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Side Effects of Western Civilization

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1.पाश्चात्य सभ्यता के दुष्प्रभाव का परिचय (Introduction to Side Effects of Western Civilization),पाश्चात्य सभ्यता के दुष्प्रभाव से कैसे बचें? (How to Avoid Ill Effects of Western Civilization?):

  • पाश्चात्य सभ्यता के दुष्प्रभाव (Side Effects of Western Civilization) से हमारा जीवन और जगत प्रभावित होते जा रहे हैं और उसके रंग में रंगते जा रहे हैं तथा भारतीय संस्कृति को भुलाते जा रहे हैं।पाश्चात्य सभ्यता के दुष्प्रभाव से सबसे अधिक युवावर्ग प्रभावित होते जा रहे हैं।यह दुष्प्रभाव यों तो विदेशी शासको के समय से यानी मध्यकाल से ही शुरू हो गया था।परंतु सबसे अधिक अंग्रेजों ने अंग्रेजी शासन के दौरान प्रभावित और दुष्प्रभावित किया है।
  • अंग्रेजो के शासन से तो मुक्ति मिल गई परंतु अपने पीछे वे भारत में ऐसी सभ्यता और संस्कृति छोड़कर चले गए हैं जिसमें एक अच्छा-खासा वर्ग और समाज तैयार हो गया है।यह वर्ग स्वच्छंदता,खुलेपन,कामुकता,मादकता जैसे आचरण को बढ़ावा देता है और उसके पक्ष में कई तर्क देता है।
  • भारतीय सभ्यता एवं संस्कृति की बहुत सी ऐसी बातें और आचरण की सीख हैं जिनसे न केवल भारत का बल्कि विश्व के प्रत्येक नागरिक का उत्थान होता है।पाश्चात्य संस्कृति को बिना जाने-समझे कुछ लोग और युवा उछलते-कूदते फिरना,पीढ़ियों से चली आ रही वर्जनाओं को अंगूठा दिखाकर उनके विरुद्ध आचरण करना,नित नहीं मादकताओं में झूमना,भटकना,अपनी ही संकीर्ण मानसिकता के मायाजाल में उलझते-सुलझते रहना,को जायज समझते हैं।
  • पाश्चात्य संस्कृति से प्रभावित युवा और ये लोग अपने आपको वर्जनामुक्त,स्वच्छंद,स्वतंत्र,विद्रोही,आधुनिक,प्रगतिशील,समय के साथ चलना और न जाने क्या-क्या कहते रहते हैं।भारतीय संस्कृति की कुछ मौलिक बातें जिसे भारत की पहचान विश्व में बनी है उसकी जड़ों को नई पीढ़ी और युवावर्ग उखाड़ने में लगे हुए हैं।
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2.पाश्चात्य सभ्यता का दुष्प्रभाव (Side Effects of Western civilization):

  • पाश्चात्य देशों में आधुनिक युग में विज्ञान,भौतिक विज्ञान तथा तकनीकी में चमत्कारिक अनुसंधान हुए हैं।इस भौतिकता की चकाचौंध में हमारा जीवन भौतिक सुख-सुविधाओं को भोगने की ओर बढ़ता जा रहा है तथा आध्यात्मिक से कटते जा रहे हैं।
  • फलस्वरूप हम दुःखी,अशांत,उद्विग्न,असंतोषी होते जा रहे हैं और तृष्णा के जाल में फंसते जा रहे हैं। जब तक हमारे जीवन में भौतिकता और आध्यात्मिकता का संतुलन नहीं होगा तब तक हम सुखी,शांत और संतोषी नहीं हो सकते हैं।
  • आज हमारे जीवन में धर्म का स्थान गौण होता जा रहा है।धर्मविहीन जीवन निष्प्राण जीवन के समान होता है।धर्म के 10 लक्षणों धैर्य,क्षमा,इंद्रिय निग्रह,चोरी न करना,भीतर बाहर से पाक साफ हों,विवेक (सद्बुद्धि),विद्या,सत्य,क्रोध न करना,मन को इन्द्रियों के वश में नहीं होने देना इत्यादि का हमारे जीवन से लोप होता जा रहा है।
  • धार्मिक पुस्तकों को पढ़ने,स्वाध्याय,सत्संग,कथा-प्रवचन को सुनने के लिए हमारे पास समय नहीं है परंतु फिल्में देखना,सोशल मीडिया पर घंटों चैटिंग करने के लिए हमारे पास समय है।धर्म,नैतिकता,दर्शन,अध्यात्म के लक्षणों को धारण करना अपनी शान और मर्यादा के विरुद्ध समझते हैं।
  • पाश्चात्य आचार-विचार,रहन-सहन,वेशभूषा को अपनाना श्रेयस्कर समझते और उत्तम मानते हैं।भारतीय भाषा तथा हिंदी में वार्तालाप को हीन और तुच्छ समझते हैं जबकि अंग्रेजी में वार्तालाप करने पर अपने को उच्च और श्रेष्ठ समझते हैं।हमारे लिए यह कितनी शर्मनाक बात है कि जिस भारतीय संस्कृति,देव संस्कृति,मानव संस्कृति की छाप संपूर्ण विश्व पर अंकित थी उसे ही पाश्चात्य संस्कृति का अन्धानुकरण करके मटियामेट करने पर तुले हुए हैं।
  • विदेशों में जाकर अध्ययन करना,व्यवसाय या नौकरी तथा हरे डालरों की बरसात को गौरवास्पद मानते हैं परंतु भारत में उपलब्ध शिक्षा संस्थानों में अध्ययन करना,भारत भूमि पर व्यवसाय या जाॅब करना,भारतीय मुद्रा का सम्मान करना अपनी शान के विरुद्ध समझते हैं।
  • अमेरिका,इंग्लैंड,फ्रांस,जर्मनी की यात्रा करना अपने जीवन की सार्थकता समझते हैं परंतु काशी,प्रयाग,हरिद्वार की यात्रा करना नहीं चाहते हैं।
  • आज सिनेमा पर भी पाश्चात्य जीवन शैली,स्वच्छंद और उन्मुक्त सेक्स संबंध,लिव इन रिलेशनशिप,विकृत वासनायुक्त अश्लील दृश्यों की भरमार है।जब युवावर्ग इनको देखता है तो वह दिग्भ्रमित हो जाता है।यह ध्यान देने योग्य तथ्य है कि भारत के युवावर्ग और लोगों की सिनेमा,क्रिकेट और मंदिरों में दर्शन करने की दीवानगी बढ़-चढ़कर है।भारतीय युवावर्ग और लोग इन तीनों में बढ़ चढ़कर हिस्सा लेते हैं।इसलिए इनका प्रभाव हमारे ऊपर पड़ना स्वाभाविक है।
  • वासना,कामुक,उत्तेजित दृश्यों को दिखाई जाने वाली फिल्मों को परिवार सहित देखने में कोई संकोच का अनुभव नहीं करते हैं इससे छोटो का बड़ों के प्रति सम्मान करने का लोप होता जा रहा है।यह हमारे चरित्र के दिवालिएपन का द्योतक है।
  • राम,कृष्ण और महामानवों के वंशज युवाकल में ही यौनरोगों,संक्रामक बीमारियों से ग्रसित होकर अल्पकाल में ही मृत्यु के शिकार हो रहे हैं।गीता,रामायण,महाभारत की कथाओं के स्थान पर आज युवावर्ग फिल्मी गाने,फिल्मी स्टोरी को सुनने और सुनाने में अपना गौरव समझते हैं।
  • आज के युवावर्ग में त्याग,तपस्या,संयम,प्रेम तथा मानवीय मूल्यों का क्षरण होता जा रहा है।इंसानियत की भावना का लोप होता जा रहा है।आज भारत का गौरव पाश्चात्य देशों की सभ्यता के दुष्प्रभाव से नष्ट होता जा रहा है।भौतिकता हमारे जीवन में बढ़ती जा रही है।भौतिक सुविधाओं का भोग करने को ही हम सुख मान बैठे हैं।आज भारतवंशी “खाओ,पियो और मौज करो क्योंकि कल को तुम्हें मरना है (इसलिए कोई कामना,मौज,शौक बाकी मत छोड़ो) के भोगवादी सिद्धांत को अपनाते जा रहे हैं।

3.पाश्चात्य सभ्यता की अनुकरणीय बातें (Exemplary Things of Western Civilization):

  • सभ्यता वह है जिसमें चाल-चलन,वेशभूषा,रीति-रिवाज व संस्कृति का व्यावहारिक पक्ष शामिल होता है।पाश्चात्य सभ्यता व संस्कृति में अमेरिका,यूरोप,इंग्लैंड जैसे देशों की संस्कृति को शामिल किया जाता है।
  • पाश्चात्य देशों ने आज ज्ञान-विज्ञान,तकनीकी इत्यादि में महान प्रगति और विकास किया है।पाश्चात्य संस्कृति हमें बाह्य पक्ष को उन्नत करने के लिए प्रेरित करती है जबकि भारतीय संस्कृति आंतरिक गुणों को विकसित करने की दिशा का बोध कराती है।
  • आज पूरा विश्व एक ग्राम की शक्ल ले चुका है।अतः आगे बढ़ने के लिए एक-दूसरे की अच्छी बातों को ग्रहण करना और अनुकरण करना बुरा नहीं है।
  • यदि अंग्रेज भारत नहीं आते तो सम्भवतः पाश्चात्य ज्ञान-विज्ञान के विकास से वंचित हो जाते हैं भले ही उनकी मंशा ठीक नहीं थी परंतु विज्ञान,भौतिक प्रगति,तकनीकी तथा औद्योगिक विकास को उनके संपर्क में आने पर ही हमने समझा और अपनाया।
  • जाति प्रथा ने शूद्रों तथा नारी का शोषण किया,उन्हें आगे बढ़ने का मौका नहीं दिया उसका परिणाम हमारे सामने है।जबकि पाश्चात्य देशों ने औद्योगिकीकरण व नगरीकरण को जन्म दिया,कल-कारखानों,यातायात के साधनों का विकास किया,शिक्षा व व्यवसाय द्वारा प्रगति का मार्ग प्रशस्त किया।
  • परिवार को सीमित रखना,परिवार नियोजन तथा जनसंख्या पर नियंत्रण भी पश्चिमीकरण की देन है।अधिक आयु में विवाह करना,अंतर्राष्ट्रीय विवाह करना,प्रेम विवाह करना भी पश्चिम की ही देन है।इसे अंतरराष्ट्रीय विवाहों में रुचि बड़ी है जिससे देशों के बीच दूरियां कम हुई है।
  • बाल विवाह,विधवा पुनर्विवाह निषेध,कन्या वध,पर्दा प्रथा,सती प्रथा,नरबलि आदि प्रथाएं जो समाज व मानवता के लिए कलंक थी वे आज प्राय: लुप्त हो गई हैं।अस्पृश्यता सामाजिक कलंक था जिसे पश्चिमी सभ्यता ने इन सबको नष्ट करने में योगदान दिया।स्त्री शिक्षा तथा स्वतंत्रता भी पश्चिम का ही प्रभाव है हालांकि प्राचीन काल में भारत में स्त्रियों को पूर्ण स्वतंत्रता थी।इसी कारण भारत में इंदिरा गांधी,सरोजिनी नायडू विश्व ख्याति पाई।वर्तमान में भी ममता बनर्जी,वसुंधरा राजे,सुश्री मायावती,इन्दिरा नूयी,इन्द्रा कोचर इत्यादि अपने क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य कर रही है।
  • पश्चिम के अनुकरण के फलस्वरूप ही आज नारी घर-परिवार की सीमा से बाहर निकलकर अपना स्वतंत्र विकास करने में सक्षम हुई है व पुरुषों की बराबरी करने लगी है।महिला मुक्तिबाजी में एमसी मैरीकॉम और दौड़ में पीटी उषा ने भारत का गौरव बढ़ाया।
  • पश्चिम के अनुकरण के कारण ही भारत का निरकुंश राजतंत्र जाता रहा और प्रजातंत्र की लहर चली।भारतवासियों को पश्चिमी विचारों को समझने का अवसर मिला।प्रजातंत्र के आदर्शों,संविधान का संघात्मक रूप,न्यायपालिका की स्वतंत्रता तथा कार्यपालिका का व्यवस्थापिका के प्रति उत्तरदायित्व पश्चिमीकरण की देन है।
  • मानव धर्म में विश्वास किया जाने लगा है तथा लोकहितकारी राज्य की कल्पना की जाने लगी है।उपयोगितावाद का दृष्टिकोण रखने लगे हैं।पश्चिमीकरण ने ही जमीदारों और कृषकों के मध्य खाई को पाटने का काम किया है।औद्योगीकरण के कारण कृषि एकमात्र आजीविका का साधन नहीं रहा है।साहित्य व कला के क्षेत्र में धार्मिक रूढ़िवादिता एवं संकीर्णता का अंत हुआ है।जीवन व्यवहार में खुलापन आया है।
  • पश्चिमी सभ्यता ने विभिन्न आविष्कारों द्वारा प्राकृतिक शक्तियों पर विजयी पायी है,प्रकृति के रहस्यों का पता लगाया है।आज मनुष्य चाँद तक जा पहुंचा है।इस प्रकार पश्चिमी सभ्यता ने भारत के विकास व उन्नति का मार्ग प्रशस्त किया है।

4.पाश्चात्य सभ्यता का निष्कर्ष (The Conclusion of Western Civilization):

  • पाश्चात्य देशों तथा पश्चिमी सभ्यता के कारण भारत पर कई दुष्प्रभाव हुए हैं।किसी भी प्रद्धति के लाभ व हानि दोनों ही पक्ष होते हैं।अतः पाश्चात्य सभ्यता का जो दुष्प्रभाव हुआ है उससे हमें सचेत रहने की जरूरत है तथा जो जीवन मूल्य शाश्वत हैं:दया,त्याग,सहिष्णुता,धर्म,नैतिकता,अध्यात्म इत्यादि को पुन:अपनाने की जरूरत है क्योंकि इनके बिना सुख,शांति व आत्मिक संतुष्टि का अनुभव नहीं किया जा सकता है।
  • पाश्चात्य देशों के अनुकरण से भौतिक प्रगति तो की जा सकती है और उससे सुख-समृद्धि बढ़ती है परंतु आत्मिक शांति नहीं मिलती है।अतः जैसा पूर्व में उल्लेख किया जा चुका है कि भौतिकता तथा आध्यात्मिकता का जीवन में संतुलन रहना चाहिए।
  • पाश्चात्य देशों की अच्छी बातों का अनुकरण भी हमें एक सीमा तक लाभ दे सकता है।एक देश दूसरे देश से कुछ चीजें और बातें लेकर काम तो चला सकता है पर ज्यादा महत्त्व की वस्तु देश-विशेष के लोगों की मनोवृति,उनकी मूल्य भावना और चरित्र (अर्थात् मूल्यों को उचित महत्त्व देने का व्यावहारिक स्वभाव) होता है।ये चीजें कहीं विदेश से अनुकरण द्वारा प्राप्त नहीं होती है।ये स्वयं की साधना से विकसित होती है।

5.पाश्चात्य सभ्यता का दृष्टांत (The Vision of Western Civilization):

  • एक नगर में एक पिता की पाश्चात्य प्रवृत्ति के कारण पुत्र की शिक्षा कान्वेंट स्कूल में हुई और अल्पायु में ही उन्हें विदेशी शिक्षा ग्रहण करने के लिए इंग्लैंड भेज दिया।वहाँ पिता के मित्र और उनकी पत्नी ने उस युवक का दाखिला सेंट पॉल स्कूल में करा दिया।उच्च शिक्षा हेतु किंग्स कॉलेज कैंब्रिज में प्रवेश दिल दिया।
  • धीरे-धीरे उस युवक पर पाश्चात्य शिक्षा,रंग-ढंग,खुलेपन,स्वच्छंद वातावरण का प्रभाव पड़ा।माता-पिता के संरक्षण में तो रहा नहीं।धीरे-धीरे वह माता-पिता की खुली अवज्ञा करने लगा।पश्चिमी रंग-ढंग के कारण उसका संपर्क एक विदेशी सुंदर तरुणी से हो गया।माता-पिता उसे बार-बार भारत आने के लिए कहते परंतु वह युवक कोई न कोई बहाना बनाकर टाल देता।इंग्लैंड की आबोहवा उसे स्वर्ग जैसी लगने लगी।
  • पिता का सपना था कि वह भारत आकर उनकी देखभाल करें और घर गृहस्थी संभाल ले।उस युवक ने उस सुंदरी तरुणी से विवाह कर लिया।युवक ने अपने माता-पिता को वृद्धाश्रम में भेज दिया।माता-पिता को उसके विवाह की सूचना मिली तो वह बड़े दुखी हुए।
  • उस युवक का विदेशी लड़की से दांपत्य जीवन भी सफल नहीं रहा।धीरे-धीरे उनमें खटपट होने लगी और आपस में झगड़ा करने लगे।जिस प्रकार युवक आजाद ख्यालों और पाश्चात्य सभ्यता के रंग-ढंग में रच बस गया था उसी प्रकार वह लड़की भी आजाद ख्यालों की थी।वह किसी भी मामले में कोई भी पाबंदी में रहना पसंद नहीं करती थी।
  • पाश्चात्य शिक्षा,दांपत्य जीवन में समायोजन किस प्रकार किया जाए,दांपत्य जीवन में कैसे त्याग और समर्पण की आवश्यकता होती है,यह सब नहीं सिखाती है।
  • फलस्वरूप एक व्यक्ति की पटरी अपनी पत्नी से नहीं बैठती तो तलाक लेकर दूसरी महिला से शादी कर लेता है।पाश्चात्य शिक्षा पाकर युवक-युवतियां अपने गांव से,परिवार से,माता-पिता से और देश से कट जाता है।
  • एक दिन बिना सूचित किए ही उस युवती ने घर छोड़ दिया और अन्यत्र जाकर दूसरे व्यक्ति से शादी कर ली।वहाँ वह एक पत्र लिखकर छोड़ गई कि मेरे और तुम्हारे विचार अलग-अलग है इसलिए मैं छोड़कर जा रही हूं मुझे ढूंढने का प्रयास मत करना।
  • जब उस युवक के माता-पिता को भारत में खबर लगी तो दिल का दौरा पड़ने से उनका देहांत हो गया।इस प्रकार वह युवक न तो अपने माता-पिता का रहा और न उस विदेशी लड़की का।वह युवती खराब चरित्र की थी इसलिए भारतीय युवक से नहीं निभ सकी।इसलिए उस युवती को छोड़कर जाने में अपनी भलाई समझी।दोनों से युवती व माता-पिता का देहांत के कारण उस युवक का दुःख से बुरा हाल हो गया।
  • तब उसे भारतीय संस्कृति की याद आई।वह अपना घर व संपत्ति को बेचकर भारत लौट आया।यहां आकर उसने स्वाध्याय,चिंतन व मनन किया।हालांकि वह दांपत्य जीवन में असफल रहा परन्तु भारतीय संस्कृति को अपनाने के कारण उसका जीवन सफल रहा।
  • उपर्युक्त आर्टिकल में पाश्चात्य सभ्यता के दुष्प्रभाव (Side Effects of Western Civilization),पाश्चात्य सभ्यता के दुष्प्रभाव से कैसे बचें? (How to Avoid Ill Effects of Western Civilization?) के बारे में बताया गया है।

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6.शिक्षक को वेतन का भुगतान (हास्य-व्यंग्य) (Payment of Salary to Teacher) (Humour-Satire):

  • एक शिक्षक वेतन की शिकायत लेकर प्रधानाचार्य के पास पहुंचा और कहा कि मेरे खाते में वेतन से ₹1000 कम जमा हुए हैं।
    प्रधानाचार्य:मुझे पता है।पिछले महीने जब मैंने तुम्हारे खाते में ₹1000 ज्यादा जमा कर दिया था तब तुमने कोई शिकायत नहीं की थी।
  • शिक्षक:ठीक है वह आपकी पहली गलती थी इसलिए मैंने ध्यान नहीं दिया।लेकिन गलती करना आप अपनी आदत बना लेंगे तो मुझे कहना ही पड़ेगा न।

7.पाश्चात्य सभ्यता के दुष्प्रभाव (Frequently Asked Questions Related to Side Effects of Western Civilization),पाश्चात्य सभ्यता के दुष्प्रभाव से कैसे बचें? (How to Avoid Ill Effects of Western Civilization?) से संबंधित अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न:

प्रश्न:1.क्या टीवी चैनल पर अश्लीलता परोसी जाती है? (Is Obscenity Being Served on TV Channels?):

उत्तर:टीवी चैनलों विशेषकर पाश्चात्य टीवी चैनलों पर अश्लीलता परोसी जा रही है।देश में अश्लीलता को रोकने वाले कई कानूनों के होते हुए भी यह सब क्यों और कैसे हो रहा है नहीं,मालूम।पर इतना सच है जो हर कोई जानता है कि टीवी चैनलों पर धड़ल्ले से अश्लीलता परोसी जा रही है।अश्लीलता का यह प्रदर्शन बच्चों के लिए कितना घातक हो सकता है इसका अनुमान लगाना ज्यादा मुश्किल नहीं है।सांस्कृतिक प्रदूषण फैलाने वाले इन कार्यक्रमों से बच्चों के दिलों-दिमाग पर बुरा असर पड़ता है।दुनिया भर के जनसंचार माध्यम आज जहां ऐसे कार्यक्रमों को रोकने के लिए प्रयत्नशील है,वही हम भारतवासी हाथ पर हाथ धरे बेटे रहे,यह किसी भी तरह उचित नहीं है।

प्रश्न:2.क्या फिल्में भी पाश्चात्य सभ्यता से प्रभावित है? (Are Films Also Influenced by Western Civilization?):

उत्तर:भारत में फिल्में भी पाश्चात्य सभ्यता से प्रभावित होती जा रही हैं।फिल्मों में हत्या,हिंसा,बलात्कार के दृश्य या फिर सास-बहू के झगड़े अथवा युवा वासना व भावना के घुलनशील उफान को दिखाने में व्यस्त रहते हैं।ऐसी बहुत कम फिल्में होती हैं जिनमें कोई स्वस्थ,शिक्षाप्रद संदेश होता है।परंतु अधिकांश फिल्मों में ऐसा कुछ नहीं होता है जो युवा व्यक्तित्त्व को संपूर्ण रूप से गढ़ने वाला हो।उसकी जीवन दृष्टि का विकास करें,जिंदगी की ऊर्जा सँवारे और उसे सही दिशा सुझाए।

प्रश्न:3.युवाओं में अध्ययन की प्रवृत्ति क्यों घटी है? (Why Has the Trend of Study Among the Youth Decreased?):

उत्तर:युवाओं में स्वाध्याय,सत्संग और अध्ययन की प्रवृत्ति घटी है।पढ़ने के नाम पर बहुत हुआ तो युवक-युवतियां पाठ्यवस्तु पढ़ते हैं या फिर कुछ चटपटे कहानी किस्से।सत्संग तो जैसे रहा ही नहीं।इसका मुख्य कारण है जीवन निर्माण की प्रवृत्ति का अभाव और पाश्चात्य सभ्यता का प्रभाव।आज के युवा पुस्तकों के पन्नों में उलझने की बजाय टीवी के चैनलों,सोशल मीडिया और मोबाइल फोन में उलझना ज्यादा पसंद करते हैं।

  • उपर्युक्त प्रश्नों के उत्तर द्वारा पाश्चात्य सभ्यता के दुष्प्रभाव (Side Effects of Western Civilization),पाश्चात्य सभ्यता के दुष्प्रभाव से कैसे बचें? (How to Avoid Ill Effects of Western Civilization?) के बारे में ओर अधिक जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
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