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How Do Maths Students Face Challenges?

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1.गणित के छात्र-छात्राएं चुनौतियों का सामना कैसे करें? (How Do Maths Students Face Challenges?),चुनौतियों का सामना कैसे करें? (How to Face Challenges?):

  • गणित के छात्र-छात्राएं चुनौतियों का सामना कैसे करें? (How Do Maths Students Face Challenges?) क्योंकि चुनौतियों का सामना या समाधान किए बिना आगे नहीं बढ़ा जा सकता है।अक्सर विद्यार्थी विशेषकर गणित के विद्यार्थी चुनौतियों को देखकर घबरा जाते हैं,हालत पतली हो जाती है और वे गणित से भय खाने लगते हैं।गणित को देखते ही पढ़ने का जी नहीं करता है,अध्ययन से मन उचट जाता है।परंतु यह चुनौतियाँ,संकट का एक पक्ष है इसका दूसरा पक्ष यह है की चुनौतियां हमें सावधान करती हैं,हमारी गफलत दूर करती है,हमारी निष्क्रियता दूर करती है क्योंकि चुनौतियों,समस्याओं के बिना हम लापरवाह हो जाते हैं।गणित के सवाल हमारे सामने चुनौती के रूप में सामने आते हैं तो हम मन को पूर्ण एकाग्र करके और पूर्ण सक्रियता के साथ उसको हल करने में जुट जाते हैं।
  • यदि गणित में कोई कठिन सवाल न आए,सीधे-सीधे और सरल सवाल आएं तो हम उदासीन हो जाते हैं,बिखरे हुए रहते हैं,साधारण तरीके से हल करते हैं फलस्वरूप हमारे व्यक्तित्त्व का विकास रुक जाता है।
  • जबकि जटिल सवाल आने पर हम सतर्क हो जाते हैं,एकजुट हो जाते हैं और उस पर गहराई से सोच-विचार करते हैं।वैसे तो गणित विषय को,गणित के सवालों को भूले हुए रहते हैं लेकिन चुनौती प्रस्तुत होने पर हमारा चेतन व अवचेतन मन बार-बार उसको हल करने के तरीके ढूंढता है।एक तरीके से हल नहीं होता है तो दूसरा या तीसरा तरीका आजमाते हैं।इस प्रकार हम असाधारण तरीके से चुनौती का सामना करते हैं।हमारी आत्मिक शक्ति भी उसे हल करने में मदद करती है।मजे की बात यह है कि पूर्ण एकाग्रता,सचेत,सतर्क होकर जब हम सवालों को हल करते हैं तो उसको हल कर पाने में समर्थ हो जाते हैं।साधारण स्थिति में हमें हमारी इस क्षमता का पता ही नहीं लगता है।
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2.कठिनाइयां जीवन का अंग (Difficulties are Part of Life):

  • कठिनाइयां हर विद्यार्थी अथवा गणित के विद्यार्थी के समक्ष आती हैं।यह हो सकता है कि किसी के सामने कम आती हों और किसी के सामने अधिक आती हों।कोई विद्यार्थी तो चुनौतियों या कठिन सवालों को देखकर घबरा जाता है,डर जाता है,परेशान होता है और जैसे-तैसे इनसे बचने का प्रयास करता है।
  • परंतु कुछ विद्यार्थी ऐसे होते हैं जो गणित में आने वाली चुनौतियों को स्वीकार करता है और उन्हें देखकर प्रसन्न होता है एवं उनसे मुकाबला करता है।वस्तुतः हर मुश्किल चुनौती हमारे व्यक्तित्त्व में निखार लाती है और यह निखार,परिपक्वता तभी आती है जब हम उस मुश्किल चुनौती को हल करते हैं।
  • यह व्यक्तित्त्व बनाने का एक अवसर है और यह हम पर है कि उसे हम स्वीकार करते हैं या पीछे हट जाते हैं।
    अक्सर विद्यार्थी कठिन परिश्रम करने से घबराते हैं और सफलता प्राप्त करने के लिए किसी शॉर्टकट (छोटा और सरल रास्ता) मेथड को तलाशते हैं।लेकिन किसी भी चुनौतीपूर्ण परिस्थिति में विद्यार्थी का संघर्ष जितना कठिन होगा,उसकी सफलता भी उतनी ही शानदार होगी।कठिन संघर्ष से ही विद्यार्थी अंतर्निहित क्षमताओं,शक्तियों को जगा पाता है।कठिन संघर्ष से ही जीवन प्रामाणिक बनता है और मुश्किलें उसके जीवन में वह आग होती है,जिनसे गुजरने पर उसकी अशुद्धियां जलकर समाप्त होती है।
  • जैसे सोने की अशुद्धता को दूर करने के लिए उसे अग्नि में तपाया जाता है,जिससे अशुद्धियां जलकर नष्ट हो जाती है और केवल शुद्ध सोना बचता है,उसी प्रकार कठिन चुनौतियां व्यक्तित्त्व को निखारती है।
  • लेकिन इन चुनौतियों का सामना करने पर यदि बार-बार असफलता या बार-बार सफलता मिलती है तो भी परिणाम अच्छे नहीं होते।बार-बार मिलने वाली असफलता विद्यार्थी तथा व्यक्ति की हिम्मत व उत्साह को तोड़ देती है।उसका आत्मविश्वास डगमगाने लगता है,वह बहुत परेशान होता है।लेकिन फिर भी यदि उसका संघर्ष निरंतर बना रहता है तो किसी न किसी रूप में उसे उपलब्धि अवश्य मिलती है,भले ही वह उसे पहचान न पाए।यह उपलब्धि उसे कार्यकुशलता या कार्य अनुभव के रूप में मिलती है,जिसे प्राप्त करना हर किसी के लिए संभव नहीं होता,यही वह ‘हुनर’ है,जिसका महत्त्व सबसे अधिक होता है क्योंकि यह अमूल्य होती है और इसे अर्जित करने के लिए कठिन संघर्षों से गुजरना पड़ता है।
  • इसके विपरीत बार-बार मिलने वाली सफलताएँ व्यक्ति को अहंकारी बना देती है।ऐसी सफलता से मिलने वाली खुशी व्यक्ति को उन्मादी बना देती है,जिसके कारण उसकी दूरदर्शिता खत्म होती है और उसकी निर्णय क्षमता प्रभावित होती है।ऐसा होने पर उसकी अगली सफलता संदेहास्पद होती है।

3.चुनौती में महत्त्वपूर्ण चीजें (Important Things in the Challenge):

  • छात्र-छात्राएं किसी भी विषय अथवा गणित को पढ़ते हैं तो उसमें सफल होने के लिए दो महत्त्वपूर्ण चीज हैं:अवसर को पहचानना और समय पर सही निर्णय लेना।ऐसा देखा गया है कि अभ्यर्थी अथवा विद्यार्थी अवसर को पहचानने में प्रायः चूक जाते हैं और बाद में पछताते हैं।इसी तरह निर्णय क्षमता भी विद्यार्थी की सफलता को प्रभावित करती है।
  • हमें हर क्षण-हर पल निर्णय लेना पड़ता है कि हमें क्या करना है और क्या नहीं? यदि विद्यार्थी गलत निर्णय लेते हैं तो अपने लक्ष्य से दूर हो जाते हैं और सही निर्णय लेने पर अपने लक्ष्य की ओर जाते हैं।लक्ष्य की ओर जाने पर भी हमें हर पल निर्णय लेने पड़ते हैं कि हमें अध्ययन को किस रणनीति से पढ़ना है,प्रवेश परीक्षा की तैयारी किस रणनीति से करना हैं,दोनों में तालमेल कैसे बिठाना है।इस तरह हर कदम-कदम पर निर्णय लेना पड़ता है।
  • अक्सर विद्यार्थी अपने अध्ययन अथवा जीवन के महत्त्वपूर्ण निर्णयों को लेने में दूसरों का सहारा लेते है या दूसरों के ऊपर अपने निर्णय टाल देते हैं।ऐसे विद्यार्थी अपना निर्णय स्वयं लेने से घबराते हैं कि कहीं उनसे गलत न हो जाए और दूसरों पर भरोसा करके जो निर्णय करते हैं उसमें गलती होने पर उसे भुगतते हैं व उन्हें दोष देते हैं,लेकिन सबसे अच्छा यही है कि स्वयं के विवेक से निर्णय लेना सीखें।
  • अपना निर्णय स्वयं लें,भले ही उसमें सफलता मिले या असफलता।स्वयं के द्वारा लिए गए सही या गलत निर्णय के लिए हम स्वयं जिम्मेदार होते हैं,दूसरे नहीं।जबकि दूसरों के द्वारा लिए गए सही निर्णय पर हम भविष्य में उन पर निर्भर होते हैं और गलत निर्णय होने पर स्वयं या दूसरों को कोसते हैं कि हमे ऐसा नहीं करना चाहिए था।
  • दूसरों के सही निर्णय लेने अथवा गलत निर्णय लेने पर दोनों ही स्थितियों में हम घाटे में रहते हैं।दूसरों द्वारा सही निर्णय लेने पर हम उन पर निर्भर हो जाते हैं और स्वयं का विवेक जाग्रत नहीं होता है।
  • स्वयं में निर्णय लेने की क्षमता पैदा नहीं होती है।दूसरों के द्वारा गलत निर्णय लेने पर नुकसान उठाना पड़ता है और अनुभव से भी वंचित होना पड़ता है।
  • सही अवसर को पहचानने और सही निर्णय लेने के अलावा भी हमारे अंदर एक अंतर्दृष्टि विकसित होनी चाहिए,जिसके द्वारा हम अपने जीवन में आने वाले संकटों को पहचान सके और उन्हें दूर करने के लिए वर्तमान में कोई न कोई उपाय कर सकें,जिससे भविष्य में उनका सामना होने पर उनकी तीव्रता में कमी आ जाए।हालांकि ऐसा कर पाना सरल नहीं है,लेकिन यदि हम अपने जीवन को गहराई से जानने व समझने का प्रयास करें तो हमें पता चलेगा कि हमारे जीवन में ऐसे संकट आने से पहले अपनी दस्तक जरूर देते हैं।
  • संकट कोई चुनौती नहीं बल्कि हमारे बुरे कर्मों के परिणाम हैं,जिसे समय-समय पर कर्मानुसार हमें भुगतना पड़ता है।इसे सहने,समझने,सतत अध्ययन करते रहने,परीक्षा की तैयारी में संलग्न रहने वाला वह माध्यम है जिसके द्वारा हम इस मार्ग से अपेक्षाकृत अधिक सुगमता से गुजर पाते हैं।

4.चुनौती का सामना करने में निराश न हो (Don’t Be Disappointed in Facing the Challenge):

  • कभी-कभी ऐसा भी होता है कि हमारे पास प्रतिभा होती है,कार्य कुशलता व अच्छा अनुभव होता है,लेकिन समय हमारे अनुकूल नहीं होता।ऐसी स्थिति में हमारी प्रतिभा प्रभावकारी नहीं हो पाती।कहा भी गया है कि ‘मानुष नहीं बलवान है समय बड़ा बलवान।कागा लूटी गोपीका वही अर्जुन वही बाण।’ हम चाहे जितना प्रयास कर लें,लेकिन हमें सफलता नहीं मिलती,हम एक या दो प्रतिशत से ही सफल होने में चूक जाते हैं और निराश भी होते हैं।
  • लेकिन ऐसे समय में भी यदि हम स्वयं को सकारात्मक विचारों के संपर्क में रखें,नकारात्मक विचारों व तत्वों को दूर करें तो हम देखेंगे कि भविष्य में हमें सफलता अवश्य मिलेगी।
  • अतः कभी-भी कहीं भी निराश होने की आवश्यकता नहीं है।यदि हम किसी एक अवसर में हारते हैं तो हम पूरी जिंदगी नहीं हार जाते हैं या ऐसा नहीं होता कि हमारा समय ही समाप्त हो गया,लेकिन ऐसे अवसरों पर मिलने वाली निराशा व नकारात्मकता के संपर्क से हम अपनी जिंदगी को जरूर अंधकार में धकेल देते हैं।
  • अतः सबसे अधिक सावधान होने की जरूरत है तो नकारात्मक विचारों की श्रृंखला से।यदि हमारे जीवन में इनका प्रवेश होता है तो निश्चित रूप से हम असफल ही होते चले जाते हैं और फिर कभी सफल नहीं हो पाते।अतः किसी भी स्थिति में हमें अपने सकारात्मक चिंतन को बनाए रखना चाहिए और ऐसे लोगों के संपर्क में रहना चाहिए जो हमें निराशा के अंधकार से सकारात्मक के प्रकाश की ओर ले चलें।इसके अतिरिक्त हमें सतत भगवान का स्मरण के साथ-साथ स्वाध्याय को जीवन का अभिन्न अंग बनाना चाहिए।क्योंकि यही एक ऐसा माध्यम है जिसके द्वारा हमारा मस्तिष्क शुभ व सृजनात्मक विचारों द्वारा पोषित होता है और हमें अपने जीवन के नए आयामों से परिचित कराता है।

5.चुनौती का सामना करने का दृष्टांत (The Parable of Facing a Challenge):

  • चुनौती,मुश्किलें एवं बाधाएँ हर किसी विद्यार्थी के जीवन में आती है परंतु कुछ विद्यार्थी हताश और निराश होकर असफल हो जाते हैं।जबकि कुछ विद्यार्थी हौसला और उत्साह बनाए रखते हैं।वे विपरीत समय से निकलने के लिए कोई न कोई युक्ति सोचते हैं और उसके आधार पर अपना विपरीत समय गुजार देते हैं अंततः उन्हें सफलता मिलती है।
  • एक नगर में गणित का विद्यार्थी था।बचपन से ही उसे नहीं-नई बातों को जानने की जिज्ञासा रहती थी।उनके मोहल्ले में एक गणित के शिक्षक रहते थे।एक दिन वह विद्यार्थी गणित शिक्षक के पास गया और उनसे निवेदन किया कि गणित तथा जीवन में नई-नई किस्म की चुनौती तथा समस्याएं आती है,उनका मुकाबला कैसे करें और कैसे कामयाबी हासिल करूं।
  • विद्यार्थी ने कहा कि मैं कड़ी मेहनत और संघर्ष से डरता नहीं और न ही घबराता हूं।मैं केवल यह जानना चाहता हूं की चुनौतीपूर्ण जीवन में कामयाब होने का तरीका क्या है?
  • गणित शिक्षक ने हँसते हुए कहा कि मैं तुम्हारे इस सवाल का जवाब अभी देता हूं,मगर तुम मेरी बकरी को सामने वाले खूँटे से बांध दो।यह कहते हुए उन्होंने बकरी की रस्सी गणित के विद्यार्थी को पकड़ा दी।वह बकरी किसी के काबू में जल्दी न आती थी।
  • बकरी ने तुरंत ही छलांग लगाई और रस्सी गणित के विद्यार्थी के हाथ से छूट गई।रस्सी के छूटते ही गणित के विद्यार्थी ने चतुराई से काम लिया और तेजी से भागकर बकरी के दोनों पैरों को मजबूती से पकड़ लिया।
  • बकरी पैरों सहित पकड़े जाने से एक कदम भी आगे न जा सकी।यह देखकर गणित शिक्षक ने कहा कि शाबाश।यही है कामयाबी का तरीका।जड़ पकड़ने से पूरा पेड़ काबू में आ जाता है।अगर हम किसी समस्या की जड़ पकड़ लें तो उसका हल आसानी से निकाल सकते हैं।
  • जीवन में आगे बढ़ाने के लिए किसी समस्या या चुनौती की जड़ पर पकड़ बनाने की कला बेहद जरूरी है।यही कला विद्यार्थी को ऊँचाइयों तक पहुंचाती है।
  • वह विद्यार्थी इसी सूत्र को पड़कर जीवन में आगे बढ़ा।गणित की पिछली कक्षाओं की कमजोरी को दूर करता रहा,गणित की बेसिक बातों का ज्ञान अर्जित करने में जुट गया।धीरे-धीरे गत कक्षाओं की कमजोरी दूर होने तथा वर्तमान कक्षा में सतत अध्ययन करने से एक दिन वह कामयाब हो गया।
  • उपर्युक्त आर्टिकल में गणित के छात्र-छात्राएं चुनौतियों का सामना कैसे करें? (How Do Maths Students Face Challenges?),चुनौतियों का सामना कैसे करें? (How to Face Challenges?) के बारे में बताया गया है।

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6.ट्रैवलिंग गणित पुस्तक (हास्य-व्यंग्य) (Travelling Math Book) (Humour-Satire):

  • दिव्य:यह गणित जिसके सवाल में हल कर रहा हूं,यह ट्रैवलिंग गणित है।
  • रघु:अच्छा,यह कैसे सम्भव है?
  • दिव्य:इसे पहले मेरे दादाजी पढ़ते थे,फिर मेरे पिताजी और अब मैं पढ़ रहा हूं।

7.गणित के छात्र-छात्राएं चुनौतियों का सामना कैसे करें? (Frequently Asked Questions Related to How Do Maths Students Face Challenges?),चुनौतियों का सामना कैसे करें? (How to Face Challenges?) से संबंधित अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न:

प्रश्न:1.बच्चों को जिम्मेदारी कैसे समझाएं? (How Do You Explain Responsibility to Children?):

उत्तर:बच्चों के साथ समय बिताने के दौरान ध्यान रखें कि वह आपकी हर गतिविधि और बात पर कितना गौर कर रहा है।छोटी-छोटी बातों में उसे जिम्मेदारियां भी समझाएं,टाइम मैनेजमेंट के गुर बताएं।ऐसे में बच्चों को समय का सदुपयोग करना,अपनी चीजें निर्धारित स्थान पर रखना।स्वयं और आस-पास की चीजों और स्थान को साफ-सफाई से रखने आदि की बातें धीरे-धीरे लगातार बताते रहें,जिससे बच्चे की आदत में यह सारी बातें आ जाएं।माता-पिता को अपने कई काम छोड़कर बच्चों के काम करने पड़ते हैं।ऐसे में यदि परिवार और कार्यालय की कोई अतिरिक्त जिम्मेदारी आ जाती है तो उसे भी स्वीकारें।बच्चा यह देखकर आपकी तरह ही चुनौतियों को स्वीकार करने के लिए प्रेरित होगा।

प्रश्न:2.बच्चे गलतियां करें तो क्या करें? (What to Do if Children Make Mistakes?):

उत्तर:बच्चे तो बच्चे होते हैं,उनकी गलतियों में कोई छल-कपट अथवा अपराध नहीं होता।उनकी समझ भी काफी निःस्वार्थ होती है।जाने-अनजाने में बच्चों से प्रायः रोजाना गलतियां होती रहती हैं।ऐसे में,आप उनकी गलतियों पर नाराज न हों।बच्चों को उनकी गलतियों से सबक लेने दें,उन्हें डाँटने के बजाय यह समझाने की कोशिश करें कि उन्होंने जो भी किया है वह क्यों गलत है और उसे कैसे सुधारा जा सकता है।

प्रश्न:3.बच्चों को भटकने से कैसे बचाएं? (How to Prevent Children From to Go Astray?):

उत्तर:घर-घर में टेलीविजन और आधुनिक मोबाइल फोन होने के कारण आजकल के बच्चे काफी अपडेट रहते हैं।ऐसे में आपको भी अपडेट रहने की दरकार है।कभी-कभी बच्चों के द्वारा ऐसी चीजें अथवा बातें सामने आ जाती हैं जो बच्चों के मन के अनुकूल नहीं होती।समय के साथ उन बातों के बारे में बच्चों को पता चले तो ही बेहतर होता है।ऐसे में माता-पिता यदि अपडेट नहीं रहेंगे तो बच्चों की जिज्ञासाओं और भ्रांतियों को शांत नहीं कर पाएंगे।इसलिए स्वयं को अपडेट रखें और बच्चों को उनकी आयु के अनुसार जीवन का सत्य बताएं ताकि वे भटके नहीं।

  • उपर्युक्त प्रश्नों के उत्तर द्वारा गणित के छात्र-छात्राएं चुनौतियों का सामना कैसे करें? (How Do Maths Students Face Challenges?),चुनौतियों का सामना कैसे करें? (How to Face Challenges?) के बारे में ओर अधिक जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
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