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How Do Student Stay Busy and Organized?

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1.छात्र-छात्राएं व्यस्त और व्यवस्थित कैसे रहे? (How Do Student Stay Busy and Organized?),गणित के छात्र-छात्राएं व्यस्त और व्यवस्थित कैसे रहें? (How Do Mathematics Students Stay Busy and Organized?):

  • छात्र-छात्राएं व्यस्त और व्यवस्थित कैसे रहे? (How Do Student Stay Busy and Organized?) परंतु व्यस्त और व्यवस्थित कैसे रहें से पहले प्रश्न यह उठता है कि व्यस्त और व्यवस्थित क्यों रहे? अक्सर कई छात्र-छात्राओं और लोगों को यह कहते हुए सुना होगा कि वे बहुत ही ज्यादा व्यस्त हैं।अध्ययन के लिए अथवा दिनचर्या के लिए,योगासन-प्राणायाम व ध्यान करने के लिए उनके पास समय ही नहीं है।अपने आपको व्यस्त बताने से हम हमारी अहमियत दर्शाते हैं जिससे सामने वाले को प्रभावित और आकर्षित किया जा सके।कई छात्र-छात्राएं और लोग इसीलिए ऐसा कहते हैं कि उनकी लाइफ बहुत फास्ट और बिजी (Busy) हो गई है यहां तक कि उन्हें मरने तक की फुर्सत नहीं है।दिनभर भागदौड़ जारी रहती है जैसे थोड़ी देर में यह संसार बिल्कुल खाली हो जाएगा।उनसे पूछा जाए कि तुम आए कहां से थे और जाना कहां है तो इसका सही और माकूल जवाब नहीं मिलेगा।व्यस्त रहने का अर्थ यह नहीं है कि हमारे जीवन का कोई लक्ष्य ही नहीं हो।
  • हमारा जीवन व्यस्त होने के साथ सुव्यवस्थित,सुनियोजित हो तो जीवन में एक अनुशासन कायम होता है।छात्र-छात्राओं के जीवन में एक अनुशासन कायम हो जाता है तो अध्ययन को सही तरीके से,निर्विघ्न और व्यवस्थित तरीके से संपन्न कर सकते हैं।अन्यथा जब विद्यार्थी में अनुशासन नहीं होगा तो सारे काम करने,अध्ययन करने में अव्यवस्था,बेढब,बेढंगे तरीके से किया जाएगा जिससे अध्ययन कार्य और अन्य कार्य करना निष्फल हो जाएगा।
  • विद्यार्थी काल में विद्यार्थी हर कार्य में सामंजस्य,तालमेल और सहयोग से करना सीख जाएंगे तो न केवल उनके जीवन में एक सिस्टम कायम हो जाएगा बल्कि वे हर कार्य को व्यवस्थित और बेहतरीन तरीके से करने में सक्षम हो सकेंगे।अपने व्यक्तित्त्व को संतुलित करना हो,अपने लक्ष्य को सिद्ध करना हो,चिंताओं से मुक्त होना हो और जीवन का कोई भी कार्य सुख-शांतिपूर्वक करना हो तो व्यस्त के साथ-साथ अपने आपको व्यवस्थित करना भी सीखना होगा।
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2.अस्त-व्यस्तता और अव्यवस्थित होने का कारण (Causes of Helter-Skelter and Disorganization):

  • पाश्चात्य देशों के अंधानुकरण तथा आधुनिक युग में धर्म से अधिक धन को महत्ता देने के कारण कई छात्र-छात्राओं और लोगों की कार्यप्रणाली और दिनचर्या अस्त-व्यस्त और अव्यवस्थित हो गई है।उसमें विज्ञान की सफलता,उपलब्धियां तथा नए-नए आविष्कारों और तकनीक ने आग में घी का काम कर दिया है।इस कारण आजकल के छात्र-छात्राएं सुविधा-भोगी और उपभोक्ता हो गए हैं।सब कुछ बिना परिश्रम किए क्षणिक तथा तात्कालिक रूप से हासिल करना चाहते हैं।
  • जब ऐसे छात्र-छात्राएं इच्छित सुख-सुविधाएँ,भोग-विलास की वस्तुएं,जाॅब प्राप्त न होने की चिंता,भविष्य की चिन्ता,परीक्षा अथवा किसी प्रवेश परीक्षा में सफलता प्राप्त न होने,परीक्षा में अच्छे अंक अर्जित न कर पाने के कारण चिंता होने लगती है।और यह चिंता उनके जीवन को अस्त-व्यस्त और अव्यवस्थित कर देती है।इस प्रकार वे दिन-रात चिंता करने लगते हैं स्थिति इतनी विकट हो जाती है कि न उनको दिन में चैन मिलता है और न रात में नींद आती है।
  • चिंता ही नहीं बल्कि किसी भी मानसिक विकार की चपेट में आ जाने के बाद छात्र-छात्राओं और व्यक्तियों को अंदर ही अंदर से खोखला कर देती है।चिंता से किसी समस्या,परेशानी का समाधान तो होता नहीं है बल्कि यह घुन की तरह अंदर से लगातार हमारी आंतरिक उर्जा को समाप्त कर देती है और हमें कमजोर,निकम्मा बना देती है।चिंता के कारण हमारे अंदर नकारात्मकता आ जाती है।चिंता का कारण चाहे वास्तविक हो अथवा अवास्तविक हो परंतु यह हमारी मानसिक ऊर्जा का क्षरण करती रहती है।कभी-कभी छात्र-छात्राएं अथवा व्यक्ति चिंता के कारण बिल्कुल कमजोर हो जाते हैं।
  • एक बार चिंता के चंगुल में फंसने के बाद हम चाहकर भी इससे मुक्त नहीं हो पाते हैं बल्कि इसके कारण छोटी सी समस्या भी बहुत बड़ी दिखाई देने लगती है।चिंता के कारण छात्र-छात्राएं जो भी कार्य करते हैं उसमें उन्हें पहले ही आशंका हो जाती है कि उसमें असफलता मिलेगी और सचमुच उसमें असफलता ही मिलती है।क्योंकि चिंता के कारण वह किसी कार्य को पूर्ण एकाग्रता और एकीकृत ऊर्जा (Integrated Energy) के साथ संपन्न नहीं करता है फलतः उसे असफलता मिलती है।इस प्रकार छात्र-छात्राएं नकारात्मक सोच व नकारात्मक परिणामों की संभावना से हमेशा चिंतित,व्यथित और परेशान रहता है।
    छात्र-छात्राओं को चिंता तभी होती है जब वे खाली बैठे रहते हैं,उनके पास करने के लिए कोई महत्त्वपूर्ण कार्य नहीं होता है अथवा अध्ययन जैसे महत्त्वपूर्ण कार्य को नहीं करते हैं।ऐसे खाली समय में वे अपनी परेशानियों,कठिनाइयों,तकलीफों के बारे में सोच-सोचकर चिंता करने लगते हैं।
  • विद्यार्थी जब हर बात की चिंता,हर काम की चिंता,अध्ययन न कर पाने की चिन्ता,कोई सवाल,समस्या अथवा प्रश्नावली हल न कर पाने की चिंता,सुबह जल्दी न उठ पाने की चिंता,गहरी नींद से न सो पाने की चिंता,परीक्षा में असफलता की चिंता,जाॅब न मिल पाने की चिंता,भविष्य सुरक्षित न होने की चिंता इस प्रकार हर वक्त उन्हें चिंता सताने लगती है तो अस्त-व्यस्त और अव्यवस्थित हो जाते हैं।

3.व्यस्त और व्यवस्थित कैसे रहें? (How to Stay Busy and Organized?):

  • व्यस्तता का अर्थ है कि अध्ययन अथवा अन्य कार्यों को बेहतरीन तरीके से करना,बिखरे और बेढब तरीके से न करना।ऐसा तभी हो सकता है कि कोई छात्र-छात्रा अथवा व्यक्ति बाह्य रूप से व्यस्त दिखाई देता हो परंतु आंतरिक रूप से बँटा हुआ,बिखरा हुआ हो।व्यवस्था से तात्पर्य सामंजस्य,तालमेल और संतुलित रूप से करना।इस प्रकार व्यस्तता के साथ ही व्यवस्थित भी हो तो छात्र-छात्राओं के कार्य बाह्य और आंतरिक रूप से बेहतरीन तरीके से होते हैं अथवा संपन्न किए जाते हैं।
    विद्यार्थी जब अध्ययन कार्य को नियत समय पर करता है,समय पर उठता है तथा समय पर सोता है,समय पर अपने अध्ययन कार्य तथा अन्य कार्यो का निपटाता है,समय पर विद्यालय जाता है यदि जॉब करता है तो समय पर कार्य स्थल पर पहुंचता है,हर कार्य को बेहतरीन तरीके से करने की कोशिश करता है अथवा बेहतरीन तरीके से निपटाता है,अपने हर कार्य में शत-प्रतिशत योगदान देता है,किसी भी कार्य को छोटा नहीं समझता है,हर कार्य को पूर्ण निष्ठा के साथ करता है,किसी कार्य में लापरवाही नहीं करता है तभी समझा जाना चाहिए कि वह व्यस्त के साथ-साथ व्यवस्थित भी है।
  • विद्यार्थियों को अध्ययन अथवा जाॅब में सृजनात्मक क्षमता का विकास करना चाहिए।इससे विद्यार्थी के अंदर बैठा हुआ इंसान प्रगट हो सके और उसकी नैसर्गिक क्षमता का सदुपयोग हो सके।नैसर्गिक क्षमता को अभिव्यक्त करने के लिए अपने विचारों और कल्पनाओं को नियंत्रित करके उनको सही दिशा में लगाना और उनका उपयोग करना सीखें।
  • विद्यार्थियों को अपना अध्ययन कार्य अथवा अन्य कार्य करते समय अपने आपमें अंतर्द्वंद पैदा नहीं होने देना चाहिए।इसके लिए उन्हें अपने अंदर आंतरिक सामंजस्य एवं समरसता पैदा करनी चाहिए ताकि मानसिक एवं भावनात्मक ऊर्जा का सही नियोजन किया जा सके।ऐसा होने पर ही क्षमता का सदुपयोग संभव है और यही व्यवस्था है।जब विद्यार्थी अपने जीवन को व्यवस्थित कर लेता है तो विचार,कल्पना और भावनाओं में सामंजस्य पैदा हो जाता है।
  • विद्यार्थी केवल व्यस्त रहना ही न सीखे बल्कि व्यवस्थित होना भी सीखे।कई बार केवल व्यस्तता के चलते विद्यार्थियों में तनाव,कुंठा,अवसाद और द्वंद पैदा हो जाते हैं जिनसे मुक्त होने के लिए मादक पदार्थों,नशीली दवाओं,ड्रग्स इत्यादि का सेवन करने लगते हैं।ऐसी व्यस्तता किस काम की जिससे उसका जीवन अव्यवस्थित हो जाए।
  • व्यस्तता के द्वारा जो कार्य संपन्न किए जाते हैं उससे विख्यात तो हुआ जा सकता है परंतु व्यक्तित्त्व संतुलित व व्यवस्थित न हो तो इस प्रकार शिखर पर पहुंचने पर जल्दी ही उनका पतन भी हो जाता है।वस्तुतः व्यस्तता से जो प्रसिद्धि व सफलता मिलती है वह बाहरी है और इससे आंतरिक जीवन में समरसता और सामंजस्य का बोध पैदा नहीं होता है तो वे अनेक मानसिक विकारों से ग्रस्त हो जाते हैं अथवा मनोरोगी हो जाते हैं।
  • छात्र-छात्राओं को व्यस्त एवं सुव्यवस्थित रहने के लिए उनके सामने आने वाली परेशानियों का समाधान करने के बारे में चिंता न करके चिंतन करना चाहिए,विवेकपूर्वक समस्याओं का समाधान खोजा जाना चाहिए और सोचे गए,विचार किए गए,चिंतन किए गए तथा समाधान खोजे गए विचारों को कार्यान्वित करना चाहिए।
  • यदि किसी कार्य,समस्या अथवा जटिल सवाल का समाधान नहीं हो पाता है तो उनकी चिंता नहीं करनी चाहिए।क्योंकि इस संसार में कई कार्य ऐसे हैं जिन्हें छात्र-छात्राएं अथवा व्यक्ति नहीं कर सकता है।परंतु जो कार्य वे कर सकते हैं उन्हें पूर्ण एकाग्रता और तन्मयता के साथ संपन्न करना चाहिए।व्यस्त रहने का तात्पर्य यह नहीं है कि उन्हें शारीरिक और मानसिक थकान को दूर करने के लिए विश्राम नहीं करना चाहिए।परिश्रम के साथ यथोचित विश्राम की आवश्यकता है।
  • जो छात्र-छात्राएं व्यस्त के साथ-साथ व्यवस्थित भी रहते हैं वे न केवल स्वयं आन्तरिक रूप से सन्तुष्ट और आनन्दमय रहते हैं बल्कि उनके संपर्क में आने वाले भी उनसे मिलकर अथवा उनकी कार्यप्रणाली को देखकर,शिखर पर उनके पहुँचने और सफलता को देखकर आनंदित हो जाते हैं।

4.व्यस्त और व्यवस्थित होने का दृष्टान्त (The Parable of Being Busy and Organized):

  • एक विद्यार्थी को अध्ययन करते समय कई असफलताओं से गुजरना पड़ा।उसने जेईई-मेन (JEE-Main) परीक्षा के लिए कठिन परिश्रम किया था।जेईई-मेन के लिए कोचिंग भी की थी इसके बावजूद उसको जेईई-मेन में सफलता नहीं मिली।उसके माता-पिता को लगा कि उसका पुत्र इस विपत्ति को सह नहीं पाएगा।इसलिए उन्होंने सुझाव दिया कि वह गेट परीक्षा की तैयारी करे।गेट परीक्षा के लिए उसने कड़ी मेहनत की तथा कोई कसर बाकी नहीं छोड़ी।परन्तु फिर उसे असफलता मिली और उसे यह दूसरा मानसिक आघात लगा।इसे वह सहन नही कर सका।उसका खाना-पीना,सोना और आराम करना हराम हो गया।इसके बाद वह गुमसुम और सुस्त रहने लगा और अंदर से वह बुरी तरह से टूट गया।
  • उसके पिता ने डॉक्टर को दिखाया।परंतु उन दवाइयों से कोई राहत नहीं मिली।तब उन्होंने एक मनोचिकित्सक से सलाह ली।मनोचिकित्सक ने सुझाव दिया कि इसे प्राकृतिक स्थलों की यात्रा पर ले जाओ।उसे कई प्राकृतिक स्थलों पर ले जाया गया परन्तु उसकी मानसिक स्थिति में कोई सुधार नही हुआ।उसके माता-पिता ने उसमें कोई सुधार न होते देखकर उस विद्यार्थी को घर लेकर आ गए।
  • उस विद्यार्थी के एक छोटी बहिन थी।एक दिन वह उदास और खिन्न होकर बैठा हुआ था,तभी उसकी छोटी बहन आई और बोली।भैया मुझसे एक प्रश्नावली के कुछ सवाल हल नहीं हो रहे हैं,प्लीज आप उनको हल कर दो वरना गणित अध्यापक से मुझे डाँट खानी पड़ेगी।उस विद्यार्थी की मानसिक स्थिति ऐसी नहीं थी कि वह सवाल हल करता।परन्तु छोटी बहन की पिटाई होने के डर और उसकी स्नेहयुक्त वाणी के कारण वह गणित की उस प्रश्नावली के सवालों को हल करने लगा।
  • गणित के सवाल कुछ ज्यादा ही पेचीदा थे इसलिए वह उन्हें पूर्ण एकाग्रता के साथ हल करने लगा।एक-एक करके वह सवाल हल करता गया।उन सभी सवालों को हल करने में उसे पूरे तीन घंटे लगे परंतु सवाल हल हो जाने के कारण उसे बहुत मानसिक शांति और राहत महसूस हुई जिसका अनुभव उसने पिछले कई महीनों से नहीं किया था।इस प्रकार की मानसिक शांति कई महीनों बाद पहली बार उसने महसूस की।
  • उस विद्यार्थी को तभी यह बात ठीक से समझ में आई कि जिस काम को करने में जुझारूपन और विचार-चिंतन की आवश्यकता हो,उस कार्य को करने से मानसिक शांति मिलती है और उस समय वह चिंता,तनाव इत्यादि से मुक्त रहता है।जब उसने इस बात को समझ लिया कि सवालों को हल करने और अध्ययन करने की व्यस्तता और व्यवस्थित अध्ययन ने उसकी मानसिक चिन्ता को उखाड़ फेंका है।तब उसने आजीवन स्वयं को व्यस्त और व्यवस्थित रखने का निश्चय किया।
  • उपर्युक्त आर्टिकल में छात्र-छात्राएं व्यस्त और व्यवस्थित कैसे रहे? (How Do Student Stay Busy and Organized?),गणित के छात्र-छात्राएं व्यस्त और व्यवस्थित कैसे रहें? (How Do Mathematics Students Stay Busy and Organized?) के बारे में बताया गया है।

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5.छात्र द्वारा छात्रा की प्रशंसा (हास्य-व्यंग्य) (Student Praise by Male Student) (Humour-Satire):

  • एक छात्र ने छात्रा से कहा:नाईस क्वेश्चन,नाईस क्वेश्चन सोल्यूशन,नाईस क्वेश्चन सोल्यूशन स्टाईल।
  • छात्रा:थैंक्यू भैया।
  • छात्र:लेकिन फिर भी गणित में होशियार नहीं लग रही हो।

6.छात्र-छात्राएं व्यस्त और व्यवस्थित कैसे रहे? (Frequently Asked Questions Related to How Do Student Stay Busy and Organized?),गणित के छात्र-छात्राएं व्यस्त और व्यवस्थित कैसे रहें? (How Do Mathematics Students Stay Busy and Organized?) से संबंधित अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न:

प्रश्न:1.चिंता मुक्त कैसे रह सकते हैं? (How Can We Stay Worry-Free?):

उत्तर:अध्ययन कार्य,जॉब अथवा अन्य कार्य में अपने आपको तल्लीन कर देना और अपने कर्त्तव्यों को,जिम्मेदारियों को पूरी निष्ठा से पूरा करने वाले छात्र-छात्राओं तथा व्यक्ति के पास चिंता करने के लिए समय ही नहीं बचता है।अपने कार्य में व्यस्त रहने वाले को चिंता करने का समय ही नहीं मिलता है।

प्रश्न:2.मंदबुद्धि के छात्र-छात्राएं व्यस्त कैसे रह सकते हैं? (How Can Dullard Students Stay Busy?):

उत्तर:जब बच्चे का मानसिक विकास बहुत कम हुआ होता है तो उन्हें मंदबुद्धि अथवा अल्प बुद्धि वाले बालक की श्रेणी में रखा जाता है ऐसे बालकों को मनोचिकित्सक,मनोवैज्ञानिकों इत्यादि की सलाह लेनी चाहिए तथा यह निश्चित हो जाए कि ऐसे बालक उच्च शिक्षा अर्जित नहीं कर सकते हैं तो उन्हें किसी छोटे-मोटे उद्योग,कुटीर उद्योग का काम सिखाना चाहिए क्योंकि ऐसे बालकों को स्कूल में भेजना समय नष्ट करना है।इस प्रकार कोई भी छोटा-मोटा कार्य सिखाने में लगाकर मन्द बुद्धि वाले छात्र-छात्राओं को व्यस्त रखा जा सकता है।

प्रश्न:3.मानसिक द्वन्द से कैसे बचें? (How to Avoid Mental Conflict?):

उत्तर:व्यस्त व्यक्ति भी अंतर्द्वन्द्व से ग्रस्त हो सकता है क्योंकि व्यस्त छात्र-छात्राएं अथवा व्यक्ति अपने बाहरी क्रियाकलाप अध्ययन,खेलकूद,नित्य कर्मों को करने के द्वारा क्रियाशील रह सकता है परंतु मानसिक और भावनात्मक द्वन्द्व से घिरा हो सकता है।यह द्वन्द्व हमारी ऊर्जा को नष्ट करता है और हमारी क्षमताएं दम तोड़ने लगती है जिससे प्रगति के अनेक अवसरों से वंचित हो जाते हैं।द्वन्द से उबरने का उपाय है अपने अन्दर सामंजस्य एवं समरसता पैदा करना तथा आंतरिक शक्तियों का बिखराव रोका जाए।
How Do Student Stay Busy and Organized?

  • उपर्युक्त प्रश्नों के उत्तर द्वारा छात्र-छात्राएं व्यस्त और व्यवस्थित कैसे रहे? (How Do Student Stay Busy and Organized?),गणित के छात्र-छात्राएं व्यस्त और व्यवस्थित कैसे रहें? (How Do Mathematics Students Stay Busy and Organized?) के बारे में ओर अधिक जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।अक्सर कई छात्र-छात्राओं और लोगों को यह कहते हुए सुना होगा कि वे बहुत ही ज्यादा व्यस्त हैं।अध्ययन के लिए अथवा दिनचर्या के लिए,योगासन-प्राणायाम व ध्यान करने के लिए उनके पास समय ही नहीं है।
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