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11Stress Relief Strategies for Student

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1.छात्र-छात्राओं के लिए तनाव से मुक्त होने की 11 रणनीतियाँ (11Stress Relief Strategies for Student),तनाव मुक्त छात्र कैसे हों? (How to Stay Stress-free Students?):

  • छात्र-छात्राओं के लिए तनाव से मुक्त होने की 11 रणनीतियों (11Stress Relief Strategies for Student) का पालन करके वे तनाव मुक्त हो सकते हैं।ऐसे छात्र-छात्राएं बहुत कम मिलेंगे जो वास्तव में तनाव मुक्त रहते हैं और हर परिस्थिति का कुशलतापूर्वक सामना करते हैं।तनावमुक्त रहना हमारे हाथ में ही है और तनाव को गा-बजाकर हम ही आमंत्रित करते हैं अर्थात् पाल लेते हैं।
  • आज अधिकांश छात्र-छात्राएं परीक्षा की तैयारी को लेकर,परीक्षा के कारण,किसी विषय में कोई टॉपिक हल नहीं हो रहा हो,कोर्स का अध्ययन नहीं किया हो अथवा अन्य कोई व्यक्तिगत समस्या को लेकर तनावग्रस्त हो जाते हैं।
    अब यह तो सीधी-सी बात है कि तनावग्रस्त होने से समस्याएं हल नहीं हो सकती है।समस्याओं का साहस के साथ सामना करने,समाधान करने पर ही हल हो सकती हैं।समस्याओं का समाधान कठिन परिश्रम,आत्मविश्वास,धैर्य धारण करने और प्रयास करने पर ही हल हों सकती हैं,केवल तनाव पाल लेने से नहीं हो सकती हैं।
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2.समस्याओं का समाधान करें (Fix Problems):

  • छात्र-छात्राएं सोचें कि यह जीवन एक संघर्ष है और आपके व्यक्तित्व का निर्माण संघर्ष करने से होता है याकि हो सकता है।जितनी जटिल से जटिल समस्याओं का आप सामना करेंगे और हल करेंगे तो आप आनंद महसूस करेंगे।
    संघर्ष से कतराना और समस्याओं के समाधान पर अपने मन को केंद्रित न करके उदास होकर बैठने से समस्याएं ओर अधिक जटिल हो जाती है क्योंकि टेंशन फ्री होकर जिस कुशलता और योग्यता से किसी समस्या को हल कर सकते हैं,टेंशन में रहकर नहीं।यदि हम किसी छोटी अथवा बड़ी समस्या से डर जाएंगे और अपना मार्ग बदल लेंगे तो नए मार्ग में भी समस्याएं आएंगी ही।
  • मनुष्य जीवन के अर्थ को समझना होगा तथा यह समझना होगा कि जीवन में आनेवाली कठिनाइयां,अवरोध तथा समस्याएं को उन्हें अपने जीवट और पुरुषार्थ से हल करके अपना मार्ग खुद तैयार करना होगा।बिना संघर्ष,कठिनाइयों के जीवन नमक रहित रोटी के समान है और इन कष्ट,कठिनाइयों,संकटों और समस्याओं को जब हम स्वयं हल करते हैं तभी असली आनंद की अनुभूति कर सकते हैं और जीवन की सार्थकता समझ सकते हैं।

3.अपने अंदर भय को निकाल फेंके (Throw out the Fear Inside You):

  • छात्र-छात्राएं परीक्षा में प्रश्न पत्र कैसा आएगा,प्रश्न पत्र अच्छा होगा या नहीं,मैं जाॅब में सफल हो पाऊंगा या नहीं,मुझे अच्छा-सा जॉब मिल पाएगा या नहीं आदि अनेक तरह की शंका व कुशंकाएँ अपने मन में पाल लेते हैं।इनमें अधिकांश भय बिल्कुल निराधार होते हैं।इस प्रकार के भय जब छात्र-छात्राएं मन में पाल लेते हैं तो तनावग्रस्त हो जाते हैं।
  • उपर्युक्त में यदि कुछ घटनाएं घटित भी होती हैं अथवा वास्तविक हैं तो भी उनसे डरने से हम अपने आपमें कमजोरी पैदा कर लेते हैं।यह कमजोरी हमें अंदर ही अंदर खोखला कर देती है।नीति में कहा है कि “भय से तब तक ही डरना चाहिए जब तक वह पास नहीं आता परंतु भय को अपने निकट आता हुआ देखकर प्रहार करके उसे नष्ट करना ही उचित है।”
  • जो निराधार डर हमने अपने में पैदा कर लिए हैं,सोचिए अपने टेंशन के रूप में कितना कचरा अपने अंदर इकट्ठा कर लिया है और वह हमारी कैसी दुर्गति कर रहा है।ऐसे कचरे रूपी भय और तनाव को मन से निकल फेंकिए।

4.नकारात्मक सोचने से बचें (Avoid Negative Thinking):

  • हमारी बहुत-सी टेंशन तो हमारी नकारात्मक सोच हैं।हम बीते हुए समय में मिली हुई असफलताओं के बारे में सोच-सोचकर परेशान हो जाते हैं।जो बीत गया है उसकी काली छाया की गिरफ्त में रहना कहां की समझदारी है।जीवन में सफलता भी मिलती है तो असफलता भी मिलती है।
  • बीते हुए समय में मिली असफलताओं से सीख लेकर वैसी गलतियां न करें,इसी में समझदारी है।उदाहरणार्थ  कोई छात्र किसी कक्षा में अनुत्तीर्ण हो गया है तो इसका अर्थ यह नहीं है कि जीवन ही खत्म हो गया है।अतः गुजरी हुई ऐसी बातों को अपने दिमाग से निकाल दें और सकारात्मक चिंतन करें क्योंकि जो हो चुका है उसको नहीं बदला जा सकता है परंतु सही सोच,कड़ी मेहनत,आत्मविश्वास के बल पर आप अपने भविष्य को सँवार सकते हैं।नकारात्मक लोगों से दूर रहें।अच्छी संगत,अच्छी पुस्तकों का अध्ययन करें जिससे सकारात्मक होने में मदद मिले।

5.अधिक सोच-विचार न करें (Avoid Over thinking):

  • विद्यार्थी जीवन,जीवन निर्माण की नींव होता है।इस नींव का आप जिस प्रकार का निर्माण करेंगे आपका जीवन वैसा ही होगा।किसी भी मामले में,किसी भी स्थिति में अधिक सोच-विचार करने की आवश्यकता नहीं है बल्कि सोच-विचार और कर्म (अध्ययन करना,सवालों को हल करना,अभ्यास करना) में उचित तालमेल होना चाहिए।
  • जीवन में अक्सर वे ही असफल होते हैं जो केवल सोच-विचार करते हैं और कर्म नहीं करते अथवा जो कर्म करते हैं परंतु सोच-विचार बिल्कुल नहीं करते हैं।ये दोनों तरह के लोग असफल होते हैं।
  • हर कार्य में जोड़-घटा करना ठीक नहीं है।जीवन जीना कोई गणित नहीं है,एक कला है।इस कला को विद्यार्थी काल से विकसित करना होगा,सीखना होगा।हर समस्या का समाधान ढूंढने से जीवन सरल बनता है और हम आगे बढ़ते जाते हैं चाहे समस्या कितनी बड़ी हो परंतु यदि हम उससे जूझते रहते हैं तो अंततः समस्या हल हो ही जाती है।

6.स्वयं को हीन न समझें (Don’t Think of Yourself as Inferior):

  • भगवान ने सभी छात्र-छात्राओं और व्यक्तियों को समान सामर्थ्य देकर भेजा है।अब यह हमारे ऊपर निर्भर करता है कि उस सामर्थ्य का कितना उपयोग करते हैं,उपयोग करते हैं या दुरुपयोग करते हैं अथवा नहीं करते हैं।अतः दूसरे छात्र-छात्राओं को देखकर अथवा किसी भी कारण से अपने अंदर हीनता का भाव पैदा ना करें।
  • भगवान की दी हुई शक्तियों के बारे में आप चिंतन करेंगे,जान समझ सकेंगे तो आपको आश्चर्य होगा कि उसने आपको शक्तियों का कितना विपुल भंडार देकर भेजा है।जरूरत है तो हमें अपने अंदर उन गुणों को तलाशने और उभारने,निखारने,तराशने की।
  • अब आप अपनी सुप्त शक्तियों को जाग्रत करने का प्रयास ही न करें,अपने अंदर हीन भावना पैदा कर लें तो यह हमारी नासमझी है।
  • अपनी सुप्त प्रतिभा को पहचानना भी हमें पड़ेगा और उसे जगाना भी हमें ही पड़ेगा।हमारी एवज कोई दूसरा व्यक्ति हमारी सुप्त प्रतिभा को जगाने का कार्य नहीं कर सकता।दूसरा व्यक्ति हमारी सहायता व सहयोग कर सकता है परंतु चलना हमें ही पड़ेगा।दूसरों के पेट भरने से हमारा पेट नहीं भरेगा।
  • सफलता का नियम है:अपना सर्वश्रेष्ठ करें और वह लोगों को पसंद भी आना चाहिए  (Success has a simple formula,Do your best and people must like it.)।बस,अपनी ओर से बेहतर प्रयास करें और यह विश्वास रखें कि आप ऐसा कर सकते हैं।

7.दूसरों से अपेक्षाएँ न रखें (Don’t Have Expectations From Others):

  • किसी विद्वान ने कहा है कि यदि आप इस प्रतीक्षा में है कि कोई आकर आपकी मदद कर दे तो आप प्रतीक्षा ही करते रहेंगे।तात्पर्य यह है कि छात्र-छात्राएं परीक्षा भवन में एक दूसरे की तरफ इसलिए ताकते रहते हैं कि कोई मुझे थोड़ा-सा बता दे तो मेरी नैया पार हो जाए।अथवा दैनन्दिन अध्ययन के रूटीन में भी वे दूसरों की तरफ ताकते रहते हैं।जबकि पहले स्वयं भरसक प्रयास करना चाहिए तभी दूसरे की सहायता या सहयोग लेना चाहिए फिर भी यह जरूरी नहीं है कि दूसरा हमारा सहयोग कर ही देगा।
  • अतः दूसरे छात्र-छात्राओं और लोगों से कम से कम अपेक्षा रखें कम तनावग्रस्त होंगे (Expect less,you will be less frustrated) अर्थात् जब आप दूसरों से कम अपेक्षा करेंगे और यदि वे खरे नहीं उतरेंगे तो आपको बहुत कम तनाव होगा।यदि आप अधिक अपेक्षा करेंगे और वे उन पर खरे नहीं उतरेंगे तो आपको बहुत अधिक तनाव होगा।हमारे तनावग्रस्त होने का यह भी एक बड़ा कारण है कि हम दूसरों से अपेक्षा करते हैं कि वह हमारा काम कर दे।अपनी आदत से हमें यह निकालना होगा।

8.निःस्वार्थ सहायता करें (Help Selflessly):

  • छात्र जीवन हो,गृहस्थ जीवन हो या जॉब का जीवन हो हर व्यक्ति को कहीं ना कहीं सहायता-सहयोग की आवश्यकता पड़ती ही है।यदि आप छात्र हैं और दूसरे को कोई सवाल समझा रहे हैं अथवा कोई टॉपिक समझा रहे हैं तो नि:स्वार्थ भाव से सहयोग करें,इससे आपको आनंद का अनुभव होगा बाकी सब कुछ आप भूल जाएंगे क्योंकि यहां आपको बदले में कुछ प्राप्त करने की अपेक्षा नहीं होगी और इससे तनाव की संभावना बहुत कम हो जाएगी।आनंद का अर्थ ही है तनावरहित होना।
  • दूसरों की मदद करने से आप मानसिक रूप से भी शक्तिशाली बनते हैं।आपको लगता है कि अब भगवान भी आपका साथ देगा क्योंकि आपने एक अच्छा काम किया है।
  • एक अच्छा जीवन जीने के लिए निम्न तीन सूत्र हैं जिनका अर्थ समझ जाएं तो हमें जीवन का सही ढंग मालूम हो जाएगाः(1.)हे भगवान! मुझे साहस दो कि जो संभव है मैं उसे कर सुकूं।(2.)हे भगवान!मुझे धैर्य दो कि जो असंभव हो मैं उसे स्वीकार कर सकूं।(3.)हे भगवान!मुझे बुद्धि दो कि मैं इन दोनों में अंतर कर सकूं (अर्थात् क्या संभव है और क्या असंभव है)।
  • तनाव का सबसे बड़ा कारण यही है।हम यह जानते ही नहीं कि हमारे लिए क्या संभव है और क्या असंभव।जो हमारे नियंत्रण में नहीं है उस पर रोने या उदास होने से कोई लाभ नहीं।जो संभव है उसके लिए आत्म-विश्वास और कठिन परिश्रम की आवश्यकता है।उसे आप कर सकते हैं इसलिए तनावग्रस्त होने का कोई प्रश्न ही नहीं उठाता।बस आवश्यकता है तो केवल बुद्धि की जिससे हम संभव और असंभव में अंतर कर सकें।

9.सबके हित का ध्यान रखें (Take Care of Everyone’s Interest):

  • यदि कोई छात्र किसी दूसरे छात्र को कोई टॉपिक समझा रहा है तो दूसरे का तो भला है ही परंतु आपकी पुनरावृत्ति हो रही है इसलिए आपका भी भला है।एक अच्छा कार्य वह है जिससे सभी लोग लाभ उठाएं।हम तभी तनावग्रस्त होते हैं जब हम केवल अपने विषय में ही सोचते हैं,अपना भला करने की ही सोचते हैं क्योंकि इससे समाज में असंतुलन आ जाता है।जब हम दूसरे को नुकसान पहुंचाकर या केवल अपने लाभ के लिए कार्य करते हैं तो हमें एक डर-सा बना रहता है।
  • एक कहावत भी है:”किसी भी जगह की गरीबी हर जगह की समृद्धि के लिए एक खतरा है।” (Poverty Anywhere is the Threat for the Prosperity Everywhere)।इसलिए हमें सबका ध्यान रखना चाहिए।

10.स्पष्ट व्यवहार रखें (Keep Clear Behavior):

  • व्यवहार की अस्पष्टता भी तनाव का एक बहुत बड़ा कारण है।पहले तो लोग स्पष्ट बोलने में हिचकिचाते हैं और बाद में या तो स्वयं तनावग्रस्त होकर बैठ जाते हैं या फिर दूसरों से झगड़ा करते हैं।जब भी आप किसी से कोई वादा करें,उसे उसी समय सब कुछ स्पष्ट कर दें,चाहे वह आपका कितना ही करीबी मित्र हो।हालांकि यह सामने वाले को बुरा भी लग सकता है परंतु कुछ समय के लिए बेशर्म होकर स्पष्ट कह देना हमेशा के लिए सुकून प्रदान करता है।
  • उदाहरणार्थ कोई दूसरा छात्र किसी मामले में आपका सहयोग मांग रहा है परंतु उस समय आप उससे भी महत्त्वपूर्ण कार्य कर रहे हैं तो स्पष्ट इनकार कर दें और कारण बता सके तो बता दें।टाल-मटोल करने,गोलमोल जवाब देने से न केवल आपकी छवि खराब होती है बल्कि आपकी आलोचना होने लगती है जिससे आप तनावग्रस्त हो सकते हैं।

11.तनाव से मुक्त होने का निष्कर्ष (The Conclusion of Being Free From Stress):

  • उपर्युक्त टिप्स को देखकर छात्र-छात्राओं का सिर चकरा सकता है कि जीवन में इतनी बातों का पालन करना कैसे संभव है? परंतु एक-एक,दो-दो बातों का पालन करने से सभी बातों का पालन करना संभव हो जाता है।साथ ही आध्यात्मिक व्यक्ति भी बनने की कोशिश करें,इससे आपको उपर्युक्त लक्ष्य पहाड़ जैसा नहीं लगेगा।
  • जीवन में तनाव मुक्त रहने के लिए हमें बस अपने अंदर के आनंद को बाहर लाने की आवश्यकता है।जिसे हम सांसारिक वस्तुओं में ढूंढते रहते हैं वह हमारे अंदर ही है।प्रसन्नचित रहें,सबका आदर करें,किसी से अधिक अपेक्षा न करें,स्वयं को स्वस्थ रखें,लालच से दूर रहें एवं अपने अंदर त्याग की भावना का विकास करें।आपको तनाव कभी छू भी नहीं सकेगा।
  • प्रसन्नता ही सत्य है।यदि आप तनाव में है तो सोच लें कि एक झूठ आपके साथ है।उसे भगाएँ और अपने काम (अध्ययन) में जुट जाएँ,सिर्फ परिणाम को सोचकर तनाव पाल लेना नासमझी है।जो तनाव को स्वयं पर हावी नहीं होने देता वही किसी काम को सफलतापूर्वक कर सकता है और अपने जीवन में अभूतपूर्व उपलब्धियां हासिल कर सकता है।
  • जब आप कुछ खोते हैं तो तनिक सोचिए आपने अब तक कितना कुछ पाया भी तो है।आप देखेंगे कि आपने बहुत अधिक पाया है और बहुत कम खोया है,क्योंकि यह तो सामान्य गणित है कि हम पाने से अधिक कभी खो ही नहीं सकते।सबसे बड़ा धन तो हमारा जीवन है।क्या किसी भौतिक वस्तु के लिए आप उस जीवन का एक भी बहुमूल्य पल व्यर्थ गँवाना चाहोगे? निश्चित ही ‘नहीं’ तो फिर प्रसन्न रहिए और निकल फेंकिए हर तरह का तनाव अपने दिल से।
  • उपर्युक्त आर्टिकल में छात्र-छात्राओं के लिए तनाव से मुक्त होने की 11 रणनीतियाँ (11Stress Relief Strategies for Student),तनाव मुक्त छात्र कैसे हों? (How to Stay Stress-free Students?) के बारे में बताया गया है।

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12.टीचर का सुझाव (हास्य-व्यंग्य) (Teacher’s Suggestion) (Humour-Satire):

  • विष्णु (गोविंद से):तुम्हारे पिताजी क्या काम करते हैं?
  • गोविंद:छात्र-छात्राओं को सही जगह पर भेजते हैं।
  • विष्णु:ऐसा क्या करते हैं?
  • गोविंद:स्कूल में पढ़ाते समय सभी छात्र-छात्राओं को कहते हैं यहाँ ठीक से समझ में नहीं आएगा,आप कोचिंग में आ जाओगे तो ठीक से समझ में आ जाएगा।

13.छात्र-छात्राओं के लिए तनाव से मुक्त होने की 11 रणनीतियाँ (Frequently Asked Questions Related to 11Stress Relief Strategies for Student),तनाव मुक्त छात्र कैसे हों? (How to Stay Stress-free Students?) से संबंधित अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न:

प्रश्न:1.तनावरहित काम करने का क्या लाभ है? (What is the Benefit of Working without Stress?):

उत्तर:जो काम तुम्हें करना ही है उसे रोकर करो या हँसकर।यदि हँसकर तथा तनावरहित होकर करोगे तो परिणाम बेहतर होगा।क्योंकि तनावरहित होकर काम करने का अर्थ है एकाग्रतापूर्वक काम करना और एकाग्रतापूर्वक काम करने का परिणाम श्रेष्ठ ही होता है।

प्रश्न:2.क्या संघर्ष से तनाव उत्पन्न होता है? (Does Conflict Lead to Stress?):

उत्तर:जो व्यक्ति जीवन के हर छोटे-बड़े संघर्ष में आनंद प्राप्त करना सीख जाता है,तनाव उससे कोसों दूर भाग जाता है।शर्त यही है कि काम श्रेष्ठ हो और श्रेष्ठ कार्य को करने से ही आनंद प्राप्त हो सकता है।

प्रश्न:3.भय का क्या परिणाम होता है? (What is the Result of Fear?):

उत्तर:डरना मनुष्य का स्वभाव है,परंतु हर प्रकार का डर सच नहीं होता।यदि आपने उसे तनाव के रूप में पाल लिया तो वह एक दिन आपको नष्ट कर देगा।

  • उपर्युक्त प्रश्नों के उत्तर द्वारा छात्र-छात्राओं के लिए तनाव से मुक्त होने की 11 रणनीतियाँ (11Stress Relief Strategies for Student),तनाव मुक्त छात्र कैसे हों? (How to Stay Stress-free Students?) के बारे में ओर अधिक जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
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