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How to Make Maths Students his Routine?

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1.गणित का विद्यार्थी अपनी दिनचर्या कैसे बनाएं? (How to Make Maths Students his Routine?),आदर्श गणित के विद्यार्थी की दिनचर्या (Ideal Students of Mathematics Routine):

  • गणित का विद्यार्थी अपनी दिनचर्या कैसे बनाएं? (How to Make Maths Students his Routine?) वस्तुतः गणित के आदर्श विद्यार्थी की दिनचर्या ऐसी होनी चाहिए जो न केवल खुद के लिए हितकारी हो बल्कि उसके कार्य से देश,समाज भी उन्नत हो सके।एक-एक व्यक्ति के निर्माण से ही परिवार,समाज और देश का निर्माण होता है।गणित के विद्यार्थी को केवल गणित का ज्ञान प्राप्त करके तथा गणित में उन्नति करके संतुष्ट नहीं हो जाना चाहिए बल्कि उसे सदाचारी,चरित्रवान जितेन्द्रिय,मेधावी,सहनशील,मधुरभाषी,विनम्र, संवेदनशील इत्यादि गुणों को धारण करने वाला भी होना चाहिए।इन गुणों के अभाव में गणित का विद्यार्थी समाज,देश का विकास करने में योगदान देना तो दूर है,वह स्वयं अपनी ही उन्नति,विकास और प्रगति नहीं कर सकता है।इस आर्टिकल में आदर्श गणित के विद्यार्थी की दिनचर्या का उल्लेख किया जा रहा है जिसका पालन करके अपनी प्रगति और विकास कर सकेंगे साथ ही समाज व देश के लिए भी कुछ योगदान दे सकेंगे।
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2.प्रातः कालीन दिनचर्या (Morning Routine):

  • विद्यार्थी को प्रातः काल 4:00 से 5:00 तक उठ जाना चाहिए।परंतु आजकल अधिकांश छात्र-छात्राएं देर तक सोते रहते हैं।हमारे ऋषियों ने प्रातःकाल जल्दी उठने का जो निर्देश दिया है उसे ऐसे युवक-युवतियां आउट ऑफ डेट (पुरानी) कहकर इसका उपहास उड़ाते हैं।सुबह देर तक सोए पड़े रहते हैं। कुछ तो बीड़ी,सिगरेट और चाय का सेवन करते हैं।दूसरों के साथ छल-कपट,धूर्तता,ईर्ष्या,चालाकी इत्यादि करना सीखते और सिखाते हैं।
  • छात्र-छात्राओं को प्रातः काल 4:00 से 4:30 बजे उठ जाना चाहिए।प्रातः काल जल्दी उठने से आलस्य नष्ट होता है और समय की बचत होती है।सुबह शांत वातावरण में मनन-चिंतन तथा स्वाध्याय पूर्ण एकाग्रता से किया जा सकता है।दिन में शोर और कोलाहल में अध्ययन कार्य को पूर्ण एकाग्रता के साथ नहीं किया जा सकता है।जो कार्य सुबह कम समय में किया जा सकता है उसी कार्य को दिन में करने से अधिक समय लगता है।अतः शारीरिक,मानसिक और आत्मिक उन्नति के इच्छुक छात्र-छात्राओं को सुबह जल्दी उठ जाना चाहिए। प्रातः काल कठिन से कठिन विषय को सरलता से समझा जा सकता है और पढ़ा हुआ शीघ्र स्मरण हो जाता है  तथा बहुत समय तक पढ़े हुए पाठ को भूलता नहीं है।
  • प्रातः काल जल्दी उठने के लिए मन को निर्देश दे देना चाहिए कि मुझे अमुक समय उठना है।हमारे शरीर में बायोलॉजिकल क्लॉक होती है वह ठीक समय पर हमें उठा देती है।शुरू-शुरू में सुबह उठने में आलस्य के कारण उठने में परेशानी महसूस करते हैं तो धीरे-धीरे अपनी दिनचर्या को व्यवस्थित करना चाहिए।यदि आपकी दिनचर्या बहुत अधिक अस्त-व्यस्त है तो धीरे-धीरे एक-दो नियम का पालन करना चाहिए।एक-दो नियमों पर पकड़ मजबूत हो जाए तो फिर ओर एक-दो नियमों का पालन करना चाहिए।एक-एक,दो-दो नियमों का पालन करके धीरे-धीरे आप अपनी दिनचर्या को व्यवस्थित कर सकते हैं।
  • प्रातःकाल उठकर सबसे पहले प्रातः कालीन मंत्र बोलकर पृथ्वी माता को प्रणाम करना चाहिए।फिर गुनगुना पानी के तीन-चार गिलास पीना चाहिए।इससे आपके शरीर के विषाक्त तत्त्व बाहर निकल जाते हैं साथ ही मल विसर्जन आसानी से हो जाता है,कब्ज नहीं रहती है।
  • उषःपान (गुनगुना पानी पीना) के पश्चात दंत मंजन करते हुए थोड़ी देर तक टहलना चाहिए जिससे पानी पीने पर मल विसर्जन की हाजत हो जाती है।दंत मंजन करके मुँह तत्काल नहीं धोना चाहिए बल्कि मल विसर्जन करने के बाद धोना चाहिए ताकि जड़ी-बूटी दाँतों पर लगी रहने से दांत मजबूत हो जाते हैं।जड़ी बूटी वाला दन्त मन्जन ही प्रयुक्त करना चाहिए।इसके पश्चात मल विसर्जन करना चाहिए।मल विसर्जन करते समय दाहिने पैर पर जोर डाल कर बैठना चाहिए।मूत्र-विसर्जन और मल-विसर्जन के समय दांतो को भींचकर बैठने से दांतों के रोग नहीं होते हैं।
  • कुछ छात्र-छात्राओं तथा व्यक्तियों की आदत होती है कि बीड़ी-सिगरेट पीकर या चाय पीकर मल विसर्जन करने जाते हैं।ऐसे विद्यार्थियों के कब्ज हो जाती है तथा स्वास्थ्य को नुकसान होता है वह अलग।अतः ऐसे विद्यार्थियों को बीड़ी-सिगरेट और चाय का सेवन छोड़ देना चाहिए।
  • यदि विद्यार्थियों को कब्ज रहती है तो दिनभर एक-एक घंटे के अंतराल से पानी पीना चाहिए चाहे प्यास लगे अथवा नहीं।भोजन करने के पश्चात जल नहीं पीना चाहिए।भोजन के एक-दो घंटे बाद पानी पीना चाहिए।योगासन-प्राणायाम व सुबह-सुबह टहलने से भी कब्ज नहीं रहती है।यदि कब्ज से ज्यादा ही परेशान हैं तो उपर्युक्त नियमों का पालन करते हुए गुदा में ग्लिसरीन की बत्ती डाल देनी चाहिए जिससे मल खुलकर आने लग जाएगा।शौच से आकर हाथ,पांव और मुंह धोना चाहिए।
  • योगासन-प्राणायाम तथा व्यायामःस्नान से पूर्व योगासन-प्राणायाम अथवा व्यायाम करना चाहिए।व्यायाम में दो-तीन किलोमीटर घूमना या दौड़ना चाहिए।यदि शीत प्रकृति है तो योगासन-प्राणायाम स्नान के बाद भी कर सकते हैं।प्राणायाम में अनुलोम-विलोम,नाड़ी शोधन तथा कपालभाति प्राणायाम कर सकते हैं।आसन में ब्रह्म मुद्रा,वज्रासन,मार्जरासन,शलभासन,पादहस्तासन,पृष्ठबद्ध जानु स्पर्शासन,सर्पासन, वक्रासन,अर्धमत्स्येंद्रासन,पादबद्धपश्चिमोत्तानासन,ऊष्ट्रासन,एक पादग्रीवासन,चक्रासन,मयूर आसन,उत्थित पद्मासन,योग मुद्रासन,सिंहासन एक पादागंगुष्ठासन,पादव्रकपाली आसन,उर्ध्वपद्मासनयुक्त शीर्षासन,शीर्षासन,पदमसिर आसन,मयूरी चाल,वृक्षासन,वृश्चिकासन इत्यादि आसन कर सकते हैं,अंत में श्वासन करना चाहिए।लगभग आधा घंटा योगासन-प्राणायाम के लिए पर्याप्त है।परंतु योगासन-प्राणायाम किसी योग्य योगाचार्य की देखरेख में ही करना चाहिए।
  • पाद-पश्चिमोत्तानासन विधि:भूमि पर चटाई,दरी अथवा मेट को फैलाकर उस पर बैठकर पैरों को आगे फैला दें।दोनों हाथों से पाँव की उंगलियों को पकड़े तथा श्वास को बाहर निकाल दें।सिर को घुटनों से स्पर्श करायें।धीरे-धीरे अभ्यास करने से यह आसन करना आसान हो जाता है।
  • लाभःबवासीर,अग्निमांद्य,मलावरोध और पेचिश आदि रोगों में लाभदायक है।भूख खुलकर लगती है।पाचन क्रिया ठीक हो जाती है।अपच,डकार,कब्ज को दूर करता है।जिसके तोंद आ जाती है वह बिल्कुल गायब हो जाती है।
  • स्नानःप्रतिदिन स्नान भी करना दिनचर्या का अंग है।स्नान करने से शरीर शुद्ध होता है।शरीर की अतिरिक्त उष्णता,आलस्य और निद्रा दूर हो जाती है।शरीर में चुस्ती आ जाती है।अध्ययन और ध्यान करने में मन लगता है।स्नान सदैव ठंडे जल से करना चाहिए।यदि सर्दियों में ठंडा जल माफिक नहीं हो तो गुनगुने पानी से स्नान करना चाहिए।
  • मन को एकाग्र करेंःस्नान से निवृत्त होकर रोजाना ध्यान करना चाहिए।मन को नियंत्रित व एकाग्र करने के उपाय से संबंधित आर्टिकल पढ़कर आप मन को एकाग्र करने का अभ्यास कर सकते हैं।
  • तेल मालिशःध्यान से निवृत्त होकर शरीर की तेल मालिश करें।मालिश नीचे से ऊपर की ओर करना चाहिए अर्थात् हृदय की ओर करना चाहिए।सबसे पहले पैरो की,हाथ,पीठ व छाती की मालिश करनी चाहिए।हाथ से मालिश करते समय हाथ की रगड़ हृदय की ओर होनी चाहिए।मालिश के लिए सरसों अथवा नारियल का तेल प्रयोग किया जा सकता है।मालिश से रक्त संचार ठीक हो जाता है।दाद,खाज,खुजली आदि रोग दूर होते हैं।तेल मालिश से रस,रक्त,मांस आदि धातुओं की वृद्धि होकर मनुष्य का शरीर पुष्ट और सुंदर हो जाता है।यदि प्रतिदिन मालिश न कर सके तो सप्ताह में एक दिन मालिश कर सकते हैं।सन्ध्या (प्रार्थना) ध्यान करने के बाद भी कर सकते हैं अथवा तेल मालिश के पश्चात भी कर सकते हैं।इतने कार्य आप डेढ़ घण्टे में निपटा सकते हैं।यदि 4:00 बजे उठते हैं तो 5:30 बजे तक निवृत्त हो जाएंगे।

3.सुबह से शाम तक की दिनचर्या (Morning to Evening Routine):

  • यदि विद्यालय का 7:30-8:00 बजे तक है तो सुबह दो से ढाई घंटे का समय अध्ययन करने में व्यतीत करना चाहिए।अध्ययन करते समय पूर्ण एकाग्रचित्त होकर तथा रीड की हड्डी सीधी रखकर करना चाहिए।पुस्तक को नेत्रों से 25-30 सेंटीमीटर दूर रख कर पढ़ना चाहिए।यदि विज्ञान जैसे कठिन विषय हो तो पहले तो टाॅपिक को शीघ्रता से पढ़कर कठिन शब्दों को नोटबुक में उतार ले।कठिन शब्दों के अर्थ शब्दकोष से देख लें।फिर एकाग्र होकर पाठ को ठीक से पढ़ें और पश्चात मुख्य-मुख्य बिंदुओं के नोट्स तैयार कर लें।
  • 7:30 से 1:30 तक स्कूल है तो स्कूल से आकर आधा घंटा आराम करके तथा भोजन आदि से निवृत्त होकर यदि किसी विषय की कोचिंग करते हैं तो उसकी कोचिंग के लिए जाएं।कोचिंग से आकर शाम को 7:00 बजे तक अध्ययन कर सकते हैं।
    यदि स्कूल 10:30 बजे से 4:30 बजे तक है तो सुबह 5:00 या 5:30 बजे से 10:00 बजे तक अध्ययन कर सकते हैं।शाम को 5:00 बजे कोचिंग जा सकते हैं।कोचिंग के बाद रात को 7:30 से 10:30 तक अध्ययन कर सकते हैं।
  • अध्ययन करने के लिए विद्यार्थी में सच्ची लगन,तीव्र उत्कण्ठा,जिज्ञासा और उत्साह का होना आवश्यक है।विद्या प्राप्ति की इच्छा रखने वाले को ही विद्यार्थी कहा जाता है।विद्यार्थी को विद्यार्थी काल में समय बिल्कुल भी नहीं भी नष्ट नहीं करना चाहिए।विद्यार्थी का सबसे प्रमुख कार्य विद्यार्जन करना है।अन्य सब गौण कार्य है।जो विद्यार्थी फालतू के कार्यों में अपना समय नष्ट करते हैं वे समय के अभाव का रोना रोते रहते हैं।विद्याध्ययन एक तप और साधना है।कक्षा में जो कुछ पढ़ाया जाने वाला है उसकी पूर्व तैयारी करके जाएं।उसमें जो भी आपकी समस्याएं हैं उन्हें गुरुजी से पूछे।यदि पूर्व में पढ़कर न जा सके तो कक्षा में पढ़ाए गए टाॅपिक को घर पर आकर पढ़े,गणित है तो गणित के सवालों को हल करें और उस पर मनन-चिंतन करें।फिर भी कोई समस्या हल नहीं होती है तो दूसरे दिन अध्यापक से अवश्य पूछें।

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4.अध्ययन का दृष्टान्त (Illustration of the Study):

  • महाराजा वाजिश्रवा ने यज्ञ के बाद अपने पुत्र नचिकेता को यमराज को दान में दे दिया।नचिकेता भी दृढ़ निश्चयी था।पिता की आज्ञानुसार वह यमपुरी चला गया।यमपुरी के दरवाजे पर यमदूत ने कहा कि यमराज 3 दिन बाद आएंगे।अतः वह चला जाए।परंतु नचिकेता ने कहा कि मैं यहीं बैठकर यमराज की प्रतीक्षा करूंगा।3 दिन तक वह यमराज की प्रतीक्षा करता रहा।तीसरे दिन यमराज आए तो नचिकेता की पितृभक्ति और दृढ़ निश्चय से प्रभावित हुए।उन्होंने प्रसन्न होकर नचिकेता को तीन वरदान मांगने को कहा।उसने पहला वरदान मांगा कि मेरे पिता जी का क्रोध शांत हो जाए और वह पहले जैसे ही मुझे प्यार करें।यमराज ने कहा कि ऐसा ही होगा।
  • यमराज ने कहा कि दूसरा वरदान मांगों।नचिकेता सोच में पड़ गया क्योंकि उसकी कोई इच्छा नहीं थी।अचानक उसे ध्यान आया कि पिता ने यज्ञ स्वर्ग की प्राप्ति के लिए किया था।यह सोच कर वह बोला मुझे स्वर्ग प्राप्ति किस प्रकार हो सकती है? यमराज चक्कर में पड़ गए परंतु वरदान दे चुके थे इसलिए स्वर्ग प्राप्ति का रहस्य भी बता दिया।
  • यमराज ने तीसरा व अंतिम वरदान मांगने के लिए कहा।नचिकेता कुछ समय तक सोच में पड़ गया फिर बोला आत्मा को जानने का रहस्य क्या है?नचिकेता जैसे छोटे बालक से उसे ऐसे प्रश्न की अपेक्षा नहीं थी।यमराज ने कहा कि इसकी जगह कोई दूसरा वरदान मांग लो क्योंकि यह विषय इतना गूढ़ और रहस्यमय है कि हर कोई इसे नहीं समझ सकता है।पर नचिकेता अपनी बात पर दृढ़ रहा और बोला यदि आपको कुछ देना है तो मेरे इस प्रश्न का उत्तर दें अन्यथा रहने दें क्योंकि मुझे कोई ओर वस्तु नहीं चाहिए।
  • यमराज ने नचिकेता के निर्णायक उत्तर को सुनकर आशीर्वाद देते हुए बोले वत्स यह ऐसा प्रश्न है कि इसका रहस्य तो स्वयं मैं भी नहीं जानता हूं।हां,यदि तुम ज्ञान प्राप्त करो और विद्याध्ययन करो तो तुम्हें इस प्रश्न का उत्तर और रहस्य ही नहीं बल्कि संसार के सभी प्रश्नों का उत्तर प्राप्त हो सकता है।क्योंकि विद्या वह खजाना है जिसकी बराबरी संसार की कोई दूसरी वस्तु नहीं कर सकती है।
  • यमराज ने नचिकेता को आशीर्वाद देकर उसके पिता के पास भेज दिया।नचिकेता यमपुरी से लौटने के बाद विद्याध्ययन में लग गया।क्योंकि उसे जीवन का उद्देश्य मालूम हो गया।उसी राह पर चलकर वह एक बहुत बड़ा विद्वान बन गया और सारे संसार में उसका नाम अमर हो गया।
  • उपर्युक्त आर्टिकल में गणित का विद्यार्थी अपनी दिनचर्या कैसे बनाएं? (How to Make Maths Students his Routine?),आदर्श गणित के विद्यार्थी की दिनचर्या (Ideal Students of Mathematics Routine) के बारे में बताया गया है।

5.गणित में कम अंक और वादा (हास्य-व्यंग्य) (Low Marks and Promise in Mathematics) (Humour-Satire):

  • पुत्र के गणित में कम अंक आए जबकि उसको ट्यूशन भी करवाई थी।वह अंकतालिका लेकर घर लौटा तो माँ भड़ककर बोली मैं तुम्हें कह देती हूँ कि अगर तुम फिर कभी गणित में कम अंक लेकर आए तो मैं तुम्हें घर से बाहर निकाल दूंगी,घर में घुसने ही नहीं दूंगी।
  • पुत्र लड़खड़ाते स्वर में बोला,बस यही तो मेरी किस्मत में है वादा,वादा और सिर्फ वादा।

6.गणित का विद्यार्थी अपनी दिनचर्या कैसे बनाएं? (Frequently Asked Questions Related to How to Make Maths Students his Routine?),आदर्श गणित के विद्यार्थी की दिनचर्या (Ideal Students of Mathematics Routine) से संबंधित अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्नः

प्रश्नः1.अध्ययन करने के क्या लाभ हैं? (What are the Benefits of Studying?):

उत्तरःअध्ययन करने से ज्ञान में वृद्धि होती है।ज्ञान जीवंत बना रहता है।ज्ञान से उन्नति के नए-नए रास्ते खुलते हैं।ज्ञान से आत्मा तृप्त होती है।अध्ययन करने से स्मरण शक्ति की वृद्धि होती है।अध्ययन से चिंतन-मनन करने की प्रेरणा मिलती है।अध्ययन से नई-नई बातें व ज्ञानवर्धक चीजें सीखते हैं।
किसी भी विषय के कठिन तथ्यों का बार-बार अध्ययन करने और अभ्यास करने से वह विषय समझ में आता है और सरल लगने लगता है।विद्यार्थी की समझ बढ़ती है।अध्ययन-मनन-चिंतन करने  से नई खोजे करने में सहायता मिलती है।अध्ययन से सृजनात्मकता का विकास होता है। विवेक का विकास होता है और सही-गलत का ठीक से निर्णय कर पाते हैं।विषय के प्रति रुचि का विकास होता है तथा नई-नई बातें जानने की जिज्ञासा होती है।मन को एकाग्र करने की क्षमता उत्पन्न होती है।मन का भटकाव रुकता है क्योंकि हम अध्ययन करने से व्यस्त रहते हैं।समय का सदुपयोग होता है।

प्रश्नः2.अध्य्यन करते समय क्या सावधानी रखनी चाहिए? (What Precautions Should be Taken While Studying?):

उत्तरःअध्ययन करते समय नोटबुक साथ में रखनी चाहिए जिससे महत्त्वपूर्ण बातों को लिखा जा सके।सदैव सीधे बैठकर पढ़ना चाहिए।सोते हुए या झुककर नहीं पढ़ना चाहिए क्योंकि इससे नेत्र ज्योति पर विपरीत प्रभाव पड़ता है,साथ ही पढ़ने में एकाग्रता व जागरूकता नहीं रहती है।आँखें दुखनी आ रही हो तो ऐसी अवस्था में पढ़ना नहीं चाहिए क्योंकि आँखों पर जोर पड़ने पर रोग बढ़ जाता है।अच्छे प्रकाश में पढ़ना चाहिए और प्रकाश कंधे के पीछे से आना चाहिए सामने की ओर से नहीं।सूर्योदय व सूर्यास्त के समय नहीं पढ़ना चाहिए क्योंकि घटते-बढ़ते प्रकाश में पढ़ना आंखों के लिए हानिकारक है।यदि पढ़ने में सिरदर्द हो तो आंखों की जांच करवाना चाहिए।दृष्टि कमजोर हो तो चश्मा चढ़वा लेना चाहिए।जब पढ़ते-पढ़ते नेत्रों में थकान आ जाए तो बीच में कुछ विश्राम कर लेना चाहिए। आंखें बंद करके थकावट दूर करें।

प्रश्नः3.भोजन करने में क्या सावधानी रखें? (What Precautions Should You Take While Eating?):

उत्तर:(1.)अफीम,कोकीन,गांजा,चरस,तंबाकू,मद्य (मादक पदार्थ),शराब,चाय,कॉफी,कोको,पान,तंबाकू,मांस,सोडा लेमन,बर्फ इत्यादि का सेवन विद्यार्थी को नहीं करना चाहिए।सिगरेट,भंग का भी सेवन न करें।
(2.)सदा शुद्ध,सात्विक,सादा और ताजा भोजन करना चाहिए।
(3.)भोजन करने का उद्देश्य है शरीर की भूख मिटाना,शरीर को स्वस्थ,निरोग और बलवान बनाना।इसलिए अति मात्रा में भोजन नहीं करना चाहिए।
(4.)भोजन करते समय जल नहीं पीना चाहिए। केवल दो-चार घूंट बीच में पानी पी सकते हैं।
(5.)भोजन भूख से थोड़ा कम मात्रा में करना चाहिए।भोजन के पश्चात लघु शंका अवश्य करना चाहिए।
(6.)भोजन के पश्चात लघुशंका अवश्य करना चाहिए जिससे शरीर की अनावश्यक गर्मी निकल जाती है।
(7.)भोजन करने के पश्चात् हाथ-मुँह धोकर,गीले हाथों को मुंह पर फेरना चाहिए।

  • उपर्युक्त प्रश्नों के उत्तर द्वारा गणित का विद्यार्थी अपनी दिनचर्या कैसे बनाएं? (How to Make Maths Students his Routine?),आदर्श गणित के विद्यार्थी की दिनचर्या (Ideal Students of Mathematics Routine) के बारे में ओर अधिक जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।

How to Make Maths Students his Routine?

गणित का विद्यार्थी अपनी दिनचर्या कैसे बनाएं?
(How to Make Maths Students his Routine?)

How to Make Maths Students his Routine?

गणित का विद्यार्थी अपनी दिनचर्या कैसे बनाएं? (How to Make Maths Students his Routine?)
वस्तुतः गणित के आदर्श विद्यार्थी की दिनचर्या ऐसी होनी चाहिए जो न केवल खुद के लिए
हितकारी हो बल्कि उसके कार्य से देश,समाज भी उन्नत हो सके।

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