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3 Best Tips to Set Goals

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1.लक्ष्य तय करने की तीन बेहतरीन टिप्स (3 Best Tips to Set Goals),लक्ष्य निर्धारण कब करें? (When to Set Goals?):

  • लक्ष्य तय करने की तीन बेहतरीन टिप्स (3 Best Tips to Set Goals) के आधार पर छात्र-छात्राएं अपने जीवन का लक्ष्य तय कर सकते हैं। छात्र-छात्राओं की सबसे प्रमुख समस्या ही यह है कि उनके जीवन का लक्ष्य क्या हो और लक्ष्य को कब तय लेना चाहिए? छात्र-छात्राओं को अपने जीवन का लक्ष्य प्रारंभिक अवस्था में तय कर लेना चाहिए।परंतु छात्र-छात्राओं में उनकी आन्तरिक शक्तियाँ प्रारंभिक अवस्था में सुप्त ही रहती हैं ऐसी स्थिति में लक्ष्य का निर्धारण करना बहुत पेचीदा है। यह तो स्पष्ट है कि छात्र-छात्राएं जीवन में एक सफल व्यक्ति बनना चाहते हैं।परंतु सफल व्यक्ति बनने के लिए किस क्षेत्र का चुनाव किया जाए? सफल व्यक्ति बनना तो हर छात्र-छात्रा का लक्ष्य है। परंतु हर छात्र-छात्रा एक ही क्षेत्र में सफल नहीं हो जाते हैं।
  • कोई छात्र-छात्रा भजन में,कोई नृत्य में,कोई संगीत में,कोई खेल में,कोई विज्ञान में,कोई गणित में अपने कैरियर और लक्ष्य का चुनाव करता है।सबसे अच्छा तरीका तो यह है कि उसके जाॅब और जीवन के लक्ष्य का क्षेत्र एक ही हो।
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2.लक्ष्य का चुनाव क्यों करें (Why Choose the Goal?):

  • इस संसार में सभी व्यक्ति तथा छात्र-छात्राएं किसी न किसी कार्य को करते हैं।परंतु हजारों-लाखों छात्र-छात्राओं में एक-दो छात्र-छात्रा ही ऐसे मिलते हैं जिनके जीवन का एक निश्चित लक्ष्य होता है और वे उसी में अपनी सम्पूर्ण शक्ति,क्षमता,योग्यता और कौशल का प्रयोग करते हैं।छात्र-छात्राएं परंपरागत जीवन शैली अपनाते हैं।उनका एक ही मकसद होता है कि जाॅब प्राप्त करके अपने बच्चों का पालन-पोषण करना।वस्तुतः लक्ष्यविहीन जीवन बिना पतवार की नाव के समान है।ऐसी नाव समुद्र में इधर-उधर भटकती रहती है।
  • मूल प्रश्न यह है कि लक्ष्य का निर्धारण क्यों करें? जीवन में किसी भी कार्य को करने में सदैव उत्साह,लगन बनी रहती है यदि वह आपके जीवन का लक्ष्य हो।लक्ष्य की आवश्यकता शारीरिक,मानसिक एवं आध्यात्मिक शक्तियों का विकास करने, सतत उत्कृष्ट साधना पूर्ण जीवनयापन हेतु एवं जीवन में आनंद व सुख प्राप्ति के लिए महत्त्वपूर्ण है।
  • जब तक जीवन में लक्ष्य का निश्चय नहीं तब तक जीवन की दिशा एवं क्या करना है,क्या नहीं करना है इसका बोध नहीं हो सकता है।प्रत्येक छात्र-छात्रा के मन में अनेक इच्छाएँ तथा प्रवृत्तियां होती हैं।इन्हें लक्ष्य की सिद्धि हेतु नियमों में बांधकर नियंत्रण में करना आवश्यक होता है।इन पर अनुशासन एवं व्यवस्था बनाकर संयम और साधना करनी पड़ती है,उसी से लक्ष्य में सफलता प्राप्त होती है।वस्तुतः सतत अभ्यास और प्रवृत्तियों पर नियंत्रण भी तभी रह सकता है जब व्यक्ति के सामने कोई विशिष्ट लक्ष्य निर्धारित होता है।
  • इस प्रकार विद्यार्थी के समक्ष लक्ष्य निश्चित हो जाता है तो उसके जीवन में परिवर्तन प्रारम्भ हो जाता है। लक्ष्य के निर्धारण में ही ऐसी उत्साहजनक भावना उत्पन्न होती है कि छात्र-छात्रा क्रियाशील,सजग तथा चौकस हो जाता है।लक्ष्य से कार्य करने की प्रेरणा मिलती है।छात्र-छात्रा के व्यक्तित्त्व के निर्माण में भी लक्ष्य का बहुत बड़ा योगदान होता है।लक्ष्य तय हो जाने पर छात्र-छात्राओं की संपूर्ण शक्ति,स्वाभाविक वृत्तियाँ और इन्द्रियाँ उसकी पूर्ति की दिशा में चिंतन-मनन करने लगती है।सामान्य जीवन जीने पर छात्र-छात्राएं सफलता का मार्ग अपनाते हैं परंतु लक्ष्य सामने होता है तो छात्र-छात्राओं में कष्टों को झेलने,कठिनाइयों का सामना करने,कठिन परिश्रम करने,साहसी गुण तथा अनेक गुणों का विकास करने की क्षमता विकसित होती है।

3.लक्ष्य को तय कैसे करें? (How to Set the Goal?):

  • लक्ष्य आपका वही होता है जिसे आप दिल से चाहते हैं,जिसको करने में आपको आनंद आता हो,जिसके लिए आप कठिन परिश्रम कर सकते हो तथा जिसको करते रहने पर बोरियत महसूस नहीं करते हो।जिस कार्य को करने से आप खुश रहते हो,जिसको करने का मन बार-बार करता हो,जिसमें आपकी जिज्ञासा हो।जिस कार्य को करने के लिए रात-दिन आप प्रयास करते हो।जिस कार्य में कार्य करने की प्रारंभिक कुशलता हो।
  • सटीक लक्ष्य का निर्धारण करने में आपके मित्र,माता-पिता,शिक्षक तथा आपके शुभचिंतक सहयोगी हो सकते हैं।माता-पिता को प्रारंभ से ही बालक-बालिका पर पैनी नजर रखनी चाहिए।वह किस प्रकार के प्रश्नों को पूछता है,किस प्रकार के कार्यों को करने की बार-बार जिज्ञासा प्रकट करता है।
  • छात्र-छात्राओं को अपना आत्म-विश्लेषण करते रहना चाहिए,अपनी शक्तियों को पहचानने की कोशिश करनी चाहिए।जैसे कि छात्र-छात्रा का शारीरिक गठन अच्छा हो तो वह खिलाड़ी बन सकता है।किसी छात्र-छात्रा की अध्ययन में रुचि है और स्मरणशक्ति अच्छी है तो वह नौकरी कर सकता है।किसी छात्र-छात्रा में भाषण शैली तथा नेतृत्व करने की कला है तो वह राजनीतिज्ञ बन सकता है।
  • जो माता-पिता,शिक्षक छात्र-छात्राओं में सुप्त प्रतिभा का संकेत मिलने पर भी उसको निखारने,उभारने,तराशने,पहचानने में लापरवाही करते हैं तो ऐसे बालक-बालिकाओं की प्रतिभा सुप्त ही रह जाती है।

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4.लक्ष्य प्राप्ति का दृष्टांत (Parable of Goal Achievement):

  • लक्ष्य प्राप्ति में अनेक बातों का ध्यान रखना होता है।आपकी आंतरिक व छुपी हुई शक्ति को पहचानना,आपकी कमजोरियाँ,लक्ष्य की सामाजिक उपयोगिता व साख,लक्ष्य प्राप्ति के लिए उपलब्ध सुविधाएं,लक्ष्य प्राप्ति में आनेवाली रुकावटों तथा लक्ष्य प्राप्ति हेतु मार्गदर्शन प्रदान करने वालों के बारे में जानकारी हो तो लक्ष्य तय करना आसान होता है और उसे शीघ्रता से प्राप्त किया जा सकता है।कठिनाइयां तथा समस्याएँ लक्ष्य प्राप्ति में रुकावट नहीं होती है।कठिनाइयों तथा समस्याओं के द्वारा यह पता लगता है कि आपमें लक्ष्य को प्राप्त करने का कितना जुनून है?
  • छात्र-छात्राओं को लक्ष्य की प्राप्ति तभी हो सकती है जबकि सोते-जागते,उठते-बैठते,चलते-फिरते हर समय,हर कहीं आप अपने लक्ष्य के बारे में न केवल सोचते हैं बल्कि उसको साकार करने का भरपूर प्रयत्न करते हैं।
  • नवीन नाम का विद्यार्थी था।प्रारंभ में उसे यह भी पता नहीं था कि लक्ष्य क्या होता है,लक्ष्य कब तय करना चाहिए,लक्ष्य का निर्धारण कैसे किया जाए? वह पढ़ता रहता था परंतु अध्ययन में वह अधिक सफलता अर्जित नहीं कर पाया।उसने 12वीं कक्षा उत्तीर्ण करके डिप्लोमा कर लिया तथा सरकारी नौकरी करने लगा।
  • नवीन का सम्पर्क अच्छे-अच्छे लोगों तथा सज्जनों से था।जब कभी वह उनसे मिलता तो कोई न कोई जिज्ञासा प्रकट रहता।उसने अपने पारिवारिक दायित्वों को पूरा कर लिया।तत्पश्चात उसके मन में एक जिज्ञासा पैदा हुई (40 वर्ष की उम्र में) कि मेरे जीवन का लक्ष्य क्या है?
  • उसकी रुचि योग साधना में थी।धीरे-धीरे उसने योगासन करना प्रारंभ कर दिया।जब उसे योगासन-प्राणायाम में कुछ कुशलता प्राप्त हो गई तो उसने योग साधना केंद्र खोल लिया।धीरे-धीरे उसकी रूचि बढ़ने लगी और लोग योग साधना केंद्र में आने लगे।वह सरकारी सेवा केवल जीवनयापन के लिए करता था।योग साधना केंद्र में लोगों को योगासन-प्राणायाम नि:शुल्क कराता था।धीरे-धीरे उसके योग साधना केंद्र की प्रसिद्धि फैलने लगी। योगासन-प्राणायाम सीखाने के लिए लोगों को वह नि:शुल्क सेवाएं देता था।योग साधना केंद्र की प्रसिद्धि से एक दिन वह बहुत विख्यात योगाचार्य बन गया।स्पष्ट है कि उसने सरकारी सेवा भी की परंतु उसमें उसकी रूचि,लगन केवल जीवनयापन के दृष्टिकोण से ही थी परंतु योग साधना केंद्र में नि:शुल्क सेवाएं देकर उसे आत्मिक शांति मिलती थी।इस प्रकार उसने अपने जीवन का लक्ष्य योग साधना को बनाया और उसमें सफल रहा।
  • उपर्युक्त आर्टिकल में लक्ष्य तय करने की तीन बेहतरीन टिप्स (3 Best Tips to Set Goals),लक्ष्य निर्धारण कब करें? (When to Set Goals?) के बारे में बताया गया है।

5 स्टूडेंट्स से परेशान गणित अध्यापक (हास्य-व्यंग्य) (Math Teacher Upset with Students) (Humour-Satire):

  • रोजाना घर आनेवाले स्टूडेंट्स से परेशान होकर गणित अध्यापक ने घर के बाहर बोर्ड टांग दिया। कृपया ध्यान दें।मुझे पासबुक्स तथा गणित अध्यापकों से पूछकर बताने की आदत है।आप जो कुछ भी सवाल पूछने आते हैं वह मेरे पड़ोसी गणित अध्यापक से पूछ लें।स्कूल में जरूरत पड़ने पर मैं उनसे पूछ कर कक्षा में बता दूंगा।

6.लक्ष्य तय करने की तीन बेहतरीन टिप्स (3 Best Tips to Set Goals),लक्ष्य निर्धारण कब करें? (When to Set Goals?) से संबंधित अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्नः

प्रश्नः1.क्या परिस्थितियों के अनुसार लक्ष्य प्राप्त करें? (What Goals to Achieve According to the Circumstances?):

उत्तरःसंसार में छात्र-छात्राओं का जन्म एक महान उद्देश्य को पूरा करने के लिए हुआ है।उन्हें अपना जीवन तुच्छ,साधारण नहीं बनाना चाहिए। लहरों की दिशा में मुर्दा भी बह सकता है।छात्र-छात्राओं को लक्ष्य प्राप्त करने के लिए लहरों के विपरीत दिशा में चलना होता है।इसीलिए छात्र-छात्राओं का जीवन सामान्य घटनाओं के आधार पर गतिमान नहीं होना चाहिए।परिस्थितियाँ जैसे भी चाहे जीवन को मोड़ देने वाली नहीं होनी चाहिए।जीवन को ऐसा बनाओ जो परिस्थितियों को बदलने की क्षमता रखता हो।परिस्थितियों के अनुसार जीवन व्यतीत करने का कोई उद्देश्य नहीं।इस प्रकार के जीवन को सारहीन एवं व्यर्थ ही कहा जाएगा।

प्रश्न:2.व्यक्तित्त्व महान कैसे बनता है? (How Does Personality Become Great?):

उत्तर:लहरों से कुछ समय खेलना मनोरंजन हो सकता है।परंतु सतत परिश्रम एवं एक दिशा में बढ़ने की लगन, उत्साह की झलक आदि किनारे प्राप्ति के लक्ष्य के कारण ही हो सकती है।लक्ष्य प्राप्ति की जितनी तीव्र इच्छा होगी उतना ही कष्ट और विपत्तियाँ झेलने की क्षमता,बलिदान और त्याग की भावना का विकास जीवन में जगेगा।यही लक्ष्य के प्रति समर्पण की भावना है।लक्ष्य ही वह मूल्य है जो जीवन को सही दिशा में प्रेरित कर साधना की अग्नि में जीवन को तपाकर व्यक्तित्त्व को महान बनाता है।

प्रश्न:3.लक्ष्य का स्मरण क्यों आवश्यक है? (Why is It Necessary to Remember the Goal?):

उत्तर:सोते-जागते,उठते-बैठते लक्ष्य स्मरण रखने से हमें यह ध्यान रहता है कि हम लक्ष्य की ओर कितना बढ़ रहे हैं? इसे हमारी शक्तियां जागरूक रहेंगी।हमारे मन में लक्ष्य प्राप्त करने की तीव्र इच्छा सजग रहेगी।हममें उमंग एवं पुनः स्फूर्ति जागरण का भाव लक्ष्य के स्मरण रखने से ही होता है।स्मरण से लक्ष्य साधन में तीव्रता आ जाती है एवं पथ से विमुख होने से बच जाते हैं।

  • उपर्युक्त प्रश्नों के उत्तर द्वारा लक्ष्य तय करने की तीन बेहतरीन टिप्स (3 Best Tips to Set Goals),लक्ष्य निर्धारण कब करें? (When to Set Goals?) के बारे में ओर अधिक जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।

3 Best Tips to Set Goals

लक्ष्य तय करने की तीन बेहतरीन टिप्स
(3 Best Tips to Set Goals)

3 Best Tips to Set Goals

लक्ष्य तय करने की तीन बेहतरीन टिप्स (3 Best Tips to Set Goals)
के आधार पर छात्र-छात्राएं अपने जीवन का लक्ष्य तय कर सकते हैं।
छात्र-छात्राओं की सबसे प्रमुख समस्या ही यह है कि उनके जीवन का लक्ष्य क्या हो और लक्ष्य

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