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3 Best Tips for Students to Study

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1.छात्र-छात्राओं के लिए अध्ययन करने की बेहतरीन 3 टिप्स (3 Best Tips for Students to Study),गणित के छात्र-छात्राओं के लिए अध्ययन करने की बेहतरीन 3 टिप्स (3 Best Tips to Study for Mathematics Students):

  • छात्र-छात्राओं के लिए अध्ययन करने की बेहतरीन 3 टिप्स (3 Best Tips for Students to Study) के आधार पर वे जान सकेंगे कि अध्ययन बोझिल,ऊबाऊ न लगकर सरस व रुचिकर लगे।इन टिप्स को अपनाकर छात्र-छात्राएं अपने अध्ययन को प्रभावशाली बना सकते हैं।अध्ययन करने के लिए बहुत अधिक पढ़ने तथा बहुत अधिक समय तक पढ़ने की आवश्यकता नहीं है बल्कि आवश्यक है कि समझकर पढ़ने और विधि पूर्वक पढ़ने की।इसके लिए पढ़ने के बीच-बीच में दिमाग को तरोताजा करने के लिए मनोरंजन करना भी आवश्यक है।कई माता-पिता,अभिभावक यह समझते हैं कि छात्र-छात्रा जो समय खेलने में लगाता है उस समय को पढ़ने में लगाए तो अधिक अंक अर्जित कर सकता है परंतु यह बात पूर्णतया सत्य नहीं है।क्योंकि लगातार एक ही कार्य करते रहने से वह कार्य नीरस लगने लगता है और इसके बावजूद यदि अध्ययन कार्य को लगातार जारी रखा जाए तो मस्तिष्क उस अध्ययन को ठीक तरह से ग्रहण नहीं कर सकेगा।
  • किसी भी मुख्य विषय को पढ़ते-पढ़ते बीच में बदलाव के लिए मनोरंजन करना चाहिए अथवा कोई अन्य विषय को देखना चाहिए।थोड़ी देर आंख बंद करके निर्विचार रहने का अभ्यास भी किया जा सकता है।इस प्रकार से अध्ययन करने पर मस्तिष्क फिर से तरोताजा हो जाता है और अध्ययन में सरसता आ जाती है।मस्तिष्क द्वारा अध्ययन करने की ग्रहण क्षमता बढ़ जाती है।
  • परंतु इसका अर्थ यह नहीं है कि हम जितना अधिक मनोरंजन करेंगे अथवा मुख्य विषय को छोड़कर बार-बार दूसरा विषय पढ़ेंगे या थोड़ी सी झपकी बार-बार लेंगे तो मस्तिष्क अधिक ग्रहणशील हो जाएगा।मस्तिष्क को आराम तथा मनोरंजन की आवश्यकता शाम के समय होती है।सुबह के समय मनोरंजन और आराम करने की आवश्यकता नहीं है।सुबह के समय तो रातभर नींद लेने से मस्तिष्क वैसे ही चुस्त और तरोताजा रहता है।परंतु दिनभर अध्ययन कार्य करने के कारण मानसिक थकान हो जाती है।इसलिए शाम के समय मनोरंजन की आवश्यकता होती है।एक विद्यार्थी के लिए प्रतिदिन एक-डेढ़ घण्टे का मनोरंजन पर्याप्त है।
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2.सार्थक अध्ययन के लिए मन को नियन्त्रित रखें (Keep the Mind in Check for Meaningful Study):

  • गणित तथा अन्य विषयों को पढ़ना तभी सार्थक होगा जब हम मन को अध्ययन पर केन्द्रित करेंगे।अतः मन के भटकाव को रोकने के लिए मन को नियंत्रित करने के उपाय करने होंगे।अध्ययन के लिए ही नहीं,जाॅब तथा अन्य किसी भी कार्य को करने के लिए अपने मन पर नियंत्रण रखना आवश्यक है।जब भी आप अध्ययन अथवा अन्य कोई कार्य कर रहे हों तो संबंधित कार्य के अलावा अन्य कार्यों की तरफ मन दौड़ लगाए तो मन को कंपनी (company) देना बंद कर दे तथा मन को उसी कार्य में लगायें जो कार्य आप वर्तमान में कर रहे हैं।जैसे आप अध्ययन करने का कार्य कर रहे हैं तथा मन खेलने,मौज-मस्ती अथवा अन्य कार्यों का चिंतन करने लगे तो मन को अन्य कार्यों की बातें सोचने में अपना साथ न दें तथा मन को अध्ययन में लगाएं।बार-बार अभ्यास करने पर अध्ययन में मन लगने लगेगा।
  • मन जिस किसी भी कार्य को करता है तब जल्दी ही वह ऊबकर हमें अन्य कार्य करने के लिए प्रेरित करता है।जब हम दूसरा कार्य करने लगते हैं तो वह तीसरे कार्य को करने के लिए उकसाता है।इस प्रकार मन एकाग्र नहीं हो पाता है।साथ ही हमारी क्षमताओं और समय को भी नष्ट करता रहता है।
  • मन को साधने और नियंत्रित करने के कई उपाय हैं।प्रातःकाल रोजाना ध्यान व योग करें तो धीरे-धीरे मन एकाग्र होने लगता है।दूसरा उपाय यह है कि मन को विवेक के द्वारा नियंत्रित रखें।विवेक हमें भले-बुरे तथा सही-गलत की पहचान कराता है।मन के नियन्त्रण में न रहकर मन को हम नियन्त्रित करें अर्थात् मन के गुलाम न रहकर मन के मालिक बनें।मन के मालिक बनने के लिए मन के विरुद्ध खड़ा रहना होगा।इसके लिए हमें उसी काम को करना होगा जिस काम को करने के लिए हमारा मन नहीं कर रहा है अथवा फिर उस काम को मत कीजिए जिस काम को करने के लिए हमारा मन कर रहा हो।इसे ही कहते हैं अपने मन के विरोध में खड़ा होना।जब हम ऐसे करने लगेंगे तो धीरे-धीरे मन हमारे अनुसार काम करने लगेगा।
  • मन को काबू में करने का अन्य उपाय यह है कि अध्ययन करने के लिए पूर्ण लगन,उत्साह व रुचि तथा तल्लीनता के साथ करें।मन उचट कर अन्य तरफ जाए तो मन को कम्पनी देना बन्द कर दें तथा मन को बार-बार अध्ययन पर लाने की कोशिश करें।बार-बार अभ्यास करने से मन अध्ययन पर केंद्रित होने लगेगा।
  • सजग तथा सचेत रहकर भी मन को काबू में किया जा सकता है।सजग तथा सचेत रहकर हम मन को बार-बार खींचकर अध्ययन कार्य पर केंद्रित करते हैं।सजग तथा सचेत रहने पर हमें यह स्मरण रहता है कि इस समय हम अध्ययन कार्य कर रहे हैं इसलिए मन को यहीं पर रखें।मन तो जिद्दी है परंतु इतना जिद्दी भी नहीं है कि हम उसको वश में नहीं कर सकते हों।प्रारंभ में मन को नियंत्रित करना कठिन अवश्य है किन्तु प्रयास करने से यह हमारी आज्ञा के अनुसार चलने लगेगा और हम जो चाहते हैं वही कार्य करने लगता है।मन को नियंत्रित करने पर एकाग्रता और ध्यान की स्थिति सधने लगती है।
  • अध्ययन करने अर्थात् सार्थक अध्ययन करने में सबसे अधिक महत्त्वपूर्ण भूमिका होती है मन की।मन को एकाग्र करने पर ही रुचि,लगन,जिज्ञासा इत्यादि अध्ययन में अपनी भूमिका निभा सकते हैं।इसलिए सर्वप्रथम मन को एकाग्र करने का अभ्यास करना चाहिए।

3.सार्थक अध्ययन करने के लिए अन्य उपाय (Other Measures to Make Meaningful Studies):

  • अध्ययन में रुचि (Interest in Study):अध्ययन करने के लिए हमारी रुचि का भी प्रभाव पड़ता है।जिस विषय को हम रुचिपूर्वक पढ़ते हैं धीरे-धीरे उस विषय पर मजबूत पकड़ हो जाती है।कई विद्यार्थी यह सोचते हैं कि हमारी रुचि सरल विषयों को पढ़ने में करती है परन्तु कठिन विषयों को पढ़ने में रुचि नहीं होती है।दरअसल कोई भी विषय कठिन और सरल नहीं होता है बल्कि जिस विषय को हम रुचिपूर्वक पढ़ते हैं वह विषय सरल लगने लगता है तथा जिस विषय में हमारी रुचि नहीं होती है वह विषय कठिन लगने लगता है।मस्तिष्क की ग्रहण क्षमता तब अधिक होती है जब विषय को हम रुचिपूर्वक पढ़ते हैं।
  • अब समस्या यह है कि जो विषय हमें कठिन लगते हैं या जिनको पढ़ने में हमारी रुचि नहीं है उन्हें भी पढ़ना तो जरूरी है।क्योंकि किसी एक विषय को ही पढ़कर हम पूर्णता को प्राप्त नहीं कर सकते हैं।जैसे आप 12वीं कक्षा में पढ़ते हैं तो आप गणित,हिन्दी,विज्ञान,अंग्रेजी इत्यादि विषयों को पढ़ने पर सफल हो सकते हैं और आगे की कक्षाओं में प्रवेश ले सकते हैं।
  • इसका उपाय यह है कि जो विषय आपको कठिन लगे उससे घबराएं नहीं।यहाँ हमें मन के विरुद्ध खड़ा होने की ताकत पैदा करनी होगी।प्रारंभ में तो कठिनाई होगी किंतु प्रयास तथा लगन से किसी भी विषय को रुचिकर बनाया जा सकता है।
  • दरअसल किसी विद्यार्थी को गणित विषय कठिन लगता है तो दूसरे विषय सरल लगते हैं।किसी विद्यार्थी को गणित विषय सरल लगता है तो अन्य विषय कठिन लगते हैं।इसका कारण यही है कि जिस विषय का रुचिपूर्वक अध्ययन करते हैं तथा बार-बार अभ्यास करते हैं तो वह विषय सरल लगने लगता है।जिस विषय को रुचिपूर्वक अध्ययन नहीं करते हैं तथा बार-बार अभ्यास नहीं करते हैं तो वही विषय हमें कठिन लगता है।
  • अध्ययन में जिज्ञासा (Curiosity in Study):अध्ययन करने में अगला कारक है जिज्ञासा का होना।यदि हमारे अन्दर जिज्ञासा वृत्ति होती है तो उस विषय का ज्ञान अधिक से अधिक ग्रहण करना चाहते हैं।जिज्ञासा ज्ञान की जननी है।जिज्ञासु मन की प्रवृत्ति होती है कि वह अधिक से अधिक जानने की कोशिश करता है।मन में किसी भी विषय को जानने की जिज्ञासा जितनी अधिक होगी उस विषय का ज्ञान ग्रहण करने की गति भी उतनी ही तेज हो जाएगी।
  • जिज्ञासा को जगाने के लिए मन में क्या,क्यों,कैसे के प्रश्न करने चाहिए और उनके उत्तर ढूंढने का प्रयास करना चाहिए।जब हम ऐसा करेंगे तो पढ़ी हुई बातें हमारे मस्तिष्क में गहराई से अंकित होती जाएगी।जो बातें मस्तिष्क में जितनी गहराई से बैठेंगी वे उतने लंबे समय तक याद रहेंगी।
  • अध्ययन करने के लिए अपने आप पर विश्वास (Believe in Yourself to Study):अध्ययन करने के लिए अपने आप पर विश्वास रखें।अपने आप पर विश्वास एक प्रकार की शक्ति है,ऊर्जा है।जब हमें अपने आप पर विश्वास होता है कि अमुक विषय का अध्ययन कर सकते हैं तब हम जो कुछ देखते हैं,सुनते हैं या पढ़ते हैं तो उस पर पकड़ मजबूत हो जाती है और उस विषय को आसानी से सीख सकते हैं।
  • इसके विपरीत यदि हमें किसी विषय का अध्ययन करने से डर लगता है,हम किसी विषय को पढ़ने पर भूल जाने की आशंका से ग्रस्त रहते हैं,स्वयं को अध्ययन करने के लिए असमर्थ समझते हैं तब अध्ययन कार्य हमें जटिल लगने लगता है।हम समझने लगते हैं कि अध्ययन करना हमारे वश की बात नहीं है।इसलिए विद्यार्थियों को अपने आप पर विश्वास रखना चाहिए कि अध्ययन कार्य को मैं अवश्य कर सकता हूं।आत्मविश्वास को बढ़ाने का तरीका यह है कि किसी भी विषय के सरल-सरल टाॅपिक को पढ़ना चाहिए फिर जटिल और कठिन टाॅपिक को पढ़ना चाहिए।हमेशा सकारात्मक सोच रखें और अपनी सफलताओं के बारे में चिंतन-मनन करें।
  • यह चिंतन करें कि जब पूर्व की कक्षाओं में अध्ययन करके सफल रहा हूं तो वर्तमान कक्षा के विषयों को पढ़कर सफल हो सकता हूं।जैसे पूर्व की कक्षाओं में शुरू में पढ़ने पर कठिनाई महसूस होती थी परंतु धीरे-धीरे अभ्यास से विषय सरल हो गए और मैं उसमें सफल रहा हूं।
  • अध्ययन के लिए आशावादी सोच (Optimistic Thinking for Study):अध्ययन के लिए आशावादी दृष्टिकोण रखें।आशावादी दृष्टिकोण में सकारात्मक सोच एक महत्त्वपूर्ण हिस्सा है।आशावादी दृष्टिकोण रखते हुए जब हम अध्ययन करते हैं तो हमारे शरीर की समस्त ऊर्जा अर्थात् बोध एकाग्रचित्त होकर अध्ययन करने में लग जाती है।ऐसी स्थिति में अध्ययन का विषय कितना ही जटिल हो वह सरल लगने लगता है।आशा हमारे हृदय का ऐसा भाव है जो मन को अध्ययन के लिए अधिक सक्रिय और जागरूक कर देता है।जब मन सक्रिय,एकाग्र होकर अध्ययन करने लगता है तो उसकी कार्यक्षमता और ग्रहणशीलता बढ़ जाती है।
  • आशावादी दृष्टिकोण को हमारी नकारात्मक सोच व चिंता नष्ट कर देती है।अध्ययन के प्रति हमारी रही-सही रुचि व जिज्ञासा को नकारात्मक सोच व चिंता खत्म कर देती है।नकारात्मक सोच व चिन्ता हमें अन्दर से तोड़ देती है।हमारी ऊर्जा व बोध को खण्ड-खण्ड कर देती है।जबकि आशावादी सोच व सकारात्मक चिन्तन हमारी शक्ति को एकजुट कर देता है।आशावादी दृष्टिकोण रखते हुए जब हम किसी विषय को सुनते हैं,देखते हैं और अध्ययन करते हैं तो उसकी अधिक से अधिक विषयवस्तु को अपने अंदर ग्रहण कर लेता है।

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4.अध्ययन करने का दृष्टांत (Parable of Studying):

  • वाकई में अध्ययन करने के लिए छात्र-छात्राओं को अपने अन्दर अनेक गुणों को धारण करना होता है।केवल पढ़ने और अध्ययन करने से ज्ञान की पूर्णता नहीं आती है।ऊपर आर्टिकल में बताएं गए गुणों के अतिरिक्त भी अनेक गुणों को धारण करना होता है तभी ज्ञान में पूर्णता आती है।
  • एक माँ अपनी पुत्री को घर पर स्वयं पढ़ाती थी।गणित में वह बहुत मेधावी थी।माँ जब पुत्री को गणित पढ़ाती तो उसकी प्रतिभा को देखकर आश्चर्यचकित हो जाती थी।उसने सोचा कि पुत्री को गणित पर इतनी जबरदस्त पकड़ कैसे हो गई?
  • एक दिन पुत्री निश्चित समय पर माँ के पास पढ़ने नहीं आई तो उसको चिन्ता हुई।वह उसके अध्ययन कक्ष में गई।देखा तो पुस्तकें एक तरफ रखी हुई है और पुत्री ध्याववस्था में बैठी हुई है।मन को एकाग्र करने के लिए वह इतनी तल्लीन थी कि उसे पता ही नहीं चला कि मां पास आकर खड़ी हो गई है।
  • वह दत्तचित्त होकर होकर गणित के सवालों को हल किए जा रही थी।तब माँ ने समझा कि मन की एकाग्रता और तन्मयता से गणित को करने से ही यह जटिल से जटिल सवालों को हल कर देती है।
  • माँ ने पुत्री को आवाज देकर उसका ध्यान भंग किया।पुत्री ने माँ को प्रणाम किया।मां ने पुत्री से पूछा कि मैंने तुम्हें मन को एकाग्र करना तो सीखाया ही नहीं था फिर तुमने यह कैसे सीखा?
  • पुत्री ने जवाब दिया कि माँ आपने एक बार मुझे उपदेश दिया था कि गणित के सवालों को हल करने के लिए मन को एकाग्र करना आवश्यक है परन्तु मन एकाग्र तभी होता है जब मन को निर्विकार रखा जाए।मन में
  • चिन्ता,डर,तनाव,तृष्णा,लोभ,लालच,काम क्रोध,ईर्ष्या इत्यादि का कूड़ा-करकट भरा होता है तो मन को एकाग्र नहीं किया जा सकता है।
  • मैंने मन को निर्विकार करने के लिए कई पुस्तकों का अध्ययन किया और उसकी विधि जानी।आपकी बताई हुई सीख और पुस्तकों के द्वारा जब मेरा मन निर्विकार हो गया तब मैंने ध्यान करना सीखा।धीरे-धीरे अभ्यास और वैराग्य (बुरी आदतों,विकारों से मुक्ति) से मन की एकाग्रता सधने लगी।मैंने देखा कि मन की ज्यों-ज्यों एकाग्रता सधती गई त्यों-त्यों गणित के जटिल से जटिल सवालों को हल करने में सक्षम होती गई।
  • आपके आशीर्वाद,मन को शुद्ध करने,लगन,जिज्ञासा,अभ्यास और वैराग्य इत्यादि से मुझे अध्ययन पर पकड़ मजबूत हुई है।आप केवल माँ ही नहीं है बल्कि मेरी सच्ची गुरु भी आप ही है।इतना कहकर वह मां के चरणों में झुक गई।माँ ने आशीर्वाद दिया तुम्हारा यश चारों ओर फैले तुम इसी तरह तरक्की,विकास और प्रगति करती रहो।
  • उपर्युक्त आर्टिकल में छात्र-छात्राओं के लिए अध्ययन करने की बेहतरीन 3 टिप्स (3 Best Tips for Students to Study),गणित के छात्र-छात्राओं के लिए अध्ययन करने की बेहतरीन 3 टिप्स (3 Best Tips to Study for Mathematics Students) के बारे में बताया गया है।

5.गणित और दिन में तारे (हास्य-व्यंग्य) (Mathematics and Stars in the Day) (Humour-Satire):

  • एक मित्र (दूसरे मित्र से):बताओ दिन में तारे कब नजर आते हैं।
  • दूसरा मित्र (पहले मित्र से):जब गणित अध्यापक कोई सवाल पूछते हैं तथा गणित के सवाल का हल न बताने पर गाल पर तमाचे पड़ते हैं तो दिन में तारे नजर आने लगते हैं।

6.छात्र-छात्राओं के लिए अध्ययन करने की बेहतरीन 3 टिप्स (Frequently Asked Questions Related to 3 Best Tips for Students to Study),गणित के छात्र-छात्राओं के लिए अध्ययन करने की बेहतरीन 3 टिप्स (3 Best Tips to Study for Mathematics Students) से संबंधित अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न:

प्रश्न:1.अध्ययन करने के लिए क्या ध्यान रखना चाहिए? (What Should be Taken Care of While Studying?):

उत्तरःअध्ययन करने से पूर्व यह जानना चाहिए कि हम क्या पढ़े और क्यों पढ़ना चाहते हैं? क्योंकि हमारी शक्ति अधिकतर अनावश्यक कार्य में नष्ट होती रहती है।समय भी गुजर जाता है और सार्थक अध्ययन भी नहीं हो पाता।हमारा उद्देश्य स्पष्ट होने से हम अनावश्यक अध्ययन सामग्री को पढ़ने से बच जाते हैं जिससे हमारे समय और श्रम की बचत होती है।इस प्रकार हम अपना अधिकतर समय सार्थक अध्ययन करने में लगा सकते हैं।जैसे आपको मेकेनिकल इंजीनियरिंग करनी है तो इलेक्ट्रिशियन की पुस्तकें पढ़ने का कोई औचित्य नहीं है।जब तक हम मन को एकाग्र करके अपने निश्चित लक्ष्य के लिए निरंतर प्रयास नहीं करते हैं तब तक मनचाही सफलता नहीं प्राप्त कर सकते हैं।

प्रश्न:2.अध्ययन कैसे वातावरण में करें? (How to Study in an Environment?):

उत्तर:अध्ययन के लिए ऐसे वातावरण व स्थान का चयन करना चाहिए जहां शोरगुल न हो तथा वातावरण स्वच्छ और शांत हो।ऐसे स्थान पर मन स्वतः एकाग्र हो जाता है।अस्त-व्यस्तता व अशांत वातावरण में अध्ययन प्रभावी ढंग से नहीं किया जा सकता है।यदि किसी तरह प्रयास भी किया जाए तो ऐसे स्थान पर मन जल्दी ऊबने लगता है।

प्रश्न:3.अध्ययन को रुचिकर कैसे बनाएं? (How to Make the Study Interesting?):

उत्तरःअभ्यास ही वह माध्यम है जिससे अध्ययन को सरल व रुचिकर बनाया जा सकता है।प्रारंभ में कोई भी विषय कठिन व ऊबाऊ लगता है किंतु दृढ़तापूर्वक कुछ समय के अभ्यास से वह सहज व रुचिकर हो जाता है।उदाहरण के लिए प्रारम्भ में गिनती,पहाड़े सीखना बहुत कठिन लगते थे परंतु आज हमें ऐसा लगता है कि यह तो बहुत सरल कार्य था,हम व्यर्थ में इन्हें कठिन समझ कर परेशान रहते थे।हमें ऐसा इसलिए लगता है क्योंकि आज हम इस कार्य के लिए पूर्णतः अभ्यस्त हो चुके हैं।

  • उपर्युक्त प्रश्नों के उत्तर द्वारा छात्र-छात्राओं के लिए अध्ययन करने की बेहतरीन 3 टिप्स (3 Best Tips for Students to Study),गणित के छात्र-छात्राओं के लिए अध्ययन करने की बेहतरीन 3 टिप्स (3 Best Tips to Study for Mathematics Students) के बारे में ओर अधिक जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।

3 Best Tips for Students to Study

छात्र-छात्राओं के लिए अध्ययन करने की बेहतरीन 3 टिप्स
(3 Best Tips for Students to Study)

3 Best Tips for Students to Study

छात्र-छात्राओं के लिए अध्ययन करने की बेहतरीन 3 टिप्स (3 Best Tips for Students to Study)
के आधार पर वे जान सकेंगे कि अध्ययन बोझिल,ऊबाऊ न लगकर सरस व रुचिकर लगे।

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