How to Write Essay for Competition?
1.प्रतियोगिता के लिए निबंध कैसे लिखें? (How to Write Essay for Competition?),किसी भी विषय पर उत्कृष्ट निबन्ध कैसे लिखें? (How to Write Excellent Essay on Any Topic?):
- प्रतियोगिता के लिए निबंध कैसे लिखें? (How to Write Essay for Competition?) यह प्रतियोगिता इनामी प्रतियोगिता या जाॅब प्राप्त करने के लिए भी हो सकती है।विद्यालय और कॉलेज की शैक्षिक परीक्षाओं में भी निबंध प्रश्न होता है।यह लेख प्रतियोगिता या स्कूल,कॉलेज आदि परीक्षाओं को ध्यान में रखकर लिखा गया है।
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2.निबंध का परिचय (Introduction to the essay):
- निबंध गद्य की आधुनिक विधा का नाम है।इसमें लेखक की रुचि एवं उसकी मनःप्रवृत्ति (Mood) के मुताबिक विचारों की श्रृंखला अव्यवस्थित और शिथिल अथवा सुगठित एवं व्यवस्थित दोनों ही प्रकार की हो सकती है।निबंध की मूलभूत विशेषता है:आत्मव्यंजना,जिसकी नितांत उपेक्षा किसी भी स्थिति में नहीं की जा सकती है।अच्छे निबंध लेखक में सूक्ष्म निरीक्षण की क्षमता के साथ ही हास्य-व्यंग्य तथा विनोद की प्रवृत्ति भी होनी चाहिए।निबंध में पांडित्य,गंभीर अध्ययन एवं तार्किकता का होना कतई जरूरी नहीं है।हाँ,ये सभी विशेषताएँ निबंध लेखन के व्यक्तित्व का सहज अंग बनकर आ सकती हैं।निबंध में सजीवता,सरसता तथा स्वच्छंदता आदि विशेषताएँ सामान्यतः व्यक्ति व्यंजना के साथ स्वतः आ जाती हैं।निबंध किसी भी विषय पर लिखा जा सकता है।इसमें विषय के स्थान पर लेखक का व्यक्तित्व ही पाठक के मन पर छा जाता है।
- ऊपर जो कुछ भी कहा गया है,वह साहित्यिक निबंध के बारे में है।आजकल अखबारों-पत्रिकाओं में जो निबन्ध लिखा जाता है,वस्तुतः वह निबंध ना होकर लेख होता है।इसी प्रकार प्रतियोगिता परीक्षा या शैक्षिक परीक्षा में जो निबंध लिखने को दिया जाता है,जिसमें प्रतियोगी परीक्षार्थी को विषय से निरंतर जुड़े रहकर अपने विचार तथा भाव प्रकट करने होते हैं।परीक्षा में निबंध का प्रश्नपत्र काफी स्कोरिंग विषय है।अब यह परीक्षार्थी के ऊपर निर्भर करता है कि वह इस प्रश्नपत्र में कैसा प्रदर्शन करता है।वैसे जब से यह प्रश्नपत्र प्रतियोगिता परीक्षाओं में जोड़ा गया है,तब से परीक्षार्थियों में इसे लेकर विशेष चिंता दिखाई पड़ी थी।यह चिंता कला वर्ग के परीक्षार्थियों में उतनी नहीं दिखती,जितनी विज्ञान वर्ग की परीक्षार्थियों में दिखती है।लेकिन अब लंबे समय से प्रश्नपत्र सामने आने के कारण बौखलाहट अब नहीं रही। फिर भी यह प्रश्नपत्र उनकी परेशानी का सबब जरूर बना हुआ है।
- आखिर इस प्रश्न को लेकर चिंतित होने का कारण क्या है? विश्लेषण करने पर इस प्रश्न के निम्न कारण सामने आते हैं:(1.) शब्दों का अभाव और भाषा पर पकड़ ना होना, (2.)सुसंगत ढंग से अपनी बात ना लिख पाना,(3.) कल्पना शक्ति का अभाव,जिसके कारण विषय विशेष पर परीक्षार्थी चिंतन नहीं कर पाते,और (4.)रटने की पुरानी आदत।
3.कमजोरियों से मुक्ति कैसे पाएं? (How to get rid of weaknesses?):
- परीक्षा में अपना चयन सुनिश्चित करने के लिए जरूरी है कि अन्य अनिवार्य और वैकल्पिक विषयों के साथ-साथ निबंध के प्रश्न-पत्र या निबंध में भी अच्छे अंक प्राप्त किए जाएं।अच्छे अंक अच्छा निबंध लिखकर ही प्राप्त किया जा सकते हैं।लेकिन निबंध को लेकर परीक्षार्थी में जो कमजोरियां हैं,उससे मुक्ति पाकर ही अच्छा निबंध लिखा जा सकता है।परीक्षार्थी एक बात गांठ बांध लें कि जितना आसान निबंध की तैयारी करना है,उतनी आसानी से और कोई प्रश्न नहीं तैयार किया जा सकता है।सच पूछा जाए तो निबंध के लिए किसी विशेष तैयारी की जरूरत ही नहीं है।परीक्षार्थी दिन-प्रतिदिन के जीवन में जो देखता-सुनता और पढ़ता है,बस उस पर थोड़ा और ध्यान दें,उन पर विचार करे और अपनी सम्बद्ध मनोभावनाओं को क्रमबद्ध ढंग से लिखकर अभिव्यक्त करे।परीक्षार्थी यदि इस प्रक्रिया से गुजरता है तो कुछ ही समय बाद में पाएगा कि किसी भी विषय पर उसकी लेखनी धाराप्रवाह दौड़ने लगती है।तब निबंध लेखन को लेकर भी उसका सारा भय,सारी परेशानी जाती रहेगी।सहजता से निबंध लिखने के लिए कुछ और बातें हैं,जिन पर अमल करके अपना रास्ता और सुगम बनाया जा सकता है,जैसे:
- (1.)अखबारों-पत्रिकाओं से विभिन्न सामयिक विषयों पर लिखे लेखों का गंभीरता से अध्ययन करें और तत्पश्चात उस पर चिंतन-मनन करें।
- (2.)अपने मित्रों,वरिष्ठों या प्रबुद्ध पारिवारिक जनों के साथ समय-समय पर सामाजिक,आर्थिक,राजनीतिक,सांस्कृतिक तथा अन्य विषयों पर विचार-विमर्श करें,जिससे आपकी जागरूकता निःसंदेह बढ़ेगी।साथ ही,आपके सोचने-समझने का दायरा भी विस्तृत होगा।
- (3.)विभिन्न विचारपूर्ण विषयों पर अपनी सोच को लिखकर अभिव्यक्त करें।इससे आपके विचार धारदार और तार्किक तो होंगे ही,आपकी भाषा भी परिष्कृत होती जाएगी।
- (4.)कभी भी क्लिष्टता,दुरूहता या आलंकारिकता के चक्कर में न पड़े।अधिक ज्ञान बघारने के चक्कर में कहीं ऐसा ना हो कि आप रीतिकालीन कवि केशवदास की तरह बन जाएं।आपकी कोशिश यही होनी चाहिए कि बेहद सरल,सीधे-सादे पर शुद्ध शब्दों में तार्किक ढंग से अपनी बात को स्पष्ट करें ना कि आलंकारिकता और कठिन भाषा के मोह में पड़कर विषय को उलजाएं। आपकी बात को कोई भी पहली नजर में ही पढ़कर न केवल समझ जाए,बल्कि उसके ऊपर आपकी अभिव्यक्ति क्षमता का प्रभाव भी पड़े।
- (5.)आपके विचारों में एकरूपता होनी चाहिए,अर्थात् आपके विचारों में अंतर्विरोध नहीं होना चाहिए।ऐसा नहीं होना चाहिए कि पहले कही बात को बाद में उलट दें और प्रतिकूल बातें करने लगे।यह दुर्गुण न केवल लेखन के लिए,अपितु सामान्य जीवन के लिए भी बेहद नुकसानदेह होता है।इसलिए इससे बचकर रहें।
- (6.)अपनी बात को प्रभावशाली तरीके से संक्षेप में लिखने का प्रयास करें और अनावश्यक विस्तार से बचें। अगर आप जान-बूझकर बात बढ़ाने की कोशिश करते हैं तो इसका परीक्षक पर अच्छा प्रभाव नहीं पड़ेगा।निर्धारित शब्द सीमा में ही आप अपनी पूरी बात लिखने का अभ्यास करें।
- (7.)अपने विचारों को क्रमबद्ध तरीके से प्रकट करें। आपकी प्रस्तुति में तारतम्यता का होना अनिवार्य है।किसी विषय पर निबंध लिखते समय आप उससे संबंधित सभी पक्षों का क्रमिक ढंग से विश्लेषण करें।
- (8.)जिस विषय पर आप निबंध लिख रहे हैं,शुरू से आखिर तक उस विषय से निकटता बनाए रखें।ऐसा ना हो कि कल्पना लोक में विचरण करते हुए आप विषय से भटक जाएं और अनावश्यक बातों पर समय और शब्द दोनों खर्च करने लगें।इससे आपको लाभ तो कुछ नहीं होगा,हाँ नुकसान जरूर हो सकता है।
- ऊपर जिन बिंदुओं पर जोर दिया गया है,यदि आप इन सभी पर अमल करें तो हमें पूरा विश्वास है कि निबंध से डरने का कोई कारण नहीं रह जाता।कमोबेश इन्हीं सब बातों पर निबंध के परीक्षा प्रारूप में भी विशेष बल दिया गया है।उपर्युक्त गाइडलाइन इतनी जटिल नहीं है कि उन पर अमल न किया जा सके।वैसे परीक्षा की तैयारी करने वाले प्रबुद्ध प्रतियोगी चाहें तो अपनी गाइडलाइन और रणनीति स्वयं तैयार कर सकते हैं।लेकिन गाइडलाइन बनाने से कहीं ज्यादा जरूरी है उन पर पूरी तरह अमल करना।
4.उत्कृष्ट निबंध लिखने की तकनीक (Excellent essay writing techniques):
- उत्कृष्ट निबंध लिखने की एक प्रक्रिया होती है,जिसके तहत विभिन्न चरणों में विषय का प्रतिपादन करना होता है।बहुत से परीक्षार्थी ऐसे होते हैं जो पहले विभिन्न शीर्षकों के तहत निबंध की रूपरेखा तैयार कर लेते हैं और उसके बाद उन शीर्षकों के अंतर्गत ही लिखते हैं।यह एक बचकानी प्रवृत्ति है जो छोटी कक्षाओं में ही शोभा देती है।प्रतियोगी परीक्षार्थियों से इस बात की अपेक्षा नहीं की जाती है कि वह पहले कुछ बिंदुओं को लिख ले और फिर उसका विस्तारण करे।यह माना जाता है कि परीक्षा देने वाला परीक्षार्थी परिपक्व बुद्धि का एक ऐसा युवक है जो सार्वजनिक जीवन के संघर्षों में अपनी प्रतिभा का प्रमाण दे सकता है।
5.शब्दों और वाक्यों की शुद्धता (Correctness of words and sentences):
- चूँकि निबंध में भावों और विचारों की अभिव्यक्ति का माध्यम शब्द और वाक्य हैं,इसलिए यह जरूरी है कि भाषा पूरी तरह शुद्ध और सरल हो तथा भाषा की बुनियाद शब्दों पर टिकी होती है।यदि निबंध में लिखे गए शब्द ही अशुद्ध हों तो बुनियादी ही कमजोर हो जाएगी।इसलिए वर्तनी का शुद्ध होना निबंध लेखन की अनिवार्य शर्त है।यदि उज्ज्वल को उज्ज्वल,संन्यास को सन्यास,आशीर्वाद को आर्शीवाद लिखा जाए तो अच्छे अंक कभी नहीं मिल सकते।यदि आपके पास शब्दों का अभाव है या (नहीं भी है तो भी) और आप जो लिखते हैं,उसकी भी वर्तनी ठीक नहीं होती तो इसके लिए जरूरी है कि आप अधिक से अधिक साहित्यिक पुस्तकें और अखबारों के संपादकीय पढ़ें।इसके अतिरिक्त समय-समय पर या भ्रम होने पर शब्दों की शुद्ध वर्तनी जानने के लिए हिंदी शब्दकोश की भी मदद ले सकते हैं।यहाँ एक बात और भी महत्त्वपूर्ण है,वह यह कि आप जितना पढ़ते हैं और अपना शब्द भंडार बढ़ाते हैं,उससे कहीं ज्यादा जरूरी आपके लिए लिखने का अभ्यास है।अगर आप केवल पढ़कर ही आश्वस्त हो जाते हैं और लिखने का अभ्यास नहीं करते तो यह जानिए कि परीक्षा भवन में आपकी कलम अटक जाएगी।बिना कहीं अटके धाराप्रवाह लिखने के लिए यह जरूरी है कि पढ़ने के साथ-साथ आप लिखने का भी अभ्यास करें।ऐसा करने से आप अपने मनोभावों को भी मनचाहे शब्दों में व्यक्त कर सकते हैं।
6.निबंध को शब्द सीमा में लिखें (Write the essay in a word limit):
- परीक्षा में निबंध लिखने के लिए निर्धारित शब्द सीमा की शर्त होती है,जैसे-एक हजार या बारह सौ शब्दों में। इसका स्पष्ट अभिप्राय यही होता है कि परीक्षार्थी कहीं अयथार्थ कल्पनालोक में विचरण करते हुए अनावश्यक बात न बनाने लगे।शब्द सीमा का मकसद संक्षेप में और सारगर्भित तरीके से अपनी बात रखना होता है।बात उतनी ही लिखी जाए,जितनी जरूरत है।जो परीक्षार्थी इस नियम का पालन न करके धाराप्रवाह लिखते जाते हैं,वे यह सोचकर मन ही मन भले ही खुश होते हों लेकिन उसका खामियाजा उन्हें अंकों में कटौती के रूप में भुगतना पड़ता है।इसलिए जहां कहीं भी शब्द सीमा की शर्त हो,वहां आप इस शर्त का कतई उल्लंघन न करें।आप शुरू से ही इस बात को ध्यान में रखकर चलें कि निर्धारित शब्द सीमा में ही आपको अपनी पूरी बात कह देनी है।कुछ परीक्षार्थी ऐसे भी होते हैं जो अति आत्मविश्वास के चलते शुरू से लंबी-चौड़ी भूमिका बनाने लगते हैं,जब उन्हें शब्द सीमा का ख्याल आता है,तब वे शब्द सीमा को लगभग पार कर चुके होते हैं।इस समय तक उनकी बात अधूरी रहती है।ऐसी स्थिति में शब्द सीमा के बंधन के कारण न तो उनके सामने लिखने की गुंजाइश ही बचती है और न समय शेष रहता है।फलतः वे मन मसोस कर रह जाते हैं।
7.परीक्षा में निबंध का चयन (Selection of Essays in Exams):
- परीक्षा में जो निबंध दिया जाता है,उसमें कई विषय होते हैं।इन विषयों में से किसी एक या दो पर निबंध लिखना होता है।कुछ विषय सामान्य होते हैं तो कुछ घुमावदार या कहावतों-कविताओं पर आधारित होते हैं।असंख्य परीक्षार्थी बाजारू गाइडों से संभावित विषयों पर निबंध रट लेते हैं।यदि इन रटे हुए निबंधों में से कोई भी निबंध प्रश्न-पत्र में मिल जाता है तो उस निबंध को लिखने के लिए रट्टू परीक्षार्थी ऐसे टूट पड़ते हैं जैसे गीले गुड़ पर चीटियां टूटती हैं।ऐसे में वे सभी परीक्षार्थी एक सी भाषा,विचार और शब्दावली निबंध में प्रस्तुत करते हैं।इसमें समानता इसलिए होती है कि परीक्षार्थियों ने तैयारी के लिए एक जैसा ही अध्ययन स्रोत इस्तेमाल किया होता है।इसमें उनका अपना कुछ नहीं होता।ऐसी स्थिति में आप खुद सोचिए कि आप परीक्षक होते तो क्या करते?
- वस्तुतः प्रश्न-पत्र में दिया गया कोई भी विषय पहली नजर में भले ही कठिन लगे और समझ में ना आए।लेकिन यदि कुछ देर तक उसे ध्यान से पढ़ा और विचार किया जाए तो लगेगा कि अरे! यह विषय तो बहुत ही आसान है।चूँकि परीक्षक को प्रायः एक जैसे निबंध देखने को मिलते हैं,इसलिए वह उन पर विशेष ध्यान नहीं देता है।लेकिन जब उसी परीक्षक के सामने एकाध परीक्षार्थियों के ऐसे निबंध आ जाते हैं,जिन पर और किसी ने नहीं लिखा है तो इस निबंध पर उसकी दृष्टि केंद्रित हो जाती है।यदि निबंध की शैली अच्छी है तो परीक्षक और भी अधिक प्रभावित होता है।वह समझ जाता है कि परीक्षार्थी ने रट कर उसकी तैयारी नहीं की है,वरन उसने अपने विवेक व तर्कबुद्धि से विषय को समझा है।जाहिर है कि वह ऐसे परीक्षार्थी को अधिक अंक देने से तनिक भी संकोच नहीं करेगा।इसलिए परीक्षक का ध्यान आकृष्ट करने के लिए ऐसे विषय पर निबंध लिखिए जो अछूता लगे।
- निबंध का चयन कर लेने के बाद इस प्रश्न पर विचार कीजिए कि प्रश्न किस तरह के उत्तर की अपेक्षा करता है।मान लीजिए कि आपको ‘भारतीय नारी की वर्तमान स्थिति’ पर निबंध लिखना है तो इसमें मुख्य रूप से यही बताना है कि आज की भारतीय नारी किस प्रकार विभिन्न क्षेत्रों में बढ़ चढ़कर अपना कौशल दिखा रही है।इसमें वैदिक काल से अब तक भारतीय नारी की दुर्दशा का बखान नहीं करना है।हाँ शुरू में आप समाज में नारी की भूमिका को रेखांकित अवश्य कर सकते हैं।
8.निबंध की शुरुआत (Beginning of Essay):
- प्रायः यह देखने में आता है कि गाइडों या अन्य पुस्तकों की देखा-देखी परीक्षार्थी निबंध की शुरुआत लंबी-चौड़ी भूमिका से करते हैं।वह यहीं पर अपना सारा ज्ञान उड़ेल देना चाहता है।उसे यह गलतफहमी होती है कि निबंध शुरू करने से पहले भूमिका बांधना अपरिहार्य होता है लेकिन यह सच नहीं है।भूमिका कहीं-कहीं आवश्यक होती है तो कभी-कभी इसके बिना भी उत्कृष्ट निबंध लिखा जा सकता है।जैसे यदि ‘परमाणु अप्रसार और भारत की भूमिका’ विषय पर निबंध लिखना है और परीक्षार्थी स्वयं को दूसरे परीक्षार्थियों से कुछ अलग दिखाना चाहता है तो उसे शुरू में संक्षेप में यह बताना चाहिए कि ‘परमाणु अप्रसार’ क्या है? वैसे यह निबंध बिना भूमिका के भी लिखा जा सकता है।भूमिका का उद्देश्य होता है परीक्षक को विषय से जोड़कर उसका लगाव पैदा करना।यही कारण है कि भूमिका चुभते हुए वाक्यों से आरंभ की जानी चाहिए।वस्तुतः भूमिका निबंध का मूल विषय समझने की दिशा में एक प्लेटफार्म तैयार करती है,जिससे पाठक या परीक्षक सहजता से विषय में प्रवेश कर जाता है।
9.निबंध की विषयवस्तु और निष्कर्ष (Essay Content and Conclusion):
- विषयवस्तु किसी भी निबंध या लेख की आत्मा होती है। विषय का वास्तविक प्रतिपादन इसी के अंतर्गत किया जाता है।विषयवस्तु की दृष्टि से निबंध अनेक प्रकार के हो सकते हैं,जैसे साहित्यिक,सामाजिक,आर्थिक,राजनीतिक,व्यक्तित्व परक,कथन पर आधारित आदि इन विषयों से संबंधित सामग्री का संकलन विभिन्न स्रोतों से करना पड़ता है।एक ही स्रोत पर्याप्त नहीं होता।मसलन किसी विषय पर पुस्तकों,पत्रिकाओं तथा अखबारों से सामग्री जुटायी जा सकती है।वेबसाइट्स तथा ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर भी बहुतायत में सामग्री मिल जाती है।इन सभी के अध्ययन से,भाषण सुनकर तथा विचार-विमर्श द्वारा जो ज्ञान मिलता है,उसे आप विभिन्न अनुच्छेदों में बांट लें ताकि विचार प्रेषण में आसानी हो।ध्यान रहे कि अनुच्छेदों का शीर्षक डालकर विषय का प्रतिपादन जरूरी नहीं है।यह आपकी सुविधा के लिए है ताकि आप क्रमिक रूप से विषय के सभी पक्षों का विश्लेषण कर सकें।इसलिए किसी एक पेपर पर उन सभी पक्षों को क्रमशः लिख लें,जिनके तहत आप विवेचन करने वाले हैं।जैसे कि आपको ‘प्लाज्मा थ्योरी’ पर निबंध लिखना है तो अपने मस्तिष्क में विषय के विभिन्न बिंदुओं को इस प्रकार संयोजित कर लें:प्लाज्मा का अर्थ,प्लाज्मा थ्योरी का क्षेत्र,स्वरूप,प्लाज्मा थ्योरी क्या है,प्लाज्मा थ्योरी किसके बारे में है,प्लाज्मा थ्योरी की खोज किसने की इत्यादि।ध्यान रहे कि सभी बिंदु या पक्ष एक दूसरे से अंतर्संबंधित रहें।ऐसा ना हो कि एक अनुच्छेद का दूसरे अनुच्छेद से कोई मतलब ही न रहे जिससे कि निबंध का गठन चरमरा जाए।
- प्रतियोगी परीक्षाओं में आमतौर पर विचारपरक,कथनात्मक या विवरणात्मक निबंध पूछे जाते हैं।विवरणात्मक निबंधों में वस्तु या स्थिति विशेष की परिवर्तित दशा और उसकी गतिशीलता का क्रमबद्ध व तथ्यपूर्ण परिचय दिया जाता है।ऐसे तथ्यपरक निबंधों में भी समझदार परीक्षार्थी धीरे से भावुकता का समावेश कर देता है।परीक्षा में साहित्यिक निबंध पूछे जाते हैं।इस तरह के निबंध या काव्य शास्त्रीय अर्थात् रस-छंद अलंकार पर आधारित होते हैं या फिर किसी विधा विशेष के विकास से संबंधित।जैसे विज्ञान की कहानी,विज्ञान का विकास या विज्ञान के प्रति राष्ट्रीय चेतना।साहित्यिक निबंधों की शैली कुछ अलंकारिक और व्यंजना प्रधान हो सकती है।पर,यदि विषय अर्थव्यवस्था या राजनीति से संबंधित है तो उसमें आलंकारिक और लच्छेदार भाषा से पूरी तरह बचना चाहिए।इसमें तथ्य प्रस्तुतीकरण और उनका सामयिक धरातल पर विश्लेषण किया जाना चाहिए।
- विज्ञान संबंधी निबंध लिखते समय तो सजगता और भी जरूरी है,क्योंकि प्रतियोगी परीक्षा में कोई शोध पर्चा नहीं पढ़ना होता है,जिसमें आप क्लिष्ट तकनीकी शब्दों का प्रयोग करें।यदि आप ऐसा करके परीक्षक की बुद्धि को भ्रमित करना चाहते हैं तो यह आपकी भूल होगी।ऐसे निबंधों में सूत्रों या तकनीकी शब्दावली को अधिक नहीं ठूँसना चाहिए।जहाँ नितांत आवश्यक हो,वहीं इनका प्रयोग करना चाहिए।यदि आप विज्ञान जैसे दुरुह विषय को भी सरल-सुबोध और सर्वग्राही बताकर प्रस्तुत कर पाते हैं तो यह आपकी बहुत बड़ी उपलब्धि होगी।कुछ निबंध ऐसे भी होते हैं जो वाद-विवाद पर आधारित होते हैं।वहाँ पक्ष और विपक्ष में अपना मत प्रस्तुत करना होता है लेकिन इसके लिए तर्कपूर्ण शैली की जरूरत होती है।एक पक्ष जहाँ सर्वमान्य होता है,वहीं दूसरा पक्ष मान्य बिंदुओं के खण्डन का होता है।
- निबंध का अंत विषयवस्तु का निचोड़ होता है जिसे प्रायः निष्कर्ष (उपसंहार) का नाम दिया जाता है लेकिन यह केवल निचोड़ मात्र नहीं होता है।उपसंहार का उद्देश्य होता है संबंधित विषयवस्तु से आगे की राह दिखाना और उस दिशा में सोचने के लिए बाध्य कर देना।इसलिए उपसंहार को ऐसा लिखें,जिसे पढ़कर परीक्षक के मन में हलचल पैदा हो जाए।
उपर्युक्त आर्टिकल में प्रतियोगिता के लिए निबंध कैसे लिखें? (How to Write Essay for Competition?),किसी भी विषय पर उत्कृष्ट निबन्ध कैसे लिखें? (How to Write Excellent Essay on Any Topic?) के बारे में बताया गया है।
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10.सुंदर निबंध लेखन (हास्य-व्यंग्य) (Beautiful Essay Writing) (Humour-Satire):
- अनिलःतुमने परीक्षा में निबंध कैसे लिखा?
- अखिलेश:मैंने निबंध को बिल्कुल चारों ओर सजाकर,रस,छंद,अलंकारों का प्रयोग करते बहुत करीने से लिखा है।
- अनिलःनिबंध को सीधी सरल व सहज भाषा में लिखने पर ही अच्छे अंक का प्राप्त किया जा सकते हैं।विभिन्न प्रकार की स्याही,रस,छन्द,अलंकारों से प्रभावी निबंध नहीं बन सकता है।
11.प्रतियोगिता के लिए निबंध कैसे लिखें? (Frequently Asked Questions Related to How to Write Essay for Competition?),किसी भी विषय पर उत्कृष्ट निबन्ध कैसे लिखें? (How to Write Excellent Essay on Any Topic?) से संबंधित अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न:
प्रश्न:1.उत्कृष्ट निबंध लिखने के लिए क्या ध्यान रखें? (What to keep in mind to write an excellent essay?):
उत्तर:(1.)शब्दों या भाषा का मुलम्मा चढ़ाकर विषय से भटकें नहीं,
(2.)छोटे-छोटे और सरल वाक्यों का प्रयोग करें,
(3.)अनावश्यक उद्धरणों का प्रयोग ना करें,
(4.)शीर्षकों में बाँटकर लिखने से यथासम्भव बचें।जिन विषयों में शीर्षकों के तहत लिखना जरूरी हो,उन्हीं में ऐसा करें,
(5.)शब्द सीमा का हमेशा ध्यान रखें,
(6.)आलंकारिकता और ज्ञान का अनावश्यक प्रदर्शन न करें,
(7.)अंतर्विरोधी वाक्यों या कथनों से बचें।
प्रश्न:2.निबंध के लिए सामग्री संकलित कैसे करें? (How to compile material for an essay?):
उत्तर:(1.)पुस्तकों,पत्रिकाओं का अध्ययन करें।
(2.)इस वेबसाइट पर विभिन्न प्रकार के लेखों को पढ़ें।
(3.)अखबारों में दिए गए संपादकीय और आलेख जिन्हें आप अपनी आवश्यकतानुसार जुटा लें और विषय से संबंधित नवीनतम गतिविधियों पर भी ध्यान रखें।
(4.)यदि कोई साहित्यिक पत्रिका उपलब्ध हो,तो उसकी भी सहायता ली जा सकती है।
(5.)परंपरागत (जैसे-साहित्यिक) निबंधों के लिए साहित्यिक निबंध की कोई स्टैंडर्ड पुस्तक।
प्रश्न:3.निबंध लिखने का मूल उद्देश्य क्या है? (What is the basic purpose of writing an essay?):
उत्तर:परीक्षार्थी की सटीक अभिव्यक्ति क्षमता,उसकी सूझ-बूझ,विश्लेषण क्षमता आदि की जांच करना होता है।चूँकि प्रतियोगी को जीवन के महासमर में उतरना होता है,जहां उसे विशेष सूझ-बूझ की जरूरत होती है,इसलिए जाॅब हेतु चयनित होने से पहले उसकी इस प्रतिभा को आंका जाता है कि वह इस सेवा के लिए उपयुक्त है या नहीं।बहुत से परीक्षार्थी सामयिक विषयों पर विस्तृत नोट्स बनाकर और उसे निबंध मानकर रट लेते हैं।परीक्षा में तनिक भी संबंधित विषय मिलने पर लेजर प्रिंट की तरह वह रटा हुआ मसाला अपनी मेमोरी से निकाल कर बाहर रख देते हैं।लेकिन निबंध लिखने का यह तरीका सरासर गलत है और इससे निबंध लिखने का औचित्य ही समाप्त हो जाता है।यदि विचारवान और बुद्धिमान होने के बावजूद परीक्षार्थी अपनी शैली में स्वविवेक से अपनी बात नहीं प्रस्तुत कर पाते हैं,तो न केवल परीक्षा का उद्देश्य ही विफल हो जाएगा,बल्कि परीक्षार्थी के व्यक्तित्व की सही परख भी नहीं हो पायेगी।
- उपर्युक्त प्रश्नों के उत्तर द्वारा प्रतियोगिता के लिए निबंध कैसे लिखें? (How to Write Essay for Competition?),किसी भी विषय पर उत्कृष्ट निबन्ध कैसे लिखें? (How to Write Excellent Essay on Any Topic?) के बारे में और अधिक जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
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Satyam
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