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4 Strategies to Improve Job Efficiency

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1.जाॅब कुशलता में सुधार के लिए 4 रणनीतियाँ (4 Strategies to Improve Job Efficiency),जाॅब दक्षता में सुधार के लिए शीर्ष 4 रणनीतियाँ (4 Top Strategies on Improving Job Efficiency):

  • जाॅब कुशलता में सुधार के लिए 4 रणनीतियाँ (4 Strategies to Improve Job Efficiency) बहुत महत्त्वपूर्ण साबित हो सकती हैं।कई अभ्यर्थी एक बार कम्पनी में जाॅब प्राप्त करने के बाद इस तरफ ध्यान नहीं देते हैं अर्थात् अपनी दक्षता में सुधार करने की तरफ ध्यान नहीं देते हैं।याद रखें कम्पनी में छँटनी के समय ऐसे कर्मचारियों को ही कम्पनी से बाहर निकाला जाता है।परन्तु जो अभ्यर्थी लगातार अपनी दक्षता,योग्यता में सुधार करते रहते हैं और नई तकनीक,नई बातें सीखते रहते हैं उन्हें कंपनी में बनाए रखा (Retain) जाता है।इस आर्टिकल में कुछ ऐसी रणनीतियों पर विचार किया जा रहा है जो आपके लिए फायदेमन्द साबित होंगी।
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2.व्यावहारिक और नई-नई तकनीक सीखें (Learn Practical and New Techniques):

  • कम्पनी में कई तरह के कर्मचारी काम करते हैं।मसलन रूढ़िवादी,प्रतिक्रियावादी,प्रगतिशील,आमूल परिवर्तनवादी इत्यादि।इनके अपने-अपने विचार होते हैं,संभव है आपसे विचार मेल न खाते हों।सभी एक जगह पर शांतिपूर्वक रहकर काम करें इसके लिए आवश्यक है कि आपसे,आपके विचारों से सहमत नहीं है तो उनसे बहस करने,वाद-विवाद करने की आवश्यकता नहीं है।सभी को अपने विचारों और मान्यताओं के साथ रहने का अधिकार है।उन्हें अपने विचार से सहमत कराने की कोशिश में समय और शक्ति खर्च करना बेकार है।आप बहस करके अन्य कर्मचारियों के विचारों को नहीं बदल सकते हैं।इससे केवल कटुता पैदा होती है।
  • किसी मतभेद को सुलझाने का तरीका बहस करना नहीं है बल्कि सामने वाले को यह जता दें कि आप उसके विचार को भी समझ रहे हैं।पहले उन बातों पर चर्चा करें जिन पर सहमत हैं और फिर आराम से उन्हें वे मुद्दे समझाएं जिन पर आपके विचार उनसे अलग हैं।सीधे किसी की बात न काटें।अगर आप जानते हैं कि सामने वाला गलत है तब भी उस पर ऐसा न जताएं जैसे आपकी बात माननी ही चाहिए।ऐसा बिल्कुल न करें।
  • अगर आप अपने काम के अच्छे नतीजे प्राप्त करना चाहते हैं तो किसी भी मामले में आमने-सामने व्यक्तिगत बात करें।अगर आप किसी से मिल नहीं सकते तो उससे फोन पर बात कीजिए।फोन पर बातचीत पत्र से अधिक आत्मीय और प्रभावी होती है।वहीं दूसरी ओर किसी के मुंह पर ‘ना’ कहने की अपेक्षा फोन पर ना करना आसान होता है।इसलिए अगर कोई महत्त्वपूर्ण बात है तो पत्र लिखने या फोन करने की जगह उससे जाकर मिलें।जहां तक हो सके फोन पर या मिलकर बात करें।
  • अपने सहकर्मी की कोई कमजोरी ढूंढना तथा जासूसी करके बाॅस (Boss) को बताने पर सहकर्मी का आपसे विश्वास उठ जाएगा।सहकर्मी पर विश्वास करेंगे तभी आप उनका विश्वास जीत पाएंगे।
  • यदि आप अधिकारी हैं तो काम का उचित बँटवारा करें।आप अपने अधीनस्थ के समय को जितना महत्त्व देंगे।वे उतना ही उसका सदुपयोग करेंगे।यदि कोई आपसे मिलना चाहता है तो उसे इन्तजार न कराएं।उससे पूछ लें कि क्या बात है और बाद में आने के लिए कहें।हो सकता है आप उसकी समस्या को दस सेकंड में सुलझा दें।उसके लिए किसी को आधा घंटा इंतजार कराने की क्या जरूरत है?
  • हर समय में एक ही तरह का व्यवहार करें।इससे आपके संबंध बिना किसी समस्या के आराम से निभते रहते हैं।दूसरी ओर आप आज एक बात करते हैं तो अगले दिन कुछ ओर बात करते हैं।ऐसे कर्मचारी/अधिकारी को कल तक जो पसन्द था आज उसी पर उसे आपत्ति हो सकती है।इससे लोग हमेशा परेशान रहते हैं क्योंकि वे नहीं जान पाते कि आगे क्या होने वाला है? याद रखिए,आप अपने सहकर्मियों को अपने काम का तरीका समझने का मौका देंगे तभी वे आपके निर्देशानुसार काम कर सकेंगे।
  • काम को टालने की प्रवृत्ति न रखें बल्कि काम को कर्त्तव्य समझकर,पूरे मन से करें।यह समझें कि काम टॉनिक (शक्तिप्रद) की तरह होता है।यदि अधिकारी आपके काम की प्रशंसा भी नहीं करता है तो इससे हतोत्साहित न हों क्योंकि अधिकारी अत्यधिक व्यस्तता के कारण इस बात को भूल जाते हैं।काम को बेहतरीन तरीके से करके वेतन प्राप्त करना पसन्द करें।
  • ऐसे बहुत से काम हैं जिन्हें कम्प्यूटर कर सकता है परंतु सोचना इसमें शामिल नहीं है।सोचना आपका काम है।कंप्यूटर सोच नहीं सकता है,वह विकल्पों की छानबीन नहीं कर सकता और खतरे नहीं उठा सकता।वह अलग-अलग विचारों के आधार पर राय नहीं बना सकता।यह काम केवल मानव मस्तिष्क ही कर सकता है।कम्प्यूटर आपके निर्देशों का पालन कर सकता है।यह वह फटाफट और बिना किसी गलती के कर सकता है।पर उसे क्या निर्देश देना है यह तो आप ही (दिमाग) तय कर सकते हैं।हां, बहुत-सी जानकारी अपने में इकट्ठा और उसे चुटकियों में उपलब्ध कराकर कम्प्यूटर ये निर्णय लेने में आपकी सहायता अवश्य कर सकता है।

3.उज्जड़ बर्ताव न करें (Don’t Behave Rudely):

  • आलोचना करने का भी तरीका होता है।आलोचना इसलिए नहीं की जाती कि कर्मचारी को सजा मिले या बुरा लगे।आलोचना ऐसी हो कि लोगों को अपनी गलती समझ में आ जाए जिससे वे अगली बार अच्छा काम करने का प्रयत्न करें।अतः आलोचना के साथ थोड़ी-बहुत प्रशंसा मिलाकर उसके तीखेपन को कम करना अच्छा रहता है।इसके पहले कि आप कुछ कहें,दूसरे को स्वयं अपनी आलोचना करने का मौका दें।अगर उसे अपनी भूल का अहसास है तो वह इसे आपसे सुनने की बजाय खुद स्वीकार करना पसंद करेगा।
  • उत्तेजना के क्षणों में किसी पर चिल्लाने के बजाय आप उससे आराम से बात भी तो कर सकते हैं।जैसेःयह कहें,मुझे बहुत निराशा हुई।तुमने हमेशा अच्छा काम किया है।याद रखें किसी को डांटने का उद्देश्य होता है उसे सुधारना और भविष्य में गलती न दोहराने में उसकी सहायता करना।
  • कोई पहली शिकायत कर रहा हो या अनेक बार,उसकी बात ध्यान से और सब्र से सुने।कई बार शिकायत करने वाले को असल में सिर्फ आपके थोड़े से ध्यान की जरूरत होती है।अगर उसकी शिकायत बेबुनियाद हो तब भी उसे अनसुना न करें।सिर हिलाकर कहें, “अच्छा,ऐसी बात है?” आपके बार-बार यह कहने से सामने वाले को तसल्ली मिलेगी क्योंकि कोई भी यह नहीं सोचना चाहता कि वह गलत है,खास तौर पर तब जब उसकी बात वाकई बेबुनियाद और तर्कहीन हो।
  • बहुत बार लोग छोटी-छोटी बातों पर उत्तेजित होकर राई का पहाड़ बना लेते हैं।अनुभवहीन कर्मचारी/अधिकारी इसे अपनी निजी चुनौती समझ लेता है और सबके लिए नियम बनाने लगता है।जब तक किसी बात का बड़ा मुद्दा बनाना आवश्यक न हो,उसको लेकर बखेड़ा खड़ा नहीं करना चाहिए।सभी लोग संवेदनशील और आसानी से उत्तेजित हो उठने वाले होते हैं।उन्हें अपने को शांत रखने और शर्मिंदगी से बचने का मौका दें।
  • लोगों के साथ व्यवहार में,आप चाहे जितने उपाय कर लें,कल एक नई समस्या उत्पन्न होगी और सम्भव है कि कुछ महीनों बाद वही समस्या फिर उठ खड़ी हो।यह सब तो लगा रहेगा।एक अधिकारी इसे समझता है और इससे परेशान या क्रोधित नहीं होता।वह जानता है कि लोगों की समस्याओं का पूरा समाधान नहीं होता।
  • अगर अधिकारी के पास लोगों के लिए केवल तभी समय होता है जब उन्हें कोई आदेश देना हो तो इससे वह अपने साथ-साथ कंपनी का नुकसान भी करता है।कंपनी के सभी लोगों को यह लगना बहुत आवश्यक है कि उसकी सफलता में वे भी भागीदार हैं और उनकी राय भी महत्त्वपूर्ण है।
  • अतः एक अच्छा अधिकारी अपने लोगों के विचारों और सुझावों के बारे में जानने का पूरा प्रयत्न करता है।लोगों को अपने विचार प्रकट करने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए।इस तरह मैनेजमेंट का अपने कर्मचारियों से संपर्क बना रहेगा।
  • बहुत से अधिकारी उन लोगों से निजी संपर्क नहीं बना पाते जिनके साथ वे दिन में आठ घण्टे,सप्ताह में पाँच दिन काम करते हैं।उन्हें लोगों की बातों और विचारों में कोई रुचि नहीं होती।
  • आप किसी बात को किस भाव से सुनते हैं? अगर कोई आपसे बात करके अपना तनाव कम कर रहा है तो उसकी बात में रुचि दिखाएं,उसकी बात को काटे नहीं या उसको दोष न दें।अगर आप लोगों को टोकते हैं या उन्हें लेक्चर ही सुनाते रहेंगे तो आपसे बात करने की बजाय अपनी समस्या अपने तक ही रखना पसंद करेंगे।अपने लोगों को पहचानें और उनसे अपना संपर्क बनाएं।यह बहुत जरूरी है और ऐसा तभी होगा जब आप उनका भरोसा जीत सकेंगे।
  • कुछ लोग शिकायत कम ही करते हैं।पर कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जो कोई न कोई शिकायत करते ही रहते हैं।उन्हें हमेशा कुछ ओर बेहतर चाहिए होता है।पर अधिकारी होने के नाते आपके लिए आवश्यक है कि आप इनसे परेशान न हों।आपको इनका सामना करना ही होगा।समस्याओं से निपटना आपके काम का ही एक हिस्सा है।

4.चालाक के बजाय सरल बनें (Be Simple Rather Than Cunning):

  • किसी भी कर्मचारी/अधिकारी के द्वारा गलती करने पर यह भी ध्यान रखना चाहिए कि आमतौर पर यही बहुत अच्छा काम भी करता है।इसे ध्यान रखना आवश्यक है।
  • अगर कोई व्यक्ति आपके पास अपनी समस्या लेकर आता है तो हो सकता है असली समस्या कुछ ओर हो।इसलिए जितना सरल होकर उसे बात करने का मौका देंगे उतनी ही संभावना है कि आप उसकी असल परेशानी को समझ पाएंगे।यदि आप चालाक के बजाए सरल बनेंगे तो हो सकता है आपसे बात कर अपनी परेशानी का हल अपने-आप खोज सकें।
  • किसी भी कर्मचारी अधिकारी के साथ पक्षपात न करें क्योंकि इससे कार्यालय का वातावरण खराब होता है।सभी के साथ निष्पक्ष व्यवहार रखने की कोशिश करें।यूं तो मनुष्य की अपनी पसंद और नापसंद होती है,पर उसे पक्षपात का रूप देने से सभी लोगों के हौसले पस्त कर देंगे।तरक्की उसी को मिलनी चाहिए जो सबसे योग्य हो।
  • कार्यालय में केवल अच्छे कपड़े पहनना और प्रभावशाली दिखना ही काफी नहीं है।इससे सहकर्मियों को कोई फर्क नहीं पड़ता है।कंप्यूटर और मशीनों के दौर में तो यह ओर भी जरूरी हो गया है कि बड़ी कंपनियों में काम कर रहे लोगों के साथ आत्मीयता का व्यवहार किया जाए।
  • एक-दूसरे की निन्दा न करें।लोगों से अच्छे काम की अपेक्षा रखें और इसमें उनकी सहायता भी करें।तब आप निश्चित रूप से अच्छा काम करा पाएंगे।ऐसी स्थिति पैदा ही न होने दें जिसमें आपको उनसे सही काम करवाना पड़े।किसी को भी ऐसी स्थिति में नहीं होना चाहिए जिसमें उनसे जबरदस्ती करनी पड़े।
  • मानसिक तनाव होते ही आपको सतर्क हो जाना चाहिए ताकि आप अपने अंदर जमा होती भड़ास को कम कर सकें क्योंकि तनाव की स्थिति में न तो आप ठीक तरह से काम कर पाएंगे और न ठीक से किसी से बात कर पाएंगे।आपके बात करने के तरीके से समस्या के शांतिपूर्वक हल होने का रास्ता भी खुल सकता है और बेकार की बहस भी शुरू हो सकती है।

5.जाॅब कुशलता में सुधार का दृष्टांत (Example of Improving Job Efficiency):

  • मांग से अधिक कार्य करिए।बाॅस या मालिक आपसे जितना और जिस स्तर का कार्य चाहता है,आप उससे अधिक तथा उच्च स्तर का कार्य करके दीजिए।इससे आपका अधिकारी या मालिक न केवल प्रसन्न होगा,वरन उसको आपकी योग्यता का परिचय भी मिलेगा।इस सिद्धांत का पालन करने से आपकी मानसिक शक्तियों का विकास होगा और आपको अपने कार्य से मानसिक संतोष व शांति का अनुभव होगा।अतः अपने जॉब में रुचि लीजिए।अपने जॉब से संबंधित अधिक से अधिक जानकारी प्राप्त कीजिए।
  • एक सेल्फगर्ल प्रसिद्ध और बड़ी दुकान पर कार्य करती थी।वहां से मिलने वाले वेतन से वह सन्तुष्ट नहीं थी।ग्राहकों के माँगने पर जो माल उसके आसपास की अलमारियों में होता,वह दे देती।यदि कोई ग्राहक ऐसी चीज की माँग करता जिसके लिए कुछ परिश्रम या खोजबीन करने की जरूरत होती तो वह मना कर देती।एक दिन कोई वृद्ध महिला दुकान आयी,उसने नम्रता भरे शब्दों में उस सेल्फगर्ल से किसी वस्तु विशेष की मांग की।महिला द्वारा मांगी गई वस्तु अलमारियों में नहीं थी।उस वृद्ध महिला की विनम्रता से प्रभावित होकर उसकी माँगी हुई वस्तु को स्टोर रूम में से खोजकर लायी,वृद्धा ने उसे बहुत धन्यवाद दिया।
  • इस घटना से सेल्फगर्ल को बड़ी खुशी अनुभव हुई।उसे यह विचार कर गर्व होने लगा कि वह भी दूसरों की सहायता कर उन्हें प्रसन्नता दे सकती है।उसके बाद वह प्रत्येक ग्राहक की चीज को खोज-खोजकर देने लगी।जो वस्तुएं उसे स्टोर में नहीं मिलती उनको वह लिख लेती और ऑर्डर देकर मंगवा लेती।इससे ग्राहक उसकी बातों और सलाह पर विश्वास करने लगे।
  • अपने कार्य का महत्त्व समझ में आ जाने के कारण उसके चेहरे पर स्वाभिमान का भाव और मुस्कान रहती।सभी ग्राहक उसके प्रशंसक बन गए।उस दुकान की प्रसिद्धि बढ़ने लगी।दुकान के मालिक ने यह देखकर उस सेल्सगर्ल को एक वर्ष में ही पूरी दुकान का सेल्स मैनेजर बना दिया।
  • उपर्युक्त आर्टिकल में जाॅब कुशलता में सुधार के लिए 4 रणनीतियाँ (4 Strategies to Improve Job Efficiency),जाॅब दक्षता में सुधार के लिए शीर्ष 4 रणनीतियाँ (4 Top Strategies on Improving Job Efficiency) के बारे में बताया गया है।

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6.गणित और दिमाग का संबंध (हास्य-व्यंग्य) (The Relationship Between Mathematics and Brain) (Humour-Satire):

  • गणित अध्यापक:राजू,भगवान ने दुनिया क्यों बनाई है?
  • राजू:मौज मस्ती और सैर-सपाटा तथा मनोरंजन करने के लिए।
  • गणित अध्यापक:गणित क्यों बनाई गई है?
  • राजू:छात्र-छात्राओं और हमारा दिमाग खाने और दिमाग का भुर्ता बनाने के लिए।

7.जाॅब कुशलता में सुधार के लिए 4 रणनीतियाँ (Frequently Asked Questions Related to 4 Strategies to Improve Job Efficiency),जाॅब दक्षता में सुधार के लिए शीर्ष 4 रणनीतियाँ (4 Top Strategies on Improving Job Efficiency) से संबंधित अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न:

प्रश्न:1.कई अधिकारी अपना समय किसमें खराब करते हैं? (What Do Many Officers Waste Their Time on?):

उत्तर:कई उच्च अधिकारी उन जरूरी बातों पर बहुत कम समय दे पाते हैं जिनका ध्यान रखना उनका काम है।उनका अधिक समय छोटी-छोटी बेकार बातों में निकल जाता है जिन्हें कोई ओर भी संभाल सकता था।सरकारी कार्यालयों में तो यह आम समस्या है।उच्च अधिकारी जरूरी कार्यों को समय ही नहीं दे पाते हैं।एक अच्छा अधिकारी तुरंत ऐसे काम से हाथ खींच लेता है जो ज्यादा जरूरी नहीं है।

प्रश्न:2.क्या व्यवसाय में सुझाव लेना उपयोगी है? (Is It Helpful to Take Suggestions in Business?):

उत्तर:कुछ कार्यालयों में अधिकारी कर्मचारियों या अन्य लोगों के सुझाव लेना अपनी कमजोरी का लक्षण समझते हैं।अधिकारी को यह लगता है कि यदि उसने किसी का सुझाव लिया तो लोग सोचेंगे कि यह बात उसने खुद क्यों नहीं सोची? यह समझाना गलत है।सभी कर्मचारियों को अपने-अपने सुझाव देने की छूट और प्रोत्साहन मिलना चाहिए।साथ ही उन्हें यह महसूस भी होना चाहिए कि उनके सुझावों पर गंभीरता से विचार किया जाएगा।ऐसा व्यवसाय तरक्की और विकास की राह पकड़ लेता है।

प्रश्न:3.क्या कोई कर्मचारी अद्वितीय होता है? (Is An Employee Unique?):

उत्तर:एक अच्छी कंपनी किसी एक कर्मचारी व अधिकारी के बल पर नहीं चलती है।हाँ यह अवश्य है कि एक श्रेष्ठ कर्मचारी या अधिकारी के कम्पनी छोड़कर चले जाने से कामकाज पर थोड़ा-बहुत फर्क पड़ता है परंतु कंपनी उसकी भरपाई कुछ समय में ही कर लेती है।अतः किसी कर्मचारी व अधिकारी के चले जाने से कंपनी का कामकाज ठप्प नहीं पड़ता है।काम हमेशा सर्वश्रेष्ठ कर्मचारी को ही दिया जाता है पर उसके जाने से काम रुकता नहीं है,चलता रहता है।कई बार उससे भी श्रेष्ठ कर्मचारी या अधिकारी कंपनी को मिल जाता है और पहले से भी बेहतर तरीके से कंपनी का काम चल जाता है।

  • उपर्युक्त प्रश्नों के उत्तर द्वारा जाॅब कुशलता में सुधार के लिए 4 रणनीतियाँ (4 Strategies to Improve Job Efficiency),जाॅब दक्षता में सुधार के लिए शीर्ष 4 रणनीतियाँ (4 Top Strategies on Improving Job Efficiency) के बारे में ओर अधिक जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
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