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Maths Student Should Do Good Company

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1.गणित का विद्यार्थी सत्संगति करे (Maths Student Should Do Good Company),कुसंगति से अपना विनाश न करें (Don’t Destroy Yourself with Maladjustment):

  • गणित का विद्यार्थी सत्संगति करे (Maths Student Should Do Good Company) क्योंकि कुसंगति से ही विनाश होता है।अच्छे गणित के विद्यार्थी अथवा निपुण विद्यार्थी का निर्माण बहुत कुछ सत्संगति पर निर्भर करता है।सत्संगति अथवा कुसंगति दोनों का विपरीत परिणाम प्राप्त होता है।यदि गणित का विद्यार्थी होशियार तथा दक्ष गणित के विद्यार्थी का संग करेंगे तो उन्हें गणित को हल करने पर लाभ ही होगा।वह भी गणित में निपुण व दक्ष होता जाएगा। यदि कुसंग करेगा तो विद्यार्थी नकल करना,चोरी करना,परीक्षा में नकल करने के तरीके तथा येन-केन डिग्री प्राप्त करने की कोशिश करेगा।
  • नकल तथा अनुचित तरीके अपनाने वाले विद्यार्थी को यश और सम्मान नहीं मिलता है।समाज और परिवार में ऐसे विद्यार्थी की पहचान उसकी संगति के आधार पर कर लेते हैं।अच्छे विद्यार्थियों की सत्संग करने पर विद्यार्थी में कठिन परिश्रम,सद्व्यवहार,ईमानदारी,गणित की समस्याओं पर मनन-चिंतन करना सीखता है।यदि अच्छे विद्यार्थी की संगत एक भी बुरे विद्यार्थी से है तो वह गलत व बुरी बातों को सीखता है।जैसे एक मछली पूरे तालाब को गंदा कर देती है।परिस्थितियों के दाब-दबाव में तथा किसी भी परिस्थिति में कुसंगति नहीं करना चाहिए।
  • अच्छे लोगों और विद्यार्थियों की संगत में रहने पर विद्यार्थी अच्छी-अच्छी बातें सीखते हैं।अच्छे विद्यार्थी की सभी प्रशंसा करते हैं लेकिन कुसंग में रहने वाले विद्यार्थी की कोई भी प्रशंसा नहीं करता है।ऐसे विद्यार्थी बेशर्म होते हैं तथा उनकी कोई इज्जत नहीं होती है।
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2.विद्यार्थी सत्संगति करें (Student Should do Good Company):

Maths Student Should Do Good Company

Maths Student Should Do Good Company

  • भतृहरि नीतिशतक में लिखा है कि:
    “जाड्यंधियो हरित सिंचति वाचि सत्यं,मान्नोनतिं दिशति पापमपाकरोति।
    चेतः प्रसादयति दिक्षु तनोति कीर्तिम,सत्संगतिः कथय किं न करोति पुसांम्।।
  • अर्थात् सत्संगति बुद्धि की जड़ता को हर लेती है वाणी को सत्य से सींचती है,मान को बढ़ाती है,पाप को हटाती है,चित्त को प्रसन्न करती है,यश को फैलाती है,कहो सत्संगति मनुष्य के लिए क्या-क्या नहीं करती?
  • विद्यार्थी का मन चंचल होता है और मन में जरा सी चंचलता व निर्बलता आने पर बुराई की लपेट में आ जाता है और चरित्र का पतन हो सकता है।गणित विद्या को सीखकर जितने ऊँचा चढ़ते हैं,जितना ज्ञान अर्जित किया है उतना ही आपको सतर्क और सजग रहने की आवश्यकता होती है।अधिक ऊंचाई पर चढ़ने पर फिसलने और गिरने का खतरा अधिक होता है।
  • हमेशा अच्छे और सच्चे मित्रों की संगति करनी चाहिए।यदि गणित में आपको कोई सवाल नहीं आता है,गणित में किसी समस्या में उलझे हुए हैं तो सच्चा मित्र अपने स्वार्थ को त्यागकर आपकी मदद करता है।गणित में आनेवाली कठिनाइयों को हल करने में अपनी पूरी शक्ति और दिमाग लगा देता है। यदि कभी कारणवश आप गणित में तथा परीक्षा में अथवा जाॅब प्राप्त करने में असफल हो जाते हैं तो सच्चा मित्र आपकी विपत्ति,कष्ट,कठिनाइयों और असफलता में न केवल साथ रहता है बल्कि आप की कठिनाइयों और असफलता के कारणों को दूर करने में मदद भी करता है।

3.कुसंगति न करें (Students Should not Misbehave):

  • विद्यार्थी का पतन सबसे अधिक कुसंगति के कारण होता है।अकेला रहना अच्छा है परंतु दुष्टों मित्रों की संगति करना अच्छा नहीं है।कुसंगति करने से बुरी संगति वाले विद्यार्थियों का संग बढ़ता जाएगा। आपके चारों ओर दुर्जन और दुष्ट विद्यार्थी इकट्ठे होते जाएंगे।आपमें सुस्त,आलसी,झगड़ालू प्रवृत्ति पैदा करेंगे क्योंकि कुसंगति का असर देर-सबेर हमेशा पड़ता ही है।यदि आप गणित के सवालों और समस्याओं को हल करने बैठेंगे तो दुर्जन व दुष्ट विद्यार्थी आपको कहेंगे इसको बाद में कर लेना,आज तो चलो मौज मस्ती करते हैं।
  • दुर्जन व दुष्ट विद्यार्थियों में कायरता,बदमाशी,बेईमानी,चोरी करना,नकल करना तथा परीक्षा में अनुचित साधनों का प्रयोग करने जैसी बुरी आदतें होती हैं।अतः वे आपको बुरी आदतों को सिखाएंगे।बुरी संगत गुम्बद की तरह होती हैं।जैसे गुंबद में उदास,उखड़े-उखड़े,निराशावादी व कष्टों के रागों को अलापते हैं,चिल्लाते हैं तो कुसंगत (गुम्बद की तरह) से टकराकर हमारे पास वापस आकर मन में वैसे ही भाव जगाते हैं।असफल विद्यार्थियों,असफल लोगों की जीवन शैली का विश्लेषण करेंगे तो आप पाएंगे कि उन्हें सत्संगति का कभी भी सौभाग्य प्राप्त ही नहीं हुआ।उन्हें अपना लक्ष्य प्राप्त करने तथा ऊपर उठने के लिए अच्छा वातावरण ही नहीं मिल सका।
  • लक्ष्य निर्धारित कर लेना ही पर्याप्त नहीं होता है बल्कि लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए जरूरी उपाय भी करने होते हैं।यह विद्यार्थी की समझ और क्षमता पर निर्भर करता है कि वह अपने लक्ष्य के अनुकूल विद्यार्थियों को तथा वातावरण को ढूंढ पाता है या नहीं।यदि वह अपनी सफलता में योगदान देने वाली सत्संगति ढूंढ लेता है तो उसको सफलता मिलती है।नीति में कहा है कि:
  • “सत्संगमवाप्नु हि त्वमसत्प्रसङ्गं त्वरया विहाय।
    धन्योपि निन्दां लभते कुसङ्गात सिन्धुबिन्दुर्विधवाललाटे।।
  • अर्थात् बुरी संगत को छोड़कर शीघ्र ही सत्संगति को ग्रहण करना चाहिए क्योंकि बुरी संगति से भला आदमी भी निन्दित होता है जैसे विधवा के मस्तक में सिंदूर का बिंदु।

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4.संगति का दृष्टांत (Parable of Fellowship):

  • निखिल व लक्ष्मीकांत दोनों मित्र थे परंतु दोनों के स्वभाव,गुण में रात दिन का अंतर था।निखिल बदमाश,अय्याश किस्म का विद्यार्थी था तो लक्ष्मीकांत भोला,सीधा-साधा तथा सरल स्वभाव का था।निखिल ने परीक्षा के लिए कोई तैयारी नहीं की थी परंतु लक्ष्मीकांत ने कड़ी मेहनत की थी। निखिल लक्ष्मीकांत की उन्नति व बुद्धि को देखकर ईर्ष्या करता था क्योंकि लक्ष्मीकांत गणित के सवालों को चुटकियों में हल कर देता था।अन्य विषयों में भी वह प्रवीण था।
  • वार्षिक परीक्षा का समय आया।निखिल ने नकल करने के लिए छोटी-छोटी पर्चियां बनाई जबकि लक्ष्मीकांत को अपनी मेहनत पर भरोसा था।उन दोनों की परीक्षा कक्ष में पास-पास ही बैठने की सीट थी।गणित के प्रश्न पत्र का दिन था।निखिल ने परीक्षा में पर्चियों से नकल कर ली।ज्योंही परीक्षक का ध्यान दूसरी तरफ गया।निखिल ने नकल करने के बहाने से लक्ष्मीकांत से उत्तर पुस्तिका मांगी। लक्ष्मीकांत ने उत्तर पुस्तिका दे दी।निखिल ने चालाकी से वे पर्चियां लक्ष्मीकांत की उत्तर पुस्तिका के अंतिम पृष्ठ में छुपा कर दे दी।
  • परीक्षक ने सभी विद्यार्थियों की उत्तर पुस्तिकाओं की जांच की।यह देखने के लिए कि किसी ने नकल तो नहीं की है।लक्ष्मीकांत की उत्तर पुस्तिका में नकल की पर्चियां पकड़ी गई।लक्ष्मीकांत ने लाख समझाने की कोशिश की परंतु परीक्षक ने उसे रंगें हाथों पकड़ लिया था।लम्मीकांत को एक साल के लिए परीक्षा से बहिष्कृत कर दिया।कबीर दास जी ने कहा है कि “कबिरा संगत साधु की हरै ओर की व्याधि।संगति बुरी असाधु की आठौ पहर उपाधि।।
  • उपर्युक्त आर्टिकल में गणित का विद्यार्थी सत्संगति करे (Maths Student Should Do Good Company),कुसंगति से अपना विनाश न करें (Don’t Destroy Yourself with Maladjustment) के बारे में बताया गया है।

5.बुरी संगति और आंखों का दान (हास्य-व्यंग्य) (Bad Company and Donation of Eyes) (Humour-Satire):

  • रवि दिल के डॉक्टर के पास गया और बोला डॉक्टर साहब जब भी मैं गणित के सवाल हल करता हूं और मेरे मित्र मेरे पास आता है तो मेरा दिल धड़कने लगता है।इसका कोई इलाज बताइए।
  • डॉक्टर:मैंने तुम्हारा अच्छी तरह चेकअप कर लिया है तुम्हारी समस्या दिल की नहीं है आंखों की है।तुम आंखों के किसी डॉक्टर के पास जाओ।
  • जब रवि आंखों के डॉक्टर के पास गया और उन्हें समस्या बताई तब आंखों के डॉक्टर ने कहा कि या तो बुरी संगत छोड़ दो या अपनी आंखों को दान कर दो इसका यही इलाज है।क्योंकि बुरी संगत करने के बजाय आँखों का दान करना ज्यादा बढ़िया है।

6.गणित का विद्यार्थी सत्संगति करे (Maths Student Should Do Good Company),कुसंगति से अपना विनाश न करें (Don’t Destroy Yourself with Maladjustment) से सम्बन्धित अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न:

प्रश्न:1.रहीम के दोहे के अनुसार तो कुसंगति का असर नहीं होता है? (According to Rahim’s Couplet There is no Effect of Miscommunity):

उत्तर:रहीम जी का दोहा है:
“जो रहीम उत्तम प्रकृति,का करि सकत कुसंग।
चन्दन विष व्याप्त नहीं लिपटे रहत भुजंग।।
अर्थात् चंदन के पेड़ से सांप लिपटे रहते हैं परंतु चंदन के वृक्ष पर कोई फर्क नहीं पड़ता है।परंतु यह उदाहरण वृक्ष का है।वृक्ष जड़ होते हैं परंतु व्यक्ति तो मनवाला है,उस पर बुरी संगत का असर पड़ सकता है।जैसे पितामह भीष्म दुर्योधन के कहने पर राजा विराट की गायों को चुराने के लिए चले गए।अच्छे चरित्र वाला भी बुरी संगत की लपेट में आ जाता है।

प्रश्न:2.विद्यार्थी को किसके साथ मित्रता नहीं करनी चाहिए? (Who Should the Student not be Friends with?):

उत्तर:विद्यार्थियों को दुर्जन,दुष्ट,बुरी नजर वाले,ईर्ष्यालु,बुरे वातावरण में रहने वाले विद्यार्थियों के साथ मित्रता कभी नहीं करनी चाहिए।क्योंकि इस प्रकार के लोगों से मित्रता करने पर वह शीघ्र नष्ट हो जाता है।

प्रश्न:3.क्या कुसंग से गुण भी अवगुण हो जाते हैं? (Do Virtues also Become Demerits by Bad Company?):

उत्तर:नीति में कहा है कि:
“वंशभवो गुणवानपिसंगविशेषण पूज्यते पुरुषः।
न ही तुम्बीफलविकलो वीणादण्डः प्रयाति महिमानम्।।”
अर्थात् कुलीन और गुणवान होने पर भी संग विशेष से ही मनुष्य का आदर होता है।देखो,तुंबीफल के बिना वीणादण्ड की कोई महिमा नहीं होती है।इसी प्रकार मीठे जल वाली नदियां समुद्र में मिलकर खारी बन जाती है।

  • उपर्युक्त प्रश्नों के उत्तर द्वारा गणित का विद्यार्थी सत्संगति करे (Maths Student Should Do Good Company),कुसंगति से अपना विनाश न करें (Don’t Destroy Yourself with Maladjustment) के बारे में ओर अधिक जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।

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गणित का विद्यार्थी सत्संगति करे
(Maths Student Should Do Good Company)

Maths Student Should Do Good Company

गणित का विद्यार्थी सत्संगति करे (Maths Student Should Do Good Company)
क्योंकि कुसंगति से ही विनाश होता है।अच्छे गणित के विद्यार्थी अथवा
निपुण विद्यार्थी का निर्माण बहुत कुछ सत्संगति पर निर्भर करता है।सत्संगति

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