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3 Tips for Progress in Mathematics

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1.गणित में प्रगति की 3 टिप्स (3 Tips for Progress in Mathematics),गणित में प्रगति और विकास की 3 टिप्स (3 Tips for Progress and Development in Mathematics):

  • गणित में प्रगति की 3 टिप्स (3 Tips for Progress in Mathematics) के आधार पर छात्र-छात्राएं प्रगति का रहस्य जान सकेंगे।यों गणित में उन्नति और विकास के बारे में कई आर्टिकल्स पोस्ट किए जा चुके हैं।हर छात्र-छात्रा की प्रकृति और स्वभाव अलग-अलग होता है।छात्र-छात्रा के विशिष्ट व्यक्तित्त्व के कारण किसी भी क्षेत्र में उन्नति और विकास करने के लिए कुछ विशिष्ट गुणों को अपनाना होता है।मनुष्य इस प्रकृति का सर्वोच्च प्राणी है।
  • हर छात्र-छात्रा में विशिष्टता के कारण वह अपने आपको अकेला एवं सबसे भिन्न समझता है।यदि वह इस विशिष्टता का उपयोग दूसरे छात्र-छात्राओं में दोष देखने में लगाता है तो कदम-कदम पर उसे अन्य छात्र-छात्राओं के साथ संघर्ष करना पड़ता है। वह अन्य छात्र-छात्राओं के साथ पढ़ने-लिखने में असुविधा महसूस करता है।परंतु यदि वह इस विशिष्टता का महत्त्व समझे और आत्म-विश्लेषण करे तो यही विशिष्टता उसके लिए वरदान साबित हो जाती है।
  • यह विशिष्टता है स्वतंत्र इच्छा शक्ति।प्रत्येक छात्र-छात्रा स्वतन्त्र इच्छा शक्ति का प्रयोग करके अपने अंदर अंतर्निहित गुणों को विकसित कर सकता है।जरूरत है तो विवेक के साथ पुरुषार्थ करने की।
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2.छात्र-छात्राएं अपने स्वरुप को पहचाने (Students Recognize Their Appearance):

  • प्रत्येक छात्र-छात्राओं में जन्म के समय महान बनने के गुण छिपे रहते हैं।यह बात दूसरी है कि हर छात्र-छात्राएं अपनी अन्तर्निहित योग्यता का विकास समान रूप से नहीं कर पाता है।गणित के प्रत्येक छात्र-छात्रा में असमान विकास के कई कारण होते हैं।कुछ विद्वान अवसर की समानता उपलब्ध न होना इसका एक कारण मानते हैं।परंतु यदि महान गणितज्ञों के जीवनवृत्त का अवलोकन करें तो पाएंगे कि कठिन परिस्थितियों तथा विपरीत परिस्थितियों में उनकी गणितीय प्रतिभा में निखार ही आया है।
  • महानता और महान् गणितज्ञ बनना किसी पेड़ पर लगा हुआ फल नहीं है बल्कि यह एक पुरुषार्थ है।गणित में तीक्ष्ण बुद्धि होने के लिए पुरुषार्थ की सीढ़ियों पर चढ़ना होता है।हमे स्मरण रखना चाहिए कि कोई भी गणितज्ञ उतना ही महान् बनता है जितना अपने स्वरूप को पहचानकर विवेकयुक्त पुरुषार्थ करता है।
    महान् बनने का यह भी एक लक्षण है कि हम गणित के ज्ञान में कितनी नवीनता जोड़ पाते हैं और गणित के नवीन ज्ञान को समाज को कितना दे पाते हैं?
  • यदि गणित के ज्ञान को महान् गणितज्ञ अपने तक ही सीमित रखते तो आज गणित रूपी जो वटवृक्ष दिखाई देता है वह दिखाई नहीं देता।गणितज्ञों ने आगामी पीढ़ी को समृद्ध और ज्ञानवर्धन के लिए अपनी ओर से कुछ न कुछ योगदान किया ही है। पिछले सहस्र वर्षों के ज्ञात इतिहास के अध्ययन के फलस्वरूप अनेक रोचक,विषमयकारी तथा अद्भुत बातें देखने को मिलती है।यहां तक की गणित की दीवानगी में कई गणितज्ञों ने अपना बलिदान भी स्वीकार कर लिया।गणित का इतना भव्य महल महान् गणितज्ञों के त्याग और तपस्या का फल है।
  • छात्र-छात्राओं को यह समझ लेना चाहिए कि उनके अंदर चेतन तत्त्व विद्यमान है वह संकल्प शक्ति के रूप में व्यक्त होती है।संकल्पशक्ति के स्वरूप को समझकर जितना वह काम में लेता है उसकी गणितीय प्रतिभा उतनी ही निखर कर प्रगट होती जाती है।

3.गणित में प्रगति और विकास का मार्ग (The Path to Progress and Development in Mathematics):

  • छात्र-छात्राएं यदि परिस्थितियों को दोषी ठहराते हैं तो उन्हें समझ लेना चाहिए कि प्रगति के असली स्वरूप को उन्होंने पहचाना ही नहीं है।हमारे चारों ओर जो भी परिस्थितियां हैं उनमें हम भी कुछ न कुछ जिम्मेदार हैं।यदि परिस्थितियां प्रतिकूल है तो उनको अपने अनुकूल करने के लिए प्रयत्न करना होगा।जितनी जटिल तथा विपरीत परिस्थिति होती है उतना ही पुरुषार्थ करना होगा।यदि गणित की उन्नति और विकास में कहीं अड़चन और बाधाएं हैं तो उस स्तर का प्रयास करना होगा।
  • तात्पर्य यह है कि परिस्थितियों के दास न बनकर छात्र-छात्राओं को उसका स्वामी बनना चाहिए। गणित में उन्नति और विकास की कोई सीमा नहीं है।छात्र-छात्राओं में उन्नति करने की असीम क्षमताएं विद्यमान है।गणित में आगे से आगे बढ़ते जाना ही गणित के विद्यार्थी की नियति है।गणित में उन्नति,प्रगति एवं विकास का मार्ग पहाड़ की चोटी पर ले जानेवाली वह पगडण्डी है जो कभी नीचे की ओर तो कभी ऊपर की ओर जाती है।
  • गणित का अध्ययन करते समय हमारे सामने कई बार ऐसा लगता है कि जैसे ठहराव सा आ गया है। परंतु यह ठहराव वस्तुतः छात्र-छात्राओं की परीक्षा की घड़ी होता है।जो छात्र छात्राएं आगे बढ़ते रहते हैं उनको इन बाधाओं का सामना करना होगा और आगे बढ़ना होगा।
  • वृक्ष बनने से पहले बीज को बहुत सी बाधाओं,परेशानियों,विपरीत मौसम,तूफान तथा झंझावातों का सामना करना पड़ता है।जो छात्र-छात्राएं विपरीत परिस्थितियों में अपने मनोबल को बनाए रखता है वह आगे बढ़ जाता है। परंतु जो निराश हो जाता है वह गिरकर चकनाचूर हो जाता है।महान् गणितज्ञों की जीवनियों का अध्ययन करने से हमें प्रेरणा प्राप्त होती है।इसलिए हमेशा गणित में आगे बढ़ने का उत्साहवर्धन करने वालों के संपर्क में रहना चाहिए

4.गणित में प्रगति का दृष्टान्त (An illustration of Progress in Mathematics):

  • किसी भी व्यक्ति और छात्र-छात्रा में कोई न कोई कमजोरी होती है तो कोई न कोई अच्छाई भी होती है।गणित जैसे क्षेत्र में प्रगति और विकास करने के लिए छात्र-छात्राओं को गतिशील बनना चाहिए। अपने मन की शक्ति को पहचाने और मन को साहस और खुशी के विचारों से भरते रहिए।इन विचारों से व्यक्तित्त्व में आकर्षण आता है और छात्र-छात्राओं की रचनात्मक शक्तियों का विकास होता है।
  • किसी शहर में एक गणित के शिक्षक के पास दो छात्र प्रखर और यश नाम के छात्र गणित की ट्यूशन करने आते थे।प्रखर गणित में पढ़ने में होशियार था जबकि यश गणित में कमजोर था।रोजाना गणित शिक्षक दोनों को गणित पढ़ाते तो प्रखर के पढ़ाया हुआ याद रहता परंतु यश दूसरे दिन तक पढ़ाया हुआ आधा भूल जाता था।प्रखर को यह देखकर अपने आप पर घमंड हो गया तथा यश से कहता कि वह आदर्श गणित का विद्यार्थी है और वह जरा सा भी नहीं भूलता है।यश को यह सुनकर बहुत दुख होता था और उसे अपनी कमजोरी पर शर्म महसूस होती थी।यश अपने गणित के अध्ययन की कार्यप्रणाली को देखकर निराश हो चुका था।
  • एक दिन उसने मौका देखकर गणित शिक्षक से कहा कि आपका पढ़ाया हुआ दूसरे दिन तक मैं आधा भूल जाता हूं।गणित शिक्षक ने कहा क्या तुम देखते हो स्कूल के विद्यार्थी तुमसे ही गणित के सवाल पूछने क्यों आते हैं?ऐसा इसलिए क्योंकि मुझे इस बात का शुरू से ही पता था।इसलिए स्कूल में गणित के छात्र-छात्राएं जो ट्यूशन नहीं कर पाते हैं वे मुझसे सवाल पूछने आते हैं तो मैं उनको तुम्हारे पास ही भेजता हूं।आज तुम कुछ भी ट्यूशन पढ़कर जाते हो तो स्कूल में छात्र-छात्राएं तुम्हें घेरकर खड़े हो जाते हैं जबकि प्रखर के पास कोई नहीं जाता है।
  • मुझे यह देखकर प्रसन्नता होती है कि मेरे द्वारा तुम्हें पढ़ाई गई गणित से अन्य छात्र-छात्राओं का बहुत भला हो रहा है।मैं अपने आपको धन्य समझता हूं। मुझमें और तुममें कई कमजोरियां हो सकती हैं,भूले भी होती है और कई दोष भी विद्यमान होते हैं।इनसे कौन अछूता रह पाया है।परंतु कभी-कभी इन कमजोरियों और कमियों से गणित में प्रगति और विकास का अवसर मिलता है।तुम गणित के ज्ञान का वितरण करते रहते हो इससे तुम्हारे साथ-साथ अन्य छात्र-छात्राओं की गणित में प्रगति और विकास होता है।
  • उपर्युक्त आर्टिकल में गणित में प्रगति की 3 टिप्स (3 Tips for Progress in Mathematics),गणित में प्रगति और विकास की 3 टिप्स (3 Tips for Progress and Development in Mathematics) के बारे में बताया गया है।

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5.गणित को हल करने की टिप्स (हास्य-व्यंग्य) (Math Solving Tips) (Humour-Satire):

  • पिताजी:अरे विमल! तुम इतनी देर से हाथ ऊपर खड़े करके क्यों खड़े हो?
  • विमल:पिताजी,गणित के गुरुजी ने आज कक्षा में मुझे गणित का सवाल हल न करने पर हाथ ऊपर खड़े करवाकर कहा था कि तुम्हें गणित ऐसे समझ में नहीं आएगी।जब तुम हाथ ऊपर करके कुछ देर खड़े रहने का अभ्यास करोगे तभी तुम्हारी गणित समझ में आएगी।

6.गणित में प्रगति की 3 टिप्स (3 Tips for Progress in Mathematics),गणित में प्रगति और विकास की 3 टिप्स (3 Tips for Progress and Development in Mathematics) से संबंधित अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न:

प्रश्न:1.गणित की प्रगति में अवरोधक क्या हैं? (What is an Obstacle in the Progress of Mathematics?):

उत्तर:निराशा और असफलता के विचार हमारे व्यक्तित्त्व की शक्ति को नष्ट कर देते हैं।ऐसा व्यक्ति केवल अपने बारे में ही विचार करता रहता है जिससे उसकी शक्तियां सीमित होती चली जाती है। वह इतना भयभीत और आत्म केंद्रित हो जाता है कि जीवन में प्रगति करने की उसकी मानसिक शक्ति नष्ट हो जाती है।वास्तविकता यह है कि ऐसा व्यक्ति अव्यवस्थित हो जाता है अर्थात् उसके कार्यों में कोई व्यवस्था या क्रम नहीं रहता जिससे उसकी कार्यकुशलता जल्दी खत्म हो जाती है।

प्रश्न:2.गणित में प्रगति के अवरोधों को कैसे दूर करें? (How to Overcome Obstacles to Progress in Mathematics?):

उत्तर:अपने आपमें गणित के क्षेत्र में प्रगति करने के लिए दूसरों को गणित सीखाएं।दूसरों को गणित सीखाने की कला में जो दक्ष हो जाता है उसकी गणित के क्षेत्र में प्रगति स्वयंमेव बढ़ती जाती है। हमेशा गणित में नया सीखते रहें तथा अन्य छात्र-छात्राओं की गणित में समस्याओं को दूर करने का भरपूर प्रयास करते रहे।आप ज्ञान का जितना वितरण करेंगे उतना ही ज्ञान बढ़ता जाएगा।

प्रश्न:3.गणित में सक्रिय रहने का क्या तरीका है? (What is the Way to Stay Active in Mathematics?):

उत्तर:गणित में सक्रिय रहने के लिए आध्यात्मिक विकास किया जाए।आध्यात्मिक विकास के लिए अधिक से अधिक अभ्यास और साधना की आवश्यकता है।आंतरिक प्रसन्नता तथा सक्रियता तालमेल का विकास एक मानसिक और आध्यात्मिक साधना है।इसे प्राप्त करने के लिए निरंतर अभ्यास करते रहना आवश्यक है।किसी भी कार्य में हम बिना अभ्यास के कुशल नहीं हो सकते हैं।

  • उपर्युक्त प्रश्नों के उत्तर द्वारा गणित में प्रगति की 3 टिप्स (3 Tips for Progress in Mathematics),गणित में प्रगति और विकास की 3 टिप्स (3 Tips for Progress and Development in Mathematics) के बारे में ओर अधिक जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।

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गणित में प्रगति की 3 टिप्स (3 Tips for Progress in Mathematics)
के आधार पर छात्र-छात्राएं प्रगति का रहस्य जान सकेंगे।यों गणित में उन्नति और विकास
के बारे में कई आर्टिकल्स पोस्ट किए जा चुके हैं।हर छात्र-छात्रा की
प्रकृति और स्वभाव अलग-अलग होता है।

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