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How to Develop Imagination in Students?

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1.छात्र-छात्राओं में कल्पना शक्ति का विकास कैसे करें? (How to Develop Imagination in Students?),गणित के छात्र-छात्राएं कल्पनाशक्ति का विकास कैसे करें? (How to Mathematics Students Develop Imagination?):

  • छात्र-छात्राओं में कल्पना शक्ति का विकास कैसे करें? (How to Develop Imagination in Students?) अथवा छात्र-छात्राएं कल्पनाशक्ति का विकास करें।क्योंकि कल्पनाशक्ति भी एक ऐसा कारक है जिसके सहारे प्रगति,उन्नति और सफलता अर्जित की जा सकती है।माता पिता,अभिभावक तथा शिक्षक बच्चों की कल्पनाशक्ति पहचान कर उनके जीवन में प्रगति और उन्नति को सही दिशा दे सकते हैं।छात्र-छात्राएं स्वयं भी अपनी कल्पनाशक्ति को पहचान कर उसको विकसित कर सकते हैं।
  • चिंतन-मनन करने का कल्पना एक ऐसा उपकरण है जिसके सहारे गणितज्ञों,वैज्ञानिकों ने नए-नए आविष्कार और नई-नई खोजें की है।परन्तु कोरी कल्पना अथवा हवाई कल्पना ही करते रहना उपयोगी नहीं हो सकता है।कल्पना और बुद्धि का तालमेल होना जरूरी है।दूसरी शर्त है कल्पना व्यावहारिक  होनी चाहिए और उसे साकार करने का प्रयत्न करना चाहिए।बुद्धि के सहयोग से तथा प्रयत्न करने से कल्पनाशक्ति का विकास किया जा सकता है।कल्पना को सही दिशा अनुभव,ज्ञान व बुद्धि से दिया जा सकता है।
  • यदि माता-पिता तथा शिक्षक छात्र-छात्राओं में उठने वाली कल्पनाएं रोक देते हैं या डांट देते हैं तो उनके मानसिक विकास में गतिरोध उत्पन्न हो जाता है।
  • बालक-बालिकाएं अपने मन के भावों को प्रकट करने से झिझकने लगते हैं और उनमें कुण्ठाएं घर करने लगती है।बालक-बालिकाओं के स्वभाव बहुत ही जिज्ञासु प्रवृत्ति के होते हैं।वे सवाल पर सवाल करने लगते हैं।वे हर बात को क्यों और कैसे के द्वारा सब कुछ जान लेने को लालायित रहते हैं।अतः उनके सवाल व प्रश्नों के उत्तर न देने तथा झिड़कने या फटकारने पर उनकी कल्पनाशक्ति का विकास नहीं किया जा सकता है।उनका व्यक्तित्त्व का निर्माण इस प्रकार डाँटने,फटकारने तथा कल्पनाशक्ति का विकास न करने पर नहीं किया जा सकता है।
  • बच्चे सोचने लगते हैं कि किसी बात के बारे में सवाल पूछना गलत है।उसके कोमल मन में कल्पनाओं का अंकुर फूटता है उसको विकसित होने से पहले ही रौंद डालते हैं।बालक-बालिकाओं के मन बहुत ही संवेदनशील होते हैं।उनको नकारात्मक उत्तर देना,डांटना-डपटना उनके कल्पनाशील मन का दमन करना है।इस प्रकार बालक-बालिकाएं मेधावी होने के बजाय पढ़ने में या गणित विषय में पिछड़ता चला जाता है।
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2.कल्पनाशक्ति की उपयोगिता (Utility of Imagination):

  • (1.)कल्पनाशक्ति वर्तमान अनुभवों की सीमा से पार करने की सामर्थ्य प्रदान करती है।
  • (2.)कल्पनाशक्ति से अप्रत्यक्ष (जो दिखाई नहीं देता है) के बारे में सोचने में समर्थ बनाती है।
  • (3.)कल्पनाएं बालक को नई-नई बातें खोजने व आविष्कार का अवसर प्रदान करती है।
  • (4.)कल्पनाशक्ति बालक को ज्ञान प्राप्त करने के लिए प्रेरित करती है जिससे उसका मानसिक विकास होता है।
  • (5.)कल्पनाशक्ति छात्र-छात्राओं की महत्वाकांक्षाओं को पूर्ण करने का अवसर प्रदान करती है।
  • (6.)कल्पना विद्यार्थियों की सृजनात्मक और रचनात्मक चिंतन करने में सहयोग करती है।
  • (7.)विद्यार्थियों को उन्नत भविष्य की कल्पना से परीक्षा की तैयारी करने की प्रेरणा मिलती है।
  • (8.)विद्यार्थियों को ज्ञानार्जन करने के लिए प्रोत्साहित करती है।हर विद्यार्थी के ज्ञान में दिन-प्रतिदिन वृद्धि होती है।जब वह पिछले ज्ञान से वर्तमान की तुलना करता है तो आगे ज्ञान प्राप्त करने के लिए प्रोत्साहित होता है।
  • (9.)विद्यार्थी किसी परीक्षा में असफल हो जाता है तो ऐसी स्थिति में विद्यार्थी सफलता के समय की अनुभूति और कल्पना करके प्रसन्न रहने में योगदान देती है।
  • (10.)किसी कार्य के अच्छे परिणाम की कल्पना से लक्ष्य को प्राप्त करने हेतु प्रेरणा मिलती है।

3.कल्पनाशक्ति को विकसित कैसे करें? (How to Develop Imagination?):

  • बालक-बालिकाएं कोई सवाल या प्रश्न पूछे तो उन्हें डाँटने या डपटने के बजाए संतोषप्रद जवाब देना चाहिए।कल्पना में अव्यावहारिक और अनावश्यक सवाल व प्रश्न भी उत्पन्न हो सकते हैं तो उन्हें प्रेमपूर्वक समझाएं तथा उनकी कल्पना को सही दिशा देने का प्रयास करें।जैसे बालक-बालिकाएं कहते हैं कि क्या मैं परीक्षा में असफल होऊंगा? तब उन्हें समझाना चाहिए कि तुम पढ़ाई करोगे तो उत्तीर्ण होंगे।रुचि व लगन से पढ़ाई किया करो।मेहनत,लगन व रुचि से परीक्षा में सफलता मिलती है।
  • बच्चों के दिमाग में कई अच्छी कल्पनाओं का जन्म होता है उन्हें समझे और उन्हें हर संभव उभारने का प्रयास करें।उनकी कल्पनाशक्ति को सही दिशा में मोड़े।
  • बच्चों को ऐसी अच्छी पुस्तकें,सत्साहित्य पढ़ने के लिए लाकर दें जिससे उनको अपनी कल्पनाओं को साकार करने की प्रेरणा मिल सके।जैसे महान् गणितज्ञों के जीवन संघर्ष की कहानी,विभिन्न वैज्ञानिकों की प्रेरक पुस्तकें जिससे बालक-बालिकाओं के मन में महान् बनने की कल्पना जागृत हो सके।
  • माता-पिता व अभिभावकों को घर का वातावरण सात्विक,स्वच्छ तथा पवित्र रखना चाहिए जिससे बच्चों को अच्छी कल्पनाएं करने और उन्हें विकसित होने का अवसर मिले।यदि माता-पिता व अभिभावक का आचरण अच्छा नहीं होगा और घर का माहौल गंदा व दूषित होगा तो बच्चों के मन में घृणित व गंदी कल्पनाएं जन्म लेंगी।
  • बालक-बालिकाओं को प्रेरक कथाएं,कहानियां,संस्मरण,जीवनियाँ या दृष्टांत सुनाने चाहिए जिससे उनके मन में अच्छी कल्पनाओं के अंकुर फूट सकें।जैसी कथाएं,कहानियां,संस्मरण इत्यादि पढ़ते व सुनते हैं उसी के अनुरूप बालक-बालिकाएं अपने मन में कल्पनाओं को विकसित करने लगते हैं।किसी महान गणितज्ञ के जीवन संघर्ष की कहानी सुनते या पढ़ते हैं तो उनके मन में स्वतः यह कल्पना जागृत होती है कि वे भी एक महान गणितज्ञ बने और अपने परिवार,समाज व देश का गौरव बढ़ाएं।
  • तात्पर्य यह है कि बालक-बालिकाओं के मन में अच्छी कल्पनाओं को जन्म देना,सही दिशा देना और कल्पनाओं को विकसित करने में माता-पिता,अभिभावकों,शिक्षकों तथा संगी-साथियों की बहुत ही महत्त्वपूर्ण भूमिका होती है।छात्र-छात्राएं अपनी कल्पनाओं के अनुसार ही जीवन को ढालने तथा अध्ययन करने का प्रयास करते हैं।अच्छी कल्पनाएं उन्हें अच्छा चिंतन-मनन करने और अच्छा व्यवहार करने के लिए प्रेरित करती है।
  • कल्पना को विकसित करने के लिए परंपरागत तरीके से कल्पना करने के बजाय विभिन्न दिशाओं में किसी एक ही तथ्य के कई तरीकों की कल्पना की जाती है।इससे मौलिक कल्पना को विकसित करने में मदद मिलती है।कल्पनाएं करने का अभ्यास करने पर कल्पना करने की परिपक्वता उत्पन्न होती है।कल्पना को मजबूत और विकसित करने के लिए कल्पना की समीक्षा भी करते रहना चाहिए।
  • छात्र-छात्राओं को गणित अथवा किसी विषय में ऐसी बातों पर भी चिंतन करने के लिए प्रेरित करना चाहिए जो कभी घटित ही नहीं हुई हो।छात्र-छात्राओं को हमेशा सतर्क (Alert),सक्रिय (active) रहना चाहिए जिससे व्यक्ति में कल्पना को विकसित करने में मदद मिलती है।उत्कृष्ट,व्यावहारिक तथा सटीक कल्पना करने के लिए बुद्धि,ज्ञान व अनुभव का सहारा लिया जाना चाहिए।
  • कल्पना को विकसित करने का एक तरीका यह भी है कि कल्पना करने के ढंग में परिवर्तन कर दें।जैसे आप दिन में किसी बात पर कल्पना करते है तो प्रातः काल नित्य कर्मों से निवृत्त होकर कल्पना करें।बैठकर कल्पना करते हैं तो टहलते हुए कल्पना करें।किसी जटिल समस्या के उपस्थित होने पर उसका समाधान ढूंढने पर दिमाग पर थोड़ा जोर डाले।इस प्रकार कल्पना करने की कार्यप्रणाली में बदलाव करके कल्पना को विकसित करने का बेहतर परिणाम प्राप्त कर सकते हैं।
  • कल्पना को विकसित करने का एक अन्य तरीका यह है कि अपनी रुचि,लगन के क्षेत्र में ही कल्पना को विकसित करें।अपना जाॅब व कार्य क्षेत्र अपने रुचि व लगन के क्षेत्र को ही चुने तथा उसके बारे में ही कल्पना करें।अपने रुचि के क्षेत्र में कल्पना करने से बेहतरीन तरीके से कल्पना विकसित होती है।छात्र-छात्राओं को अपने आप पर विश्वास रखना चाहिए तथा सकारात्मक सोच रखना चाहिए।इन तरीकों को अपनाने पर कल्पनाशक्ति को बेहतर तरीके से विकसित किया जा सकता है।

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4.कल्पनाशक्ति का दृष्टान्त (Parable of Imagination):

  • यदि हम जागरूक और सक्रिय रहें तो कल्पनाशक्ति का तत्काल उपयोग कर सकते हैं और हमारे सम्पर्क में आने वाले को चमत्कृत कर सकते हैं।सबसे मुख्य बात यह है कि कल्पनाशक्ति से हम हमारे ज्ञान को नई ऊंचाइयों पर ले जा सकते हैं।गणित तथा अन्य विषय के प्रश्नों को हल करने,कठिन समस्याओं को हल करने,नए तरीकों से प्रश्नों को हल करने,नई बातें खोजने में,कल्पनाशक्ति का उपयोग कर सकते हैं।
  • आधुनिक युग में छात्र-छात्राओं को पढ़ने-पढ़ाने का ढर्रा ऐसा हो गया है कि उनकी कल्पनाशक्ति को पंख ही नहीं लगते हैं तो उसको विकसित करने के बारे में तो सोचा ही नहीं जा सकता है।
  • न तो माता-पिता को,न अभिभावकों और शिक्षकों को इतनी फुर्सत है कि बच्चों की कल्पना को विकसित किया जाए।
    चिन्तन-मनन,सृजनात्मक चिन्तन की तरह ही कल्पनाशक्ति का महत्त्व है जिससे मस्तिष्क का विकास होता है।हमारी उन्नति,विकास,प्रगति और सफलता में कल्पनाशक्ति का अहम योगदान हो सकता है यदि इसे विकसित किया जाए।
  • एक बार गणित के विद्यार्थी ने गणित अध्यापक से पूछा कि मैं कल्पनाशक्ति को कैसे विकसित कर सकता हूं? गणित अध्यापक उस समय त्रिकोणमिति का टॉपिक समझा रहे थे।गणित अध्यापक ने बोर्ड पर त्रिकोणमिति का सवाल लिखकर पूछा की इसको कितने तरीके से हल किया जा सकता है? छात्र ने अपने मस्तिष्क पर जोर डालकर कहा कि तीन तरीके से हल किया जा सकता है।सवाल के बाएं पक्ष को लेकर दांया पक्ष सिद्ध किया जा सकता है।दूसरा तरीका है कि दाएं पक्ष को लेकर बाएं पक्ष को सिद्ध किया जा सकता है।तीसरा तरीका है कि दायाँ और बायाँ पक्ष को हल करके किसी एक समान निष्कर्ष पर पहुंच कर सवाल को सिद्ध किया जा सकता है।
  • गणित अध्यापक ने कहा कि ओर भी कोई तरीका है कि जिससे इसे हल किया जा सकता है।गणित के विद्यार्थी ने अपने दिमाग पर जोर डाला।वह कल्पना करने लगा कि इसका ओर कौनसा तरीका हो सकता है? अन्त में उसके मस्तिष्क में एक कल्पना ने जन्म लिया।उस छात्र ने कहा कि क्या सर (sir) इस सवाल के दाएं व बाएं पक्ष को पुनर्व्यवस्थित करके सिद्ध किया जा सकता है? गणित अध्यापक ने कहा कि तुमने बिल्कुल ठीक कहा है।उन्होंने कहा कि इसी प्रकार अनुभव,ज्ञान व बुद्धि के बल पर नए तरीकों के बारे में कल्पना करना,नई-नई बातों की गणित में खोजना इत्यादि से कल्पना को विकसित किया जा सकता है।
  • उपर्युक्त आर्टिकल में छात्र-छात्राओं में कल्पना शक्ति का विकास कैसे करें? (How to Develop Imagination in Students?),गणित के छात्र-छात्राएं कल्पनाशक्ति का विकास कैसे करें? (How to Mathematics Students Develop Imagination?) के बारे में बताया गया है।

5.गणित पढ़ने के लिए बहानेबाजी (हास्य-व्यंग्य) (Excuses for Reading Mathematics) (Humour-Satire):

  • मिंकू:यार तू तो गणित शिक्षक के पास गणित के सवाल पूछने के लिए जाने वाला था न।
  • बिट्टू:हां यार,लेकिन आज सुबह से गणित के सवाल हल करने के लिए बैठा हुआ हूं परन्तु सवाल हल नहीं हो रहे हैं इसलिए कल जाऊंगा।

6.छात्र-छात्राओं में कल्पना शक्ति का विकास कैसे करें? (Frequently Asked Questions Related to How to Develop Imagination in Students?),गणित के छात्र-छात्राएं कल्पनाशक्ति का विकास कैसे करें? (How to Mathematics Students Develop Imagination?) से संबंधित अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न:

प्रश्न:1.कल्पना से क्या तात्पर्य है? (What Do You Mean by Imagination?):

उत्तर:कल्पना एक चेतन और आश्चर्यजनक मानसिक प्रक्रिया है जिसमें हम अपने गत अनुभवों के आधार पर नई बातों और चीजों का निर्माण करते हैं।

प्रश्न:2.कल्पना और चिन्तन में क्या समानता है? (What Do Imagination and Thinking Have in Common?):

उत्तर:कल्पना एक ऐसी मानसिक प्रक्रिया है जिसमें पूर्व अनुभूति के आधार पर व्यक्ति कुछ नए विचारों का निर्माण करता है।इस निर्माण को सर्जनात्मक कल्पना (creative imagination) कहा जाता है और जब व्यक्ति किसी ऐसे विचार को सामने प्रस्तुत करता है जिसे वह वास्तव में दूसरे व्यक्तियों से प्राप्त किए होता है तो इस तरह की कल्पना को अनुकूल कल्पना कहा (imitative imagination) कहा जाता है।
चिन्तन भी एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें व्यक्ति अपने गत अनुभवों का सहारा लेता है और इस बिन्दु पर चिन्तन (Thinking) और कल्पना (imagination) दोनों की ही प्रक्रिया समान है।

प्रश्न:3.चिन्तन और कल्पना में क्या अंतर है? (What is the Difference Between Imagination and Thought?):

उत्तर:चिन्तन की प्रक्रिया लक्ष्य केन्द्रित (goal-directed) होता है।जब हमारे सामने कोई समस्या आती है तो हम उसके समाधान के लिए प्रयत्नशील हो जाते हैं और चिंतन करना शुरू कर देते हैं।चिन्तन के समय सारा प्रयास (effort) एक निश्चित लक्ष्य यानी उस समस्या के समाधान की ओर होता है।कल्पना में ऐसी बातें नहीं होती है। कल्पना करते समय हमारे सामने कोई निश्चित या अनिश्चित समस्या नहीं होती है।फलस्वरूप हमारा प्रयास किसी खास समस्या की ओर नहीं होता है।चिंतन में तर्क होता है परन्तु कल्पना में सही अर्थ में कोई तर्क नहीं होता है।

  • उपर्युक्त प्रश्नों के उत्तर द्वारा छात्र-छात्राओं में कल्पना शक्ति का विकास कैसे करें? (How to Develop Imagination in Students?),गणित के छात्र-छात्राएं कल्पनाशक्ति का विकास कैसे करें? (How to Mathematics Students Develop Imagination?) के बारे में ओर अधिक जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।

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अथवा छात्र-छात्राएं कल्पनाशक्ति का विकास करें।क्योंकि कल्पनाशक्ति भी एक ऐसा कारक है
जिसके सहारे प्रगति,उन्नति और सफलता अर्जित की जा सकती है।

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