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How to Control Bad Habits?

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1.बुरी आदतों पर नियंत्रण कैसे करें? (How to Control Bad Habits?),युवा आदतों पर नियन्त्रण कैसे करें? (How to Control Youthful Habits?):

  • बुरी आदतों पर नियंत्रण कैसे करें? (How to Control Bad Habits?) एक बार बुरी आदतों की ओर कदम बढ़ाने पर हमारा पतन होना चालू हो जाता है।बुरी आदतों की जीवन में उपयोगिता नहीं है अतः उन्हें त्यागना ही चाहिए।यों अच्छी आदतों का गुलाम होना भी अच्छा नहीं है।क्योंकि तब हम आदतों के गुलाम हो जाते हैं जबकि हमें आदतों का गुलाम नहीं बल्कि मालिक होना चाहिए तभी अच्छी आदतों की उपयोगिता है।
  • जैसे आपकी अध्ययन करने की आदत है,सत्साहित्य व सद्गग्रन्थों का अध्ययन करने की आदत है।आप रोजाना सुबह 5:00 बजे से 8:00 बजे तक अध्ययन करते हैं।धीरे-धीरे अध्ययन में रस आने लगता है और आप अध्ययन किए बिना नहीं रह सकते हैं।आप कहेंगे यह तो अच्छी बात है,अच्छी आदत है इसका तो जितना पालन किया जाए उतना ही कम है।
  • परन्तु ऐसा करने से धीरे-धीरे आप आदत के गुलाम होते जा रहे हैं।अचानक किसी दिन माँ प्रातः काल बीमार हो जाती है और उसे डॉक्टर को दिखाने की सख्त आवश्यकता है।परंतु आपकी प्रातः काल अध्ययन करने की आदत है और इस आदत के वशीभूत है तो आप बीमार माँ को दिखाने में आनाकानी करते हैं।आप परिवार के अन्य लोगों को कहते हैं कि आप लोग मां को दिखाने डॉक्टर के पास ले जाओ।मेरा इस समय पढ़ने का समय है अतः मैं नहीं जा सकता हूं।
  • आप खुद इस पर विचार करें कि आपका ऐसा करना उचित है क्या? स्पष्ट है बीमार मां को डॉक्टर को दिखाना और इलाज करवाना आपका उस समय सर्वोपरि कर्त्तव्य है।कोई दूसरा बीमार मां को दिखाने क्यों जाएगा? जब आप ही दिखाने जाने में आनाकानी कर रहे हैं।अतः आदते अच्छी हो अथवा बुरी उनके गुलाम नहीं होना चाहिए।ऐसा तभी हो सकता है जब आप अपने जीवन को होशपूर्वक जीते हैं अर्थात् अनासक्त होकर अपने कर्त्तव्यों का पालन करते हैं।
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2.आदतें क्या हैं? (What are Habits?):

  • हम जो इच्छाएं करते हैं और उन इच्छाओं का जीवन में बार-बार अभ्यास करते हैं तो आदतों का निर्माण होता है।यानी इच्छाओं का होना ही आदत नहीं है बल्कि उसको कार्यान्वित करना,बार-बार अभ्यास करने पर आदतों का निर्माण होता है।यह अभ्यास चाहे आप मानसिक रूप से करें या शारीरिक तल पर,आदतों का निर्माण हो जाता है।
  • जैसे आप किसी महिला या लड़की के साथ कामुक कृत्य नहीं करते हैं परंतु मन में बार-बार कामुक बातों का चिंतन-मनन करते हैं तो मानसिक रूप से बार-बार अभ्यास करने व सोचने-विचारने से आपकी कामुक प्रवृत्ति होती जाएगी।इसका प्रभाव आपके शरीर व मन पर अवश्य पड़ेगा।आपकी कामुक प्रवृत्ति होने से ब्रह्मचर्य खंडित हो जाएगा।सोचने-विचारने का प्रभाव शरीर व अवचेतन मन पर पड़ता है।कामुक विचार-चिंतन करने से उसके संस्कार बनते चले जाते हैं और ये संस्कार अवचेतन मन को संचालित करते हैं।
  • इन कमुक विचारों के कारण आप अध्ययन नहीं कर पाएंगे।आपकी दिनचर्या प्रभावित होती जाएगी।आदतों से हमारे स्वभाव तथा प्रकृति का निर्माण होता है।हमारे कर्म और सभी गतिविधियां इच्छाओं से प्रेरित,प्रभावित और संचालित होती है।इच्छाओं का आदतों से गहरा संबंध होता है।इच्छाओं और संस्कारों से प्रभावित होकर कर्म करते हैं और बार-बार अभ्यास से आदतों का निर्माण होता है।इसी प्रकार आदतों के वशीभूत होकर हम इच्छाएं करते हैं।इस प्रकार आदतें व इच्छाएं एक-दूसरे को प्रभावित,प्रेरित और संचालित करती हैं।
  • आदतें व्यक्ति के मन में वैसा ही करने की इच्छा पैदा करेगी जिसका वह आदी हो चुका है और इच्छा वैसी ही चेष्टा,कर्म करने की प्रेरणा देगी जैसा वह चाहती है।इस प्रकार व्यक्ति उसी राह पर चल पड़ेगा जिस पर चलने का वह आदी हो चुका हो।उस पर चलने से कोई रोक नहीं सकेगा क्योंकि जो रोक सकता था वह था उसका विवेक,लेकिन आदत से मजबूर होकर विवेक भी संस्कारों के दबाव से साथ छोड़ देता है,विवश और निष्क्रिय हो जाता है।

3.आदतें क्यों नहीं छूटती? (Why Don’t Habits Go Away?):

  • पुराने संस्कारों का अवचेतन मन पर प्रभाव,दबाव व छाप होती है जिसके कारण मन संस्कारों के अनुसार कार्य करने के लिए विवश हो जाता है और यह विवशता ही आदत है।दूसरा कारण है कि जिस काम को करने की आदत पड़ जाती है उस काम को गलत समझने का बोध न होना।अगर आदत को गलत समझने का बोध हो जाए तो वह आदत छोड़ी जा सकती है।
  • बुरी आदत को न छोड़ने वाला उससे कुछ ना कुछ महत्त्व देता ही है,कुछ ना कुछ मूल्य देता ही है,भले ही ऐसा करना गलत हो और वह समझता भी हो कि वह गलत है फिर भी वह उस आदत को किसी न किसी,सही या गलत रूप में काम की समझता है व्यर्थ नहीं समझता इसलिए उस आदत को नहीं छोड़ता।
  • बुरी आदतों का निर्माण जिस अनुकूल वातावरण,संगी-साथियों आदि के कारण होता है उस वातावरण,संगी-साथियों को नहीं छोड़ता हैं तो आदतों को नहीं छोड़ पाते हैं क्योंकि आदतों के अनुकूल वातावरण मिलने से वे सजीव हो जाती है अर्थात् उन्हें वातावरण व संगी-साथियों से जीवन मिलता रहता है।
  • हमारा विवेक जाग्रत नहीं होता है तब हम किसी कार्य के भले-बुरे को समझ नहीं पाते हैं और आदतन व संस्कारवश बुरी आदतों को करते रहते हैं।विवेक न होने के कारण जिस काम को करने के हम आदी हो चुके हैं वही करते रहते हैं।व्यक्ति के द्वारा दैनिक जीवन में किए जाने वाले कार्य,सोचने का तरीका एवं रहने का ढंग आदि पर वह विचार नहीं करता है कि वह सही कर रहा है या गलत।
  • पाश्चात्य सभ्यता के संपर्क,पाश्चात्य जीवन शैली को अपनाने के कारण भी हम बुरी आदतों को अपनाएं रहते हैं।फिल्मों,टीवी,इंटरनेट का प्रयोग आदि के कारण पाश्चात्य जीवन शैली को अपनाने के अनुकूल वातावरण मिलता रहता है और बुरी आदतों को विकसित होने का अवसर मिल जाता है।
  • पाश्चात्य सभ्यता एवं संस्कृति बाह्य रूप,आकार,शरीर की साज-सज्जा को मान एवं महत्त्व देती है जबकि भारतीय संस्कृति आंतरिक गुणों जैसे ईमानदारी,पवित्रता,सदाचार,नैतिकता,धार्मिकता,सच्चरित्रता आदि को श्रेष्ठ मानती है।परंतु पाश्चात्य जीवन शैली के संपर्क में आने के कारण भारतीय संस्कृति से कटते जा रहे हैं और पाश्चात्य संस्कृति को अपनाते जा रहे हैं।फलस्वरूप हम प्रातः काल देरी से उठना,समय-असमय पर भोजन व शयन करना,भौतिकता,अपव्ययता,दिखावा,फैशनपरस्ती आदि आदतों को अपनाते जा रहे हैं।

4.आदतों पर नियंत्रण कैसे करें? (How to Control Habits?):

  • जिन बुरी आदतों को छोड़ना है उसे पहचाना जाए।जिन परिस्थितियों में इन्हें उभरने का मौका मिलता है,उन्हें भी समझा जाए।जैस अध्ययन करने की अनियमित दिनचर्या है।यदि कोई विद्यार्थी इस आदत से छुटकारा पाना चाहता है तथा नियमित रूप से अध्ययन करना चाहता है तो सर्वप्रथम उसे अपने जीवनक्रम पर दृष्टि डालकर उन आदतों व कार्यों की पहचान करनी चाहिए जो व्यर्थ है और अध्ययन को बाधित करती हैं।फिर उन आदतों को एक-एक करके छोड़ना होगा।एक साथ सभी बुरी आदतों को छोड़ना संभव नहीं होगा।
  • साथ ही स्पष्ट रूप से अध्ययन करने का संकल्प करना होगा।जैसे आप यह संकल्प लेते हैं कि मैं अध्ययन करने के लिए कठिन परिश्रम करूंगा,अस्पष्ट संकल्प है।इसे मापा नहीं जा सकता है।इसकी अपेक्षा यह संकल्प सही होगा कि मैं प्रतिदिन 2 घंटे नियमित रूप से अध्ययन करूंगा।इसमें सुनिश्चितता है।
  • छोटी-छोटी किंतु सुनिश्चित सफलता प्रदान करने वाले लक्ष्य को निर्धारित करके अपनी आदतों को बदलने में सहायता पाई जा सकती है।एक बार मिली सफलता,दूसरी बड़ी सफलता की राह खोलती है,अपने अंदर विश्वास जगाती है।
  • कोई विद्यार्थी काम को टालने की आदत से परेशान है एवं विकल्पयुक्त संकल्प करता है,यथा मैं अपने अध्ययन कक्ष को रविवार 8 घंटे लगाकर सफाई करूंगा एवं कमरे की चीजों को व्यवस्थित करूंगा तो शायद उसका यह संकल्प पूरा ना हो।लेकिन यदि वह प्रतिदिन आधा घंटे का समय सफाई करने एवं सामान को व्यवस्थित करने के लिए देने का निश्चय करें तो वह उसे पूरा कर सकता है।आधे घंटे का अभ्यास हो जाने पर इसे 1 घंटे तक बढ़ाया जा सकता है और क्रमशः अपने लक्ष्य की प्राप्ति की जा सकती है।
  • जिन परिस्थितियों या वातावरण में हमारी आदतें भड़कती है,वैसे स्थान में कम से कम रहना चाहिए।इसके विपरीत जिन आदतों को विकसित करना है,उसके लिए अनुकूल वातावरण तलाशते रहना भी आवश्यक है।अपने मनोभाव एवं दैनिक क्रिया-कलापों में थोड़े फेर-बदल से इन पर काबू पाया जा सकता है।उदाहरणार्थ अत्यधिक टीवी के कार्यक्रम को देखने की आदत को कम करके अध्ययन के अभ्यास को विकसित करना,स्वाभाविक तौर पर यह निश्चय टीवी के कमरे में बैठकर पूरा नहीं किया जा सकता है।इसके लिए कमरा बदल लेना अथवा अपने अध्ययन कक्ष से टीवी को हटा देना ही एक सरल उपाय है।
  • पाश्चात्य जीवन शैली से दूर रहना चाहते हैं और भारतीय संस्कृति को अपनाना चाहते हैं तो फिल्मों को कम से कम देखना,टीवी पर भारतीय संस्कृति से संबंधित चैनल के कार्यक्रम देखना,सत्साहित्य,सद्ग्रंथों यथा रामायण,महाभारत,गीता आदि का अध्ययन करना,सत्संग,स्वाध्याय करने से भारतीय संस्कृति को अपनाया जा सकता है।
  • अपने आपको दंडित करने से भी आदतों के बदलने में एक हद तक सहायक होता है।ऐसी परिस्थितियों में जब आदत के सामने व्यक्ति लाचार हो जाता है तो आत्मप्रताड़ना के उपाय से बहुत मदद मिलती है।जैसे आधे या एक दिन का उपवास,मौन धारण कर लेना,एकांतवास आदि अच्छे उपाय हैं।मान लो किसी के चाय पीने की आदत है,साथ ही वह समय पर न उठने की आदत से परेशान है तो उसे चाय को तब तक नहीं पीने का संकल्प लेना चाहिए जब तक वह अपने इच्छित समय पर उठने न लगे।यह एक ऐसा दबाव है,जो आदत में फेर-बदल ले आता है।
  • प्रतिदिन सोते समय अपने दिनभर के कार्यकलाप पर नजर डालनी चाहिए और देखना चाहिए कि क्या भूलें हुई हैं? उन्हें पहचानकर न करने का संकल्प लेना चाहिए।अपने विवेक को जाग्रत करने का अभ्यास करना चाहिए और बुरी संगत से दूर रहना चाहिए।दृढ़ इच्छाशक्ति,संकल्प और विवेक के बल पर किसी भी बुरी आदत व व्यसन को उखाड़ फेंकने के लिए कटिबद्ध होकर तथा क्रमिक गति (step by step) की प्रक्रिया द्वारा व्यसन व आदत से छुटकारा सम्भव है।

5.बुरी आदत का दृष्टान्त (Parable of Bad Habits):

  • एक विद्यार्थी हमेशा अध्ययन में व्यस्त रहता था परन्तु वह योगासन-प्राणायाम अर्थात् व्यायाम नहीं करता था।युवाकाल में शरीर हृष्ट-पुष्ट रहता है,रक्त संचार ठीक प्रकार से होता है उसका आभास नहीं हुआ।प्रतियोगिता परीक्षा में एपीयर हुआ।उसने कठिन परिश्रम किया और उसका चयन जॉब के लिए हो गया।जाॅब मिलने के बाद घरवालों ने उसकी शादी कर दी।
  • उसकी जीवन शैली आरामतलब हो गई।कोई शारीरिक व्यायाम करना नहीं होता था।जॉब पर मोटरसाइकिल से चला जाता था।बच्चे हो गए तथा घर-गृहस्थी ठीक प्रकार से चल रही थी।जब वह करीब 35 साल का हुआ तो अचानक उसका आधा भाग लकवाग्रस्त हो गया।तब उसे अपनी आरामतलबी दिनचर्या के दुष्परिणाम महसूस हुआ।उसने एलोपैथिक दवाइयां ली तथा काफी प्रयास किया तब उसका लकवा का प्रभाव कुछ कम हुआ।परंतु उसने व्यायाम का महत्त्व महसूस किया।
  • उसके पश्चात उसने योगासन-प्राणायाम करना शुरू कर दिया।धीरे-धीरे उसका शरीर लकवा से मुक्त हुआ परंतु पूर्णतया मुक्त नहीं हो सका।उसने महसूस किया कि सही वक्त पर उसने व्यायाम का महत्त्व समझा होता और विद्यार्थी काल से ही व्यायाम किया होता तो उसका शरीर चुस्त-दुरुस्त रहता।उसे होश तो आया परन्तु देर से।उसके बाद उसने कभी योगासन-प्राणायाम करना नहीं छोड़ा तथा उसका जीवन सकुशल गुजर गया।उसने अपने बच्चों को शुरू से ही व्यायाम करना सीखाया।तात्पर्य यह है कि एक बार होश सध जाए,एक बार मालकियत आ जाए तो बुरी आदतों को तो छोड़ा जा सकता है साथ ही बहुत कुछ हासिल किया जा सकता है।
  • उपर्युक्त आर्टिकल में बुरी आदतों पर नियंत्रण कैसे करें? (How to Control Bad Habits?),युवा आदतों पर नियन्त्रण कैसे करें? (How to Control Youthful Habits?) के बारे में बताया गया है।

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6.दो छात्रों में झगड़ा (हास्य-व्यंग्य) (Fight Between Two Students) (Humour-Satire):

  • दो गणित के छात्र आपस में झगड़ने लगे।दोनों अपने-अपने सवाल के हल को सही बता रहे थे।
  • पहले छात्र ने कहा:मैं तुम्हें कल देख लूंगा,कल मजा चखाऊँगा।
  • दूसरे छात्र ने कहा:कल क्यों,आज क्यों नहीं?
  • पहला छात्र:दरअसल आज मैं गणित की पासबुक भूल आया।

7.बुरी आदतों पर नियंत्रण कैसे करें? (Frequently Asked Questions Related to How to Control Bad Habits?),युवा आदतों पर नियन्त्रण कैसे करें? (How to Control Youthful Habits?) से संबंधित अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न:

प्रश्न:1.व्यक्ति बंधन में क्यों पड़ता है? (Why Does a Person Fall into Bondage?):

उत्तर:प्रतिक्रिया बांधती है और क्रिया मुक्त करती है।जो व्यक्ति अपने कर्म का मालिक है,उस पर कर्म का कोई संस्कार नहीं पड़ता और जो अपने कर्म का मालिक नहीं है,जो प्रतिकर्म (react) करता है जो सिर्फ रिएक्ट करता है उस व्यक्ति के जीवन में बंधन बनते चले जाते हैं,गुलामी आती चली जाती है,रोज-रोज जाल मजबूत होता चला जाता है और अंततः वह पाता है कि सिवाय आदतों के ढेर के उसमें कुछ बचा ही नहीं।निश्चित ही जीवन में आदतों की उपयोगिता है परंतु आदतों की मालकियत होने पर ही।

प्रश्न:2.होश से क्या तात्पर्य है? (What is Meant by Consciousness?):

उत्तर:होश अर्थात् अपने कर्मों का मालिक होना यानी अनासक्तिपूर्वक कर्म करना।जीवन में कर्म के बिना नहीं रह सकते हैं,कर्म तो करना ही होता है।कर्म न करना तो मृत्यु के समान है,मुर्दे की तरह जीवन जीना है।कर्मों के फल में आसक्ति न रखकर,कर्त्तव्य समझकर कर्म करना ही अनासक्तिपूर्वक कर्म करना है।अनासक्त कर्म के संस्कार नहीं पड़ते हैं।जिस प्रकार भूँजे हुए अनाज में वृक्ष बनने की क्षमता नहीं होती है उसी प्रकार अनासक्त कर्म के संस्कार नहीं बनते हैं।

प्रश्न:3.प्रकृति के तीन गुण कौनसे हैं? (What are the Three Qualities of Nature?):

उत्तर:प्रकृति के तीन गुण रजोगुण,तमोगुण और सत्व गुण है।विश्व के सारे कर्म प्रकृति के खेल है अथवा ब्रह्म की माया है।मनुष्यों के सारे कर्म तीन गुणों से तारतम्य होते हैं।यदि कोई मनुष्य किसी कर्म का श्रेय अपने ऊपर लेता है तो वह उसका अहंकार है,मोह है।पुरुष (आत्मा) केवल दृष्टा है,सारे कर्म प्रकृति अपने तीन गुणों के आधार पर करती है आत्मिक शक्ति के बल पर ही।

  • उपर्युक्त प्रश्नों के उत्तर द्वारा बुरी आदतों पर नियंत्रण कैसे करें? (How to Control Bad Habits?),युवा आदतों पर नियन्त्रण कैसे करें? (How to Control Youthful Habits?) के बारे में ओर अधिक जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
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