ऐसे भी होते हैं जो असंभव प्रायः लगने वाले कार्य को करके सफलता प्राप्त करते हैं और यश के भागीदार बनते हैं।नेपोलियन अक्सर कहा करता था कि असंभव शब्द मूर्खों के शब्दकोश में पाया जाता है।वह कहता था कि संसार में कुछ भी करना असंभव नहीं।असंभव,मैं कुछ भी असंभव नहीं मानता।
  • यद्यपि नेपोलियन जीवन में वह सब नहीं कर सका जो वह करना चाहता था परंतु उसके उपर्युक्त वाक्य में काफी हद तक सच्चाई है।संसार में कई ऐसे खोजें हुई है जो भी इस बात को प्रमाणित करती है कि असंभव कार्य को संभव किया जा सकता है।उदाहरणार्थ शून्य की खोज,दाशमिक पद्धति की खोज,गुरुत्वाकर्षण की खोज,मनुष्य का चंद्रमा पर पहुंचना तथा अनेक अन्यान्य खोजें ऐसी ही हैं।
  • वाल्टर स्काट ने कहा कि कायरों और संशयशील व्यक्तियों के लिए प्रत्येक वस्तु असंभव है क्योंकि उन्हें ऐसी ही प्रतीत होती है।वस्तुतः जीवन में कोई भी कठिन व असंभव लगने वाले कार्य को करने के लिए आत्म-विश्वास,कठिन परिश्रम,दृढ़ इच्छाशक्ति और साहस की आवश्यकता है।
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2.अपने आत्म-विश्वास को जगाएं (Boost Your Confidence):

  • बहुत से विद्यार्थी बाह्य साधनों,पुस्तकों,नोट्स,गाइडों,अध्यापकों तथा अनेक सुख-सुविधाओं पर भरोसा करते रहे हैं,आज भी करते हैं किंतु जो विद्यार्थी अपनी आत्मिक शक्ति को पहचान लेता है वे असंभव लगने वाले कार्य को भी संभव करके दिखा देते हैं।
  • आत्म-विश्वास का अर्थ है अपनी समस्याओं,कठिनाइयों और संकटों का हल स्वयं को ढूंढना है।आपको दूसरों से याचना करने की आवश्यकता नहीं है।दूसरों के पास भी वे चीजें भगवान ने दी है जो आपके पास भी है तो क्यों नहीं अपने दिमाग को काम में लेते हैं,हाथ-पैर क्यों नहीं चलाते हैं।
  • दूसरा व्यक्ति सहायता देकर आपको शीर्ष पर नहीं पहुंचा सकता है,इसके लिए अंततः आपको अपनी शक्तियों का सहारा पकड़ना पड़ेगा।प्रत्येक दशा में अपने आत्मविश्वास को जगाना पड़ेगा।
  • आपके पास अनंत शक्तियों का भंडार है।जो इसका सदुपयोग करता है,उसी का जीवन व्यवस्थित रहता है।दृढ़ इच्छाशक्ति,अटूट परिश्रम,अनंत धैर्य किसी भी बाहरी साधन-सुविधाओं से कम महत्त्वपूर्ण नहीं हैं।आप अपने अध्ययन पद्धति में इन्हें प्रयुक्त करके देखिए आपका भविष्य अवश्य उज्जवल बनेगा।
  • आत्मविश्वास विद्यार्थी की संपूर्ण शक्तियों को एक स्थान पर संगठित करता है।एकत्रित शक्तियों को अध्ययन में उतार देने पर चमत्कारिक परिणाम देखने को मिलते हैं।दूसरे लोग भी सहारा-भरोसा करने लगते हैं।इसका श्रेय अपनी शक्तियों को एकत्रित करने को जाता है।मन और चित्त की एकाग्रता के प्रबल होने से मस्तिष्क की संपूर्ण कार्य शक्तियां विकसित होती है और उसी क्षेत्र में करने लग पड़ती है,आत्मविश्वास ही हमारी गुप्त शक्तियों के जागरण का मूल मंत्र है।
  • आत्मविश्वास और दृढ़ प्रतिज्ञा के बिना विद्यार्थी परिस्थितियों का दास बना रहता है।हर घड़ी किसी न किसी सहारे की चिंता में डूबा रहता है।कहीं से अकस्मात सहारा मिल जाए और उसकी नैया पार लगा दे।कोई ऐसा आशीर्वाद दे दे की परीक्षा में उत्तीर्ण हो जाए,अच्छे अंक प्राप्त हो जाए।जाॅब,सफलता आदि के लिए किसी सहारे की आश में बैठे रहते हैं।
  • उनकी आत्मिक शक्तियों में ऐसी जंग लग जाती है जो जीवन भर छुटाए नहीं छूटता।अंततोगत्वा बुरे परिणाम,दुःखद परिस्थितियाँ और असफलता का डर उन्हें आ घेरता है।तब पछतावा ही हाथ लगता है।पुरुषार्थ और प्रयत्न के क्षण तो तब तक समाप्त हो जाते हैं।
  • आत्मविश्वास के साथ दृढ़ इच्छाशक्ति भी जरूरी है।यही तो वह रहस्य है जो बिगड़ी बनाता है,ऊंचे उठाता और समस्याओं से पार लगाता है।दृढ़ इच्छाशक्ति से संपन्न किए हुए कार्य सदैव ही सफल हुए हैं,आगे भी होते रहेंगे किंतु दुविधापूर्ण निर्णय एक ही क्षण में सफलता की दिशा दूसरी ओर बदल देता है।
  • जो विद्यार्थी भूल करने के भय से अथवा बीच में अध्ययन कार्य छूट जाने की आशंका से कोई निश्चित निर्णय नहीं कर पाते,उनसे सचमुच ही गलतियां होने लगती है।प्रत्येक विद्यार्थी को चाहिए कि वह एक सुदृढ़ आधार का निर्माण करे जिसके सहारे जीवन को ऊंचा उठाता हुआ ध्येय पथ पर लगातार आगे बढ़ता रहे।इसके लिए दृढ़ता,सुनिश्चितता एवं संकल्प शक्ति का आह्वान करना पड़ता है।आत्म-विश्वास इन तीनों गुणों का मिश्रित रूप माना जा सकता है।

3.विद्यार्थी साहसी बनें (Students Should Be Courageous):

  • असंभव लगने वाले कार्यों और सफलता के लिए साहस भी प्रमुख गुणों में माना जाता है क्योंकि साहस ही आत्मविश्वास को जन्म देता है।साहस के अभाव में विद्या उस मोम के पुतले के समान है जो देखने में तो सुंदर लगता है,परंतु जरा सी गर्मी का स्पर्श होते ही पानी हो जाता है।
  • महान गणितज्ञ आर्कमिडीज को जब मार्सेलिस (साइराक्यूज पर विजयी सेनापति) ने सैनिक के द्वारा बुलाया।उस समय आर्किमिडीज समुद्र तट पर गणित की आडी-तिरछी रेखाएं खींच रहे थे।सैनिक ने कहा कि सेनापति मार्सेलिस ने तुम्हें बुलाया है।इससे आर्किमिडीज डरे नहीं बल्कि निर्भय होकर जवाब दिया कि कौन सेनापति? कैसा हुकुम? तभी उस योगी की इहलीला उस सैनिक ने तलवार के वार से समाप्त कर दी।
  • मानव के सभी गुणों में साहस प्रमुख गुण है जो सभी गुणों को ऊंचा उठा देता है।यदि हम अपनी पकड़ के बाहर वस्तु को प्राप्त करने का प्रयत्न नहीं करते हैं तो वह वस्तु स्वप्न की वस्तु ही बनकर रह जाती है।सिडनी स्मिथ के अनुसार:
  • “A great deal of talent is lost to the world of a little courage.Everyday sends to their grave obscure men whose timidly prevented them from making a first effort.”
    (अर्थात् थोड़े से साहस के अभाव में काफी प्रतिभा संसार में खो जाती है।प्रत्येक दिन ऐसे अपरिचित व्यक्तियों को कब्र में भेजता है जिनकी कायरता ने उनको प्रथम प्रयास से वंचित रखा है।
  • तात्पर्य यह है कि विद्यार्थियों को संकट से जूझना,अध्ययन में आने वाली परिस्थितियों से संघर्ष करना उन्हें साहसी बनाता है।अदम्य उत्साह और साहस के धनी बनोगे तभी सफलता मिल सकेगी।भगवान भी साहसी व्यक्ति की मदद करता है यानी जो स्वयं अपनी मदद करता है उसी की भगवान मदद करते हैं।साहस रहेगा तो अन्य गुण भी विद्यार्थी में टिके रहेंगे।साहस के अभाव में अन्य गुण भी साथ छोड़ देते हैं।

4.असंभव को संभव करने के लिए अन्य गुण (Other Qualities to Make the Impossible Possible):

  • असफलता अपराध नहीं है बल्कि लक्ष्य को छोटा बनाना अपराध है।यदि युवक-युवक्तियां महान लक्ष्यों को प्राप्त करने का संकल्प नहीं करेंगे तो वे अपने व्यक्तित्त्व में अंतर्निहित शक्तियों को प्रकट करने में क्यों प्रयत्नशील होंगे? महामानवों के जीवन चरित से शिक्षा मिलती है कि उन्होंने सामान्य जीवन से शुरुआत करके असामान्य कार्य कर दिखाएं है जिससे सामान्य विद्यार्थी भी असंभव को संभव बनाने में संकोच न करें,किसी प्रकार के हीन भाव से ग्रसित न हो जाएं।
  • कठिन कार्य वह है जो तुरंत किया जा सके,असंभव वह है जिसको पूरा करने में कुछ अधिक समय लगता है।इटली में एक कहावत है कि “असंभव का लक्ष्य रखने पर हम संभव को प्राप्त करते हैं।”
  • यदि विद्यार्थी शत प्रतिशत अंकों को प्राप्त करने का लक्ष्य रखता है और उसको प्राप्त करने के लिए कठिन परिश्रम करता है,अभ्यास करता है तो लक्ष्य से पूर्व ही वह प्रयास करना छोड़ देता है।यानी वह 90-95 प्रतिशत अंकों की तैयारी तक ही अपना प्रयास जारी रखता है।
  • यह ठीक बात है की उपलब्धि के लिए अपेक्षित साधन होने चाहिए परंतु किसी कार्य को अपने लिए असंभव मान लेने का अर्थ है कि साधन उपलब्ध न होने का बहाना बना रहे हैं।वास्तविकता यह है कि कोई भी लक्ष्य हम तय करते हैं तो प्रारंभ में वह असंभव लगता है लेकिन ज्योंही हम उस तरफ कदम बढ़ाते हैं,पुरुषार्थ करते जाते हैं तो वह संभव हो जाता है।
  • कायर व्यक्ति छोटी नदी के समान है जो थोड़े से जल से भर जाती है।वीर और साहसी व्यक्ति सागर के समान होता है जो किसी भी सफलता एवं उपलब्धि से संतुष्ट नहीं होता है।वह प्रत्येक असंभव कार्य को संभव बनाने का संकल्प लेकर जीवन पथ पर अग्रसर रहता है।लक्ष्य को पूरा करने के लिए अपनी समस्त शक्तियों द्वारा प्रयत्न करना ही पुरुषार्थ है।जो ऐसा नहीं करते हैं वे परमात्मा का अपमान करते हैं।
  • उद्यमशील और निपुण व्यक्ति के लिए बहुत कम वस्तुओं की प्राप्ति असंभव होती है, “क्योंकि दृढ़ इच्छाशक्ति वह घोड़ा है जो हमें लक्ष्य की ओर ले जाता है और इच्छाशक्ति वाला प्रत्येक व्यक्ति घुड़सवार बन सकता है।”
  • माता-पिता की कीर्ति में वृद्धि करना श्रेष्ठ पुत्र का कर्त्तव्य है।विवेक जाग्रत रहे तो कठिनाई में कोई न कोई उपाय दिखाई दे जाता है।कायरों की तरह घुटने टेकने से बहादुरी के साथ संघर्ष करते हुए मरा जाए।ऐसा व्यक्ति ही अपने माता-पिता,समाज,देश का गौरव बढ़ता है और असंभव लगने वाले कार्यों को सम्भव करके दिखाता है।धीर,गंभीर और पुरुषार्थी युवक-युवतियां देवताओं की कृपा को स्वतः ही अपने पास आकर्षित कर सफलता पा लेता है।

5.असंभव कार्य करने का दृष्टांत (A Vision of Doing the Impossible):

  • एक बार विद्यालय में मेधावी गणित के छात्र-छात्रा का चयन किया जाना था।योग्य छात्र-छात्रा का चुनाव करना कठिन कार्य था क्योंकि वहां अनेक विद्यालयों से प्रतियोगी आए हुए थे।हर कोई चयनित होना चाहता था।गणित अध्यापक को पता था कि जिस विद्यार्थी में आत्मविश्वास की भावना न होगी वह एकाएक लॉटरी में अर्जित सफलता को लॉटरी में प्राप्त धन को गँवाएगा ही नहीं,जीवन में अनेक अप्रत्याशित बुराइयां ओर लाद लेगा।
  • इसलिए मेधावी गणित विद्यार्थी के चयन का एक अनोखा तरीका निकाला।उसने एक पर्ची पर जादूई गणित पहेली लिखकर उसे मैदान में बीचों-बीच रखकर कपड़े से ढक दिया।फिर कहा कि इस कपड़े के नीचे जादू से एक गणित पहेली लिखी गई है,जो उसे हल कर देगा वही श्रेष्ठ गणित का मेधावी छात्र होगा।
  • सारे सम्मेलन में सन्नाटा छा गया।एक से बढ़कर एक मेधावी छात्र थे पर सब डर गए।आत्मविश्वास के अभाव में कोई भी उस परिस्थिति से लाभ नहीं ले सका।
  • उस सम्मेलन में एक विद्यार्थी ने सोचा कि यह सबसे अच्छा अवसर है।यदि सचमुच जादू हुआ तो पता चलेगा कि विद्यार्थी की शक्ति जादू की शक्ति से कमजोर है अन्यथा गणित की पहली को तो वह हल कर ही देगा।
  • वह विद्यार्थी उठा और कपड़ा उठाकर कागज पर लिखी गणित की पहेली को पढ़ा और तत्काल हल कर दी।वह विद्यार्थी एक दिन प्रसिद्ध गणितज्ञ हुआ।आत्मविश्वास हो तो क्या नहीं किया जा सकता।हमें उसे पढ़ना और समझना भी चाहिए।शुद्ध अहंभाव,आत्मशक्ति पर विश्वास करना,जिस विद्यार्थी को आ गया,उसकी सफलता को कोई नहीं रोक सकता।
  • उपर्युक्त आर्टिकल में असंभव लगने वाले कार्य कैसे करें? (How to Do Things That Seem Impossible?),असम्भव लगने वाले कार्य की क्या तकनीक है? (What is Technique of Doing Something That Seems Impossible?) के बारे में बताया गया है।

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6.गणित पुस्तक की चोरी (हास्य-व्यंग्य) (Theft of Math Book) (Humour-Satire):

  • एक छात्र:थानेदार साहब,यह देखिए मेरे बैग में से गणित की पुस्तकों को किसी ने चुरा लिया।
  • थानेदार:तो यहां क्या करने आए हो? किसी पुस्तक विक्रेता से जाकर पुस्तकें खरीद लो।

7.असंभव लगने वाले कार्य कैसे करें? (Frequently Asked Questions Related to How to Do Things That Seem Impossible?),असम्भव लगने वाले कार्य की क्या तकनीक है? (What is Technique of Doing Something That Seems Impossible?) से संबंधित अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न:

प्रश्न:1.क्या दूसरों का सहयोग नहीं लेना चाहिए? (Shouldn’t We Seek the Cooperation of Others?):

उत्तर:स्वयं ही अध्ययन की अथवा अन्य समस्याओं को हल करने का अर्थ यह नहीं है कि आप अन्य से सहयोग न लो,औरों से सीख और उचित परामर्श भी लेने का त्याग कर दें।विद्यार्थी जीवन में यह किसी प्रकार भी संभव नहीं है।इसे तो मानसिक दूराग्रह या आत्मिक दुर्बलता ही कहा जाएगा।आत्मविश्वास का अर्थ है कि हम अपने स्वाभिमान को दुर्बल न होने दें।आत्महीनता की निराशापूर्ण भावनाएँ मनुष्य को भाग्यवाद की ओर प्रेरित करती है जिससे विद्यार्थियों में अकर्मण्यता का संचार होने लगता है।आत्मविश्वास का यह अर्थ नहीं है कि विद्यार्थी भाग्यवादी बन जाए।परमात्मा की दी हुई शक्तियों को सदैव क्रियाशील रखने का नाम ही आत्मविश्वास है।

प्रश्न:2.अपने को अकेला क्यों नहीं समझना चाहिए? (Why Shouldn’t You Feel Alone?):

उत्तर:कभी भी अपने को अकेला न समझे।अपनी शक्ति और सामर्थ्य बिल्कुल छोटी है,आपका ज्ञान,शारीरिक क्षमता सब कुछ स्वल्प है ऐसा न सोचें।इससे आपमें हीनता की भावनाएं पैदा होंगी जो आपके भविष्य को अंधकारमय बना देगी।सोचिए आपके पास क्या नहीं है? आप साहसी हैं,कर्मशील हैं,पौरुष दिखाने की क्षमता है।आप स्वस्थ हैं।आप इन शक्तियों को उपयोग कीजिए,तब पता चलेगा कि आप कितने शक्तिशाली है।आपके अंदर आत्मशक्ति के रूप में भगवान विराजमान हैं फिर आप अकेले कैसे हो सकते हैं?

प्रश्न:3.क्या सफलता को अंकों से मापा जाना चाहिए? (Should Success Be Measured by Scores?):

उत्तर:यह जरूरी नहीं है की सफलता को केवल अंकों से या किसी प्रमुख शिक्षा संस्थान में प्रवेश जैसी कार्य प्रणाली से आँका जाए।इसके लिए जरूरी है कि आपकी रुचि के अनुसार चुने गए विषय या क्षेत्र में सफलता के लिए प्रयास करना और उसमें जुटे रहना।जब विद्यार्थी निस्स्वार्थ भाव से अपने मन को तल्लीन करके किसी कार्य को करता है तो वह कुछ ऐसा खोज लेता है जिसकी दुनिया कभी कल्पना भी नहीं कर सकती।हमें भी अपने जीवन में ऐसा प्रयास करना चाहिए।

  • उपर्युक्त प्रश्नों के उत्तर द्वारा असंभव लगने वाले कार्य कैसे करें? (How to Do Things That Seem Impossible?),असम्भव लगने वाले कार्य की क्या तकनीक है? (What is Technique of Doing Something That Seems Impossible?) के बारे में ओर अधिक जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
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