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Child Loving Female Teacher

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1.बाल दीवानी प्रेमी अध्यापिका (Child Loving Female Teacher),बाल दीवानी प्रेमिका (Child Crazy Girlfriend):

  • बाल दीवानी प्रेमी अध्यापिका (Child Loving Female Teacher) से जाहिर होता है कि छात्र-छात्राएं एवं अध्यापक-अध्यापिका अपने मूल उद्देश्य अध्ययन-अध्यापन से भटककर सेक्सी कामनाओं की पूर्ति करने में लग जाते हैं।
  • सेक्स,अय्याशी,अश्लीलता की कोई सीमा नहीं होती है लेकिन सेक्स,कामुक क्रीड़ाएँ विवाह होने,गृहस्थी संभालने तथा सृजन के लिए किया जाना चाहिए।इस सीमा का उल्लंघन करने पर कामुक क्रीडा केवल सेक्स नहीं बल्कि अत्याचार की सीमाओं में आ जाती है।यदि वह हद से गुजर जाए तो इंसान इंसान नहीं रह जाता बल्कि वह पशु से भी नीचे गिर जाता है।चाहे यह सेक्स,कामुक कीड़ा,पति-पत्नी के बीच ही हो।
  • इसीलिए भारतीय मनीषियों व ऋषियों ने काम को चार पुरुषार्थों में शामिल किया है।काम ऊर्जा को सृजन व उर्ध्वगामी बनाते हैं तो हमारा उत्थान,उन्नति और विकास होता है और काम ऊर्जा को काम क्रीड़ा में अति की ओर,नीचे की ओर ले जाने का कार्य करते हैं तो यह हमें पतन,अवनति की ओर ले जाती है।
  • इस आर्टिकल में एक ऐसी स्त्री की सत्य घटना है जो एक अवयस्क छात्र को बहला-फुसलाकर कामुक संबंध स्थापित करती है और छात्र विद्या अर्जित करने के लक्ष्य से भटक जाता है।यह घटना पाश्चात्य देशों में अमेरिका से संबंधित है जो अपने आपको विश्व में सबसे अधिक सभ्य और सुसंस्कृत समझता है।
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2.बाल दीवानी प्रेमिका  (Child Crazy Girlfriend):

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Child Loving Female Teacher
(Mary Kay LeTourneau and Vili Fualaau)

  • अमेरिका के सीटेल स्थित एक स्कूल की अध्यापिका मैरी को अपने एक छात्र के साथ बलात्कार करने तथा उसके बच्चे की मां बनने का दोषी पाया गया।टूर्नो का अपराध सिर्फ इतना ही नहीं था।उसके इस छात्र की उम्र महज 13 वर्ष थी और वह कक्षा छह का छात्र था,जबकि खुद टूर्नो की उम्र 36 वर्ष थी।लिहाजा,ली टूर्नो को अपनी हवस की खातिर एक बच्चे को बहकाने के अपराध के लिए साढ़े सात वर्ष की सजा सुनाई गयी।
  • लेकिन टूर्नो सिर्फ छह माह बाद ही इस शर्त पर अपनी रिहाई करवाने में कामयाब रही कि वह भविष्य में कभी अपने इस बाल प्रेमी से मुलाकात नहीं करेगी।

3.मैरी के ली टूर्नो पुनः जेल में (Mary Kay LeTourneau Prison Again):

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Child Loving Female Teacher
[यौन अपराधी मैरी के लीटूर्नो शिक्षिका जिसने 13 वर्ष के छात्र को गुमराह किया (Sex offenders Mary Kay LeTourneau Teacher who Misled a 13-year-old Student Vili Fualaau)]

  • टूर्नो अपने वायदे पर लंबे समय तक कायम नहीं रह सकी।जेल से बाहर आने के बाद ही वह अपने पूर्व छात्र प्रेमी के साथ रफूचक्कर हो गयी और जब पुलिस ने उन दोनों को गिरफ्तार किया,तो उनके साथ उनका बच्चा भी था।
  • पुलिस को उनके पास से कपड़ों के अलावा टूर्नो का पासपोर्ट और 6200 डालर नगद भी मिला।टूर्नो के पास से जो कुछ भी बरामद हुआ उसके आधार पर टूर्नो पर आरोप लगाया गया कि उसने अपने बाल-प्रेमी तथा बच्चे के साथ देश छोड़कर भाग जाने की योजना बनाई थी।लिहाजा,उसे बाकी सजा पूरी करने के लिए पुनः जेल भेज दिया गया।
  • लेकिन इस मामले ने कुछ ही दिनों बाद एक नया मोड़ ले लिया।उसके सगे-संबंधियों की ओर से दावे किए गए कि वह मानसिक रूप से विक्षिप्त है।
  • इतना ही नहीं उसके इस असामान्य व्यवहार का संबंध उसके बचपन के दिनों तथा उसके पालन पोषण से भी जोड़ा गया।उसके व्यवहार के लिए उसके पिता के असफल जीवन को भी उत्तरदायी ठहराया गया।उसके पिता एक कॉलेज में प्रवक्ता थे और अपनी एक छात्रा से विवाह कर वे दो बच्चों के पिता बने थे।किंतु उनका वैवाहिक जीवन सफल नहीं रहा और बाद में पत्नी से उनका तलाक हो गया था।
  • टूर्नो की असामान्य हरकतों के लिए उसकी पिछली जिंदगी में एक-एक कर हुए तमाम हादसों का भी कुछ कम हाथ नहीं रहा।टूर्नो की जिंदगी में बदलाव अब से लगभग 3 वर्ष पूर्व आया।उस समय उसे पिता को कैंसर होने की जानकारी मिली।
  • इस जानकारी के बाद वह मानसिक उलझन में रहने लगी।लिहाजा,उसके वैवाहिक जीवन में भी जहर घुलना शुरू हो गया।लगभग 2 वर्ष पूर्व उस पर उस समय दुःखों का पहाड़ टूट पड़ा जब उसका गर्भपात हुआ और वह लगभग अर्धविक्षिप्त हो गई।

4.टूर्नो ने अजीब सहारा लिया (Tourneau Resorted to Strange Recourse):

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(Mary Kay LeTourneau and Vili Fualaau)

  • इन हालात में उसे किसी ऐसे मजबूत सहारे की जरूरत थी जिसे वह अपना समझ सके और जिसके साथ वह अपना दुःख दर्द बांट सके।उसे जल्द ही सहारा मिल भी गया।लेकिन टूर्नो को शायद सुकून की जिंदगी नसीब नहीं थी।दुर्भाग्य से जिस शख्स में उसने सहारा तलाश किया वह छठवीं कक्षा का उसका एक छात्र था।
  • टूर्नो का प्रेमी देखने में स्मार्ट था,लेकिन उसकी आयु उस समय सिर्फ 13 वर्ष थी।भले ही उसमें यौवन समय से पहले ही फूट चुका था।प्रेमी युगल ने अपने प्रेम को अमर बनाने के इरादे से एक बच्चे को जन्म देना मुनासिब समझा और आज टूर्नो के पास वह बच्चा बतौर उनके प्रेम की निशानी मौजूद है।
  • अदालत ने टूर्नो पर कार्यवाही एक यौन अपराधी के तौर पर शुरू की,लेकिन वह उस कसौटी पर खरी नहीं उतरी।दरअसल यौन अपराधी अपनी किशोरावस्था के उतार के समय ही असामान्य व्यवहार करना शुरू कर देते हैं और एक के बाद एक लगातार लोगों को अपनी हवस का शिकार बनाते जाते हैं,जबकि टूर्नो के मामले में ऐसा कुछ भी नहीं था।
  • टूर्नो का परीक्षण करने वाले मनोवैज्ञानिक का कहना है की बीमारियों,दुःखों के चलते वह भ्रमित हो गई थी और यह निश्चित करने की स्थिति में नहीं थी कि क्या करें,क्या न करें और ऐसी ही मानसिक स्थिति में उसे यह यौन अपराध हो गया।

5.भारत में काम का अर्थ (Meaning of Sex in India):

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Child Loving Female Teacher
(Mary Kay LeTourneau and Vili Fualaau)

  • सारे संसार में किसी ने भी काम को देव नहीं कहा है क्योंकि सभी संस्कृतियों और सभ्यता वाले काम के विरोधी है,काम को ताज्य और हेय मानते हैं लेकिन मजे की बात यह है कि उनके अनुयायी कामवासना में डूबे हुए हैं।श्री कृष्ण संसार के एकमात्र उदघोषक हैं जिन्होंने अपने आपको कामदेव कहा है।लेकिन उनका कामदेव ऐसा नहीं है जैसा कि आजकल के कामुक लोगों का हाल है।आज काम के पुजारी काम का दुरुपयोग कर कामराक्षस बने हुए हैं,कामदेव नहीं।
  • काम सृजन की मूलशक्ति है,उत्पादन का आधार है और इस सारी सृष्टि के सृजन में प्रतिपल काम ही कार्य कर रहा है।सारे ब्रह्मांड में जो भी सृजन कार्य हो रहा है वह काम की शक्ति से ही हो रहा है।प्रकृति की जो ऊर्जा सृजन में लगी हुई है वह काम ऊर्जा है।इसीलिए आर्य सभ्यता में अन्य दिव्य शक्तियों की भांति काम को भी एक दिव्यशक्ति की तरह देवता का स्थान प्रदान किया गया और उसे ‘कामदेव’ कहा गया है।
  • हमारा शरीर इस ब्रह्मांड के ही जैसा है और ब्रह्मांड की सृष्टि की तरह,इस शरीर से भी सृजन कार्य संपन्न होता रहता है।इस सृजन के लिए जो शक्ति,जो ऊर्जा हमारे शरीर में निहित है वही ऊर्जा जब अपने केंद्र से नीचे की तरफ बहती है तो काम बन जाती है,सेक्स बन जाती है और जब यह ऊर्जा उर्ध्वरेता होकर ऊपर की तरफ जाने लगती है तो आध्यात्मिक शक्ति बन जाती है।
  • ऊर्जा तो एक ही है,पर इसकी दिशा बदलने से इसका हेतु बदल जाता है,हेतु बदलने से इसका उपयोग बदल जाता है,उपयोग बदलने से परिणाम बदल जाते हैं और परिणाम बदलने से शक्ति का रूप भी बदल जाता है।नीचे की तरफ जाती हो,तो यह ऊर्जा ‘काम’ हो जाती है,वासना हो जाती है,ऊपर की ओर उठती हो तो यही ऊर्जा ‘राम’ हो जाती है,’आनंद’ हो जाती है।
  • अधोगति को प्राप्त होने वाली ऊर्जा जनेन्द्रिय के मार्ग से निकलकर दूसरों को जन्म देती है और यही ऊर्जा जब ऊर्ध्वगति करके ऊपर सहस्रसार में पहुंचती है तो स्वयं को नया जन्म देती है।नीचे की ओर बहने वाली ऊर्जा यौनांगों को उत्तेजित करती है और प्रकृति में लीन हो जाती है लेकिन ऊपर की ओर उठने वाली ऊर्जा मेधा मस्तिष्क को बलवान बनाती है,सहस्रसार में पहुंचकर ब्रह्म में लीन हो जाती है।इस तरह ‘काम’ की ऊर्जा सृष्टि और परमात्मा दोनों से संबंध रखती है।

6.पाश्चात्य देशों में काम का अर्थ (Meaning of Sex in Western Countries):

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Child Loving Female Teacher
(Mary Kay LeTourneau)

  • लेकिन जो लोग काम का,सेक्स का उपयोग घटिया,बेहूदा और घृणित ढंग से करते हैं वे इन बातों को क्या जाने? वे इसकी महिमा और महत्ता को क्या जाने? वे तो इसे घटिया,बेहूदा और घृणित ही कहेंगे क्योंकि उन्होंने ‘काम’ का सही एक पक्ष देखा है दूसरा पक्ष जाना ही नहीं।यही कुरूप अवस्था देखी है,इसका दिव्य रूप देखा ही नहीं।इसका उपयोग पशुओं की तरह ही नहीं बल्कि पशुओं से भी गए गुजरे ढंग से किया है इसका सदुपयोग किया ही नहीं।ऐसे लोगों की स्थिति उस व्यक्ति के समान होती है जो हजारों फूलों से खींचे गए अर्क या इत्र का सदुपयोग न कर,उसे नाली में बहा दे।
  • काम भी एक अग्नि है वह ऊर्जा है।इसका यदि सदुपयोग न करके दुरुपयोग किया जाएगा तो यही कामाग्नि,जो सृजन करके ‘कामदेव’ सिद्ध हो सकती थी,विनाश करके ‘दानव’ सिद्ध होगी।सवाल सिर्फ सदुपयोग और दुरुपयोग का है।यदि हम शक्ति का दुरुपयोग करेंगे तो इसके दुष्परिणामों को भी हमें ही भोगना होगा।यही बात ऊर्जा के विषय में लागू होती है। पश्चिम के मनोवैज्ञानिकों का कहना है कि आज जो विक्षिप्तता बढ़ती जा रही है उसका 99% कारण कामवासना है।उनकी बात ठीक है गलत नहीं लेकिन उनका सिर्फ निदान ही ठीक है,इलाज नहीं,क्योंकि वे इसका इलाज कामवासना को ठीक से तृप्त करना बताते हैं।परंतु कामवासना कभी तृप्त नहीं हो सकती है बल्कि ओर ज्यादा भड़कती है।
  • पश्चिमी देशों में वासना को तृप्त करने के विभिन्न उपाय किए जा रहे हैं।संभवत अमेरिका में वासना को तृप्त करने के जितने साधन और सुविधाएं उपलब्ध हैं उतने शायद ही किसी ओर देश में हों।वहां सब तरह की स्वतंत्रता है,उन्मुक्त यौन क्रिया करने की खुली आजादी है और वहां के स्त्री पुरुष अच्छे और बुरे,प्राकृतिक और अप्राकृतिक सभी उपायों से कामवासना को तृप्त करने में दिन-रात जुटे हुए हैं पर परिणाम क्या है? शांति,तृप्ति और आनंद का उपलब्ध होना दूर रहा उल्टे नाना प्रकार के मानसिक विकार,अनिद्रा,अतृप्ति,विक्षिप्तता, अत्याचार,हिंसा,बलात्कार,व्यभिचार आदि बढ़ते जा रहे हैं।इसका कुल कारण इतना ही है कि वहां के लोगों ने निदान तो ठीक किया पर समस्या का समाधान करने का ढंग गलत चुन लिया।काम को शांत करते-करते वे कामुक हो गए।
  • काम से वे थोड़ी देर में मुक्त हो भी सकते थे पर कामुकता से मुक्त होना बड़ा मुश्किल होता है।इसलिए काम बुरा नहीं होता,कामुकता बुरी होती है।आज पश्चिम के देश काम से पीड़ित नहीं है बल्कि कामुकता से पीड़ित है और काम ही तृप्त होता है कामुकता कभी तृप्त नहीं होती।
  • काम (sex) के विषय में पश्चिमी देशों में बड़ी अजीब है।उन्होंने गहराई से काम को जाना नहीं समझा नहीं,इसलिए इसके दिव्य रूप को न जान सके सिर्फ भोग रूप में ही इसे जाना है।आत्मा की गहराई तक नहीं गए शारीरिक तल पर ही रुक कर रह गए।इसलिए वहां के स्त्री-पुरुषों के लिए ‘काम’ सिर्फ एक खिलवाड़ और भोग की वस्तु बनकर रह गया।
  • वहां के स्त्री-पुरुषों में कामवासना के संबंध में जानकारी कम से कम है और आकर्षण ज्यादा से ज्यादा है।वे इसे मात्र भोग याने मौजमजे की चीज मानते हैं और इसलिए वहां स्त्री को भोग की वस्तु मानते हैं जैसे कोई आदमी छींक का उपयोग करता है।छींक आने से जैसे हल्कापन आ जाता है,चैन मालूम पड़ता है बस,ऐसे ही ‘जस्ट फॉर द सेक ऑफ रिलैक्सेशन’ वे सेक्स का उपयोग करते हैं।’समथिंग लाइक ए रिलीफ’ जैसे कोई बेचैनी है उसको किसी भी तरह निकाल देना है हल्के हो जाना है।
  • मैरी के ली टूर्नो अध्यापिका होकर छठी कक्षा के अवयस्क बालक को अपनी हवस का शिकार बनाया है।वरना अपने हम उम्र को प्रेम का सहारा बनाती तो यह गलत नहीं होता।परंतु कामुक व्यक्ति को किसी भी काम में दोष दिखाई नहीं देता।इसलिए पाश्चात्य देशों में ब्लू फिल्में,पोर्न फिल्में,ग्रुप सेक्स,न्यूड क्लब,लिव इन रिलेशनशिप और न जाने क्या-क्या तरीके खोज लिए गए हैं पर मन की प्यास बुझी तो नहीं ओर बढ़ती ही जा रही है।इसका प्रभाव भारत और पूर्व के देशों पर भी पड़ रहा है।
  • दो अध्यापक आपस में बैठकर वार्तालाप कर रहे थे।उनमें एक नवयुवा था और दूसरा प्रौढ़ आयु का अध्यापक था।तभी एक सजी-संवरी हुई सुंदर स्त्री ने उस क्लब में प्रवेश किया जिस क्लब में दोनों अध्यापक बैठे थे।उस सुंदरी को देखकर वह नवयुवा अध्यापक बोला-पार्टनर इस सुंदरी को देखते हो।इस पर कई दिनों से मेरी नजर है।इसने मेरी दिल की शांति भंग कर दी है,रातों की नींद हराम कर दी है।जब तक मैं इसे पा न लूं तब तक मुझे चैन नहीं मिल सकता।हाय क्या चीज है?
  • वह प्रौढ़ अध्यापक बोला-मेरी शुभकामनाएं तुम्हारे साथ हैं मित्र।जब तुम उसे पटा लो तब मुझे बताना।मैं तुम्हारी मदद कर सकूंगा।
    नवयुवा अध्यापक खुश होकर बोला:ओह,थैंक यू वेरी मच।आप मेरी किस तरह से मदद कर सकेंगे? उस प्रौढ़ अध्यापक ने जवाब दिया-वेरी सिंपल,मैं इसे डायवोर्स देकर तुम्हारी मदद कर सकूंगा।यह मेरी पत्नी है और जब से मैंने इससे शादी की है तब से मेरी भी शांति भंग हो गई है,दिन का चैन और रातों का आराम हराम हो गया है जबकि शादी से पहले मैं भी इसके विषय में तुम्हारी तरह ही सोचा करता था।
  • उपर्युक्त आर्टिकल में बाल दीवानी प्रेमी अध्यापिका (Child Loving Female Teacher),बाल दीवानी प्रेमिका (Child Crazy Girlfriend) के बारे में बताया गया है।

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7.गंजा गणित शिक्षक अधिक बुद्धिमान (हास्य-व्यंग्य) (Bald Teacher More Intelligent) (Humour-Satire):

  • छात्र (अध्यापिका से):गणित शिक्षक तो बिल्कुल गंजे हैं।
  • अध्यापिका (छात्र से):नहीं,ऐसा नहीं कहते।जानते हो जिसके सिर पर बाल नहीं होते,वह बहुत बुद्धिमान अध्यापक होता है।
  • छात्र:ठीक कहा मैडम,अब मैं समझा कि आपके सिर पर इतने बाल क्यों है?

8.बाल दीवानी प्रेमी अध्यापिका (Frequently Asked Questions Related to Child Loving Female Teacher),बाल दीवानी प्रेमिका (Child Crazy Girlfriend) से संबंधित अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न:

प्रश्न:1.ब्रह्मचर्य से क्या तात्पर्य है? (What Do You Mean by Celibacy?):

उत्तर:आमतौर पर ब्रह्मचर्य का अर्थ कामक्रीड़ा से दूर रहना समझा जाता है,लंगोट का पक्का और कामुकता से दूर होना समझा जाता है लेकिन यह अर्थ अधूरा है क्योंकि सिर्फ कामुकता से दूर रहना ही संपूर्ण ब्रह्मचर्य नहीं होता बल्कि ऊर्जा का उचित समय पर,उचित रीति से और उचित मात्रा में ‘काम-ऊर्जा’ के रूप में प्रयोग करने के अलावा शेष सारे समय में इस ऊर्जा को ऊर्ध्वगति देकर इसका सृजनात्मक कार्यों में उपयोग करना ब्रह्मचर्य है।ऊर्जा को ऊर्ध्वगति मूलाधार चक्र से ऊपर,सहस्रसार की तरफ ले जाना ब्रह्मचर्य है ताकि न सिर्फ शरीर ही स्वस्थ और बलवान बना रहे बल्कि मस्तिष्क भी मेधावी और ज्ञान के प्रकाश से प्रकाशित रह सके।इसके विपरीत इस ऊर्जा को अधोगति देकर यौनांग मार्ग से व्यर्थ बहाते रहना अब्रह्मचर्य है।अपनी शक्ति का,अपनी ऊर्जा का सृजनात्मक और विकासोन्मुखी कार्यों में उपयोग करना ब्रह्मचर्य है और विध्वंसात्मक तथा पतनोन्मुख कार्यों में खर्च करना अब्रह्मचर्य है।

प्रश्न:2.कामुकता का क्या अर्थ और हानियाँ हैं? (What are the Meanings And Disadvantages of Sexuality?):

उत्तर:कामुकता का मतलब है यौनक्रीड़ा के विषय में विचार करते रहना,योजना बनाते रहना।कामुक व्यक्ति वर्तमान के क्षणों में नहीं जीता बल्कि या तो भूतकाल में जीता है या भविष्य में खोया रहता है।या तो वह उन यौन क्रीड़ाओं का स्मरण करता रहता है जो वह भूतकाल में कर चुका होता है या फिर उन यौन क्रीड़ाओं की योजना पर विचार करता रहता है जो भविष्य में करना चाहता है।इस चिंतन के दौरान वह यौन क्रीड़ाओं की बारीकियों और उससे मिलने वाले मौज-मजे का ख्याल करता रहता है,यौन कार्य में साथ देने वाले साथी के अंगों का ध्यान करता है और इस प्रकार कमोत्तेजित होता रहता है।इस चिंतन से शुरू-शुरू में तो शरीर की ऊर्जा नष्ट नहीं होती पर मानसिक ऊर्जा (psychic energy) अवश्य नष्ट होती है और निरंतर होती रहती है।थोड़े समय बाद इस कामोत्तेजना का शरीर पर भी प्रभाव पड़ने लगता है और बाद में स्थिति यह होती है कि कामोत्तेजना होने से ही शारीरिक क्रिया किए बिना ही,वीर्यपात हो जाता है।कामुकता से मानसिक और आत्मिक ऊर्जा नष्ट होती है।मनोबल कमजोर होता है।कुंठा और हीन भावना से ग्रस्त हो जाता है जिससे यौन रोगों का शिकार हो जाता है।

प्रश्न:3.कामुकता से बचाव कैसे करें? (How to Avoid Sexuality?):

उत्तर:अपने अवचेतन मन को कामुक विचारों,यादों और दृश्यों से बचाकर रखा जाए।मन,मस्तिष्क को शुद्ध और निर्विकार रखने के लिए कामुक साहित्य,कामुक बातचीत और कामुक वातावरण से दूर रहा जाए ताकि अंतर्मन कामुकता का प्रभाव ग्रहण ही न कर सके।यदि हम विवेक का उपयोग करते हुए आचरण करें तो हमारा आचार-विचार कभी गलत नहीं हो सकता और मन कभी मनमानी नहीं कर सकता।साथ ही अवचेतन मन की गलत प्रवृत्तियों को भी नियंत्रित किया जा सकता है।स्वाध्याय,सत्संग तथा सत्साहित्य का अध्ययन करना चाहिए।जब तक ऐसा नहीं किया जाता तब तक कामुकता से बचना संभव नहीं होगा।

  • उपर्युक्त प्रश्नों के उत्तर द्वारा बाल दीवानी प्रेमी अध्यापिका (Child Loving Female Teacher),बाल दीवानी प्रेमिका (Child Crazy Girlfriend) के बारे में ओर अधिक जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
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