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Teacher Made Disciple Victim of Lust

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1.गुरु ने शिष्या को हवस का शिकार बनाया (Teacher Made Disciple Victim of Lust),गुरु ने शिष्या को भी नहीं बख्शा (The Teacher Did Not Spare Even Disciple):

  • गुरु ने शिष्या को हवस का शिकार बनाया (Teacher Made Disciple Victim of Lust),ऐसी घटनाएं आए दिन सुनने को मिलती है।इसके लिए एक बानगी प्रस्तुत करना ही पर्याप्त होगा।सरस्वती के मंदिर कहे जानेवाली शिक्षण संस्थानों के पुजारियों द्वारा अपनी शिष्याओं को हवस का शिकार बनाकर,उनका यौन शोषण कर,उन्हें आत्महत्या के लिए मजबूर किया जा रहा है।इस तरह का घृणित कुकृत्य करने वाले शिक्षकों के विरुद्ध आंदोलन व प्रदर्शन कर उन्हें दंडित किए जाने की मांग करने वाले छात्र-छात्राओं पर बर्बरतापूर्वक लाठी-चार्ज तक किया जाता है।
  • ऐसे समय यह देखकर अचरज होता है कि जरा-जरा-सी घटनाओं पर घड़ियाली आंसू बहाने वाले तमाम राजनीतिक दल एक छात्रा के यौन-शोषण के बाद आत्महत्या कर लेने के प्रकरण पर अपने होठ सिले रहते हैं।
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2.हवस की शिकार छात्रा (Student Raped):

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[यौन शोषण की शिकार सुनीता (Sunita a victim of sexual abuse)]

  • राजकीय आयुर्वेदिक कॉलेज एवं चिकित्सालय गुरुकुल कांगड़ी,हरिद्वार में शिक्षा ग्रहण कर रही द्वितीय वर्ष की छात्रा कुमारी सुनीता के साथ कॉलेज के एक लेक्चरर डॉक्टर जोगेशपाल सिंह छात्रा का निरंतर यौन-शोषण करते रहे व एमबीबीएस में प्रवेश दिलाने के नाम पर ₹800000 मांगते रहे।इससे दुखी छात्रा ने 19 अगस्त को अपने पिता रामबदन सिंह के आवास अर्जुन विहार,दिल्ली की छत से कूदकर आत्महत्या कर ली।
  • कुमारी संगीता सीपीएमटी बैच से आयुर्वेदिक कॉलेज गुरुकुल में बीएमएस की शिक्षा ग्रहण करने आई थी।कॉलेज में ही पढ़ाने वाले शरीर रचना विभाग के लेक्चरार डॉक्टर जोगेशपाल कुमारी सुनीता को नोट्स देने व परीक्षाओं में अच्छे अंकों में पास कर देने के बहाने अपने घर बुलाया करते थे।
  • कुमारी सुनीता के साथ सुनीता की ही सहपाठी कुमारी ममता भी डॉक्टर जोगेशपाल के निवास पर जाया करती थी।कुमारी सुनीता के पिता रामबदन सिंह,जो एक उच्च अधिकारी हैं,के अनुसार डॉक्टर जोगेशपाल की पत्नी मेरी पुत्री सुनीता को चाय में नशीला पदार्थ मिलाकर खिलाती थी।उसके बाद जोगेशपाल सुनीता को अपनी हवस का शिकार बनाता था।
  • वार्षिक परीक्षा के बाद सुनीता 15 मई को अपने पिता रामबदन सिंह के दिल्ली स्थित आवास अर्जुन विहार आई गई।वहां जाकर कुछ दिन तो वह बेहद तनाव में रही,उसके बाद कुछ विक्षिप्त सी रहने लगी।सेना में स्क्वाड्रन लीडर के पद पर कार्यरत सुनीता के पिता रामबदन सिंह ने सुनीता का उपचार दिल्ली में मनोचिकित्सक से कराया,जिससे सुनीता के स्वभाव में थोड़ा परिवर्तन तो आया,लेकिन वह खोई-खोई-सी रहने लगी।
  • इसी बीच छुट्टियां समाप्त होने के बाद 17 जुलाई को कॉलेज खुलने पर सुनीता हरिद्वार नहीं आयी तथा 23-24 जुलाई को शरीर रचना विभाग की प्रैक्टिकल परीक्षा में भी वह शामिल नहीं हुई,विद्यालय की प्राचार्य डॉक्टर पूजा ने कुमारी सुनीता के दिल्ली निवास पर संपर्क कर कारण जानना चाहा,लेकिन डॉक्टर पूजा का सुनीता के परिवार से संपर्क नहीं हो सका।
  • 19 अगस्त को सुनीता ने प्रातः काल 7:00 बजे अर्जुन विहार दिल्ली स्थित अपने पिता के आवास 5/54 की पांचवी मंजिल से कूदकर आत्महत्या कर ली।सुनीता के पांचवी मंजिल से कूदकर आत्महत्या कर लेने की रिपोर्ट धौला कुआं दिल्ली थाने में दर्ज की गई।उसके बाद सफदरगंज हॉस्पिटल में सुनीता का पोस्टमार्टम कर शव सुनीता के परिवारवालों को सौंप दिया गया।20 अगस्त को सुनीता का दाह संस्कार दिल्ली में ही कर दिया।सुनीता की आत्महत्या की खबर 20 अगस्त को हरिद्वार आयुर्वेदिक कॉलेज के छात्र-छात्राओं को लगी।

3.छात्र-छात्राओं का रोष (Students’ Anger):

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[निजी स्तर पर तहकीकात:हरेन्द्र (Investigation at personal level:Harendra)]

  • 21 अगस्त को सुनीता की मृत्यु के शोक में कॉलेज की छुट्टी कर दी गई।22 अगस्त को रविवार होने के कारण शांति रही।लेकिन 23 अगस्त को कॉलेज खुलते ही कॉलेज की छात्र-छात्राएं सड़कों पर उतर आयी।कॉलेज के ही एक छात्र हरेंद्र ने बताया कि वह कुछ दिनों पहले सुनीता के दिल्ली स्थित निवास पर गया था तो वहां उसकी माता बसंती ने बताया था कि सुनीता के साथ कॉलेज के ही लेक्चर डॉक्टर जोगेशपाल ने गलत हरकत की है,जिस कारण वह विक्षिप्त-सी रहने लगी है। हरेंद्र की बात सुनकर आयुर्वेदिक कॉलेज गुरुकुल के अलावा ऋषिकुल राजकीय आयुर्वेदिक कॉलेज की छात्र-छात्राएं भी सड़कों पर उत्तर आयीं।
  • डॉक्टर जोगेशपाल को तुरंत गिरफ्तार कर फांसी पर चढ़ाए जाने के साथ-साथ गुरुकुल राजकीय आयुर्वेदिक कॉलेज की प्राचार्या डॉक्टर पूजा को बर्खास्त किए जाने की मांग छात्रों द्वारा की जाने लगी।कॉलेज की प्राचार्या डॉक्टर पूजा पर डॉक्टर जोगेशपाल को संरक्षण देने व उसका बचाव करने के आरोप लगाए गए,हालांकि डॉक्टर पूजा इन सभी आरोपों को निराधार बताती हैं।छात्र-छात्राओं के सड़कों पर उतर आने के बाद जिला प्रशासन के कान खड़े हुए।

4.जिला प्रशासन द्वारा कार्यवाही (Action by District Administration):

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[आरोपों के घेरे में पूजा (Pooja under charges)]

  • जिलाधिकारी आराधना व पुलिस अधीक्षक वितुल कुमार ने उग्र छात्रों को आश्वासन दिया कि किसी भी कीमत पर दोषी को बख्शा नहीं जाएगा।पुलिस अधीक्षक वितुल कुमार ने सुनीता के पिता रामबदन सिंह के दिल्ली स्थित आवास पर संपर्क किया,तो पता चला कि रामबदन सिंह सहपरिवार अपने पैतृक आवास गाजीपुर गए हुए हैं।पुलिस अधीक्षक ने एसआई इंद्रपाल के साथ के ही दो छात्रों रामअधीन वाल्मीकि व नीरज को गाजीपुर भेज दिया।
  • इधर डॉक्टर जोगेशपाल के खुला घूमते रहने से नाराज छात्र रोजाना उसकी गिरफ्तारी की मांग करते रहे।साथ ही आयुर्वेदिक कॉलेज गुरुकुल की प्राचार्या डॉक्टर पूजा के अलावा छात्राओं के छात्रावास की वार्डेन डॉक्टर संगीता की बर्खास्तगी की मांग भी की जाती रही।डॉक्टर पूजा के अनुसार डॉक्टर जोगेशपाल का स्थानांतरण जून माह में ऋषिकुल राजकीय आयुर्वेदिक कॉलेज हरिद्वार में हो गया था,इसलिए डॉक्टर जोगेशपाल के विरुद्ध जो भी शासकीय कार्यवाही होनी है वह ऋषिकुल राजकीय आयुर्वैदिक कॉलेज से होनी है,लेकिन छात्र-छात्राएं इस बात से संतुष्ट नहीं हुई और डॉक्टर पूजा का भी घेराव किया गया।साथ ही डॉक्टर जोगेशपाल व डॉक्टर पूजा के पुतले फूंके गए।
  • 27 अगस्त को एसआई,इंद्रपाल के नेतृत्व में गाजीपुर गया तीन सदस्यीय दल हरिद्वार लौट आया।गाजीपुर में मौजूद कुमारी सुनीता के पिता द्वारा इंद्रपाल को सौंपी गई लिखित तहरीर के आधार पर हरिद्वार पुलिस ने डॉक्टर जोगेशपाल सिंह के विरुद्ध धारा 376,306,328 व 120-बी के तहत मुकदमा कायम कर लिया।
  • कुमारी सुनीता के पिता रामबदन सिंह ने अपनी तहरीर में लिखा है, “मेरी पुत्री सुनीता को उसकी सहेली ममता डॉक्टर जोगेशपाल के निवास पर लेकर जाती थी।वहां जोगेशपाल की पत्नी सुनीता को चाय में नशीला पदार्थ मिलाकर देती थी।उसके बाद डॉक्टर जोगेशपाल ने मेरी पुत्री सुनीता के साथ बलात्कार किया।मेरी पुत्री जब आक्रोश में आई और उसने डॉक्टर जोगेशपाल की शिकायत करने की बात कही तो डॉक्टर जोगेशपाल ने कुमारी सुनीता को धमकी दी कि यदि उसने अपनी जुबान खोली तो इसके परिणाम ठीक नहीं होंगे।साथ ही डॉक्टर जोगेशपाल ने मेरी पुत्री से एमबीबीएस में दाखिला कराने के नाम पर ₹800000 मांगे थे।इन रुपयों की मांग वह 15 मई को दिल्ली आने के बाद किया करती थी।”
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[शिक्षक के नाम पर कलंक डाॅक्टर जोगेशपाल (Stigma in the name of teacher Dr. Jogeshpal)]

  • पुलिस को गाजीपुर में इस तरह के बयान सुनीता के पिता द्वारा दिए जाने की भनक किसी तरह डॉक्टर जोगेशपाल को लग गई।डॉक्टर जोगेशपाल अपनी गिरफ्तारी से बचने के लिए 27 अगस्त को दोपहर को ही देहरादून स्थित दून अस्पताल में भर्ती हो गया।लेकिन हरिद्वार पुलिस ने डॉक्टर जोगेशपाल को दून अस्पताल जाकर ही हिरासत में लेकर गिरफ्तार कर लिया,जबकि डॉक्टर जोगेशपाल की पत्नी रेखा को गिरफ्तारी के बाद अदालत ने जमानत पर रिहा कर दिया।
  • कुमारी सुनीता की सहेली ममता को सुनीता की मौत की खबर सुनकर 20 अगस्त को ही अपने घर मुरादाबाद चली गई थी,का बयान लेने के लिए पुलिस जब उसके मुरादाबाद स्थित आवास पर पहुंची तो ममता व उसके परिवार का कोई भी सदस्य अपने घर पर नहीं मिला।
  • पुलिस ने डॉक्टर जोगेशपाल की बर्खास्तगी की मांग कर रहे छात्र-छात्राओं पर जमकर लाठियां तोड़ी,जिससे करीब दर्शन पर छात्र-छात्राएं घायल हो गई।लेकिन इसी बीच प्रदेश के चिकित्सा शिक्षा सचिव के आदेश पर डॉक्टर जोगेशपाल को बर्खास्त किए जाने की सूचना मिलने पर छात्रों ने अकारण लाठी चार्ज करने वाले पुलिसकर्मियों के विरुद्ध कार्यवाही की मांग तथा जिलाधिकारी आराधना के निवास का घेराव किया।
  • जिला अधिकारी ने लाठीचार्ज की जांच कराये जाने के आदेश दिए हैं।विगत 20 वर्षों से भी अधिक समय से हरिद्वार की ऋषिकुल राजकीय आयुर्वेदिक कॉलेज में ही पड़े रहे डॉक्टर जोगेशपाल मात्र एक वर्ष के लिए बांदा स्थित आयुर्वेदिक कॉलेज अतर्रा में रहकर गत वर्ष अपना स्थानांतरण पुनः राजकीय आयुर्वेदिक कॉलेज गुरुकुल कांगड़ी,हरिद्वार में करा लिए थे।जून में डॉक्टर जोगेशपाल ने यहां से भी अपना स्थानांतरण ऋषिकुल आयुर्वेदिक कॉलेज में करा लिया था।

5.गुरु द्वारा हवस की शिकार शिष्या का निष्कर्ष (Conclusion of Disciple who was Raped by Teacher):

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[अब यादे ही शेष सुनीता (Now the memories are left Sunita)]

  • शिक्षकों द्वारा छात्र-छात्राओं के उत्पीड़न के अलावा छात्रावास में नशीले पदार्थों की सप्लाई कर छात्र-छात्राओं को ड्रग्स का आदी बनाने के पीछे कौन गैंग सक्रिय है,इसकी छानबीन करने का समय कॉलेज प्रशासन के पास नहीं है।कॉलेज परिसर में ही छात्राओं का हॉस्टल है।इस हॉस्टल में छात्राओं की सुरक्षा एवं निगरानी के लिए कोई चौकीदार तक नहीं है।छात्राएं जब इच्छा होती है,बेरोकटोक हॉस्टल के बाद आ-जा सकती हैं।हॉस्टल की वार्डन कॉलेज कैंपस से बाहर रहती हैं।
  • छात्राओं के लिए सायं 7:00 बजे के बाद हॉस्टल से बाहर जाने पर प्रतिबंध है,लेकिन छात्राएं रात्रि 10:00 बजे तक शहर में घूमते हुए देखी जा सकती है।
  • कुल मिलाकर एक शिक्षक द्वारा अपनी ही शिष्या को हवस का शिकार बनाकर आत्महत्या करने पर विवश किए जाने की घटना ने जहां शिक्षण जगत को कलंकित किया है,वहीं छात्रावासों में नशीले पदार्थों की आपूर्ति की भी कलई खोली है।
  • वस्तुतः इस तरह की अनेक घटनाएं घटित होती है।छात्र-छात्राओं,प्रबुद्ध वर्ग द्वारा हो-हल्ला करने पर जांच का आश्वासन देकर या फौरी कार्रवाई करके लीपापोती कर दी जाती है।लोग भी ताजा-ताजा घटना रहती है तब तो आक्रोश जताते हैं फिर मामला धीरे-धीरे ठंडा हो जाता है।
  • मामले की गहराई में जाकर इस प्रकार की घटनाओं के मूल कारण का पता नहीं लगाया जाता है।शिक्षक वर्ग में बहुत कम ऐसे लोग हैं जो गुरु का दर्जा हासिल किए हुए हैं।90% शिक्षकों को छात्र-छात्राओं को आधुनिक शिक्षा,भौतिक शिक्षा का माहौल मिला होता है।भौतिक शिक्षा व पाश्चात्य शिक्षा के संपर्क में आजकल के शिक्षक व छात्र-छात्राएं पले-बढ़े होते हैं।अतः उनका चारित्रिक विकास नहीं हो पाता है।जब शिक्षकों का ही चारित्रिक पतन हो रहा है तो छात्र-छात्राएं भी उनसे अय्याशी,ड्रग्स का सेवन,छात्रकाल में सेक्स का मजा लेना इत्यादि कुकृत्यों में लिप्त होना स्वाभाविक है।
  • एक समय था,जब शिक्षक का नाम लेते ही मन श्रद्धा से भर जाता था।शिक्षक के दर्शन होने पर छात्र उनके चरण स्पर्श करके अपने को धन्य समझते थे।फिर धीरे-धीरे शिक्षक का चारित्रिक पतन हुआ।
  • आज पश्चिम से आयातित शिक्षक ने भारत में पैठ बना ली है।आज के शिक्षक के साथ शराब पीना,ड्रग्स का सेवन करना,अय्याशी करना,परस्त्रीगमन,कामुक हास्य-व्यंग्य करना,शराब पीकर औधें पड़ जाना आदि बातें जुड़ गई है।
  • निश्चय इन सबका श्रेय पाश्चात्य शिक्षा प्रणाली को अपनाने,शिक्षा को केवल व्यवसाय मानने,भौतिक शिक्षा का प्रभाव,आध्यात्मिक शिक्षा का अभाव,छात्र-छात्राओं व शिक्षकों में चारित्रिक पतन आदि को है।
  • नोट:इस लेख को लिखने का उद्देश्य किसी की गरिमा खण्डित करने का नहीं है बल्कि छात्र-छात्राओं व अध्यापक-अध्यापिकाओं को अध्ययन व अध्यापन पर ध्यान केन्द्रित करने के लिए प्रेरित करने का है।सेक्स जैसी फालतू बातों में अपना ध्यान लगाने के दुष्परिणाम से सचेत करने का है।
  • उपर्युक्त आर्टिकल में गुरु ने शिष्या को हवस का शिकार बनाया (Teacher Made Disciple Victim of Lust),गुरु ने शिष्या को भी नहीं बख्शा (The Teacher Did Not Spare Even Disciple) के बारे में बताया गया है।

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6.गणित शिक्षक तथा गणित में बड़ा कौन है (हास्य-व्यंग्य) (Who is Elder in Mathematics Teacher and Mathematics) (Humour-Satire):

  • गणित अध्यापक:मोहन,बताओ गणित शिक्षक बड़ा है या गणित।
  • मोहन:पहले आप इन दोनों की डेट ऑफ बर्थ बताइए।

7.गुरु ने शिष्या को हवस का शिकार बनाया (Frequently Asked Questions Related to Teacher Made Disciple Victim of Lust),गुरु ने शिष्या को भी नहीं बख्शा (The Teacher Did Not Spare Even Disciple) से संबंधित अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न:

प्रश्न:1.प्राचीन काल में गुरु और भारत की क्या स्थिति थी? (What was the Position of Guru and Bharat in ancient times?):

उत्तर:आज की युवा पीढ़ी को यह विश्वास करना मुश्किल होगा कि कभी हमारा देश जगतगुरु था और यहीं से आर्य लोगों ने अन्य देशों में जाकर ज्ञान-विज्ञान,सभ्यता-संस्कृति का प्रचार प्रसार किया था।जगतगुरु भारत में शिक्षक को गुरु कहा जाता था।गुरु का अर्थ होता है अज्ञान को हटाने वाला,दूर करने वाला परंतु आधुनिक युग में इस गुरु की मिट्टी पलीद दो गई है।इस शब्द का भारी दुरुपयोग होने लगा है।अज्ञान हटाने वाली शिक्षा देने वाले गुरु को बाद में शिक्षक कहा जाने लगा।लेकिन इन कुकृत्यों को देखकर शिक्षक शब्द का भी फजीता होने जा रहा है।यह तो पतन की शुरुआत है।आगे आगे देखिए होता क्या है?

प्रश्न:2.शिक्षक की कैसी भूमिका होनी चाहिए? (What Should be the Role of the Teacher?):

उत्तर:शिक्षण कार्य में विद्यार्थी को पाठ्यक्रम पूरा करने के साथ-साथ मानसिक,शारीरिक और चारित्रिक विकास करने की शिक्षा देना और दुर्गुणों से बचाना शिक्षक की भूमिका है।उपर्युक्त भूमिका निभाने के लिए शिक्षक को स्वयं चरित्रवान,सदाचारी,ईमानदार,परिश्रमी,कर्त्तव्यनिष्ठ,समर्पण,विद्या का गहन ज्ञान,शिक्षण कार्य में निष्ठा इत्यादि गुणों से संपन्न होना चाहिए।विद्यार्थी शिक्षक में इन गुणों को देखकर ही प्रेरित होता है।अन्यथा उपदेश से विद्यार्थी के आचरण को नहीं सुधारा जा सकता है,शिक्षक के आचरण से ही विद्यार्थी सीखता है।परंतु आज की शिक्षा प्रणाली को सही मायने में न तो विद्या कहा जा सकता है और अधिकांश शिक्षकों का चारित्रिक पतन देखने को मिलता है।छात्र-छात्राओं से यार-दोस्त की तरह बात करना,गुटखा,पान,बीडी-सिगरेट,शराब,,ड्रग्स इत्यादि का सेवन करना आज के शिक्षकों में आम बात हो गई है।वैसे ही आज के पढ़े-लिखे छात्र-छात्राएं होते जा रहे हैं।आज के अधिकांश छात्र-छात्राएं शराब का सेवन करना,ड्रग्स का सेवन करना,आवारा घूमना,लड़कियों पर फब्तियाँ कसना,लड़कियों पर लाइन मारना,गुंडागर्दी करना,लड़ाई-झगड़ा करना आदि आम बात हो गई है।

प्रश्न:3.ज्ञान प्राप्त करने की मूल शर्त क्या है? (What is the Basic Condition for Acquiring Knowledge?):

उत्तर:श्रीमद्भगवत गीता में ज्ञान प्राप्ति की तीन शर्ते बताई गई हैं:श्रद्धा से युक्त,गुरुजनों की सेवा,उपासना में लगा हुआ,जितेंद्रिय व्यक्ति ज्ञान को प्राप्त करता है।ज्ञान को प्राप्त करके शीघ्र ही परमशांति (मोक्ष) को प्राप्त करता है।जितेंद्रिय का अर्थ होता है इंद्रियों को वश में करना अर्थात बुरे कार्यों में न लगाकर अच्छे कार्यों (अध्ययन,स्वाध्याय,सत्संग आदि) में संलग्न करना,दूसरी शर्त है समर्पित भाव वाला अर्थात् गुरुजनों,आप्त पुरुषों द्वारा जो शिक्षा दी जाए उसे ग्रहण करना।तीसरी शर्त है संदेह रहित आस्था यानी श्रद्धावान होना अर्थात् बात-बात में,हर बात में संदेह न करना गुरुजन जो बताएं उसे विवेकपूर्णक ग्रहण करना,विद्या अर्जित करना।इन तीनों शर्तों को पूरी करने वाला ही ज्ञान को उपलब्ध होता है।ज्ञान को उपलब्ध हुआ की झंझट खत्म क्योंकि जीवन में,अध्ययन में जितनी भी कष्ट,कठिनाइयां आती है उनका ज्ञान से ही समाधान होता है।ज्ञान से झंझट खत्म होते हैं क्योंकि ज्ञान न होने से ही परेशानियां होती है।ज्ञान से ही परमात्मा के दर्शन होते हैं और ज्ञान से ही मोक्ष प्राप्त होता है।

  • उपर्युक्त प्रश्नों के उत्तर द्वारा गुरु ने शिष्या को हवस का शिकार बनाया (Teacher Made Disciple Victim of Lust),गुरु ने शिष्या को भी नहीं बख्शा (The Teacher Did Not Spare Even Disciple) के बारे में ओर अधिक जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
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