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How to Become Students Creative?

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1.छात्र-छात्राएँ रचनात्मक कैसे बनें? (How to Become Students Creative?),अभ्यर्थी रचनात्मक कैसे बनें? (How to Become Candidates Creative?):

  • छात्र-छात्राएँ रचनात्मक कैसे बनें? (How to Become Students Creative?) क्योंकि परीक्षा में अथवा जाॅब में सफलता अर्जित करने और आगे बढ़ने के लिए रचनात्मक कार्य व चिन्तन करना बहुत आवश्यक है।रचनात्मकता मौलिक निर्माण,आविष्कार,खोज तथा नई वस्तु की रचना करने को कहते हैं।रचनात्मक तथा सृजनात्मक लगभग समानार्थक अर्थ रखने वाले शब्द है।सृजनात्मकता से संबंधित एक लेख इससे पहले लिखा जा चुका है।यदि आप इसे पढ़ेंगे तो आपके ज्ञान में ओर वृद्धि होगी।
  • पाश्चात्य विचारधारा के अनुसार दो भिन्न-भिन्न विचारों,विद्याओं,वस्तुओं को मिलाकर नया विचार,विद्या,वस्तु की खोज करना,निर्माण करने को रचनात्मक कहती हैं।भारतीय विचारधारा के अनुसार समस्त विचार,ज्ञान,विद्या इत्यादि पहले से ही मौजूद है,हम केवल उसकी खोज करते हैं,ढूंढ सकते हैं।
  • बहरहाल जो भी सच्चाई हो हमें यह दोनों विचारधाराएं ही कुछ मौलिक,कुछ नया विचार,खोज,आविष्कार,निर्माण करने के लिए प्रेरित करती हैं।दोनों विचारधाराओं को स्वीकार करके जो आगे बढ़ता है इसका अर्थ है कि उसका मस्तिष्क खुला है,विस्तृत है।जो एकांगी मार्ग को पकड़ता है वह कूप मण्डूक की तरह संकीर्ण मानसिकता वाला होता है।
  • हमें सीखने के लिए जहां कहीं से भी मिले वहीं से सीख लेनी चाहिए क्योंकि सभी भारतीय विचारधाराएं,परंपरागत ज्ञान,अनुभव ही सत्य नहीं है।परंतु कुछ लोग पुरानी परंपरागत सभी बातों को
  • पुरातनपंथी,अन्धविश्वासी,रूढ़िवादी,दकियानूसी,आगे बढ़ने में बाधक,समयानुकूल नहीं मानकर स्वीकार नहीं करते हैं क्योंकि वे आधुनिक,प्रगतिशील नहीं है।परंतु ऐसा समझना गलत है बल्कि विवेकपूर्वक विचार करके यह निश्चय करना चाहिए कि कौनसी बातें उचित,सही और सत्य हैं तथा किन बातों के आधार पर आगे उन्नति और विकास किया जा सकता है।केवल हठवादिता और पूर्वाग्रह से निर्णय नहीं लेना चाहिए।
  • आपको यह जानकारी रोचक व ज्ञानवर्धक लगे तो अपने मित्रों के साथ इस गणित के आर्टिकल को शेयर करें।यदि आप इस वेबसाइट पर पहली बार आए हैं तो वेबसाइट को फॉलो करें और ईमेल सब्सक्रिप्शन को भी फॉलो करें।जिससे नए आर्टिकल का नोटिफिकेशन आपको मिल सके । यदि आर्टिकल पसन्द आए तो अपने मित्रों के साथ शेयर और लाईक करें जिससे वे भी लाभ उठाए । आपकी कोई समस्या हो या कोई सुझाव देना चाहते हैं तो कमेंट करके बताएं।इस आर्टिकल को पूरा पढ़ें।

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2.रचनात्मक कैसे बनें? (How to Be Creative?):

  • रचनात्मक बनने के लिए आपको हर किसी से सीखने की वृत्ति रखनी होगी।पुस्तकों से,भारतीय व पाश्चात्य विचारधारा से,परंपरागत व आधुनिक ज्ञान,खोजों से,किसी व्यक्ति विशेष से,स्वयं से अथवा किसी भी विचारधारा से सीखने के लिए तैयार रहे और सीखते रहें।ऐसा तभी संभव है जब आपका मन निर्मल और मस्तिष्क के सोचने का दायरा संकीर्ण न होकर विस्तृत होगा।
  • इस प्रकार की वृत्ति रखने से रचनात्मकता तीव्र गति से बढ़ती है।कभी भी छात्र-छात्राएं अध्ययन करें,सवाल हल करें तो पुस्तकों में हल करने के जो तरीके दे रखें हैं उससे अलग हटकर सोचने और उसका अभ्यास करने का प्रयास करें।आप जो कुछ कर रहे हैं उसके बारे में दूसरे व्यक्ति कोई सुझाव देते हैं तो धैर्यपूर्वक उनकी बात को सुनें,हो सकता है उसमें कुछ नया आईडिया मिल जाए।
  • सीखने के लिए अपने अहंकार को जितना हो सके त्यागने की कोशिश करें क्योंकि अहंकार सीखने में बाधा खड़ी करता है।अहंकार के कारण हम अपने ज्ञान,बुद्धि,चातुर्य और अनुभव को ही सर्वश्रेष्ठ समझने लगते हैं।
  • परंपरागत तरीके से नहीं सोचें बल्कि असाधारण तरीके से,हटकर व डटकर सोचें।असाधारण व हटकर सोचने पर हमें नई बातें,नई चीजों,नए तरीकों का ज्ञान हो पाता है।परंपरागत तरीके से सोचने पर हम उसी पुरानी ढर्रे,तरीके को अपनाते रहते हैं और हमें नई बातों का पता नहीं लग पाता है।
  • परीक्षण अवश्य करते रहें।परीक्षण करते समय असफलता मिले तो हताश व निराश न हों।जैसे कोई सवाल एक ढंग से हल नहीं हो रहा हो तो दूसरे ढंग से हल करें,तीसरे ढंग से हल करें।इस प्रकार बार-बार प्रयास करते रहें।अक्सर ऐसा होता है कि छात्र-छात्राएं एक तरीके से सवाल हल नहीं होता हैं तो हताश व निराश हो जाते हैं और दूसरे व तीसरे तरीके को अमल करने के बारे में न तो सोचते हैं और न अभ्यास करते हैं।ऐसा करने से आपकी रचनात्मकता विकसित नहीं होगी।
  • कुछ भी नया करने के लिए संकोच न करें,मन में कोई आईडिया आ रहा हो तो उसे बोलना और लिखना सीखें।ऐसा न सोचें कि गलत होगा तो उसके आइडिये या तरीके की हंसी उड़ाएंगे।इसी से आपके मौलिक चिंतन का विकास होगा।शुरू-शुरू में ऐसा होता है कि हम कुछ नया सोचते हैं तो वह अव्यावहारिक,अटपटा तथा नौसिखिए जैसा लगे तथा इसी कारण साथी या कोई व्यक्ति आपके विचारों की मजाक व हँसी उड़ाए।परंतु इसी तरह धीरे-धीरे आपमें परिपक्वता आएगी।

3.रचनात्मकता का विकास एकांत में (Creativity Develops in Solitude):

  • एकांत का अर्थ है केवल एक का होना।सामान्यतः एकांत का अर्थ अकेलापन लगा लिया जाता है परंतु अकेलापन नकारात्मक दृष्टि है जबकि एकांत सकारात्मक दृष्टि है।एकांत में आप अपनी आत्मा का ध्यान कर रहे होते हैं,अपनी अंतर्निहित शक्ति,सामर्थ्य,योग्यता व क्षमताओं पर विचार करते हैं।अपनी त्रुटियों,दोषों व कमियों को ढूंढकर उनको दूर करने के उपाय सोच रहे होते हैं।इस प्रकार आप आत्मिक शक्ति के साथ हैं।
  • आपके मस्तिष्क और मन में उठने वाले विचारों पर आपका पूरा नियंत्रण होता है और इस तरह एकांत में आप परेशान,उद्विग्न व चिन्तित नहीं होते हैं बल्कि खुशी,प्रसन्नता तथा आनंद का अनुभव करते हैं।जबकि अकेलेपन में आप बेचैन,परेशान,बिखरे-बिखरे हुए होते हैं,एकाग्र नहीं होते हैं।अतः अकेलेपन में आप तनावग्रस्त,चिंतित व उद्विग्न हो जाते हैं।
  • एकांत का उचित उपयोग किया जाए तो आपका व्यक्तित्व निखरता जाता है।इसका अर्थ यह नहीं है की आपको हमेशा एकांत में ही रहना चाहिए।यदि आप हमेशा एकांत में रहेंगे तो मित्रों,परिचितों,समाज व देश-दुनिया से कट जाएंगे और आपके व्यक्तित्त्व का समुचित विकास नहीं हो पाएगा।आपको संसार में रहना है तो जीवन में एक संतुलन और सामंजस्य बैठाना होगा।
  • जो छात्र-छात्रा और व्यक्ति संसार और एकांत में संतुलन स्थापित कर लेता है उसका व्यक्तित्त्व निखरकर उभरेगा।ऐसा व्यक्तित्त्व समझदार,विवेकशील,व्यावहारिक व रचनात्मक होगा।
  • एकांत अवस्था में अवचेतन मन अधिक सक्रिय होता है और आप पूर्ण रूप से एकाग्र होते हैं।इस दृष्टि से गणितज्ञ ब्रह्मगुप्त,महावीराचार्य,भास्कराचार्य,आर्किमिडीज,आइंस्टीन,न्यूटन आदि एकांत प्रिय ही थे।इसलिए एकांत से डरने,नकारने की जरूरत नहीं बल्कि स्वीकार करने और उसे सहज बनाने की आवश्यकता है।
  • एकांत को इस अर्थ में नहीं लिया जाना चाहिए कि हम घर-परिवार,मित्रों,परिचितों,सामाजिक सरोकार से कट जाए बल्कि इसमें निरंतरता के साथ एकांत में रमने की कला सीखनी चाहिए क्योंकि एकांत के बिना छात्र-छात्राओं व व्यक्ति में रचनात्मक का विकास नहीं हो सकता है।
  • छात्र-छात्राओं और लोगों के मन में यह प्रश्न उठ सकता है कि हमें इसकी जरूरत ही क्या है? हम तो साहित्यकार,कलाकार,कवि,लेखक,वैज्ञानिक,गणितज्ञ इत्यादि हैं नहीं।लेकिन ऐसा हमारा सोचना गलत है।रचनात्मक दिमाग हर कार्य क्षेत्र में उन्नति व विकास की राहें खोलता है; क्योंकि ऐसे में अवचेतन मन अधिक सक्रिय और एकाग्र होता है।
  • रचनात्मक बनने के लिए व्यक्ति को एकांत का सहारा लेना होता है,स्थिर-एकाग्र होना होता है।एकांत से किसी को डरने या घबराने की जरूरत नहीं बल्कि इसे अपने जीवन का एक हिस्सा बनाने की जरूरत है;क्योंकि इस अवधि में यदि आत्मावलोकन किया जाए तो उनकी समस्याएं,कठिनाइयाँ व गुत्थियाँ सुलझती हैं।हमें उन कारणों का पता चलता है और हमारे सवालों का जवाब मिलता है।

4.रचनात्मकता में विवेक का योगदान (Discretion’s Contribution to Creativity):

  • विवेक बिना कोई भी छात्र-छात्रा या व्यक्ति कोई भी काम सही ढंग से नहीं कर सकता है।जिस व्यक्ति में सोने को परखने का विवेक होता है वही सुनार होता है और सोने की पहचान कर सकता है तथा उसे सही ढंग से शुद्ध करके आकर्षक जेवर बना सकता है।विवेकहीन व्यक्ति यह काम नहीं कर सकता है।
  • विवेकहीन व्यक्ति शराब,मादक पदार्थ,दूध,सूखे मेवा में से शराब या मादक पदार्थ को ही उठाता है उसे पीता है,उसके लिए दूध,सूखे मेवा किसी काम के नहीं।परंतु विवेकशील व्यक्ति गंदगी में पड़े हुए रूपों-पैसों को उठा लेता है क्योंकि उसकी महत्ता वह समझता है।अन्य सद्गुण भी विवेकशील व्यक्ति में ही शोभित और विकसित होते हैं।
  • हम जितना अहंकार से मुक्त होते जाते हैं और विवेकशील होंगे उतने ही अधिक रचनात्मक होते जाएंगे।ज्यों-ज्यों हमारे ज्ञान का दायरा बढ़ेगा और अपने क्षेत्र में सीखते जाएंगे त्यों-त्यों अहंकार से मुक्त होते जाएंगे।अहंकार हमें दूसरों से सीखने में अड़चन पैदा करता है क्योंकि अहंकार की अवस्था में हम अपने आपको ही श्रेष्ठ और विद्वान समझते हैं।अपने सीमित ज्ञान को ही सब कुछ मान बैठते हैं।
  • हमारे अंदर जितना अधिक अहंकार होगा उतना ही हम कम रचनात्मक होंगे।अहंकारी व्यक्ति दूसरों से विचार-विमर्श,सुझाव लेना अपने आपका अपमान समझता है।जबकि ज्यों-ज्यों हमारा अहंकार कम होता है और किसी विषय में हमें जानकारी या ज्ञान नहीं है तो दूसरों से विचार-विमर्श करते हैं,उनके सुझावों पर विचार करते हैं और उचित होता है उसे स्वीकार करते हैं,अपनाते हैं।
  • उदाहरणार्थ किसी छात्र को कोई सवाल नहीं आ रहा है तो वह पुस्तक को देखकर हल करने की कोशिश करता है यदि फिर भी हल नहीं होता है तो अपने मित्रों से हल करवाता है और समझता है।यदि मित्र को भी सवाल का हल पता नहीं है तो गणित शिक्षक से सवाल को हल करवाकर समझता है।
  • अहंकारी छात्र-छात्राएं पिछड़ते जाते हैं जबकि विनम्र और विवेकशील छात्र आगे से आगे बढ़ते जाते हैं।आगे जाकर ऐसे विद्यार्थी श्रेष्ठ गणितज्ञ,वैज्ञानिक या अपने क्षेत्र में ऊंचाइयों को छूते हैं और रचनात्मक होते हैं।विनम्र और विवेकशील व्यक्ति में पद,प्रतिष्ठा,सम्मान पाने की लालसा नहीं होती है।ऐसे लोगों को पद,प्रतिष्ठा व सम्मान उनकी योग्यता को देखकर स्वयं ही दूसरे लोग ऑफर करते हैं।

5.रचनात्मकता का दृष्टान्त (The Vision of Creativity):

  • एक बार गणित शिक्षक ने विद्यार्थियों की रचनात्मकता की परख लेने के लिए त्रिकोणमिति का एक सवाल पूछा।उन्होंने श्यामपट्ट पर सवाल लिखकर कहा इसको कितने तरीके से हल किया जा सकता है।गणित के कुछ छात्र खड़े होकर बोलें वाम पक्ष लेकर और दक्षिण पक्ष द्वारा,दक्षिण पक्ष लेकर और वाम पक्ष को सिद्ध किया जा सकता है।गणित शिक्षक ने पूछा कि इसके अलावा भी कोई ओर तरीका है।कक्षा में सन्नाटा छा गया।
  • तब गणित शिक्षक ने सबसे मेधावी छात्र को खड़ा करके पूछा कि तुम बताओ।मेधावी छात्र खड़ा होते ही सतर्क हो गया और बोला इसे दो ओर तरीके से हल किया जा सकता है।
  • गणित शिक्षक ने चारों तरीके से सवाल को हल करने के लिए कहा।
  • सवाल:सिद्ध कीजिए कि \frac{\tan{A}+\sec{A}-1}{\tan{A}-\sec{A}+1}=\tan{A}+\sec{A}
  • हल:L.H.S=\frac{\tan{A}+\sec{A}-1}{\tan{A}-\sec{A}+1}
    =\frac{\tan{A}+\sec{A}-\left(\sec^{2}{A}-\tan^{2}{A}\right)}{\tan{A}-\sec{A}+1}
    =\frac{\tan{A}+\sec{A}-\left(\sec{A}-\tan{A}\right)\left(\sec{A}+\tan{A}\right)}{\tan{A}-\sec{A}+1}
    =\frac{\left(\tan{A}+\sec{A}\right)\left(1-\sec{A}+\tan{A}\right)}{\tan{A}-\sec{A}+1}
    =\tan{A}+\sec{A}
    =R.H.S.
  • दूसरा तरीका:R.H.S.=\tan{A}+\sec{A}
    अंश व हर को हर को \tan{A}-\sec{A}+1 से गुणा करने पर:
    \frac{\left(\tan{A}+\sec{A}\right)\left(\tan{A}-\sec{A}+1\right)}{\tan{A}-\sec{A}+1}
    =\frac{\tan^{2}{A}-\sec^{2}{A}+\tan{A}+\sec{A}}{\tan{A}-\sec{A}+1}
    =\frac{-\left(\sec^{2}{A}-\tan^{2}{A}\right)+\tan{A}+\sec{A}}{\tan{A}-\sec{A}+1}
    =\frac{-1+\tan{A}+\sec{A}}{\tan{A}-\sec{A}+1}
    =\frac{\tan{A}+\sec{A}-1}{\tan{A}-\sec{A}+1}
    =L.H.S.
  • तीसरा तरीका:\frac{\tan{A}+\sec{A}-1}{\tan{A}-\sec{A}+1}=\tan{A}+\sec{A}
    L.H.S. और R.H.S. को पुनर्व्यवस्थित करने पर:
    \tan{A}+\sec{A}-1=\left(\tan{A}-\sec{A}+1\right)(\tan{A}+\sec{A})
    अब R.H.S.=\left(\tan{A}-\sec{A}+1\right)(\tan{A}+\sec{A})
    =\tan^{2}{A}-\sec^{2}{A}+\tan{A}+\sec{A}
    =-\left(\sec^{2}{A}-\tan^{2}{A}\right)+\tan{A}+\sec{A}
    =-1+\tan{A}+\sec{A}
    =\tan{A}+\sec{A}-1
    =L.H.S.
  • चौथा तरीका:L.H.S=\frac{\tan{A}+\sec{A}-1}{\tan{A}-\sec{A}+1}
    =\frac{\frac{\sin{A}}{\cos{A}}+\frac{1}{\cos{A}}-\frac{1}{1}}{\frac{\sin{A}}{\cos{A}}-\frac{1}{\cos{A}}+\frac{1}{1}}
    =\frac{\frac{\sin{A}+1-\cos{A}}{\cos{A}}}{\frac{\sin{A}-1+\cos{A}}{\cos{A}}}
    =\frac{\cos{A}\left(\sin{A}+1-\cos{A}\right)}{\cos{A}\left(\sin{A}-1+\cos{A}\right)}
    =\frac{\cos{A}\sin{A}+\cos{A}-\cos^{2}{A}}{\cos{A}\left(\sin{A}-1+\cos{A}\right)}
    =\frac{\cos{A}\left(1+\sin{A}\right)-\left(1-\sin^{2}{A}\right)}{\cos{A}\left(\sin{A}-1+\cos{A}\right)}
    =\frac{\cos{A}\left(1+\sin{A}\right)\left(1-\sin{A}\right)\left(1+\sin{A}\right)}{\cos{A}\left(\sin{A}-1+\cos{A}\right)}
    =\frac{\left(1+\sin{A}\right)\left(\cos{A}-1+\sin{A}\right)}{\cos{A}\left(\sin{A}-1+\cos{A}\right)}
    =\frac{1+\sin{A}}{\cos{A}}…. (1)
  • पुनः R.H.S.=\tan{A}+\sec{A}
    =\frac{\sin{A}}{\cos{A}}+\frac{1}{\cos{A}}
    =\frac{1+\sin{A}}{\cos{A}}…. (2)
    अतः (1) और (2) से
    L.H.S=R.H.S
  • गणित शिक्षक मेधावी छात्र की मेधा और रचनात्मकता को देखकर बहुत प्रसन्न हुए और स्वतन्त्रता दिवस पर उसे सम्मानित कराया साथ ही उसे उज्जवल भविष्य के लिए शुभ आशीर्वाद दिया।
  • उपर्युक्त आर्टिकल में छात्र-छात्राएँ रचनात्मक कैसे बनें? (How to Become Students Creative?),अभ्यर्थी रचनात्मक कैसे बनें? (How to Become Candidates Creative?) के बारे में बताया गया है।

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6.गणित का हैजा (हास्य-व्यंग्य) (Mathematics Cholera) (Humour-Satire):

  • गणित अध्यापक (छात्र से):क्या हो रहा है,आजकल?
  • छात्र:सर,गणित का हैजा।

7.छात्र-छात्राएँ रचनात्मक कैसे बनें? (Frequently Asked Questions Related to How to Become Students Creative?),अभ्यर्थी रचनात्मक कैसे बनें? (How to Become Candidates Creative?) से सम्बन्धित अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न:

प्रश्न:1.क्या विद्वान एकान्त का अनुभव करते हैं? (Do Scholars Experience Solitude?):

उत्तर:विद्वान किसी भी विशिष्ट समस्या को हल करने के लिए एकान्त का सहारा लेते हैं।कई विद्वानों ने एकान्त का अनुभव किया है।गणितज्ञों,वैज्ञानिकों,साहित्यकारों,कलाकारों,कवियों,लेखकों ने एकान्त के द्वारा ही अपनी समस्याओं को सुलझाया है और अपने रचनात्मक जीवन की शुरुआत की है।इसके माध्यम से हम भी रचनात्मक बन सकते हैं और इसका लाभ ले सकते हैं।

प्रश्न:2.एकान्त में कैसे विचार उठते हैं? (How Do Thoughts Arise in Solitude?):

उत्तर:हमारे मन में अनगिनत विचार उठते हैं और ये अच्छे और बुरे दोनों तरह के हो सकते हैं।यदि हमारी चिंतन शैली में नकारात्मक तत्त्व हावी है या हम नकारात्मक दिशा में सोचते हैं तो हमारा व्यक्तित्त्व एक तरह से मनोरोगी होने लगता है और यदि सकारात्मक दिशा में सोचते हैं तो व्यक्तित्त्व में निखार आता है,वह ओर अधिक संवरने लगता है,विकसित होता है।व्यक्ति का रचनात्मक विकास सकारात्मक व नकारात्मक,दोनों दिशा में हो सकता है।अतः हमें चिंतन शैली को सही और उचित दिशा में व सकारात्मक रखनी चाहिए।

प्रश्न:3.हमें अंतर्मुखी व बहिर्मुखी दोनों क्यों होना चाहिए? (Why Should We Be Both Introverts and Extroverts?):

उत्तर:जब हम लोगों से या भीड़ से घिरे होते हैं तथा उनसे संपर्क रखते हैं तो बहिर्मुखी होते हैं।लेकिन बहिर्मुखी होने पर न तो हम पूरी तरह से एकाग्र व तल्लीन हो सकते हैं और न महत्त्वपूर्ण कार्यों को कर सकते हैं।इसका अर्थ यह नहीं है कि हमें बहिर्मुखी नहीं होना चाहिए,केवल अंतर्मुखी होना चाहिए।इसका अर्थ यह है की आवश्यकता व परिस्थिति के अनुसार बहिर्मुखी व अंतर्मुखी,दोनों होना चाहिए।इन दोनों ही पहलुओं को अपने व्यक्तित्त्व में शामिल करना चाहिए और इनमें सामंजस्य रखना चाहिए।
बहिर्मुखी होकर हम देश-दुनिया के बारे में जान पाते हैं,लोगों से संपर्क करते हैं।उन्हें समझते हैं,आज की समस्याओं को समझ पाते हैं; जबकि अंतर्मुखी होकर उन समस्याओं का समाधान खोज सकते हैं,गुत्थियों को सुलझा सकते हैं,स्वयं को व अपनी क्षमताओं को जान सकते हैं,अपनी कमियों को जान सकते हैं और उन्हें दूर करने का प्रयास कर सकते हैं।

  • उपर्युक्त प्रश्नों के उत्तर द्वारा छात्र-छात्राएँ रचनात्मक कैसे बनें? (How to Become Students Creative?),अभ्यर्थी रचनात्मक कैसे बनें? (How to Become Candidates Creative?) के बारे में ओर अधिक जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
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