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3 Tips of Mathematics Advancement

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1.गणित की उन्नति की सार्थकता (Significance of Mathematics Advancement),गणित की उन्नति की 3 टिप्स (3 Tips of Mathematics Advancement):

  • गणित की उन्नति की 3 टिप्स (3 Tips of Mathematics Advancement) से तात्पर्य है गणित के विकास से वह मानव जीवन के लिए उपयोगी है अथवा नहीं।अनेक गणितज्ञ गणित को अनुपयोगी मानने पर ही इसके सौंदर्य को अनुभव करते हैं जबकि कई गणितज्ञ गणित का मानव जीवन में उपयोगी होने पर ही इसके सौन्दर्य और महत्त्व को स्वीकार करते हैं।आर्किमिडीज तथा जीएच हार्डी का विश्वास था कि गणित में अनेक खोज करके तथा बहुत से छात्र-छात्राओं को अध्ययन कराने के बावजूद उन्होंने कोई उपयोगी कार्य नहीं किया है।
    इस प्रकार गणितज्ञों को दो वर्ग में विभाजित कर सकते हैं अनुपयोगी (शुद्ध गणित) और उपयोगी गणित।गणित में जिन खोजों और आविष्कारों का विज्ञान में उपयोग होता है उसे उपयोगी गणित कहते हैं।गणित की जिन खोजों और आविष्कारों का उपयोग विज्ञान में नहीं होता है उसे अनुपयोगी (शुद्ध गणित) कहते हैं।यह हो सकता है कि कालांतर में अनुपयोगी गणित उपयोगी गणित में परिवर्तित हो जाए।उपयोगी गणित में गणित की निम्न शाखाएँ सम्मिलित की जाती हैंः
  • Numerical Analysis,Mathematics of Engineering,Linear Programming,Optimization and Operation Research,Continuous Modelling,Mathematical Biology Bioinformatics,Information Theory,Game Theory,Probability and Statistics,Financial Mathematics,Actuarial Science,Cryptography and hence Combinatorics,Finite Geometry, Graph Theory,Computer Science.
  • अनुपयोगी गणित में गणित की निम्न शाखाएँ सम्मिलित की जाती हैंः
    Algebra,Calculus and Analysis,Geometry and Topology,Combinatorics,Logic,Number Theory,Dynamical Systems and Differential Equations,Mathematical Physics
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2.क्या इस युग में उपयोगी गणित की खोजें हो रही हैं? (Is there a Search for Useful Mathematics in this Era?):

  • वस्तुतः उपयोगी गणित को समझने की जरूरत है। आजकल के छात्र-छात्रा यही सोचते हैं कि मैं गणित की उन्नति मन लगाकर करूंगा।ऐसी खोजों का फल आज नहीं मिलेगा तो आनेवाली पीढ़ी को मिलेगा। परंतु यदि मनुष्य जाति की उन्नति की बात की जाए और आप आत्म-विश्लेषण करेंगे तो आप पाएंगे कि गणित का जितना विज्ञान में उपयोग हो रहा है वह सब भौतिक सुख प्राप्त करने का साधन बन गया है।भौतिक सुखों को भी थोड़े से ही लोग सुख का उपयोग करते देखें जा सकते हैं।पूरा मनुष्य समाज भौतिक सुखों का उपयोग नहीं कर सकता है।आज गणित का उपयोग थोड़े से लोगों के लिए है।गणित में आज जितनी खोजें हो रही है उसकी विषयवस्तु को गणित का विद्यार्थी ही समझने में असमर्थ है तो सामान्य व्यक्ति तो कैसे समझ सकता है? गणित की हो रही खोजों और मनुष्य के बीच एक बड़ी खाई पैदा हो गई है।
  • उपयोगी गणित की सार्थकता तभी है जब वह सामान्य व्यक्ति के दिन-प्रतिदिन जीवन में काम आए और साधारण मनुष्य तक पहुंच जाए।गणितज्ञों को ऐसा उपाय करना चाहिए कि गणित और सामान्य व्यक्ति के बीच जो खाई पैदा हो गई है उसे पाट सके।जिस दिन गणितज्ञ,गणित में खोज करने वाले कैंडिडेट्स यह सच्चाई को समझ जाएंगे उस दिन गणित का मर्म समझ में आ जाएगा।गणित और विज्ञान का सच्चा सुख और आनन्द तभी अनुभव हो सकेगा।

3.अनुपयोगी गणित से क्या तात्पर्य है? (What is Meant by Unusable Mathematics?):

  • जब आज की उपयोगी गणित को सामान्य गणित के छात्र-छात्राएं और साधारण मनुष्य समझने में असमर्थ है तो अनुपयोगी गणित (शुद्ध गणित) को समझना बहुत कठिन है।अनुपयोगी गणित की गवेषणाओं को सरल भाषा में समझाना कठिन है। सामान्य विद्यार्थी और जनमानस को सरल भाषा में ही समझाया जा सकता है।शुद्ध गणित एक व्यापक विषय है उसमें संख्या शास्त्र को ऊँचा स्थान प्राप्त है।शुद्ध गणित के क्षेत्र में खोज करने वाले गणितज्ञ गणित शास्त्र को एक खेल समझते हैं।
  • यह एक विचित्र बात ही है कि महान और बड़े-बड़े गणितज्ञ गणित को अनुपयोगी रखने में ही सबसे बड़ी सफलता तथा साधना समझते हैं।वे यह स्वीकार करते हैं कि गणित में सत्य और सौंदर्य का वास्तविक अनुभव तभी किया जा सकता है जब वह विचारों से संबंधित हो तथा उसका संबंध स्थूल जगत से न हो।
  • इस प्रकार देखा जाए तो शुद्ध गणित के सौंदर्य के अनुभव को सामान्य गणित का छात्र-छात्रा तथा साधारण जनसमूह कर ही नहीं सकता हैं।शुद्ध गणित का रसास्वादन गणित के कुछ प्रेमी ही अनुभव कर सकते हैं।
  • वस्तुतः दोनों दृष्टिकोण एकांगी प्रतीत होते हैं।यदि शुद्ध गणित का उपयोग विज्ञान की उन्नति और व्यावहारिक जीवन में नहीं हुआ होता तो टीवी,मोबाइल फोन,बिजली,सड़कों इत्यादि का जो उपयोग हम आज कर रहे हैं वह नहीं कर पाते।विज्ञान को व्यावहारिक बनाने में गणित का प्रमुख योगदान है।

4.गणित की उन्नति का दृष्टांत (Illustration of the Advancement of Mathematics):

  • विश्व के नागरिकों को निकट लाने में तथा समाज के उत्थान में गणित की एक उपयोगी भूमिका रही है। समाज की आर्थिक प्रगति तकनीकी ज्ञान के प्रयोग पर निर्भर है।तकनीकी का विकास गणित के बिना संभव नहीं है।अर्थ (धन) को प्राचीनकाल से ही चार पुरुषार्थों में स्थान दिया गया है।रेडियो,टेलीविजन,कंप्यूटर,फिल्में,राॅकेट,हवाई जहाज,कार,पुल,पंखे,सड़कों,पानी के जहाज,विज्ञान के उपकरणों ने न केवल मानव-मानव को बिल्कुल निकट लाने में मदद की है बल्कि उसका जीवन सुख सुविधापूर्ण बनाया है।यदि सुख-साधनों को त्याग की भावना के साथ भोग किया जाए तो गणित की उपयोगिता तथा सार्थकता सिद्ध हो जाती है।यदि सुख-सुविधाओं का उपभोग आसक्तिपूर्वक किया जाए तो वही हमारे लिए जी का जंजाल बन जाएगी।सुख-सुविधाओं को त्याग की भावना के साथ उपयोग करने के लिए मन को नियंत्रित और इन्द्रिय संयम रखना आवश्यक है।
  • गणितज्ञ देवव्रत ने गणित की खोजें करने के लिए कर्मयोग गणित इंस्टीट्यूट की स्थापना की थी। उसके कर्मयोग इंस्टीट्यूट में उस समय के युवा गणितज्ञों से भरा हुआ था।उस इंस्टीट्यूट में काम करने के लिए गणितज्ञ लालायित रहते थे।पूरे विश्व में उस इंस्टीट्यूट की प्रसिद्धि फैल चुकी थी।
  • एक बार विश्व मैथेमेटिक्स सम्मेलन हुआ उसमें ख्याति प्राप्त करने बड़े-बड़े गणितज्ञ शिरकत करने आए।गणितज्ञ देवव्रत भी उस सम्मेलन में पहुँचे। गणितज्ञ देवव्रत का वहाँ गर्मजोशी से स्वागत किया गया।सम्मेलन समाप्ति के बाद अनेक बड़े-बड़े गणितज्ञ,गणितज्ञ देवव्रत से अनेक विषयों पर चर्चा करने लगे।थोड़ी देर बाद वे गणितज्ञ,गणितज्ञ देवव्रत से बोले कि हम आपसे व्यक्तिगत बात पूछना चाहते हैं यदि आप बुरा न माने।गणितज्ञ देवव्रत ने कहा कि जरूर पूछिए।मैं उत्तर देने के लिए प्रस्तुत हूँ।वे गणितज्ञ बोले आपके इंस्टीट्यूट में काम करने वाले गणितज्ञों में फूट डालने की कोशिश की गई किसी को सफलता नहीं मिली।इसका अर्थ है कि वे युवा गणितज्ञ आपके साथ काम करके खुश हैं और आपका इंस्टीट्यूट निरंतर प्रगति की ओर अग्रसर है।इसका क्या रहस्य है।
  • प्रश्न सुनने के बाद देवव्रत मुस्कुराते हुए बोले कि इसका रहस्य यह है कि मैं गणित में किसी भी खोज का श्रेय अकेला नहीं लेता हूं बल्कि इसका श्रेय सभी को देता हूं।हमेशा उनको गणित में नई-नई खोज करने के लिए प्रेरित करता हूं।उन्हें मानव जाति के लिए गणित अधिक से अधिक काम आए इसके गुर बताता हूं।उनके साथ मिलजुल कर काम करता हूं।कभी भी अपना रौब-दाब नहीं जमाता। उनके साथ विनम्रता और सादगी के साथ पेश आता हूं।मुझे लगता है कि यही कारण है कि वे मेरे साथ काम करते हैं और प्रसन्न हैं।उनमें आपस में एक सकारात्मक होड़ लगी रहती है कि मनुष्य समाज के लिए गणित का फायदा ज्यादा से ज्यादा से कैसे मिल सकता है।सभी गणितज्ञ,गणितज्ञ देवव्रत के इंस्टीट्यूट की प्रगति का रहस्य जानकर दंग रह गए।
  • उपर्युक्त आर्टिकल में गणित की उन्नति की सार्थकता (Significance of Mathematics Advancement),गणित की उन्नति की 3 टिप्स (3 Tips of Mathematics Advancement) के बारे में बताया गया है।

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5.गणित का नशा (हास्य-व्यंग्य) (Mathematics Intoxication) (Humour-Satire):

  • बॉयफ्रेंड (गर्लफ्रेंड से):तुम कौन हो?
  • गर्लफ्रेंड (बॉयफ्रेंड से):क्या तुम अपनी गर्लफ्रेंड को ही भूल गए?लड़के तो गर्लफ्रेंड के लिए मरने को तैयार रहते हैं।
  • बॉयफ्रेंड (गर्लफ्रेंड से):मुझे गणित का इतना नशा हो गया है कि गणित के नशे में सबको भूल जाता हूँ।

6.गणित की उन्नति की सार्थकता (Significance of Mathematics Advancement),गणित की उन्नति की 3 टिप्स (3 Tips of Mathematics Advancement) से सम्बन्धित अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्नः

प्रश्नः1. युवा गणितज्ञों को क्या करना चाहिए? (What Young Mathematicians Should Do?):

उत्तरःयुवा गणितज्ञों के जीवन को सही दिशा और मार्गदर्शन की आवश्यकता है।हर युवा गणितज्ञ चाहता है कि वह अच्छा जाॅब करें और गणित को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाएं।परंतु सबसे पहले युवा गणितज्ञों को यह बताया जाए कि गणित की वास्तविक उन्नति से हमारा क्या तात्पर्य है? क्या इसका तात्पर्य यह है कि केवल सर्वोच्च आनन्द,आत्मिक संतोष प्राप्त करना है जो कि शुद्ध गणित को विकसित करने से मिलता है।या संपूर्ण मानव जाति का हित साधन करना है।

प्रश्नः2.गणित के वास्तविक उद्देश्य को कैसे जाना जा सकता है? (How the Real Purpose of Mathematics Can be Known?):

उत्तर:साधारण से साधारण गणित का छात्र-छात्रा भी आत्म-विश्लेषण करने की क्षमता रखता है।आत्म-विश्लेषण करके जाना जा सकता है कि आजकल गणित का उपयोग मानव को अधिक से अधिक सुविधाभोगी बनाने में हो रहा है।परन्तु सुख-सुविधाओं को जब तक त्याग की भावना के साथ उपयोग में नहीं लेंगे तब तक मनुष्य न तो सुख-शांति से रह सकता है और न सुख-शांति अनुभव कर सकता है।

प्रश्न:3.गणित के असली आनन्द को कैसे अनुभव कर सकते हैं? (How the Real Joy of Mathematics Can be Experienced?):

उत्तर:जिस दिन गणित की पूर्ण सच्चाई को समझ लिया जाएगा उस समय गणित की खोज का मर्म समझ में आ जाएगा।उस दिन गणितज्ञों के अंदर कर्त्तव्य पालन का भाव पैदा होगा और उनके विचारों में तथा कार्यों में अंतर नहीं होगा अर्थात् कथनी और करनी में फर्क नहीं होगा। उन्हें अपने भीतर की आत्मिक शक्ति का एहसास होगा जिसका बोध पहले नहीं हुआ था तभी गणित का असली आनंद अनुभव किया जा सकेगा।

  • उपर्युक्त प्रश्नों के उत्तर द्वारा गणित की उन्नति की सार्थकता (Significance of Mathematics Advancement),गणित की उन्नति की 3 टिप्स (3 Tips of Mathematics Advancement) के बारे में ओर अधिक जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।

गणित की उन्नति की 3 टिप्स
(3 Tips of Mathematics Advancement)

गणित की उन्नति की 3 टिप्स (3 Tips of Mathematics Advancement)
से तात्पर्य है गणित के विकास से वह मानव जीवन के लिए उपयोगी है अथवा नहीं।
अनेक गणितज्ञ गणित को अनुपयोगी मानने पर ही इसके सौंदर्य को अनुभव करते हैं

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