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7 Tips to Develop Leadership

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1.नेतृत्व को विकसित करने के 7 टिप्स (7 Tips to Develop Leadership),विद्यार्थी के लिए नेतृत्व क्षमता के विकास के 7 टिप्स (7 Tips for Developing Leadership Ability for the Student):

  • नेतृत्व को विकसित करने के 7 टिप्स (7 Tips to Develop Leadership) के आधार पर आप अपने नेतृत्व क्षमता को न केवल पहचान सकते हैं बल्कि उसको विकसित कर सकते हैं।कुछ छात्र-छात्राएं हर कार्य में आगे रहते हैं।जबकि कुछ छात्रों में झिझक,आत्मविश्वास की कमी तथा पहल करने का गुण नहीं होता है।ऐसे छात्र-छात्राएं नेतृत्व करने में सक्षम नहीं है।दरअसल हर छात्र-छात्रा में अलग-अलग तरह की प्रतिभा होती है।किसी छात्र में नेतृत्व करने की क्षमता होती है,किसी में गणित के सवालों को झट से हल करने की निपुणता होती है,किसी छात्र-छात्रा में खेल में रुचि होती है।इस प्रकार छात्र-छात्राओं में अगर नेतृत्व करने की क्षमता नहीं है तो विद्यार्थी तथा माता-पिता को नेतृत्व करने का दबाव नहीं बनाना चाहिए बल्कि उसमें जो प्रतिभा है उसे उभारने,निखारने तथा पल्लवित करने का प्रयास करना चाहिए।हम जिन विद्यार्थियों में नेतृत्व की क्षमता है उसे कैसे उभारा जाए इसके बारे में बात कर रहे हैं।क्योंकि केवल जन्मजात प्रतिभा से आगे नहीं बढ़ा जा सकता है। यदि आपमें नेतृत्व क्षमता है तो उसके प्रशिक्षण की, उभारने की भी आवश्यकता होती है।
  • क्लास में माॅनीटर उसी को बनाया जाता है जिस विद्यार्थी में नेतृत्व क्षमता होती है।टीम का कप्तान उसे ही बनाया जाता है जो टीम के खिलाड़ियों को साथ लेकर चलता है।खतरों का सामना कर सकता है।समस्याओं को सुलझाने में आगे रहता है।नेतृत्व क्षमता को केवल स्कूल के ही भरोसे विकसित नहीं हो सकती है बल्कि माता-पिता तथा समाज के योगदान की भी आवश्यकता होती है।इस आर्टिकल में कुछ ऐसी टिप्स बताई जा रही है जिसके आधार पर नेतृत्व के गुणों को विकसित करने में मदद मिलेगी।
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2.आत्मविश्वास बढ़ाएं (Increase Self-confidence):

  • नेतृत्व करने वाले विद्यार्थियों में अन्य विद्यार्थियों की अपेक्षा आत्म-विश्वास अधिक होता है।हर कार्य को आगे रहकर करने की चेष्टा करना,अपनी बात को प्रभावी ढंग से कहना।विद्यार्थियों को सहज रूप से स्वीकार्य होना अर्थात् उसके नेतृत्व को स्वीकार करना इत्यादि कार्यों से उसके आत्मविश्वास का पता चलता है।विद्यार्थी को नए-नए कार्य,चुनौतीपूर्ण कार्य करने का अवसर देना चाहिए जिससे उसके आत्मविश्वास में वृद्धि हो।विद्यालय में वार्षिक उत्सव की जिम्मेदारी देना और उसके नेतृत्व में संचालित करना।हालांकि सभी विद्यार्थियों के आत्मविश्वास बढ़ाने का एक तयशुदा फाॅर्मूला नहीं है।जैसे किसी विद्यार्थी में बोलने की हिचकिचाहट है तो मेहमानों के आने पर उनसे बातचीत करवाना।मेहमान उसके बारे में पूछे तो विद्यार्थी को बोलने का अवसर प्रदान करना।इस प्रकार अंतर्मुखी तथा बहिर्मुखी विद्यार्थी के आत्मविश्वास को एक ही तरीके से बढ़ाया नहीं जा सकता है।लेकिन नेतृत्व क्षमता को विकसित करने के लिए आत्मविश्वास को बढ़ाना आवश्यक है।

3.व्यक्तित्व को उभारें (Evoke Personality):

  • व्यक्तित्व कई गुणों का जोड़ होता है।एक नेतृत्वकर्ता के व्यक्तित्व का विकास करना भी आवश्यक है।व्यक्तित्व का संबंध मन और शरीर दोनों से जुड़ा हुआ है।मन को शुद्ध करने का प्रयास करना चाहिए अर्थात् विद्यार्थी को शुरू से ही सकारात्मक सोचने के लिए प्रेरित करना चाहिए। योगाभ्यास द्वारा पुष्ट तथा अनुशासित किया जा सकता है।योगाभ्यास से मन को नियंत्रित करने में सहायता मिलती है।
  • अपने चाल-चरित्र को सुधारने के लिए दर्पण के सामने बोलने,अपने आप से बातचीत करने से सुधार किया जा सकता है।अभिव्यक्ति के लिए कोई भी आर्टिकल तैयार करके उसे एकांत में बोलकर अभ्यास करना चाहिए।ज्यादा अच्छा है कि उसे रिकॉर्ड कर लें तथा उसे स्वयं सुने।जहाँ भी आवश्यक हो उसमें सुधारकर पुनः बोलें।इस प्रकार अभिव्यक्ति का अभ्यास किया जा सकता है।
  • वेशभूषा का चुनाव अपने कद,रंग तथा शारीरिक गठन के अनुसार होना चाहिए।तड़क-भड़क तथा मजनूं टाइप की वेशभूषा का चुनाव नहीं करना चाहिए।

4.चरित्र उज्जवल रखें (Keep the Character Bright):

  • कई विद्यार्थियों में नेतृत्व की क्षमता होती है परंतु बाद में जाकर उनका चारित्रिक पतन हो जाता है। इससे वे अपने सहपाठियों का विश्वास खो देते हैं। जैसे किसी विद्यार्थी में नेतृत्व के गुण के कारण छात्र संघ अध्यक्ष चुन लिया जाता है।छात्रसंघ अध्यक्ष बनने के बाद वे अध्यापको,प्राध्यापकों पर राॅब दाब छाड़ना तथा हुड़दंग मचाने लगते हैं।इससे कॉलेज तथा विश्वविद्यालय का वातावरण तो अशांत होता है।साथ ही वह विद्यार्थियों में अलोकप्रिय हो जाता है।
  • छात्रसंघ फंड मिलता है उसको यदि अपने निजी कार्य अथवा ऐशोआराम करने व गुलछर्रे उड़ाने में करता है तो ऐसा छात्र नेता छात्र-छात्राओं का विश्वास खो देता है।इसलिए जितनी बड़ी जिम्मेदारी मिलती है उस जिम्मेदारी के अनुसार अपने चरित्र को पवित्र और शुद्ध रखना चाहिए।उसे छात्रसंघ फण्ड को छात्र-छात्राओं के हित में खर्च करना चाहिए।कोई भी ऐसा अनैतिक कार्य नहीं करना चाहिए जिससे उसके नेतृत्व पर उंगली उठाने का मौका मिले।

5.नवीन प्रयोग करने में विश्वास (Belief in Experimenting with New Ones):

  • नेतृत्व करने वाले विद्यार्थी को नए-नए प्रयोग अर्थात् अपनी कार्यशैली में बदलाव करते रहना चाहिए।जैसे विद्यार्थी को टीम का कप्तान चुना जाता है।ऐसी स्थिति में टीम में बदलाव इस प्रकार कर सकता है कि विरोधियों को टीम में शामिल करने से क्या फर्क पड़ता है?टीम में जो अपने प्रभाव का इस्तेमाल करके शामिल होते हैं जिनमें खिलाडी का श्रेष्ठ गुण नहीं है।ऐसे खिलाडी को हटाने पर क्या प्रभाव पड़ता है।लेकिन जो भी बदलाव करें यदि उसका परिणाम कमजोर रहता है तो उसकी असफलता की जिम्मेदारी भी उसे ही लेनी चाहिए।इस प्रकार नवीन प्रयोग करने में हिचकिचाना नहीं चाहिए।इससे उसके नेतृत्व में पैनापन आता है तथा नेतृत्व उभरकर आता है।

6.संगठन में अनुशासन रखें (Keep Discipline in the Organization):

  • कोई भी कार्य करें तो केवल अपनी बात ही विद्यार्थियों पर थोपनी नहीं चाहिए बल्कि विद्यार्थियों का परामर्श भी लेना चाहिए।यानी उस संगठन के सदस्य हैं उनके सुझावों को भी महत्त्व देना चाहिए। भले ही वे उसके विचारों के विरोधी हों।जैसे छात्र-संघ में अलग-अलग दल के विद्यार्थी चुनकर आ सकते हैं।ऐसी स्थिति में सभी का सहयोग लेकर संगठन के कार्य को आगे बढ़ाना चाहिए।वरना केवल अपनी मनमानी करने से विरोधियों को उसका विरोध करने का मौका मिल जाता है।साथ ही उसके वफादार साथी भी उसका साथ छोड़ देते हैं।सभी कार्यों का एकाधिकार अपने पास नहीं रखना चाहिए।बल्कि योग्य छात्र-छात्राओं को उनकी योग्यता के अनुसार जिम्मेदारी सौंपनी चाहिए।जैसे किसी विद्यार्थी में धन एकत्रित करने का कौशल है तो उसे संगठन के लिए धन एकत्रित करने का जिम्मा सौंपा जाना चाहिए।किसी विद्यार्थी में नए विद्यार्थियों को संगठन से जोड़ने की योग्यता है तो उसे संगठन का विस्तार अर्थात् नए सदस्यों को जोड़ने का कार्य सौंपा जाना चाहिए।

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7.व्यवहार कुशल बनें (Be Efficient in Behaviour):

  • नेतृत्व के गुण को आगे बढ़ाने के लिए विद्यार्थी को व्यवहार कुशल होना चाहिए।अर्थात् अपने सहपाठियों से सहानुभूतिपूर्ण व्यवहार करना।उनके सामने आने वाली समस्याओं को सुलझाने तथा संगठन के सामने आने वाली समस्याओं को सुलझाने में दक्ष होना चाहिए।
  • जब विद्यार्थी किसी भी समस्या को सुलझाता है तो समूह की उसमें आस्था उत्पन्न हो जाती है।निर्धारित लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए पूरे समूह को साथ लेकर चलता है।सफलता मिलने पर उसका श्रेय स्वयं नहीं लेता है बल्कि टीम को पूरा श्रेय देता है। असफलता का दायित्व स्वयं अपने ऊपर लेता है। अपने सहपाठियों से शिष्टाचार से बात करता है।
  • असफलता और निराशा की स्थिति में विचलित नहीं होता है बल्कि टीम को धैर्य बंधाता है।असफलता से सबक लेकर आगे बढ़ता है।यदि छात्र नेता अपने अनुयायी छात्रों को बात-बात पर झिड़कता है तथा उनके कार्य को प्रोत्साहित नहीं करता है तो वह व्यवहार कुशल नहीं है।नेतृत्व कष्टों,कठिनाइयों में उसकी व्यावहारिक पटुता से ही निखरता है।अपने साथियों को कुछ भी कहने से पहले भलीभाँति विचार करता है।

8.अपनी बौद्धिक क्षमता बढ़ाए (Increase Your Intellectual Ability):

  • नेतृत्व के लिए यह आवश्यक नहीं है कि वह बहुत अधिक बुद्धिमान हो।अर्थात् संगठन में अथवा जिनका नेतृत्व करता है उनमें सबसे अधिक बुद्धिमान होना आवश्यक नहीं है।परंतु अपने संगठन के साधारण विद्यार्थियों से अधिक बुद्धि होनी चाहिए।अपनी बौद्धिक कुशलता को बढ़ाते रहना चाहिए।अन्यथा वह एक सफल नेता नहीं बन सकता है अथवा नेतृत्वकर्ता नहीं बन सकता है।
  • उपर्युक्त आर्टिकल में नेतृत्व को विकसित करने के 7 टिप्स (7 Tips to Develop Leadership),विद्यार्थी के लिए नेतृत्व क्षमता के विकास के 7 टिप्स (7 Tips for Developing Leadership Ability for the Student) के बारे में बताया गया है।

9.उद्दण्ड छात्र (हास्य-व्यंग्य) (Rude Student) (Humour-Satire):

  • एक विद्यार्थी बहुत उद्दण्ड था।कक्षा की शांति को भंग करता रहता था।विशेषकर गणित कक्षा में बहुत उत्पात मचाता था।दरअसल उसे सवाल बिल्कुल भी समझ में नहीं आते थे।एक दिन उसने गणित के कालांश में उत्पात मचाना शुरू कर दिया।
  • गणित अध्यापक:(उद्दण्ड छात्र से) तुम चुप हो जाओ।अन्य छात्र-छात्राओं को डिस्टर्ब मत करो।
    लेकिन उद्दंड छात्र नहीं माना तो गणित अध्यापक उसके पीछे डंडा लेकर भागे।उद्दण्ड छात्र कक्षा को छोड़कर बाहर भाग गया।
  • गणित अध्यापक:(मॉनिटर से) तुम जाओ और उसको पकड़ कर लाओ।उसे सुधारना है।थोड़ी देर बाद मॉनिटर वापस खाली हाथ आ जाता है।
  • गणित अध्यापक:(मॉनिटर से) तुम उस उद्दण्ड छात्र को पकड़कर क्यों नहीं ला सके।
  • मॉनिटर:सर, वह छात्र बहुत डरपोक है।कहता था कि मैं तुम्हें कक्षा में घुसकर मारूंगा।मैं कक्षा में चला आया परंतु वह अभी तक नहीं आया।

10.नेतृत्व को विकसित करने के 7 टिप्स (7 Tips to Develop Leadership),विद्यार्थी के लिए नेतृत्व क्षमता के विकास के 7 टिप्स (7 Tips for Developing Leadership Ability for the Student) के संबंध में पूछे जाने वाले अक्सर प्रश्न:

प्रश्न:1.नेतृत्व को विकसित करने के लिए कौन-कौनसे गुण होने चाहिए? (What Qualities of Leadership Should a Student Have?):

उत्तर:एक नेतृत्वकर्ता विद्यार्थी में निम्न गुण होने चाहिए:
मित्रवत व्यवहार करना,ईमानदार, न्याय प्रिय,विश्वसनीय,अनुशासन का पालन करना,सम्मोहनीय,ओजस्वी,तेजस्वी,व्यवहार कुशल,आत्मविश्वासी,सहानुभूतिपूर्ण व्यवहार,अधीनस्थों को समझना तथा उनके प्रति सहानुभूति दर्शाना,वैयक्तिक उत्तरदायित्व को स्वीकार करना और आदर्श प्रस्तुत करना,किसी कार्य को प्रारंभ करना और उसके संबंध में दिशा-निर्देश देना,अधीनस्थों को टीम के रूप में प्रशिक्षित करना,निर्णय देना आदि।

प्रश्न:2.नेता कितने प्रकार के होते हैं?(How Many Types of Leaders are There?):

उत्तर:सामान्यतः चार प्रकार के नेता होते हैं:
(1.)संस्थागत नेता:कंपनी तथा सरकारी ऑफिस में अधिकारी तथा अध्यक्ष इस श्रेणी में आते हैं।
(2.)प्रभावी नेता:सामान्यतः राजनीतिक पार्टियों तथा किसी देश के शासक इस श्रेणी में आते हैं। जैसे नेपोलियन,हिटलर, स्टालिन, नासिर इत्यादि।
(3.)प्रजातांत्रिक नेता:ये प्रजातांत्रिक देशों में होते हैं।ये अपने अनुयायियों के अधिक संपर्क में रहते हैं।उनके साथ हिल-मिलकर उनकी समस्याओं को समझते हैं और उनकी आवश्यकता और भावनाओं की अनुभूति रखते हैं।
(4.)विशेषज्ञ:इस प्रकार के नेता ज्ञान,शिल्प विद्या,कला तथा इस प्रकार के दूसरे क्षेत्रों में दक्षता होने के कारण विशेषज्ञ नेता बन जाते हैं।

प्रश्न:3.क्या नेता प्रशिक्षण के द्वारा बन सकता है? (Can a Leader be Formed by Training?):

उत्तर:केवल प्रशिक्षण से ही कोई व्यक्ति एक सफल नेता नहीं बन सकता है।प्रशिक्षण का केवल इतना लाभ होता है कि व्यक्ति प्रशिक्षण के बाद पहले की अपेक्षा अधिक अच्छा नेता बन जाता है।अर्थात् उसमें जन्मजात नेतृत्व का गुण भी होना चाहिए।

  • उपर्युक्त प्रश्नों के उत्तर द्वारा नेतृत्व को विकसित करने के 7 टिप्स (7 Tips to Develop Leadership),विद्यार्थी के लिए नेतृत्व क्षमता के विकास के 7 टिप्स (7 Tips for Developing Leadership Ability for the Student) के बारे में ओर अधिक जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।

7 Tips to Develop Leadership

नेतृत्व को विकसित करने के 7 टिप्स
(7 Tips to Develop Leadership)

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नेतृत्व को विकसित करने के 7 टिप्स (7 Tips to Develop Leadership) के आधार पर
आप अपने नेतृत्व क्षमता को न केवल पहचान सकते हैं बल्कि उसको विकसित
कर सकते हैं।कुछ छात्र-छात्राएं हर कार्य में आगे रहते हैं।7 Tips to Develop Leadership

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