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How to Get Rid of Habits of Stealing?

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1.चोरी करने की आदत कैसे छुड़ाएँ? (How to Get Rid of Habits of Stealing?),बच्चों को चोरी करने की प्रवृत्ति से कैसे बचाएं? (How to Protect Children From Tendency to Steal?):

  • चोरी करने की आदत कैसे छुड़ाएँ? (How to Get Rid of Habits of Stealing?) निम्नस्तरीय कार्य से तात्पर्य है परीक्षा में नकल करना,परीक्षा में अनुचित साधनों का प्रयोग करना,परीक्षक को डराना धमकाना,गुंडागर्दी करना,लड़ाई-झगड़ा करना,चोरी करना,झूठ बोलना,शैतानी करना,शराब व मादक द्रव्यों का सेवन करना,अय्याशी करना आदि।
  • बालक शुरू-शुरू में छोटी-छोटी शैतानियां करना प्रारंभ करता है तो माता-पिता अत्यधिक लाड़-प्यार के कारण कुछ नहीं कहते हैं बल्कि कई माता-पिता तो प्रोत्साहित करते हैं।इन छोटी-छोटी शैतानियों और उद्दण्डता के कारण ही बच्चे बिगड़ते जाते हैं और आगे जाकर शातिर चोर,बदमाश,अय्याश किस्म के बन जाते हैं।एक बार अपराध जगत की ओर उनके कदम बढ़ जाते हैं तो वापिस रास्ते पर लाना बहुत मुश्किल कार्य है।
  • जब बच्चे की इच्छा पूरी नहीं होती है,तब वह चोरी की ओर प्रवृत्त होते हैं और यह चोरी उन्हें एक दिन अपराध की तरफ ले जाकर अपराधी बना देती है।बच्चे अपना भविष्य सँवारने के बजाय बिगाड़ लेते हैं।जैसे-जैसे बच्चा बड़ा होता है,उसकी इच्छाएं भी बढ़ती है।हर नई चीज को जानने की उत्सुकता भी बनी रहती है।वह हर चीज को उसकी जरूरत के अनुसार पाना चाहता है।अगर वह उसे नहीं मिलती तो,उसके मन में चुराने की इच्छा उत्पन्न होती है।
  • अगर बच्चे ने उस चीज को चुरा लिया और माता-पिता या किसी को इस बात का पता चले,तो बच्चे को रोकें।उसके द्वारा चुराया गया सामान वापस करा दें,जहां से उसने चुराया हो।इससे बच्चा पुन: चोरी नहीं करेगा।यदि चोरी करने पर घर के सदस्य बच्चों को कुछ नहीं कहते हैं तो इससे बच्चे को प्रोत्साहन मिलता है और वह चोरी करता रहता है।उनकी यह आदत उसे निरंतर अन्धकार के गर्त में धकेलती जाएगी।
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2.बच्चे अपराधी कैसे बनते हैं? (How Do children Become Criminals?):

  • बच्चा जैसे-जैसे बड़ा होगा उसे तरह-तरह की चीजों की जानकारी भी होगी और वह उसे लेने की जिद भी करेगा।हर जिद तो उसकी पूरी नहीं की जा सकती,लेकिन बच्चों का ध्यान दूसरी तरफ खींचा जा सकता है।स्वाभाविक-सी बात है कि जब बच्चा किसी चीज को मांगने की जिद कर रहा हो,अगर माता-पिता को दिलाने की सामर्थ्य नहीं है या फिर वह चीज बच्चों के काबिल नहीं है,तो बच्चों को समझा सकते हैं।कभी-कभी माता-पिता बच्चों को डांट देते हैं,जिसके कारण बच्चों के मन में उस सामान को पाने की तीव्र लालसा बनी रहती है।जब उसको उस सामान को खरीदने के लिए रुपए नहीं मिल पाते हैं,तो वह चोरी का रास्ता अपनाता है।पकड़े जाने पर वह बहुत अपमानित होता है,जिसके कारण वह मन-ही-मन विद्रोही प्रवृत्ति का होता जाता है।वह चोरी करना बंद नहीं करता है,बल्कि वह ओर करता है।उसको पता है की चोरी करेंगे तो डांट ही तो पड़ेगी या मार ही तो पड़ेगी।इसके अलावा एक बार चोरी का दाग लग गया तो फिर कभी हटेगा नहीं।
  • अकसर बच्चे मारपीट में बड़ी-बड़ी घटनाएं कर डालते हैं।अगर उनको किसी ने एक थप्पड़ मारा तो वह उसको थप्पड़ मारेंगे या कभी-कभी चार लड़कों के साथ उस बच्चे की अच्छी तरह से पिटाई करवा देंगे।इस कार्य में अगर बच्चे को जरा भी बढ़ावा मिला फिर उसके नित्य का काम बन जाएगा।वह कभी किसी को पीटेगा तो कभी किसी को।इसलिए उसी समय बच्चे के माता-पिता यदि बच्चे पर ध्यान नहीं देंगे तो वह अपराध की ओर प्रवृत्त हो जाएगा।
  • अकसर घरों में माँ अथवा पिता इस बात पर गर्व करते हैं कि मेरा बच्चा कई बच्चों को पीट कर आया है।वह बच्चे की प्रशंसा हर जगह करते हैं।इससे बच्चों को प्रोत्साहन मिलेगा और वह यह मारना-पीटना रोज ही करेगा जिसके कारण वह धीरे-धीरे अपराधी बन जाएगा।रोज ही अपराध करेगा।अपराध कोई भी हो,चाहे छोटा हो अथवा बड़ा,बच्चों को जरा भी बढ़ावा न दें ताकि बच्चों को यह बात समझ में आ जाए कि उन्होंने जो भी कार्य किया है,वह गलत है।बच्चों को अपराध की ओर न बढ़ने दें।नहीं तो उनका जीवन अंधकारमय बन जाएगा।कोई भी गलत कार्य करने पर तुरंत ही बच्चे को रोकें।न मानने पर थोड़ा डराएं।ताकि वह दुबारा ऐसी गलती न करें।यदि करे भी तो उसके मन में पहले वाला डर समाया हुआ हो,तो वह उस ओर न जाए।
  • जैसे बच्चे ने अगर चोरी की है,तो चुराया हुआ सामान उससे कहें कि जिसका है उसे तुरंत वापस करके आओ।और उसे गलती की क्षमा भी मांग लो।बच्चे को इस तरह कहने पर वह कभी गलती नहीं करेगा।इतना ही नहीं,वह यह समझेगा कि चोरी करना बुरी बात है।
  • कई बार ऐसा होता है कि बच्चे घर के माहौल से भी अपराध की ओर प्रवृत्त होते हैं।घर का कोई सदस्य यदि चोर है या फिर अन्य कोई अपराध करता है,तो बच्चा उसे देखकर जरूर अपराध करेगा।उसको करने में बढ़ावा मिलेगा।नतीजा क्या होगा? बच्चा भी अपराध की ओर प्रवृत्त होगा।बच्चा जब कोई गलत कार्य करता है,तो घर के कुछ लोग यह कहकर उसे छूट देते हैं कि अभी बच्चा है।जब बड़ा होगा तो स्वयं यह आदत छूट जाएगी,परन्तु उनकी यह धारणा गलत है।
  • बच्चा शुरू से जो सीख जाएगा,वह आगे उसका भविष्य बनाएगा।इसलिए बच्चे जब भी,जिस समय भी कोई गलत कार्य करते हों,उन्हें तुरन्त रोकें,अच्छे से समझाएं।इसके साथ ही घर के वातावरण को स्वच्छ बनाएं।घर में कोई ऐसा कार्य न करें,जिसके कारण बच्चा अपराधी बन जाए।बच्चे देश का भविष्य हैं।उनके भविष्य को सँवारें।उनकी हर आदतों पर ध्यान दें तथा गलत कार्यों पर उन्हें जरा भी प्रोत्साहन न दें।अभी तो बच्चे हैं,बड़े होकर फिर अपराधी की दुनिया में चलें जाएंगे।तब उनका भविष्य क्या होगा? यह किसे मालूम? बच्चों को एक कुशल एवं नेक इंसान बनाएं,न कि अपराधी।

3.चोरी की आदत कैसे छुड़ाएं? (How to Get Rid of the Habit of Stealing?):

  • बच्चे स्कूल जाते हैं तो उनके बैग से कभी पुस्तक,कभी नोटबुक,कभी ड्राइंग बॉक्स अथवा कोई-न-कोई चीज खो देते हैं।कारण,बच्चे लापरवाह होते हैं।वह अपना स्कूल बैग कहीं भी फेंककर खेलने में मस्त हो जाते हैं ऐसे में उनका सामान तो चोरी होगा ही,क्योंकि जो बच्चे चोर होते हैं,उन्हें तो बस चोरी करने का मौका चाहिए और वह इस तरह छोटी-छोटी चोरी करते हुए एक दिन बड़े चोर बन जाते हैं।कहा जाता है कि बच्चे अच्छी-बुरी बातें सर्वप्रथम घर से ही सीखते हैं।घर से उन्हें संस्कार मिलता है।परंतु बच्चों की इन आदतों पर ध्यान देना परिवार के सदस्यों का फर्ज होता है।बच्चे को जब अच्छे संस्कारों में पाला जाता है तो वह अच्छा बच्चा कहलाता है।
  • अगर बच्चे के पालन-पोषण में कोई कमी रह जाती है,तो बच्चा गलत आदतों की ओर प्रवृत्त हो जाता है।इसमें उसको अगर सही समय पर सटीक मार्गदर्शन मिल गया तो ठीक है,अन्यथा बच्चा चोर कहलाएगा।और चोर बच्चों से सभी दूर भागें या उस बच्चे को चोर-चोर कहें,यह किसी माता-पिता को अच्छा लगेगा? शायद किसी को भी नहीं।
  • बच्चे चोरी क्यों करते हैं? इस विषय में अगर ध्यान दें तो कई कारण समझ में आते हैं।पहली तो यह की बच्चों को किसी अन्य की वस्तु पसंद आ जाती है,तो वह जानता है कि वह चीज उसे आसानी से नहीं मिलेगी और वह इतना समृद्ध भी नहीं है कि उस चीज को खरीद लेगा।तब वह सोचता है कि वह चीज अगर चुरा ली जाए तो कौन जानेगा कि किसने चुराई? कहीं छिपा देंगे।ऐसी चीजें तो बाजार में खूब बिकती हैं।भला मेरे ऊपर क्यों कोई सन्देह करेगा? बच्चा यही सब सोचकर चोरी करने लगता है।परंतु बच्चे चोर हों या चोर कहलाएं,क्या यह सही है? कभी नहीं।
  • बच्चे चोर कभी पैदा नहीं होते हैं,वह बन जाते हैं।इसे हालात कह लें या फिर उन्हें कोई रोकने वाला नहीं या प्रोत्साहन मिलना।इन सभी कारणों से बच्चा चोरी करना सीखता है।शुरुआत में बच्चे जब पहली बार किसी चीज को चुराते हैं,तो माता-पिता या घर के अन्य सदस्य की जानकारी में अगर यह बात आती है,तो बजाय प्रसन्न होने के,बच्चे को तुरंत टोकें और चोरी न करने की सख्त हिदायत दें।तभी बच्चें के मन में डर उत्पन्न होगा और वह चोरी नहीं करेगा।यही नहीं,बहुत से घरों में बच्चों को चोरी करने पर थोड़ा-बहुत डांट कर छोड़ दिया जाता है।
  • बजाय यह कहने के कि जिसका सामान लाए हो,कल उससे माफी मांग कर लौटा देना बल्कि कहेंगे,अच्छा रख लो।छिपा कर रखना,कोई देख न ले।इससे बच्चों को प्रोत्साहन मिलेगा और वह चोरी करने में लगातार आगे बढ़ता जाएगा।फिर उसके लिए पीछे लौटना नामुमकिन हो जाएगा।
  • बात केवल स्कूल तक सीमित नहीं है।बच्चे सड़कों पर,जगह-जगह स्थानों पर चोरी करते पकड़े जाते हैं,मसलन जेबें काटना,पर्स में से रुपए निकाल लेना,दुकान से कोई सामान चुरा लेना,उनके लिए आम बात है।उनकी इस चोरी से न जाने कितने लोगों को हानि उठानी पड़ती है।परंतु उस समय तो पता भी नहीं चल पाता है कि कैसे और किसने चुराया।भीड़भाड़ में तो यह अकसर होता है।यही सब चोरियाँ करते बच्चे एक दिन बड़े होकर शातिर चोर कहलाने लगते हैं।वे शायद ही कभी अपने काम पर शर्मिंदा भी होते हों,परंतु नहीं,क्योंकि उन्हें तो अपना जीवन यही करके बिताना है।नेक इंसान बनकर और ईमानदारीपूर्वक कार्य करके नहीं।
  • बच्चों में अच्छे गुणों का समावेश कीजिए,उन्हें गुणों से पूर्ण कीजिए।अवगुणों से दूर रखिए।बच्चे जब छोटे होते हैं तो उनके पूर्व कर्मों के संचित कर्म सुप्त रहते हैं।परंतु जिस तरह का कार्य करेंगे वैसे संस्कार सक्रिय हो जाएंगे तथा आगे वैसे ही बनते जाएंगे।इसलिए बच्चा जब पहली बार कोई गलत कार्य करे तो रोकें,उसे समझाएं।चोरी करना पाप है।इससे संबंधित ऐसी कहानी सुनाएं।चोरी करना अच्छी बात नहीं होती।

4.चोरी करने का निष्कर्ष (Conclusion of Theft):

  • बच्चों का मन कोमल भावनाओं वाला होता है,वे किसी भी बात को जल्दी सीखने की कोशिश करते हैं,ऐसा कहा जाता है कि बच्चे की प्राथमिक पाठशाला उसका घर होता है और मां उसकी पहली शिक्षिका।
  • अकसर हम बच्चों के सामने लड़ते हुए गलत शब्दों का प्रयोग करते हैं,मसलन तुम पागल हो या फिर कोई भद्दी गाली का प्रयोग।बच्चे इसे तुरंत सीखते हैं।इसके अतिरिक्त बच्चे गलत आदतों को देखकर सीखते हैं,जैसे गलत ढंग से खाना आदि।खेल-खेल में भी बच्चे अपने दोस्तों के साथ गलत आदतें सीख लेते हैं,जो उनके हंसते-खेलते जीवन के लिए अभिशाप बन जाता है।जैसे:चोरी करना,जुआ खेलने,ड्रग्स लेना आदि।इसी प्रकार बच्चा न जाने कितनी प्रकार की बातें दिनभर में सीखता है।ऐसा नहीं है कि वह बुरी आदतें केवल घर में ही सीखता है,स्कूल के अपने साथियों और रिश्तेदारों से भी सीख सकता है।
  • अब सवाल इस बात का है कि बच्चों ने क्या सीखा है,वह किस प्रकार की भाषा का प्रयोग कर रहे हैं व किस प्रकार की आदतें अपना रहे हैं।इस बात पर ध्यान देना अतिआवश्यक है।गलत आदतों को अपनाने पर बच्चों को तुरंत टोकें।बच्चे अनबूझ पहेली की तरह होते हैं।उन्हें जो कार्य अच्छा लगता है,उसे वे खुशी से करते हैं।चाहे वह कार्य उनके लिए अच्छा हो अथवा बुरा।
  • कई बार दोस्तों के कहने पर बच्चा मां-बाप के पॉकेट से रुपए चुरा ले जाता है।बच्चा अपने दोस्त के साथ मिलकर खर्च कर देता है।बहुत पूछने पर बच्चा बता देता है कि मेरे दोस्त ने मेरी चोरी की आदत डाली है।
  • इसमें संदेह नहीं है कि वर्तमान समय में बाल-अपराध दिन-ब-दिन तेजी से बढ़ रहे हैं।बच्चे अपने कुछ गलत दोस्तों का साथ पाकर गलत एवं बुरी प्रवृत्ति की ओर बढ़ते जा रहे हैं।देखा जाए तो बच्चों में गलत आदतों का पड़ना माता-पिता की लापरवाही के कारण भी होता है।अकसर बच्चे जब बड़ों की नकल उतारते हैं तो बजाए उसे टोकने के बच्चों की इन हरकतों पर हंसते हैं।यही नहीं,घर में मेहमान वगैरह भी आते हैं तो उनके सामने भी बच्चों से स्वयं कहते भी हैं:अरे! जरा आंटी जी या अंकल जी की नकल करके बताओ।इससे बच्चे प्रत्येक की नकल उतारना सीख जाते हैं।
  • अतः बच्चों को सही शिक्षा दें एवं दिलवाएं।इस बात पर पूरा ध्यान दें कि आपका बच्चा क्या सीख रहा है और जो भी सीख रहा है वह सही है अथवा गलत।बच्चों से सही ढंग से बात करें।घर का वातावरण शांत एवं सुखी रखें।बच्चों को हर अच्छी-बुरी बातों से परिचित कराएं,तभी बच्चे को समझ आएगी और वह अच्छा इंसान बन सकेगा।

5.चोरी करने का दृष्टांत (The Parable of Stealing):

  • नगर के एक मोहल्ले में चोर और आवारा लड़कों की भरमार थी।गरीब और पिछड़े लोगों के लड़के कुसंग में पड़कर चोरी करना सीख जाते थे और अपना गिरोह बना लेते थे।चोरी के सहारे धीरे-धीरे वे उठाईगीरी,ठगी,ड्रग्स का सेवन करने के धंधे करना चालू कर देते थे।नशेबाजी जैसे अनेक दुर्व्यसन बढ़ जाने से वे अच्छे विद्यार्थियों की तरह पढ़ना और जॉब करना पसंद नहीं करते थे।उस मोहल्ले के बच्चों की यह प्रवृत्ति नगर के दूसरे मोहल्लों और हिस्सों में बढ़ती जा रही थी।अच्छे विद्यार्थियों और सभ्य लोगों का उनके मारे नाकों में दम था।
  • एक शिक्षक का ध्यान उन आवारा छात्राओं की ओर गया।उसने इनके सुधार का बीड़ा उठाया।सूखे उपदेशों को वे सुनने को तैयार नहीं थे।अस्तु शिक्षक ने उनमें घुल-मिलकर रहने तथा मित्रता गाँठने का उपाय अपनाया।
  • गणित शिक्षक नई उम्र के थे और छोटे कद के थे।इसलिए उन्हें उनमें घुल-मिल जाने में अधिक कठिनाई नहीं हुई।
  • शिक्षक महोदय ने एक पुराना सा बड़ा सा कमरा किराए पर ले लिया।ऐसे लड़कों को वहां रहने,शाम-सुबह का ताजा खाना पकाकर खाने की नि:शुल्क सुविधा दी गई।उस मोहल्ले के लड़के उस कमरे में आने लगे।यही अवसर था उन्हें पढ़ाने,जाॅब करने,खाने तथा चोरी व गलत आदतें छोड़ने के लिए सहमत किया जा सका।
  • इस योजना के अनुसार उन्हें फ्री में भोजन,पढ़ाने की व्यवस्था दी गई तथा जाॅब सीखने का भी प्रबंध किया गया।गणित शिक्षक की मेहनत,समर्पण और घुल-मिल जाने से परिणाम सामने आने लगा।उन छात्रों ने चोरी-चकोरी करना छोड़ दिया।सभ्यता,संस्कार,अच्छी आदतों को अपनाया।पढ़-लिखकर हुनर सीखने के काबिल हो गए।गणित शिक्षक ने आशाजनक सफलता पाई।
  • उपर्युक्त आर्टिकल में चोरी करने की आदत कैसे छुड़ाएँ? (How to Get Rid of Habits of Stealing?),बच्चों को चोरी करने की प्रवृत्ति से कैसे बचाएं? (How to Protect Children From Tendency to Steal?) के बारे में बताया गया है।

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6.किस विषय के विद्यार्थी सबसे तेज हैं? (हास्य-व्यंग्य) (Which Subject Students are Fastest?) (Humour-Satire):

  • गणित शिक्षक:बताओ बच्चों किस विषय के विद्यार्थी सबसे तेज होते हैं?
  • अंकुर (खड़े होकर):सर,गणित के।
  • गणित शिक्षक:वह कैसे?
  • अंकुर:क्योंकि अकसर गणित विद्यार्थियों के पढ़ते-पढ़ते आंखों पर चश्मा चढ़ जाता है जबकि अन्य विषय के विद्यार्थियों के आंखों पर चश्मा नहीं चढ़ता है।

7.चोरी करने की आदत कैसे छुड़ाएँ? (Frequently Asked Questions Related to How to Get Rid of Habits of Stealing?),बच्चों को चोरी करने की प्रवृत्ति से कैसे बचाएं? (How to Protect Children From Tendency to Steal?) से सम्बन्धित अकसर पूछे जाने वाले प्रश्न:

प्रश्न:1.बच्चों को अच्छी आदतें कैसे सिखाएं? (How to Teach Good Habits to Children?):

उत्तर:बच्चों को अच्छी आदतें सिखाने के लिए माता-पिता को अपना आचरण अच्छा और श्रेष्ठ रखना होगा।बच्चों के आदर्श आप तभी बन सकते हैं जबकि माता-पिता में बुरी आदतें न हों।बच्चों के संग का भी ध्यान रखें,वे अच्छे संग वाले छात्र-छात्राओं से मित्रता करें।बच्चों की तरफ से लापरवाह न रहें।माता-पिता में यदि बुरी आदतें हैं तो उन कमियों और बुरी आदतों को ढूंढकर दूर करें।बच्चों के सामने झूठ बोलना,बेईमानी करना आदि बातों का जिक्र न करें।नम्र स्वभाव,धीरे बोलना,बिना गलती के माफी मांगना,दूसरों को धन्यवाद देना आदि कई ऐसे आचरण हैं,जिन्हें बच्चों के सामने यदि आप दोहराएंगे तो आपके बिना उपदेश दिए ही आपके आचरण से बच्चा अच्छी आदतें सीखेगा।

प्रश्न:2.बच्चों को स्वाभिमानी कैसे बनाएं? (How to Make Children Self-Respecting?):

उत्तर:बच्चों का भी सम्मान करें और उनके सम्मान की रक्षा करें।बच्चों के विचारों को महत्त्व दें।घर अथवा परिवार के मामलों में उनकी राय को भी वरीयता दें और यदि वे अच्छी नहीं है तो कारण सहित बच्चों को बताएं कि उनकी राय में क्या कमी है? बच्चों की निजता का भी ध्यान रखें और जहां तक संभव हो बच्चों को उनके दोस्तों और परिवार के अन्य सदस्यों के सामने न तो डांटें और न ही प्रताड़ित करें।
प्रश्न:3.भावनाओं पर नियंत्रण क्यों रखें? (How to Control Emotions?):
उत्तर:बच्चों को सबसे ज्यादा प्रभावित करती है; वह है माता-पिता की भावनाओं की अभिव्यक्ति।बच्चों के सामने माता-पिता को ऐसा व्यवहार नहीं करना चाहिए जो उन पर प्रतिकूल प्रभाव डाले।परिवार,आर्थिक स्थिति,रिश्तेदारों के व्यवहार अथवा जॉब की बातें बच्चों के सामने करने से बचें।

प्रश्न:3.भावनाओं पर नियंत्रण क्यों रखें? (How to Control Emotions?):

उत्तर:बच्चों को सबसे ज्यादा प्रभावित करती है; वह है माता-पिता की भावनाओं की अभिव्यक्ति।बच्चों के सामने माता-पिता को ऐसा व्यवहार नहीं करना चाहिए जो उन पर प्रतिकूल प्रभाव डाले।परिवार,आर्थिक स्थिति,रिश्तेदारों के व्यवहार अथवा जॉब की बातें बच्चों के सामने करने से बचें।

  • उपर्युक्त प्रश्नों के उत्तर द्वारा चोरी करने की आदत कैसे छुड़ाएँ? (How to Get Rid of Habits of Stealing?),बच्चों को चोरी करने की प्रवृत्ति से कैसे बचाएं? (How to Protect Children From Tendency to Steal?) के बारे में ओर अधिक जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
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