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Why Should Students Adopt Simplicity?

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1.छात्र-छात्राएं सरलता क्यों अपनाएं? (Why Should Students Adopt Simplicity?),गणित के छात्र-छात्राएं अध्ययन करने की क्षमता बढ़ाने के लिए सरलता कैसे अपनाएं? (How to Adopt Simplicity to Increase Ability of Mathematics?):

  • छात्र-छात्राएं सरलता क्यों अपनाएं? (Why Should Students Adopt Simplicity?) क्योंकि सरलता एक ऐसा गुण है कि छात्र-छात्राओं में कोई ओर गुण न हो तो इस गुण से अन्य गुण विकसित होने लगते हैं जैसे बहुत से वृक्ष केवल भूमि के पानी से पनपने लगते हैं।सरलचित्त छात्र-छात्राओं का व्यक्तित्व अहंकार,अभिमान रहित होता है इसलिए वे अन्य छात्र-छात्राओं का सहयोग सहायता करने के लिए तत्पर रहते हैं।सरल चित्त छात्र-छात्राएं शिक्षक,माता-पिता तथा सभी का चहेता बन जाता है।सभी लोग ऐसे छात्र-छात्राओं की सफलता तथा प्रगति करने की कामना करते हैं।सरल छात्र-छात्राओं की प्रगति की कामना ही नहीं करते बल्कि उनके अध्ययन में आने वाली अड़चनों को सुलझाने में यथासंभव सहयोग-सहायता करते हैं।
  • सरल छात्र-छात्राओं में छल-कपट नहीं होता है।यदि सरल छात्र-छात्राएं होते हैं तो उन्हें अपनी धन-संपत्ति,अपने माता-पिता की पद-प्रतिष्ठा का घमंड नहीं होता है।ऐसे छात्र-छात्राएं सबसे मिल-जुलकर रहते हैं।इस प्रकार के छात्र-छात्राएं अपने वैभव का प्रदर्शन न करके साधारण छात्र-छात्राओं की तरह जीवन व्यतीत करते हैं।
  • कई छात्र-छात्राएं तथा व्यक्ति थोड़ी सी सफलता और विद्या प्राप्त करके फूलकर कुप्पा हो जाते हैं।जबकि कुछ छात्र-छात्राओं को बड़ी से बड़ी सफलता मिलने पर भी सरल बने रहते हैं।
  • महान गणितज्ञ एवं वैज्ञानिक आइज़क न्यूटन से तो आप सभी परिचित होंगे।उन्होंने पेड़ से सेव को गिरते देखकर पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण नियम (The Law of Gravitation) की खोज की।आइजक न्यूटन (Isaac Newton) की प्रतिभा और बुद्धि पर समस्त इंग्लैंड को गर्व था परंतु स्वयं न्यूटन को अपनी प्रतिभा और बुद्धि पर बिल्कुल भी गर्व नहीं था।एक दिन एक महिला न्यूटन से मिली और उनकी प्रतिभा और योग्यता की सराहना व प्रशंसा करने लगी।अपनी प्रशंसा सुनकर न्यूटन फूलकर कुप्पा नहीं हुए बल्कि उन्होंने कहा किः
  • “Alas! I am only like a child picking up pebbles on the shore of the giant ocean of truth”.
    (अर्थात् मैं तो उस बालक के समान हूं जो सत्य के विशाल समुद्र के किनारे बैठा हुआ केवल कंकरों को चुनता रहा है।)
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2.छात्र-छात्राएं सरल बनें (Students Should be Simple):

  • अध्ययन तथा विद्या ग्रहण करने की प्राथमिक शर्त है कि छात्र-छात्राएं सरल बनें।यदि हम सरल नहीं बनेंगे तो निश्चित रूप से कई दुर्गुण हमारे अंदर प्रवेश कर जाएंगे।उन दुर्गुणों में सबसे घातक दुर्गुण हैं आलस्य और प्रमाद तथा अहंकार।ये दुर्गुण जब छात्र-छात्राओं में प्रवेश कर जाते हैं तो उनको खोखला कर देते हैं।उनकी प्रतिभा को नष्ट कर डालते हैं।आलस्य,प्रमाद और अहंकार का झाड़ जब हमारे मन में पैदा हो जाता है तो दिनचर्या अस्त-व्यस्त तथा अव्यवस्थित हो जाती है।न पढ़ने का समय निश्चित होता है,न सोने, न खेलने का समय निश्चित होता है।इन दुर्गुणों के जाल में फंसने के बाद हम हमारे समय को फालतू के कार्यों में नष्ट करते-रहते हैं।अध्ययन तथा विद्या ग्रहण करना हमें बोझ लगने लगता है और अध्ययन से मन उचट जाता है।
  • सरलता अपनाने से हम अपने अध्ययन कार्य को पूर्ण मनोयोग लगाकर अधिक कुशलता और पुरुषार्थ से करने का प्रयास करते हैं।जो छात्र-छात्राएं इस रहस्य को समझ लेते हैं वे पूर्ण दिलचस्पी तथा तल्लीन होकर अध्ययन कार्य को करते हैं।सरलता,पुरुषार्थ,अभ्यास इत्यादि गुणों को ग्रहण करके वे छात्र-छात्राएं इतने सक्षम,योग्य और कुशल हो जाते हैं कि सफलता को वे सहज ही प्राप्त कर लेते हैं।
  • अध्ययन के प्रति ईमानदारी तथा सरलता ऐसे सद्गुण हैं जो मित्रों,शिक्षकों,माता-पिता तथा बड़ों का स्नेह-सद्भाव सहज ही प्राप्त कर लेते हैं।चतुराई के बजाय सज्जनता और सरलता अधिक लाभदायक सिद्ध होती है।सरलता के अभाव में हम अहंकारी हो जाते हैं और अहंकार हमारे दुर्गुणों को ढक लेता है।अहंकारी व्यक्ति थोड़ी सी सफलता,पद,प्रतिष्ठा और वैभव पाकर इतराने लगता है।जो छात्र छात्राएं जितने सरल होते जाते हैं उनमें सरलता का गुण अन्य गुणों को चुंबक की भांति अपनी ओर खींच लेता है।
  • संसार के महान गणितज्ञों,वैज्ञानिकों,मनस्वी लोगों तथा महापुरुषों ने सरलता को अपनाया है और उत्कृष्ट पथ पर आगे बढ़े हैं।

3.छात्र-छात्राएं सरल कैसे बनें? (How do Students Become Simple?):

  • (1.)अध्ययन कार्य को पूर्ण मनोयोग और दत्तचित्त होकर करें।बोझ समझकर अध्ययन न करें।
  • (2.)आप दूसरों से अध्ययन तथा गणित के सवालों और समस्याओं को सुलझाने में सहयोग-सहायता की अपेक्षा करते हैं वैसे ही आप भी अपने मित्रों-सहपाठियों की सहायता-सहयोग करें।
  • (3.)सफलता तथा अच्छे अंको से उत्तीर्ण होने पर मन में अहंकार को न आने दो क्योंकि सफलता तथा अच्छे अंकों की प्राप्ति में शिक्षकों,मित्रों,माता-पिता,पुस्तकों तथा अन्य कई लोगों का योगदान होता है।केवल छात्र-छात्राएं स्वयं ही अपने बलबूते पर सफलता एवं अच्छे अंक प्राप्त नहीं करता है।
  • (4.)कहीं भी कोई वस्तु,पुस्तक इत्यादि खरीदने जाएं अथवा किसी कार्य से कहीं भी जाएं तो भीड़ लगी होने पर अपनी बारी आने का इंतजार करें सभी को जल्दी से काम निपटाकर लौटने की मंशा होती है।
  • (5.)अनजाने में किसी भूल या गलती हो जाए तो क्षुब्ध एवं क्रोध न करें बल्कि धैर्य धारण करते हुए क्षमा भाव रखे।अपनी होने वाली हानि को बढ़ा चढ़ाकर प्रस्तुत न करें।
  • (6.)अपने किसी सहयोगी अथवा किसी से असावधानी के कारण आपके अध्ययन के परिश्रम पर पानी फिर गया हो,आपका अध्ययन कार्य नोट्स वगैरह बेकार हो गया हो तो दुखी होने,पश्चाताप करने अथवा जिसके कारण आपका नुकसान हो गया है उसको कड़वी,जली कटी बातें कहने,लड़ाई झगड़ा करने के बजाए शांति धारण करें।अपने अध्ययन कार्य नोट्स वगैरह को पुनः तैयार करें।जैसे महान गणितज्ञ एवं वैज्ञानिक आइजक न्यूटन ने विज्ञान में खोज कार्य करके नोट्स बनाए थे।नोट्स को मेज पर रखकर बाहर चले गए।पीछे से उनके कुत्ते डायमंड ने मेज पर छलांग लगाई जिसके कारण उन नोट्स पर जलती हुई मोमबत्ती गिर गई और वे रिसर्च पेपर जलकर राख हो गए।आइजक न्यूटन ने न तो कुत्ते पर गुस्सा किया और न ही दुःखी हुए बल्कि पुनः रिसर्च पेपर तैयार किए।
  • (7.)ऊँचा पद,सम्मान,अवार्ड मिलने पर विनम्रता धारण करें।जैसे पेड़ पर फल लगने पर पेड़ झुक जाता है।इसी प्रकार हमें भी पद,सम्मान,अवार्ड मिलने पर ओर अधिक सरल और विनम्र बनना चाहिए।
  • (8.)किसी भी विषय अथवा गणित में कितना ही ज्ञान प्राप्त कर लें,कितनी ही गहराई तक पहुंच जाए,कितनी ही महत्वपूर्ण खोज कर लें लेकिन अपने आपको बालक ही समझें।क्योंकि हर नई जानकारी,खोजें और आविष्कार पिछली जानकारी,खोज और आविष्कारों को छोटा और सीमित सिद्ध कर देती है।इसलिए किसी भी विषय की गहराई तक जाना,संपूर्ण ज्ञान प्राप्त करना,बहुत सी खोजें शेष हैं।
  • (9.)अज्ञानता के कारण कोई भी अशिष्ट,अभद्र व्यवहार कर दे तो मानसिक संतुलन न खोएं।
  • (10.)छात्र-छात्राएं घर-परिवार के कार्य भी करता है,देर रात तक पढ़ता है,बहुत कम विश्राम करता है।माता-पिता,अध्यापकों की ताड़ना भी सहता है।मौज-मस्ती,मनोरंजन नहीं कर पाता है।हमेशा अध्ययन कार्य में ही व्यस्त रहता है।कठिन परिश्रम करता है।थोड़ी सी भी लापरवाही से काफी नुकसान उठाना पड़ता है इसलिए जागरूक रहना पड़ता है।अनुशासन का पालन करता है।परंतु इन्हीं सभी कार्यों के कारण सरलता धारण करता है।इसलिए अध्ययन तथा अन्य कार्यों से विचलित न हों,धैर्य धारण करें।इन सबका लाभ उसे जाॅब मिलने के रूप में,गृहस्थ तथा सांसारिक जीवन में मिलता है।
  • (11.)नाते-रिश्तेदारों,मित्रों के यहां किसी भी विवाह,जन्मदिन इत्यादि के मौके पर शिरकत करें और आपको कोई दायित्व दें तो कितना ही छोटा कार्य दिया जाए उसे पूर्ण निष्ठा के साथ करें।भगवान कृष्ण पांडवों के राजसूय यज्ञ में शामिल हुए।उन्हें श्रेष्ठ कार्य चुनने के लिए कहा गया परंतु उन्होंने मेहमानों के पैर धोकर सत्कार करने का काम संभाला।परंतु उनके पैर धोने से वे छोटे नहीं हुए।
  • (12.)घर के बड़े-बुजुर्गों की सेवा करने का मौका मिल जाए तो ऐसे अवसर को न खोएं।बल्कि समय निकालकर बड़े-बुजुर्गों के पास भी कुछ समय बैठें।क्योंकि जो बात उनसे सीखी जा सकती है वह ओर कहीं नहीं मिल सकती है।उन्हें जीवन की कठोर सच्चाइयों का अनुभव होता है।

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4.सरलता का दृष्टांत (A Parable of Simplicity):

  • दिगंबर सिंह गणितज्ञ थे।वे अपने कार्यालय में गणित का कार्य करने में संलग्न रहते थे।भारत में गणित परिषद का कार्यालय तैयार किया जाना था।उसको तैयार करने तथा देखरेख व दिशानिर्देश के लिए गणितज्ञ की जरूरत थी।यह उत्तरदायित्त्व दिगम्बर सिंह को सौंपा गया।दिगम्बर सिंह गणितज्ञ की धूम पूरे भारत में मची हुई थी।उन्होंने काफी ख्याति अर्जित कर ली थी।
    वे दिनभर अपने कार्यालय में गणित के खोज कार्य में लगे रहते थे।सुबह-शाम गणित परिषद की रूपरेखा तैयार करने,दिशा निर्देश देने तथा कार्य की देखरेख करने जाते थे।वे देर रात को लौटकर घर आते थे।दिनभर अपनी गणित प्रयोगशाला में कार्य करने तथा सुबह-शाम गणित परिषद का कार्य करने से उन्हें काफी थकान हो जाती थी।देर रात को लौटते समय वे जल्दी से जल्दी घर लौटने के मूड में रहते थे ताकि मानसिक थकान को विश्राम करके दूर कर सकें।
  • एक दिन वे गणित परिषद के कार्य की देखरेख करके लौट रहे थे कि रास्ते में छात्र-छात्राओं का समूह उनका इंतजार करता हुआ मिला।उन्होंने डॉ दिगंबर सिंह को अभिवादन किया और बोले यदि आप जल्दी में न हो तो हमारा आपसे एक निवेदन है।छात्र-छात्राओं ने कहा कि हमारी जेईई-मेन की परीक्षा है।आज रात आप हमें पढ़ा दे तो हमारा भला हो जाएगा।हालांकि वे चाहते तो छात्र-छात्राओं को टरकाकर घर जा सकते थे परंतु उन्होंने बड़े ही प्रेम से कहा क्यों नहीं?
  • मेरे द्वारा पढ़ाने से आपके भविष्य का निर्माण हो सकता है तो यह मेरे सौभाग्य की बात है।वे बिना भोजन किए और विश्राम किए उनको पढ़ाने के लिए चल दिए।उन्होंने छात्र-छात्राओं के दिल को तोड़ना उचित नहीं समझा।छात्र-छात्राओं ने पहले ही पढ़ाने के लिए कमरा तैयार कर रखा था।उन्होंने दत्तचित्त होकर जेईई-मेन की तैयारी की टिप्स बताई।कुछ माॅडल पेपर्स हल करवाए।रातभर उन सभी छात्र-छात्राओं को पढ़ाते रहे।उन्होंने छात्र-छात्राओं को यह आभास ही नहीं होने दिया कि वे भोजन किए हुए नहीं है।उन्हें मानसिक थकान हो रही है।बल्कि उन्होंने दत्तचित्त और पूर्ण एकाग्रता के साथ पूरी रातभर पढ़ाया।
    छात्र-छात्राओं ने जो सवाल तथा समस्याएँ पूछी उनका यथोचित उत्तर दिया।प्रातःकाल उन्होंने छात्र-छात्राओं से पूछा कि उनका पढ़ाया हुआ पसंद आया या नहीं।सभी छात्र-छात्राओं ने कहा कि बहुत ही शानदार,यह कहकर सभी छात्र-छात्राएं गणितज्ञ दिगंबर सिंह के आगे नतमस्तक हो गए।
  • गणितज्ञ दिगंबर सिंह उसी सहज भाव से अपने घर पर चल दिए।ऐसी सरलता थी गणितज्ञ डॉक्टर दिगम्बर सिंह में।जिन गणितज्ञों को प्रसिद्धि या प्रतिष्ठा मिल जाती है वे अपने आपको बहुत बड़ा गणितज्ञ और देवदूत समझने लगते हैं जबकि योग्यता तथा प्रतिभा का सही मूल्यांकन सरलता धारण करने से ही हो सकता है।
  • उपर्युक्त आर्टिकल में छात्र-छात्राएं सरलता क्यों अपनाएं? (Why Should Students Adopt Simplicity?),गणित के छात्र-छात्राएं अध्ययन करने की क्षमता बढ़ाने के लिए सरलता कैसे अपनाएं? (How to Adopt Simplicity to Increase Ability of Mathematics?) के बारे में बताया गया है।

5.गणित की परीक्षा में नकल करने पर बरी छात्र (हास्य-व्यंग्य) (Students Acquitted for Cheating in Mathematics Exam) (Humour-Satire):

  • जज ने फैसला सुनाते हुए गणित छात्र से कहा कि तुम्हें परीक्षा में नकल करने तथा परीक्षक को डराने धमकाने का आरोप सिद्ध नहीं हो सका है इसलिए तुम्हें कोर्ट से बरी किया जाता है।
  • आरोपी गणित छात्र:बहुत-बहुत आभार जज साहब।अब मुझे कोई डर नहीं है क्योंकि एक कोर्ट ही तो है जिससे चोर,डकैत,लुटेरों,राजनीतिज्ञ यानि हर कोई खौफ खाते हैं।इसका मतलब है कि परीक्षा में मैंने जो नकल की है उसके आधार पर अब मुझे उत्तीर्ण कर दिया जाएगा।

6.छात्र-छात्राएं सरलता क्यों अपनाएं? (Frequently Asked Questions Related to Why Should Students Adopt Simplicity?),गणित के छात्र-छात्राएं अध्ययन करने की क्षमता बढ़ाने के लिए सरलता कैसे अपनाएं? (How to Adopt Simplicity to Increase Ability of Mathematics?) से संबंधित अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न:

प्रश्न:1.छात्र-छात्राओं को सरलता क्यों अपनानी चाहिए? (Why Should Students be Simple?):

उत्तर:सरलता एक ऐसा गुण है जो अन्य गुणों को भी आकर्षित कर लेता है।सरलता के बिना छात्र-छात्राएं विद्या ग्रहण नहीं कर सकते हैं।विद्या ग्रहण करने की प्राथमिक शर्त है सरल होना।सरलता के कारण अन्य गुण विकसित होते ही हैं साथ ही अन्य गुण सुशोभित भी होते हैं।यदि अध्ययन तथा गणित के अध्ययन पथ पर आगे बढ़ना है तो सरलता धारण करना ही होगा।सरलता के अभाव में दुर्गुणों (आलस्य,लापरवाही,प्रमाद इत्यादि) का प्रवेश हो जाता है जो अध्ययन में बाधक हैं।सरलता से ही पद,प्रतिष्ठा और वैभव सुंदर लगते हैं और शोभा पाते हैं।

प्रश्न:2.घमंड और सरलता में क्या अंतर है? (What is the Difference Between Pride and Simplicity?):

उत्तर:घमंडी मनुष्य यश,मान,प्रतिष्ठा पाकर फूल जाता है और दूसरों को तुच्छ समझता है।अहंकारी अपने आपको श्रेष्ठ समझता है और अपनी प्रशंसा करता फिरता है।यश,मान,प्रतिष्ठा और धन-दौलत की डींगे हाँकता-फिरता है।सरल मनुष्य यश,मान,प्रतिष्ठा पाकर ओर अधिक सरल हो जाता है।सरल व्यक्ति सबका प्रिय होता है।इसी कारण उसका ज्ञान बढ़ता जाता है।

प्रश्न:3.क्या छात्र-छात्राओं को अपनी उपलब्धियों पर गर्व नहीं करना चाहिए? (Shouldn’t Students be Proud of Their Achievements?):

उत्तरःछात्र छात्राओं को अपने गुणों,अपनी उपलब्धियों,अपनी सफलताओं,अपने पुरखों,अपने देश और यश,मान,प्रतिष्ठा,पद,धन-संपत्ति इत्यादि पर गर्व तो होना चाहिए।यह स्वाभाविक है और मानसिक संतुष्टि प्रदान करता है।यह भावना सीमा से बाहर होने लगती है तब यह घमंड बन जाती है जो स्वयं के साथ-साथ दूसरों के लिए भी हानिकारक होती है क्योंकि सीमा से बाहर हर कहीं वह इनका ढिंढोरा पीटता रहता है जिससे उसका अहंकार बढ़ता है।

  • उपर्युक्त प्रश्नों के उत्तर द्वारा छात्र-छात्राएं सरलता क्यों अपनाएं? (Why Should Students Adopt Simplicity?),गणित के छात्र-छात्राएं अध्ययन करने की क्षमता बढ़ाने के लिए सरलता कैसे अपनाएं? (How to Adopt Simplicity to Increase Ability of Mathematics?) के बारे में ओर अधिक जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।

Why Should Students Adopt Simplicity?

छात्र-छात्राएं सरलता क्यों अपनाएं?
(Why Should Students Adopt Simplicity?)

Why Should Students Adopt Simplicity?

छात्र-छात्राएं सरलता क्यों अपनाएं? (Why Should Students Adopt Simplicity?)
क्योंकि सरलता एक ऐसा गुण है कि छात्र-छात्राओं में कोई ओर गुण न हो तो
इस गुण से अन्य गुण विकसित होने लगते हैं जैसे बहुत
से वृक्ष केवल भूमि के पानी से पनपने लगते हैं।

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