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4 Tips to Avoid Fear for Math Students

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1.गणित के छात्र-छात्राओं के लिए भय से मुक्त होने की 4 टिप्स (4 Tips to Avoid Fear for Math Students),छात्र-छात्राओं के लिए भय से बचने की 4 टिप्स (4 Tips to Get Rid of Fear for Mathematics Students):

  • गणित के छात्र-छात्राओं के लिए भय से मुक्त होने की 4 टिप्स (4 Tips to Avoid Fear for Math Students) के आधार पर भयमुक्त हुआ जा सकता है।कभी-कभी छात्र-छात्राओं को परीक्षा के कारण,गणित के सवालों को हल करने या अन्य किसी कारण से भय लगने लगता है।भय के शिकार दुर्बल मानसिकता वाले छात्र-छात्राओं या व्यक्ति होते हैं और भय के कारण वे नकारात्मक चिंतन करने लगते हैं।नकारात्मक चिंतन से तात्पर्य है जैसे छात्र-छात्राओं का परीक्षा में असफल होने का भय,परीक्षा में कम अंक प्राप्त होने का भय,गणित के कठिन सवालों को हल न कर पाने का भय,गणित में कम अंक आने का भय,पढ़ा हुआ याद न होने का भय,अध्यापक द्वारा पाठ पढ़ाने पर समझ में न आने का भय,अध्यापक द्वारा डांटने-फटकारने का भय,माता-पिता द्वारा पिटाई करने का भय,जाॅब प्राप्त न कर पाने का भय इत्यादि से है।
  • भय के कारण छात्र-छात्राएं अपने अध्ययन में आने वाली परेशानियों तथा जीवन में आने वाली परेशानियों के सकारात्मक पक्ष को नहीं देखता है या नहीं देख सकता है।भय अनजानी चीजों से भी हो सकता है जिसका हमने कभी सामना नहीं किया हो और भय उन चीजों से भी हो सकता है जिससे हम परिचित हों।भय के कारण हमारी उन्नति,प्रगति और विकास का मार्ग अवरुद्ध हो जाता है।
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2.भय के कारण हमारे ऊपर उसका प्रभाव (Its Effect on Us Due to Fear):

  • (1.)भय के कारण छात्र-छात्राएं जीवन में उत्थान,प्रगति और उन्नति नहीं कर पाते हैं।
  • (2.)भय के कारण हमारे मन में कई प्रकार की कुशंकाएं जन्म लेती हैं जिससे हम हमारे आगे बढ़ते हुए कदमों को पीछे खींच लेते हैं क्योंकि हमें भय रहता है कि हम असफल हो जाएंगे या किसी कार्य को ठीक से नहीं कर पाएंगे।
  • (3.)भय हमारी आगे बढ़ने की गति को धीमा कर देता है क्योंकि हमें ऐसा महसूस होता है कि कहीं हमसे गलत न हो जाए।
  • (4.)भय के कारण हमारा मस्तिष्क बोझिल हो जाता है क्योंकि हमें ऐसा लगता है कि कहीं परिणाम आशा के विपरीत आया तो क्या होगा?
  • (5.)अत्यधिक डर के कारण शरीर की कार्यशक्ति घट जाती है अथवा बिल्कुल ही कार्य नहीं कर पाते है।अर्थात् भय के कारण शरीर और मन दोनों ही निस्तेज हो जाते हैं या कमजोर पड़ जाते हैं।
  • (6.)भय के कारण चिंतन-मनन करने की क्षमता खो देते हैं क्योंकि मन और शरीर पर भय का कब्जा हो जाता है।
  • (7.)डर के कारण हम बिल्कुल निर्बल और कमजोर हो जाते हैं तथा अध्ययन अथवा किसी भी कार्य को करने में सक्षम नहीं हो पाते हैं।
  • (8.)भय की भावना के कारण हम कोई भी कौशल (Skill) नहीं सीखते हैं,कुछ भी करने से कतराते हैं।जीवन में किसी कार्य में भय की भावना सफल नहीं होने देती है।
  • (8.)भय के कारण हम सही-गलत का निर्णय करने मे अक्षम हो जाते हैं।
  • (10.)भय,भय के विषय को आकर्षित करता है।भय से अन्य बुराईयां हमारे अंदर आ जाती है।जैसे लोभ,मोह इत्यादि।वस्तुतः भय से रहित वैराग्य है अर्थात् बुराइयों से विरक्ति हो।भर्तृहरि नीतिशतक में भय के बारे में कहा गया हैः
  • “भोगे रोगभयं वित्ते नृपालाद् भयं
    माने दैन्यभयं बले रिपुभयं रूपे जराया भयम्।
    शास्त्रे वादभयं गुणे खलभयं काये कृतान्ताद् भयं
    सर्ववस्तु भयावहं भुवि नृणां वैराग्यमेवाभयम्।।
  • अर्थात् भोगों में रोग का भय है,ऊँचे कुल में पतन का भय है,धन में राजा का,मान में दीनता का,बल में शत्रु का तथा रूप में वृद्धावस्था का भय है और शास्त्र में वाद-विवाद का,गुण में दुष्ट जनों का तथा शरीर में काल का भय है।इस प्रकार संसार में मनुष्यों के लिए सभी वस्तुएं भयपूर्ण हैं,भय से रहित तो कैवल वैराग्य ही है।

3.भय के कारण क्या हैं? (What are the Causes of Fear?):

  • (1.)डर काल्पनिक होता है जो हमारी अज्ञानता से उत्पन्न होता है।अज्ञानता से उत्पन्न यह भय हमें अंदर से खोखला कर देता है।छात्र-छात्राएं अध्ययन से सम्बन्धित सभी बातों को नहीं जानते हैं और यह जानकारी का अभाव ही उनमें अनजाने भय को जन्म देता है।
  • (2.)कुछ छात्र-छात्राओं में अपनी सुरक्षा को लेकर चिंता होती है और यह असुरक्षा की भावना उनके अंदर (मन में) भय को उत्पन्न कर देती है।
  • (3.)छात्र-छात्राओं को अपने आप पर अविश्वास की भावना से चिन्ता उत्पन्न होती है और चिंता से भय उत्पन्न होता है।यह अविश्वास अपने अध्ययन की तैयारी पर हो सकता है,परीक्षा प्रश्न-पत्र को ठीक करने पर हो सकता है,अपने भविष्य को लेकर हो सकता है अथवा अन्य किसी कारण से।
  • (4.)कुछ छात्र-छात्राएं मिलनसार नहीं होते हैं।वे एकाकी रहना पसंद करते हैं और इस अकेलेपन के कारण उनमें चिंता,भय,तनाव,अवसाद इत्यादि मनोविकृतियाँ पैदा हो जाती हैं।
  • (5.)छात्र-छात्राएं जो सफलताएं,सम्मान,पदक (Reward) तथा जीवन में जो कुछ प्राप्त करते हैं उन्हें खोने का डर सताता रहता है।उदाहरणार्थ यह आवश्यक नहीं है कि कक्षा 10 में 95% अंक प्राप्त हुए हैं तो 12वीं कक्षा में अथवा आगे की कक्षाओं में भी 95% या अधिक अंक प्राप्त होते रहेंगे।वे उसे यथावत् बनाए रखना चाहते हैं किन्तु उन्हें याद रखना चाहिए कि किसी भी कार्य में सफलता अनेक कारकों (Factors) के कारण प्राप्त होती है।हमेशा ऐसा होता रहना संभव नहीं है।संसार में हर चीज परिवर्तनशील है।परंतु कुछ छात्र-छात्राएं स्वार्थ,मोह और अज्ञान के कारण इन सबसे चिपके रहते हैं और यह मोह ही उनके भय का कारण है।
  • (6.)छात्र-छात्राओं में नकारात्मक सोच भी उन्हें भयभीत कर देती है।उनके मन में हमेशा एक अनजाना भय बना रहता है और वे अकारण ही डरते रहते हैं।ऐसे छात्र-छात्राएं चाहकर भी अपने आपको भयमुक्त नहीं कर पाते हैं।क्योंकि वे यह समझ ही नहीं पाते हैं कि भय का मूल कारण क्या है और भय का मूल कारण जान भी जाएं तो उन्हें यह पता नहीं रहता है कि इस भय से कैसे मुक्त हो सकते हैं? ऐसे छात्र-छात्राएं प्रायः परिस्थितियों से भागने लगते हैं,पलायन करने लगते हैं।फलतः वे भयमुक्त नहीं हो पाते हैं।
  • जैसे किसी छात्र को ज्यामिति की प्रमेय हल करने और समझने में कठिनाई महसूस होती है तो वे उसे छोड़कर दूसरी प्रश्नावली त्रिकोणमिति को हल करने लगते हैं।त्रिकोणमिति में कठिनाई महसूस होती है तो उसे छोड़कर अन्य प्रश्नावली की ओर पलायन कर जाते हैं।इस प्रकार परिस्थितियों,कठिनाइयों से तो वे भाग सकते हैं परंतु भय तो उनके मन में बसा है और मन से कहाँ तक भाग सकते हैं? मन तो उनके अन्दर रहने वाला है।
  • (7.)छात्र-छात्राओं को परीक्षा में,प्रवेश परीक्षा में,जाॅब में अथवा अन्य किसी कार्य में असफलता मिलने का भय रहता है।वे असफलता के डर से निराश होने लगते हैं और उन्हें किसी भी कार्य में सफलता मिलने के प्रति संदेह रहता है।
  • (8.)भय के अन्य कारण।छात्र-छात्राओं के भय के अन्य कारण हैं जैसे मृत्यु का भय,अच्छा जाॅब न मिलने का भय,अपमानित होने का भय,किसी दुर्जन छात्र-छात्रा से लड़ाई-झगड़ा होने का भय,अस्वस्थ होने का भय इत्यादि।

4.भय से मुक्त होने के उपाय (Ways to Get Rid of Fear):

  • (1.)भय को दूर करने का पहला उपाय है कि छात्र-छात्राओं को ज्ञानार्जन करना चाहिए।अज्ञान अंधकार की तरह है तो ज्ञान प्रकाश की तरह है।जैसे प्रकाश के रहते ही अंधकार गायब हो जाता है उसी प्रकार ज्ञान के प्रकाश से अज्ञान दूर हो जाता है।उदाहरणार्थ आपको गणित विषय का ज्ञान नहीं है तो गणित का ज्ञान प्राप्त करना,गणित का अभ्यास करना,गणित के सवालों और समस्याओं की पुनरावृत्ति करना इत्यादि से गणित के अज्ञान को दूर किया जा सकता है।ज्यों-ज्यों गणित का ज्ञान प्राप्त करते जाते हैं भयमुक्त होते जाते हैं।इसी प्रकार किसी भी विषय के अज्ञान के भय का उसका ज्ञान प्राप्त करके दूर कर सकते हैं।
  • (2.)सुरक्षा के भय को दूर करने के लिए योगासन-प्राणायाम तथा व्यायाम करना चाहिए।अपनी सुरक्षा के लिए स्वयं को ही तैयार करना चाहिए।दूसरों की सहायता-सहयोग एक सीमा तक ही मिल सकती है।परन्तु चौबीस घण्टे आपके साथ दूसरा व्यक्ति नहीं रह सकता है।इसलिए खुद की सुरक्षा के इंतजार खुद को ही करना होगा।
  • (3.)छात्र-छात्राओं को अपने आप पर विश्वास करना होगा,अपनी शक्तियों पर विश्वास करना होगा,अपनी अध्ययन करने की तैयारी पर विश्वास करना होगा।आत्म-विश्वास से हमारी शक्तियाँ एकत्रित हो जाती है और असम्भव लगने वाले कार्य को भी सम्भव कर पाते हैं।जबकि अपने आप पर अविश्वास से हमारी शक्तियां बिखर जाती है,खंड-खंड हो जाती है जिससे साधारण से लगने वाले कार्य में भी असफलता मिल जाती है।
  • यदि महान गणितज्ञों,महान व्यक्तित्त्व के जीवनचरित का अध्ययन किया जाए तो मालूम होगा कि उन्होंने अपने जीवन में सदैव सही दृष्टिकोण,आत्मविश्वास और भगवद् विश्वास जैसे गुणों को अपने जीवन में अपनाया तथा इसी कारण वे अपने क्षेत्र में ऊंचाइयों को प्राप्त करने में सक्षम हो सके थे।
  • (4.)कुछ छात्र-छात्राएं अहंकारवश अपने सामने किसी को कुछ नहीं समझते हैं।वे यह मानते बैठते हैं कि उन्हें सब कुछ मालूम है और उन्हें जो मालूम है वही सही है।इस अहंकार और घमंड के कारण अन्य छात्र-छात्राएं उनसे दूरी बना लेते हैं,उनसे संपर्क नहीं रखते हैं।फलतः वे अकेले रह जाते हैं।अतः ऐसे छात्र-छात्राओं को अहंकाररहित होने का प्रयास करना चाहिए।अहंकाररहित होना ही चिंता,भय,तनाव,अवसाद से मुक्ति का तरीका है।
  • (5.)छात्र-छात्राओं को कोई भी सफलता,सम्मान अथवा पदक प्राप्त हो जाए तो अत्यधिक प्रसन्न नहीं होना चाहिए और प्राप्त न हो तो दुखी नहीं होना चाहिए।सांसारिक सफलता और असफलता को तटस्थ और साक्षी भाव से देखना चाहिए।हालांकि साक्षी भाव की स्थिति प्राप्त करना है तो कठिन लेकिन अनासक्त कर्मयोग की रीति-नीति को धीरे-धीरे प्राप्त करने पर बहुत हद तक साक्षी भाव को उपलब्ध हुआ जा सकता है।निर्लिप्त और अनासक्तिपूर्वक किसी भी चीज को प्राप्त करने पर लोभ,मोह इत्यादि से मुक्त हो सकते हैं।लोभ,मोह जहाँ नहीं होगा वहां भय भी नहीं होगा।
  • (6.)भय विकट परिस्थितियों के प्रति सावधान करने के लिए आता है।विकट परिस्थितियों में नकारात्मक सोच न रखकर सकारात्मक सोच रखनी चाहिए।सकारात्मक सोच से विकट से विकट परिस्थितियों का सामना किया जा सकता है।सकारात्मक सोच का अर्थ है साहसी होना।हम साहस से ही कठिनाइयों,बाधाओं का सामना कर सकते हैं।विद्यार्थी साहसपूर्वक अध्ययन में आने वाली परेशानियों का सामना करता है तो धीरे-धीरे हल होती जाती है।सकारात्मक दृष्टिकोण,भगवद् विश्वास और सद्बुद्धि को धारण करके भयों से मुक्त हो सकते हैं।
  • (7.)यदि बड़ी से बड़ी असफलता के समय भी हम अपने कर्त्तव्य (अध्ययन कार्य) को करते हैं,परिणाम चाहे जो भी हो।साहस व हिम्मत के साथ अपने कदम आगे बढ़ाते जाते हैं तो भय पर विजय प्राप्त कर सकते हैं।असफलता तो सफलता के बीच एक पड़ाव है उसे घबराना नहीं चाहिए।
  • (8.)भय हर किसी के जीवन में आता है।ऐसा भी नहीं है कि भय हमारे जीवन से एकदम से गायब हो जाएगा।परंतु भय का सामना करने का साहस है तो वह ज्यादा देर तक टिक नहीं पाएगा।हमारे सामने परिस्थितियां और चुनौतियां अपने साथ डर को लेकर आती है।परंतु ये विकट परिस्थितियां ही हमारे व्यक्तित्त्व का निर्माण करती है यदि हम उनका डटकर मुकाबला करते हैं और उनका समाधान करते हैं।चुनौतियों और परिस्थितियों का सामना न करने पर वे विकराल रूप धारण कर लेती हैं।लेकिन साहस और आत्मविश्वास के आगे बड़ी से बड़ी चुनौतियां घुटने टेक देती है।

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5.भयभीत होने का दृष्टान्त (A Parable of Being Frightened):

  • हर विद्यार्थी का सामना भय से जरूर होता है।भय एक ऐसी मनोवृत्ति है जिससे अच्छे-अच्छों के पसीने छूट जाते हैं।परीक्षा के समय तो हर छात्र-छात्रा भयग्रस्त रहता है।परीक्षा के नाम से ही विद्यार्थी अधमरे हो जाते हैं।विद्यार्थी को भयभीत नहीं निर्भय रहना चाहिए।भय एक मानसिक विकृति है जो विद्यार्थी को अन्दर से तोड़ देती है।जिन विद्यार्थियों में जोश,उत्साह तथा साहस हो वही वाकई में युवा है क्योंकि युवा ही निर्भय होता है।जो भयग्रस्त है,उत्साहहीन,अधमरा है वह उम्र में कितना ही छोटा हो परंतु है वह बूढ़ा ही।
  • एक बार कोचिंग का व्यवसाय करने वाले लोगों ने यह अफवाह फैला दी कि इस बार गणित का प्रश्न-पत्र बहुत कठिन आएगा।एक गणितज्ञ ने इस अफवाह को सुना तो तत्काल पहचान गया।उसने कोचिंग का गोरखधंधा करने वालों से पूछा कि तुमने यह अफवाह क्यों फैलायी है।तब कोचिंग के शिक्षकों व संचालकों ने कहा कि ताकि कुछ छात्र-छात्राएं अनुत्तीर्ण होने पर कोचिंग में आ सके।क्योंकि कोचिंग का व्यवसाय तो इन अनुत्तीर्ण छात्र-छात्राओं के आधार पर ही ठीक से चलता है।गणितज्ञ उनका जवाब सुनकर अपने घर आ गए।
  • परीक्षा समाप्त हुई और जब उसका परिणाम सामने आया तो गणितज्ञ भौचक्क रह गए।उन्होंने कोचिंग के शिक्षकों और संचालकों से मिलकर कहा कि तुम तो एकदम झूठे और मक्कार निकले।तुमने तो कहा था कि इस अफवाह से कुछ ही छात्र-छात्राएं अनुत्तीर्ण होंगे परन्तु आधे छात्र-छात्राएं अनुत्तीर्ण हो गए।तब कोचिंग के शिक्षकों तथा संचालकों ने कहा कि श्रीमन ऐसा मत कहो।हमने तो अफवाह इतनी ही फैलायी थी कि जिससे कुछ छात्र-छात्राएं ही अनुत्तीर्ण हो जाएं।परन्तु बाकी छात्र-छात्राएं तो भयभीत होने के कारण ही अनुत्तीर्ण हो गए।हमने उन्हें अनुत्तीर्ण नहीं कराया।
  • भयभीत छात्र-छात्राएं तो जो कुछ याद होता है उसे भी भूल जाते हैं और असफल हो जाते हैं,इसमें हमारा कोई कसूर नहीं है।हमारे द्वारा अफवाह फैलाने का मकसद यह है कि हमारी साख बन जाती है।छात्र छात्राएं जो अनुत्तीर्ण होते हैं वे यह सोच सके कि कोचिंग वालों ने पहले ही बता दिया था।इसलिए स्वाभाविक रूप से जो छात्र-छात्राएं तैयारी नहीं करते हैं और अनुत्तीर्ण हो जाते हैं उनको कोचिंग करने के लिए आकर्षित किया जा सके।
  • उपर्युक्त आर्टिकल में गणित के छात्र-छात्राओं के लिए भय से मुक्त होने की 4 टिप्स (4 Tips to Avoid Fear for Math Students),छात्र-छात्राओं के लिए भय से बचने की 4 टिप्स (4 Tips to Get Rid of Fear for Mathematics Students) के बारे में बताया गया है।

6.गणित का आलसी छात्र (हास्य-व्यंग्य) (Lazy Mathematics Student) (Humour-Satire):

  • एक आलसी गणित का छात्र कक्षा में आगे की पंक्ति में बैठा हुआ था।
  • आलसी छात्र (गणित शिक्षक से):मेरा ये सवाल हल कर दो।
  • गणित शिक्षक:लेकिन यदि तुम्हें सवाल समझना है तो खड़ा होना पड़ेगा और ध्यान से देखना होगा।
  • आलसी छात्र:आप तो नोटबुक में सवाल का हल उतार दो।समझ तो मैं लूँगा।

7.गणित के छात्र-छात्राओं के लिए भय से मुक्त होने की 4 टिप्स (Frequently Asked Questions Related to 4 Tips to Avoid Fear for Math Students),छात्र-छात्राओं के लिए भय से बचने की 4 टिप्स (4 Tips to Get Rid of Fear for Mathematics Students) से संबंधित अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न:

प्रश्न:1.क्या सामान्य छात्र-छात्राएं गणित में विशिष्ट सफलता प्राप्त कर सकते हैं? (Can Ordinary Students Achieve Specific Success in Life?):

उत्तर:इस दुनिया में बहुत से ऐसे उदाहरण देखने को मिलेंगे जिनका छात्र जीवन बहुत सामान्य रहा,बहुत ही असफलताएं,दुख,कष्ट उनके जीवन में रहे लेकिन फिर भी जीवन में उन्होंने ऐसे कार्य कर दिखाए जिनके कारण लोग आज उनको याद करते हैं।वे जीवन में मिलने वाली असफलताओं से नहीं घबराए बल्कि अपने लक्ष्य को प्राप्त करने में जुटे रहे।
यह जरूरी नहीं है कि सफलता को परीक्षा के प्राप्त होने वाले अंकों अथवा बहुत अच्छे शिक्षण संस्थान में प्रवेश मिलने के आधार पर आंका जाए।अध्यवसाय,तीव्र उत्कंठा,लगन,आत्मविश्वास और रुचि के आधार पर अपने क्षेत्र में जुटे रहने वाले अंततः सफलता प्राप्त कर लेते हैं।जब छात्र छात्राएं मन को एकाग्र करके अध्ययन कार्य करते हैं तो वे ऐसी खोज कर लेते हैं जिसकी कल्पना लोग नहीं कर पाते हैं।छात्र-छात्राओं को धैर्य पूर्वक अपने कार्य में जुटे रहना चाहिए।

प्रश्न:2.मृत्यु के भय से कैसे बचा जा सकता है? (How to Avoid the Fear of Death?):

उत्तर:हर व्यक्ति को यह सोचना चाहिए कि मृत्यु तो अटल सत्य है।जिसने जन्म लिया है उसकी मृत्यु निश्चित है।वैसे भी मृत्यु तो शरीर की होती है,आत्मा तो अमर है।शरीर परिवर्तन से न घबराकर हमेशा शुभ कर्म करने की तरफ ध्यान देना चाहिए।जीवन में अच्छे से अच्छा कार्य करते रहना चाहिए और इसकी चिंता नहीं करें कि हमारा आगे क्या होगा?हमारे साथ जो कुछ भी घटित होता है हमारे भले के लिए ही होता है,यह विश्वास रखना चाहिए।यह विश्वास ही मृत्यु तथा अन्य भयों से मुक्त कर देगा।

प्रश्न:3.क्या सफल व्यक्ति भयभीत नहीं होते हैं? (Aren’t Successful People Afraid?):

उत्तर:सफल व्यक्तियों को भी कदम-कदम पर भय का सामना करना पड़ता है परन्तु आत्मविश्वास और साहस के बल पर वे भय का डटकर मुकाबला करते हैं और विजय प्राप्त करते हैं।महान विचारक रिशर के अनुसार मूर्ख मनुष्य भय से पहले ही डर जाता है,कायर भय के समय ही डरता है और साहसी भय के बाद डरता है।

  • उपर्युक्त प्रश्नों के उत्तर द्वारा गणित के छात्र-छात्राओं के लिए भय से मुक्त होने की 4 टिप्स (4 Tips to Avoid Fear for Math Students),छात्र-छात्राओं के लिए भय से बचने की 4 टिप्स (4 Tips to Get Rid of Fear for Mathematics Students) के बारे में ओर अधिक जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।

4 Tips to Avoid Fear for Math Students

गणित के छात्र-छात्राओं के लिए भय से मुक्त होने की 4 टिप्स
(4 Tips to Avoid Fear for Math Students)

4 Tips to Avoid Fear for Math Students

गणित के छात्र-छात्राओं के लिए भय से मुक्त होने की 4 टिप्स (4 Tips to Avoid Fear for Math Students)
के आधार पर भयमुक्त हुआ जा सकता है।कभी-कभी छात्र-छात्राओं को परीक्षा के
कारण,गणित के सवालों को हल करने या अन्य किसी कारण से भय लगने लगता है।

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