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6 Strategies to Develop Leadership

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1.नेतृत्व को विकसित करने की 6 रणनीति (6 Strategies to Develop Leadership),प्रभावी नेतृत्व के लिए टीम-वर्क की भूमिका (The Role of Team-work for Effective Leadership):

  • नेतृत्व को विकसित करने की 6 रणनीति (6 Strategies to Develop Leadership) के आधार पर आप अपने व्यक्तित्त्व को प्रभावी और आकर्षक बना सकते हैं।जॉब करने,कंपनी में कार्य करने अथवा विभिन्न संगठनों,संस्थानों,विभागों,कार्यालयों आदि में कहीं ना कहीं आपको छोटे अथवा बड़े समूह का नेतृत्व करने की आवश्यकता पड़ती है।यदि आपमें नेतृत्व के गुण हों तो आप समूह से बेहतरीन तरीके से काम करा सकते हैं अन्यथा टीम के सदस्यों,संगठन के सदस्यों में सिर-फुटौव्वल की स्थिति पैदा हो जाती है।
    नेतृत्व क्षमता के अभाव में समूह अपने लक्ष्य से भटक जाता है और समूह व संगठन में बिखराव पैदा हो जाता है जिससे उत्पादकता,कार्य के परिणाम पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
  • नेतृत्व के बारे में इससे पूर्व भी कई लेख लिखे जा चुके हैं।उनसे भी आपको मदद मिलेगी।परंतु नेतृत्व का क्षेत्र इतना व्यापक है और नेता में इतने गुणों की आवश्यकता होती है कि किसी एक लेख में सभी बिंदुओं को समाहित नहीं किया जा सकता है।इस लेख में कुछ अतिरिक्त सामग्री प्रस्तुत है।
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2.नेता बने परंतु तानाशाह न बनें (Be a Leader But Don’t Be a Dictator):

  • नेतृत्वकर्त्ता का व्यक्तित्त्व बहुमूल्य व बहुआयामी होता है।कई गुणों का स्वामी होने के बावजूद उसमें अहंकार नाम की कोई चीज नहीं होती,उसमें अपनापन,सहृदयता व संवेदना मुख्य रूप से होती है।ऐसा व्यक्ति अपने समूह का राजा होता है,भले ही वह राजगद्दी पर या किसी विशेष पद पर सुशोभित ना हो,लेकिन वह लोगों के अंतर्मन पर राज करता है।
  • उसकी व्यवहार कुशलता,न्याय कुशलता की लोग सराहना करते हैं और उसकी वाणी सुनने के लिए व्याकुल होते हैं।उसके द्वारा दिए गए निर्देशों का पालन करने के लिए कटिबद्ध होते हैं और प्राणपण से उसे पूरा करते हैं।किसी तरह का भेदभाव वह किसी से नहीं करता।वह समूह के बड़े व छोटे सदस्यों को समान महत्त्व देता है व उनकी समस्याओं को सुनकर उन्हें दूर करने का प्रयास करता है।
  • नेतृत्वकर्त्ता के अंदर सबसे बड़ी खासियत होती है कि वह समूह के अंदर सहयोग-भावना विकसित कर बड़े-बड़े कार्यो को संपन्न करा देता है।
  • उपर्युक्त आदर्श स्थिति है।वस्तुतः अधिकांश नेता समूह के सदस्यों,कर्मचारियों तथा अपने अधीनस्थ लोगों पर आदेश थोपते हैं।आदेश की पालना न करने पर उन्हें दंडित,अपमानित करते हैं अथवा समूह,कार्यालय,संस्थान या कंपनी से बाहर निकाल देते हैं।इससे समूह,कार्यालय,संस्थान या कंपनी की प्रतिष्ठा तो गिरती ही है साथ ही नेतृत्व करने वाले व्यक्ति की भी नकारात्मक छवि बनती है।
  • ऐसी स्थिति में समूह,कंपनी,संस्थान या विभाग जिस गति से प्रगति कर सकता था उसमें रुकावट आ जाती है।अधीनस्थ कर्मचारी या समूह के सदस्य बेमन से नेतृत्वकर्त्ता के आदेशों की पालना करते हैं।
  • होना तो यह चाहिए कि नेतृत्वकर्त्ता होने के नाते लोगों को निर्देश देने का आपका अधिकार है।बाॅस या अधिकारी अथवा लीडर होने के नाते आपको उन्हें बताना होगा कि वे क्या करें और कैसे करें।पर आपको इस अधिकार का सही ढंग से प्रयोग करना आना चाहिए।आप स्वयं अपने लिए क्या पसंद करेंगे:आपको कोई काम करने के लिए आदेश दिया जाए या साधारण ढंग से आपसे कहा जाए।अच्छा नेता कभी आदेश नहीं देता,वह अपने लोगों को सामान्य ढंग से काम करने के लिए कहता है और वे सहर्ष उसे सहयोग देते हैं।

3.टीम में सामंजस्य बैठाएं (Harmonize the Team):

  • यह बात सच है कि टीम-वर्क से किसी भी कार्य को करना बहुत आसान हो जाता है।विकट परिस्थितियों में भी समूह-भावना से किया गया कार्य सफलता को निर्धारित व निश्चित करता है।टीम-वर्क के माध्यम से प्राप्त की गई सफलता किसी एक व्यक्ति की नहीं,बल्कि पूरे समूह के सदस्यों की होती है।उस सफलता की खुशी में कोई एक व्यक्ति भागीदारी नहीं करता,बल्कि समूह के सभी लोग उसमें सहभागी होते हैं और इससे उनकी खुशी भी कई गुना बढ़ जाती है।
  • टीम-वर्क में सबसे जरूरी है:पारस्परिक संबंध व गहरा विश्वास।ऐसे में सदस्यों के बीच भरोसा इतना मजबूत होना चाहिए कि वे किसी भी कार्य को करने के लिए जरूरी बातें,कार्य-योजनाएं या नई बातों को आपस में साझा करें और जरूरी बातों को तब तक किसी से न छिपाएँ,जब तक उससे टीम सदस्यों का अहित न होता हो।
  • टीम भावना,आपसी संबंध,समन्वय पैदा करना एक श्रेष्ठ लीडर का लक्षण है।लीडर में श्रेष्ठ गुण हों तथा वह अहंकाररहित,विनम्र,दूरदर्शी हो तो समूह के सभी सदस्यों को साथ लेकर चलता है।
  • एक अकेला व्यक्ति किसी काम को किसी भी तरीके से,चाहे जैसे कर सकता है परंतु अकेले व्यक्ति की शक्ति सीमित होती है।अतः बड़े-बड़े कार्यों,संगठन के कार्यों को करने के लिए टीम की आवश्यकता होती ही है।टीम में विभिन्न विचारधाराओं तथा महत्त्वाकांक्षी व्यक्ति होते हैं जो टीम के कार्य पर नकारात्मक प्रभाव डालते हैं।ऐसी स्थिति में नेतृत्वकर्त्ता समझबूझ,सूझबूझ,तालमेल तथा अपने व्यक्तित्त्व के द्वारा उनको आगे बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित करता है।उनमें व्यक्तिगत अहंकार को त्यागकर टीम के लिए कार्य करने की ऊर्जा भरता है।
  • एक कुशल नेतृत्वकर्त्ता लक्ष्य प्राप्ति में सही मार्गदर्शन करता है,लक्ष्य का निर्धारण करता है,सही निर्णय लेता है और लक्ष्य तक पहुंचने के लिए कार्ययोजना का निर्धारण कर उसका क्रियान्वयन सुनिश्चित करता है।
  • यदि टीम में कुशल-अकुशल व्यक्ति हैं तो उनके प्रशिक्षण व अभ्यास की,कार्य शुरू करने से पूर्व व्यवस्था करता है।समूह के सदस्यों में आपस में मनमुटाव या लड़ाई-झगड़ा हो जाता है तो अपने कौशल से उनको निपटाता है।

4.टीमवर्क में अड़चनें (Barriers to Teamwork):

  • टीम-वर्क में कार्य करते समय विभिन्न प्रकार की विचारधाराओं वाले व्यक्ति एकजुट होते हैं,ऐसे में उनके बीच मतभेद होना स्वाभाविक है।ऐसी परिस्थिति में यह जरूरी है कि समूह के सदस्यों के कार्य आपसी गुटबंदी या निजी स्वार्थ में न उलझकर लक्ष्य प्राप्ति की दिशा में ही आगे बढ़ें।एक-दूसरे की क्षमताओं,विचारों और क्रियाओं के प्रति आदरभाव रखकर ही आपस में होने वाले टकराव को कम किया जा सकता है।एक कुशल टीम लीडर समुदाय के सभी सदस्यों की उपयोगिता को न केवल समझता है,बल्कि खास प्रयासों के लिए प्रोत्साहनात्मक कदम भी उठाता है।
  • नेतृत्वकर्त्ता हो या टीम के सदस्य,सभी पर नकारात्मक विचार शक्तियों का प्रभाव हो सकता है या भ्रमवश एक-दूसरे पर शक,संदेह व अविश्वास हो सकता है।ऐसे में कार्यस्थल का वातावरण स्वस्थ व सकारात्मक बनाने के लिए जरूरी कदम उठाना जरूरी है,जैस:टीम के सदस्यों की बोरियत दूर करने के लिए उन्हें घूमने ले जाना,छोटे-छोटे लोगों के माध्यम से टीम-सदस्यों के बीच होने वाली गलतफहमियों को दूर करने का प्रयास करना,विपरीत मानसिकता वाले व्यक्तियों को एक साथ कार्य करने के लिए महत्त्वपूर्ण कार्य सौंपना,टीम के सदस्यों को पुरस्कृत करना,सहभोज करना,किसी विशेष अवसर पर फंक्शन आयोजित करना,एक साथ मिलकर राष्ट्रीय पर्व को मनाना,किसी विशिष्ट व्यक्ति को सभी मिलकर श्रद्धांजलि अर्पित करना आदि ऐसे बहुत से कार्य हैं,जिनमें सहभागिता व सहयोग की आवश्यकता पड़ती है,एक-दूसरे को समझने और समझाने का अवसर मिलता है और इन सबके माध्यम से टीम-सदस्यों की कार्यशैली में भी रचनात्मकता और ताजगी को बढ़ावा मिलता है।
  • इसके साथ ही समूह के सदस्यों को आपस में निंदा,ईर्ष्या-द्वेष,लोभ,अहंकार आदि से बचाने के लिए समय-समय पर सामूहिक परामर्श,समस्या समाधान व किसी विषय पर विशेष उद्बोधन का क्रम रखना चाहिए,जिससे समूह के सदस्य जीवन की नई विचारधाराओं व नए आयामों से परिचित हो सकें और अपनी आदतों व व्यवहार में परिवर्तन ला सकें।
  • नेतृत्वकर्त्ता का एक कार्य है कि वह टीम सदस्यों के बीच सामंजस्य बैठाए और सभी सदस्यों को उनकी क्षमतानुसार कार्य सौंपे।सारे कार्य एक व्यक्ति को देना,दूसरों को उसमें शामिल न करना या कार्य सौंपने के बाद उसे पूरा करने के लिए जरूरी अधिकार न देना आदि चीजें कार्य को पूरा करने में बाधित बनती हैं।

5.टीम-वर्क से फायदा (Benefit from Teamwork):

  • टीम-वर्क से कार्य करने का एक फायदा यह है कि इसके द्वारा कोई भी कार्य समय पर पूरा हो जाता है।जब कई लोग किसी एक समस्या का समाधान ढूंढने की कोशिश करते हैं तो बेहतर विचार सामने आते हैं।इनमें सबसे बढ़िया विचार के आधार पर योजना बनाकर उसे अंजाम दिया जा सकता है।टीम के रूप में कार्य करते वक्त इसके सदस्य एक-दूसरे की मदद करते हैं; क्योंकि तब उनका लक्ष्य होता है:दिए गए कार्य-लक्ष्य को पूरा करना।ऐसा करने से कार्यस्थल पर सकारात्मक माहौल बनता है।इस तरह कार्य करने से टीम का हर सदस्य जिम्मेदार बनता है; क्योंकि हर सदस्य की जिम्मेदारी अपने-अपने कार्य के प्रति होती है।
  • जब टीम-वर्क में टीम के सदस्य कार्य करते हैं तो वे कई नई चीजें एक-दूसरे के सहयोग से सीखते हैं।इस दौरान उन्हें ऐसी बातें सीखने को मिलती हैं,जो उनके निजी जीवन और कैरियर में काम आती हैं,जैसे आपसी संवाद का महत्त्व,निर्णय क्षमता और योजना को अंजाम देने की प्रक्रिया।अक्सर टीम-वर्क में कार्य करने का अपना ही आनंद होता है।काम करते समय आपसी व्यवहार में बोरियत भी नहीं होती।ऐसे में हर व्यक्ति अपनी अहमियत समझता है और पूरी टीम के सामने उसे अपने ज्ञान और हुनर को पहचान दिलाने का मौका मिलता है।
  • टीम के अंतर्गत किसी कार्य को करने से आने वाली बड़ी-बड़ी समस्याएं व बड़ी चुनौतियां भी छोटी हो जाती है और आसानी से सुलझ जाती हैं।इस पद्धति से कार्य करने पर गलतियां होने की संभावनाएं कम होती हैं; क्योंकि एक व्यक्ति का कार्य दूसरे से जुड़ा होता है,इसलिए प्रत्येक स्तर पर किए गए कार्य की जांच होती है।इस तरह अच्छा टीम-वर्क किसी भी समूह संगठन को कम समय में बेहतर परिणाम देता है और टीम सदस्यों को निखारता है।
  • इस तरह टीमवर्क होता है:कुशल नेतृत्वकर्त्ता और टीम सदस्यों के मध्य पारस्परिक सामंजस्य व कार्य-योजना के अंतर्गत कार्य करने से।इस प्रक्रिया में कई नई बातें टीम के सदस्यों व नेतृत्वकर्त्ता को सीखने को मिलती है।टीम के सदस्यों के सामने आने वाली हर नई चुनौती उन्हें कुछ सिखाकर जाती है और मिलने वाली सफलता या असफलता अनुभव का पुरस्कार देकर जाती है,जो कि उनके लिए बहुमूल्य उपहार की तरह होता है।यदि टीम के सदस्यों में समर्पण व सेवाभाव हो तो वे कई नई तकनीकें व कार्यशैली टीम-वर्क के दौरान सीख लेते हैं।इस तरह टीम-वर्क किसी भी कठिन कार्य को सहजता से करने की एक प्रक्रिया है,जिसमें समूह के सभी सदस्यों का सहयोग होना जरूरी है।
  • कुशल टीम-वर्क के सिद्धांत मात्र समूह पर ही नहीं लागू होते,वरन हर व्यक्ति के ऊपर समान रूप से प्रभावी होते हैं।यदि इन्हीं सिद्धांतों को हम अपने जीवन में धारण करें,जैसे:अपने व्यक्तित्त्व में सामंजस्य स्थापित करना,दूसरों के साथ सहयोग की भावना से कार्य करना इत्यादि तो हम स्वतः ही एक कुशल नेतृत्वकर्त्ता के रूप में विकसित हो सकते हैं।यह आवश्यक नहीं की हर व्यक्ति को नेतृत्व करने के लिए किसी समूह की ही जरूरत पड़े,यदि हम अपने जीवन को भी सही दिशा दे पाएँ तो हम अनेकों के लिए एक मील का पत्थर सिद्ध हो सकते हैं।

6.नेतृत्व को विकसित करने की समीक्षा (Leadership Developed Review):

  • किसी भी कंपनी,संस्थान,संगठन आदि में संबंधित कार्य करना एक अकेले टीम लीडर पर ही निर्भर नहीं करता है बल्कि टीम के सदस्य भी समर्पित,चरित्रवान,जुझारू होने चाहिए।यदि लीडर सक्षम हो परंतु टीम के सदस्य एक-दूसरे की टांग खींचने वाले हों तो समूह अपेक्षित प्रगति से कार्य नहीं कर सकता है।
  • इसी प्रकार यदि समूह के सदस्य नेक,कठिन परिश्रमी,उत्साहित हों परंतु लीडर अहंकारी,दुष्प्रवृत्ति वाला,टीम के कार्य का सारा श्रेय स्वयं लेने वाला हो तो ऐसी टीम बिखर जाती है।ऐसी टीम दीर्घजीवी नहीं होती है।परंतु इसमें सबसे अधिक प्रभाव टीम लीडर का पड़ता है।टीम लीडर में नेतृत्व के आवश्यक गुण हों तो टीम के सदस्यों को भी अपने अनुरूप विकसित करने के लिए प्रेरित कर सकता है।
  • उदाहरणार्थ मिसाइल मैन एपीजे अब्दुल कलाम आजाद प्रक्षेपास्त्रों के निर्माण में पूरी टीम को साथ लेकर चलते थे और प्रक्षेपास्त्रों के अनुसंधान का श्रेय पूरी टीम को देते थे जबकि असफलता की जिम्मेदारी स्वयं लेते थे।इसलिए पूरी टीम प्राणपण से काम करती थी।यह क्रिकेटर महेंद्रसिंह धोनी का ही कमाल था की पूरी टीम एकजुट होकर विश्वकप जीत सकी थी।
  • उपर्युक्त आर्टिकल में नेतृत्व को विकसित करने की 6 रणनीति (6 Strategies to Develop Leadership),प्रभावी नेतृत्व के लिए टीम-वर्क की भूमिका (The Role of Team-work for Effective Leadership) के बारे में बताया गया है।

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7.शिक्षक के देर से आने का कारण (हास्य-व्यंग्य) (Reason for Teacher Late) (Humour-Satire):

  • प्रिंसिपल (गणित शिक्षक से):आप रोजाना स्कूल में देरी से आते हो।
  • गणित शिक्षक:श्रीमान,क्या यह सच है कि रुपए में बड़ी ताकत होती है,रुपए पाकर लोग उछलने लगते हैं,एक्टिव हो जाते हैं।
  • प्रिंसिपल:हां,कहते तो ऐसा ही हैं,पर यह तो मेरे प्रश्न का जवाब नहीं हुआ।
  • गणित शिक्षक:श्रीमान आप मेरा वेतन बढ़ा दो और समय पर मुझे तनख्वाह दे दिया करो।

8.नेतृत्व को विकसित करने की 6 रणनीति (Frequently Asked Questions Related to 6 Strategies to Develop Leadership),प्रभावी नेतृत्व के लिए टीम-वर्क की भूमिका (The Role of Team-work for Effective Leadership) से संबंधित अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न:

प्रश्न:1.टीम में निर्णय कौन लेता है? (Who Makes Decisions in the Team?):

उत्तर:टीम-लीडर पर ही निर्णय का उत्तरदायित्व होता है। टीम-लीडर टीम के वरिष्ठ सदस्यों से सुझाव ले सकता है परंतु अंततः केवल उसे और केवल उसे ही निर्णय लेना पड़ता है।यदि निर्णय सही होता है तो टीम सही दिशा में आगे बढ़ती है।निर्णय लेने की क्षमता तभी सही हो सकती है जब हमारा दृष्टिकोण,समझने व विचार करने की शैली दूरदर्शितापूर्ण हो।

प्रश्न:2.नेतृत्व का क्या अर्थ है? (What Does Leadership Mean?):

उत्तर:मौलिक रूप से नेतृत्व का अर्थ है:सही मार्गदर्शन करके लक्ष्य तक पहुंचाने की भूमिका को निभाना।यह आवश्यक नहीं है कि नेतृत्व के लिए हमें दूसरों के पास जाना पड़े,हम अपना नेतृत्व स्वयं भी कर सकते हैं।

प्रश्न:3.टीम के अराजक सदस्य से कैसे निपटें? (How to Deal with a Chaotic Member of the Team?):

उत्तर:अराजक सदस्य को समझाया जाए या उन्हें कम महत्त्वपूर्ण या कुछ ऐसे कार्य दे दिए जाएं,जिससे जरूरी काम प्रभावित न हों।असयोग करने वाले सदस्यों को अपमानित नहीं किया जाना चाहिए और न उन्हें समूह से बाहर किया जाना चाहिए; क्योंकि ऐसे व्यक्तियों में शक्ति बहुत होती है और क्योंकि ये दिशा भटक गए होते हैं,इसलिए सहयोग नहीं करते और समूह से बाहर निकाले जाने पर किसी न किसी तरह का नुकसान ही पहुंचाते हैं जिससे कम्पनी की साख खत्म होती है।

  • उपर्युक्त प्रश्नों के उत्तर द्वारा नेतृत्व को विकसित करने की 6 रणनीति (6 Strategies to Develop Leadership),प्रभावी नेतृत्व के लिए टीम-वर्क की भूमिका (The Role of Team-work for Effective Leadership) के बारे में ओर अधिक जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
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