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Factors Influencing Study Habits

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1.अध्ययन की आदतों पर प्रभाव डालने वाले तत्त्व (Factors Influencing Study Habits),गणित में अध्ययन की आदतों पर प्रभाव डालने वाले तत्त्व (Factors That Affact Habits of Studying in Mathematics):

  • अध्ययन की आदतों पर प्रभाव डालने वाले तत्त्व (Factors Influencing Study Habits) सकारात्मक तथा नकारात्मक दोनों ही प्रकार के होते हैं।नकारात्मक प्रभाव डालने वाले तत्त्वों की पहचान कर ली जाए तो उनको दूर करने के प्रयास किए जा सकते हैं।शिक्षक तथा संस्थान प्रधान को विद्यार्थी के अध्ययन पर प्रभाव डालने वाले इन तत्त्वों की पहचान पहले ही कर लेनी चाहिए।
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2.अध्ययन की आदतों पर प्रभाव डालने वाले नकारात्मक तत्त्व (Negative Elements That Have an Impact on Study Habits):

  • (1.)खराब स्वास्थ्य एवं शारीरिक अकुशलता अध्ययन करने में सहायक नहीं है।कहा भी गया है कि स्वस्थ शरीर में स्वस्थ मस्तिष्क निवास करता है।
  • (2.)विद्यार्थी यदि मानसिक रूप से रोगी है अथवा घर में गृह क्लेश की वजह से उसका मानसिक संतुलन ठीक नहीं है तो यह अध्ययन पर नकारात्मक प्रभाव डालता है।
  • (3.)विद्यार्थी में किसी टाॅपिक को समझकर सवाल हल करने की आदत नहीं है तथा सवाल व सूत्रों को रटने की आदत है तो ऐसा विद्यार्थी गणित को ठीक प्रकार से हल नहीं कर सकता है।
  • (4.)कुछ विद्यार्थी सवाल को,टाॅपिक की थ्योरी को समझने में बहुत देर लगाते हैं।ऐसे विद्यार्थियों में एकाग्रता का अभाव होता है।एकाग्रता के अभाव के कारण गणित की समस्याओं को हल नहीं किया जा सकता है।
  • (5.)विद्यार्थियों की रुचि का भी अध्ययन पर प्रभाव पड़ता है।यदि विद्यार्थी की गणित में पढ़ने की रुचि नहीं है तो वह गणित के सवालों को हल करने में दिलचस्पी नहीं लेगा।
  • (6.)कुछ विद्यार्थी कुछ टॉपिक को पसंद नहीं करते हैं।जैसे संबंध एवं फलन,प्रतिलोम त्रिकोणमितीय फलन,अवकलन के अनुप्रयोग इत्यादि को हल नहीं करते हैं।ऐसे विद्यार्थियों को उच्च कक्षाओं में गणित के अध्ययन में बाधा पहुंचती है।
  • (7.)प्रेरणा का भी अध्ययन पर प्रभाव पड़ता है। माता-पिता तथा शिक्षक छात्र-छात्राओं को प्रेरित नहीं करते हैं तो अध्ययन में आगे पढ़ने की रुचि नहीं होती है।
  • (8.)गृह कार्य का भी अध्ययन पर प्रभाव पड़ता है। यदि विद्यार्थी गृहकार्य को दक्षतापूर्वक नहीं करता है तो उसकी गणित को हल करने की क्षमता पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
  • (9.)अध्ययन की आदतों पर सफलता का भी प्रभाव पड़ता है।यदि कोई बालक किसी कक्षा में असफल हो जाता है तो वह अध्ययन करने में हतोत्साहित होता है।वह उदास और अपने आपको कमतर समझने लगता है।
  • (10.)यदि विद्यार्थी विद्यालय की गतिविधियों जैसे स्काउटिंग,समाज सेवा कार्य,विद्यालय की विभिन्न प्रतियोगिता में बहुत अधिक भाग लेता है तो उसका अध्ययन बाधित होता है।
  • (11.)पाठ्यक्रम अथवा विषयवस्तु अथवा गणित के सवाल बहुत अधिक कठिन होते हैं तो भी विद्यार्थी गणित के प्रति उदासीन हो जाते हैं।विद्यार्थी की अध्ययन के प्रति रुचि हट जाती है।
  • (12.)समाज व विद्यार्थी तथा विद्यार्थी के संगी-साथीयों का भी अध्ययन पर प्रभाव पड़ता है। सामाजिक तथा घर का वातावरण अशांत है, माता-पिता में झगड़ा होता रहता है तो बालक की अध्ययन से रुचि हट जाती है।संगी-साथी भी गलत हो, मौज मस्ती को तवज्जो देने वाले हो तो ऐसे संगी-साथियों की वजह से भी बालक की अध्ययन से रुचि हट जाती है।

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3.अधययन की आदतों पर प्रभाव डालने वाले अच्छे तत्त्व (Good Elements That Have an Effect on the Habits of Study):

  • (1.)अच्छे स्वास्थ्य शारीरिक रूप से कुशल छात्र-छात्राएं पढ़ने में रुचि लेते हैं क्योंकि स्वस्थ शरीर में स्वस्थ मस्तिष्क का निवास होता है।
  • (2.)विद्यार्थी यदि मानसिक रूप से तंदुरुस्त है।घर का वातावरण शांत है।माता पिता उसके अध्ययन में सहायक हो तो ऐसे विद्यार्थी पढ़ने में अव्वल रहते हैं।ये तत्व अध्ययन में सहायक होते हैं।
  • (3.)विद्यार्थी की हर टाॅपिक को ठीक से समझकर सवाल को हल करने की आदत है तथा सवाल रटता नहीं है बल्कि अपनी बुद्धि से उनको हल करता है ऐसे विद्यार्थी गणित को ठीक प्रकार से ग्रहण करते हैं।उनके गणित में अच्छे अंक आते हैं।
  • (4.)कुछ विद्यार्थी गणित की थ्योरी को शीघ्र समझ लेते हैं और सवाल को शीघ्र हल कर लेते हैं ऐसा इसलिए होता है क्योंकि उनका मन एकाग्र होता है।वे गणित को पूरी तन्मयता तथा उसमें डूबकर उसको हल करते हैं।जब वे सवाल को हल करते हैं तो अपने आसपास के किसी भी विद्यार्थी अथवा वस्तुओं की तरफ ध्यान नहीं जाता है।
  • (5.)कुछ विद्यार्थियों की गणित में शुरू से ही स्वाभाविक रुचि होती है।जब किसी विषय में रुचि होती है तो उस विषय की जटिलताओं को हल करने में आनंद आता है।अध्ययन पर रुचि का भी प्रभाव पड़ता है।
  • (6.)विद्यार्थी जब गणित के सभी टाॅपिक को हल करना पसंद करते हैं।हल करना ही नहीं बल्कि बार-बार पुनरावृत्ति करते हैं तो गणित को हल करने में सकारात्मक प्रभाव पड़ता है।गणित पर उनकी अच्छी पकड़ हो जाती है।
  • (7.)शिक्षक,माता-पिता जब विद्यार्थियों को प्रेरित करते है।उन्हें  शाबाशी देते हैं अथवा मनोबल बढ़ाते रहते है तो छात्र-छात्राएं अध्ययन करने के लिए प्रोत्साहित होते हैं।प्रेरणा भी अध्ययन पर प्रभाव डालती है।
  • (8.)कुछ विद्यार्थी गृह कार्य को बोझ नहीं समझते हैं बल्कि उसे उत्साहपूर्वक पूरा करने की चेष्टा करते हैं।यदि गृहकार्य में कोई सवाल नहीं आता है तो वे अध्यापकों अथवा माता-पिता अथवा अपने सहपाठियों से पूछ लेते हैं।इस प्रकार गृहकार्य भी अध्ययन में उत्प्रेरक का कार्य करता है।
  • (9.)कुछ विद्यार्थियों के गणित तथा अन्य विषयों में अच्छे अंक आते हैं।वे आगे दुगुने उत्साह से पढ़ते हैं।इस प्रकार सफलता का भी अध्ययन पर प्रभाव पड़ता है।
  • (10.)विद्यार्थी स्कूल की सहायक गतिविधियों में एक-दो गतिविधियों में ही भाग लेते हैं जिससे अध्ययन में बाधा न पहुंचे।
  • (11.)कुछ विद्यार्थियों को कठिन टाॅपिक को हल करने में आनंद आता है।वे कठिन टाॅपिक व विषयवस्तु को एक अवसर की तरह देखते हैं।वे समझते हैं कि इससे उनकी प्रतिभा में निखार आएगा।
  • (12.)कुछ विद्यार्थी अपने गुण,कर्म,स्वभाव के संगी-साथियों के साथ ही रहते हैं जो पढ़ने लिखने में दिलचस्पी लेते हैं।ऐसे संगी-साथियों की वजह से उन्हें अध्ययन में सहायता ही मिलती है।
  • उपर्युक्त आर्टिकल में अध्ययन की आदतों पर प्रभाव डालने वाले तत्त्व (Factors Influencing Study Habits),गणित में अध्ययन की आदतों पर प्रभाव डालने वाले तत्त्व (Factors That Affact Habits of Studying in Mathematics) के बारे में बताया गया है।

4.गणित का आविष्कार (हास्य-व्यंग्य) (Who Invented Mathematics?) (Humour-Satire):

  • निखिल:(टीचर से) सर (sir) गणित का आविष्कार किसने किया?
  • टीचर:तुम्हारी मोटी बुद्धि से इतनी सी बात पता नहीं कर सकते हो कि गणित का आविष्कार किसने किया?तुम गणित के सवाल क्या हल कर पाओगे?
  • टीचर:(नितिन से) तुम बताओ गणित का आविष्कार किसने किया?
    नितिन:सर (sir) जरूर किसी सिरफिरे व्यक्ति ने गणित का आविष्कार किया होगा।
  • टीचर:वो कैसे?
  • नितिन:क्योंकि गणित के सवाल देखते ही सिर फिरने लगता है और चक्कर आने लगते हैं।कई बार तो बेहोश होते-होते बच जाते हैं।दिन में तारे नजर आने लगते हैं।
  • टीचर:गणित तो इंटरेस्टिंग सब्जेक्ट है।इसे रटने की जरूरत नहीं पड़ती।सूत्र में मान रखो और झट से उत्तर सामने आ जाता है।ऐसे विषय को तुम सिर घुमानेवाला और चक्कर आने वाला बता रहे हो।
  • नितिन व निखिल (दोनों एक साथ):सर (sir) आप गणित के कितने ही लाभ बताओ।इसका कितना ही गुणगान करो पर हकीकत यह है कि गणित को देखकर चक्कर आने लगते हैं और जी उल्टियां करने का करता है।
    कई गणितज्ञ आपकी तरह यही करते हैं कि गणित जगत के लिए किसी प्रकार उपयोग में न आए। ऐसे गणितज्ञ सिरफिरे और निठल्ले नहीं तो ओर क्या हो सकते हैं? ऐसे गणितज्ञों ने ही गणित का आविष्कार किया है।ऐसे गणितज्ञ अपने विद्यार्थियों को भी अनुपयोगी कार्य में लगाते रहते हैं।

5.अध्ययन की आदतों पर प्रभाव डालने वाले तत्त्व (Factors Influencing Study Habits),गणित में अध्ययन की आदतों पर प्रभाव डालने वाले तत्त्व (Factors That Affact Habits of Studying in Mathematics) के संबंध में अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न:

प्रश्न:1.अध्ययन क्रिया से क्या तात्पर्य है? (What is meant by study action?) :

उत्तर:जब भी कोई कार्य इस प्रकार किया जाता है कि जिससे किसी विषय का बोध होता है तो उसे अध्ययन क्रिया कहते हैं।यह बोध व्यक्तिगत अथवा सामूहिक रूप से हो सकता है।जैसे हम अकेले पढ़ते हैं तो व्यक्तिगत तथा कक्षा में पढ़ते हैं तो सामूहिक रूप से किसी विषय का बोध होता है। अध्ययन में बोध के साथ तथ्यों की जानकारी शामिल होती है।

प्रश्न:2.पाठ्यपुस्तक अध्ययन से क्या तात्पर्य है? (What is meant by textbook study?):

उत्तर:पुस्तक को पढ़ना,वाचन करना पाठ्यपुस्तक अध्ययन है।कुछ शिक्षक शिक्षण को पाठ्यपुस्तक से पढ़ाना समझते हैं।प्रत्येक विद्यार्थी को पुस्तक का कुछ अंश अध्ययन करने को कहते हैं।उनका समझना है कि सीखने की क्रिया से केवल इतना ही मतलब है कि जानकारी दे दी जाए।क्यों इसका अध्ययन करना है एवं कैसे इसका अध्ययन करना है इस पर वे कोई ध्यान नहीं देते हैं।ऐसे अध्यापक कहते हैं कि यदि परीक्षा पास करना है तो इस पाठ को स्मरण कर लो।

प्रश्न:3.परंपरागत शिक्षण वर्तमान शिक्षा के प्रतिकूल क्यों है? (Why is Traditional Teaching Counterproductive to Current Education?):

उत्तर:परंपरागत शिक्षण प्रतिकूल होने के कुछ कारण है निम्न हैं:
(1.)शिक्षकों द्वारा दिए गए कार्य को कर लेना ही आज की शिक्षा के लिए पर्याप्त नहीं है।
(2.)परंपरागत शिक्षण से आंतरिक प्रेरणा जागृत नहीं होती है जिसका अध्ययन व उच्च अध्ययन करने के लिए महत्वपूर्ण स्थान है।
(3.)परंपरागत शिक्षण में बालकों के मस्तिष्क में ज्ञान को ढूंसने से मतलब है उसके समझ में आ रहा है या नहीं आ रहा है।वह इसके लिए पात्र है या नहीं इसकी अनदेखी की जाती है।

उपर्युक्त प्रश्नों के उत्तर द्वारा अध्ययन की आदतों पर प्रभाव डालने वाले तत्त्व (Factors Influencing Study Habits),गणित में अध्ययन की आदतों पर प्रभाव डालने वाले तत्त्व (Factors That Affact Habits of Studying in Mathematics) के बारे में ओर अधिक जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।

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सकारात्मक तथा नकारात्मक दोनों ही प्रकार के होते हैं।नकारात्मक प्रभाव डालने वाले
तत्त्वों की पहचान कर ली जाए तो उनको दूर करने के प्रयास किए जा सकते हैं।

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