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How Do Mathematics Students Study?

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1.गणित के छात्र-छात्राएं अध्ययन कैसे करें? (How Do Mathematics Students Study?),छात्र-छात्राएँ अध्ययन कैसे करें? (How Do Students Study?):

  • गणित के छात्र-छात्राएं अध्ययन कैसे करें? (How Do Mathematics Students Study?) के इस आर्टिकल से पूर्व छात्र-छात्राओं के लिए अध्ययन करने की बेहतरीन 3 टिप्स लिखा गया है।वह आर्टिकल सभी विद्यार्थियों को ध्यान में रखते हुए लिखा गया था।परंतु गणित विषय तथा अन्य विषयों की प्रकृति अलग-अलग है।अन्य विषय अधिकतर थ्योरीटिकल विषय हैं जबकि गणित विषय प्रैक्टिकल विषय है।गणित विषय में अभ्यास का अधिक महत्त्व है।जितना गणित का अभ्यास करते हैं उतनी ही गणित पर मजबूत पकड़ होती जाती है।
  • गणित का ज्ञान बढ़ाने के लिए गणित का नियमित रूप से अध्ययन (अभ्यास) करना चाहिए।नियमित रूप से अध्ययन करने से गणित के सूत्र,सिद्धान्त और प्रमेय याद रहती हैं।कहा भी गया है कि याद है तो आबाद है और भूल गया तो बर्बाद है।
  • गणित के जिस टाॅपिक का अध्ययन करें तो उस पर चिंतन-मनन किया जाना चाहिए।गणित का अध्ययन,मनन-चिंतन के साथ ही गणित के सवालों की पुनरावृत्ति भी करते रहना चाहिए।
  • आधुनिक युग में माता-पिता,अभिभावक तथा शिक्षक गणित का अध्ययन करने पर दाब-दबाव डालते हैं परंतु दाब-दबाव से छात्र-छात्राएं तनावग्रस्त हो जाते हैं और गणितीय प्रतिभा विकसित होने के बजाय उनमें कुण्ठा,हीन भावना तथा गणित फोबिया (डर) की भावना से ग्रस्त हो जाते हैं।
  • वस्तुतः माता-पिता,अभिभावक और गणित अध्यापक छात्र-छात्राओं का हित ही चाहते हैं परंतु यह भूल जाते हैं कि छात्र-छात्राओं पर दाब-दबाव के बजाय प्रेरणा ज्यादा परिणामजनक होती है।अध्यापकगण भी गणित को पढ़ाने की कला से पूरी तरह परिचित नहीं होते हैं।
  • हमारी शिक्षा पद्धति में भी खामियां हैं इसलिए छात्र-छात्राएं गणित पढ़ने से कतराते हैं।गणित में कम अंक आने,गणित में असफल होने पर उन पर दाब-दबाव डाला जाता है जिससे उनकी प्रतिभा कुण्ठित हो जाती है और उनकी गणितीय प्रतिभा विकसित नहीं हो पाती है।
  • शिक्षा पद्धति में बदलाव करना तो हमारे वश में नहीं है परंतु माता-पिता,शिक्षक अपना कर्त्तव्य समझते हुए उन्हें गणित पढ़ने के लिए प्रेरित करें तथा उनके सामने आने वाली समस्याओं और कठिनाइयों का समाधान करें।उन्हें गणित को पढ़ाने के लिए पहेलियां,गणित के खेल,जादुई वर्ग (Magic Square),मॉडल्स,हास्य व्यंग और कहानियों का प्रयोग करना चाहिए।इनका प्रयोग करने से गणित उबाऊ,नीरस न लगकर सरस तथा आनंददायक लगने लगेगी।
  • गणित विषय पढ़ने के साथ-साथ उन्हें नैतिक,धार्मिक तथा प्रेरणादायक पुस्तकें यथा रामायण,महाभारत,गीता इत्यादि को पढ़ने के लिए प्रेरित करना चाहिए।ऐसा करने से छात्र-छात्राओं में अच्छे संस्कारों का निर्माण होगा और उनके अंदर छिपी हुई प्रतिभा को विकसित करने में सहयोग मिलेगा।
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2.गणित रटे नहीं बल्कि अभ्यास करें (Don’t Cram but Practice Mathematics):

  • गणित ही क्या कोई भी विषय रटने के बजाय समझकर याद करने या समझकर अभ्यास करने पर अधिक समय तक याद रहता है।गणित को समझकर अभ्यास करने,उस पर मनन-चिंतन करने,नोट्स बनाने से ही छात्र-छात्राएं उच्च कोटि के गणितज्ञ बन सकते हैं।वर्तमान समय में किसी भी प्रतियोगिता परीक्षा में गणित तथा मानसिक क्षमता के आधार पर अभ्यर्थी का चयन किया जाता है।स्पष्ट है कि जाॅब प्राप्त करने,जीवन जीने की कला विकसित करने तथा दैनिक जीवन में गणित का महत्त्वपूर्ण योगदान है।
  • गणित तथा विज्ञान ऐसे विषय हैं जिन पर देश-काल की सीमाएँ लागू नहीं होती है बल्कि सार्वभौमिक है।गणित का अभ्यास करने से मस्तिष्क का अच्छा व्यायाम हो जाता है।जो छात्र-छात्राएं नियमित रूप से गणित का अभ्यास करता है वे विद्यार्थी अधिक सजग,सक्रिय तथा सावधान रहते हैं।
  • गणित का जितना ज्ञान प्राप्त करते हैं और अभ्यास करते हैं तो महान् गणितज्ञों के अनुभव और उनके संघर्ष का पता चलता है।गणित के नियमित अध्ययन और अभ्यास से हमारी रचनात्मक क्षमता का विकास होता है।अभ्यास करने के साथ-साथ जब हम उस पर चिन्तन भी करते हैं तो गणित के बारे में नए-नए विचार आते हैं जिससे हमारी गणितीय प्रतिभा विकसित होती है।हमें गणित में नई खोज करने की प्रेरणा मिलती है।
  • गणित का अध्ययन करने से हम तनावमुक्त रहते हैं और वर्तमान पर चिन्तन करने की प्रेरणा मिलती है।आधुनिक युग में भौतिक सुख-सुविधाओं में वृद्धि होने के कारण एकाग्र रह पाना हर किसी के लिए एक चुनौती है परन्तु गणित का अभ्यास करने से हम सहज ही में एकाग्र हो जाते हैं।
  • कुछ छात्र-छात्राएं गणित से घबराते हैं,उन्हें गणित विषय कठिन लगता है।इसका कारण है ऐसे विद्यार्थी शुरू से ही जोड़,बाकी,भाग,गुणा,पहाड़े,गिनती को सीखने से जी चुराते थे।धीरे-धीरे वे गणित से कतराने लगे तथा ऊँची कक्षाओं में गणित उन्हें कठिन व उबाऊ लगने लगा।परन्तु वही गणित विषय अभ्यास से सरल और रुचिकर हो जाता है।
  • दृढ़तापूर्वक लगातार गणित का अभ्यास करते रहें और पुनरावृत्ति करें तो यही विषय हमें सरल लगने लगेगा।गणित को केवल परीक्षा के दृष्टिकोण से पढ़ने,कभी गणित को पढ़ा तथा कभी नहीं पढ़ा तो यह विषय हमें कठिन व अरुचिकर लगने लगता है।
  • आलसी दिनचर्या के कारण भी गणित विषय हमें कठिन लगने लगता है।आलस्य के कारण हम हमारे मस्तिष्क का ठीक से उपयोग नहीं करते हैं।जो छात्र-छात्राएं गणित में मेधावी होते हैं वे अपने दिमाग को अधिक से अधिक सक्रिय रखते हैं और गणित का अभ्यास करते रहते हैं।वे अपने मस्तिष्क का उपयोग जितना गणित को हल करने में लगाते हैं उतनी ही उनकी पकड़ मजबूत होती जाती है।
  • गणित के छात्र-छात्राएं जितनी जटिल गणित की समस्याओं तथा सवालों को हल करेंगे,जितना अधिक गणित को हल करने में संघर्ष करेंगे और जितना मस्तिष्क का उपयोग गणित की समस्याओं को हल करने में करेंगे उनका गणित में उतना ही अधिक विकास होगा।
  • इसका अर्थ यह नहीं है कि हमेशा गणित ही गणित पढ़ते रहे क्योंकि प्रारंभ में एक ही विषय पढ़ते-पढ़ते बोरियत होने लगती है।अतः गणित यदि उनका मुख्य विषय है तो कुछ समय के लिए अन्य विषयों को भी पढ़ना चाहिए।इससे उनके व्यावहारिक ज्ञान में वृद्धि होगी और बोरियत भी खत्म हो जाएगी।

3.गणित का अध्ययन करने की टिप्स (Tips for Studying Mathematics):

  • गणित का अध्ययन करने के लिए इससे पूर्व कई लेख लिख चुके हैं।उन लेखों को पढ़ते हुए इस लेख को पढ़ना चाहिए।कई छात्र-छात्राओं को गणित फोबिया हो जाता है जिसके कारण वे गणित के नाम से ही डरने लगते हैं।आधुनिक युग में आगे बढ़ने की प्रतिस्पर्धा,माता-पिता तथा शिक्षकों का अधिक अंक और अव्वल आने का दबाव,छात्र-छात्राओं का भविष्य खराब होने का डर इत्यादि कारणों से वे गणित को हल करने से कतराने लगते हैं।छात्र-छात्राओं पर दाब-दबाव के बजाय उन्हें प्रेरित करने के उपाय करना चाहिए।उनकी तुलना अन्य बालक-बालिकाओं से न करें।
  • यदि छात्र-छात्राओं को कुछ हासिल करना है,जाॅब प्राप्त करना है,भविष्य सँवारना है तो तमाम तरह की नकारात्मक सोच को त्यागकर गणित का अध्ययन करने में जुट जाना चाहिए।गणित विषय को अभी तक गंभीरता से नहीं ले रहे हैं तो गंभीरतापूर्वक लेना चाहिए।
  • अध्ययन करने में रुचि,जिज्ञासा,आत्म-विश्वास,आशावादी होना इत्यादि का तो योगदान है ही।इनके बारे में जानने के लिए इनसे संबंधित लेख पढ़ने चाहिए।
  • गणित विषय की थ्योरी को ठीक से समझें।सूत्रों का निर्माण किया है उसे जानें? सूत्रों की छोटी नोट बुक बना लेनी चाहिए।थ्योरी व सूत्रों को पढ़ने पर जो बात समझ में नहीं आई है उसे मित्रों के साथ विचार-विमर्श करें।यदि फिर भी समझ में न आए तो अध्यापक से पूछें।थ्योरी और सूत्रों को समझकर उस पर आधारित उदाहरणों को हल करें।इसके पश्चात प्रश्नावली में दिए गए सवालों को हल करें।जो सवाल हल नहीं हो रहे हो उन्हें चिन्हित कर लें।उनको हल करने की चेष्टा करें।एक तरीके से हल नहीं हो रहे हों तो दूसरा या तीसरा तरीका अपनाया जाना चाहिए।
  • बार-बार प्रयास करने पर भी कोई सवाल हल नहीं हो रहा हो तो उसे मित्रों व अध्यापक की सहायता से हल करें।इसके पश्चात उस प्रश्नावली के नोट्स बना लेना चाहिए।
  • गणित का गहनता से अध्ययन करने के लिए पाठ्यपुस्तक के साथ-साथ सन्दर्भ पुस्तकों को भी पढ़ना चाहिए।गणित का गहराई से ज्ञान प्राप्त करने के लिए नोट्स बनाना एक प्रभावी तरीका है।नोट्स बनाना ही पर्याप्त नहीं है बल्कि प्रभावी और अच्छे नोट्स बनाने चाहिए।
  • गणित शिक्षक भी आपको गणित के नोट्स उपलब्ध कराते हैं।परन्तु विद्यालय अथवा बाजार के नोट्स पर निर्भर नहीं रहना चाहिए।स्वयं के द्वारा नोट्स तैयार करने पर गणित की अनेक गुत्थियाँ,समस्याएँ हल होती हैं।यदि आपको नोट्स तैयार करना नहीं आता है तो शिक्षक तथा बाजार से खरीदे गए नोट्स को पढ़कर और देखकर नोट्स बनाने की कोशिश करनी चाहिए।
  • नोट्स स्पष्ट,सरल व व्यवस्थित बनाने चाहिए।जहां आवश्यक हो वहाँ चित्र,सारणी और ग्राफ भी बनाना चाहिए।नोट्स में जो विषयवस्तु महत्त्वपूर्ण हो उसको रेखांकित कर लेना चाहिए।पढ़ने व सवालों को हल करने के बजाय नोट्स बनाने में ध्यान अधिक केन्द्रित रहता है जिससे वह मस्तिष्क में अधिक स्थाई रूप से संचित हो जाता है।परीक्षा के समय भी स्वयं के द्वारा बनाए गए नोट्स समझने में सुगम,सुविधाजनक तथा कम समय में पढ़े जा सकते हैं।
  • गणित पर मजबूत पकड़ बनाने के लिए कक्षा में नियमित रूप से जाएं और एकाग्रचित्त होकर शिक्षक द्वारा समझाए गए टाॅपिक को सुने और समझें।कक्षा में पढ़ाए गए टाॅपिक को घर आकर जरूर पढ़ें।अतिरिक्त सामग्री पढ़ने के लिए लाइब्रेरी में जाएं।आप गणित को समझने तथा सवालों को हल करने में व्यक्तिगत रूप से जितना प्रयास करेंगे उतनी ही गणित समझ में आएगी।

4.गणित में अध्ययन का दृष्टान्त (Illustration of Study in Mathematics):

  • यदि किसी में प्रतिभा होती है तो वह साधन-सुविधाओं के न होने तथा प्रतिकूलताओं  की बिल्कुल परवाह नहीं करता है।
  • एक विद्यार्थी था।उसके पिताजी का बचपन में ही देहान्त हो गया था।उसका बचपन बहुत गरीबी में बीता।प्रारंभिक शिक्षा जैसे-तैसे पूर्ण की।उसने गणित विषय से हायर सेकेंडरी परीक्षा पास कर ली।ज्योंही कॉलेज की शिक्षा का प्रश्न सामने उपस्थित हुआ तो उसके सामने आर्थिक संकट खड़ा हो गया।तब कुछ सहयोग उसके भाई ने किया और कुछ खर्चा ट्यूशन कराकर पूरा किया।परंतु उसके एक ही धुन थी कि गणित का अध्ययन करना।
  • उसके सामने अनेक प्रतिकूल परिस्थितियां उपस्थित हुई परंतु जो धुन के पक्के होते हैं प्रतिकूल परिस्थितियां भी उनका कुछ नहीं बिगाड़ सकती हैं।वे बने बनाए रास्ते पर चलने की आदी नहीं होते हैं बल्कि वे जिस दिशा में चल पड़ते हैं वहाँ नए रास्ते बना देते हैं।अन्ततः उसने गणित की शिक्षा पूरी कर ली।
  • इसके बाद शादी हो गई।परिवार का आर्थिक भार आ पड़ा।परंतु उसके दिल में एक ही तमन्ना थी कि जीवन में कुछ करना चाहिए।गणित के क्षेत्र में कुछ करना चाहिए।ऐसे व्यक्ति के मार्ग में बाधा भी ज्यादा समय तक ठहर नहीं पाती है।
  • उसने दृढ़ संकल्प,सशक्त मनोबल के आधार पर गणित के क्षेत्र में आने वाली समस्याओं और बाधाओं का समाधान किया।वह एक गणितज्ञ बन गया और यह बता दिया कि व्यक्ति चाहे तो क्या नहीं कर सकता है? उसने प्रतिकूल परिस्थितियों के सामने घुटने नहीं टेके तथा हार नहीं मानी।उसका दृढ़ निश्चय और स्पष्ट लक्ष्य सामने था।उसने तमाम प्रलोभनों को ठुकरा दिया तथा अन्ततः अपने मिशन में कामयाब रहा।
  • उपर्युक्त आर्टिकल में गणित के छात्र-छात्राएं अध्ययन कैसे करें? (How Do Mathematics Students Study?),छात्र-छात्राएँ अध्ययन कैसे करें? (How Do Students Study?) के बारे में बताया गया है।

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5.अध्यापक के डाँटने का कोई असर नहीं (हास्य-व्यंग्य) (Teacher Scolding Has No Effect) (Humour-Satire):

  • गणित अध्यापक (छात्र से):कल तुम्हें गणित में ध्यान न देने के कारण इतना डाँटा था परंतु तुम्हारे ऊपर कोई असर नहीं हुआ।
  • छात्र (गणित अध्यापक से):कल जब आपकी डाँट खाकर घर पर मैं मुँह लटकाकर गया तो माँ ने इसका कारण पूछा।मैंने उसे सारी बात बता दी।तब माँ ने कहा कि बड़ों की बात का बुरा नहीं मानते हैं। इसलिए मैंने भी आपकी डाँट का बुरा नहीं माना।

6.गणित के छात्र-छात्राएं अध्ययन कैसे करें? (Frequently Asked Questions Related to How Do Mathematics Students Study?),छात्र-छात्राएँ अध्ययन कैसे करें? (How Do Students Study?) से संबंधित अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न:

प्रश्न:1.गणित के छात्र-छात्राएं तनावग्रस्त क्यों हो जाते हैं? (Why do Mathematics Students Get Stressed?):

उत्तर:किशोर व युवावस्था सबसे संवेदनशील अवस्था होती है।गणित के छात्र-छात्राओं के सामने गणित के सवाल और समस्याएं आती हैं तथा वे हल नहीं कर पाते हैं और उनका उचित समाधान नहीं कर पाते हैं तो तनावग्रस्त हो जाते हैं।अतः माता-पिता,अभिभावकों तथा शिक्षकों को चाहिए कि वे छात्र-छात्राओं के साथ समय बिताएं।गणित में आने वाली समस्याओं और कठिनाइयों को हल न कर पाने पर उनका उचित समाधान करने में सहयोग करें।कई बार माता-पिता व शिक्षक ऐसे बालक-बालिकाओं की उपेक्षा कर देते हैं जिससे वे ओर अधिक तनावग्रस्त हो जाते हैं।

प्रश्न:2.छात्र-छात्राओं द्वारा गणित विषय लेते समय अभिभावकों को क्या ध्यान रखना चाहिए? (What Should Parents Keep in Mind While Taking Mathematics Subject by Students?):

उत्तर:अभिभावकों को ध्यान रखना चाहिए कि बालक-बालिकाओं की सामर्थ्य और मौलिकता को ध्यान में रखें।कई बार अभिभावक बच्चों की सामर्थ्य को समझे और परखे बिना उनसे यह उम्मीद करते हैं कि अभिभावकों की इच्छा को पूरा करें जो न तो व्यावहारिक है और न ही नैतिक क्योंकि हर व्यक्ति अपनी मौलिक सम्भावनाओं के साथ जन्म लेता है।उनकी सामर्थ्य गणित विषय लेने की नहीं है तो अपनी इच्छा को पूरी करने के लिए गणित विषय न थोपें।अपनी इच्छा थोपने पर विद्यार्थी के विकास पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ने की सम्भावना रहती है।

प्रश्न:3.अभिभावक बच्चों की शिक्षा के प्रति किस प्रकार कर्त्तव्य निभाते हैं? (How do Parents Perform Their Duties Towards Children’s Education?):

उत्तर:कई माता-पिता व अभिभावक यह समझते हैं कि अच्छी स्कूल में प्रवेश दिलाना तथा कोचिंग सेंटर की व्यवस्था करना और उसकी फीस चुकाने का ही कर्त्तव्य है।जबकि माता-पिता को छात्र-छात्राओं के संपूर्ण विकास पर ध्यान देना चाहिए।उन्हें थोड़ा सा समय बच्चों की पढ़ाई पर भी ध्यान देना चाहिए।विद्यालय तथा कोचिंग सेंटर जाकर उनके प्रदर्शन को जानना चाहिए।

  • उपर्युक्त प्रश्नों के उत्तर द्वारा गणित के छात्र-छात्राएं अध्ययन कैसे करें? (How Do Mathematics Students Study?),छात्र-छात्राएँ अध्ययन कैसे करें? (How Do Students Study?) के बारे में ओर अधिक जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।

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गणित के छात्र-छात्राएं अध्ययन कैसे करें?
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गणित के छात्र-छात्राएं अध्ययन कैसे करें? (How Do Mathematics Students Study?)
के इस आर्टिकल से पूर्व छात्र-छात्राओं के लिए अध्ययन करने की बेहतरीन 3 टिप्स लिखा गया है।
वह आर्टिकल सभी विद्यार्थियों को ध्यान में रखते हुए लिखा गया था।
परंतु गणित विषय तथा अन्य विषयों की प्रकृति अलग-अलग है।

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