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Mathematics Students Should Work Hard

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1.गणित के छात्र-छात्राएं कठिन परिश्रम करें (Mathematics Students Should Work Hard),गणित के छात्र-छात्राएं उद्यमशील बनें (Mathematics Students Become Entrepreneurs):

  • गणित के छात्र-छात्राएं कठिन परिश्रम करें (Mathematics Students Should Work Hard) तभी उन्हें गणित में सच्चे अर्थों में सफलता मिल सकती है।छात्र-छात्राओं के सामने जो भी लक्ष्य है उसे प्राप्त करना सरल कार्य नहीं है बल्कि इसके लिए उन्हें सतत कठिन परिश्रम करते रहना आवश्यक है।हालांकि सफलता प्राप्ति के लिए अनेक गुणों की आवश्यकता होती है परंतु उन मुख्य गुणों में कठिन परिश्रम का गुण भी है।कठिन परिश्रम का कोई विकल्प नहीं है।हाँ यह अवश्य है कि कठिन परिश्रम चतुर तरीके से किया जाए तो समय की बचत होती है।
  • जो विद्यार्थी परिश्रमी होगा वही अपने लक्ष्य को प्राप्त कर सकेगा।सतत सक्रिय रहने का तात्पर्य है कि निरंतर गणित तथा अन्य विषयों का अध्ययन करते रहना,अध्ययन करते हुए व्यस्त रहना और लक्ष्य पर नजर रखना।जब विद्यार्थी अपने लक्ष्य की प्राप्ति तथा विकास हेतु अपनी इन्द्रियों को वश में रखकर उनको अध्ययन कार्य में उपयोग में लेगा,अवसर को पकड़ने का प्रयास करता है,स्थिर बुद्धि से कार्य करता है तभी यह कहा जा सकता है कि वह अपनी चेतन शक्ति का उपयोग उचित दिशा में कर रहा है।इसका अर्थ यह नहीं है कि अध्ययन करने के लिए केवल कठिन परिश्रम पर्याप्त है।गणित तथा अन्य विषयों का अध्ययन करने के लिए कठोर परिश्रम,मनन-चिंतन,मन की एकाग्रता इत्यादि कई गुणों की आवश्यकता होती हैं।
  • वस्तुतः यदि गणित के पाठ्यक्रम को सही विधि से अध्ययन करें तो गणित का विद्यार्थी एक सच्चा कर्मयोगी है।गणित के विद्यार्थी को उद्यमी और पुरुषार्थी होना चाहिए।नीति में कहा है कि “उद्यमेन हि सिध्यन्ति कार्याणि न मनोरथै:।न हि सुप्तस्य सिंहस्य प्रविशन्ति मुखे मृगाः।। अर्थात् उद्यम से ही कार्य सिद्ध होते हैं।मनोरथ अर्थात् मात्र इच्छा करने से कार्य नहीं होते हैं।जंगल में शक्तिशाली सिंह को भी भूख मिटाने के लिए कठिन परिश्रम करना पड़ता है,सोए हुए सिंह के मुख में हिरण अपने आप नहीं चले आते हैं।
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2.गणित के अध्ययन को टालना उचित नहीं (It is not Advisable to Postpone Studies in Mathematics):

  • गणित के कोर्स को देरी से प्रारंभ करना,गणित के अध्यन को टालना असफलता का प्रमुख कारण है। दरअसल गणित के कोर्स को देरी से प्रारंभ करने व गणित के अध्ययन को टालने में विद्यार्थियों के अंदर इच्छाशक्ति का अभाव है।यदि वे मन में दृढ़ निश्चय कर लें तो कितना ही कठिन विषय हो कठिन परिश्रम और अभ्यास से वह सरल लगने लगता है। यदि विद्यार्थियों में अध्ययन या गणित विषय को करने के प्रति तीव्र उत्कंठा,लगन व उत्साह नहीं है तथा कठिन परिश्रम से जी चुराते हैं,आलसी हैं तो यह प्रवृत्ति उन्हें डुबो देती है।
  • कई विद्यार्थी गणित विषय को हल करने के लिए कुछ न कुछ बहाने बनाते रहते हैं।जैसे गणित विषय बहुत कठिन है,मुझे गणित के सवाल बताने वाला नहीं है,सर्दी के कारण अध्ययन नहीं कर पाते हैं इत्यादि।वस्तुत अड़चने,रुकावटें,विघ्न,बाधाएँ तो जीवन के अंग हैं,इनको पार करके ही विद्यार्थी निखरता है।
  • विद्यार्थियों को कई काम ऐसे करते हुए देखा जा सकता है जिनका अध्ययन से कोई प्रत्यक्ष संबंध नहीं है।क्रिकेट ,फुटबॉल खेलना,टीवी देखना,गाने सुनना,सोशल मीडिया पर चैटिंग करना इत्यादि। इसका अर्थ यही है कि विद्यार्थी उसी काम को करना पसंद करते हैं जिसमें उनकी रूचि होती है,जो काम करना उन्हें अच्छा लगता है।परंतु विद्याध्ययन जैसे कार्य को करना उनके भविष्य के निर्माण के लिए करना जरूरी है।विद्यार्थियों को अच्छा लगने और अच्छा कार्य होने के फर्क को समझना होगा।उचित यही है कि उनके लिए जो कार्य अच्छा है वही किया जाना चाहिए।इस प्रकार अध्ययन करना तथा गणित का अध्ययन कार्य उनके जीवन के लिए अच्छा है,सफल भविष्य निर्माण के लिए अच्छा है तो इसे करना ही चाहिए। भले आपका मन नहीं करता हो।
  • असफलताओं तथा कठिन विषयों को देखकर हौसला न खोएं।कड़ी मेहनत से कठिन कार्य सरल हो जाते हैं।
  • हम अध्ययन कार्य को जितनी निष्ठा,लगन,उत्साह और समझदारी के साथ करते है,उसी के अनुसार हमें परीक्षा में अंक प्राप्त होते हैं।समस्त विद्यार्थियों को समान पाठ्यक्रम,समान अध्यापक द्वारा पढ़ाया जाता है परंतु उनको अंक भिन्न-भिन्न प्राप्त होते हैं क्योंकि उनकी निष्ठा और बुद्धि का विकास समान नहीं होता है।

3.उद्यमशील बनों (Become Entrepreneurs):

  • किसी ने कहा है कि उद्यमशील मनुष्य के लिए सुमेरु पहाड़ की चोटी भी बहुत ऊंची नहीं है और उसके लिए रसातल भी अधिक नीचा नहीं है और वह (उद्यमी) समुद्र को भी अथाह नहीं समझता है। जो छात्र-छात्राएं कठिन परिश्रम का पाठ नहीं पढ़ते हैं उनका विनाश जल्दी हो जाता है।परिश्रम से जी चुराने वाले छात्र-छात्राओं की स्थिति घुन लगे हुए अनाज के समान हो जाती है।
  • कठिन परिश्रम द्वारा हल किए गए गणित के सवालों और समस्याओं को सावधानी के साथ व्यवस्थित करना चाहिए।गणित की अध्ययन सामग्री को मनन-चिन्तन द्वारा क्रमबद्ध करने का प्रयास करना चाहिए।किस सवाल का किस प्रकार उत्तर देना है तथा कितना देना है,कौनसे सूत्र का प्रयोग करना है,सूत्र को लिखा है अथवा नहीं,सवाल की पूरी स्टेप्स किस प्रकार लिखी जानी है इत्यादि के बारे में विचार करें।इस प्रक्रिया में प्रत्येक सवाल तथा उसके संभावित उत्तर की सूक्ष्मता की जांच ध्यान से करनी चाहिए।
  • हालांकि कई विद्यार्थी गणित की तैयारी में जी-जान लगा देते हैं परंतु कठिन परिश्रम करने के बावजूद उन्हें अपेक्षित अंक प्राप्त नहीं होते हैं।इस कारण को समझना कठिन है।परंतु उन्हें यह समझ लेना चाहिए कि जैसा कार्य होता है वैसा ही उसका परिणाम होता है।यदि कम अंक प्राप्त हुए हैं तो अपनी कमजोरी का पता लगाकर उसे दूर करना चाहिए।गणित तथा अन्य विषयों के अध्ययन करने में अथक प्रयास करने पर भी असफल हो जाते हैं तो उस असफलता से सीख लेने की आवश्यकता है।असफलता से निराश व हताश होकर उद्यम (कठिन परिश्रम) करना नहीं छोड़ना चाहिए।

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4.कठिन परिश्रम करने का दृष्टांत (A Parable of Hard Work):

  • जो विद्यार्थी कठिन परिश्रम करता है,उसके मार्ग में कठिनाइयां आती है तो उसकी सहायता करने के लिए कोई न कोई सहयोग करने के लिए तैयार रहता है।यदि आप सहयोगी है अर्थात् अन्य विद्यार्थियों का सहयोग करते हैं तो अन्य भी आपका सहयोग करेंगे।परंतु कठिन परिश्रम से घबराकर मार्ग बदलने वाला न तो सफलता प्राप्त कर सकता है और न ही कोई उसका सहयोग करता है।इसी प्रकार स्वार्थी छात्र-छात्रा का भी सहयोग करने से अन्य छात्र-छात्राएं कन्नी काटते हैं।हम यह तो चाहे कि दूसरे छात्र–छात्राएं हमारा सहयोग करें परंतु स्वयं किसी का सहयोग न करने की भावना रखें तो यह प्रवृत्ति हमारे विकास में बाधक है।
  • दो मित्र थे रवि और सुरेश।परंतु दोनों के स्वभाव में बहुत अंतर था।रवि आलसी,जल्दबाज परंतु तीव्र बुद्धि वाला था।इसके विपरीत सुरेश औसत बुद्धि का था परंतु कठिन परिश्रमी था।कक्षा 9 तक तो उत्तीर्ण होने में कोई परेशानी नहीं हुई।दसवीं कक्षा भी जैसे-तैसे करके उत्तीर्ण कर ली।सुरेश ने रवि से कहा कि गणित का स्काॅप (Scope) अच्छा है। इसलिए हमें गणित विषय ऐच्छिक विषय के रूप में लेना चाहिए।परंतु ऐसा कहा जाता है कि गणित विषय में कठिन परिश्रम करने की आवश्यकता है। रवि ने जोश में आकर कहा कि कठिन परिश्रम तो कर लेंगे,उसकी तुम बिल्कुल चिंता मत करो।दोनों ने गणित विषय का चुनाव करके ग्यारहवीं कक्षा में प्रवेश ले लिया।11वीं कक्षा में बोर्ड परीक्षा नहीं होती है अतः ग्यारहवीं कक्षा में तो दोनों को उत्तीर्ण कर दिया गया।
  • बारहवीं कक्षा का सत्रारम्भ हुआ तो माता-पिता व शिक्षकों ने सभी विद्यार्थियों को सजग और सचेत कर दिया।सुरेश ने पूरी तल्लीनता,कठिन परिश्रम से गणित तथा अन्य विषयों की तैयारी की।परंतु रवि आलसी प्रकृति का था,आराम पसन्द तथा मटरगश्ती करने वाले को कड़ी मेहनत कैसे अच्छी लगती? वह थोड़ी सी मेहनत करते ही थककर निढाल हो जाता और बिस्तर पर सो जाता।सुरेश ने उसे कई बार चेताया,पर उसके कोई फर्क नहीं पड़ा। बारहवीं बोर्ड परीक्षा हुई और परिणाम सामने आया तो दोनों भौचक्के रह गए।रवि जो तीक्ष्ण बुद्धि का था अनुत्तीर्ण हो गया और सुरेश जो औसत बुद्धि का था वह अच्छे अंको से उत्तीर्ण हो गया।
  • सुरेश ने रवि का हौसला बढ़ाते हुए कहा कि तुम दुबारा कड़ी मेहनत करो।रवि ने कहा कि मुझसे नहीं होती इतनी मेहनत।गणित विषय से होने वाले फायदे तुम्हें मुबारक हो।इसके बाद रवि ने आर्ट्स विषय ले लिया।दोनों की राहें अलग-अलग हो गई।
    सुरेश ने कड़ी मेहनत की,धीरे-धीरे गणित में पारंगत हो गया।उसने एक साल का अंतराल देकर जेईई-मेन और जेईई-एडवांस परीक्षा दी।कड़ी मेहनत,लगन,उत्साह,तीव्र उत्कंठा से वह जेईई में उत्तीर्ण हो गया।उसने आईआईटी कर ली।जबकि रवि ने जैसे-तैसे आर्ट्स विषय से बीए कर लिया।
  • सुरेश के परिजन खुश थे वहीं रवि के परिजन और कुछ लोगों के मन में ईर्ष्या पनपने लगी।सुरेश द्वारा आईआईटी करने पर अच्छा जाॅब मिल गया।एक बार वह ड्यूटी पर जा रहा था तो रवि ने कटाक्ष किया।तुम्हारे तो दर्शन ही दुर्लभ हो गए।तुम मुझ जैसे आर्ट्स विषय से उत्तीर्ण होने वाले के साथ दोस्ती क्यों निभाओगे?मैं तो बेरोजगार हूं।तुम्हारा जॉब क्या लग गया तुम तो अपने आपको बहुत बड़ा अफसर समझने लग गए।घमंड करना अच्छी बात नहीं है।
  • रवि के कटु वचन सुनकर सुरेश को ठेस लगी।ऐसा प्रतीत हुआ जैसे नंगे बदन पर कोड़े से प्रहार किया हो।परंतु सुरेश समझ गया कि यह रवि नहीं बल्कि उसके मुंह से ईर्ष्या टपक रही है।
  • इसलिए सुरेश ने धैर्य तथा प्रेमपूर्वक जवाब दिया कि मैं तो कल भी मित्र था और आज भी तुम्हारा मित्र हूँ।मुझे रत्तीभर भी घमण्ड नहीं है।क्या तुमने शांत और ठंडे दिमाग से विचार किया कि मुझसे अधिक प्रतिभावान होते हुए भी तुम तरक्की क्यों नहीं कर सके? इसलिए कि तुम कड़ी मेहनत से जी चुराते थे।तुम यदि गणित में कठिन परिश्रम करते तो तुम मुझसे अधिक कामयाब होते।इंसान धैर्य,लगन,जिज्ञासा,उत्साह,कठिन परिश्रम इत्यादि से असंभव कार्य को संभव बना सकता है।अभी भी देर नहीं हुई है।अब भी तुम कड़ी मेहनत से प्रतियोगिता परीक्षा उत्तीर्ण करके अपने सपने को साकार कर सकते हो।
  • रवि को अपनी भूल मालूम हुई।सत्य के प्रकाश से उसकी बुद्धि पर छाई हुई नासमझी की धुंध छंट गई।उसने कड़ी मेहनत करने का संकल्प लिया।
  • उपर्युक्त आर्टिकल में गणित के छात्र-छात्राएं कठिन परिश्रम करें (Mathematics Students Should Work Hard),गणित के छात्र-छात्राएं उद्यमशील बनें (Mathematics Students Become Entrepreneurs) के बारे में बताया गया है।

5.गणित सीखने के लिए दवा (हास्य-व्यंग्य) (Medicine for Learning Mathematics) (Humour-Satire):

  • नीतू:मां,आप प्रकाश को रोज यह दवा क्यों पिलाती हो।
  • मांःइसलिए कि वह गणित में कमजोर है।इस दवा के पीने से जल्दी से गणित में होशियार हो जाएगा।
  • नीतूःफिर तो यह दवा दादाजी (अनपढ़) को भी पिला दो,वे गणित में जल्दी से होशियार हो जाएंगे।

6.गणित के छात्र-छात्राएं कठिन परिश्रम करें (Frequently Asked Questions Related to Mathematics Students Should Work Hard),गणित के छात्र-छात्राएं उद्यमशील बनें (Mathematics Students Become Entrepreneurs) से संबंधित अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न:

प्रश्न:1.कठिन परिश्रम करने में सबसे बड़ी बाधा क्या है? (What is the Biggest Obstacle to Working Hard?):

उत्तर:कठिन परिश्रम करने में सबसे बड़ी बाधा आलस्य और काम को टालने की आदत है।कुछ विद्यार्थी अध्ययन कार्य को टालकर उसके लिए निश्चित किया गया समय मौज-मस्ती, घूमने-फिरने में व्यतीत कर देते हैं।हालांकि मौज-मस्ती,घूमते-फिरते समय अध्ययन कार्य की बार-बार स्मृति दिमाग में आती है और हम तनावग्रस्त हो जाते हैं।ऐसी स्थिति में न तो दिल खोलकर मौज-मस्ती कर पाते हैं और न ही अध्ययन कार्य।विद्यार्थियों के लिए सबसे प्रमुख कार्य है अध्ययन करना।इसलिए पहले अध्ययन कार्य निपटाएं फिर मौज-मस्ती वगैरह करें।

प्रश्नः2.छात्र-छात्राओं को जॉब न मिलने का क्या कारण हो सकता है? (What Could be the Reason for Students not Getting Jobs?):

उत्तरःजो छात्र-छात्राएं अपने दुर्भाग्य का रोना रोते हैं,अकर्मण्य हैं।कठिन परिश्रम का रास्ता न अपनाकर सिफारिश व घूँस का सहारा लेते हैं ऐसे छात्र-छात्राओं के लिए कंपनी के मालिक कन्नी काटते हैं अर्थात् उन्हें जॉब पर नहीं रखा जाता है। उन्हें (कम्पनी मालिक को) अपनी कंपनी के लिए कर्मठ तथा कंपनी के हित की सोच रखने वाले युवाओं की आवश्यकता होती है।संसार में कर्म की पूजा होती है।

प्रश्नः3.छात्र-छात्राएं असफल क्यों होते हैं? (Why do Students Fail?):

उत्तरःजो छात्र-छात्राएं कठिन परिश्रम नहीं करते हैं। मानसिक एकाग्रता की कमी,लक्ष्य (अध्ययन) में अटूट विश्वास न होना,अस्थिर व डगमगाता हुआ लक्ष्य रखने वाले छात्र-छात्राएं सफल नहीं होते हैं। जो गणितज्ञ और वैज्ञानिक महान् बने हैं यदि उनके जीवन का बारीकी से अवलोकन करें तो पाएंगे कि वे सफल इसलिए हुए हैं क्योंकि उन्होंने मन को एकाग्र किया है।

  • उपर्युक्त प्रश्नों के उत्तर द्वारा गणित के छात्र-छात्राएं कठिन परिश्रम करें (Mathematics Students Should Work Hard),गणित के छात्र-छात्राएं उद्यमशील बनें (Mathematics Students Become Entrepreneurs) के बारे में ओर अधिक जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।

Mathematics Students Should Work Hard

गणित के छात्र-छात्राएं कठिन परिश्रम करें
(Mathematics Students Should Work Hard)

Mathematics Students Should Work Hard

गणित के छात्र-छात्राएं कठिन परिश्रम करें (Mathematics Students Should Work Hard)
तभी उन्हें गणित में सच्चे अर्थों में सफलता मिल सकती है।छात्र-छात्राओं के सामने
जो भी लक्ष्य है उसे प्राप्त करना सरल कार्य नहीं है बल्कि इसके लिए
उन्हें सतत कठिन परिश्रम करते रहना आवश्यक है।

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