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What Ambitions Should Students Have?

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1.छात्र-छात्राएं कौनसी महत्त्वाकांक्षा करें? (What Ambitions Should Students Have?),गणित के छात्र-छात्राएं कौनसी महत्त्वाकांक्षा करें? (What Ambitions Should Mathematics Students Have?):

  • छात्र-छात्राएं कौनसी महत्त्वाकांक्षा करें? (What Ambitions Should Students Have?) पहले महत्वाकांक्षा का अर्थ समझते हैं।महत्वाकांक्षा शब्द महत्त्व+आकांक्षा से मिलकर बना है।महत्त्व का अर्थ है बड़प्पन,उच्च पद,श्रेष्ठता तथा आकांक्षा का अर्थ चाहत,इच्छा,अभिलाषा।इस प्रकार महत्वाकांक्षा का अर्थ है बड़ा बनने की चाहत।युवावर्ग में बड़ा बनने की इच्छा,जीवन में कुछ उत्कृष्ट कार्य करने की इच्छा,यश,उच्च पद,धन प्राप्त करने की इच्छाएं होती हैं।महत्त्वाकांक्षा रखना बुरा नहीं है यदि आकांक्षा के साथ-साथ समझदारी व विवेक हो।युवावस्था में युवावर्ग तथा छात्र-छात्राओं में आकांक्षाओं को पाने की छटपटाहट होती है,जोश होता है परंतु यदि उसके साथ होश भी हो तो महत्त्वाकांक्षा की पूर्ति भी की जा सकती है और उस पर नियंत्रण भी रखा जा सकता है।
  • बहुत से छात्र-छात्राएं तथा युवा अपनी महत्त्वाकांक्षा के अनुसार ही लक्ष्य का निर्धारण करते हैं परंतु उसमें सफल बहुत कम हो पाते हैं।असफलता का कारण होता है कि लक्ष्य लचीला नहीं होता है।लक्ष्य अपने गुण,कर्म,स्वभाव और सामर्थ्य के अनुसार नहीं चुनते हैं और तीसरा कारण है आकांक्षा के अनुसार प्रयत्न नहीं करते हैं,ज्ञान अर्जित नहीं करते हैं।यानी इच्छा और प्रयत्न में तालमेल होना आवश्यक है।महत्त्वाकांक्षा के अनुरूप जब युवाओं को उपलब्धि नहीं होती है तो वे हताश,निराश और कुण्ठाग्रस्त हो जाते हैं।
  • कुछ छात्र-छात्राएं ऐसे होते हैं जो महत्त्वाकांक्षा पर संयम रखते हैं,अवसर तथा जॉब या परीक्षा के अनुसार कठिन पुरुषार्थ करते हैं।वहीं कुछ छात्र-छात्राएं ऐसे भी होते हैं जो अपनी महत्त्वाकांक्षा को पूरी करने के लिए अनैतिक तरीके अपनाते हैं जैसे रिश्वत,सिफारिश (अपनी पहुँच का प्रयोग),शक्ति इत्यादि का प्रयोग करके पद,प्रतिष्ठा,परीक्षा में अधिक अंक प्राप्त करने,उत्तीर्ण हो जाते हैं या प्राप्त कर लेते हैं।
  • महत्त्वाकांक्षा को पूरी करने के लिए जो छात्र-छात्राएं अनैतिक तरीके अपनाते हैं वे दरअसल तृष्णा के जाल में फंस जाते हैं।और छात्र-छात्राएं एक बार तृष्णा,लोभ,लालच जैसे मानसिक विकारों से ग्रस्त हो जाते है तो उनका इनसे पीछा छुड़ाना बहुत मुश्किल हो जाता है।तृष्णा का अर्थ पाने की इच्छा और जो चीज एक बार प्राप्त हो जाती है तो व्यक्ति उसके प्रति उदासीन हो जाता है तथा ओर अधिक पाने की लालसा उत्पन्न हो जाती है।इस प्रकार तृष्णा व लालसा कभी भी तृप्त नहीं हो पाती है।
  • यदि आप कोई पद प्राप्त करना चाहते हैं तो उस पद के लिए आवश्यक योग्यता तो हो ही साथ ही उस पद को प्राप्त करने के लिए ज्ञान भी हो क्योंकि बिना ज्ञान के परीक्षा में,साक्षात्कार में उत्तीर्ण नहीं हो सकते हैं।जब ज्ञान ही नहीं होगा तो उसके लिए प्रयत्न भी नहीं किया जा सकेगा।
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2.महत्त्वाकांक्षा मूल प्रवृत्ति है (Ambition is Instincts):

  • मनोविज्ञान (भारतीय) के अनुसार प्रत्येक व्यक्ति में तीन मूल प्रवृत्तियाँःपुत्र प्राप्ति की इच्छा,धन प्राप्त करने की इच्छा और यश प्राप्त करने की इच्छा होती है।इन तीनों की पूर्ति स्वयं से,समाज से,शिक्षकों और श्रेष्ठ पुरुषों से करना चाहता है।कई व्यक्ति पुत्र व धन प्राप्ति की इच्छा को नियंत्रित कर लेते हैं परन्तु यश प्राप्ति को नियंत्रित नहीं कर पाते हैं।हालांकि भारतीय संस्कृति में ऐसे अनेक उदाहरण भरे पड़े हैं जिन्होंने यश,मान,पद,प्रतिष्ठा,धन सम्पत्ति तथा पुत्र प्राप्ति की आकांक्षाओं को तृप्त करने के बजाए अपने कृतित्व,अपने खोज कार्य और अपने खोज को ही महत्त्व देते थे।यही कारण है कि प्राचीन भारतीय गणितज्ञों,वैज्ञानिकों विद्वानों के बारे में विशद जानकारी नहीं मिलती है क्योंकि वे मानते थे कि व्यक्ति अपने कार्य के द्वारा ही जीवित रहता है।
  • आधुनिक युग में तो महान् व्यक्तियों के बारे में जीवनियाँ लिखने का प्रचलन हैं यदि महान् व्यक्ति स्वयं अपने बारे में नहीं लिखते हैं तो अन्य लोग उनके बारे में लिखते रहते हैं।
  • छात्र-छात्राओं द्वारा पुरस्कार जीतना,प्रतियोगिता परीक्षा में शामिल होना और उत्तीर्ण होना,पारितोषिक जीतने हेतु किसी परीक्षा में शामिल होना इत्यादि महत्त्वाकांक्षा (लोकेषणा) के ही रूप है।
  • सिकंदर महान् की महत्त्वाकांक्षा विश्व विजय करने की थी जो बिना रक्तपात बहाए और युद्ध लड़े बिना संभव नहीं थी।सिकंदर महान् कहलाता आवश्य है परंतु उसने इतना रक्तपात किया और युद्ध लड़े कि उसके बारे में विचार करके उसे बहुत पश्चाताप हुआ।अपने साथ ले जाने लायक धर्म-कर्म और पुण्य अर्जित नहीं किया।अंतिम समय में उसे इस कार्य की इतनी ग्लानि हुई कि उसने कहा कि मरने के बाद मेरी शव यात्रा निकालते समय मेरे हाथ बाहर की ओर निकाल देना ताकि लोग यह समझ सकें कि सिकंदर खाली हाथ आया था और खाली हाथ ही (धन संपत्ति के बिना) ही जा रहा है।
  • अतः उपर्युक्त प्रसंग से हमें यह शिक्षा लेनी चाहिए कि महत्त्वाकांक्षा की पूर्ति करने के लिए हमारे तरीके नैतिक,साफ-सुथरे हों।व्यक्ति तथा छात्र-छात्राओं को अपनी इच्छा,योग्यता,समझदारी (ज्ञान) और प्रयत्न का उपयोग करते समय उपर्युक्त बात का अवश्य ध्यान रखना चाहिए।
  • कई छात्र,छात्राओं की नजर में हीरो बनने के लिए सीमाओं का उल्लंघन कर जाते हैं बिल्कुल ख्याल नहीं करते हैं और लोकलाज,समाज तथा शिक्षा जैसी पवित्र का ख्याल नहीं करते हैं।हालांकि लड़कियां भी लड़कों की नजरों में चढ़ने की भावना रखती है अतः वे इस तरह के परिधान पहनती हैं,सजती-सँवरती हैं परन्तु वे इतनी मुखर नहीं होती हैं।
  • अपनी महत्त्वाकांक्षा को पूरी करने के लिए फिल्मी प्रेम प्रदर्शन करने,सड़क छाप कार्य करने,मुँहफट होने,अश्लील हरकते करने के बजाय छात्र-छात्राओं को इंजीनियर,डाॅक्टर,अफसर,शिक्षित,योग्य बनने की महत्त्वाकांक्षा रखनी चाहिए और उसे उचित तरीके से प्राप्त करने का प्रयास करना चाहिए।

3.महत्त्वाकांक्षा को साकार कैसे करें? (How to Realize the Ambition?):

  • आपकी जैसी महत्त्वाकांक्षा है उसी प्रकार का विचार करें।जो कुछ बनना चाहते हैं वैसा ही लगातार सोचिए।उससे संबंधित अपने अंदर योग्यता अर्जित करें और ज्ञान प्राप्त करें।इसके बाद इस प्रकार का कार्य करिए जैसे आप वह व्यक्तित्त्व धारण कर चुके हैं।इस सूत्र का ईमानदारी और सच्चाई के साथ पालन करने का प्रयत्न कीजिए।कुछ समय बाद आप स्वयं महसूस करेंगे कि अपने व्यक्तित्त्व में सुधार होता जा रहा है और इच्छित महत्त्वाकांक्षा को पूर्ण करने में सफल होते जा रहे हैं।
  • बीच में अभ्यास छूटने,गलती होने या असफलता मिलने पर निराश मत होइए बल्कि अपना आत्म-विश्लेषण करके अपनी कमजोरियों को दूर करते जाइए और जल्दी से जल्दी अपने विचार पद्धति को बदलिए तथा सही विचार पद्धति को अपनाइए।
  • जीवन में कुछ कर गुजरने,कोई श्रेष्ठ कार्य करने,उच्च पद हासिल करने अथवा अन्य कोई कार्य करने की महत्त्वाकांक्षा रखना सफलता की ओर पहली सीढ़ी है।महत्त्वाकांक्षा के लिए उचित और अच्छा होने के साथ ही यह भी सही है कि बिना महत्त्वाकांक्षा के हम इधर-उधर भटकते रहते हैं और जीवन सूना-सूना हो जाता है।आगे प्रगति,उन्नति और विकास के रास्ते अवरुद्ध हो जाते हैं।
  • अपनी सामर्थ्य,योग्यता,क्षमता से बढ़-चढ़कर महत्त्वाकांक्षाएँ पालने वाला व्यक्ति औंधे मुँह गिरता है।वैसे भी केवल महत्त्वाकांओं को पालने-पोसने और उन्हीं की पूर्ति ही जीवन का एकमात्र मकसद नहीं होता है।जीवन में अनेक प्रलोभन आते हैं और उन प्रलोभनों को देखकर अपनी महत्त्वाकांक्षाओं को बढ़ाते जाना और उनकी पूर्ति में लगे रहना समझदारी नहीं है।
  • यह एक विचारणीय बात है कि छात्राएं पढ़-लिखकर न तो शिक्षित होना चाहती है,न कुशल गृहिणी एवं योग्य माता बनने की महत्त्वाकांक्षा रखती है।एक ओर विचित्र बात देखने को मिलेगी कि अधिकांश छात्र-छात्राएं
  • ईमानदार,सज्जन,सरल,विनम्र,सहनशील इत्यादि गुणों को धारण करने की चाहत नहीं रखते हैं बल्कि चालाक,तथाकथित प्रगतिशील,कुटिल,दुनियादारी के तौर-तरीके सीखना पसन्द करते हैं।
  • महत्त्वाकांक्षा व्यक्तिगत और लोक कल्याण दोनों तरह की हो सकती है।प्रतिभाशाली युवक-युवतियाँ अपनी सीमाओं को लांघकर भी अपनी महत्त्वाकांक्षाओं को पूर्ण कर लेते हैं जैसे डॉक्टर भीमराव अंबेडकर,बाबू जगजीवन राम आदि इसके उदाहरण है।महान् गणितज्ञ वशिष्ट नारायण सिंह और महान् वैज्ञानिक न्यूटन इसके ज्वलन्त उदाहरण हैं।भारत को आजादी दिलाने वाले युवाओं ने अपनी व्यक्तिगत महत्त्वाकांक्षाओं राष्ट्र को स्वतंत्र कराने के लिए बहुत से युवाओं ने अपने प्राणों की बाजी लगा दी।
  • वस्तुतः भारत एक आध्यात्मिक देश है और यहां की संस्कृति अक्षुण्ण बने रहने का मूल रहस्य यही है कि भारत के चिन्तक-मनीषी सदैव वसुदेव कुटुंबकम की भावना रखकर कार्य करते हैं।यहां के ऋषि,मुनि,चिंतक,विद्वान युवाओं और लोगों को भी सबके हित में कार्य करने के लिए प्रेरित करते रहते हैं।

4.महत्त्वाकांक्षा के बारे में महत्वपूर्ण बिंदु (Important Points About Ambition):

  • (1.)पद,प्रतिष्ठा,धन-संपत्ति से अधिक युवाओं को अपने कृतित्व,कार्य को प्रमुख स्थान देना चाहिए।
  • (2.)ऐसी महत्त्वाकांक्षा को पूरी करने की चेष्टा करें जिससे माता-पिता,परिवार,समाज व देश का गौरव बड़े और हम एक सभ्य नागरिक कहला सकें।
  • (3.)यदि महत्त्वाकांक्षा के बारे में किसी प्रकार का संशय हो तो श्रेष्ठ पुरुषों से मार्गदर्शन लो।कोई श्रेष्ठ पुरुष दिखाई न दे रहा हो तो सद्ग्रन्थों की शरण लो,सद्ग्रन्थों का अध्ययन करो।
  • (4.)महत्त्वाकांक्षा के आधार पर लक्ष्य का निर्धारण करें,लक्ष्य को प्राप्त करने के उपाय खोजने के लिए चिंतन-मनन करें और कर्म के द्वारा उसको क्रियान्वित करने की कोशिश करें।
  • (5.)महत्त्वाकांक्षा की पूर्ति के लिए जोश के साथ होश रखें परंतु होशपूर्वक किसी कार्य को करने के लिए चिन्तन और कार्य पद्धति में संतुलन के साथ-साथ अनुशासन की आवश्यकता होती है तभी महत्त्वाकांक्षा पूरी होती है।
  • (6.)किसी भी महत्त्वाकांक्षा को साकार करने के लिए अनेक मुसीबतें,रुकावटें,विघ्न और बाधाएं सामने आती है परंतु उनका साहसपूर्वक सामना करने और संघर्ष करने पर ही वे दूर होती हैं।संघर्ष से घबराना कायरता है और संघर्ष करना युवाओं का आभूषण है।
  • (7.)केवल भौतिक,सांसारिक व आर्थिक जरूरतों को पूरा करने की महत्त्वाकांक्षाओं को पूरा करने में न लगे रहे बल्कि आत्मिक प्रगति भी करें।

5.महत्त्वाकांक्षा का दृष्टान्त (Parable of Ambition):

  • एक नगर में एक बार कुछ छात्रों के बीच चर्चा चल रही थी।उनमें से एक छात्र बोला यदि मैं गणित अध्यापक बन जाऊँ तो एक ही दिन में छात्र-छात्राओं की कायापलट कर दूं।मैं गणित अध्यापक का उत्तरदायित्व इस प्रकार निभाकर बता दूँ कि गणित शिक्षक का क्या कर्त्तव्य होता है?
  • अन्य छात्र-छात्राओं ने पूछा कि यदि एक दिन के लिए तुम्हें गणित शिक्षक बना दिया जाए तो क्या-क्या कर दोगे? वह छात्र बोला कि उद्दंड छात्रों को ऐसा मजा चखा देता कि वे अनुशासन में रहना सीख जाते।कोई छात्र-छात्रा सवाल हल नहीं करता तो उसी समय खड़ा करके उससे सवाल हल करने के लिए कहता और हल करवाता।
  • कमजोर छात्र-छात्राओं को इतने सरल तरीके से बताता कि वे गणित को चुटकियों में हल कर देते।गणित के अलावा भी आचरण में उतारने के लिए ऐसी बातें सिखाता कि मेरी विद्वता के सामने स्वयं गणित शिक्षक भी दंग रह जाते।मूर्खों को ज्ञान का ऐसा उपदेश देता कि वे विद्वान बन जाते।
  • छात्र-छात्राओं के बीच जब यह चर्चा चल रही थी तो गणित शिक्षक कक्षा के बाहर खड़े थे,उन्होंने सारी चर्चा सुन ली।कक्षा में प्रवेश करने के बाद उन्होंने सभी छात्र-छात्राओं को चुप किया और गणित पढ़ाने लगे।
  • थोड़े दिनों बाद शिक्षक दिवस आया।गणित शिक्षक ने उसी छात्र को खड़ा किया जो इतनी ऊंची-ऊंची महत्त्वाकांक्षा पाले हुए था।गणित शिक्षक ने कहा आज शिक्षक दिवस है इसलिए आज आपको शिक्षक का दायित्त्व संभालना है।आज गणित तुम्ही पढ़ावोगे।कक्षा को अनुशासन में रखना है।कोई छात्र-छात्रा शोर न मचाए।शांतिपूर्वक कक्षा का संचालन करना है।
  • कक्षा में जो भी आवश्यक हो वह निर्णय एक शिक्षक के तौर पर लेना है।किसी भी प्रकार का संकोच मत करना।आज के दिन गणित शिक्षक की सम्पूर्ण शक्तियाँ तुम्हारे पास है।यह कहकर वे कक्षा से चले गए।छात्र को गणित शिक्षक बनाते ही उसके विचार बदल गए।उसने गणित पढ़ाने के बजाय छात्र-छात्राओं से फिल्मों की बातें करना प्रारंभ कर दी।उद्दंड छात्र शोरगुल करने लगे तो उन पर कोई रोक-टोक नहीं लगाई।उसने गणित शिक्षक से जो वायदे किए थे उसे भूल गया।
  • उसने कमजोर छात्र-छात्राओं को डराना-धमकाना चालू कर दिया परंतु उत्पाती छात्रों पर कोई अंकुश नहीं लगाया।कक्षा का वातावरण अशांत हो गया।अधिकांश छात्र-छात्राएं बातें करने,गप्पे हांकने में लग गए क्योंकि वह स्वयं भी ऐसा ही कर रहा था।
    कक्षा का पीरियड समाप्त होने से कुछ समय पहले गणित शिक्षक यह देखने के लिए आ गए कि कक्षा का संचालन और पढ़ाई ठीक से हो रही है या नहीं।गणित अध्यापक ने आते ही कक्षा में शोर-शराबा और अस्त-व्यस्तता देखी तो वे बहुत कुपित हुए, उन्होंने उस छात्र शिक्षक से गणित शिक्षक की सभी शक्तियां छीन ली और उसकी दैनिक डायरी में लाल स्याही से उसकी अक्षमता का नोट डाल दिया।साथ ही उसे कहा कि तुम्हारे यही लक्षण रहे तो जीवन में कभी सफल नहीं हो सकोगे।तुमने एक अच्छे अवसर को गंवा दिया और उससे कोई लाभ नहीं उठा सके।छात्र को अपनी भूल का एहसास हुआ लेकिन अब पश्चाताप करने से क्या हो सकता था?
  • उपर्युक्त आर्टिकल में छात्र-छात्राएं कौनसी महत्त्वाकांक्षा करें? (What Ambitions Should Students Have?),गणित के छात्र-छात्राएं कौनसी महत्त्वाकांक्षा करें? (What Ambitions Should Mathematics Students Have?) के बारे में बताया गया है।

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6.गणित के सवाल को हल करने का समय (हास्य-व्यंग्य) (Time to Solve Math Question) (Humour-Satire):

  • गणित अध्यापक (छात्र से):तुम्हें इतनी देर हो गई है सवाल को हल करते हुए,कब तक सवाल को हल कर दोगे?
    छात्र:सर (sir), मुझसे क्यों पूछते हो,मैं कोई ज्योतिषी हूं क्या?

7.छात्र-छात्राएं कौनसी महत्त्वाकांक्षा करें? (Frequently Asked Questions Related to What Ambitions Should Students Have?),गणित के छात्र-छात्राएं कौनसी महत्त्वाकांक्षा करें? (What Ambitions Should Mathematics Students Have?) से संबंधित अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न:

प्रश्न:1.महत्त्वाकांक्षा कब फलित होती है? (When Does Ambition Come to Fruition?):

उत्तर:महत्त्वाकांक्षा तभी फलित होती है जब उसे दृढ़ निश्चय के साथ पूर्ण करने का प्रयत्न करते हैं।हमारी चाहत के साथ उसकी सिद्धि के लिए पूर्ण शक्ति,सामर्थ्य,एकाग्रता के साथ जुटना होता है अन्यथा वह अयोग्यता का लक्षण बन जाती है।

प्रश्न:2.महत्त्वाकांक्षा और अकर्मण्यता में कौनसी श्रेष्ठ है? (Which is the Best in Ambition and Inactivity?):

उत्तर:महत्त्वाकांक्षी बनना और यश,प्रतिष्ठा,पद हासिल करना श्रेष्ठ है।अकर्मण्य व्यक्ति से महत्त्वपूर्ण महत्त्वाकांक्षा लाख दर्जा ठीक है।महाभारत में कहा है कि अकर्मण्य व्यक्ति और कंजूस व्यक्ति को गले में पत्थर डाल बांध कर जल में डुबो देना चाहिए।

प्रश्न:3.महत्त्वाकांक्षा और लालसा में क्या अंतर है? (What is the Difference Between Ambition and Longing?):

उत्तर:लालसा कभी पूरी नहीं होती है तो और आगे पाने के लिए लालसा पैदा हो जाती है।जैसे आपका वेतन ₹10000 से ₹12000 कर दिया जाए तो लालसा रखने पर उससे अतृप्ति हो जाती है और हमारी लालसा यह हो जाती है कि क्या ही अच्छा होता यदि वेतन ₹15000 हो जाता।महत्त्वाकांक्षा उचित उद्देश्य के लिए की जाए तो पूरी हो जाती है।परंतु महत्त्वाकांक्षा के जड़ में लालसा हो तो वह पूरी नहीं होती है।

  • उपर्युक्त प्रश्नों के उत्तर द्वारा छात्र-छात्राएं कौनसी महत्त्वाकांक्षा करें? (What Ambitions Should Students Have?),गणित के छात्र-छात्राएं कौनसी महत्त्वाकांक्षा करें? (What Ambitions Should Mathematics Students Have?) के बारे में ओर अधिक जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
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