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7 Tips to Get Acquainted with Yourself

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1.स्वयं से परिचित होने की 7 टिप्स (7 Tips to Get Acquainted with Yourself),छात्र-छात्राओं के लिए स्वयं को जानने की 7 बेहतरीन टिप्स (7 Best Tips for Students to Know Yourself):

  • स्वयं से परिचित होने की 7 टिप्स (7 Tips to Get Acquainted with Yourself) में बताया गया है कि चाहे किसी व्यक्ति की आयु कितनी भी क्यों न हो,उसके लिए उसका जीवन तभी से ही आरंभ होता है जब वह स्वयं से परिचित होता है।जब यह महान घटना घटती है,तब संपूर्ण तथा अर्थपूर्ण जीवन का अंकुरण होता है।उस समय से यह कहा जा सकता है कि वह व्यक्ति वास्तव में अपना जीवन जी रहा है।
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2.आप स्वयं क्या हैं? (What Are You Yourself?):

  • यह अत्यंत विचित्र बात है कि करोड़ों मानव पैदा होते हैं तथा सच्चे अर्थों में स्वयं से परिचित हुए बिना अपने दिन बिताकर गुजर जाते हैं।वे ऐसी अदृश्य शक्तियों के स्वामी होते हैं,जिन्हें कभी अभिव्यक्ति नहीं मिली।वे मानवता के परिदृश्य पर प्रकट होते हैं और लुप्त हो जाते हैं।ऐसे व्यक्तियों के लिए दुःख के साथ केवल इतना ही कहा जा सकता है, “वे अपनी पूरी योग्यता को अपने भीतर समाए हुए ही समाप्त हो गए।” मानव की ऐसी बर्बादी किसी त्रासदी से कम नहीं है और सृजनता के प्रति भारी अपराध है।
  • स्वयं अपने से परिचित होना हम सभी की समस्या रही है।स्वयं से परिचित होना नितांत आवश्यक है ताकि इस विश्व में हमारे पूर्ण व्यक्तित्व का पूरा विकास हो सके।साथ ही,यह सकारात्मक आशा भी की जा सके कि हम सभी अपने तरीके से मानवता के लिए कुछ योगदान दे सकें।
  • सदियों पहले सुकरात ने एक पुराने यूनानी मंदिर के ऊपर लिखा था-‘स्वयं से परिचित हों’ क्योंकि वे जानते थे कि किसी भी क्षेत्र में तथा स्वयं जीने की कला में कोई भी उपलब्धि स्वयं के सच्चे ज्ञान पर निर्भर है।आम आदमी को भी दर्शन के पितामह सुकरात के इस मार्गदर्शन की आवश्यकता है क्योंकि हम लोगों में से अधिकांश को अपनी शक्तियां तथा सामर्थ्य के बारे में पर्याप्त ज्ञान नहीं है।अपने मन में हम अपने आपको कम करके आते हैं।हम वास्तविक रूप में स्वयं में विश्वास नहीं करते।इस कारणवश हम दुर्बल,अप्रभावशाली,यहां तक की नपुंसक भी बने रहते हैं,जबकि हम शक्तिशाली,प्रभावशाली और विजयी बन सकते हैं।
  • यह सही है कि साधारण व सम्मानीय पेशों में परिपक्व बुद्धिमत्ता मिलती है,लेकिन एडिनबर्ग में एक वृद्ध मोची की आदत थी कि वह अपना हर दिन इस प्रार्थना के साथ आरंभ करता था, “हे प्रभु,मुझे अपने बारे में एक अच्छी राय प्रदान करो।” यह निश्चित है कि कुछ लोग होते हैं जिनके भीतर प्रार्थना के आश्रय बिना ही यह अपरिमित आत्म सम्मान मौजूद है,लेकिन यह भी सत्य है कि असंख्य लोग अपने बारे में अच्छी राय नहीं रखते। इसका कारण सिर्फ यह है कि वे स्वयं से परिचित नहीं हैं।
  • किसी भी व्यक्ति के जीवन का महानतम दिन वह होता है,जिस दिन वह स्वयं को पहचानना आरंभ करता है।कुछ लोग सौभाग्यशाली भी होते हैं।उनके जीवन में यह काफी जल्दी घटित हो जाता है।यह उन्हें एक सुनिश्चित श्रेष्ठता प्रदान करता है।अन्य व्यक्तियों के जीवन में यह देर से घटित होता है।लेकिन जब होता है,तो पिछले निष्क्रिय वर्षों की नीरसता के बाद यह सूर्य के उजाले की भांति चमकने लगती है।चाहे यह जल्दी घटित हो या देर से,हम लोगों में से हर कोई आत्मज्ञान के प्रचंड अनुभव को खोज सकता है।

3.स्वयं को पसंद करें (Like Yourself):

  • कोई भी व्यक्ति जो स्वयं को इसकी खोज में लगाने की पर्याप्त प्रबल इच्छा रखता हो,ऐसा अनुभव प्राप्त कर सकता है।पहला कदम अपने मन में स्वयं को पसंद करनेवाले पौष्टिक बीजों का रोपण करना है।आपको स्वयं अपनी तथा सभी लोगों की योग्यता तथा सार्थकता की सच्ची समझ विकसित करनी है।यह इस सत्य के कारण और भी आवश्यक हो जाता है कि हम ऐसे समय में रह रहे हैं जिसमें हमारे अस्तित्व के बारे में असंख्य हल्के विचारों से हमें भर दिया गया है।
  • ब्रह्मांड के बारे में बढ़ रहे ज्ञान,जिसने पिछली आधी सदी के दौरान ब्रह्मांड की विशालता दर्शायी है,ने इस धारणा को जन्म दिया है कि इसकी तुलना में मानव नगण्य है।प्रकृति पर नए वैज्ञानिक नियंत्रण के कारण ऐसा सिद्धांत विकसित हुआ है कि भगवान कहलानेवाली शक्ति अस्तित्वहीन है या कम-से-कम मानवता के लिए उतनी आवश्यक नहीं है जितनी समझी जाती रही है।
  • ऐसा कहा जाता है कि मानव केवल ब्रह्मांड से उत्पन्न भौतिक तत्वों का एक सौभाग्यशाली पिंड है।उसकी कोई दैवी विरासत नहीं है तथा उसका अमर भविष्य एक विशाल भ्रम है।हमें बताया गया कि मानव एक पशु है,भले चाहे वह कितना ही बढ़िया किस्म का क्यों ना हो।एक पशु,जिसने बोलना तथा अपने हाथों व मस्तिष्क के सामंजस्य से अनेक विषमयकारी कार्य करना सीख लिया है या वह शायद एक ऐसी सूक्ष्म मशीन हो जैसा हाल ही में खोजा गया ब्रह्मांड है।इस तथ्य को सुनिश्चित करने के लिए यह भी संकेत किया गया है कि क्या पशु अथवा मशीनें शेक्सपियर जैसे नाटक या बीथोवन जैसा संगीत तैयार कर सकेंगे,लेकिन मानवता की नई धारणाओं के प्रचारकों ने प्रलाप करते हुए ऐसी आपत्तियों को अस्वीकार कर दिया।
  • यह भी जोर दिया गया कि मानव स्वयं को मशीन बनाने के प्रयासों को शीघ्र ही स्वीकार नहीं करता क्योंकि उसके पास जीवित जीवों के दो गुण मौजूद हैं।पहला,वह स्वयं का उपचार कर सकता है तथा दूसरा,वह अपनी संतानों को जन्म दे सकता है।उदाहरणार्थ,यह दर्शाया जा चुका है कि ऐसी कोई मशीन तैयार नहीं हुई है,जो अपने कलपुर्जों की स्वयं मरम्मत कर सके और ऐसा कोई मामला अब तक प्रकाश में नहीं आया है कि किसी मशीन ने दूसरी मशीन को जन्म दिया हो।

4.मानव भगवान की सर्वश्रेष्ठ कृति (The Best Masterpiece of Human God):

  • तालियों की मनमोहक गड़गड़ाहट के बीच शेक्सपियर की यह प्रभावशाली पंक्तियां दोहराना काफी लोकप्रिय रहा है, ‘मानव कितना अद्भुत प्राणी है!’ वास्तव में प्रोफेसर व्हाइटहेड ने अपनी पुस्तक ‘एडवेंचर ऑफ आइडियाज’ में पहले से ही मार्ग दिखा दिया है।उनका कहना है, “सर्वश्रेष्ठ प्राणी के रूप में मानव की महत्ता अविवादास्पद है।छवि,गुण तथा कार्यों में अपनी सभी कमियों के बावजूद उसे मानव से मुलाकात करनी पड़ती है जो सितारों को आदेश देता है।”
  • इस समय यह चेतावनी दे दी जानी चाहिए कि अन्य अनिवार्य तथ्यों के समान मानव की महानता का तथ्य समाज के लिए हितकारी रूप में या मानवता के लिए विनाशक स्वयं में उजागर कर सकता है।एक व्यक्ति की प्रभुसत्ता तथा उसकी संभावित क्षमताओं पर जोर देने से भगवान के समान मानव पैदा हो सकते हैं,जो नयी मान-मर्यादा और पर्याय के साथ अपने जीवन का इस्तेमाल करते हैं या ऐसे मानव पैदा हो सकते हैं,जो स्वार्थी और लुटेरे होते हैं।यह सभी उन आदर्शों पर निर्भर करता है,जो हमारे द्वारा विकसित किए जाने वाले इन महान व्यक्तित्वों को प्रेरित करते हैं।एक गैर-आध्यात्मिक,अधार्मिक तथा मानवता के प्रति विधर्मी दर्शन के फलस्वरूप विचारों के परिमंडल में मूर्खतापूर्ण मानववाद जन्म लेते हैं अर्थात् सामाजिक व्यवस्था में निर्मम अनुदारता और राजनीति में तानाशाह जन्म लेते हैं।मानव की नवीकृत आस्था का महत्त्वपूर्ण घटक उसके जीवन और लक्ष्य को आध्यात्मिक बनाना है।
  • इस प्रकार हमारे इस दृष्टिकोण में तानाशाह पैदा होने का खतरा है,लेकिन श्वाइत्जर जैसे महान सदय मानव पैदा करने की क्षमता भी इसमें मौजूद है।इससे ऐसे मानव पैदा हो सकते हैं,जो शक्ति और विशेषाधिकार की कामना कर सकते हैं,लेकिन यदि भगवान उन्हें उनकी महानता निर्मुक्त करने का आशीर्वाद दे दे,तो पर्वतों जैसे विशाल मानव हो सकते हैं,जो मानव के लिए निःस्वार्थ उपकारक होते हैं।
  • एक कवि ने प्रार्थना की, “प्रभु,हमें मानव दो।” उनका कहना था, “इस समय को शक्तिशाली मस्तिष्कों,विशाल हृदयों की आवश्यकता है।” बिल्कुल यही होता है और केवल भगवान यह शक्तिशाली आत्माएं प्रदान कर सकता है।आध्यात्मिक समझ से वंचित व्यक्तिवाद अंधकार और अनर्थकारी संभावनाओं से भरा हो सकता है।
  • जब भगवान से प्रेरणा हासिल होती है,तो यह हमारे आम जीवन का मोक्ष बन जाती है।शक्तिशाली,अच्छे मानव,आध्यात्मिक शक्ति के रहस्यों के ज्ञाता अपने लिए जीवन के सर्वाधिक समृद्ध पर्यायों को हमेशा हासिल करते हैं,लेकिन इससे अधिक महत्त्वपूर्ण यह बात है कि वे अन्य सभी मानकों के लिए समानता,न्याय और चिरस्थायी सद्कामनावाली सामाजिक व्यवस्था की स्थापना भी सुनिश्चित करते हैं।
  • यहाँ जिस तरह के व्यक्तिवाद की वकालत की जा रही है,वह विलियम जेम्स के मन में भी मौजूद था,कि “हमें और भगवान को एक दूसरे के साथ करोबार करना पड़ता है।वह कारोबार यह है कि हमारे शीर्षस्थ नियति पूरी हो जाए।”

5.अपने बारे में अच्छी धारणा रखें (Have a Good Impression About Yourself):

  • अतः यह बिल्कुल सही है कि आप स्वयं के बारे में एक अच्छी राय रखें।सीना चौड़ा करके वीरता के साथ आगे बढ़कर जीवन के साथ मुलाकात करें।आप इसे भी अधिक महान हैं।आपकी इसके साथ कोई तुलना नहीं है।आप पराजित नहीं होने जा रहे हैं।आप अपराजेय हैं।अपनी योग्यता से नहीं,बल्कि भगवान के आशीर्वाद से आप भगवान द्वारा रचित विश्व में सबसे महान मानव बन सकते हैं और आपको इस पर विश्वास करना चाहिए; आप इसका विश्वास कर सकते हैं।
  • यहाँ कई विश्वसनीय स्रोत मौजूद हैं जिनकी सहायता से हम इस अचरजकारी अभिपुष्टियों का सत्यापन कर सकते हैं।कवि हमें बताते हैं कि यह सही है।वे मानव की महानता के बारे में गीत गाते हैं।लेकिन दुख की बात है कि एक ऐसी पीढ़ी द्वारा कवियों को सर्वत्र सम्मान नहीं दिया जा रहा है,जिसने व्यावहारिक मानव को दैवी रूप दिया है अर्थात् वह जिस वस्तु को भी छूता है,वह सोना बन जाती है या जैसा कभी-कभी होता है,ऋण और बेरोजगारी भी बन जाती है।
  • कुछ व्यक्तियों को कवियों के गीत ऐसे प्रतीत होते हैं मानो उन्होंने अपनी मिठास रेगिस्तान की शुष्क वायु में गँवा दी हो।बहरहाल,महान कवि मानव जाति के चिरस्थायी दृष्टा हैं।उनके कान हमारी अपेक्षा अधिक संवेदनशील होते हैं।वे जीवन की समृद्ध तान को सुनते हैं,जिसमें ऊंचे स्थानों से सच्चाई की सरगोशियां गूंजती हैं।उनकी आंखों के पास दूर तक देखने की क्षमता मौजूद होती है।उनकी आंखों में छद्मावरण को भेदकर वस्तुओं का सार पहचानने की क्षमता मौजूद होती है।दुःख की बात यह है कि यह छद्मावरण हमें बांधे रहता है तथा हमारी दृष्टि दोषग्रस्त होती है।
  • यह आप हैं; इस ब्रह्मांड में एक अटूट,अपराजेय महान प्राणी।”सितारे मंद पड़ जाएंगे,सूर्य भी स्वयं आयु के साथ मंद पड़ जाएगा।” यह कथन एडीसन का है।
  • लेकिन “तुम्हारे पास अमर यौवन रहेगा।” आप क्या अद्भुत जीव हैं! एक ऐसे ब्रह्मांड के केंद्र में खड़े हैं,जो एक कपड़े के समान गल जाता है।केवल आप अनश्वर हैं।दोस्तोवस्की ने इसकी शानदार अभिव्यक्ति की है,”हम अनंतकाल के नागरिक हैं।” तो,फिर क्यों दैनिक जीवन की छोटी-मोटी वस्तुओं से आप स्वयं को पराजित तथा अपनी प्रबल कारगरता को नष्ट होने देते हैं।याद रखें कि आप कौन हैं।विश्व एक दानव के समान दिखाई दे सकता है,लेकिन इसी सरल कारण के बलबूते कि आप जो हैं,वह हैं,आप इसे पराजित कर सकते हैं और यह कारण पर्याप्त है।
  • यदि कवियों की गवाही हमें आश्वस्त नहीं कर सकती,तो हमें वैज्ञानिकों की बात सुननी चाहिए।ऐसा प्रतीत होता है कि उन्हें हमारे समय का वेदवाक्य समझा जाता है।वे हमें बताते हैं कि हम अपने वास्तविक मूल्य के आधे से भी परिचित नहीं है।स्वयं के बारे में विस्तृत अवधारणाओं की हमें आवश्यकता है और यह हमारा अधिकार है।एक प्रतिष्ठित विज्ञानी और नोबेल पुरस्कार विजेता डॉक्टर एलेक्सिस कैरेल ने मानव का कम आकलन करने वाली व्यक्तियों को नकार दिया था।कैरेल के अनुसार, “अपनी अतिविशाल अनंतता के बावजूद भौतिक तत्वों का विश्व उसके (मानव) लिए अत्यंत छोटा है।उसके आर्थिक और सामाजिक वातावरण के समान यह उसके लिए उपयुक्त नहीं है।गणितीय पृथक्करण की सहायता से उसका मस्तिष्क इलेक्ट्रॉन और सितारों को समझ सकता है और उन पर शासन कर सकता है।उसका तो निर्माण ही इतने वृहद स्तर पर हुआ है कि सांसारिक बाधाएँ तुच्छ जान पड़ती हैं।उसे पार्थिव पर्वतों,सागरों और नदियों के मापदंड से बनाया गया है। यह आप हैं,जिसके बारे में यह महान वैज्ञानिक बता रहा है।
  • एक गहरी सांस लें,क्योंकि आप उससे भी महान हैं,क्योंकि डॉक्टर कैरेल भी आपको समझ नहीं पाए हैं।’लेकिन वह दूसरे विश्व से भी जुड़ा हुआ है।एक ऐसा विश्व जो यद्यपि स्वयं उसी में छिपा हुआ है,लेकिन अनंतता और समय से भी आगे फैला हुआ है।और इस विश्व में,यदि उसकी इच्छा अपराजेय है,वह अनंत चक्रों पर यात्रा कर सकता है।’ यह आधुनिक विज्ञान का नवीनतम विश्व है,जो आप हैं।इसलिए यदि आप कभी यह विश्वास करते थे कि जीवन आपको पराजित कर सकता है,तो इस विचार को हँसी में उड़ा दीजिए।
  • इस महत्त्वपूर्ण विषय पर महान दार्शनिकों के कथन भी अवश्य सुने जाने चाहिए।वे मानव के बारे में क्या कहते हैं? आधुनिक चिंतकों में से एक इमैनुएल कांट है।उनके मस्तिष्क ने मानव द्वारा अभी तक सुने गए कुछेक महानतम विचारों को जन्म दिया है।वे अपने सभी महान विचारों को केवल दो वाक्यों में सारांशीकृत करते हैं,जो एक परिचित लेखांश में अभिव्यक्त किए गए हैं, “दो चीजों के बारे में जितना अधिक सोचा जाता है,उनके प्रति श्रद्धा और विस्मय उतना ही बढ़ता जाता है।” हममें से हरेक में कुछ ना कुछ विस्मयकारी और स्वर्गीय उच्चाकांक्षा की तेजस्विता और वैभव के समतुल्य सौंदर्य मौजूद है।क्या यह संभव है? जीवन इसे संभव बनाता है।

6.मानव स्वयं में महान नहीं होता (Man is Not Great in Himself):

  • मनुष्य स्वयं में शक्तिशाली या महान नहीं होता,हालांकि उसके भीतर महानता के तत्व अंतर्भूत रूप से मौजूद होते हैं।जब वह आध्यात्मिकता के प्रति भी विनम्रता और समर्पण करके स्वयं की आध्यात्मिकता को प्रकट करता है और समर्पण द्वारा स्वयं को भगवान,अपने परमपिता की महिमा के सामने लाता है,तो वह एक ऊर्जा के स्रोत से जुड़ जाता है।एक डायनेमो की भांति,जो उस शक्ति के लिए तैयार रहता है जिसके लिए इसे बनाया गया है।ऊर्जा का यह स्रोत उस मानव मूक प्रभावहीनता से एक सृजक शक्ति परिवर्तित कर देता है।
  • ‘मानवीय ऊर्जा’ पर अपने प्रसिद्ध भाषण में विलियम जेम्स ने घोषणा की थी, “मानव आदतन अपनी शक्तियों के छोटे से भाग का इस्तेमाल करता है,जो उसके भीतर मौजूद है और जिनका उपयोग वह उपयुक्त परिस्थितियों में कर सकता है।” हाल में एक वैज्ञानिक ने कहा है कि औसत व्यक्ति अपनी मस्तिष्क की केवल 20% शक्ति का ही इस्तेमाल करता है।जब आप कुछ आशावादी व्यक्तियों के बारे में सोचते हैं,तो यह आशावाद प्रतीत होता है।यदि आप एक औसत व्यक्ति के विषय में सोचते हैं,तो अपने द्वारा इस्तेमाल की जा रही शक्तियों के बारे में सोचें-आप अपनी मानसिक क्षमता का केवल पांचवा भाग इस्तेमाल कर रहे हैं।
  • सोचिए! यदि आप इस इस्तेमाल को 50% तक बढ़ा देते हैं,तो आप जीवन को क्या-से-क्या बना सकते हैं? हर व्यक्ति के व्यक्तित्व में अनुपयोगी शक्ति का विशाल भंडार मौजूद है।लेकिन हममें से अधिकांश व्यक्तियों के मामलों में इसकी अत्यंत अल्प मात्रा ही प्रवाहित होकर बाहर आ रही है और हम उसी के सहारे जिंदा रहते हैं तथा अपना कार्य करते हैं।जीवन का महान रहस्य यही है कि आप इस ताले में चाबी लगाएं,बंद दरवाजों को खोलें तथा इस शक्ति को एक प्रचंड धारा के समान अपने मस्तिष्क और व्यक्तित्व में प्रवाहित होने दें।इसे अपने को शक्तिशाली और प्रभावशाली व्यक्ति में बदलने दें।ऐसा व्यक्ति,जो सभी परिस्थितियों का सामना करने तथा इन्हें संभालने में समर्थ है।
  • धर्म का अनुकरण करने से व्यक्तियों को अपने भीतर छिपी हुई शक्तियों के भंडार का दोहन करने में सहायता मिलती है।अनेक व्यक्तियों के जीवन में इसे अत्यंत आश्चर्यजनक ढंग से असर करते हुए देखा जा सकता है।इसके फलस्वरूप यह दृढ़ विश्वास हो जाता है कि जो व्यक्ति स्वतंत्र रूप से उपलब्ध इस शक्ति का इस्तेमाल नहीं करता,वह उसी व्यक्ति के समान मूर्ख है,जो जानता है कि उसके पिछवाड़े में तेल मौजूद है और वह इसके दोहन के लिए कुआं खोदे बिना फाकों के साथ गुजारा करता है।वे व्यक्ति बिल्कुल यही करते हैं,जो सच्चे धर्म की शक्तियों के बावजूद इसे अपने जीवन में प्रवेश करने से मना करते हैं।
  • उपदेशों में बताया तथा अनुकरण किया जानेवाला धर्म इस शक्ति को प्रकट करने में असफल है।धर्म को एक धर्मसार और समारोह की एक निर्जीव वस्तु तथा रूढ़िबद्ध विशिष्ट शब्दावली बना दिया गया है।ऐसा समझा दिया गया है कि यह केवल सामाजिक नैतिकता और सदाचार की प्रणाली है।धर्म एक धर्मसार नहीं है,जिसे रिकॉर्ड किया जा सकता है।न ही यह अधिकारों की सामाजिक सूची है।हालांकि वाक्यांश के प्रत्येक पर्याय में यह वही है।जोर देने के लिए महत्त्वपूर्ण बात यह है कि यह अंदरूनी शक्ति का स्रोत है,जिसकी सहायता से कमजोर व्यक्तित्व शक्तिशाली बन सकते हैं-विभक्त व्यक्तित्व एकीकृत हो सकते हैं-आहत मन का उपचार किया जा सकता है और शांति व संतुलन का रहस्य पाया जा सकता है।

7.स्वयं से परिचित होने का दृष्टांत (The Parable of Being Aware of Yourself):

  • एक कॉलेज का एक विद्यार्थी था,जो हर काम को आराम से करता था।वह अपनी पढ़ाई में उतना ही असफल था,जितना खेलकूद में दक्ष था।विद्यार्थियों में अपनी लोकप्रियता के बावजूद शिक्षक वर्ग में वह अधिक लोकप्रिय नहीं था।उसका विद्यार्थी जीवन धीरे-धीरे लेकिन निश्चित रूप से समापन की ओर बढ़ रहा था।यह कुछ अधिक अस्पष्ट नहीं था।केवल फुटबॉल के मौसम के समाप्त होने की प्रतीक्षा की जा रही थी।
  • बहरहाल,नियति के भी अपने अजीबोगरीब तरीके होते हैं।एक दिन गणित के एक कालांश में,जब प्रोफेसर यह समझा रहे थे कि किस प्रकार एक औसत आदमी असफल हो जाता है क्योंकि वह अपनी शक्तियों को नियंत्रित तथा संचित करना नहीं सीखता है,तो वह विद्यार्थी सम्मोहित हो गया।उस प्रोफेसर ने आवर्धक लेंस का उदाहरण दिया।कागज के एक टुकड़े पर सूर्य की किरणों का नगण्य प्रभाव पड़ता है,लेकिन जब एक आवर्धक लेंस द्वारा उन्हें एक बिंदु पर केंद्रित किया जाता है,तो वह अत्यंत प्रचंड गर्मी पैदा करती हैं और कागज को जलाकर उसके भीतर एक सूराख बना देती है।
  • प्रोफेसर ने जोर देकर समझाया कि सफल होने वाला व्यक्ति वह होता है,जो अपनी बिखरी हुई तथा इस कारणवश निरर्थक बनी शक्तियों को केंद्रित कर सकता है।विद्यार्थी ने कहा कि एक चौंधमयी प्रकाश में उसे अपनी असफलता का कारण दिखाई दे गया और वह कमरे में अन्य विद्यार्थियों की मौजूदगी से अनजान तथा एक सच्चे नए जन्म से मंत्र-मुग्ध यह चिल्लाता हुआ उछलकर खड़ा हो गया, “मैं इसे समझ गया, मैं इसे समझ गया।” इसके बाद बुदबुदाहटों के बीच वह कुछ शर्मिंदा सा होकर अपने स्थान पर दोबारा बैठ गया,लेकिन वह अत्यंत प्रसन्न था।क्या हुआ था? वह स्वयं से,एक नए व्यक्तित्व से,अपने सच्चे व्यक्तित्व से,जिसे पहले दिन का उजाला देखना नसीब नहीं हुआ था,मुलाकात कर चुका था और इस रहस्योद्घाटन ने उसे एक असफल व्यक्तित्व से संभावित सफल व्यक्ति में बदल दिया,एक ऐसी सफलता जिसके आयाम दुनिया को बाद में पता चले।
  • उपर्युक्त आर्टिकल में स्वयं से परिचित होने की 7 टिप्स (7 Tips to Get Acquainted with Yourself),छात्र-छात्राओं के लिए स्वयं को जानने की 7 बेहतरीन टिप्स (7 Best Tips for Students to Know Yourself) के बारे में बताया गया है।

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8.छात्राएँ चश्मा क्यों लगाती हैं? (हास्य-व्यंग्य) (Why Do Students Wear Glasses?) (Humour-Satire):

  • बॉयफ्रेंड (गर्लफ्रेंड से):कुछ छात्राएं स्कूल-कॉलेज में धूप का चश्मा लगाकर क्यों जाती हैं?
  • गर्लफ्रेंड (बॉयफ्रेंड से):ताकि उन लड़कियों की ओरिजिनल शक्ल सूरत पहचानी न जा सके और लड़के भौरें की तरह उनके चारों और मंडराते फिरें।

9.स्वयं से परिचित होने की 7 टिप्स (Frequently Asked Questions Related to 7 Tips to Get Acquainted with Yourself),छात्र-छात्राओं के लिए स्वयं को जानने की 7 बेहतरीन टिप्स (7 Best Tips for Students to Know Yourself) से संबंधित अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न:

प्रश्न:1.क्या व्यक्ति की कमजोरी लाइलाज है? (Is the Person’s Weakness Incurable?):

उत्तर:व्यक्ति में कोई भी ऐसी दुर्बलता या रुग्णता नहीं है,जिसे धर्म का अनुकरण करके दूर नहीं किया जा सकता।मनोविज्ञान मानव व्यक्तित्व के अचरजों तथा संभावनाओं को उजागर करता है।जैसे प्रारंभिक दिनों में खोजों के फलस्वरूप भौतिक विश्व की संभावनाएं प्रकट हुई थीं।इसमें से प्रकट होनेवाले महान तथ्य के परम और प्रभावशाली परिणाम हैं; जो भगवान की उपस्थिति और आत्मा में आस्था रखने तथा इसका अभ्यास करने के माध्यम से विशाल,बेहतर और शक्तिशाली व्यक्तित्व बनने के फलस्वरूप हासिल होते हैं।चिंतन करने वाले लोग आज व्यक्ति के अनुभव की सार्थकता को समझ रहे हैं।

प्रश्न:2.व्यक्ति की मदद सबसे अधिक कौन कर सकता है? (Who Can Help the Person the Most?):

उत्तर:दूसरे व्यक्ति की बजाय व्यक्ति स्वयं अपनी सहायता या मदद सबसे अधिक कर सकता है।इसके लिए उसे अपने जीवन के हरेक पहलू को पूर्णतः प्रभु को समर्पित कर देना चाहिए तथा इसके बदले उसके द्वारा प्रदत्त आत्मिक शक्ति को पहचाने।ज्योंही वह अपनी आत्मिक शक्ति की पहचान कर लेगा तो इसके फलस्वरूप वह एक पूर्णतया नए जीवन में प्रवेश कर जाएगा और अपनी मदद खुद कर सकेगा।

प्रश्न:3.व्यक्ति किस आधार पर अपनी समस्याओं को सुलझा सकता है? (On What Basis Can a Person Solve His Problems?):

उत्तर:बिखरे हुए व्यक्तित्व वाले व्यक्ति भी भगवान द्वारा प्रदत्त आत्मिक शक्ति को पहचान लेता है वह उसके माध्यम से सभी कुछ कर सकता है,जिसने उसे शक्ति प्रदान की है।यह अलौकिक शक्ति (आत्मिक शक्ति) हरेक उस व्यक्ति को उपलब्ध है,जो इस शक्ति की कामना करने का विवेक रखता है।इस प्रकार अपनी आत्मिक शक्ति से परिचित होना भगवान से तथा स्वयं से मिलना है।इस प्रकार अपने पुराने व्यक्तित्व (आत्मिक शक्ति से अपरिचित) की अपेक्षा नए व्यक्तित्व (आत्मिक शक्ति से परिचित) के साथ अधिक प्रसन्न रहेंगे तथा सच्चा जीवन आरंभ करेंगे।अपनी समस्याओं को स्वयं सुलझा सकने में समर्थ होंगे।

  • उपर्युक्त प्रश्नों के उत्तर द्वारा स्वयं से परिचित होने की 7 टिप्स (7 Tips to Get Acquainted with Yourself),छात्र-छात्राओं के लिए स्वयं को जानने की 7 बेहतरीन टिप्स (7 Best Tips for Students to Know Yourself) के बारे में ओर अधिक जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।o
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