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5 Techniques of Writing Essay in Exam

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1.परीक्षा में निबंध लिखने की 5 तकनीक (5 Techniques of Writing Essay in Exam),अभ्यर्थियों के लिए परीक्षा में निबन्ध लिखने की 5 तकनीक (5 Techniques of Writing Essay in Exam for Candidates):

  • परीक्षा में निबंध लिखने की 5 तकनीक (5 Techniques of Writing Essay in Exam) से आप जान सकेंगे कि परीक्षा में निबंध कैसे लिखा जाए और किन-किन बातों का ध्यान रखा जाए? बोर्ड,कॉलेज परीक्षा तथा प्रतियोगिता परीक्षाओं में निबंध लिखने के लिए कहा जाता है।अक्सर विद्यार्थी निबंध को रटकर लिखने के आदी होते हैं जो प्रवृत्ति उन्हें परीक्षा में अच्छे अंक नहीं दिला पाती।
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2.निबंध से क्या आशय है? (What do you mean by essay?):

  • हिंदी का निबंध शब्द अंग्रेजी के ‘Essay’ शब्द का अनुवाद मात्र है।अंग्रेजी शब्द ‘Essay’ फ्रेंच ‘Essai’ से निकला है।’Essay’ का अर्थ होता है ‘to attempt’ अर्थात् प्रयास करना।हम कह सकते हैं कि निबंध में परीक्षार्थी अपने विचारों को सहज व स्वाभाविक रूप से परीक्षक के सामने स्पष्ट करने का प्रयास करता है।निबंध के माध्यम से अपने विचारों का प्रकाशन ही परीक्षार्थी का प्रथम और अंतिम लक्ष्य होना चाहिए।
  • आधुनिक निबंधों के जन्मदाता फ्रांसीसी निबंधकार मौतेन के शब्दों में “निबंध विचारों,उद्धरणों एवं कथाओं का सम्मिश्रण है।” परीक्षार्थी की आत्माभिव्यक्ति ही निबंध की प्रमुख विशेषता है।निबंध में परीक्षार्थी खुलकर पाठक के सामने आता है।राग-तत्त्व की प्रधानता एवं लक्ष्य का आग्रह निबंध की विशिष्टता होती है और निबंध का सौंदर्य है-प्रवाह।भाव के प्रवाह में परीक्षार्थी पाठक (परीक्षक) को अनायास प्रभावित कर लेता है।सघन और तीव्र अनुभूतियों का निबंध में भावात्मक प्रकाशन होता है।यही कारण के निबंध के विषयों की कोई सीमा-रेखा नहीं होती।विश्व की किसी भी वस्तु को लक्ष्य करके निबन्ध रचना संभव है,क्योंकि विषय तो एकमात्र बहाना मात्र है मुख्य लक्ष्य तो उसके माध्यम से आत्म-प्रकाशन होता है।
  • निबंध मानसिक प्रतिक्रियाओं,भाषाओं एवं विचारों का एक सजाया-संवारा हुआ रूप है।परीक्षार्थी के लिए जरूरी है कि वह अपने व्यक्तित्व को विषय में घुला-मिला दे।यह सत्य है कि निबंध के लिए कोई एक शिल्प-विधान निर्धारित नहीं किया जा सकता,परंतु निबंध लिखते समय अभ्यर्थियों को तीन बातों पर ध्यान देना चाहिएः(1.)निरूपण या भूमिका,(2.)व्याख्या तथा (3.)निष्कर्ष
  • निबंध लिखने का कोई ‘सूत्र’ नहीं है,जिसके रट लेने पर विद्यार्थी को सुंदर निबंध लिखने में सहायता मिल सके। एक ही विषय पर कई ढंग से निबंध लिखा जा सकता है।आज निबंध कला की बहुत प्रगति हो चुकी है।वह जमाना बीत गया,जब ‘गाय’ पर निबंध लिखने के लिए विषय का प्रारंभ ‘गाय एक चौपाइयां जानवर है’ जैसे वाक्य से किया जाता था।अब श्रेष्ठ निबंधकारों की शैलियां हमारे सामने मौजूद हैं।उनका अध्ययन कर हम अपनी निबंध-शैली में निखार ला सकते हैं।
  • मान लें,हमें गणितज्ञ महावीराचार्य पर निबंध लिखना है,तो इस विषय पर भी हम कई ढंग से निबंध लिख सकते हैं।अगर हमें इस बात की जानकारी है कि महावीराचार्य का जन्म कहाँ हुआ,उनका प्रारंभिक जीवन और गुरुकुल में उनके अध्ययन की क्या स्थिति थी,कैसे वे गणित की ओर मुड़े,आजीवन कैसे गणित के क्षेत्र में शोध करते रहे,उनकी मृत्यु कहां और कैसे हुई,तो इन तथ्यों के आधार पर हम महावीराचार्य पर एक परिचयात्मक निबंध लिख सकते हैं।
  • यदि हमें इन तथ्यों की जानकारी ना हो,तो भी घबराने की बात नहीं।महावीराचार्य द्वारा लिखी गई पुस्तकें,उनके द्वारा गणित में की गई शोधों,उनके अन्य गणितज्ञों के बारे में विचार आदि के बारे में हमने जो कुछ पढ़ा या सुना है और उनके व्यक्तित्व की जो छाप बाद के गणितज्ञों और हमारे पर पड़ी है,उसकी अभिव्यक्ति भी महावीराचार्य पर निबंध का रूप धारण कर लेगी।इसी तरह यदि हमें महावीराचार्य,ब्रह्मगुप्त एवं आर्यभट में क्या-क्या समानताएं थीं,तो हम महावीराचार्य पर एक तुलनात्मक निबंध भी लिख सकते हैं।

3.निबंध की व्याख्या एवं निष्कर्ष कैसे लिखे? (How to write the explanation and conclusion of the essay?):

  • निबंध को किसी विशेष विषय के बंधन में नहीं बांधा जा सकता जैसे बहता हुआ पानी ही निर्मल होता है,वैसे ही स्वतंत्र ढंग से लिखे गए निबंध में ही ‘निबंध’ की सरसता आ पाती है।जो लोग परिचयात्मक ढंग से लिखे गए लेख को ही निबंध समझते हैं,उन्हें अपनी भूल सुधारनी होगी।
  • निबंध परीक्षार्थी की ज्ञान की कसौटी नहीं यह उसकी भाषा-शैली की कसौटी है।परीक्षा में किसी विषय पर लिखने को इसलिए नहीं दिया जाता की परीक्षक को परीक्षार्थी की जानकारी का पता लगे।निबंध इसलिए लिखने को दिया जाता है कि यह पता लगे कि परीक्षार्थी अपने विचारों को ठीक ढंग से अभिव्यक्त कर पाता है या नहीं।विचार स्वतंत्रता का मतलब यह नहीं है कि परीक्षार्थी मूल विषय से भटक जाए।अतः यह ध्यान रखें कि निबंधों में ‘क्या लिखे’ से महत्त्वपूर्ण यह है कि ‘कैसे लिखें’।निबंध केवल तथ्यों का संग्रह नहीं।उसमें भले ही कम तथ्यों का समावेश हो,पर उसकी सजावट इस ढंग से होनी चाहिए कि वह परीक्षक को आकर्षित कर ले।कुछ लोग इस भ्रम के शिकार हैं कि अधिक पृष्ठों में निबंध लिखने से अधिक अंक मिलते हैं।पर वास्तविकता यह है कि यदि परीक्षक को निबंध-कला की जानकारी है तो वह पृष्ठों या तथ्यों पर नहीं,लिखने के ढंग पर अंक देगा।
  • सर्वप्रथम परीक्षार्थी को अपने मत अथवा विचारों का निरूपण करना चाहिए।प्रत्येक व्यक्ति अपने-अपने ढंग से विचारों का प्रतिपादन करता है।हर एक की विचारधारा तथा चिंतन प्रणाली भिन्न होती है।अपने दृष्टिकोण से प्रत्येक व्यक्ति जीवन तथा जगत को ग्रहण करता है।अतएव प्रत्येक व्यक्ति के विचारों की रीति-भिन्न हुआ करती है।कोई प्रारंभ में ही अपने विचारों का निचोड़ एक-दो पंक्तियों में रख देता है तो कोई अपने कथन की सत्यता के लिए अपने विचारों का क्रमिक विभाजन करता है।कोई सूत्र शैली में अपनी बात कह डालता है।इस प्रकार कथन के ढंग अनेक और भिन्न होते हैं-हो सकते हैं।विद्यार्थियों को प्रारंभ में विषय का संक्षिप्त परिचय देना चाहिए।जिस दृष्टिकोण से निबंध लिखा जाये उसी दृष्टिकोण से विषय-प्रवेश (Introduction) भी लिखा जाना चाहिए।वैज्ञानिक दृष्टिकोण से लिखे गए निबंध में विषय का संक्षिप्त परिचय भी उसी दृष्टिकोण से देना चाहिए।इसी प्रकार ऐतिहासिक तथा भावात्मक निबंधों के विषय में भी समझना चाहिए।
  • ‘निरूपण’ निबंध का सार-अंश होता है,इसलिए निबंध का दूसरा अंश उसकी व्याख्या हो जाता है।यह अंश ही निबंध का प्रमुख अंश है।यहाँ परीक्षार्थी को विषय का विश्लेषण कर समुचित रूप से उस पर प्रकाश डालना चाहिए।उसे विषय को कई अंशों में बांटना और एक अनुच्छेद में एक ही अंश पर प्रकाश डालना चाहिए।बातों में सिलसिला होना चाहिए।जो बात पहले लिखी जानी चाहिए,उसे पीछे लिखने से निबंध का आकर्षण घट जाता है।समाप्ति या निष्कर्ष में ऊपर कही गई बातों का सारांश दो-चार पंक्तियों में सुंदर ढंग से दे देना चाहिए।अंत इस तरह का हो कि परीक्षक को लगने लगा कि अब उसमें अधिक कुछ नहीं कहा जा सकता।भावात्मक निबंध में परीक्षार्थी अपनी रुचि के अनुसार समाप्ति वाक्य लिख सकता है।

4.निबंध लिखने में कुशलता हासिल कैसे करें? (How to master essay writing?):

  • निबंध-लेखन में कुशलता प्राप्त करने के लिए भाषा पर अधिकार पहली शर्त है और भाषा पर अधिकार अभ्यर्थियों को केवल सतत अभ्यास से ही हो सकता है।अतः लिखने का अभ्यास करें।जो भी विषय उचित लगे,उस पर लेख लिखें।अपने लेखन को बेहतर बनाने का प्रयत्न नहीं छोड़े।
  • सफल अभ्यर्थियों के साक्षात्कार पढ़ने पर मालूम होता है कि अधिकांश अभ्यर्थियों द्वारा निबंध लिखने में जो युक्तियां बताई गई उनमें काफी समानता दिखी।ज्यादातर परीक्षार्थियों का ऐसा मानना था कि इस हेतु किसी विशेष तैयारी की जरूरत नहीं होती।उनका मानना था कि साक्षात्कार की तरह ही इसकी किसी निश्चित रूपरेखा को रेखांकित करना संभव नहीं है।
  • अतः यहाँ प्रश्न यह उठना स्वभाविक है कि किसी निबंध को लिखने के लिए किन बातों पर ध्यान देने की जरूरत है,ताकि अच्छे अंक प्राप्त किया जा सकें? आखिर इस हेतु कौन-सी रणनीति को अपनाया जाना चाहिए?ये प्रश्न निश्चय ही तमाम परीक्षार्थियों के मन में जरूर उठते होंगे, खासकर ऐसे अभ्यर्थियों के जो प्रतियोगिता परीक्षाओं में भाग लेने के लिए तत्पर हैं।
  • अधिकांश परीक्षार्थियों का यह मानना था कि उन्होंने इस हेतु सुनियोजित दृष्टिकोण,विषय की प्रासंगिकता तथा लिखने एवं पढ़ने के अभ्यास को अपना आधार बनाया था।सिर्फ कुछेक अभ्यर्थी ऐसे थे,जिन्होंने इस हेतु किसी प्रकार की योजना निर्धारण की बातें नहीं स्वीकारी।
  • अगला प्रश्न यह था कि वे किस प्रकार के निबंध को लिखना चाहेंगे-विवरणात्मक अथवा परिकल्पनात्मक? इसके जवाब में अधिकांश परीक्षार्थियों का मानना था कि वे विवरणात्मक निबंध को चुनना पसंद करेंगे,जबकि बहुत कम ने अपना निर्णय परिकल्पनात्मक निबंध के पक्ष में दिया।
  • अधिकांश परीक्षार्थियों ने माना कि उन्होंने कुछ मिनट का समय इस बात को निश्चित करने में खर्च किया कि उत्तर की रूपरेखा कैसी हो? सिर्फ नाममात्र के परीक्षार्थियों का कहना था कि उन्होंने किसी भी योजना के निर्धारण की जरूरत नहीं महसूस की।जब उनसे यह जानना चाहा कि निबंध को अच्छा एवं उपयुक्त बनाने के लिए किन बातों पर ध्यान देने की जरूरत है अथवा हम इसमें कैसे अधिक-से-अधिक अंक प्राप्त कर सकते हैं,तो उनका प्रत्युत्तर था कि यह तथ्यों की जानकारी,लिखने की क्षमता,विश्लेषणात्मक एवं परिकल्पनात्मक योग्यता तथा तार्किक सोच आदि पर निर्भर है।
  • एक निबंध में यह खासियत होनी चाहिए कि परीक्षार्थी के व्यक्तिगत विचारों एवं अनुभवों को भी स्थान मिल सके।लेकिन स्थापित मान्यताओं से परे तथा अस्वभाविक विचारों को रखने से पूरी तरह परहेज करना चाहिए।स्वाभाविक रूप से विज्ञान से संबंधित परीक्षार्थियों को निबंध लेखन में कुछ परेशानी हो सकती है।इन परीक्षार्थियों के लिए यह काफी महत्त्वपूर्ण है कि वे अपने ऐच्छिक विषयों तथा सामान्य अध्ययन के प्रति विशेष रूप से सक्रियता दिखलाएं।लेकिन यदि उनके पास अतिरिक्त समय है तो वे विज्ञान-विषयक तथ्यों,संस्मरणों व जीवनियों का अध्ययन कर सकते हैं,जिससे उन्हें निबंध लिखने में थोड़ी सी सहूलियत मिल सकती है।
  • निबंध के अंदर एक जैसे विचार,एक जैसे तथ्य और एक जैसे उद्देश्य को समाहित किया जाना चाहिए।
  • अपने विचारों को स्पष्ट करने के बाद उसके सार को भी स्पष्ट करना जरूरी होता है।निबंध में दिए गए तथ्य,विचार,उदाहरण आदि को सुरुचिपूर्ण ढंग से सजाकर लिखना चाहिए।
  • विषय-वस्तु का निरूपण पूर्णतः स्पष्ट एवं सटीक होना चाहिए।भाषा एवं वाक्य संरचना सामान्य तथा प्रभावशाली होनी चाहिए।

5.निबंध लेखन में अन्य स्मरणीय बातें (Other Points to Remember in Essay Writing):

  • आत्म-व्यंजना निबंध की मूलभूत विशेषता है।अच्छे निबंध में सूक्ष्म निरीक्षण की क्षमता के साथ-साथ हास्य-व्यंग्य तथा विनोद की प्रवृत्ति भी होनी चाहिए।निबंध में पांडित्य,गंभीर अध्ययन एवं तार्किकता आवश्यक नहीं,ये विशेषताएं परीक्षार्थी के व्यक्तित्व का सहज अंग बनकर आ सकती हैं।निबंध में सजीवता,सरसता तथा स्वच्छंदता आदि विशेषताएं सामान्यतः व्यक्तित्व के साथ स्वतः आ जाती है।
  • देखा जाता है कि अधिकांश अभ्यर्थी संभावित निबंधों को रटकर तैयार करते हैं-यह काफी बचकाना तरीका है।रटकर तैयार करने और परीक्षा में उसे लिखने से बहुतों के निबंध की भाषा और अन्य सभी बातें एक-सी हो जाती है,जिनसे अप्रभावित परीक्षक न्यूनतम अंक देता है।
  • परीक्षाओं में निर्धारित शब्दों में निबंध लिखने की शर्त होती है,जिसकी अनदेखी कदापि न करें,अन्यथा आपको हानि हो सकती है।
    निबंध में अनावश्यक उद्धरण या तथ्य न भरें,जितना आवश्यक हो उतना ही लिखें।
  • किसी व्यक्ति या पार्टी विशेष की विचारधारा थोपें नहीं,हाँ आवश्यकतानुसार उल्लेख कर सकते हैं-लेकिन समर्थन नहीं।
  • तटस्थता का पूर्णतया पालन करें।
  • बिंदुगत लेखन से भरसक बचें।
  • निबंधों को रटकर लिखने की प्रवृत्ति का परित्याग करें।
  • अशुद्ध भाषा और अव्यवस्थित वाक्य विन्यास से बचें।
  • मुहावरों का आवश्यकतानुसार प्रयोग करें।
  • परीक्षक को उल्लू बनाने की कोशिश ना करें।
  • विषय से भटके नहीं,बल्कि बराबर विषय पर रहें।
  • बाजार में सब्जी की तरह बिकने वाली निबंध की पुस्तकों को देखें-पढ़ें,लेकिन उसे हूबहू न रटें।
  • अधिकांश परीक्षार्थी इन्हीं पुस्तकों/पत्रिकाओं में से या तो निबंध रट लेता हैं या फिर इनकी सामग्री से वह अपनी कॉपी में निबंध लिख लेता है और उसे ही रट लेता है।इस प्रवृत्ति का सबसे बड़ा नुकसान यह है कि जैसे ही प्रश्न-पत्र में कोई रटा हुआ विषय दिखता है,परीक्षार्थी उसी को लिखने के लिए टूट पड़ते हैं और रटा होने के कारण सभी की भाषा,शैली,विचार समान हो जाते हैं।अब परीक्षक ऐसे निबंधों को तो कतई अधिक अंक नहीं देगा,क्योंकि उसकी धारणा आपके प्रति अच्छी नहीं बनी।इसलिए अपनी क्षमता,अपने आत्मविश्वास को यथासंभव बढ़ाइए और ऐसा निबंध लिखने के लिए चुनिए जो अछूता हो या अनकाॅमन हो।यदि ऐसा निबंध आप बहुत अच्छा नहीं भी लिख पाते हैं तो भी परीक्षक की धारणा खराब नहीं होगी और वह आपके निबंध की ओर तब भी आकृष्ट होगा।
  • प्रायः अभ्यर्थियों का यह मानना होता है कि निबंध के शुरू में भूमिका या प्रस्तावना अवश्य लिखी जानी चाहिए।ऐसी प्रवृत्ति के चलते वह अपना सारा ज्ञान भूमिका में उड़ेल देना चाहता है।ध्यान देने की बात यह है कि भूमिका कहीं-कहीं तो आवश्यक होती है लेकिन कभी-कभी उसके बिना भी अच्छा निबंध लिखा जा सकता है।इसके लिए देखा यह जाना चाहिए कि विषय कौन-सा है और उसकी जरूरत कैसी है।
  • वस्तुतः भूमिका या प्रस्तावना का काम होता है-परीक्षक की विषय में रुचि जागृत करना।इसलिए इस अंश को सूत्र वाक्य,कविता,सूक्ति या मार्मिक वक्तव्य से असरदार बनाया जा सकता है।
  • उपर्युक्त आर्टिकल में परीक्षा में निबंध लिखने की 5 तकनीक (5 Techniques of Writing Essay in Exam),अभ्यर्थियों के लिए परीक्षा में निबन्ध लिखने की 5 तकनीक (5 Techniques of Writing Essay in Exam for Candidates) के बारे में बताया गया है।

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6.मॉडल पेपर में सवाल (हास्य-व्यंग्य) (Questions in Model Paper) (Humour-Satire):

  • गणित शिक्षक:मैं ये मॉडल पेपर तैयार करके दे रहा हूं,इसको अच्छी तरह से हल करना,अभ्यास करना (रोजाना)।
  • छात्र:सर,अबकी बार थोड़े पतले से सवाल देना।पिछली बार आपने मोटे-मोटे सवाल हल करने के लिए दिए थे जिनको हल करने में बड़ी तकलीफ हुई थी।

7.परीक्षा में निबंध लिखने की 5 तकनीक (Frequently Asked Questions Related to 5 Techniques of Writing Essay in Exam),अभ्यर्थियों के लिए परीक्षा में निबन्ध लिखने की 5 तकनीक (5 Techniques of Writing Essay in Exam for Candidates) से संबंधित अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न:

प्रश्न:1.निबंध लिखने का उद्देश्य क्या है? (What is the purpose of writing an essay?):

उत्तर:इसमें परीक्षार्थी से यह अपेक्षा होती है कि वह विषय से निरंतर जुड़ा रहकर अपने विचार और भाव प्रकट करेगा।शैक्षणिक एवं प्रतियोगिता परीक्षाओं में निबंध का प्रश्न रखने का यह उद्देश्य परीक्षार्थी के ज्ञान,बौद्धिक क्षमता,अभिव्यक्ति क्षमता तथा विचारशीलता को परखना होता है।

प्रश्न:2.शैली के आधार पर निबंध कितने प्रकार के होते हैं? (How many types of essays are there on the basis of genre?):

उत्तर:शैली के आधार पर निबंध प्रायः दो तरह के होते हैं।(1.)विचार प्रधान और (2.)वर्णन प्रधान।विचार प्रधान निबंधों में भावुकता,कल्पना,चिंतनशीलता,विश्लेषण आदि की जरूरत होती है।इनमें तथ्य उतने जरूरी नहीं होते,जबकि वर्णन प्रधान निबंध तथ्यों पर आधारित होते हैं।होशियार परीक्षार्थी इसमें भी भावुकता का समावेश करके परीक्षक का मन मोह लेता है।

प्रश्न:3.निबंध का उपसंहार कैसे लिखें? (How to write an epilogue of an essay?):

उत्तर:यह नहीं समझना चाहिए की उपसंहार निबंध का निचोड़ मात्र है।उपसंहार ऐसा होना चाहिए,जिससे परीक्षक के दिमाग के तार झंकृत हो जाएं,उसे सोचने के लिए मजबूर कर दें।उपसंहार में आपको यह बताना होता है कि आप किस निष्कर्ष पर पहुंचे और आगे क्या हो सकता है या होना चाहिए?

  • उपर्युक्त प्रश्नों के उत्तर द्वारा परीक्षा में निबंध लिखने की 5 तकनीक (5 Techniques of Writing Essay in Exam),अभ्यर्थियों के लिए परीक्षा में निबन्ध लिखने की 5 तकनीक (5 Techniques of Writing Essay in Exam for Candidates) के बारे में और अधिक जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
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