Method of Discussion in Mathematics
1.गणित में विवेचन विधि (Method of Discussion in Mathematics),गणित में विवेचन विधि का प्रयोग कैसे करें? (How to Use the Method of Discussion in Mathematics?):
- गणित में विवेचन विधि (Method of Discussion in Mathematics) का प्रयोग जानने से पहले विवेचन का अर्थ जानना आवश्यक है।विवेचन का हिंदी में पर्यायवाची शब्द मीमांसा,परीक्षण,तर्क वितर्क,समीक्षा,गुण दोष की मीमांसा,विचार-विमर्श,सदसत् का निर्णय,चर्चा करना,बहस करना के रूप में किया जाता है।अंग्रेजी में विवेचन का मुख्यत: Discussion, Interpretation के रूप में प्रयुक्त किया जाता है।
- इस प्रकार गणित में विवेचन का अर्थ हुआ कि किसी भी टॉपिक को चर्चा,वार्ता,विचार-विमर्श,तर्क वितर्क,गुण दोष के द्वारा अध्ययन करना।वस्तुतः विवेचन विधि का प्रयोग इतिहास,मनोविज्ञान,सामाजिक विज्ञान,राजनीति शास्त्र जैसे थ्योरीटिकल विषयों में प्रयोग किया जाता है।परंतु कोई भी विषय आज ऐसा नहीं है जिसे पूर्णतः थ्योरीटिकल विषय कहा जा सकता है। यह हो सकता है कि किसी विषय का अधिकांश भाग थ्योरीटिकल हो और बहुत कम भाग प्रैक्टिकल हो।इसी प्रकार गणित विषय एक प्रैक्टिकल विषय है परंतु इसमें थ्योरीटिकल भाग भी होता है।गणित का अधिकांश भाग प्रैक्टिकल है तथा बहुत कम भाग थ्योरीटिकल है।इसलिए सामान्यत: गणित की अधिकांश पुस्तकों में विवेचन विधि का प्रयोग पढ़ने व प्रयोग करने को नहीं मिलता है।इस आर्टिकल में हम देखेंगे किस प्रकार गणित में प्रयोग किया जा सकता है और अनजाने में हम विवेचन विधि का प्रयोग करते हैं।
- विवेचन विधि को समझना कठिन है तो इसका प्रयोग करना ओर भी कठिन है।इस विधि का प्रयोग करना शिक्षक की योग्यता,दक्षता तथा अनुभव पर निर्भर करता है।
- कक्षा में गणित पढ़ाते समय सर्वप्रथम तो टाॅपिक का चुनाव किया जाता है फिर उस टॉपिक को विभिन्न हिस्सों में बांटा जाता है,तुलना की जाती है फिर उसकी समीक्षा की जाती है और अंत में निष्कर्ष पर पहुंचा जाता है।विवेचन विधि की सफलता इस बात पर निर्भर करती है कि शिक्षक तथा छात्र-छात्राएं आपस में कितना सहयोग करते हैं,कितनी रुचि लेते हैं।विवेचन प्रश्नोत्तर विधि का विकसित रूप है।
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2.विवेचन विधि की प्रक्रिया (Process of Method of Discussion):
- विवेचन हेतु सर्वप्रथम किसी गणित के टाॅपिक का चयन किया जाता है।यह टाॅपिक पूर्व में ही अध्यापक अथवा अध्यापक और छात्र-छात्राओं के विचार विमर्श से निर्धारित किया जाता है।सम्बन्धित टाॅपिक पर छात्र-छात्राएँ तैयारी करके आते हैं।स्वाभाविक है कि अध्यापक भी विवेचन वाले टॉपिक पर पूर्ण तैयारी करके आते हैं।
- अध्यापक गणित के टॉपिक को कक्षा के सामने कुछ तथ्यों सहित प्रस्तुत करता है अथवा किसी समूह में विवेचन कराया जा सकता है।शिक्षक और विद्यार्थी मिलकर टॉपिक की रूपरेखा तैयार कर लेते हैं।विद्यार्थियों से उस टॉपिक पर की गई तैयारी सिलसिलेवार बताने को कहा जाता है।साथ ही उनसे अपने विचार और चिंतन द्वारा महत्वपूर्ण बातें भी निकलवाई जाती है।जो विद्यार्थी उस टॉपिक पर महत्वपूर्ण जानकारी प्रस्तुत करते हैं उन्हें सभी को बताई जाती है तथा संबंधित विद्यार्थी को प्रोत्साहित किया जाता है।
- जो टाॅपिक तय किया जाता है उस पर विशेष रिप्रजन्टेशन देने वाले विद्यार्थियों को इसका निष्कर्ष निकालने के लिए कहा जाता है।टॉपिक पर प्रस्तुत पक्ष और विपक्ष में विचारों की समीक्षा की जाती है। इसमें यह भी समीक्षा की जाती है कि संबंधित विचार क्यों सही नहीं है और दूसरा विचार क्यों सही है।विचार प्रस्तुत करते समय उससे संबंधित तथ्य बताने को भी कहा जाता है।
- विवेचन उस टॉपिक पर किया जा सकता है जिसके पक्ष और विपक्ष में तथ्य होते हैं अर्थात् एक पक्षीय टॉपिक पर विवेचन करना संभव नहीं है।टॉपिक अर्थात् गणित की समस्या का चुनाव छात्र-छात्राओं और अध्यापक के विचार विमर्श से तैयार किया जाता है।ताकि उसमें छात्र-छात्राएं रुचिपूर्वक हिस्सा ले सकें।
- टाॅपिक केवल तथ्यात्मक ही नहीं होने चाहिए बल्कि उसमें नवीन ज्ञान तथा अमूर्त बातें भी कही जा सकती हो।समस्या कक्षा अथवा समूह की योग्यता के अनुसार निश्चय किया जाना चाहिए।इसी प्रकार संबंधित टॉपिक के प्रश्नों का निर्धारण भी कक्षा के छात्रों की योग्यता के अनुकूल हो।प्रश्न बहुत सरल भी नहीं होने चाहिए तथा प्रश्न बहुत अधिक जटिल भी नहीं होने चाहिए।प्रश्न इस तरह के होने चाहिए जिससे उनमें प्रस्तुत किए गए उत्तरों में मतभेद हो।जैसे: अंकगणित गणित की विषयवस्तु को कोर्स में शामिल करना चाहिए?क्या बीजगणित की विषयवस्तु को प्रारम्भिक कक्षाओं में शामिल करना चाहिए?
4.गणित में अच्छे विवेचन प्रश्नों की क्या विशेषताएँ हैं? (What are the Features of Good Discussion Questions in Mathematics?):
- (1.)प्रश्नों के द्वारा छात्र-छात्राओं का बौद्धिक विकास होता हो।
- (2.)प्रश्न इस प्रकार के हों जो छात्र-छात्राओं को सोचने के लिए बाध्य करते हों।
- (3.)प्रश्न विद्यार्थियों को गम्भीर चिन्तन करने के लिए प्रेरित करते हों।
- (4.)प्रश्न स्मृति पर ही आधारित न हो बल्कि चिंतन व मनन करने पर भी आधारित हों।
(5.)प्रश्न केवल तथ्यात्मक ही न हों बल्कि गूढ़ अर्थ भी रखते हों।
5.समूह विवेचन का संचालन (Conduct of Group Discussion Method):
- समूह विवेचन में मुख्य भूमिका गणित शिक्षक की होती है।परंतु समूह विवेचन किसी निश्चित परिणाम तक शिक्षक और छात्र-छात्राओं के आपसी सहयोग पर ही निर्भर करता है।समस्या प्रस्तुत करते समय प्रारंभ में ही मुख्य बिंदु पर ध्यान आकर्षित करा देना चाहिए?जैसे क्या आर्कमिडीज (Archimedes) अब तक के गणितज्ञों में सबसे महान गणितज्ञ हैं? इसमें मुख्य बिंदु आर्कमिडीज द्वारा सोने की शुद्धता की खोज करने की विधि है जब वे तालाब में नहाने जाते हैं और शुद्धता व अशुद्धता का पता लगते ही तालाब से नंगे ही साइराक्यूज की सड़क पर दौड़ पड़ते हैं।यह कहते हुए यूरेका!यूरेका!यूरेका!अर्थात् मैंने पा लिया!मैंने पा लिया!मैंने पा लिया!
- विवेचन को मुख्य बिन्दु से भटकने नहीं देना चाहिए।नवीन विचारों को प्रोत्साहित करना चाहिए।अनुचित ढंग से वाद-विवाद को बढ़ावा नहीं देना चाहिए।जो छात्र-छात्राएँ सुलझे हुए तथा अनोखा विचार प्रस्तुत करें उन्हें प्रोत्साहित करना चाहिए।विद्यार्थियों को आपस में एक-दूसरे पर आक्षेप लगाने को रोकना चाहिए।वाद-विवाद शांतिपूर्ण माहौल में तथा ज्ञान को बढ़ाने वाला होना चाहिए।विवेचन में निष्कर्ष के निकट पहुँचने पर मुख्य-मुख्य बातों को दोहराना चाहिए।विद्यार्थियों को एक-दूसरे पर आक्षेप लगाने तथा लांछन लगाने को रोकना चाहिए।यह सब तभी संभव जब शिक्षक एक अच्छा नेतृत्त्वकर्ता हो।
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6.विवेचन विधि में शिक्षक की क्या भूमिका है? (What is the Role of Mathematics Teacher in the Method of Discussion?):
- समूह विवेचन को सफलतापूर्वक संपन्न करने में शिक्षक के महत्त्वपूर्ण नेतृत्व पर निर्भर करता है। इसका अर्थ यह नहीं है कि छात्र-छात्राओं की कोई भूमिका नहीं होती है।शिक्षक मार्गदर्शक की भूमिका निभाएं परन्तु प्रश्नोत्तर में छात्र-छात्राओं को ही अधिक से अधिक भाग लेना चाहिए।
- विद्यार्थियों को एक-दूसरे के विचारों को स्वीकार करने को प्रोत्साहित करना चाहिए।विवेचन के मुख्य विषय से भटकाव को रोकना चाहिए।छात्र-छात्राओं को व्यक्तिगत आक्षेप लगाने से भी रोकना चाहिए।
- विवेचन में बीच-बीच में हास्य-भाव का भी संपुट देना चाहिए जिससे विवेचन सरस महसूस हो।विवेचन में छात्र-छात्राएं यदि शिक्षक से ही किसी प्रश्न का उत्तर जानना चाहें तो शिक्षक को उसका उत्तर छात्र-छात्राओं से ही निकलवाना चाहिये।शिक्षक एक केंद्र की तरह होता है और छात्र-छात्राएं उसकी सीमा (परिधि) होते हैं।विवेचन में शोरगुल तथा अव्यवस्था होने को रोकना चाहिए।बहुत से छात्रों को एक साथ बोलने देने के बजाय एक-एक छात्र-छात्रा को बोलने का मौका देना चाहिए।
- किसी एक या दो छात्र-छात्राओं को ही बार-बार बोलने देने के बजाय समूह के अन्य छात्र-छात्राओं को भी विचार प्रकट करने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए।शिक्षक की भूमिका एक मार्गदर्शक की होती है।समूह विवेचन में किसी विशिष्ट छात्र-छात्रा को प्रभुत्व करने नहीं देना चाहिए बल्कि सभी छात्र-छात्राओं की सहभागिता लेने का प्रयास होना चाहिए।विवेचन के निष्कर्ष को किसी एक छात्र को श्रेय लेने नहीं देना है बल्कि सभी को उसका भागीदार समझा जाता है।
7.गणित में विवेचन विधि को उदाहरण द्वारा समझाओ (Explain the Method of Discussion in Mathematics):
- शिक्षक:आज के विवेचन का विषय है:”भारत से गणितज्ञों का प्रतिभा पलायन उचित है”।भारत के प्रत्येक प्रतिभाशाली व्यक्ति को अपने कैरियर को चुनने का अधिकार है।प्रतिभाशाली व्यक्ति को उचित सम्मान,आवश्यक सुविधाएं तथा जीवन व्यापन के लिए कहीं भी जाने का अधिकार है।ऐसी स्थिति में आप इस विषय पर अपना-अपना पक्ष प्रस्तुत करें।
- छात्र:1.भारतीय प्रतिभाओं के पलायन के कई कारण होते हैं। जैसे सम्मान न मिलना,उचित पद न मिलना,उचित सुविधाओं का न मिलना तथा आर्थिक कारण इत्यादि हो सकते हैं।ऐसी स्थिति में एक प्रतिभाशाली व्यक्ति का विदेशों में जाकर कार्य करना उचित है।चाणक्य नीति में कहा है कि:
- “यस्मिन् देश न सम्मानो न वृत्तिर्न च बान्धवाः।
न च विद्यागम: कश्चित् तं देशं परिवर्जयेत्।।(अध्याय प्रथम) - अर्थात् जिस देश में न तो आदर सम्मान है, न आजीविका प्राप्ति के साधन हैं,न बन्धु-बान्धव हैं और न ही किसी विद्या की प्राप्ति की संभावना है,ऐसे देश को छोड़ देना चाहिए ,ऐसे स्थान पर नहीं रहना चाहिए।
- समीक्षा:इस प्रत्याशी ने यह तो वर्णित किया है कि आजीविका व उचित वेतन न मिलने पर उस देश का त्याग कर देना चाहिए।इसके पक्ष में चाणक्य का श्लोक भी उद्धृत किया है।परंतु भारतीय संस्कृति,भारत की आर्थिक स्थिति इत्यादि के पक्ष का वर्णन नहीं किया है।इसलिए इसकी प्रस्तुति आदर्श स्थिति नहीं कही जा सकती है।
- छात्र:2.मित्रों!मेरे मित्र प्रत्याशी नंबर एक ने जो विचार व्यक्त किया है कि आजीविका, सम्मान इत्यादि न मिले उस स्थान को छोड़ देना चाहिए। परंतु ऐसा करने से भारत से जो कि स्वतंत्र हुए अभी 75-80 साल हुए हैं,उसकी अर्थव्यवस्था चौपट हो जाएगी।जब प्रतिभाएं इस तरह देश को छोड़कर जाएंगी तो उसका खामियाजा समाज व देश को उठाना पड़ता है।इसलिए मेरा विचार है कि गणितीय प्रतिभाओं का दूसरे देशों में पलायन करना उचित नहीं है।
- समीक्षा:इस प्रत्याशी ने भारत की आर्थिक स्थिति के कारण प्रतिभाओं को उचित वेतन,सुविधाएं तथा उचित पद देने में असमर्थ माना है।परंतु उसने भारत में रहने के पक्ष में उचित प्रमाण व तर्क प्रस्तुत नहीं किया है।साथ ही यह भी वर्णित नहीं किया है कि ऐसी प्रतिभाएं यहाँ रहकर अपना जीवनव्यापन किस प्रकार कर सकती हैं?
- छात्र:3.साथियों!वर्तमान युग लोकतंत्र का युग है। इसमें हर प्रतिभा को स्वतंत्रतापूर्वक निर्णय लेने का अधिकार है।वैसे भी भारत की नीति “वसुधैव कुटुंबकम” की रही है।यदि प्रतिभा पलायन नहीं होता है तो भारत को उच्च तकनीकी का ज्ञान कैसे हो सकता है?विकसित देश अपनी तकनीकी किसी भी हालत में हस्तांतरण नहीं करते हैं क्योंकि वे तकनीकी पर एकाधिकार रखना चाहते हैं।भारत को तकनीकी ज्ञान इन प्रवासी गणितीय प्रतिभाओं और वैज्ञानिकों द्वारा प्राप्त हो सकता है।इसलिए एक दृष्टि से प्रतिभा पलायन भारत के हित में ही है। लेकिन यह तभी संभव है जब कुछ प्रतिभाएं विदेशों में तकनीकी का ज्ञान लेकर भारत वापस आ जाएं।
- समीक्षा:इस प्रत्याशी ने प्रतिभा पलायन को उचित माना है।साथ ही यह भी कहा है कुछ प्रतिभाओं को वापस लौटना चाहिए तभी भारत को तकनीकी का ज्ञान स्थानांतरण हो सकता है और भारत विकसित देशों की पंक्ति में खड़ा हो सकता है।परंतु इस प्रत्याशी ने यह नहीं बताया कि जब पाश्चात्य देश प्रतिभाओं को हर तरह की सुविधाएं तथा प्रलोभन देती हैं तो वे वापस क्यों लौट आएंगी?इस प्रकार भारत को कैसे लाभ मिल सकता है?
- छात्र:4.मेरे तीन मित्रों ने प्रतिभा पलायन के पक्ष विपक्ष में अपने तर्क प्रस्तुत किए हैं।उनकी बात किसी हद तक ठीक है।परन्तु यह प्रतिभा पलायन 15-20% तक तो ठीक है लेकिन अधिक संख्या में प्रतिभा पलायन से देश को हानि होती है।आखिर देश के संसाधनों व सुविधाओं से प्रतिभा तैयार होती है और फिर देश को उनका लाभ न मिले तो भारत का विकास कैसे हो सकता है?विदेशों में शिक्षा प्राप्त करने तक तो बात ठीक है जहां तक भारत में वैसी सुविधाएं नहीं हो।उदाहरणार्थ जापान का कोई भी युवा संसार के किसी भी देश में शिक्षा प्राप्त करें परन्तु अपनी सेवाएं जापान को ही देता है।भारत से एक भी उच्चकोटि की प्रतिभा का पलायन होता है तो भारत को अपार क्षति होती है।उदाहरणार्थ:डाॅ. हरगोविंद खुराना तथा सुब्रमण्यम चन्द्रशेखर को देश में पर्याप्त सुविधाएं तथा उचित पद न देने के कारण अमेरिका जाना पड़ा।वहां जाने के बाद उन्होंने ऐसी खोज की जिनके कारण उन्हें नोबेल पुरस्कार प्राप्त हुआ।
- भारत में पर्याप्त् सुविधाओं का न होने का कारण है कि यहां लोकतंत्र इतना परिपक्व नहीं हुआ है तथा देश की आर्थिक स्थिति ऐसी नहीं है कि उच्चकोटि की प्रयोगशाला,उच्च कोटि के शिक्षण संस्थानों की व्यवस्था की जाती।बावजूद वर्तमान में पर्याप्त् सुविधाएं हैं।हालांकि विकसित देशों जैसी प्रयोगशालाएँ व साधन सुविधाएं और उच्च वेतनमान प्रतिभाओं को अब भी नहीं दिया जाता है।
- परंतु यदि चंद्रशेखर वेंकट रामन ,एपीजे अब्दुल कलाम भी ऐसे ही सोचते तो क्या भारत आज जिस स्थिति में है उतना विकास कर पाता।डॉक्टर होमी जहांगीर भाभा ने विदेशों में शोध कार्य किया तथा कुछ समय कैंब्रिज विश्वविद्यालय में कार्य किया परंतु बाद में भारत में आकर ही कार्य किया।डाॅक्टर भाभा एक उच्च कोटि के गणितज्ञ थे और चाहते तो वहीं रह सकते थे।मेघनाथ साहा भी एक गणितज्ञ थे परंतु बाद में भौतिक शास्त्र को चुना।इंग्लैंड,जर्मनी में वैज्ञानिकों की देखरेख में खोज कार्य किया लेकिन अंत में अपना कार्यक्षेत्र भारत को ही चुना। इसी प्रकार चंद्रशेखर वेंकट रामन ने देश में ही उपलब्ध शिक्षा संस्थानों में अध्ययन किया और भारत में ही कार्य किया।उन्हें सन 1930 में भौतिक विज्ञान का नोबल पुरस्कार मिला।
- इस प्रकार उच्चकोटि की प्रतिभाओं का पलायन किसी भी रुप में नहीं होना चाहिए।यह तभी संभव है जब की प्रतिभाओं में राष्ट्र भावना विद्यमान हो। जैसे जापान की प्रतिभाओं में है।हमारे यहां तो सदियों पूर्व भगवान राम ने जन्मभूमि को स्वर्ग से भी ऊपर माना है।ऐसा कहा जाता है कि लंका के ऐश्वर्य को देखकर जब लक्ष्मण का मन विचलित हो गया तो भगवान् श्रीराम ने कहा:
- “अपि स्वर्णमयी लंका न मे लक्ष्मण रोचते।
जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गादपि गरयिसी”।। - अर्थात् हे लक्ष्मण यह स्वर्णमयी लंका मुझे पसंद नहीं है क्योंकि माता और मातृभूमि ये दोनों स्वर्ग से भी बढ़कर है।
यह ठीक है कि यहां की नौकरशाही प्रतिभाओं को पनपने नहीं देना चाहती है और अपना एकाधिकार रखना चाहती है।सिविल सर्विसेज के द्वारा जो आईएएस चुने जाते हैं,यह अंग्रेजो की डाली हुई परिपाटी है।एक आईएएस किसी डाॅक्टर,इंजीनियर अथवा अन्य किसी प्रतिभा को अपने अधीन ही रखना चाहता है।भले ही आईएएस अफसर से उसमें अधिक प्रतिभा हो।परंतु अब भारत में काफी बदलाव हो गया है।अब नौकरशाही तथा राजनीतिक दल उतने शक्तिशाली नहीं है कि अपनी मनमानी करें।बल्कि प्रतिभाओं का मूल्य समझने लगे हैं।धीरे-धीरे ओर भी बदलाव देखने को मिलेगा। - गणितज्ञ गणेश प्रसाद का विश्वविद्यालय के अधिकारियों से मतभेद हो गया तो इस्तीफा देकर वे कलकत्ता विश्वविद्यालय में हार्डिंग प्रोफेसर बन गए परंतु देश छोड़कर नहीं गए।गणितज्ञ डाॅ. बी एन प्रसाद के साथ भी ऐसा ही किया गया परंतु वे देश छोड़कर नहीं गए।
- विदेशों में प्रख्यात दार्शनिक आचार्य रजनीश,गणितज्ञ वशिष्ठ नारायण सिंह तथा गणितज्ञ श्रीनिवास रामानुजन् के साथ पाश्चात्य् देशों ने क्या किया? यह छिपी हुई बात नहीं है।विकसित देश प्रतिभाओं का केवल अपने निजी हित हेतु धन का प्रलोभन देकर लाभ लेना जानती है।परन्तु हृदय से वे कभी भी उन्हें अपने देश का निवासी नहीं समझती है।अतः उनके साथ छिपे तौर से सौतेला व्यवहार करते हैं।
- तात्पर्य यह है कि हमारी चर्चा तथा उसका निष्कर्ष यह होना चाहिए कि भारत से प्रतिभा पलायन एक सुविचारित होना चाहिए अर्थात् जिस क्षेत्र में पर्याप्त् से अत्यधिक प्रतिभा मौजूद है उनके जाने से भारत को कोई हानि नहीं है।परंतु गणितज्ञ,वैज्ञानिकों,इंजीनियरों इत्यादि के लिए भारत को ब्रेन ड्रेन को ब्रेन गेन में बदलने की जरूरत है।ओर अब इसमें भारत सक्षम है परंतु इसे कार्यान्वित करने की जरूरत है।यद्यपि भारत सरकार को इस पर विचार करना चाहिए कि उच्चकोटि की प्रतिभाओं को उचित सम्मान,पद और वेतन दें।
- समीक्षा:इस प्रत्याशी ने इस नए तथ्य का समावेश किया कि भारत को ब्रेन ड्रेन को ब्रेन गेन में बदलना चाहिए।साथ ही प्रतिभाओं के साथ विदेशों में कैसा व्यवहार किया जाता है उसको सप्रमाण व्यक्त किया है।उसने राष्ट्र के व्यापक हित को ध्यान में रखकर उसकी समीक्षा की है।भारत सरकार प्रतिभाओं के साथ इस तरह का व्यवहार क्यों करती है,इस पर भी ध्यान आकर्षित किया।
- इस प्रकार तर्क व विषय की सांगोपांग विवेचना के कारण प्रत्याशी चार की प्रस्तुति सर्वश्रेष्ठ है।इसलिए समूह का उसे सर्वश्रेष्ठ प्रत्याशी घोषित कर सकते हैं।
- उपर्युक्त आर्टिकल में गणित में विवेचन विधि (Method of Discussion in Mathematics),गणित में विवेचन विधि का प्रयोग कैसे करें? (How to Use the Method of Discussion in Mathematics?) के बारे में बताया गया है।
8.विचित्र विचार गायब (हास्य-व्यंग्य) (The Strange Idea Disappeared) (Humour-Satire):
- एक छात्र पढ़ते-पढ़ते रुक गया और चिंतित तथा उदास हो गया।
- दूसरा छात्र (पहले छात्र से):पढ़ते-पढ़ते इस तरह उदास होकर मुंह क्यों लटका लिया?क्या बात हुई?
- पहला छात्र :यार मेरे दिमाग में एक बहुत जबरदस्त आइडिया आया था,वो गायब हो गया।
- दूसरा छात्र:ऐसा कौन सा आईडिया था जिससे उदास और मुंह लटकाने की नौबत आ गई।दिमाग पर जोर डालो तो वह आइडिया वापस आ जाएगा।
- पहला छात्र:वो ऐसा आइडिया था कि यदि दिमाग से गायब न होता तो विश्व में तहलका मच जाता। जैसे एटम बम जापान के हिरोशिमा और नागासाकी शहर पर अमेरिका ने गिराकर तहलका मचा दिया था।
- दूसरा छात्र:अब उस आइडिए के बारे में कुछ बताओगे या ऐसे ही पहेलियां बुझाते रहोगे।सूत न कपास जुलाए से लठम लठ्ठा।
- पहला छात्र:वो आइडिया कैसे वापस आएगा?वो विश्व की गणित में 6 अनसुलझी हुई समस्याओं के हल का आइडिया था।ये 6 गणित अनुसुलझी हुई समस्याएँ है:
- (1.)पी बनाम एनपी समस्या (P vs NP Problem) (2.)रीमन परिकल्पना (Reman Hypothesis) (3.)यांग मिल्स और मास गैप (Yang-Mills and Mass Gap) (4.)नेवियर स्टोक्स समीकरण (Navier Stokes Equation) (5.)हाॅज अनुमान (Hodge Estimate) (6.)बर्च और स्विंटर्टन-डायर अनुमान (Birch and Swinterton Dyer Estimates) अब वापिस इनके हल का आइडिया कैसे आ सकता है?
9.गणित में विवेचन विधि (Method of Discussion in Mathematics),गणित में विवेचन विधि का प्रयोग कैसे करें? (How to Use the Method of Discussion in Mathematics?) के सम्बन्ध में अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न:
प्रश्न:1.विवेचन विधि की सीमा क्या है? (What are the Limitations of the Discussion Method?):
उत्तर:विवेचन विधि में समय बहुत व्यय होता है।परम्परागत तरीके में इस विधि के बजाय बहुत अधिक पाठ्यसामग्री पढ़ाई जा सकती है।इस विधि में बहुत कम विद्यार्थी भाग लेते हैं।
प्रश्न:2.विवेचन विधि के दोष कैसे दूर करें? (How to Remove the Defects of the Discussion Method?):
उत्तर:यदि शिक्षक विवेचन विधि को कुशलतापूर्वक प्रयोग करे तो इसके सारे दोषों को दूर किया जा सकता है।
प्रश्न:3.विवेचन को रुचिपूर्वक कैसे बनाया जाए? (How to Make the Discussion Method an interesting?):
उत्तर:शिक्षक को बीच-बीच में हास्य भाव का प्रयोग करना चाहिए।
उपर्युक्त प्रश्नों के उत्तर द्वारा गणित में विवेचन विधि (Method of Discussion in Mathematics),गणित में विवेचन विधि का प्रयोग कैसे करें? (How to Use the Method of Discussion in Mathematics?) के बारे में ओर अधिक जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
Method of Discussion in Mathematics
गणित में विवेचन विधि
(Method of Discussion in Mathematics)
Method of Discussion in Mathematics
गणित में विवेचन विधि (Method of Discussion in Mathematics) का प्रयोग जानने से पहले
विवेचन का अर्थ जानना आवश्यक है।विवेचन का हिंदी में पर्यायवाची
शब्द मीमांसा,परीक्षण,तर्क वितर्क,समीक्षा,गुण दोष की मीमांसा,
विचार-विमर्श,सदसत् का निर्णय,चर्चा करना,बहस करना के रूप में किया जाता है।
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