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3 Tips to Keep Your Mind Under Control

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1.मन को नियंत्रित रखने की 3 टिप्स (3 Tips to Keep Your Mind Under Control),गणित का ज्ञान प्राप्त करने के लिए मन को नियन्त्रित रखने की 3 टिप्स (3 Tips to Control the Mind to Get knowledge of Mathematics):

  • मन को नियंत्रित रखने की 3 टिप्स (3 Tips to Keep Your Mind Under Control) के आधार पर विद्यार्थी मन को एकाग्र कर सकेंगे। विद्यार्थी तथा गणित के विद्यार्थी के सामने कई प्रकार के प्रश्न एवं मनोभाव उठते रहते हैं।जैसे क्या पढ़े,क्या नहीं पढ़ना चाहिए,किस तरह पढ़ें,किस तरह नहीं पढ़े,किसकी सहायता लें,किसकी सहायता न लें,किनसे दूर रहे,किनसे संपर्क में रहें इत्यादि।
  • आधुनिक प्रतियोगिता के युग में विद्यार्थी नैतिक,अनैतिक तरीकों का प्रयोग करने पर विचार नहीं करते हैं।परीक्षा में विद्यार्थियों को प्रश्न-पत्र कठिन लगता है तो परीक्षार्थी का मन डाँवाडोल हो जाता है।वह सोचता है कि नकल करके परीक्षा में उत्तीर्ण होना ठीक रहेगा,अनुचित साधनों का प्रयोग करना ठीक रहेगा,पुस्तकों से कागज पर उत्तर लिखकर लाना और उससे उत्तर लिख देना ठीक रहेगा,परीक्षा से पूर्व प्रश्नपत्र प्राप्त करने की जुगत भिड़ाना ठीक रहेगा,बोर्ड अंक तालिका में कर्मचारियों को घूस देकर अंक बढ़वाना ठीक रहेगा,परीक्षक को प्रलोभन देकर उससे पूछना ठीक रहेगा,परीक्षक को डरा धमकाकर नकल करना ठीक रहेगा,इस प्रकार के कार्य करने में मन प्रयत्नशील रहता है।परंतु जो विद्यार्थी पूर्ण लगन,निष्ठा और एकाग्रचित्त होकर अपने लक्ष्य पर नजर रखते हैं वे ऐसे कार्य में लिप्त नहीं होते हैं। तात्पर्य यह है कि मन को एकाग्र और मन का निग्रह करना,मन को नियंत्रित करना अत्यावश्यक है।
  • जो विद्यार्थी मन को एकाग्र नहीं करते हैं,मन को नियंत्रण (निग्रह) में नहीं रखते हैं वे अपने आपको धोखा देते हैं तथा जीवन में सफलता प्राप्त करने से वंचित रह जाते हैं।
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2.इन्द्रिय-निग्रह करें (Control the Senses):

  • इन्द्रिय-निग्रह का अर्थ है इंद्रियों को वश में रखना। इन्द्रियों को नियंत्रण में रखने के लिए इन्द्रियों को बलपूर्वक रोकना या दमन करना नहीं है।इन्द्रियों पर बलपूर्वक दमन करने या रोकने पर इन्द्रियां हमसे ही शक्ति पाकर ओर बलवान हो जाती है।इन्द्रियों का दमन करना तथा अत्यधिक भोग विलास करना दोनों ही हानिकारक है।इंद्रियों का मध्यम मार्ग से उचित उपयोग करना इन्द्रिय निग्रह है।जो विद्यार्थी इन्द्रियों को वश में नहीं रखता है तो इन्द्रियां विषयों में फँसती चली जाती है।जैसे आँख का कार्य है अच्छे साहित्य को देखना,अच्छी पुस्तकों को देखना परंतु जब हम अश्लील साहित्य और पुस्तकों को देखते हैं तो यह आँख का दुरुपयोग हुआ।दरअसल इंद्रियां तो साधन है,इंद्रियां मन के निर्देश से ही सब कुछ करती हैं।इंद्रियों को सक्रिय करने का कार्य मन का होता है और ये मन की प्रेरणा और इच्छा के अनुसार ही कार्य करती है।इसलिए इंद्रियों के सदुपयोग और दुरुपयोग का जिम्मेदार मन ही होता है।
  • विद्यार्थियों को विद्यार्थी काल में ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए।अब यदि विद्यार्थी के मन में कामवासना की भावना जागृत होती है तो आंखें भी किसी युवती को कामवासना की दृष्टि से ही देखेंगी। यदि विद्यार्थी मन को एकाग्र रखे,मन को नियन्त्रित रखे और मन को विवेकपूर्वक काम में ले तो इन्द्रियों को वश में किया जा सकता है।मुख्य चीज है मन का चंचल,चल बना रहना जिसको छोड़ना आवश्यक है तभी इंद्रियों के दुरुपयोग को रोका जा सकता है।यदि विद्यार्थी अश्लील साहित्य पढ़ता है, अपने अध्ययन की पुस्तकों को नहीं पढ़ता है तो इसका दुष्प्रभाव मन पर पड़ता है।यदि वह कामवासना पर नियंत्रण नहीं रख पाता है तो उसकी बदनामी होती है यहां तक की उसकी पिटाई भी हो सकती है।नीति में कहा है कि “हिरण गाने से,हाथी हथिनी से,पतंगा दीपक से,भंवरा गंध से और मछलियां जीभ के स्वाद से मोहित होकर अपने प्राण गँवा देती है।फिर जिस व्यक्ति की ये पांचों इंद्रियों है और जो विषयों में फंसी रहती है तो उनको मृत्यु क्यों छोड़ेगी?

3.मन को नियंत्रित करें (Control the Mind):

  • किसी भी विषय के बारे में ज्ञान का आदान-प्रदान करने वाला,सभी इंद्रियों से कार्य लेने वाला तथा इंद्रियों का मालिक मन है।इंद्रियां मन के बिना न तो कोई ज्ञान प्राप्त कर सकती हैं और न ही सक्रिय हो सकती हैं।मन सदा गतिशील,चंचल और अत्यंत तीव्र गति वाला है।इसकी सहायता के बिना बुद्धि किसी विषय का चिंतन नहीं कर सकती है।मन के कार्यों की उचित या अनुचित होने के विषय में निर्णय करने का कार्य बुद्धि का है।अंतः करण में मन,बुद्धि,अहंकार और चित्त शामिल है।आत्मा जिन साधनों से काम लेता है वह अंतःकरण कहलाता है।
  • हमारी स्मृतियों तथा संस्कारों का आधार चित्त ही है।हमारी आदतों को प्रेरणा देना व सक्रिय करना चित्त का काम है।इस चित्त के बर्ताव को नियंत्रित रखने से ही मन एकाग्र और संयमित रहता है।
  • चित्तवृत्ति को रोकना और अ-मन की अवस्था को उपलब्ध होना ही योग है।ध्यान में भी अमनी अवस्था उपलब्ध होती है।जब चित्तवृत्ति का निरोध होता है तभी हम आत्मा की तरफ यानि अपने आपकी तरफ मुड़ते हैं।मैं हूं,यह मेरा है इस प्रकार की भावना रखना अहंकार है।
  • हम हमारी स्वाभाविक स्थिति में नहीं रह पाते हैं क्योंकि मन इंद्रियों को अपनी मर्जी के मुताबिक चलाता रहता है।हमारी बुद्धि मन का साथ दे रही है,हमारा अहंकार मन का साथ दे रहा है और चित्त भी मन के रंग में रंगा हुआ है।होना तो यह चाहिए कि मन पर बुद्धि का तथा बुद्धि पर विवेक का नियन्त्रण में रहे अर्थात् मन और बुद्धि आत्मा द्वारा निर्देशित होकर कार्य करें।
  • मन चंचल और गतिशील होता है तभी इसके होने का हमें एहसास होता है।जैसे वायु गतिशील होती है तभी वायु के होने का एहसास होता है।जिससे मनन किया जाता है वह मन है।मन अंतरण चतुष्टय में शामिल होने पर भी एक इंद्रिय भी है क्योंकि सुख-दुख का अनुभव हमें मन के द्वारा ही होता है। मन ज्ञानेंद्रियों (आंख,कान,नाक, त्वचा तथा जीभ) तथा कर्मेंद्रियों (हाथ,पैर,मुंह,गुदा,लिंग) को कार्य करने में सहायता प्रदान करता है।मन ज्ञानेंद्रियों तथा कर्मेन्द्रियों को सहयोग करते समय उनके रूप का हो जाता है।मन की गति अति तीव्र है जिससे यह एक साथ एक ही समय में विभिन्न ज्ञानेन्द्रियों के साथ संयोग कर सकता है।मन के योग के बिना ज्ञानेन्द्रियाँ और कर्मेन्द्रयाँ अपना कार्य नहीं कर सकती है इसलिए इसे ज्ञानेन्द्रियों और कर्मेन्द्रियों का स्वामी कहा जाता है।
  • मन तथा इन्द्रियां विषयों में फंस जाती है तो मनुष्य के बंधन का कारण बन जाती है।यदि इंद्रियों और मन को विवेक द्वारा नियंत्रण में रखा जाए तो मन विषय – वासनाओं में नहीं फँसता है।

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4.मन को वश में करने के उपाय (Ways to Control the Mind):

  • मन को वश में करने के कई उपाय हैं।मन को योगसाधना द्वारा भी वश में किया जाता है।आजकल कोरोनावायरस के कारण फैली महामारी से लोगों में स्वास्थ्य के प्रति जागृति आई है।योगसाधना के लिए कुकुरमुत्तों की तरह केंद्र खोले जा रहे हैं।जो योग के बारे में क, ख, ग भी नहीं जानते हैं वे भी योग साधना केंद्र खोल कर बैठ गए हैं और धनार्जन करने में जुटे हुए हैं। यूट्यूब चैनल पर ढेरो ऐसे योग चैनल खोले जा रहे हैं।ये सभी योगसाधना तथा योगशिक्षा प्रदान करने का दावा करते हैं।योगसाधना मन को वश में किए बिना नहीं हो सकती है।मन को एकाग्र करने का आध्यात्मिक तरीका है रोजाना दैनिक नित्यक्रम से निवृत्त होकर प्रातः काल सुखासन में बैठकर भ्रूमध्य (आज्ञा चक्र) में अपने इष्ट देवता अथवा प्रकाशस्वरूप ॐ का ध्यान करना चाहिए।शुरू-शुरू में मन इधर उधर जाता है परंतु अभ्यास से धीरे-धीरे यह एकाग्र होने लगता है।
  • दूसरा तरीका श्रीमद्भगवत गीता में भगवान कृष्ण ने बताया है “असंशयं महाबाहो मनोदुर्निग्रहं चलम्।अभ्यासेन तु कौन्तेय च गृह्यते।।” (अध्याय-6) अर्थात् हे महाबाहो निःसन्देह मन चल और कठिनता से वश में होने वाला है परंतु हे अर्जुन अभ्यास अर्थात् मन को बार-बार एकाग्र करने और वैराग्य अर्थात् विषयों का भोग अनासक्तिपूर्वक करने से वश में होता है।
  • मन को वश में करने के कुछ व्यावहारिक तरीके हैं।पहला तरीका है गणित विषय अथवा अन्य विषय का अध्ययन डूबकर करें।अध्ययन करते समय मन इधर-उधर जाए तो मन को खींचकर वापस गणित के सवालों को हल करने में लगाएं अथवा अन्य किसी विषय को पढ़ने में लगाएं।धीरे-धीरे अभ्यास करने से एकाग्रता सधने लगती है और अध्ययन करने पर मन एकाग्र होने लगता है।
  • दूसरा तरीका है कि हमेशा अच्छे लोगों,अच्छी पुस्तकों,अच्छे मित्रों की संगति में रहना चाहिए।बुरे लोग संपर्क में आएं तो उनको कंपनी नहीं देनी चाहिए।धीरे-धीरे आपका संपर्क अच्छे लोगों से ही रहेगा और बुरे लोग,दुर्जन व्यक्ति से सम्पर्क हट जाएगा।इससे भी मन एकाग्र होता है।हमेशा मन जागरूक और गतिशील रहता है कि कहीं बुरे लोगों की संगति में मन न चला जाए।
  • तीसरा तरीका है कि मन को निष्क्रिय न रखें यानी कुछ न कुछ अच्छे कार्य में लगाए रखें।जैसे सत्साहित्य पढ़ना,योगासन प्राणायाम करना,किसी कला कौशल को सीखना,घर-परिवार के कार्यों को निपटाना इत्यादि में मन को व्यस्त रखना चाहिए। वस्तुतः मन की गति नीचे की ओर जल्दी से हो जाती है जिससे मनुष्य पतन के मार्ग की ओर अग्रसर हो जाता है।इसलिए मन को अच्छे कार्यों में लगाने से इसको बुरे कार्यों की तरफ जाने से रोका जा सकता है।यदि मन इधर-उधर जाए तो भी बुरे कार्यों को कम्पनी न दें।स्वाध्याय,सत्संग,सत्साहित्य इत्यादि से मन को वश में रखना चाहिए।
  • विद्यार्थी को ध्यान रखना चाहिए कि जब तक मन वश में नहीं होता है तब तक अध्ययन कार्य लाभकारी नहीं होता है।क्योंकि यह पुस्तकों से हटकर बार-बार इधर-उधर के फालतू कार्यों की ओर ले जाता है।इस प्रकार आधे-अधूरे मन से अध्ययन करना सतही और अधूरा बना रहता है।प्रतियोगिता परीक्षाओं में जो टाॅपर्स होते हैं वे किसी भी योगी से कम एकाग्रचित्त नहीं होते हैं।उनकी दिनचर्या का विश्लेषण करने पर उनकी योग साधना और एकाग्रचित्त,ध्यान को देखकर आश्चर्यचकित हुए बिना नहीं रहेंगे।
  • मन पर सतर्क,सावधान,सचेत होकर पैनी नजर रखना जरूरी होता है।क्योंकि थोड़ा सा मौका मिलते ही यह इधर-उधर भटक जाता है।विद्यार्थी को अपने लक्ष्य से भटका देता है।
  • मन को काम क्रोधादि विकारों से मुक्त करते रहने का प्रयास करना चाहिए।मन विकारग्रस्त होने पर जो कार्य नहीं करना चाहिए उसको करने की प्रेरणा देता है तथा जो कार्य करना चाहिए उसको नहीं करने की प्रेरणा देता है।जैसे विद्यार्थी के अध्ययन करने का समय होता है तो यह मौज मस्ती करने की प्रेरणा प्रदान करता है।परीक्षा के लिए कठिन परिश्रम करने का समय होता है तो यह परीक्षा में नकल करने व अनुचित तरीके अपनाने की प्रेरणा देता है।अच्छे कार्य करने के बजाय एय्याशी,सैर सपाटा,मौज मस्ती,मनोरंजन के नाम पर सिनेमा देखना,सोशल मीडिया पर अत्यधिक एक्टिव रहना,ड्रग्स का सेवन करना,लड़कियों से छेड़छाड़ करने के लिए प्रेरित करता है।
  • मनुस्मृति में कहा है कि “दृष्टि से शुद्ध करके पाँव रखना चाहिए,वस्त्र से शुद्ध करके पानी पीना चाहिए,सत्य से शुद्ध करके वचन बोलना चाहिए,मन को शुद्ध करके आचरण करना चाहिए।
  • योग साधना के नाम पर जो गोरखधंधा चलाते हैं तथा योग साधना में जो केवल व्यावसायिक दृष्टिकोण रखते हैं उनसे विद्यार्थियों को बचना चाहिए। वे योग साधना के नाम पर कुछ आसन कराते हैं,परंतु योग साधना केवल आसनों का अभ्यास कराना ही नहीं है।महर्षि पतंजलि के अनुसार योग के आठ अंग यम (अहिंसा,सत्य,अस्तेय,ब्रह्मचर्य,अपरिग्रह),नियम (शौच,सन्तोष,तप,स्वाध्याय,भगवत भक्ति),आसन,प्राणायाम,प्रत्याहार,ध्यान,धारणा,समाधि है।इन सबका पालन करना योग साधना है।
  • परंतु योग केंद्र के नाम पर कुछ ऐसे केंद्र योग-साधना का दावा तो करते हैं परंतु वास्तविकता कुछ ओर ही होती है।वे केवल धन कमाने के मकसद से लोगों की आंखों में धूल झोंक कर अपना धंधा चलाते हैं।भोली-भाली जनता और विद्यार्थी उनके बहकावे में आ जाते हैं और इस प्रकार उनका धंधा चलता रहता है।ऐसे योग केंद्रों से विद्यार्थियों को सावधान रहना चाहिए।
  • उपर्युक्त आर्टिकल में मन को नियंत्रित रखने की 3 टिप्स (3 Tips to Keep Your Mind Under Control),गणित का ज्ञान प्राप्त करने के लिए मन को नियन्त्रित रखने की 3 टिप्स (3 Tips to Control the Mind to Get knowledge of Mathematics) के बारे में बताया गया है।

5.गणित में पारंगत होने की टिप्स (हास्य-व्यंग्य) (Tips to Be Proficient in Mathematics) (Humour-Satire):

  • अध्यापक (कक्षा में):बच्चों बताओ कि गणित में पारंगत होने,प्रवीण होने और मास्टरी हासिल करने के लिए क्या करना चाहिए?
  • प्रवीण:सर (sir) गणित को घोट कर पी जाना चाहिए।

6.मन को नियंत्रित रखने की 3 टिप्स (3 Tips to Keep Your Mind Under Control),गणित का ज्ञान प्राप्त करने के लिए मन को नियन्त्रित रखने की 3 टिप्स (3 Tips to Control the Mind to Get knowledge of Mathematics) से संबंधित अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न:

प्रश्न:1.एकाग्रता से क्या तात्पर्य है? (What is Meant by Concentration):

उत्तर:एकाग्रता का अर्थ है कि मन का चलायमान न होना।मन का विभिन्न दिशाओं में प्रवाह के स्थान पर एक विचार पर केन्द्रित होना एकाग्रता है।चित्त (मन) को किसी एक विषय पर केंद्रित करने से मनोबल बढ़ता है,मन की शक्ति में वृद्धि होती है।अध्ययन कार्य एकाग्रता से ठीक प्रकार से किया जा सकता है।चिंतन ठीक प्रकार से किया जा सकता है।जब मन एकाग्र नहीं होता है तो मन की शक्ति अर्थात् मनोबल खंड-खंड हो जाता है जिससे अध्ययन कार्य को सफलतापूर्वक संपन्न नहीं कर सकते हैं।

प्रश्न:2.ध्यान से क्या तात्पर्य है? (What is Meant by Meditation?):

उत्तर:मन का निर्विषय अर्थात् अमनी (ध्यान) की स्थिति को प्राप्त होना, अध्ययन विषय का अखंड स्मरण को ध्यान कहते हैं।ध्यान की अवस्था में चेतना अपने विषय में पूर्ण स्थिर होती है।ध्यानं निर्विषयं मनः के अनुसार ध्यान का विषयरहित अर्थात् विचारहीन होना ध्यान कहलाता है।अध्ययन करने से मानसिक तौर पर जो थकान हो जाती है वह ध्यान से मिट जाती है तथा विद्यार्थी पुनः अध्ययन करने में सक्षम हो जाता है।विद्यार्थी लगातार अध्ययन करते हुए नहीं रह सकता है।ध्यान से पूर्ण विश्राम मिलता है तथा विद्यार्थी पुनः अपने कार्य करने के लिए ऊर्जावान हो जाता है।मन की चंचलता तथा भागदौड़ खत्म हो जाती है जिससे ऊर्जा का क्षय खत्म हो जाता है।

प्रश्न:3.पृथ्वी से भारी क्या है? आकाश से ऊंचा कौन है?वायु से अधिक शीघ्रगामी कौन है? सबसे अधिक कष्टदायी कौन है? (What is Heavier than Earth? Who is Higher than the Sky? Who is Faster than Air? Who is Most Annoying?):

उत्तर:माता पृथ्वी से भारी है,पिता आकाश से भी महान है,मन वायु से शीघ्रगामी है और चिंता मनुष्य के लिए सबसे अधिक कष्टदायक है।

  • उपर्युक्त प्रश्नों के उत्तर द्वारा मन को नियंत्रित रखने की 3 टिप्स (3 Tips to Keep Your Mind Under Control),गणित का ज्ञान प्राप्त करने के लिए मन को नियन्त्रित रखने की 3 टिप्स (3 Tips to Control the Mind to Get knowledge of Mathematics) के बारे में ओर अधिक जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।

3 Tips to Keep Your Mind Under Control

मन को नियंत्रित रखने की 3 टिप्स
(3 Tips to Keep Your Mind Under Control)

3 Tips to Keep Your Mind Under Control

मन को नियंत्रित रखने की 3 टिप्स (3 Tips to Keep Your Mind Under Control)
के आधार पर विद्यार्थी मन को एकाग्र कर सकेंगे। विद्यार्थी तथा
गणित के विद्यार्थी के सामने कई प्रकार के प्रश्न एवं मनोभाव उठते रहते हैं।
जैसे क्या पढ़े,क्या नहीं पढ़ना चाहिए,किस तरह पढ़ें,किस तरह नहीं पढ़े,
किसकी सहायता लें,किसकी सहायता न लें,किनसे दूर रहे,किनसे संपर्क में रहें इत्यादि।

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  1. Piyush September 27, 2022 / Reply

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