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6 Techniques of How to Write Articles

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1.लेख कैसे लिखें की 6 तकनीक (6 Techniques of How to Write Articles),उत्कृष्ट लेख कैसे लिखें? (How to Write Excellent Article?):

  • लेख कैसे लिखें की 6 तकनीक (6 Techniques of How to Write Articles) के आधार पर आप लेख लिखने की विधा जान सकेंगे।निबंध,लेख,आलेख (sketch),अनुच्छेद (paragraph) आदि को अक्सर एक ही समझा जाता है,परंतु इनमें कुछ मूलभूत अंतर होता है।निबंध अक्सर विद्यालय,कॉलेज,प्रतियोगिता परीक्षाओं में पूछा जाता है जिसकी शब्द सीमा होती है।
    लेख अक्सर ब्लॉग (ऑनलाइन प्लेटफॉर्म),पत्र-पत्रिकाओं,अखबारों आदि में लिखे जाते हैं,इसके लिखने वाले को कंटेंट राइटर भी कहा जाता है।लेख के बारे में कई आर्टिकल इस साइट पर पोस्ट किए हुए हैं,परंतु लेख लिखने की कला इतनी व्यापक है कि इसे एक-दो लेख में समाहित नहीं किया जा सकता है।आइए कुछ अतिरिक्त सामग्री के बारे में और जानते हैं।
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2.लेख और निबंध में अंतर (Difference Between Aricle and Essay):

  • जितनी सटीकता लेख में होती है उतनी निबंध में नहीं होती है।निबंध में संदर्भ,रचना और प्रस्ताव आदि का उल्लेख किया जाता है जबकि लेख में नहीं किया जाता है।लेख साहित्य की एक मूलभूत तकनीक है जिसमें हम किसी भी विषय के बारे में डिटेल से लिखते हैं।इसका आदि,मध्य और अंत होता है।लेख को अनेक पैराग्राफ (paragraph) में विषयवस्तु को विभाजित किया जाता है और विषय से संबंधित जानकारी को रोचक बनाने के लिए मुहावरों,कहावतों,सूक्तियों और उदाहरणों का प्रयोग किया जाता है।
  • लेख रचनात्मक और सूचनात्मक दो तरह के होते हैं।विज्ञान,तकनीक,गणित आदि विषयों पर जो लेख लिखे जाते हैं वे सूचनात्मक होते हैं।कला,राजनीति,संस्कृति,धर्म,अध्यात्म आदि पर जो लेख लिखे जाते हैं वे रचनात्मक होते हैं।रचनात्मक लेखों में मौलिकता,रोचकता,जानकारी और रचनात्मकता का ध्यान रखना होता है।
  • निबंध शब्द का प्रयोग गद्य की उस रचना के लिए किया जाता है,जिसमें लालित्य होता है।निबंध की अपेक्षा लेख का क्षेत्र बहुत व्यापक होता है।लेख में शब्दों की कोई सीमा नहीं होती है जबकि निबंध में शब्द सीमा का पालन करना होता है।निबंध लेखक की रुचि एवं मनःप्रवृत्ति (Mood) के अनुसार विचारों की श्रृंखला अव्यवस्थित और शिथिल अथवा सुगठित एवं व्यवस्थित दोनों ही प्रकार की हो सकती है।आत्मव्यंजना निबंध की मूलभूत विशेषता है।निबंध में सूक्ष्म निरीक्षण क्षमता के साथ-साथ हास्य-व्यंग्य तथा विनोद की प्रवृत्ति भी होती है।लेख का सामान्य अर्थ लिखा हुआ है लेकिन जब कोई लेखक किसी विषय पर अपनी रुचि,प्रवृत्ति,आदर्श तथा मनोभावों के आधार पर लिखित रूप में विचार प्रकट करता है तो उसे लेख कहते हैं।निबंध को अंग्रेजी में एसे (Essay),प्रबंध को ट्रीटाइज (Treatise) तथा लेख को आर्टिकल (Article) कहा जाता है।
  • लेख में भावुकता,कल्पना,चिंतनशीलता,विश्लेषण आदि का प्रयोग करते हुए लिखा जाए तो लेख रोचक,ज्ञानवर्धक बन पड़ता है।लेख को ज्यादा लंबा खींचने या लिखने के बजाय सारगर्भित और संक्षिप्त में लिखा जाए तो वह ज्यादा रोचक बन पड़ता है।कई बार लेख को लंबा खींचने के फेर में गैर जरूरी बातों को ठूँस दिया जाता है जिससे लेख को पढ़ने में पाठक को बोरियत महसूस होने लगती है।टेलीविजन पर या यूट्यूब पर वीडियो में न्यूज़ चैनल्स सामाजिक विषय पर,विवादास्पद मुद्दों पर,राजनीतिक बिंदुओं पर,चुनावों आदि विषयों पर वार्ताओं का आयोजन करते हैं जिसमें विभिन्न पक्षों के विचारक,चिंतक,संत,विद्वान भाग लेते हैं।इन चर्चाओं को भी लेख का रूप ही माना जा सकता है।ये वार्ताएं लेख की परिभाषा के अधिक निकट है और उससे साम्य रखती हैं।विज्ञान लेख तथ्यात्मक और सामाजिक,सांस्कृतिक लेख भावात्मक और कला विषयक लेख कलात्मक होते हैं।

3.लेख लिखने की तकनीक (Techniques for writing articles):

  • (1.)किसी भी विषय में लेख लिखने की प्राथमिक शर्त है उस विषय का गहरा ज्ञान,कल्पना शक्ति,विश्लेषणात्मक व आलोचनात्मक दृष्टि का विकसित होना।उदाहरणार्थ गणित विषय पर निबंध लिखना है तो गणित विषय का संक्षिप्त ज्ञान होना पहली शर्त है।गणितीय लेखन से तात्पर्य गणित का विकास कैसे हुआ,किन-किन गणितज्ञों का महत्त्वपूर्ण योगदान रहा है,किसी विषय पर विभिन्न गणितज्ञों के क्या विचार हैं।इस प्रकार का दृष्टिकोण छात्र-छात्राओं के आलोचनात्मक अंतर्चक्षु को खोल देता है तथा उन्हें अपना झुकाव स्पष्ट करने में मदद मिलती है।
  • (2.)लेख को लिखने के लिए स्मरण शक्ति तथा आलोचनात्मक दृष्टिकोण दोनों का समन्वय करने की क्षमता होनी चाहिए।तथ्यात्मक बातों को याद करने की जरूरत होती है तो भावों को व्यक्त करने के लिए अध्ययन,मनन-चिंतन करने की आवश्यकता होती है।यदि किसी छात्र-छात्रा या व्यक्ति में उपर्युक्त गुण हैं तो वह अपने लेखन कला को विकसित कर सकता है।जितना आवश्यक अध्ययन,मनन व चिंतन करने की है उससे कहीं अधिक बार-बार लिखकर अभ्यास करने की है।तभी आप एक कंटेंट राइटर बन सकते हैं।
  • (3.)लेख को अच्छा लिखने के लिए व्याकरणिक शुद्धता रखना भी जरूरी है।लेख को अत्यन्त सरल,शुद्ध और स्पष्ट रूप में ही लिखा जाना चाहिए।ऐसा तभी संभव है जबकि विचारों में स्पष्टता और तारतम्यता होती है। कम पढ़ कर या लिखकर लेख लिखने की आशा छोड़ देनी चाहिए।आपको यह कोशिश करनी चाहिए कि आप संपूर्ण विषय सूची का अध्ययन कर सकें ताकि विचारों में स्पष्टता आ सके।
  • (4.)किसी भी लेख को लिखने में मध्यम मार्ग अपनाने की होनी चाहिए।ऐसा नहीं होना चाहिए कि आप किसी खास पक्ष को अधिक वरीयता दे दें और दूसरे पक्ष की बिल्कुल अवहेलना कर दें।यदि आपके पाठक दूसरी विचारधारा के समर्थक हैं तो आपका लेख बहुत कम पसंद किया जाएगा।लेख लिखते समय यथाआवश्यक उदाहरण भी अवश्य दें,इससे आपके द्वारा व्याख्या करने का पक्ष मजबूत होगा।विभिन्न दृष्टिकोणों से उसका तुलनात्मक विवरण भी दिया जाना चाहिए।आप में लेख लिखने की पूर्णता तभी आ सकती है।
  • (5.)आपका लेख मौलिक होना चाहिए,ऐसा ना हो कि किसी लेखक की कॉपी करके लेजर प्रिंट की तरह छाप दिया जाए।यदि किसी विषय पर हम अध्ययन करते हैं तो हूबहू उसकी नकल करने के लिए अध्ययन नहीं करते हैं।अपने ज्ञान की वृद्धि और विचारों की स्पष्टता के लिए अध्ययन करते हैं।उस विषय पर लेख अपनी शैली में लिखें ताकि उसमें मौलिकता का समावेश हो सके।लेख में आपका दृष्टिकोण,विचारधारा तथा मौलिकता का विशेष महत्त्व होता है।ये अध्ययन करके और उस पर चिंतन-मनन तथा लिखकर अभ्यास करने से ही विकसित की जा सकती है।विभिन्न समीक्षाएं इसमें आपकी सहायता कर सकती हैं।इससे आपका लेख बंधे- बधाये ढर्रे से अलग होगा तथा आपका लेख पसंद किया जाएगा।
  • (6.)भिन्न-भिन्न पुस्तकों का अध्ययन करके नोट्स बना लेना चाहिए।इसमें तथ्यात्मक बातों,विचारकों के मत आदि का उल्लेख करना चाहिए।लेख लिखने से पूर्व इस नोट्स का अध्ययन कर लेना चाहिए,इससे लेख में कई महत्त्वपूर्ण बातों का समावेश किया जा सकता है।इससे लेख में पूर्णता आती है और लेख प्रभावशाली बन पड़ता है।लेख लिखने में विचारकों,चिंतकों,मनीषियों के मूल कथन का उल्लेख कर सकते हैं।परंतु जहां से उक्त कथन,सामग्री ली गई है उस विद्वान की पुस्तक या स्त्रोत का उल्लेख अवश्य करें क्योंकि इनसे आपका लेख प्रभावी बन पड़ता है।मूल्यांकन स्वयं का होना चाहिए,लेखकों या विद्वानों का नहीं।
  • (7.)कई विषय ऐसे होते हैं जिसमें विषय के समग्र ज्ञान तथा विश्लेषणात्मक एवं तार्किक दृष्टिकोण (Analtical and Logical Approach) रखने की आवश्यकता होती है।लेख में अवांछनीय वर्णन से बचा जाना चाहिए।जैसी लेख की विषयवस्तु है,उसी के इर्द-गिर्द अपने लेख को बनाए रखने का प्रयास करना चाहिए।साथ ही भाषा की शुद्धता,विषय की तारतम्यता एवं निष्कर्ष तथा मूल्यांकन पर विशेष ध्यान रखना चाहिए।शब्द-सीमा के भीतर प्रभावी एवं तार्किक ढंग से लिखने का पर्याप्त अभ्यास करें,ताकि आप में लिखने की परिपक्वता आ सके।विषय में वर्तमान समय में हो रहे परिवर्तनों को अवश्य ही अपने लेख में समेटने की कोशिश करें,ताकि आपके लेख को प्रासंगिकता प्राप्त हो सके और आप एक अच्छे लेखक बन सकें।

4.प्रभावी लेख कैसे लिखें? (How to write an effective article?):

  • (1.)प्रभावी,रोचक और ज्ञानवर्धक वे ही लेख होते हैं जो विषय से भटकते नहीं है और सारगर्भित लिखे जाते हैं। हालांकि आज अनेक वेबसाइट्स,यूट्यूब वीडियो और पुस्तकें लेखों से अटी-पड़ी है।इनमें अधिकांश लेखक पुस्तकों से पढ़ लेते हैं या ऑनलाइन विभिन्न प्लेटफार्मों से सामग्री ले लेते हैं और अपलोड कर देते हैं अथवा छाप देते हैं और शायद उनका काम चल भी जाता है परंतु शीर्ष पर पहुंचने के लिए यह तरीका कारगर नहीं होता है,क्योंकि उपर्युक्त तरीके से कोई भी लेखक अपनी बातों को कम शब्दों में प्रस्तुत कर पाने में सफल नहीं रहता है।
  • (2.)जिस विषय अथवा प्रश्नों पर नोट्स तैयार करना चाहें,सर्वप्रथम आप उनसे संबंधित विषयों पर विभिन्न पुस्तकों का अध्ययन कर महत्त्वपूर्ण बिंदुओं के नीचे निशान लगा दें।तदुपरांत लेख के टाइटल को फिर से पढ़ें,ताकि आपको इस बात का पता चल सके कि इसके उत्तर में कौन-कौन सी बातें लिखी जानी चाहिए।यह तय कर लेने के बाद उन सभी पुस्तकों से महत्त्वपूर्ण पंक्तियों को अपने शब्दों में लिपिबद्ध करते जाएं।इस प्रकार आपका नोट्स तैयार हो जाएगा और आप एक अच्छा लेख लिख पाने में सफल हो सकेंगे।
  • (3.)गणित या विज्ञान के विषय में लेख लिखते समय पूरी वैज्ञानिकता तथा तारतम्यता बनाए रखें।अपने उत्तर में तथ्यों,सूत्रों,समीकरणों और उदाहरणों को अवश्य ही डालें।बाजार में उपलब्ध नोट्स का सहारा अपने लेख को तैयार करने में नहीं करें।इस तरह के नोट्स में सही तथ्यों व यथोचित जानकारियों तथा नवीन शोध का अभाव देखा जाता है।अपने लेख में सटीकता और प्रासंगिकता अवश्य बनाए रखें और ऐसा तभी संभव है,जबकि आप निरंतर अभ्यास करते रहें,विधिवत तथ्यों,घटनाओं और अपडेट जानकारी के प्रमुख पक्षों को आत्मसात करना नहीं भूले।बिंदुवार शैली में विषय से संबंधित मुख्य तथ्य एकत्रित कर लें।बाद में शब्द-सीमा के अनुरूप इनका विस्तार किया जा सकता है।इस प्रकार के लेख में अनावश्यक भूमिका डालने से परहेज करना चाहिए।वैसे विज्ञान व गणित में भाषायी शब्दजाल का प्रयोग नहीं किया जा सकता है।इसमें टू द पॉइंट अपनी बात लिखनी होती है।परंतु अन्य लेखों में शब्दजाल का आडंबर न रचें।
  • (4.)यदि आपका लेख सुबोध,सरल,सुंदर तथा ज्ञानवर्धक शैली में हो,तो आप निश्चय ही पाठक को अपने लेख से बाँध सकते हैं।लेख को अंतिम रूप देने के बाद दो बार अवश्य पढ़ लें ताकि लेख की तारतम्यता तथा अशुद्धियों का ज्ञान हो सके।कहीं अशुद्धि हो तो उसे सुधार लें।
  • (5.)हमेशा ध्यान रखें कि लेख लिखते समय क्या,कैसे और कितना लिखें-इन तमाम बातों पर ध्यान देने की जरूरत होती है।सबसे महत्त्वपूर्ण तथ्य यह है कि लेख किस उद्देश्य को सामने रखकर लिखा जा रहा है,इसे पूरी तरह समझा जाए तथा इनका उत्तर एक निश्चित शब्द सीमा के अंदर लिखा जाये।
  • (6.)किसी भी लेख को लिखते समय विशिष्ट लेखन शैली होनी चाहिए।लेख का जो टाइटल है उसके अनुरूप लेख को लिखना चाहिए।अनावश्यक रूप से लंबी भूमिका देखकर अपना समय बर्बाद नहीं करना चाहिए।जिस लेख के बारे में आपको पर्याप्त जानकारी हो उसी के बारे में लिखना चाहिए।पाठकों को लुभाने की उम्मीद में आप ऐसे लेख में स्वयं को न उलझायें,जो आप अच्छी तरह से लिख नहीं सकते हैं।आपका लेख तथ्यपरक (Factual) होने चाहिए तथा यथासंभव चित्र,सारणी अथवा मॉडल से युक्त होने चाहिए।अपना लेख लिखते समय निबन्धात्मक शैली तथा बिंदुवार शैली दोनों का लेख के अनुरूप साथ-साथ प्रयोग करते रहना चाहिए।आपको चाहिए कि आप अपने लेख में तथ्य के प्रत्येक दृष्टिकोण की समीक्षा की कोशिश करें।एक पहलू पर अधिक जोर देने तथा दूसरे पहलू को नजरअंदाज करने से आप पाठक को आकर्षित नहीं कर पाएंगे।अपने लेख में सभी पहलुओं को समान रूप से समेटने की कोशिश करें।आपकी तैयारी इस प्रकार की होनी चाहिए,ताकि आप लघु अथवा विस्तृत लेख जरूर लिख सकें।

5.छात्र-छात्राओं के लिए लेख कैसे उपयोगी है? (How useful is the article for students?):

  • छात्र-छात्राओं को यह समझना चाहिए कि निबंध,लेख या नोट्स बिल्कुल अलग-अलग नहीं है।इनमें आपस में अंतर्संबंध है।जो छात्र-छात्रा नोट्स बना सकता है वह निबंध तथा लेख लिखने की कला भी सीख सकता है।और जो लेख लिख सकता है वह निबंध और नोट्स भी लिख सकता है।
  • यदि छात्र-छात्रा कंटेंट राइटर के रूप में अपना भविष्य निर्माण नहीं करना चाहता है तो भी उसके लिए लेख लिखना परीक्षा के दृष्टिकोण से फायदेमंद हो सकता है। लेख लिखने से आप निबंध लिख सकते हैं और नोट्स बना सकते हैं।निबंध आपके अंग्रेजी व हिंदी विषय में पूछा जाता है।नोट्स के आधार पर आप कम समय में विषयवस्तु की पुनरावृत्ति कर सकते हैं।परीक्षा के समय इतना समय नहीं रहता है कि आप पूरी पाठ्य-पुस्तक का रिवीजन कर सकें।जो छात्र-छात्रा स्वयं के नोट्स नहीं बना सकता है,निबंध नहीं लिख सकता है वह परीक्षा में बने बनाए या मार्केट के नोट्स से तैयारी करके अच्छे अंक हासिल नहीं कर सकता है।
  • यदि आप प्रतियोगिता परीक्षाओं में भाग लेना चाहते हैं तो उनमें भी निबंधात्मक शैली में प्रश्नों के उत्तर तभी दे सकते हैं जब आप नोट्स बना सकते हैं,लेख लिख सकते हैं।कई छात्र-छात्राएं अध्ययन तो रात-दिन करते रहते हैं परंतु नोट्स नहीं बनाते हैं,लेख नहीं लिख पाते हैं ऐसे छात्र-छात्राएं उन छात्र-छात्राओं से कम अंक प्राप्त करते हैं जो कुछ चयनित अध्यायों पर नोट्स बना लेते हैं और कम अध्ययन करके भी अच्छे अंक अर्जित कर लेते हैं,क्योंकि वे चयनित अध्यायों के नोट्स को कम समय में दुहरा लेते हैं।आज की फास्ट लाइफ में अधिकांश छात्र-छात्राएं इस तरफ ध्यान नहीं देते हैं और विभिन्न वेबसाइट्स या यूट्यूब पर किसी चैनल से वीडियो देखकर अथवा बाजार में उपलब्ध स्तरहीन नोट्स से अपनी तैयारी करते हैं।इन नोट्स में सही,तथ्यात्मक जानकारी का अभाव तो रहता ही है साथ ही इनकी भाषा घुमावदार,जटिल व दुरुह होती है जिसे आत्मसात नहीं कर पाते हैं फलतः परीक्षा में कम अंक प्राप्त करते हैं।
  • स्वयं के द्वारा बनाए गए नोट्स स्वयं की शैली में लिखे गए होते हैं,जिन्हें समझना और याद करना सरल होता है।साथ ही नोट्स,निबंध या लेख लिखने से यह भी फायदा होता है कि उन्हें लिखने का अच्छा अभ्यास होता है।लिखकर अभ्यास करने से कई बातें जो समझ में नहीं आती है,वे समझ में आ जाती है तथा लिखने से लिखा हुआ लंबे समय तक याद रख पाते हैं।
    प्रश्न-पत्र में निबंध निश्चित शब्द-सीमा में लिखना होता है अतः लिखकर शब्द-सीमा का कड़ाई से पालन करने का अभ्यास करना चाहिए।
  • निबंध व नोट्स तथा लेख की प्रकृति को अच्छी तरह से समझना चाहिए।यदि लाभ हानि पूछा जा रहा हो तो वहां महत्ता नहीं बतानी चाहिए।प्रश्न में जितना पूछा गया हो उतना ही और उसी तथ्य को अपने उत्तर में लिखा जाना चाहिए।इससे आपके उत्तर अधिक संतुलित बन पाएंगे,वहीं आपके समय की भी बचत हो सकेगी।
  • प्रश्नों का उत्तर देते समय किसी भी तरह के व्यक्तिगत पूर्वाग्रह से बचना चाहिए।आपको सतत यह प्रयास करना चाहिए कि आपके उत्तर स्पष्ट एवं तार्किक हों।
  • अपने तर्कों को स्थापित तथ्यों पर आधारित करने का प्रयास करना चाहिए।किसी भी ऐसे तथ्य को वरीयता देने की कोशिश नहीं करनी चाहिए,जो कि सर्वमान्य नहीं है अथवा विवादास्पद प्रकृति का हो।आपको मध्यम मार्ग अपनाते हुए अपने उत्तर को संतुलित एवं तथ्यपरक बनाने की कोशिश करनी चाहिए,ताकि आप अच्छे अंक लाने में कामयाब हो सकें।
    उपर्युक्त आर्टिकल में लेख कैसे लिखें की 6 तकनीक (6 Techniques of How to Write Articles),उत्कृष्ट लेख कैसे लिखें? (How to Write Excellent Article?) के बारे में बताया गया है।

Also Read This Article:परीक्षा में लेख लिखने की 5 टिप्स

6.भगवान के लिए लेख (हास्य-व्यंग्य) (Article for God) (Humour-Satire):

  • एक छात्र एक स्कूल में नया-नया आया और उसे टीचर ने कहा कि भगवान के नाम पर एक अच्छा सा लेख लिख दो।
    छात्र ने लेख लिखकर तैयार किया और टीचर से कहा सर,लेख तैयार हो गया है।
  • टीचरःआगे से सर के लिए मत बोलना भगवान के लिए,लेख तैयार हो गया बोलना,इससे लेख अच्छा बन पड़ता है।
    अगले दिन छात्र ने फिर से टूटा-फूटा लेख लिखा और टीचर से कहा भगवान के लिए लेख तैयार है।
    टीचर ने लेख की स्थिति देखकर सर पकड़ लिया।

7.लेख कैसे लिखें की 6 तकनीक (Frequently Asked Questions Related to 6 Techniques of How to Write Articles),उत्कृष्ट लेख कैसे लिखें? (How to Write Excellent Article?) से संबंधित अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न:

प्रश्न:1.पैराग्राफ और निबंध में क्या अंतर है? (What is the difference between Paragraph and Essay?):

उत्तर:आमतौर पर पैराग्राफ 5-7 वाक्य के होते हैं और ज्यादा तैयारी की जरूरत नहीं होती है क्योंकि इनमें ज्यादा विवरण नहीं होता है।दूसरी ओर,निबंध एक औपचारिक लेखन होता है जिसमें कम से कम दो से तीन पैराग्राफ होते हैं।

प्रश्न:2.निबंध और लेख में क्या अन्तर होता है? (What is the difference between an essay and an article?):

उत्तर:लेख आमतौर पर वस्तुनिष्ठ होते हैं,जबकि निबंध आमतौर पर लेखक की व्यक्तिगत भावनाओं और विचारों को दर्शाते हैं।लेख की संरचना अलग-अलग तरीकों से की जा सकती है,जैसे उल्टे पिरामिड और कहानी का मॉडल।लेख अक्सर डिजिटल प्रारूप में प्रकाशित होते हैं और वे मजबूत शुरुआत के साथ पाठकों को तुरंत आकर्षित कर लेते हैं।

प्रश्न:3.ब्लॉग और आर्टिकल लेखन में क्या अंतर है? (What is the difference between Blog and Article Writing?):

उत्तर:ब्लॉग एक ऐसा प्लेटफॉर्म है जहां आप अपने विचारों को लिखित भाषा में दुनिया के सामने ला सकते हैं ब्लॉग में आप न्यूज़ पोस्ट कर सकते हैं या कोई ज्ञान की बातें लोगों को सिखा सकते हैं और लेख वो होता है जिसे हम ब्लॉग में लिखते हैं और पोस्ट करते हैं हमारी लिखित कि वह भाषा ही लेख कहलाती है।

  • उपर्युक्त प्रश्नों के उत्तर द्वारा लेख कैसे लिखें की 6 तकनीक (6 Techniques of How to Write Articles),उत्कृष्ट लेख कैसे लिखें? (How to Write Excellent Article?) के बारे में और अधिक जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
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