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Expectations from mathematics teacher

1.गणितअध्यापक से अपेक्षाएं ( Expectations from mathematics teacher)

  • गणितअध्यापक से अपेक्षाएं ( Expectations from mathematics teacher) वर्तमान समय में बहुत अधिक है क्योंकि वर्तमान समय में गणित की हर कहीं आवश्यकता है।इस आर्टिकल में गणित अध्यापक से अपेक्षाओं( Expectations from mathematics teacher) के बारे में बताया गया है।गणित अध्यापक का वर्तमान वैज्ञानिक एवं तकनीकी प्रगति के परिप्रेक्ष्य में अत्यन्त महत्त्वपूर्ण स्थान है।भारत के भाग्य का निर्माण कक्षाओं में हो रहा है। गणित के अध्यापकों को इस बात पर गर्व होना चाहिए कि वे एक आधारभूत विषय का अध्यापन कर रहे हैं।यदि गणित के अध्यापन का स्तर उत्तम बना रहे तो भारत औद्योगिक और तकनीकी क्षेत्र में अधिक गति से प्रगति कर सकेगा।इसके लिए यह आवश्यक है कि गणित अध्यापक को अपने विषय का गहन अध्ययन हो तथा गणित में नवीन विचारों एवं सिद्धान्तों की जानकारी हो। विद्यार्थियों में गणित को सीखने के लिए उत्साह हो। किसी उप-विषय को किन-किन विधियों से सिखाया जा सकता है-इसकी गणित के अध्यापक को जानकारी होनी चाहिए। गणित के अध्यापक को गणित की पत्रिकाओं का अध्ययन करना चाहिए तथा गणित के क्लबों का निर्माण कर अध्यापन विधियों तथा गणित विषयवस्तु की जानकारी का आदान-प्रदान करना चाहिए। छात्रों में गणित की प्रतियोगिताओं का आयोजन करने से गणित शिक्षण के स्तर में वृद्धि होगी।
  • गणित की विषयवस्तु की वृद्धि दर, किसी समय पर, गणित के परिणाम के अनुपात में होती है। गणित का विकास घातांकी होती है। गणित के विकास की दर घातांकी होती है।
  • वर्तमान समय में अधिकांश छात्र इंजीनियरिंग तथा भौतिकशास्त्र के अध्ययन की ओर अग्रसित होते हैं। दूसरी श्रेणी के छात्र गणित के अध्ययन की ओर आकर्षित होते हैं। अतः गणित के अध्यापन का स्तर उत्तम हो,यह आवश्यक है। गणित के अध्यापक का Research Oriented दृष्टिकोण होना चाहिए जिससे की गणित की कक्षा में समस्या हल विधि का उपयोग कर छात्रों में गणित के प्रति उत्साहवर्धन किया जा सके।कक्षा में Visual Aids का अधिकाधिक उपयोग करने से गणित अध्यापक की क्षमता में वृद्धि होगी तथा छात्रों विचारों तथा सिद्धान्तों को समझने में स्पष्टता होगी। गणित की कक्षा में मापना, तुलना करना,सिद्ध करना,अंदाज लगाना, जीवन की समस्याओं को गणित के सिद्धान्तों द्वारा हल करने का प्रयास करना, प्रक्रिया तथा फल के सम्बन्ध को समझकर सिद्धान्तों का निरूपण करना, बीजगणित तथा ज्यामिति में परस्पर सम्बन्ध स्थापित कर प्रमेयों को सिद्ध करना आदि प्रक्रियाएं अध्यापन का महत्त्वपूर्ण भाग होना चाहिए।
  • गणित के अध्यापक का दृष्टिकोण प्रगतिशील एवं सृजनात्मक होना चाहिए।उसका चिंतन गणित के आधारभूत सिद्धान्तों के परिप्रेक्ष में व्यावहारिक होना चाहिए।
  • जैसे:”जोड़ एक सम्मिश्रण प्रक्रिया है। वस्तुओं के समूहों को मिला कर एक समूह बनाया जाता है।अवकलन एक पृथक् करने वाली क्रिया है अर्थात् एक बड़े समूह को पृथक् करना।अवकलन एक प्रक्रिया है जिससे यह ज्ञात होता है कि कोई संख्या दूसरी संख्या से कितनी छोटी या बड़ी है।”
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2.निम्न प्रश्नों के सही उत्तर को जानने की गणित अध्यापक से अपेक्षाएं हैंं (Expectations from Mathematics teacher to find out the correct answer to the following questions)-

  • (1.) विद्यार्थी गणित कैसे सीखते हैं?
  • (2.) गणित में अधिकतम सीखना किन परिस्थितियों में सम्भव है?
  • (3.)किसी उप-विषय को प्रभावी ढंग से पढ़ाने के लिए अधिकतम समय सीमा क्या है?
  • (4.) वर्तमान में अध्यापक गणित कैसे पढ़ाते हैं?यह क्यों प्रभावहीन है?
  • (5.)देहाती तथा शहरी क्षेत्र में गणित अध्यापन के संयंत्रों में अन्तर क्यों हैं?इसे कैसे दूर किया जाय?
  • (6.) विभिन्न विषय संकल्पनाओं को छात्रों को किस उम्र में पढ़ाया जा सकता है?
  • (7.)अध्यापन में उप-विषयों का क्रम कैसे रखा जाय जिससे कि छात्रों में विषय का व्यावहारिक ज्ञान स्थायी बन सके?
  • (8.)विद्यालय में गणित के प्रचार प्रसार हेतु कौन-से सामाजिक एवं सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जा सकते हैं?
  • (9.) गणित की कक्षा में प्रभावी अध्यापन आदर्श परिस्थितियां क्या हैं?
  • (10.) अप्रभावी गणित अध्यापन की क्या विशेषताएं हैं।
  • (11.) वर्तमान पाठ्यक्रम में कौन से अध्यापन के उद्देश्य हैं जिनको गति के साथ प्राप्त करना अनिवार्य है?
  • ( 12.)ऐसे कौन से उप-विषय हैं जिनको बड़ी आसानी से दक्षतापूर्वक छोटी कक्षाओं में पढ़ाया जा सकता है?क्या हम द्विपद प्रमेय,सीमा,समरूपता,बिन्दु पथ, संख्या प्रणाली की विशेषताएं आदि जैसे गूढ़ उप-विषय छोटी कक्षाओं के छात्रों को पढ़ा सकते हैं?
  • (13.) छात्रों के ज्ञान की परीक्षा हेतु नैदानिक परीक्षा का उपयोग कब और कैसे किया जाये?
  • (14.) गणित में विषयवस्तु के विस्तार का क्या क्रम है तथा उसका लाभ छात्रों को किस प्रकार दिया जा सकता है?

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3.गणित अध्यापक का व्यक्तित्व (Mathematics teacher personality)

  • अध्यापक के व्यक्तित्व का बालकों पर प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष प्रभाव पड़ता है। गणित के अध्यापक में अपने कार्य के प्रति निष्ठा का होना अत्यन्त आवश्यक है। गणित को सीखने में सतत् प्रयत्नों की आवश्यकता होती है। विद्यार्थियों को गणित सीखने में अध्यापक का व्यक्तित्व प्रेरणाप्रद होता है यदि वह स्वयं गणित को एक प्रगति का आवश्यक अंग मानता हो तथा अपने विद्यार्थियों के प्रति उत्तरदायित्व को निभाने के लिए जागरूक हो। गणित को कक्षा में रुचिपूर्ण विषय बनाने के लिए अध्यापक का धैर्यवान होना अत्यन्त आवश्यक है। विद्यार्थी अपनी-अपनी क्षमतानुसार ही इस विषय को सीखते हैं तथा अध्यापक का छात्रों की प्रगति के लिए अनावश्यक रूप से आतुर होना उचित नहीं माना जा सकता।परिश्रमी, उत्साहपूर्ण, धैर्यवान और विद्यार्थियों के हितो के बारे में सोचने वाले गणित के अध्यापक ही कक्षा में प्रभावी अध्यापन कर पाते हैं। गणित के अध्यापक में प्रत्युत्पन्नमति का होना अत्यन्त आवश्यक है जिससे कि वह परिस्थितियों के अनुसार कक्षा में उदाहरण या दृष्टान्त दे सके। गणित की समस्याओं को हल करते समय अनेक बातों का धैर्य के साथ स्पष्टीकरण करना आवश्यक होता है। गणित के अध्यापक में प्रयोगात्मक दृष्टिकोण का होना अपेक्षित है।अध्यापन के बारे में नवीन विधाओं की जानकारी प्रेरणा प्राप्त करते रहने से ही सम्भव है। अनुभवों एवं प्रयोगों के आधार पर गणित का अध्यापक कठिन उप-विषयों को पढ़ाने के बारे में व्यावहारिक विधियों की खोज कर सकता है।
  • इस प्रकार गणित अध्यापक से अपेक्षाएं (Expectations from mathematics teacher) हैं।Expectations from mathematics teacher)
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