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Students Should Not Postpone Studies

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1.छात्र-छात्राएं अध्ययन कार्य को टालिए मत (Students Should Not Postpone Studies),गणित के छात्र-छात्राएं अध्ययन को टालने से कैसे बचें? (How Do Mathematics Students Avoid Postponing Studies?):

  • छात्र-छात्राएं अध्ययन कार्य को टालिए मत (Students Should Not Postpone Studies) क्योंकि अक्सर छात्र-छात्राओं को अध्ययन को टालने की सामान्य आदत होती है।वे स्वयं सोचते हैं या यह कहते हुए सुने जाते हैं कि कल पढ़ लेंगे,बाद में पढ़ लेंगे,आज तो आराम कर लेता हूं कल से नियमित रूप से पढ़ लूंगा,आज अमुक काम है इसको कर लेता हूं फिर अध्ययन करूंगा इत्यादि।इस प्रकार रोज अध्ययन का कार्य रोज न निपटाने पर धीरे-धीरे इकट्ठा होता जाता है और ऐसे छात्र-छात्राएं धीरे-धीरे पिछड़ते चले जाते हैं।परीक्षा के समय तक अध्ययन कार्य पूरा-पूरा इकट्ठा होकर विशालकाय रूप ले लेता है।उस समय वे समझ ही नहीं पाते हैं कि कौनसा विषय पढूँ? गणित पढूँ,विज्ञान पढूँ,अंग्रेजी पढूँ या अन्य विषय पढूँ यह निश्चय ही नहीं कर पाते हैं।ऐसे छात्र-छात्राओं का परीक्षा के समय मानसिक संतुलन गड़बड़ा जाता है और वे तनावग्रस्त हो जाते हैं।
  • फलस्वरूप परीक्षा में प्रश्न-पत्र खराब हो जाते हैं या तो वे असफल हो जाते हैं या बमुश्किल उत्तीर्ण होते हैं अथवा परीक्षा में अच्छे अंक प्राप्त नहीं कर पाते हैं।यदि वे सत्रारम्भ से नियमित रूप से थोड़ा-थोड़ा भी अध्ययन करते तो ऐसी दयनीय और शर्मनाक स्थिति से बचा जा सकता था।
  • ऐसे छात्र-छात्राएं जीवन के हर क्षेत्र में लाभ उठाने के अवसर से वंचित हो जाते हैं।अतः सटीक रणनीति तो यही है कि अध्ययन कार्य को टाले नहीं बल्कि रोज का कार्य रोज निपटाने की आदत डालें।अध्ययन कार्य को कल या आगे के लिए न टालें वरना रोज-रोज अध्ययन कार्य इकट्ठा होता जाएगा और फिर नियंत्रण के बाहर हो जाएगा।
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2.अध्ययन कार्य को टालने के बहाने (Excuses for Postponing Study Work):

  • कोई भी विद्यार्थी यह कहकर कर अपने कर्त्तव्य से मुक्त नहीं हो सकता कि मैं अध्ययन तो कर सकता हूं,अध्ययन करने में मुझे कोई परेशानी नहीं आती है परंतु अध्ययन करने का मन नहीं करता है।प्रतिभा होते हुए भी जो विद्यार्थी यह बहाना बनाकर टालते हैं ऐसे विद्यार्थी को लोग क्या कहेंगे? यह बेवकूफी,नाकारापन और अकर्मण्यता ही कहा जाएगा।अध्ययन जैसे कष्टसाध्य कर्त्तव्यों और कठिन कार्यों को न करने या बाद में करने की ठानते हैं तो ऐसा विद्यार्थी बुद्धिहीन ही कहा जा सकता है।
  • कई विद्यार्थी सरल-सरल सवालों को हल कर लेते हैं तथा प्रश्नों के उत्तर पढ़ लेते हैं।जो कठिन सवाल हैं उनको हल नहीं करते हैं तथा कठिन प्रश्नों के उत्तरों को नहीं पढ़ते हैं या समझने की कोशिश ही नहीं करते हैं।यह प्रवृत्ति उन्हें मन का गुलाम बना देती है जबकि उसे मन का गुलाम नहीं मालिक बनकर अध्ययन कार्य को निपटाना चाहिए।कई छात्र-छात्राएं जीवन में महत्त्वपूर्ण कार्य इसलिए ही नहीं कर पाते हैं क्योंकि वे मन के गुलाम होते हैं।मन के गुलाम व्यक्ति के सामने कठिन परिस्थिति आते ही घबरा जाते हैं।
  • ऐसे विद्यार्थी अध्ययन के सरल-सरल टाॅपिक को चुन-चुनकर पढ़ लेते हैं,हल कर लेते हैं या याद कर लेते हैं।जब कठिन टॉपिक्स को पढ़ने,हल करने या याद करने की बात उनके सामने आती है तो बाद में करने की आदत (दीर्घसूत्रता) के शिकार हो जाते हैं।बाद में अध्ययन कर लेंगे,फिर अध्ययन कर लेंगे की प्रवृत्ति उनके जी का जंजाल बन जाती है क्योंकि कठिन टॉपिक्स के अध्ययन का कार्य उन्हें मन ही मन खटकने लगता है।
  • जिन छात्र-छात्राओं के पास अध्ययन करने की सब सुख-सुविधाएं होते हुए भी यदि उनकी दिनचर्या पर नजर डालेंगे तो पाएंगे कि वे अध्ययन का टाइम टेबल भी बना लेते हैं और पढ़ने की योजना भी बना लेते हैं परंतु उसको साकार करने के बजाय अन्य कार्यों में संलग्न हो जाते हैं।जैसे यार-दोस्तों से गप-शप लड़ाना,मौज मस्ती करना,चाय-नाश्ता करना व कराना,भोजन करके विश्राम करना,उठने के बाद चाय पीना,अखबार पढ़ना,टीवी देखना,सोशल मीडिया पर व्यस्त रहना और सैर-सपाटा करना,जन्मदिन,विवाह व विभिन्न पार्टियों में शामिल होना इत्यादि।उन्हें पूछने पर वे कहते हैं कि वे इतने व्यस्त रहते हैं कि पढ़ने के लिए समय ही नहीं मिलता है।
  • कई लड़कियां ऐसा बहाना बनाती हैं कि माँ को रसाई के काम में हाथ बँटाना पड़ता है,घर की साफ-सफाई भी उन्हें ही करनी पड़ती है।कहने को वे भी यही कहती हैं कि उन्हें घर का कामकाज करने के कारण पढ़ने के लिए फुरसत ही नहीं मिलती है।
  • कोई भी विद्यार्थी समय गुजारने और अपने आपको व्यस्त बताने के लिए उपर्युक्त से मिलता-जुलता कार्यक्रम बना सकता है।
  • बाजार जाकर घर की चीजें खरीदने में भी समय लगता है ऐसी दशा में अध्ययन जैसे महत्त्वपूर्ण कार्य के लिए समय निकालना मुश्किल है।आखिर विद्यार्थियों को यह सोचना चाहिए कि उनका महत्त्वपूर्ण कर्त्तव्य क्या है जिसको सर्वोपरि प्राथमिकता दी जानी चाहिए।
  • छात्र-छात्राएं सबसे अधिक समय की बर्बादी दोस्ती निभाने में करते हैं।जब मन में आया तभी यार-दोस्तों से मिलने चल पड़ते हैं और इधर-उधर की बेकार की बातें करते-रहते हैं।टालने पर टलते नहीं।बीच-बीच में चाय-नाश्ता,जलपान आदि मन बहलाव मिलते रहे तब तो कहना ही क्या? थोड़ा-बहुत भी आदर-सम्मान मिल जाता है तो फिर रोज-रोज आने का सिलसिला प्रारंभ कर देते हैं।यह सिलसिला जो भी विद्यार्थी करते हैं उनके जीवन की बरबादी ही समझना चाहिए।

3.अध्ययन कार्य को टालने से कैसे बचें? (How to Avoid Postponing Study Work?):

  • आज के अध्ययन कार्य को आज ही निपटाना प्रशंसनीय सद्गुण है।अध्ययन कार्य में आने वाली जटिलताओं,कठिनाइयों से जूझना और हल करना सफलता का स्वर्णिम सूत्र है।अध्ययन कार्य जैसे कर्त्तव्यों से विद्यार्थी छुटकारा नहीं पा सकते हैं।देर-सबेर अध्ययन कार्य को निपटाना ही होता है फिर क्या जरूरत है कि व्यर्थ के कार्यों,कम महत्त्वपूर्ण कार्यों या सामान्य कार्य में लगे रहकर अध्ययन जैसे महत्त्वपूर्ण कार्य का बोझ अपने मन-मस्तिष्क पर बनाए रखें।
  • सूक्ष्म दृष्टि से देखना चाहिए कि हममें अध्ययन कार्य अथवा अध्ययन में भी जटिल व कठिन कार्यों को टालने,विद्याग्रहण जैसे कर्त्तव्यों से बचने की आदत तो नहीं पड़ गई है।आत्म-निरीक्षण के द्वारा ऐसी स्थिति का पता चले तो दृढ़ निश्चय करना चाहिए कि अध्ययन जैसे कार्य को सबसे बाद में करने की जो आदत पड़ गई है उसे सबसे पहले करें।परीक्षा में भी जिन सवालों को आप ठीक तरह से हल कर सकते हैं अथवा जिन प्रश्नों के उत्तर ठीक तरह से जानते हैं उनको उत्तर-पुस्तिका में लिखने के बाद जो सवाल तथा प्रश्न नहीं आते हैं उनको छोड़ने के बजाय हल करने का प्रयास करना चाहिए।
  • यदि अध्ययन करने की आदत डाल ली जाए तो जो सवाल कठिन जान पड़ते हैं अथवा जो प्रश्न कठिन लगते हैं वे भी प्रयत्न करने पर हल होने लगते हैं।वास्तव में कोई भी सवाल अथवा प्रश्न असाध्य व कठिन नहीं है।उन्हें हमारी आदतें ही कठिन बनाती है और यह आदत है टालने की प्रवृत्ति।इस टालने की वृत्ति के कारण आसान और सहज सवाल या प्रश्न भी धीरे-धीरे कठिन लगने लग जाते हैं।
  • कठिन सवालों व प्रश्नों को हल करने का सबसे उत्तम समय है सुबह का समय।सुबह का वातावरण शान्त रहता है और उस समय हम पूर्ण एकाग्रता के साथ कठिन व जटिल सवालों को हल करने में अधिक सक्षम हो सकते हैं।इसकी अपेक्षा अनावश्यक कार्यों को पहले करने का स्वभाव थकाने वाला बन जाता है और थकान की स्थिति में अध्ययन जैसे महत्त्वपूर्ण व कठिन कार्य को नहीं किया जा सकता है।
  • यदि आलस्य और उपर्युक्त वृत्ति पर विजय प्राप्त नहीं कर सकें तो निश्चित है कि हम औसत विद्यार्थी का स्तर भी नहीं प्राप्त कर पाएंगे।हम जिन परिस्थितियों में हैं,प्रगतिशील विद्यार्थी उनसे गई-गुजरी स्थिति में भी हमसे आगे बढ़ जाता है और हम कुछ कर सकते हैं तो केवल ईर्ष्या।
  • कुछ बनने के लिए दृढ़ संकल्प के साथ अध्ययन में जुट जाना चाहिए।यह बात ध्यान में रखनी चाहिए कि अध्ययन में आनेवाली जटिलताओं,कठिनाइयों और समस्याओं से हमारी सामर्थ्य तथा योग्यता का विकास संभव है।
  • अध्ययन में हर टाॅपिक समान होते हैं।सभी टाॅपिक को पढ़ने पर पूरे हो जाते हैं।यह हमारे मन का आलस्य ही है जो कठिन और सरल का वर्गीकरण करता है।अपने भीतर छिपे बैठे इस घर के भेदी की बात मान ली जाए तो अध्ययन में सभी टाॅपिक कठिन लगने लगेंगे।अतः पुरुषार्थी छात्र-छात्रा की दृष्टि में अध्ययन केवल अध्ययन होता है।कठिन-सरल के वर्गीकरण के चक्कर में न पड़ते हुए वे उसे पूरा करने में जुट पड़ते हैं।
  • जिन्होंने विशेष अध्ययन,कलाकारिता,शोध जैसे महत्त्वपूर्ण कार्य किए उन्होंने समय के एक-एक क्षण का उपयोग किया है।
    संसार में महान गणितज्ञों और महान वैज्ञानिकों को किसी महत्त्वपूर्ण प्रगति के लिए समय का केन्द्रीकरण और विचारों का केन्द्रीकरण करना पड़ता है।दैनिक नित्यकर्मों के काम तो ऐसे चलते-फिरते हो जाते हैं।उन्हें भी तत्परतापूर्वक किया जाए तो दो घंटे में दैनिक नित्यकर्म पूरे हो जाते हैं।रात को जल्दी सोया जाए और सुबह जल्दी उठा जाए तो वह सबेरे का बचा हुआ समय ऐसा सुविधाजनक होता है कि उसमें बौद्धिक कार्य दिनभर जितना निपट जाता है।

4.समय का सदुपयोग करें (Make Good Use of Your Time):

  • जिन्हें अपने समय का महत्त्व विदित हो उसे बचाना और अध्ययन जैसे कार्य में लगाना चाहते हैं,उन्हें ठाली रहने की तरह दोस्ती निभाने का चस्का लगने से भी बचना चाहिए।दुर्व्यसनों में एक यह भी है कि ठाली लोगों के साथ दोस्ती बढ़ाई जाए और उनके साथ गप-शप का सिलसिला चलाया जाए।
  • महत्त्वपूर्ण विद्यार्थी जिन्हें जीवन में महत्त्वपूर्ण कार्य करने हैं,वे समय का कड़ाई से पालन करते हैं।उसे तनिक भी बर्बाद नहीं होने देते।मनोरंजन के लिए मन करे तो मित्रों के साथ ज्ञानवर्द्धक एवं उपयोगी चर्चा की आदत डालनी चाहिए,इससे वे प्रसन्न भी रहते हैं और कुछ अच्छा बनने का उत्साह भी प्राप्त करते हैं।
  • संसार की सबसे बहुमूल्य वस्तु का नाम हैःसमय।यह वह माध्यम है,जिसका सदुपयोग करके संसार की किसी भी सफलता को पाया जा सकता है।यह मानव जीवन की सबसे बड़ी संपदा है।परिश्रम से सफलता प्राप्त होती है,यह सत्य है।परंतु परिश्रम भी यदि समय पर नहीं किया जाए तो बेकार है।एक परिश्रमी विद्यार्थी यदि सत्रारम्भ से अध्ययन नहीं करेगा तो उसका परिश्रम व्यर्थ चला जाएगा।निश्चित समय पर अध्ययन की पुनरावृत्ति,मॉडल पेपर्स को हल नहीं करेगा तो प्रश्नपत्र को निश्चित समय में हल करने की सिद्धि प्राप्त नहीं कर सकेगा।परीक्षा के बाद परिश्रम करने या ठीक परीक्षा के समय परिश्रम करने पर वह परिश्रम बरबाद हो जाएगा।विद्यार्थी की ही नहीं सभी के जीवन की भी यही स्थिति है।
  • महान गणितज्ञों एवं महान् वैज्ञानिकों की सफलता का रहस्य इस बात में है कि उन्होंने अपने जीवन के प्रत्येक क्षण का उपयोग किया,उसे अमूल्य संपत्ति समझा।वे प्रत्येक क्षण पूरी निष्ठा,लगन और परिश्रम से अपने काम में जुटे रहे।इस क्रम को अपनाकर कोई भी छात्र-छात्रा महान गणितज्ञों और महान् वैज्ञानिकों की पंक्ति में खड़ा हो सकता है।
  • हर विद्यार्थी का कर्त्तव्य है कि वह समय का मूल्य पहचानें।जीवन में समय तो निश्चित मिला है,पर अध्ययन कार्य की अधिकता है।समय व्यर्थ गँवाने पर पछताने के अतिरिक्त क्या मिलेगा? जो जीवन में सफलता पाना चाहते हैं,उन्हें कोई भी काम कल पर नहीं टालना चाहिए।कल के काम के लिए कल का ही दिन निश्चित है।जो आज करना है,उसके लिए आज का दिन ही बनाया गया है।आज का काम कल पर टालेंगे,तो कल का काम दोगुना हो जाएगा और निश्चित ही वह काम पूरा न हो सकेगा।कल का काम फिर परसों पर चला जाएगा और अध्ययन कार्य का बोझ इतना बढ़ जाएगा कि वह कभी पूरा ही न होगा।अध्ययन कार्य को बढ़ाते-बढ़ाते मन भी खिन्न हो जाता है और अध्ययन को बेमन से मुश्किल से पूरा किया जाता है।अध्ययन पूरी निपुणता से नहीं होता,जैसे-तैसे खानापूर्ति होती है।इससे विद्यार्थी की योग्यता और प्रतिभा नहीं निखर पाती।उसकी दक्षता और कार्यकुशलता समाप्त हो जाती है।
  • बीता हुआ समय कभी लौटकर नहीं आता।जिसने समय की बर्बादी की,उसने जीवन की बर्बादी कर दी।

5.अध्ययन को टालने की प्रवृत्ति का दृष्टांत (An Illustration of the Tendency to Postpone Study Work):

  • एक विद्यार्थी था।स्वभाव से निठल्ला था।दिनभर में ठाली दोस्तों के साथ घूमता-फिरता बार-बार घर आकर माँ से खाना मांगता।माँ न तो उत्साह दिखाती और न हर बार खाना देती।उसकी इस टाल-मटोल और उपेक्षा से विद्यार्थी बड़ा दुःखी रहता था।यह बात उसने अपने मित्र को बताई।मित्र ने कहा कि तुम अध्ययन कार्य को टालते रहते हो,अध्ययन नहीं करते हो।जबकि विद्यार्थी का प्रमुख कर्त्तव्य है अध्ययन को पूर्ण निष्ठा व साधना के साथ करना।
  • जो विद्यार्थी श्रद्धा के साथ अध्ययन को पूजा समझकर करता है उसके माता-पिता उसका हर तरह का ध्यान रखते हैं,उसको प्रेम और स्नेह मिलता है।तुम्हारा कार्य ठाली दोस्तों के साथ गप-शप करना नहीं है,मौज मस्ती करना नहीं है बल्कि विद्या ग्रहण करना है।तुम आज से ही अध्ययन को टालने की प्रवृत्ति छोड़ दो और समय पर अध्ययन करना प्रारंभ कर दो।
  • विद्यार्थी खुश होकर घर लौटा पर इस बार भोजन नहीं मांगा बल्कि अध्ययन कक्ष में चला गया।रात के 10:00 बज गए और वह अध्ययन में तल्लीन होकर पढ़ता रहा।
  • माँ ने देखा कि पुत्र ने भोजन नहीं माँगा और अध्ययन कर रहा है तो वह स्वयं भोजन थाली में लेकर उपस्थित हुई।यही नहीं उसने प्रेम से उसके सिर को सहलाया।साथ ही कहा कि पुत्र अध्ययन करने से मानसिक थकान हो गई होगी।अब हाथ मुँह धोकर,भोजन कर लो और सो जाओ।सुबह जल्दी उठकर नित्यकर्मों से निवृत्त होकर अध्ययन करना।
  • उस दिन उस विद्यार्थी को भोजन तृप्तिदायक लगा।उसने माँ से पूछाःमाँ पहले तो तुम उपेक्षा दिखाती थी और आज स्नेह व प्यार लुटा रही हो।यह व्यवहार में अन्तर क्यों? माँ बोलीःपुत्र!तुमने अध्ययन का महत्त्व समझ लिया है।तुम्हारा मुख्य कर्त्तव्य अध्ययन करना ही है।तुम्हारी उन्नति,प्रगति और विकास का आधार अध्ययन पर ही निर्भर है और उसी से आत्मसंतुष्टि मिलती है।बस,समझ लो यह उसी की प्रतिक्रिया है।पुत्र ने मां के चरण स्पर्श किए और कहा कि मैं रोज अध्ययन कार्य पूर्ण निष्ठा,लगन,उत्साह और साधना समझकर करूंगा।
  • उपर्युक्त आर्टिकल में छात्र-छात्राएं अध्ययन कार्य को टालिए मत (Students Should Not Postpone Studies),गणित के छात्र-छात्राएं अध्ययन को टालने से कैसे बचें? (How Do Mathematics Students Avoid Postponing Studies?) के बारे में बताया गया है।

Also Read This Article:How Do Mathematics Students Study?

6.गणित और आईने में देखने का संबंध (हास्य-व्यंग्य) (The Relationship Between Math and Mirror Viewing) (Humour-Satire):

  • पुत्र (माँ से):आज सुबह से न जाने किसका मुंह देख कर उठा हूँ कि दिनभर में अध्ययन ही नहीं कर सका,कोई न कोई आफत आ गई।
  • मां (पुत्र से):मेरी मानो तो अध्ययन कक्ष में लगे आइने को हटा दो वरना रोज यही शिकायत रहेगी।

7.छात्र-छात्राएं अध्ययन कार्य को टालिए मत (Frequently Asked Questions Related to Students Should Not Postpone Studies),गणित के छात्र-छात्राएं अध्ययन को टालने से कैसे बचें? (How Do Mathematics Students Avoid Postponing Studies?) से संबंधित अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न:

प्रश्न:1.आलसी छात्र-छात्रा अपने जीवन को कैसे व्यतीत करता है? (How Does a Lazy Student Spend his or her Life?):

उत्तर:आलसी छात्र-छात्रा अवसर की प्रतीक्षा करते हैं और अपना जीवन इसी तरह गँवाते रहते हैं।वे यह नहीं समझ पाते हैं कि जीवन का प्रत्येक क्षण एक स्वर्णिम अवसर लेकर चुपचाप आता है और उपयोग न करने पर दबे पाँव लौट जाता है।जब तक किसी क्षण का पूरा उपयोग नहीं किया जाएगा,तब तक निश्चयपूर्वक कैसे कहा जा सकता है कि यह समय इस अध्ययन के लिए उपयुक्त नहीं है।विद्यार्थी सोचता है यह क्षण उसके भाग्योदय का नहीं है,पर क्या पता समुचित रूप से उपयोग करने पर यह क्षण सुन्दर,सफल,सौभाग्य का उपहार उसकी झोली में डाल दे।हर विद्यार्थी के जीवन में परिवर्तनकारी समय आता है,पर वह उसके आने की आहट नहीं सुन पाता।बुद्धिमानी इसी में है कि विद्यार्थी हर क्षण को अमूल्य समझकर उसे व्यर्थ न गवाएं।
विद्यार्थी की सफलता के लिए यह भी आवश्यक है कि वह कम समय में अधिक काम करने की आदत डाले।आलसी छोटे-छोटे कामों में अपना पूरा समय बर्बाद कर देते हैं जबकि फुर्तीले विद्यार्थी थोड़े समय में बहुत-सा काम निपटा देते हैं और अन्य कामों के लिए भी समय निकाल लेते हैं।

प्रश्न:2.विद्यार्थी के लिए दिनचर्या का क्या महत्त्व है? (What is the Importance of Routine for the Student?):

उत्तर:समय का पूरा-पूरा लाभ तभी मिलता है,जब हम दिनचर्या बनाकर काम करते हैं।नियमित दिनचर्या का बहुत महत्त्व है।नियमित समय पर काम करने से हमेशा अन्तर्मन वैसा ही ढलने लगता है।नाश्ता,भोजन हम नियमित रूप से लेते हैं और नियत समय पर उसकी तलब हो जाती है।इसी प्रकार अध्ययन को नियमित रूप से करें,तो वह हमारी आदत बन जाएगी,हमारे स्वभाव का अंग बन जाएगी।कभी खूब पढ़ लिया,कभी नहीं पढ़ा तो इसका लाभ नहीं मिल सकता है।विद्यार्थी को नियमित निरन्तरता बनाकर अध्ययन करना चाहिए।थोड़ा-थोड़ा अध्ययन करने पर भी बहुत हो जाता है।एक-एक बूंद से घड़ा भरता है।कालिदास निरंतर प्रयास करते रहने से विश्व प्रसिद्ध कवि बन गए।इस प्रकार समय का भलीभांति उपयोग करके कोई भी सफलता प्राप्त कर सकता है।समय का सदुपयोग ही वह कुंजी है जो चमत्कारी फल प्रदान करती है।

प्रश्न:2.विद्यार्थी के लिए दिनचर्या का क्या महत्त्व है? (What is the Importance of Routine for the Student?):

उत्तर:समय का पूरा-पूरा लाभ तभी मिलता है,जब हम दिनचर्या बनाकर काम करते हैं।नियमित दिनचर्या का बहुत महत्त्व है।नियमित समय पर काम करने से हमेशा अन्तर्मन वैसा ही ढलने लगता है।नाश्ता,भोजन हम नियमित रूप से लेते हैं और नियत समय पर उसकी तलब हो जाती है।इसी प्रकार अध्ययन को नियमित रूप से करें,तो वह हमारी आदत बन जाएगी,हमारे स्वभाव का अंग बन जाएगी।कभी खूब पढ़ लिया,कभी नहीं पढ़ा तो इसका लाभ नहीं मिल सकता है।विद्यार्थी को नियमित निरन्तरता बनाकर अध्ययन करना चाहिए।थोड़ा-थोड़ा अध्ययन करने पर भी बहुत हो जाता है।एक-एक बूंद से घड़ा भरता है।कालिदास निरंतर प्रयास करते रहने से विश्व प्रसिद्ध कवि बन गए।इस प्रकार समय का भलीभांति उपयोग करके कोई भी सफलता प्राप्त कर सकता है।समय का सदुपयोग ही वह कुंजी है जो चमत्कारी फल प्रदान करती है।

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  • उपर्युक्त प्रश्नों के उत्तर द्वारा छात्र-छात्राएं अध्ययन कार्य को टालिए मत (Students Should Not Postpone Studies),गणित के छात्र-छात्राएं अध्ययन को टालने से कैसे बचें? (How Do Mathematics Students Avoid Postponing Studies?) के बारे में ओर अधिक जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
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