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How to Learn Basic Mathematics?

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2 (1.)बेसिक गणित की विषयवस्तु (Content of Basic Mathematics):

1.बेसिक गणित कैसे सीखें? (How to Learn Basic Mathematics?):

  • बेसिक गणित कैसे सीखें? (How to Learn Basic Mathematics?),इससे जानने व समझने के लिए बेसिक गणित में क्या-क्या संक्रियाएँ आती है,यह जानना जरुरी है।
  • सामान्यतया जोड़,बाकी, गुणा, भाग गणित की मूल संक्रियाएँ हैं।प्रारम्भिक कक्षाओं में इनका ही अभ्यास कराया जाता है।इसके बावजूद 10वीं कक्षाओं तक के छात्र-छात्राओं को ठीक से भाग, बाकी तथा गुणा करने में कठिनाई महसूस होती है।वे इन्हें करने में गलती कर बैठते हैं।
  • यदि शिक्षक,माता-पिता,अभिभावक छात्र-छात्राओं की शिक्षा पर गम्भीरतापूर्वक ध्यान दें तो वे गणित में बेसिक क्रियाओं को ठीक से हल कर पाएंगे।हालांकि अलग-अलग टाॅपिक के आधार पर बेसिक गणित की परिभाषा भी बदल जाती है।जैसे कक्षा ग्यारहवीं में त्रिकोणमितीय फलन,दो कोणों के योग और अंतर के त्रिकोणमितीय फलन,त्रिकोणमितीय समीकरण का अध्ययन करने के लिए बेसिक बातें हैं त्रिकोणमितीय सर्वसमिकाएं,त्रिकोणमितीय अनुपात,विशेष कोणों के त्रिकोणमितीय अनुपात,पूरक कोणों के त्रिकोणमितीय अनुपात इत्यादि।
  • अतः 11वीं में त्रिकोणमिति को पढ़ने के लिए दसवीं में त्रिकोणमिति की सर्वसमिकाओं,त्रिकोणमितीय अनुपात,विशेष कोणों के त्रिकोणमितीय अनुपात का ज्ञान होना चाहिए।यदि 10वीं में आपने ठीक से नहीं पढ़ा तो 11वीं में त्रिकोणमिति ठीक से समझ में नहीं आएगी।
  • अतः बच्चे को प्रारंभिक कक्षा से गणित की बेसिक बातों का ज्ञान कराना,अभ्यास कराना तथा समझाना चाहिए।क्योंकि आगे की कक्षा में पिछली कक्षा की गणित की बातें बेसिक गणित ही समझनी चाहिए।इसलिए गणित को पढ़ाने की विधि का आपको ठीक से ज्ञान होना चाहिए।माता-पिता व अभिभावक धन कमाने की धुन में इतने सलंग्न रहते हैं कि वे बच्चों की शिक्षा शिक्षा संस्थानों के भरोसे छोड़ देते हैं।उनका ख्याल यह रहता है कि बच्चों को अच्छे शिक्षा संस्थानों में दाखिला दिलवा दिया जाए तो उनका कर्तव्य पूरा हो जाएगा।
  • वस्तुतः कुछ विषयों का अध्ययन शिक्षा संस्थानों व छात्र-छात्राओं के भरोसे पर छोड़ा जा सकता है। परंतु गणित ,विज्ञान (भौतिक विज्ञान,रसायन शास्त्र) जैसे विषयों का अध्ययन करने के लिए विशेष प्रयास,रणनीति की जरूरत होती है।इसमें पहली रणनीति तो यही है कि बच्चों को प्रारंभिक कक्षाओं से ही गम्भीरतापूर्वक बेसिक गणित की जानकारी,समझ तथा अभ्यास कराया जाना चाहिए।

(1.)बेसिक गणित की विषयवस्तु (Content of Basic Mathematics):

  • बालक को किसी विशेष परिस्थिति में गणित के जिस ज्ञान की आवश्यकता होती है वही बात उस बालक को पढ़ाई जानी चाहिए।ऐसा करने से बालक रुचिपूर्वक गणित के ज्ञान को ग्रहण करता है।इस प्रकार वर्तमान आवश्यकता और बालक की रूचि,बेसिक शिक्षा में गणित की विषय वस्तु बनाने के मूल सिद्धांत है।गणित की विषयवस्तु बड़ी लचीली (Flexible) होती है।इसमें कोर्स की सूक्ष्म रूपरेखा (Outline) दी हुई होती है।अध्यापक पढ़ाते समय उस कोर्स में से आवश्यक तथा बालक की रूचि के अनुसार किसी भी विषय को चुनने में स्वतंत्र होते हैं।विषयवस्तु में सैद्धांतिक (Theoretical) और कृत्रिम (Artificial) गणित के लिए कोई स्थान नहीं होता है।इसमें विशेष बल इस बात पर दिया जाता है कि गणित का दैनिक जीवन से संबंध हो। बेसिक गणित शिक्षा को सैद्धांतिक अंकों तक ही सीमित न रखा जाए बल्कि उसका बहुत समीप सम्बन्ध उन व्यावहारिक समस्याओं से होना चाहिए जो बुनियादी कला-कौशल को सीखते समय उत्पन्न होती है।
  • इसलिए बेसिक शिक्षा में गणित की विषयवस्तु में नीरस (Dry) भिन्ने, काम और समय (Work and Time) संबंधी रूखे प्रश्न तथा निरर्थक (Meaningless) बीजगणित के गुणनखंड (Factors) आदि को तनिक भी स्थान प्राप्त नहीं है।इसमें उसी गणित को सम्मान प्राप्त है जो हस्तकला (Handicraft) में सामाजिक तथा मनोरंजन संबंधी क्रियाओं और व्यावहारिक जीवन  में आवश्यक होता है।रचनात्मक रेखागणित (Practical Geometry) पर अधिक जोर दिया जाता है जिससे यह हस्तकला तथा घरेलू कामों में डिजाइन और चित्र बनाने में सहायक हो सके। बीजगणित भी वही पढ़ाई जाती है जो अंकगणित के प्रश्नों को सरल करने में सहायक हो।
  • बेसिक शिक्षा में गणित की विषय वस्तु बनाने में प्राय: गणित को इसके व्यावहारिक कोर्स से पृथक कर दिया जाता है।विषयवस्तु में इसका सीधे तौर पर कोर्स लिख दिया जाता है;जोड़,बाकी,गुणा,भाग,दशमलव,ऐकिक नियम आदि।इसका प्रभाव यह पड़ता है कि प्राय: अध्यापक बालको को पढ़ाते समय उस कोर्स को दैनिक जीवन संबंधी समस्याओं से बड़ी कठिनाई से जोड़ पाते हैं।अतः गणित कोर्स को दैनिक जीवन संबंधित समस्याओं से जोड़ देना चाहिए।
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(2.)छात्र-छात्राओं को बेसिक गणित सिखाने का तरीका (Way of Learn Basic Mathematics to Students):

  • खाने-पीने,कपड़े,मकान बनवाने,पढ़ने-लिखने,लेन-देन के संबंध में उठने वाले हिसाब सम्बन्धी प्रसंगों में अनेक प्रकार से गणित की शिक्षा दी जा सकती है।बालकों के अभिभावकों (Guardians) की आयकर (Income Tax) के संबंध में प्रतिशत संबंधी प्रश्न कराए जा सकते हैं।डाकखानों व बैंकों में जमा करने,निकालने और उन पर ब्याज लगाने के प्रसंग में ब्याज संबंधी प्रश्न कराए जा सकते हैं।
  • शिक्षा संस्थानों में हुए उत्सव का हिसाब भी बालकों से कराया जाए।इससे लेनदेन खरीद और खर्च आदि बातों को बालक सरलता से सीख सकते हैं।
  • उपकरण जैसे ब्लैकबोर्ड,पॉइंट,ज्योमैट्रिकल सैट, चेन (Chain) ,मापने के यंत्र,ठोस ज्यामिति के मॉडल जैसे गोला (Sphere),घन (Cube),आयताकार ठोस (Rectangular Solid),त्रिपार्श्व (Prism) और शंकु (Cone) आदि भिन्न-भिन्न प्रकार के सिक्के,विभिन्न घनत्व वाले पदार्थ,तोल के विभिन्न बाँट, ग्राफ चार्ट तथा विभिन्न प्रकार के चित्र रेखाचित्र दिखाकर सूक्ष्म बातें स्पष्ट कर दी जाएँ तो उसे बालक शीघ्र समझ लेते हैं।

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(3.)बेसिक गणित कैसे पढ़ाएं? (How to teach basic mathematics?):

  • बेसिक गणित की शिक्षण पद्धति में सीधे तौर पर नियम बताकर प्रश्न निकलवाने की नहीं है बल्कि सीखते समय जो समस्या खड़ी हो उसको हल करते हुए गणित सीखना चाहिए।जैसे किसी बालक ने एक दिन में 40 मीटर सूत काता और दूसरे दिन 35 मीटर।इस समय अध्यापक को जोड़ का नियम सिखाने का अच्छा अवसर है।
  • अध्यापक को गणित की शिक्षा देते हुए भी विचार रखना चाहिए कि प्रारंभिक कक्षाओं में बालक बहुत छोटे होते हैं।अतः उनको आगमन प्रणाली (Inductive Method) में पढ़ाना चाहिए क्योंकि निगमन प्रणाली (Deductive Method) के लिए काफी तर्क और समझ की आवश्यकता होती है।
  • ऐसा करने से जीवन-सम्बन्धी वास्तविक प्रसंगों के सहारे गणित का शिक्षण हो सकेगा।कभी-कभी बेतुके और असत्य उदाहरण पुस्तकों में दिखाई देते हैं जैसे एक आदमी की उम्र 14 साल है और उसके तीन बच्चे हैं।अब यह सोचने की बात है क्या 14 साल के लड़के के 3 बच्चे हो सकते हैं ?इसी प्रकार ऐसे भी प्रश्न दिए जाते हैं जिनका उत्तर साढे बीस आदमी आता है।क्या यह संभव है कि साढे बीस आदमी हो सकते हैं?कभी-कभी ऐसे प्रश्न पूछे जाते हैं कि एक घोड़े के दाम ₹2 हैं तो 8 घोड़ों के दाम बताओ।क्या एक घोड़े का दाम ₹2 का हो सकता है?अतः ऐसे प्रश्नों को बालकों नहीं करना चाहिए जो कृत्रिम और असत्य हों।इसका बालकों पर बुरा प्रभाव पड़ता है।वे गणित को जीवन से असम्बन्धित समझकर एक अजीब और भयानक विषय समझ बैठते हैं।अध्यापक को चाहिए कि वह बालक से उन्हीं प्रश्नों को कराएं जो संख्यात्मक,वर्णनात्मक,खाने-पीने पहनने-ओढ़ने,खेल खिलौने आदि से संबंधित तथा मनोरंजक हो।इसके साथ-साथ गणित से संबंध रखने वाली सामग्री का जैसे गिनने के साधन,सिक्के, ज्योमेट्रिकल सैट,ठोस ज्यामिति की आकृतियों आदि का भी गणित पढ़ाते समय उपयोग करना चाहिए।ऐसा करने से बालकों में सहज प्रवृत्ति उत्पन्न होगी।उन्हें गणित में रस मिलेगा।वे गणित में रुचि लेने लगेंगे।उनमें शोध (Research) की प्रवृत्ति जागृत होगी और समस्याओं का हल अपने आप निकालने में समर्थ होंगे।
  • कभी-कभी अध्यापक एक गलती कर बैठते हैं कि वे बालकों को गणित सिखाते समय उनको कुछ गलती करने पर धमकाते हैं;उनको बैंचो पर खड़ा कर देते हैं और उनको पीटते हैं।इसके अतिरिक्त गणित में सूक्ष्म और अबोधगम्य सिद्धांतों को वे बालकों की उम्र और समझ का बिना विचार किए उन पर लादते हैं।इसका परिणाम यह होता है कि बालक गणित के प्रति उदासीन हो जाते हैं और इससे कोसों दूर भागते हैं।रट-रटाकर वे चाहें परीक्षा में उत्तीर्ण हो जाते हैं परंतु गणित का वास्तविक उपयोग अपने जीवन में नहीं ले पाते हैं।अतः अध्यापकों को चाहिए कि वे इन गलतियों से सावधान रहें।उनको चाहिए कि वे इस प्रकार के प्रेम का वातावरण बनाए कि बालक नि:संकोच अध्यापक से अपनी शंका का समाधान कर सके और किसी बात को अध्यापक से पूछने में झिझके नहीं।
  • गणित अध्यापक को यह बात भी ध्यान में रखनी चाहिए कि जब तक बालकों की रूचि विषय में रहे तभी तक गणित पढ़ानी चाहिए क्योंकि अनुकूल परिस्थिति और ठीक समय पर किया हुआ कार्य ही पूर्णरूप से सफल होता है ।जिस समय बालक को गणित के किसी विषय को पढ़ते-पढ़ते ऊब जाए और जब उसके पढ़ने में रुचि न रहे फिर भी अध्यापक गणित के पाठ को पढ़ाता रहे तो इसका परिणाम उस प्रकार होगा जैसा कि बर्तन के भर जाने पर ओर पानी भरने से होता है।अतः बालको की जब तक विषय में रुचि बनी रहे तभी तक उनको पढ़ाना चाहिए।
  • लड़कों में गणित के प्रश्नों को हल करने में शीघ्रता एवं शुद्धता (Speed and Accuracy) हो तथा गणित संबंधी लेखन में कहीं भी किसी तरह की भूल न होने पाए।इसके लिए गणित कार्य में अभ्यास (Drill) की आवश्यकता है।परंतु अभ्यास इस प्रकार कराना चाहिए कि बालक उसके करने से ऊबे नहीं।अभ्यास को यह अभ्यास कार्य बड़ी कुशलता द्वारा कराना चाहिए।अभ्यास कार्य करने में प्रश्न इस ढंग से बालकों के सम्मुख चुनने चाहिए कि बालक उनमें रुचि लेते रहे।अध्यापकों को किसी प्रश्न की लघु विधि (Short Cut) पर जोर नहीं देना चाहिए बल्कि उस क्रम से कराना चाहिए जिस क्रम से बालक सोचते हैं।कमजोर बालकों का भी गणित अध्यापक को ध्यान रखना चाहिए।तेज (Intelligent) और कमजोर (Weak) बालकों को यथासंभव उनकी योग्यता अनुसार पढ़ाना चाहिए। कमजोर बालकों को तेज बालकों के साथ लाने के लिए कभी-कभी अध्यापक बहुत जल्दी कर बैठते हैं।ऐसा करने से कमजोर बालक की नींव कमजोर रह जाती है जो आगे उन्नति में बाधक होती है।अशुद्ध उत्तर आने पर बालकों पर गुस्सा नहीं करना चाहिए बल्कि उनसे सही उत्तर निकलवाने की चेष्टा करनी चाहिए।

2.बेसिक गणित कैसे सीखें? (How to Learn Basic Mathematics?) के सम्बन्ध में अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न:

प्रश्न:1.बेसिक गणित क्या है? (What is basic mathematics?):

उत्तर:बेसिक गणित में गणित की मूलभूत संक्रियाएं जैसे जोड़,गुणा,भाग,बाकी को शामिल किया जाता है।ये संक्रियाएं देखने में सरल लगती है परंतु वास्तविक में यदि किसी विद्यार्थी को कोई टॉपिक समझ में नहीं आ रहा है तो ज्यादा संभावना यही है उसकी बेसिक कॉन्सेप्ट क्लियर नहीं है।

प्रश्न:2.शिक्षक को गणित पढ़ाने के लिए क्या-क्या करना चाहिए? (What do teacher to teach mathematics?):

उत्तर:गणित शिक्षक गणित को जीवन से संबंधित करके तथा वास्तविकता से जोड़कर पढ़ाना चाहिए। गणित विषय को रुचिकर,सरस बनाकर पढ़ाया जाना चाहिए जिससे छात्र छात्राओं को गणित में बोरियत महसूस न हो तथा छात्र-छात्राएं गणित को नीरस व ऊबाऊ न समझे।

प्रश्न:3.गणित का विज्ञान के क्षेत्र में क्या उपयोग है? (What is utility of mathematics in science field?):

उत्तर:गणित अंक,अक्षर तथा चिन्ह आदि सूक्ष्म संकेंतो का ऐसा विज्ञान है जिसके द्वारा दिशा, स्थान,परिमाण आदि का व्यवस्थित ढंग से ज्ञान प्राप्त किया जा सकता है।आधुनिक युग में जिस प्रगति को हम देखते हैं उसके पीछे गणित का ही हाथ है।राॅकेट युग जिसमें मानव चन्द्रमा तथा अन्य ग्रहों पर पहुंच चुका है या पहुंचने की सोच रहा है।यह गणित की ही देन है।

प्रश्न:4.प्राचीन काल में गणित का स्थान क्या था? (What is place of mathematics in ancient age?):

उत्तर:गणित विषय के सम्बन्ध में प्राचीन वेदों में लिखा है कि जिस प्रकार से मोर के सिर पर मोर पंख सुशोभित है उसी प्रकार सभी विज्ञानों में गणित सुशोभित है।

प्रश्न:5.गणित के विकास के लिए क्या क्या क्या करना चाहिए? (What should for develop of mathematics?):

उत्तर:गणित के विकास हेतु छात्रों को नवीन खोजों का ज्ञान प्राप्त करना चाहिए।यदि छात्र अपने किए गए कार्य का मूल्यांकन कर लेता है तो निश्चय ही वह विकास की ओर बढ़ रहा है।

प्रश्न:6.बालक को अध्यापक को पढ़ाते समय क्या बातें ध्यान में रखनी चाहिए? (What are keeping things in mind teacher to teach to children?):

उत्तर:बालकों को दैनिक जीवन में काम आने वाले अंकों का भली-भांति ज्ञान कराना चाहिए।
दैनिक जीवन में उठने वाले अनेक संख्या व ज्यामिति सम्बन्धी समस्याओं को शीघ्रता एवं शुद्धता से हल करने की क्षमता प्राप्त करनी चाहिए।
बालकों को किसी विषय पर स्वयं सोचने की एकाग्रचित्त (concentarte) होने की,उस पर सफल प्रयत्न (Efforts) करने तथा उसको शब्दों,संकेतों या चित्रों द्वारा सूक्ष्म में व्यक्त करने के अवसर प्रदान करना चाहिए।

उपर्युक्त प्रश्नों के उत्तर द्वारा बेसिक गणित कैसे सीखें? (How to Learn Basic Mathematics?)के बारे में ओर अधिक जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।

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इससे जानने व समझने के लिए बेसिक गणित में क्या-क्या संक्रियाएँ आती है,
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गणित की मूल संक्रियाएँ हैं।प्रारम्भिक कक्षाओं

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