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Student Shan’t See Weakness of Others

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1.छात्र-छात्राएं दूसरों की कमजोरी न देखें (Student Shan’t See Weakness of Others),गणित के छात्र-छात्राओं द्वारा अपनी कमजोरियां देखने की 3 टिप्स (3 Tips for Mathematics Students to See Their Weakness):

  • छात्र-छात्राएं दूसरों की कमजोरी न देखें (Student Shan’t See Weakness of Others) क्योंकि दूसरों की कमजोरी देखने से छात्र-छात्राओं में बुराई देखने की आदत पड़ जाती है।सामान्यतः जब गणित के छात्र-छात्राएं दूसरों की कमजोरी देखते हैं तो उनकी नजर स्वयं की कमजोरियों पर नहीं पड़ती है।जब स्वयं की कमजोरियों पर नजर नहीं पड़ती है तो स्वाभाविक है कि हम अपनी कमजोरियों को दूर नहीं कर सकेंगे।दरअसल छात्र-छात्राएं दूसरे छात्र-छात्राएं गणित में क्या-क्या गलतियां करते हैं,क्या-क्या दोष है इस बात में रुचि लेते हैं।जाहिर सी बात है जिस बात में हमारी रुचि होती है,जिन बातों को ध्यान से देखते हैं उस विषय में हमारी जानकारी बढ़ती जाती है।
  • लेकिन ऐसा करते समय हम अपनी कमजोरियों को देखना भूल जाते हैं।अर्थात् होना तो यह चाहिए कि दूसरों में जो अच्छाइयां,गणित की विषयवस्तु में सिद्धहस्त हैं उस पर नजर रहे तथा जिस विषयवस्तु में हम कमजोर हैं,जिस विषयवस्तु में सिद्धहस्त नहीं है उसको दूर करने का प्रयास करते रहें।
  • दरअसल दूसरों की कमजोरी देखना भी अपनी कमजोरी को नजरअंदाज करना है।दूसरों की कमजोरी देखने में जितना समय लगाते हैं,उतना समय अपनी कमजोरियां दूर करने और आत्म-विश्लेषण करने में लगाएं तो हमारा विकास होगा।
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2.दूसरों के सद्गुणों को देखें (Look at the Virtues of Others):

  • दूसरों के सद्गुणों तथा गणित में जिस विषयवस्तु में वे सिद्धहस्त हैं उनको देखने के लिए अपने विचारों में परिवर्तन लाने की आवश्यकता है।दूसरों के दोष दर्शन करने,उनकी कमजोरियाँ गिनने के बजाय उनके गुणों से सीख लेने की आवश्यकता है।यह ठीक बात है कि इस दुनिया में प्रत्येक मनुष्य तथा प्रत्येक वस्तु अद्वितीय है।परंतु यह भी ठीक बात है कि कोई भी मनुष्य अपना विकास दूसरों को देखकर कर सकता है।हर छात्र-छात्राओं में कुछ कमजोरियां हैं तो कुछ बातों में होशियार भी हैं।जैसे कोई छात्र-छात्रा त्रिकोणमिति में कमजोर है तो द्विघात समीकरणों को हल करने में होशियार हो सकता है।इस प्रकार कुछ वीक पॉइंट्स होते हैं तो स्ट्रांग पॉइंट्स भी होते हैं।
  • आप देखेंगे कि यदि आप हर छात्र-छात्रा के स्ट्रांग (मजबूत) पॉइंट को देखेंगे और अपने आपमें उसके अनुसार बदलाव करेंगे तो आप शिखर की तरफ सरकते जाएंगे और एक दिन शिखर पर पहुंच सकते हैं।
  • कुछ छात्र-छात्राएं इतने बातूनी होते हैं कि वे अपने गुणों की ही चर्चा करते रहते हैं।सामने वाले छात्र-छात्राओं की सुनते ही नहीं है।ऐसे छात्र-छात्राओं में अच्छे तथा प्रवीण छात्र-छात्राएं दिलचस्पी लेना बंद कर देते हैं।दूसरों से अधिक सुनेंगे तथा सीखेंगे तो गणित में आगे से आगे तरक्की करते जाएंगे।आप स्वयं कम बोलिए और दूसरे छात्र-छात्राओं को बोलने का अधिक से अधिक अवसर दीजिए।धीरे-धीरे आपमें गणित के ज्ञान का संचय होता जाएगा।

3.विनम्रता और सादगी धारण करें (Hold Humility and Simplicity):

  • अपने साथी छात्र-छात्राओं,होशियार छात्र-छात्राओं से सादगी,मिठास और विनम्रता के साथ बात करेंगे तो गणित में ही नहीं बल्कि अन्य विषयों में भी आप सीखते जाएंगे।दरअसल सादगी,मिठास और व्यावहारिक कुशलता एकाएक नहीं आ सकती है बल्कि यह भी एक कला हैं।ओर कला को सीखने के लिए अपनी विषयवस्तु पढ़ने के अलावा बड़े-बुजुर्गों,माता-पिता तथा शिक्षकों व श्रेष्ठ पुरुषों की संगत करने से सीख सकते हैं।
  • जैसे किसी छात्र-छात्रा के गणित में कम अंक आए हैं अथवा वह परीक्षा में अनुत्तीर्ण हो गया है तो उसे यह पूछना कि तुम फेल (असफल) कैसे हो गए,तो यह प्रश्न उसके मन को ठेस पहुंचाने वाला प्रश्न होगा।इसके बजाय यदि यह पूछा जाए कि तुम्हारी गणित में तैयारी कम कैसे रह गई अथवा अन्य विषयों में तैयारी कम कैसे रह गई? क्या आपके घर का वातावरण ठीक नहीं था या किसी ने आपका सहयोग नहीं किया क्या? ऐसे पूछने पर वह राहत महसूस करेगा और यह उसके प्रति सहानुभूति दर्शाने का एक तरीका हो जाएगा।अपनी तकलीफ तथा कष्टों को आपको बताने पर सहर्ष तैयार हो जाएगा।
  • अपनी भाषा शैली तथा व्यवहार से छात्र-छात्राओं को ठीक से पहचाना जा सकता है कि वह सही दिशा में अध्ययन कर रहा है अथवा नहीं।व्यावहारिक कुशलता बहुत अभ्यास करने तथा हमेशा सीखते रहने से प्राप्त होती है।गणित में तथा परीक्षा में सफलता प्राप्त करने का यही रहस्य है कि अपनी कमजोरियों को दूर करें और अन्य छात्र-छात्राओं से मिलनसार बनें।जो छात्र-छात्रा मिलनसार बनना चाहता है,गणित अथवा अन्य विषयों या अध्ययन के क्षेत्र में शिखर पर पहुंचना चाहता है तो उसे अपने विकारों काम,क्रोध,ईर्ष्या,अहंकार,लोभ,लालच,भय,शोक इत्यादि को त्यागना ही होगा।

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4.कमजोरियों को दूर करने का दृष्टांत (Example of Removing Weaknesses):

  • बहुत से छात्र-छात्राएं छोटी-छोटी बातों को नजरअंदाज कर देते हैं।गणित में इस प्रकार की छोटी-छोटी गलतियां आगे की कक्षाओं में जाकर बहुत नुकसानदायक होती है।जैसे जोड़,गुणा,भाग,बाकी छोटी-छोटी बातें हैं और छोटी कक्षाओं में इन्हें सीखते हैं।लेकिन यह देखा गया है कि दसवीं और 12वीं कक्षाओं वाले छात्र-छात्राएं भी गुणा,भाग इत्यादि में गलती करते पाए जाते हैं।इन छोटी-छोटी बातों का गणित में बहुत महत्त्व होता है।इन छोटी-छोटी गलतियों से छात्र-छात्राएं परीक्षा में असफल होते देखे जा सकते हैं।छोटी सी बात आपके व्यक्तित्त्व को विकसित करने में रोड़ा बन जाती है।
  • एक चेतन नाम का गणित का विद्यार्थी था तथा उसके तीन साथी थे।चारों मित्रों में अच्छी दोस्ती थी।चेतन के विद्यालय में गणित का अध्यापक गणित पढ़ाने में अधिक कुशल नहीं था।इसलिए चेतन,चेतन के माता-पिता काफी परेशान रहते थे। उन्होंने गणित के एक सिद्धहस्त अध्यापक से ट्यूशन कराने के बारे में सोचा।चेतन तथा चेतन के माता-पिता ने विद्यालय के शिक्षक से परामर्श लिया।
  • गणित के अध्यापक ने कहा कि मैं एक अच्छे गणित शिक्षक को जानता हूँ।उनका नाम नरोत्तम देव है।सबसे पहले उन्होंने चेतन को गणित के गुरु श्री नरोत्तम देव के पास भेजा।नरोत्तम देव उस समय ध्यान मग्न थे।वे आंखें बंद किए हुए थे।चेतन और उसके मित्र नरोत्तम देव के पास जाकर बोले कि क्यों रे साधु क्या तुम नरोत्तम देव को जानते हो?नरोत्तम देव चुपचाप आंख बंद करके बैठे रहे और कोई उत्तर नहीं दिया।फिर उसके पश्चात चेतन के माता-पिता गए और पूछा की महाराज आपके पास हमारा पुत्र चेतन व उसके मित्र आए थे क्या? परन्तु नरोत्तम देव चुपचाप आंखें बंद करके बैठे रहे।अन्त में गणित के शिक्षक नरोत्तम देव के पास गए और बोले गुरुजी क्षमा करें,मैं आपकी साधना में विघ्न नहीं डालना चाहता हूं।किन्तु मेरे सामने एक समस्या है।क्या मेरे छात्र चेतन और उसके साथी तथा उनके माता-पिता आपके पास आए थे क्या? अब गुरु नरोत्तम देव ने आंखे खोली और बोले हां प्राध्यापक जी वे आए थे।परंतु मैं आंख बंद करके साधना में लीन था।
  • पहले छात्र तथा उसके साथी और फिर उनके माता-पिता आए थे।प्राध्यापक ने पूछा कि आप तो साधना में लीन थे तथा आंखें बंद कर रखी थी।फिर आपने कैसे जाना कि कौन क्या है? गुरुजी ने कहा कि मैं उनकी भाषा शैली से ही पहचान गया था। बोलो ओर क्या कष्ट है? प्राध्यापक महोदय ने विनम्रता,मधुरता और मिठास के साथ कहा कि चेतन और उसके मित्रों को गणित पढ़ाना है।मैं उनकी सभी समस्याओं का समाधान नहीं कर सकता हूं।मेरा निवेदन है कि आप यह उत्तरदायित्व लें।गुरुजी सहर्ष तैयार हो गए।
  • उपर्युक्त आर्टिकल में छात्र-छात्राएं दूसरों की कमजोरी न देखें (Student Shan’t See Weakness of Others),गणित के छात्र-छात्राओं द्वारा अपनी कमजोरियां देखने की 3 टिप्स (3 Tips for Mathematics Students to See Their Weakness) के बारे में बताया गया है।

5.गणित के छात्र का भविष्य (हास्य-व्यंग्य) (The Future of a Mathematics Student) (Humour-Satire):

  • छात्र के माता-पिता (गणित शिक्षक से):क्या आप छात्र को ऐच्छिक गणित पढ़ाने हेतु छात्र के भविष्य की योजना जानना चाहते हैं?
  • गणित शिक्षक (छात्र के माता-पिता से):जी नहीं, आप तो केवल उसका अतीत बता दीजिए,उसका भविष्य बनाना तो मेरे हाथ में है।

6.छात्र-छात्राएं दूसरों की कमजोरी न देखें (Student Shan’t See Weakness of Others),गणित के छात्र-छात्राओं द्वारा अपनी कमजोरियां देखने की 3 टिप्स (3 Tips for Mathematics Students to See Their Weakness) से संबंधित अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्नः

प्रश्नः1.क्या कमजोरी को दूर करने हेतु चिंतन करना पर्याप्त है? (Is it Enough to Think to Overcome Weakness?):

उत्तर:गणित की कमजोरियों को पहचानना और आत्म-विश्लेषण करना ही पर्याप्त नहीं है।कोई भी कमजोरी यदि छात्र-छात्राओं को बताता है और उससे प्रभावित होकर विचार करते रहते हैं तो अच्छी बात है।लेकिन यदि किसी कारणवश,किसी रूकावट या असुविधा के कारण उस विचार-चिन्तन को अमल में नहीं लाते हैं अर्थात् उस कमजोरी को दूर नहीं करते हैं तो उससे कोई लाभ या विकास नहीं होता।जैसे गणित का जाप करते रहने से गणित के सवाल हल नहीं हो सकते हैं।गणित के सवालों को हल करने के लिए उनका अभ्यास करना भी जरूरी है।

प्रश्न:2.गणित विषय के बारे में अच्छे और बुरे विचारों को सोचते रहना क्या पर्याप्त है? (Is It Enough to Keep Thinking Good and Bad about Solving a Math Subject?):

उत्तर:छात्र-छात्राओं,गणित के शिक्षकों के मन में गणित के बारे में अच्छे और बुरे विचार आते रहते हैं।अच्छे विचार आते रहने से मन में इच्छा होती है गणित का इतना अभ्यास और मनन-चिन्तन करें कि माता-पिता, शिक्षक का यश फैले।परन्तु मजबूरी,आलस्यवश,डर के कारण,असमर्थता के कारण गणित को हल करने पर अमल नहीं करते हैं।इसी प्रकार छात्र-छात्राओं के मन में गणित की परीक्षा में नकल करने,अनुचित साधनों का प्रयोग करने के बारे में विचार आते रहते हैं जिन्हें परीक्षक की सावधानी तथा बोर्ड निरीक्षक व अध्यक्ष की सतर्कता के कारण अमल नहीं कर पाते हैं।बुरे विचारों पर अमल नहीं कर पाते हैं यह तो अच्छी बात है परंतु अच्छे विचारों पर अमल नहीं कर पाते हैं तो यह अच्छी बात नहीं है।

प्रश्न:3.आत्मबल क्या है? (What is Self-Confidence?):

उत्तरःअपनी क्षमता,योग्यता तथा आत्मा-शक्ति व परमात्मा पर विश्वास रखना आत्मबल है।आत्मबल से बढ़कर कोई बल नहीं है।

  • उपर्युक्त प्रश्नों के उत्तर द्वारा छात्र-छात्राएं दूसरों की कमजोरी न देखें (Student Shan’t See Weakness of Others),गणित के छात्र-छात्राओं द्वारा अपनी कमजोरियां देखने की 3 टिप्स (3 Tips for Mathematics Students to See Their Weakness) के बारे में ओर अधिक जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।

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छात्र-छात्राएं दूसरों की कमजोरी न देखें
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छात्र-छात्राएं दूसरों की कमजोरी न देखें (Student Shan’t See Weakness of Others)
क्योंकि दूसरों की कमजोरी देखने से छात्र-छात्राओं में बुराई देखने की आदत पड़ जाती है।
सामान्यतः जब गणित के छात्र-छात्राएं दूसरों की कमजोरी देखते हैं
तो उनकी नजर स्वयं की कमजोरियों पर नहीं पड़ती है।

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