Menu

Why Do Students Need Sleep with Study?

Contents hide

1.छात्र-छात्राओं को अध्ययन के साथ निद्रा की आवश्यकता क्यों है? (Why Do Students Need Sleep with Study?),छात्र-छात्राओं को अध्ययन के साथ विश्राम और निद्रा की आवश्यकता क्यों है? (Why Do Students Need Rest and Sleep with Studies?):

  • छात्र-छात्राओं को अध्ययन के साथ निद्रा की आवश्यकता क्यों है? (Why Do Students Need Sleep with Study?) क्योंकि अध्ययन करने से मानसिक थकान हो जाती है।शारीरिक थकान के बजाय मानसिक थकान अधिक महसूस होती है और थकावट को दूर करने तथा पुनः तरोताजा व सक्रिय बने रहने के लिए विश्राम और निद्रा की आवश्यकता होती है।छात्र-छात्राओं के लिए नींद लेना ही पर्याप्त नहीं है बल्कि गहरी नींद सोना भी जरूरी है।गहरी नींद से शरीर के साथ-साथ मस्तिष्क को भी आराम मिलता है।अध्ययन करने से मस्तिष्क विचार व चिंतन करता रहता है जिससे थकावट होती है।गहरी नींद सोने के बाद उठने पर हम ताजगी और चुस्ती-स्फूर्ति अनुभव करते हैं।यदि सोने के बाद उठने पर तरोताजा महसूस न करें तो समझ लेना चाहिए कि हम पर्याप्त और गहरी नींद नहीं सोये हैं।
  • गहरी नींद आने के लिए चिंता,तनाव,फिक्र,भय इत्यादि से मुक्त होना आवश्यक है।शारीरिक व मानसिक थकावट का होना जरूरी है।जो छात्र -छात्राएं न तो शारीरिक व्यायाम या शारीरिक परिश्रम करते हैं तथा न ही मानसिक व्यायाम (अध्ययन) करते हैं उन्हें गहरी नींद नहीं आती है।ध्यान व योगाभ्यास करने वाले को भी नींद गहरी आती है।जो छात्र-छात्राएं अकारण दिन में सोने के आदी हैं उन्हें भी गहरी नींद नहीं आती है और रात को करवटें बदलते रहते हैं।
  • आपको यह जानकारी रोचक व ज्ञानवर्धक लगे तो अपने मित्रों के साथ इस गणित के आर्टिकल को शेयर करें।यदि आप इस वेबसाइट पर पहली बार आए हैं तो वेबसाइट को फॉलो करें और ईमेल सब्सक्रिप्शन को भी फॉलो करें।जिससे नए आर्टिकल का नोटिफिकेशन आपको मिल सके । यदि आर्टिकल पसन्द आए तो अपने मित्रों के साथ शेयर और लाईक करें जिससे वे भी लाभ उठाए । आपकी कोई समस्या हो या कोई सुझाव देना चाहते हैं तो कमेंट करके बताएं।इस आर्टिकल को पूरा पढ़ें।

Also Read This Article:4 Tips to Improve Mental Cramping

2.निद्रा की महत्ता और आवश्यकता (The Importance and Need for Sleep):

  • छात्र-छात्राओं के लिए दिन को अध्ययन करना और रात को आराम करना आवश्यक है।मनुष्येतर जीव तो इस विषय में नियम से खूब बंधे हुए हैं।जहां सायंकाल हुआ,चिड़िया बसेरा लेने के लिए अपने-अपने घरों की ओर दौड़ती हैं।परंतु छात्र-छात्राओं तथा मनुष्यों का कोई नियम नहीं है और इसी कारण वे अस्वस्थ,चिड़चिड़े,उद्विग्न,खिन्न,निस्तेज हो जाते है।कितने ही छात्र-छात्राएं तथा व्यक्ति प्रकृति के विरुद्ध आचरण करते हैं।दिन को सोते तथा रात को जागते हैं अथवा दिन-रात में सोने और अध्ययन करने का कोई नियम न बांधकर बारह या एक बजे रात तक जागते रहते हैं और सूर्योदय के बाद सात-आठ बजे तक सोते रहते हैं।ऐसा करने से उनकी दिनचर्या अस्त-व्यस्त और नीरस हो जाती है।इसलिए ठीक समय पर सोने और ठीक समय पर जागने का नियम छात्र-छात्राओं के लिए अत्यंत आवश्यक है।
  • छात्र-छात्राओं को रात को सामान्यतः दस-ग्यारह बजे सो जाना चाहिए और प्रातःकाल चार-पाँच बजे तक उठ जाना चाहिए।साधारण छात्र-छात्राओं को सामान्यतः छह-सात घण्टे की नींद पर्याप्त होती है।छात्र-छात्राओं की मानसिक थकावट और शारीरिक थकान को दूर करने,सभी इन्द्रियों और मन को तरोताजा करने के लिए 6-7 घंटे की नींद लेनी चाहिए।
  • कुछ छात्र-छात्राओं को गहरी नींद नहीं आती है।रात को बार-बार नींद खुल जाती है अथवा बुरे स्वप्न आने के कारण निद्रावस्था में भी मन को पूर्ण विश्राम नहीं मिल पाता है।इसका कारण यही है कि दिनचर्या अस्त-व्यस्त रहती है।जो छात्र-छात्राएं ज्यादा चिंता,फिक्र करते हुए बिस्तर पर सोते हैं अथवा रात को भारी (गरिष्ठ) भोजन करके एकदम सो जाते हैं उनको गहरी नींद नहीं आ सकती है।रात का भोजन कम से कम सोने से 2 घंटे पूर्व कर लेना चाहिए।दिन में अध्ययन कार्य करना चाहिए जिससे मानसिक थकान से गहरी नींद आ जाएगी।शरीर से परिश्रम भी करना चाहिए क्योंकि जो छात्र-छात्राएं योगासन-प्राणायाम या व्यायाम नहीं करते हैं उनको भी गहरी नींद आती है।
  • दिन में सोने से और दिन चढ़ आने तक सोते रहने से आयु का नाश होता है।इसी प्रकार जो लोग रात्रि के अंतिम भाग में सोते हैं और अपवित्र होकर सोते हैं उनकी भी आयु क्षीण होती है।
  • आयुर्वेद में कहा गया है कि दिन में न सोना चाहिए क्योंकि इससे कफ की वृद्धि होती है और शरीर भारी-भारी हो जाता है,आलस्य आता है जिससे कोई भी कार्य करने का जी ही नहीं करता है।हाँ,ग्रीष्मकाल में यदि थोड़ा आराम कर लें तो कोई हानि नहीं क्योंकि इस ऋतु में एक तो दिन बड़े होते हैं,दोपहर को कड़ी धूप और गर्मी में अध्ययन करना कठिन हो जाता है और कफ का प्रकोप भी स्वाभाविक ही प्रकृति में कम हो जाता है।

3.गहरी निद्रा के लाभ (Benefits of Deep Sleep):

  • (1.)अधिक काल तक निरंतर अध्ययन करते रहने से मानसिक थकान हो जाती है अतः नींद से शरीर व मस्तिष्क तरोताजा होता है।
  • (2.)नींद से शरीर व मस्तिष्क को अध्ययन कार्य करने की पुनः शक्ति मिल जाती है।मन की थकान को दूर कर पुनः सक्रिय करने के लिए मन के विश्राम करने की कला ध्यान व योग साधना कहलाती है।
  • (3.)ध्यान व योग साधना द्वारा बिना नींद लिए भी मन को विश्राम में पहुंचाया जा सकता है।क्योंकि ध्यान का मतलब है अमनी भाव दशा (state of no mind) जिससे शरीर व मन पूर्ण विश्राम में पहुंच जाता है।मन की भागदौड़ खत्म हो जाती है।मन सक्रिय रहता है तभी तो मानसिक थकान होती है।
  • (4.)गणित में आगे बढ़ने तथा अध्ययन को उच्च स्तर पर पहुंचाने के लिए ध्यान के द्वारा मन को विश्राम करने का अभ्यास करना चाहिए।
  • (5.)ध्यान के द्वारा ताजगी का अनुभव होता है,जीवन सरस होता है और मन में नई शक्ति का संचार होता है।
  • (6.)नींद और विश्राम से अध्ययन में आगे बढ़ने की,कठिनाइयों से संघर्ष की प्रेरणा मिलती है।परंतु अनिद्रा,तंद्रा से मन पूर्णतया विश्राम नहीं कर पाता है।मन नीरस,कुंठित,दुर्व्यसनी और पथभ्रष्ट हो जाता है।दुष्प्रवृत्तियों के प्रति लगाव और मौज-शौक के चस्के उत्पन्न होते हैं।इसलिए गहरी नींद से उपर्युक्त दोषों से बचाव होता है।
  • (7.)अश्लील,उत्तेजक उपन्यास व पत्र-पत्रिकाओं के स्थान पर सत्साहित्य,धार्मिक तथा सद्ग्रंथों का अध्ययन करना चाहिए।
  • (8.)गंदी व अश्लील फिल्मों के बजाय प्रेरक,धार्मिक तथा महापुरुषों से संबंधित फिल्में देखनी चाहिए।दिल को खुश करने वाले,हंसने-हंसाने वाले सीरियल देखें।
  • (9.)हारे थके,चिन्तित,दुःखों और सांसारिक झंझटों से परेशान छात्र-छात्राएं तथा व्यक्ति विश्राम और गहरी नींद से मुक्त हो जाता है।
  • (10.)गहरी नींद लेने से शरीर स्वस्थ,ज्ञानेन्द्रियों सशक्त,शरीर सशक्त,शरीर को विश्राम मिलने से सक्रिय हो जाता है।जैसे व्यक्ति को सत्त्वबुद्धि आ जाती है तो उसे सिद्धि प्राप्त होती है वैसे ही गहरी नींद से उचित समय पर युक्तिपूर्वक लेने पर शरीर सुख (आरोग्य) और आयु से युक्त होता है।
  • (11.)गहरी नींद से सोने पर गायन,अध्ययन,सम्भोग कर्म,थका हुआ,शरीर से कमजोर,वृद्ध,बालक,रोगग्रस्त,गर्भवती स्त्री,पागल,रात्रि जागरण किया हुआ,यात्रा से थका हुआ तथा दिन में सोने का अभ्यासी को राहत महसूस होती है तथा वे पुनः सक्रिय और तरोताजा हो जाते हैं।ऐसे व्यक्ति दिन में सो सकते हैं।
  • (12.)नियत समय तथा नियमानुसार गहरी नींद सोने से शरीर की सभी धातुएं सम रहती हैं।किसी प्रकार का आलस्य दिन में नहीं आता है,शरीर पुष्ट रहता है,रंग खिलता है,बल और उत्साह बढ़ता है और भूख खुलकर लगती है।अध्ययन में मन लगता है।

4.गहरी नींद लेने के उपाय (Ways to Get Deep Sleep):

  • (1.)रात्रि का भोजन सोने से कम से कम 2 घंटे पूर्व कर लेना चाहिए तथा रात्रि में भूख से थोड़ा कम भोजन करना चाहिए।गरिष्ठ तथा भारी भोजन न करके हल्का तथा सुपाच्य भोजन करना चाहिए।यदि गरिष्ठ व भारी भोजन करना ही हो तो या तो सूर्यास्त से पूर्व कर लें अथवा गरिष्ठ भोजन करने का नियम न बनाएं।
  • (2.)रात को सोते समय सब चिन्ताओं से मन को हटाकर सर्वव्यापी परमात्मा का ध्यान करते हुए शयन करना चाहिए।
  • (3.)दिन को अध्ययन कार्य तथा अन्य कार्य करते समय मन को व्यग्र नहीं रखना चाहिए बल्कि सब कार्य स्थिर चित्त से करना चाहिए।प्रत्येक कार्य में मन की एकाग्रता और निश्चिन्तता रखने से रात को नींद अच्छी आती है।
  • (4.)नियत समय पर सोएं और जागे।रात को देर तक न जागे।सामान्यतः रात को 10-11 बजे सो जाना चाहिए तथा प्रातःकाल 4-5 बजे उठ जाना चाहिए।देर से सोने पर चुस्ती-फुर्ती नहीं रहती है।
  • (5.)शरीर पर कसे हुए,तंग कपड़े पहनकर न सोएं।शरीर पर कम कपड़े पहन कर सोएं।
  • (6.)मुँह ढककर न सोएं।सोते समय लघु शंका करके सोएं।
  • (7.)चिंता,तनाव,भय,आवेश इत्यादि मानसिक विकारों से मुक्त होकर सोएं।इनसे मुक्त होने के लिए ध्यान करते हुए सोएं।मन में बुरे विचार तथा उपर्युक्त विकार आएं तो उनको कंपनी न दें।
  • (8.)नींद की गोलियाँ से व्यक्ति को नींद तो आने लगती है लेकिन यह अनिद्रा का स्थायी समाधान नहीं है क्योंकि अनिद्रा से परेशान व्यक्ति जब नियमित रूप से गोलियों का सेवन करता है तो धीरे-धीरे नींद की गोलियों पर वह इतना निर्भर हो जाता है कि इनके बिना नींद नहीं आती है और ये मस्तिष्क पर नकारात्मक असर भी डालती हैं जैसेःमुँह सूखना,भूख कम लगना आदि।इसी कारण इन्हें नारकाॅटिक्स दवाओं की श्रेणी में रखा गया है।नींद की दवाएँ मस्तिष्क के न्यूरोन्स को निष्क्रिय कर सुस्त कर देती हैं और इसी कारण इन दवाओं का लम्बे समय तक प्रयोग मस्तिष्क की क्रियाशीलता को कम करके स्मृति क्षमता को कमजोर कर सकता है।
  • गहरी नींद लेने के लिए दवाइयां गोलियों का सेवन न करें क्योंकि गोलियां लेने से आदत पड़ जाती है।फिर गोलियों के बिना नींद नहीं आती है।धीरे-धीरे गोलियों का प्रभाव भी खत्म होने लगता है।
  • (9.)भोजन करते ही नहीं सोना चाहिए।रात्रि का भोजन कम से कम दो-तीन घंटे पूर्व कर लेना चाहिए।
  • (10.)उत्तेजक पदार्थ चाय,कॉफी,गरिष्ठ भोजन,तली भुनी चीजें,नशीली दवाओं,नशे का सेवन न करें।
  • (11.)ध्यान व योग साधना करने से मन एकाग्र होता है।ध्यान की अवस्था प्राप्त होने पर अमनी भाव दशा (absense of mind) प्राप्त होने पर गहरी नींद आने लगती है।अतः ध्यान का अभ्यास करते रहना चाहिए।ध्यान व योग साधना है तो कठिन परंतु निरंतर अभ्यास से इस स्थिति को उपलब्ध हुआ जा सकता है।
  • (12.)नींद लेने का प्रयास करने के बजाय शरीर को बिल्कुल शिथिल छोड़ देना चाहिए जैसे शवासन की अवस्था में करते हैं।शरीर को बिल्कुल शिथिल छोड़ देने पर थोड़ी देर में ही गहरी नींद आ जाती है।
  • (13.)रात्रि में नींद की समस्या से छुटकारा चाहिए तो सोने से पहले अपने मस्तिष्क में चल रहे विचारों की उथल-पुथल को रोकना होगा और मस्तिष्क को विचारों से रिक्त करना होगा।इस खालीपन को भरने के लिए मन को अपने श्वास पर एकाग्र करें अथवा कोई मन्त्र का जप करें या आज्ञाचक्र में मन को एकाग्र करें।

Also Read This Article:How to get rid of sleep while reading? 

5.अध्ययन के साथ निद्रा का दृष्टान्त (The parable of Sleep with Study):

  • इस संसार में प्रत्येक चीज के दो पहलू होते हैं।जैसे विकास-विनाश,उत्थान-पतन,उन्नति-अवनति,दिन-रात्रि,श्रम-विश्राम,सृष्टि-प्रलय,जीवन-मृत्यु,सृजन-नष्ट इत्यादि।इसी प्रकार जागरण-निद्रा आपस में जुड़े हुए हैं।परंतु कुछ छात्र-छात्राएं एक पहलू को कुछ ज्यादा ही महत्त्व देने लगते हैं तथा दूसरे पहलू की ओर ध्यान ही नहीं देते हैं।जब छात्र-छात्राएं परीक्षा की तैयारी करने के लिए कठोर परिश्रम करते हैं तो न रात का ध्यान रखते हैं और न दिन का,न खाने का ध्यान रखते हैं और न सोने का ध्यान रखते हैं और न ही विश्राम का ध्यान रखते हैं।फलस्वरूप उनके जीवन में असंतुलन पैदा हो जाता है।परीक्षा,प्रवेश परीक्षा,जाॅब प्राप्ति की परीक्षा में अत्यधिक परिश्रम करने का मुख्य कारण है कि गलाकाट प्रतिस्पर्धा का होना।स्वस्थ प्रतिस्पर्धा व प्रतियोगिता रखें तो कोई बात नहीं है परंतु अस्वस्थ प्रतिस्पर्धा हमारे अंदर चिन्ता,तनाव,कुण्ठा तथा कई अन्य विकृतियों को जन्म देता है।
  • एक विद्यार्थी था,उसने गांव से हाई सेकेंडरी परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद कॉलेज में बीएससी प्रथम वर्ष में प्रवेश ले लिया।जयपुर में बीएससी (गणित) में प्रथम वर्ष में प्रवेश लेने के बाद वह किराया का कमरा लेकर रहने लगा।गांव में भोजन वगैरह की व्यवस्था घर-परिवार के सदस्य करते थे।गाँव में केवल पढ़ने का कार्य ही करना पड़ता था।जयपुर में स्वयं के लिए भोजन पकाना,कमरे की साफ सफाई करना,बाजार से सामान लाना इत्यादि कार्य स्वयं को करने पड़ते थे।
  • इतना सब कुछ करने के बावजूद जयपुर का वातावरण उसके माफिक (अनुकूल) नहीं था।भोजन बनाने का कार्य स्वयं करने तथा पढ़ाई का कार्य करने के कारण स्वास्थ्य पर ध्यान नहीं दिया।फलस्वरूप परीक्षा के समय वह बीमार पड़ गया।
    बीमार होने के कारण वह प्रथम व द्वितीय वर्ष में अच्छे अंक प्राप्त नहीं कर सका।बीएससी तृतीय वर्ष में अच्छे अंकों से उत्तीर्ण होने के लिए उसने कठिन परिश्रम किया और स्वास्थ्य पर बिल्कुल ही ध्यान नहीं दिया।
  • परीक्षा के समय तक उसने रसायन शास्त्र,भौतिकी तथा गणित के दो प्रश्न-पत्रों की तैयारी अच्छी तरह कर ली।दैवयोग से तृतीय वर्ष में बीमार तो नहीं हुआ।परन्तु गणित का प्रथम प्रश्न-पत्र की तैयारी न करने के कारण से गहरी चिंता होने लगी।परीक्षा के समय चिंता व तनाव के कारण उसकी नींद उड़ गई।उसे बिल्कुल ही नींद नहीं आई।उसने डॉक्टर को दिखाया।डॉक्टर ने उसको गोलियां व कैप्सूल दे दिए।गोलियां और कैप्सूल लेने के बावजूद उसे नींद नहीं आई।फलस्वरूप उसे गणित के प्रथम प्रश्न-पत्र में जो कुछ याद था उसे भी भूल गया और उसका प्रथम प्रश्न-पत्र बिल्कुल खराब हो गया।
  • इसके बाद वह संभल गया तथा अन्य दो प्रश्न-पत्रों में तैयारी भी अच्छी थी।इसलिए चिंता और तनाव का कोई कारण भी नहीं था।द्वितीय व तृतीय प्रश्न-पत्र बहुत अच्छे हुए।उसे गहरी नींद भी आई तथा विश्राम भी किया।तात्पर्य यह है कि परीक्षा की तैयारी सत्रारम्भ से कर देनी चाहिए।चिंता व तनाव का मुख्य कारण अध्ययन न कर पाना ही होता है।इसलिए किसी भी स्थिति में चिंता और तनाव के कारणों से मुक्त होने का प्रयास करना चाहिए।उक्त उदाहरण में उसे तीन दिन तक बिल्कुल भी नींद नहीं आई।ऐसी स्थिति में उसका दिमाग निष्क्रिय हो गया तथा पागल भी हो सकता था।अतः प्रारंभ से ही विश्राम व नींद को पर्याप्त समय देना चाहिए।
  • उपर्युक्त आर्टिकल में छात्र-छात्राओं को अध्ययन के साथ निद्रा की आवश्यकता क्यों है? (Why Do Students Need Sleep with Study?),छात्र-छात्राओं को अध्ययन के साथ विश्राम और निद्रा की आवश्यकता क्यों है? (Why Do Students Need Rest and Sleep with Studies?) के बारे में बताया गया है।

6.गणित शिक्षक और दस्त (हास्य-व्यंग्य) (Mathematics Teacher and Diarrhea) (Humour-Satire):

  • एक गणित शिक्षक के दस्त हो गए।वह डॉक्टर के पास दवा लेने गए।डॉक्टर ने दवा दे दी।
    गणित शिक्षक ने पूछाःपरहेज क्या-क्या करूं?
  • डॉक्टर ने कहा:ओर तो कुछ नहीं परंतु छात्र-छात्राओं को जोर से मत फटकारना और जोर से मत बोलना।कड़ककर बोलने से दवा का प्रभाव खत्म हो जाएगा।

7.छात्र-छात्राओं को अध्ययन के साथ निद्रा की आवश्यकता क्यों है? (Frequently Asked Questions Related to Why Do Students Need Sleep with Study?),छात्र-छात्राओं को अध्ययन के साथ विश्राम और निद्रा की आवश्यकता क्यों है? (Why Do Students Need Rest and Sleep with Studies?) से संबंधित अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न:

प्रश्न:1.बेवक्त से सोने से होने वाली हानियां क्या हैं? (What are the Disadvantages of Sleeping Prematurely?): 

उत्तर:बेवक्त सोने से सिरदर्द,शरीर में भारीपन,अंगों में टूटन,आलस्य,पाचन शक्ति का कमजोर होना,भोजन में अरुचि,अध्ययन में अरुचि,जी मिचलाना,पढ़ा हुआ याद न रहना,बुद्धिभ्रंश,ज्ञानेंद्रियों और कर्मेन्द्रियों को अपने-अपने विषयों को ग्रहण करने में असमर्थता इत्यादि हानियां होती है।अतः बहुत थके हुए होने,गर्भवती स्त्री,वृद्ध,बच्चों,बीमारी से ग्रस्त,पागल व्यक्ति,रात्रि जागरण,कमजोर,असक्त व्यक्तियों,दिन में सोने के अभ्यासी व्यक्तियों को छोड़कर अन्य व्यक्तियों को दिन में नहीं सोना चाहिए।

प्रश्न:2.रात में जागने से कौनसी हानियाँ होती है? (What are the Disadvantages of Waking up at Night?):

उत्तर:शरीर में वात का प्रकोप,रूक्षता बढ़ती है।रात में जागने पर रूखापन के साथ-साथ दिन में आलस्य आता है,नींद आती है और दिन में सोना पड़ता है जो दिन में सोता है उसे फिर रात में देर तक नींद नहीं आती है।जागने और सोने का क्रम बिगड़ जाता है।यह क्रम ठीक रहे इसके लिए निश्चित समय पर सोना और जागना जरूरी है।

प्रश्न:3.गहरी नींद क्यों नहीं आती है? (Why not Sleep Deeply?):

उत्तर:देर रात तक टीवी देखना,आरामतलबी जीवन व्यतीत करना,अश्लील,कामुक साहित्य और पुस्तकें पढ़ना,बेवक्त सोना,चिन्ता,तनाव इत्यादि मनोविकारों से ग्रस्त होना।उत्तेजक पदार्थ,चाय,कॉफी,तंबाकू इत्यादि का सेवन करना।भांग,गांजा,शराब,अफीम,चरस,नशीली दवाओं और गोलियों का सेवन करना।अत्यधिक भोजन करना,तले-भुने,मिर्च-मसाले,चटपटे पदार्थों युक्त भोजन करना।मांसाहार करना,कोलाहल व शोर-शराबे वाले वातावरण में सोना।यह सब नींद के दुश्मन है,इनसे बचे हैं।
इसके अलावा सामान्यतः दो बीमारियों की वजह से भी नींद नहीं आती है।वे दो बीमारियाँ हैंःइन्सोम्निया और ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एप्निया।इन दोनों ही स्थितियों का इलाज समय पर न हो पाने पर नींद न आने के अलावा अन्य कई परेशानियाँ भी बढ़ जाती है।
नींद न आना,जबरदस्ती नींद लाने का प्रयास करना, करवटें लेते रहना या घूम-घूमकर रात बिताने की मजबूरी इन्सोम्निया कहलाती है।कई कारणों व परेशानियों की वजह से इन्सोम्निया रोग हो जाता है और इसमें सबसे प्रमुख कारण है-शारीरिक श्रम की अपेक्षा मानसिक श्रम अधिक करना व इसके लिए लगातार परेशान रहना।इस रोग के पैदा होने के बाद काम में एकाग्रता की कमी,चिड़चिड़ापन,शरीर में ऊर्जा की कमी,थकान,आलस्य जैसी परेशानियाँ व्यक्त हो सकती है।
ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एप्निया नामक रोग में नींद न आने का कारण तनाव नहीं बल्कि साँस लेने में रुकावट होती है और इसके कारण लोग खर्राटे लेकर सो जाते हैं,लेकिन बेहतर नींद नहीं आती।ऐसे लोगों को गले में टाॅन्सिल बढ़ने,श्वास की नलियों में संकुचन या साइनस में स्लीप एप्निया की शिकायत हो सकती है और सामान्य स्थिति में साँस लेने के लिए गहरी साँस खींचना या जँभाई लेना भी इस रोग का लक्षण है।

  • उपर्युक्त प्रश्नों के उत्तर द्वारा छात्र-छात्राओं को अध्ययन के साथ निद्रा की आवश्यकता क्यों है? (Why Do Students Need Sleep with Study?),छात्र-छात्राओं को अध्ययन के साथ विश्राम और निद्रा की आवश्यकता क्यों है? (Why Do Students Need Rest and Sleep with Studies?) के बारे में ओर अधिक जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।

Why Do Students Need Sleep with Study?

छात्र-छात्राओं को अध्ययन के साथ निद्रा की आवश्यकता क्यों है? (Why Do Students Need Sleep with Study?)

Why Do Students Need Sleep with Study?

छात्र-छात्राओं को अध्ययन के साथ निद्रा की आवश्यकता क्यों है? (Why Do Students Need Sleep with Study?)
क्योंकि अध्ययन करने से मानसिक थकान हो जाती है।शारीरिक थकान के बजाय मानसिक थकान अधिक महसूस होती है

No. Social Media Url
1. Facebook click here
2. you tube click here
3. Instagram click here
4. Linkedin click here
5. Facebook Page click here
6. Twitter click here

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *