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How Do We Forget Bitter Things of Past?

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1.भूतकाल की कड़वी बातों को कैसे भूलें? (How Do We Forget Bitter Things of Past?),विद्यार्थी भूतकाल की कड़वाहट को कैसे भूलें? (How Can Students Forget Bitterness of Past?):

  • भूतकाल की कड़वी बातों को कैसे भूलें? (How Do We Forget Bitter Things of Past?) क्योंकि कड़वी बातों,असफलताओं,जाॅब छूटने पर उनको बार-बार याद करने से हमारे आगे प्रगति करने के रास्ते बन्द हो जाते हैं।भूतकाल की कड़वी बातों को भुलाना और पुरानी गलतियों से शिक्षा लेना ही बुद्धिमानी है।भूतकाल की कड़वी बातों को याद रखने का अर्थ है कि हमारा मन चंचल है अर्थात् मन के उच्चाटन के कारण हमारा मन बार-बार भूतकाल की बातों को याद रखता है।वर्तमान को छोड़कर,वर्तमान में अध्ययन न करके हम भूतकाल में खोए रहते हैं।भूतकाल की कड़वाहट का भूलने का तरीका है कि मन को एकाग्र रखें।मन के एकाग्रचित्त होने का अर्थ ही है कि वर्तमान में जीना और भूतकाल से पीछा छुड़ाना।
  • भूतकाल की कड़वी बातों को भुलाने और गलतियों से शिक्षा लेने पर हमें सुख और शान्ति प्राप्त होती है।मन का भटकाव खत्म होता है,मन की बैचेनी समाप्त होती है।
  • महत्त्व वर्तमान में जीने का ही है।भूतकाल के अनुभवों का मात्र इतना ही लाभ होता है कि जो सीखा गया है,उससे वर्तमान को अधिक व्यवस्थित बनाया जाए।भविष्य चिन्तन की उपयोगिता इतनी ही है कि वर्तमान की गतिविधियों को सुनियोजित किया जाए।वर्तमान के सुनियोजन न कर पाने और कुछ विशिष्ट बनने की कल्पना करते रहने वालों के हाथ से समय निकल जाता है।अन्ततः हमारे हाथ पश्चाताप की अग्नि में जलना पड़ता है जो जीवनभर हममें भटकाव पैदा कर देता है।
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2.भूतकाल के दरवाजे को बन्द रखें (Keep the Door of the Past Closed):

  • भूतकाल की कड़वी बातों को याद रखने के बजाए समझदारी इसी में है कि आप अपने अतीत के दरवाजे को बंद कर दें,उसकी कड़वाहट और दुःख को भूल जाइए।पिछली गलतियों से जो शिक्षाएं मिली हैं या जो मधुर अनुभव हुए हैं,केवल उन्हें ही याद रखें।
  • समय बड़े-बड़े घावों को भर देता है।दुःखभरे अनुभवों,निराशाओं और असफलताओं को भुला दीजिए।फिर देखिए,समय कैसे पुरानी गलतियों और दुःखों को नयी खुशियों और कामयाबियों में बदल देता है।
  • नार्वे से अमेरिका आए नट हमसन ने जितने भी कार्य किए सभी में असफल रहा।अंत में निराश होकर उसने अपने जीवन में एक पुस्तक लिख डाली।इसका नाम उसने भूख (Hunger) रखा।आपको जानकर आश्चर्य होगा कि उसे इस पुस्तक पर विश्व का सर्वश्रेष्ठ नोबेल (साहित्य) पुरस्कार मिला।वह एक धनवान और प्रसिद्ध व्यक्ति बन गया।
  • दूसरा प्रेरक उदाहरण है उस व्यक्ति का जो स्टोरकीपर बना पर असफल रहा।इंजीनियरिंग की पर असफल हो गया।शेरिफ ने उसके सर्वे करने के उपकरण बेचकर उससे कर्ज वसूल किया।वह सेना में कप्तान बनाकर निकाल दिया गया।उसने जिस युवती से प्रेम किया वह शादी से पहले मर गई और वह शोक में डूब गया।वह कानून का अध्ययन कर वकील बना,कुछ केस जीते।
  • उसने राजनीति में प्रवेश किया,चुनाव लड़ा और हार गया।एक के बाद दूसरी लगातार असफलताएं पाने वाला वह व्यक्ति अमेरिका का महानतम व्यक्ति अब्राहम लिंकन था जो एक दिन राष्ट्रपति बना।एक ऐसा राष्ट्रपति जिसके आदर्शों और जीवन से आज भी असंख्यों को प्रेरणा मिलती है।
  • अगर लिंकन ने अपनी असफलताओं के बाद भी अपना साहस नहीं छोड़ा,तो हम और आप जरा-जरा सी नाकामयाबियों से निराश होकर क्यों हौसला छोड़ें? अपनी असफलताओं से शिक्षा लीजिए,अपना सुधार और विकास करिए।ये असफलताएं ही अपने अंदर सफलता का रहस्य छिपाए हैं,उस रहस्य को जानिए-समझिए और दूने उत्साह से आगे बढ़िए।व्यक्ति को अपनी परिस्थितियों के अन्तहीन संयोग और अवसरों के प्रति पूरी तरह जागरूक रहना चाहिए।

3.असफलता से सबक लें (Learn from Failure):

  • आप जब असफलता की बात करते हैं तो असफलता आपकी ओर आकर्षित होती है।इसी प्रकार सफलता की बात करने से सफलता आती है।आप यदि निष्पक्ष रुप से सर्वेक्षण करेंगे तो पाएंगे कि अधिकांश व्यक्ति जीवन में पहली असफलता मिलने के बाद ही हौसला हार गए थे।वे अतीत से छुटकारा पाने में असमर्थ थे।
  • पहली असफलता के बाद भी उन्नति करने के लिए प्रयत्न करने वालों में ज्यादातर लोग ऐसे मिलेंगे जिन्होंने विभिन्न कार्य प्रारम्भ तो किए परन्तु उन्हें बीच में छोड़ दिया।उन्हें असफलता परिस्थितियों से नहीं वरन अपने मन में ऐसा समा गयी मनोवृत्ति के कारण मिली।उन्होंने अपनी पिछली असफलताओं के कारण यह हानिकारक मनोवृति अपना ली थी।भूतकाल के दरवाजे को बंद करने की बजाय वे मौका मिलते ही भाग कर उसी में चले जाते थे।इसी के कारण उन्हें बार-बार असफलता मिलती थी।
  • इसके विपरीत जिन लोगों ने असफलता पाने के बाद सफलता प्राप्त की,वे भविष्य के बारे में आशाजनक बातें करते थे।उन्होंने पुरानी गलतियों से ली गई शिक्षाओं को अपनाया और सारा प्रयत्न भविष्य में प्राप्त होने वाले उद्देश्य पर केंद्रित कर दिया।वे सदैव अपनी सफलता के बारे में बातें करते थे और पुरानी असफलताओं या पीड़ाओं को उन्होंने पिछले दरवाजे में बंद कर दिया था।वे भविष्य के बारे में आशा और सफलता से पूर्ण बातें करते थे।उनकी आंखों में उन्नति के शिखर पर पहुंचने की चाह भरी चमक थी।
  • स्पष्ट है कि जो लोग दूसरों के प्रति ईर्ष्या या द्वेष रखते हैं,उनको मानसिक शांति नहीं मिलती।ईर्ष्या और द्वेष उनके जीवन की मधुरता को नष्ट कर देते हैं।असफलता तो सफलता को फूटी आँख भी देखना पसंद नहीं करती।सफल व्यक्तियों से वार्तालाप करने पर आप पाएंगे कि वे सफलता पाने वाले अन्य लोगों की प्रशंसा करने के किसी भी अवसर को नहीं चूकते।उनके मन में ऐसे लोगों से कुछ नया सीखने की इच्छा रहती है,ईर्ष्या नहीं।उनका रवैया हमेशा रचनात्मक होता है।
  • इसके विपरीत असफल व्यक्ति बिना किसी कारण के सफल व्यक्ति की कटु आलोचना करने की कोशिश में रहता है।यदि उसे सफल व्यक्ति के कार्य या जॉब करने के तरीके में कोई दोष नहीं मिलता तो वह उसके जीवन के किसी क्षेत्र में आलोचना करने का विषय खोज लेता है।असफल व्यक्ति की बातचीत तथा विचारों में ईर्ष्या इतनी स्पष्ट झलकती है कि वह भूल जाता है कि मानसिक शान्ति को भौतिक सफलता या धन से नहीं खरीदा जा सकता है इसीलिए वह मानसिक रूप से अशान्त रहता है।

4.आगे बढ़ने की सही राह (The Right Path to Move Forward):

  • धन के द्वारा हम अपनी सभी आवश्यकताओं को सरलता से पूरा कर लेते हैं।इससे मानसिक शांति मिलती है इसलिए इस तथ्य में आश्चर्य की कोई बात नहीं कि अनेक धनिक व्यक्ति धन के ही नहीं मानसिक शान्ति के भी स्वामी होते हैं।लेकिन अधिकांश धनवान व्यक्तियों के मन में शांति नहीं होती।ऐसे लोगों को अपनी धन-संपत्ति की रक्षा करने और उसको बराबर बढ़ाते रहने की चिंता लगी रहती है,जिससे उनकी मानसिक शांति खत्म होकर बेचैनी बढ़ जाती है।
  • कई लोगों को जो धनवान थे सड़क पर आते हुए देखा जाता है।उन्हें मन्दी या अन्य किसी कारण से अपनी संपत्ति मामूली-सी कीमत पर बेचनी पड़ जाती है।इससे उनके मन को बहुत आघात पहुँचता है।इस आघात को सहने में उनके दर्शन और जीवन सिद्धांतों से बहुत सहायता मिलती है।गहराई से विचार करने पर इससे राहत ही मिलती है क्योंकि वह विशाल सम्पत्ति उन्हें शांति,संतोष और सच्चा सुख मिलने के बजाय अशांति,चिंता और दुःख ही पहुंचाती है।
  • यदि ऐसे व्यक्ति सफलता पाने का विज्ञान के महान नियमों और सिद्धान्तों से परिचित हैं तो उनका पालन करके वे फिर से पर्याप्त धन कमा सकते हैं परंतु उन्हें धन का प्रदर्शन नहीं करना चाहिए।ऐसा करने से वे अपना जीवन बड़े आराम से व सुख-शांति से गुजार सकते हैं।
  • इस बात का ध्यान रखना बहुत आवश्यक है कि हम जो धन कमा रहे हैं और जो कार्य कर रहे हैं,उससे हमारे अलावा दूसरों का लाभ भी हो रहा है या नहीं।अपनी गंभीर आर्थिक हानि की घटना को भूतकाल के दरवाजे में बंद कर देना चाहिए और अपने आपको सत्साहित्य पढ़ने में मग्न कर देना चाहिए। इससे मानसिक उपलब्धि और संतोष का महान लाभ मिलता है।
  • चालाकी,धोखेबाजी,भ्रष्टाचार या गलत तरीके से जोड़ी हुई धन-संपत्ति कुछ वर्षों में ही नष्ट हो जाती है।इसके साथ वह उस व्यक्ति और उसके परिवार के लिए घोर पीड़ा तथा दुःख का कारण बनती है।
  • वैसे यह बात आम व्यक्ति के दिलों-दिमाग की समझ में नहीं आती-खासकर आज के माहौल में,बिलकुल वैसे ही जैसे कि एक कक्षा में अध्यापक द्वारा ब्लैक बोर्ड पर एक नौ इंच लम्बी लाइन खींचकर यह पूछा जाना है कि क्या इसे बिना मिटाये छोटा किया जा सकता है।विद्यार्थियों को अध्यापक का सवाल अटपटा लग सकता है क्योंकि उनके हिसाब से वैसा संभव नहीं है।पर यह तो जरूरी नहीं कि एक आम सोच के बहाव में सभी बह जाएं।कोई बच्चा विशिष्ट भी होता है जो ऐसा भी कर सकता है कि उस लाइन के पास एक लंबी लाइन खींच दे।बिना मिटाए भी दूसरी लाइन को आप छोटा कर सकते हैं।क्या यह सही नहीं है कि आप अपनी गति को बढ़ाएं,धीमी गति वाले अपने-आप ही पीछे छूट जाएंगे।
  • जब व्यक्ति अपने सच्चे स्वरूप को पहचान जाता है,उसे पुरानी यादें और अपराध बोध को भूतकाल की कोठरी में डालकर दरवाजा बंद कर देना चाहिए।और यदि वह किसी के साथ किए गए पुराने अन्याय की क्षतिपूर्ति कर सके तो ओर भी बेहतर है।इससे जो मानसिक शांति और शक्ति मिलती है,वही सच्ची सफलता प्रदान करती है।
  • नौकरी छूटने का दुख मत करिए,संभव है प्रयत्न करने से आपको उससे कहीं अच्छी नौकरी मिल जाए।और इससे आपके उज्जवल भविष्य का द्वार खुल जाए।कभी ऐसा होता है कि आपका कोई दोष न होने पर भी नौकरी से निकाल दिये जाते है।
  • ऐसे अवसर पर अपने पहले वाले नियोक्ता या मालिक के प्रति कोई दुर्भावना रखने और दुःखी होने के बजाय पूरे उत्साह से बेहतर नौकरी की तलाश करनी चाहिए।पहले वाले मालिक के प्रति कोई बुरी भावना या घृणा रखने से आपको लाभ होने के बजाय हानि हो सकती है।कारण यह है कि जब आप नई नौकरी के लिए इंटरव्यू देने जाएंगे तो आपकी यह दुर्भावना किसी-न-किसी रूप में प्रकट हो जाएगी,जिससे नया मालिक आपके बारे में अच्छे विचार नहीं बनाएगा।फलस्वरूप वह आपको नई नौकरी पर नहीं रखेगा।उसकी बजाय जब आप पुराने कटु अनुभव को भूलकर बेहतर पद के लिए इंटरव्यू देंगे,तब आपका रचनात्मक दृष्टिकोण और पुराने मालिक के प्रति सहृदयता की भावना लोगों को प्रभावित करेगी।इसके फलस्वरूप नई नौकरी मिलने की संभावना बढ़ जाएगी।अतः अतीत में जो कुछ भी कड़वा अनुभव हुआ हो उसके कारण किसी के प्रति घृणा या बुरी भावनाएँ मत रखिए।उन्हें बीते समय की पिटारी में मजबूती से बन्द कर बेहतर भविष्य के लिए प्रयत्न कीजिए।

5.भूतकाल में कड़वी बातों का दृष्टान्त (An Illustration of Bitter Things in the Past):

  • दो विद्यार्थी आपस में मित्र थे।साथ-साथ अध्ययन करते थे।दोनों में गहरी मित्रता थी।एक दिन एक मित्र किसी काम से दूसरे गांव चला गया।दूसरा मित्र विद्यालय में पढ़ने चला गया।उसने गणित व अन्य विषयों के नोट्स बनाए।पहला मित्र जब वापस आया तो उसने दूसरे मित्र से पूछा कि विद्यालय में क्या पढ़ाया गया है और उसने स्वयं क्या-क्या अध्ययन कर लिया है? दूसरे मित्र ने टालमटोल कर दिया।पहले ने छानबीन की तो उसे मालूम पड़ गया।फलस्वरूप दोनों में कटुता पैदा हो गई।दोनों में ईर्ष्या व राग-द्वेष पैदा हो गया।दूसरे मित्र की मां ने जब देखा कि दोनों मित्र अलग-अलग पढ़ाई करते हैं तो उसने अपने पुत्र से उसका कारण पूछा।दूसरे मित्र ने सारी बात बता दी।
  • तब माँ ने समझाया कि भूतकाल की कड़वी बातों को भुलाकर आपस में वापस से एक साथ पढ़ाई चालू करो।आपस में राग-द्वेष रखना ठीक नहीं है।मित्रता में आपस में गलती हो जाती है।परंतु उस गलती की गाँठ बाँधकर आपस में राग-द्वेष और ईर्ष्या रखने से तुम्हारा दोनों का ही नुकसान है।
  • तुम दोनों साथ-साथ पढ़ते हो तो एक दूसरे की समस्याओं को हल करते हो।मदद व सहयोग से अध्ययन कार्य अच्छी प्रकार से होता है।तीव्र गति से विकास होता है।अतः पुरानी बातों को भूलकर आपस में एक दूसरे से प्रेम से रहो।
  • दूसरे मित्र को बात समझ में आ गई और उसने अपने मित्र से सुलह कर ली।पुरानी बातों को भुलाकर वापिस साथ-साथ अध्ययन करने लगे।
  • उपर्युक्त आर्टिकल में भूतकाल की कड़वी बातों को कैसे भूलें? (How Do We Forget Bitter Things of Past?),विद्यार्थी भूतकाल की कड़वाहट को कैसे भूलें? (How Can Students Forget Bitterness of Past?) के बारे में बताया गया है।

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6.गणित अध्यापक के वेतन में वृद्धि (हास्य-व्यंग्य) (Increase in Mathematics Teacher’s Salary) (Humour-Satire):

  • गणित शिक्षक (निदेशक से):श्रीमान पिछले तीन साल से मेरे वेतन में कोई बढ़ोतरी नहीं की गई है।
    निदेशक:मैं दूसरों की तरह पत्थर दिल नहीं हूं।जब भी तुम्हारे गणित पढ़ाने के लच्चर तरीके को देखकर नौकरी से निकालने की सोचता हूं तो तुम्हारी बीवी-बच्चों का ख्याल आ जाता है।

7.भूतकाल की कड़वी बातों को कैसे भूलें? (Frequently Asked Questions Related to How Do We Forget Bitter Things of Past?),विद्यार्थी भूतकाल की कड़वाहट को कैसे भूलें? (How Can Students Forget Bitterness of Past?) से सम्बन्धित अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न:

प्रश्न:1.यदि संबंधों में कड़वाहट आ जाए तो कैसे हल करें? (If There is Bitterness in the Relationship How to Resolve it?):

उत्तर:ऐसी स्थिति में सबसे पहले यह देखना चाहिए कि आपकी ओर से तो कोई गलती तो नहीं हो रही है।यदि ऐसा है तो उसे सुधारने का प्रयत्न करना चाहिए।आपसी समस्याओं और गलतफहमियों को मिल-बैठकर दूर करिए।अपने माता-पिता अथवा विश्वसनीय और अनुभवी व्यक्ति से सलाह लीजिए।यदि सारे प्रयत्नों के बावजूद भी संबंधों में सुधार नहीं होता तो बेहतर है आप संबंधों से मुक्त होकर अपना जीवन नए सिरे से शुरू करें।

प्रश्न:2.प्रेम में असफल होने पर क्या करें? (What to Do if You Fail in Love?):

उत्तर:यह धारणा गलत है कि जीवन में केवल एक बार प्रेम होता है,मनोवैज्ञानिक रूप से गलत है।प्रेम की लाश ढोने से बेहतर है कि आप कुछ समय बिना प्रेम के जीएं।आपमें अपना जीवन प्रसन्नता के साथ जीने का पूरा अधिकार है।असफल प्रेम या दुःखी जीवन की बीती बातों को भी भूतकाल की कोठरी में दफनाकर नया जीवन शुरू कीजिए।

प्रश्न:3.यदि अच्छे कार्य करने पर उसका मूल्यांकन नहीं किया जाए तो क्या करें? (What to Do if Good Work is Not Evaluated for Doing It?):

उत्तर:मांग से अधिक और बेहतर कार्य करना सदैव से सफल व्यक्ति,महान नेताओं और उन्नति के शिखर पर पहुंचने वाले व्यक्तियों का प्रमुख गुण रहा है।
अपने मन में सदैव उन्नति की सीढ़ी पर एक ओर कदम उठाते रहने का दृढ़ विचार रखिए,उसी के अनुसार अपने कर्म करिए।यदि आपके द्वारा किए गए अतिरिक्त और अच्छे कार्य का पुरस्कार न मिले तो धीरज नहीं खोइए।अपने मन में सदैव सफलता से भरे विचार रखिए।वर्तमान पद से प्रसन्नता न मिलने पर बिना किसी मनोमालिन्य या बुरी भावना के उसे छोड़कर ऐसा कार्य शुरू करिए,जिसमें आपकी सचमुच रुचि हो।आप कहां से प्रारंभ करते हैं यह महत्त्वपूर्ण नहीं है,महत्त्वपूर्ण है वह मंजिल जहां आप जा रहे हैं।ध्यान रखिए सफलता या महानता सबसे पहले आपके मन में जन्म लेती है।

  • उपर्युक्त प्रश्नों के उत्तर द्वारा भूतकाल की कड़वी बातों को कैसे भूलें? (How Do We Forget Bitter Things of Past?),विद्यार्थी भूतकाल की कड़वाहट को कैसे भूलें? (How Can Students Forget Bitterness of Past?) के बारे में ओर अधिक जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
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