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4 Tips to Motivate Maths Students

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1.गणित के छात्र-छात्राओं को प्रेरित करने की 4 टिप्स (4 Tips to Motivate Maths Students),गणित के छात्र-छात्राओं को प्रेरित करने की 4 बेहतरीन टिप्स (4 Best Tips to Motivate Mathematics Students):

  • गणित के छात्र-छात्राओं को प्रेरित करने की 4 टिप्स (4 Tips to Motivate Maths Students) की जरूरत क्यों है? प्रेरणा के आधार पर जटिल और कठिन लगने वाले कार्यों को भी हम कर पाते हैं,हममें साहस और ऊर्जा का संचार होता है।गणित,विज्ञान और दर्शनशास्त्र जैसे विषयों को हल करने के लिए अथवा हल करना प्रारंभ करने की हिम्मत हम नहीं जुटा पाते हैं परंतु प्रेरणा शक्ति के बल पर असंभव और कठिन लगने वाले कार्यों को भी संभव और सरल कर पाते हैं।अक्सर प्राचीन काल में गुरु,शिष्य को प्रेरित करते थे।इसके अलावा ऋषि,मुनि,योगी,तपस्वी,चिंतक न केवल छात्र-छात्राओं और लोगों को प्रेरित करते थे बल्कि बड़े-बड़े राजा,महाराजाओं को भी प्रेरित करते रहते थे तथा मार्गदर्शन प्रदान करते थे।
  • आधुनिक युग में ऐसा बहुत कम देखने को मिलता है कि दूसरे लोग छात्र-छात्राओं को प्रेरित करते हों बल्कि दूसरे लोग मनोबल को तोड़ने वाले मिलते हैं।अक्सर कई लोगों को यह कहते हुए सुना जाता है अरे गणित,विज्ञान जैसे विषयों को पढ़ने तुम्हारे वश की बात नहीं है।तुमने गणित ऐच्छिक विषय लिया ही क्यों है,तुम्हारे ब्रह्मा जी से भी यह हाल नहीं हो सकती है।इसलिए विद्यार्थियों को स्वयं को ही प्रेरित करना पड़ता है।
  • आप अपने आपको कैसे प्रेरित कर सकते हैं? जैसे आप यह सोचते हैं कि पहले की तुलना में गणित में अच्छे हैं।पहले गणित का जितना ज्ञान था,उसकी तुलना में आज गणित का ज्ञान श्रेष्ठ है,उच्च है।नियमित रूप से गणित का अभ्यास करने से ज्ञान में वृद्धि होती है ऐसा करने से आपको प्रेरणा मिलती है,आपका उत्साह बढ़ता है।दूसरों से प्रतियोगिता की भावना रखकर उनसे तुलना करके आगे बढ़ने की कोशिश भी आपको प्रेरित करती है परंतु दूसरों से तुलना करते समय ईर्ष्या व हीनभावना से ग्रस्त नहीं होना चाहिए।
  • यदि आप एक गणित अध्यापक हैं तो छात्र-छात्राओं को गणित में आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करें।उन्हें प्रेरित करने के लिए पाठ्यक्रम से बाहर अर्थात् महान गणितज्ञों के ऐसे प्रेरक प्रसंग सुनाएं जिनसे छात्र-छात्राएं आगे बढ़ने के लिए उत्साहित हो सके।
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2.छात्र-छात्राएं प्रेरित कैसे हों? (How do Students Get Inspired?):

  • सभी छात्र-छात्राएं गणित जैसे विषयों तथा अध्ययन को श्रेष्ठ तरीके से करना चाहते हैं परंतु चाहने से कुछ नहीं होता है।दूसरा उन्हें गणित के सवालों,समस्याओं को हल करने के लिए प्रेरित करता नहीं है।अध्यापक,शिक्षक भी ज्यादातर गणित का पाठ्यक्रम पूरा कराने में लगे रहते हैं परंतु छात्र-छात्राओं को प्रेरित करने की तरफ उनका ध्यान नहीं रहता है।
  • छात्र-छात्राओं के मन में यह भय रहता है कि वे सवाल को हल करना प्रारंभ करेंगे तो गलत हो जाएगा और अन्य छात्र-छात्राएं उसकी खिल्ली उड़ाएंगे।यदि छात्र-छात्राओं को गणित के सवाल अथवा समस्याओं को हल करने पर गलत होने का भय रहेगा तो वे गणित में तरक्की,प्रगति नहीं कर सकते हैं।अच्छे छात्र-छात्राओं को दूसरे के द्वारा खिल्ली उड़ाने की तरफ ध्यान हटाना होगा।उन्हें गलतियों में सुधार करते रहना होगा।सभी महान् गणितज्ञ गलतियां करते थे तथा अन्य छात्र-छात्राएं उनकी खिल्ली उड़ाते थे लेकिन उन्होंने इसकी कोई परवाह नहीं की क्योंकि वे स्वयं प्रेरित रहते थे।दूसरों की टीका-टिप्पणियों की तरफ उदासीन रहते थे।
  • दूसरी बात यह है कि अपनी गलतियों पर पैनी नजर रखनी होगी,अपनी गलतियों के प्रति उदासीन नहीं रहें,लगातार उनकी पहचान करें और दूर करें।छात्र-छात्राओं को अपने से अधिक होशियार छात्र-छात्राओं को देखना चाहिए कि किस प्रकार वह गणित तथा अन्य विषयों में आगे बढ़ रहा है तो आप भी उससे प्रेरणा लेकर उन्नति करने के तरीके उनसे जाने,समझे और उन पर अमल करें।
  • प्रेरणा वह स्रोत है जो छात्र-छात्राओं में अध्ययन के प्रति नीरसता,जड़ता,शुष्कता को हटाकर सरसता,रुचि और उत्साह उत्पन्न कर देती है।हमारे अध्ययन में आए हुए ठहराव को गतिशील कर देती है।
  • अपने आप को प्रेरित करने के लिए महान वैज्ञानिकों,महान गणितज्ञों की जीवनियों का अध्ययन करें।प्रेरणा वह आत्मिक शक्ति है जिसमें दृढ़ इच्छाशक्ति जुड़ी रहती है।दरअसल हम स्वयं प्रेरित न होकर दूसरों से तुलना करके आगे बढ़ने का प्रयास करते हैं।कोई छात्र-छात्रा गणित का सवाल कर रहा है,कोई छात्र छात्रा गणित पढ़ रहा है,कोई छात्र-छात्रा अध्ययन कर रहा है तो हम भी करते हैं।जब कोई दूसरा कठिन परिश्रम कर रहा होता है तो हम भी करते हैं।असली सफलता उसी छात्र-छात्रा को प्राप्त होती है जो खुद की उपलब्धियों से सीखकर आगे बढ़ता है।स्वयं से प्रेरित होकर आगे बढ़ता रहता है।
  • छात्र छात्राएं स्वयं के प्रेरणास्रोत,मित्र,चिंतक और मार्गदर्शक बनें।एक पूर्ण परिपक्व नजरिया यह है कि हम प्रेरणा के लिए अपने अंदर की ओर देखते हैं।यदि गणित के सवाल,समस्याओं को हल कर दें,किसी जटिल समस्याओं को हल करें तो अपनी पीठ खुद ठोंके।यदि आपने स्वयं प्रेरणा के स्रोत को एक बार पकड़ लिया तो जीवन में अस्थायी प्रेरणा के स्रोतों की तलाश करना छोड़ देंगे,बाहर प्रेरणाओं का सहारा ताकना छोड़ देंगे।

3.प्रेरणा के स्रोत (Sources of Inspiration):

  • यदि छात्र छात्राओं को असफलता मिल जाती है,गणित या अन्य विषयों में कम अंक आते हैं तो प्रेरणा ही हमें आगे बढ़ने का हौसला प्रदान करती है।बहुत कठिन और असंभव सा लगने वाला लक्ष्य सहजता और सरलता से मिल जाता है।जीवन तेजस्वी और गतिमान हो जाता है तथा प्रगति-उन्नति के लिए ऊर्जावान हो जाते हैं।प्रेरणा की यह उमंग,उत्साह स्वप्रेरित भी होते हैं और हमारे महापुरुष भी होते हैं।
  • यदि ब्रह्मगुप्त स्वप्रेरित न हुए होते,यदि आर्यभट के अंदर गणित का ज्ञान प्राप्त करने और नवीन सिद्धांत देने की तड़प न होती,यदि आर्किमिडीज का कोई लक्ष्य नहीं होता,यदि महान् गणितज्ञ न्यूटन और आइंस्टीन की निगाह अपने मिशन पर न होती तो ये महान गणितज्ञ भविष्य के गर्भ में समा जाते,दुनिया उन्हें नहीं पहचानती,कोई भी उनके बारे में चर्चा नहीं करता।
  • महान् गणितज्ञों ने गणित के गूढ़ रहस्यों का पता लगाकर हमारे सामने प्रस्तुत किया जिससे हमारा जीवन सहज और सरल हो सका।अपने अंदर की सोई पड़ी हुई प्रेरणा शक्ति को जगाने के लिए हम इन महान आदर्श व्यक्तित्त्वों का सहारा ले सकते हैं।अपने अध्ययन काल में अध्ययन को साफ-सुथरे और नैतिक तरीके से करने के लिए,प्रगति-उन्नति एवं सफलता पाने के लिए इन सफल एवं योग्य गणितज्ञों तथा वैज्ञानिकों से प्रेरणा ग्रहण करनी चाहिए।
  • इनसे प्रेरणा लेनी चाहिए कि सफलता प्राप्त करने के लिए कितनी कठिनाइयों,समस्याओं और संघर्षों का सामना करके आगे बढ़े हैं।यह रास्ता कांटों से भरा होने के बावजूद,इसमें बहुत कुछ खोने के बावजूद हमारे साहस और आत्मबल को कम नहीं होने देता है।इस रास्ते पर चलने से अपार आनंद और शांति की अनुभूति होती है और इस प्रकार प्राप्त सफलता ही हमारे जीवन को सुगन्ध से भर देती है।
  • एक बार स्वयं को सफलता मिलनी प्रारम्भ हो जाती है तो यह हमारे लिए प्रेरणादायी बन जाती है तथा दूसरे छात्र-छात्राएं भी हमारे से प्रेरित होकर आगे बढ़ते हैं।हमारी भारतीय संस्कृति और समस्त वसुंधरा ऐसे अनेक प्रेरणा के स्रोतों से भरी पड़ी है जिन्होंने स्वयं प्रेरणा ग्रहण की और प्रेरणादायक भी बने जिनसे असंख्य छात्र-छात्राओं एवं लोगों ने अपने जीवन की दिशा और दशा बदल दी।
  • हमें गलत तरीके न अपनाकर प्राचीन व आधुनिक समय के इन प्रेरणा के स्रोतों से सदैव जुड़े रहना चाहिए।ये हमारे जीवन में भटकाव को रोकते हैं और निरंतर उत्साहित करते रहते हैं।यदि हम अपने जीवन में,विचारों में,हृदय में प्रेरणा से भर दें और उसे जीवन में उतार सके तो स्वयं भी प्रेरणास्पद बन सकते हैं।जीवन में सफलता का यह रहस्य है।

4.प्रेरणा से संबंधित मुख्य बातें (HIGHLIGHTS Related to Motivation):

  • (1.)अध्ययन में तथा गणित को हल करने में ढुलमुल रवैया न रखें।यदि कक्षा में अध्यापक कोई प्रश्न पूछे तो डरें नहीं बल्कि निसंकोच उसका उत्तर बताने की चेष्टा करें।वस्तुतः अधिकांश छात्र-छात्राएं यह सोचते हैं कि कोई दूसरा इसका उत्तर बता देगा।
  • (2.)यदि गणित अथवा अन्य विषयों में कोई बात समझ नहीं आ रही है तो निसंकोच पूछे।यह न सोचें कि आपकी एवज में कोई दूसरा पूछ ले जिससे आपकी समस्या भी हल हो जाए।
  • (3.)प्रेरणा हमारे अन्दर छिपी हुई शक्तियों,विशेषताओं और गुणों को प्रकट करने की शक्ति है।
  • (4.)प्रेरणा शक्ति सही और सच्चे मार्ग पर चलनेवालों का पथ प्रदर्शन करती है और उत्साह प्रदान करती है।
  • (5.)प्रेरणा सफलता का प्राण है।प्रेरणा हमारे पुरुषार्थ के पीछे छिपी हुई असीम शक्ति है।
  • (6.)प्रेरणा हमारे साहस,सामर्थ्य व क्षमता को प्रकट करती है जो कैसी भी विघ्न-बाधाओं,कठिनाइयों और संघर्षों को चुनौती देने में आनंद और उत्साह का अनुभव कराती है।
  • (7.)किसी विचारक ने कहा है कि एक सामान्य शिक्षक केवल पढ़ाता है,एक अच्छा शिक्षक समझाता है।एक श्रेष्ठ (बेहतरीन) शिक्षक सदाचारी होता है और करके (आचरण में अपनाकर) दिखाता है तथा एक महान शिक्षक प्रेरित करता है,छात्र-छात्राओं में बिखराव व भटकाव को रोकता है।
  • (8.)प्रेरणा छात्र-छात्राओं के जीवन को जीवंत बना देती है और अध्ययन में आने वाली बाधाओं,कठिनाइयों और समस्याओं को हल करने का विश्वास प्रदान करती है।
  • (9.)गणित तथा अन्य विषयों में प्रेरित होने के लिए उत्तीर्ण होने,अच्छे अंक प्राप्त करने तथा कोई पद,प्रतिष्ठा,पुरस्कार इत्यादि प्राप्त होने की सुखद कल्पना करें।
  • (10.)गणित शिक्षक को गणित के जटिल सवालों,समस्याओं को सहज-सरल रूप में छात्र-छात्राओं के समक्ष प्रस्तुत करना चाहिए ताकि उनकी गणित में रुचि बनी रहे।

5.प्रेरणा का दृष्टांत (A vision of Inspiration):

  • एक छात्र ने कड़ी मेहनत की परंतु उसे सफलता प्राप्त नहीं हुई।अगले वर्ष उसने फिर से परीक्षा देने का निश्चय किया परंतु गणित और विज्ञान विषयों का पाठ्यक्रम बदल गया और फिर अनुत्तीर्ण हो गया।हालांकि काफी कठिन परिश्रम किया था परंतु फिर भी लक्ष्य की प्राप्ति नहीं हुई।उसका मन अशांत और अस्थिर हो गया तथा निराशा ने उसके मन पर कब्जा जमा लिया।वह सोचने लगा कि गणित में अध्ययन करना और प्रगति करना इस जीवन में असंभव है।इससे बढ़िया तो था कि विद्या ग्रहण करने जैसे कष्टसाध्य कार्य के बजाय घर में रहकर सुख-सुविधाओं से पूर्ण जीवन व्यतीत करता।ऐसा सोचकर वह गाँव वापिस लौटने की तैयारी करने लगा।
  • प्रातःकाल अखबार में समाचार पढ़ रहा था तो उसमें एक समाचार यह भी था कि एक छात्र दस बार अनुत्तीर्ण हो गया था और पुनः ग्यारहवीं बार परीक्षा दी तो उत्तीर्ण हो गया।
  • उसे ऐसा लगा जैसे उसे जीने की नई राह मिल गई तथा यह प्रेरणा का समाचार उसे ही जगाने के लिए आया है।उस छात्र का आत्मविश्वास जगा और उसने पुनः दृढ़ता के साथ गणित तथा अन्य विषयों की तैयारी प्रारंभ कर दी।
  • उसने अपने मन को एकाग्र किया और पूर्ण शक्ति के साथ गणित व अन्य विषयों की तैयारी प्रारम्भ कर दी।जो-जो कमियाँ थी उन्हें ढूँढ-ढूँढकर दूर किया।अपने मिशन में प्राणपण से जुट गया।ज्यों-ज्यों गणित व अन्य विषयों की समस्याएं हल होती गई त्यों-त्यों उसमें आशा का संचार होने लगा।
  • फालतू कार्यों की तरफ ध्यान देना बिल्कुल बन्द कर दिया,अपनी दिनचर्या को पूर्ण व्यवस्थित किया।पिछले वर्षों के प्रश्न-पत्रों को हल करने का पूर्वाभ्यास किया।मॉडल पेपर्स को हल किया।
  • अध्ययन में आने वाली शंकाओं,समस्याओं को शिक्षकों तथा होशियार छात्रों से समझा।अन्ततः न केवल वह उत्तीर्ण हुआ बल्कि प्रथम श्रेणी के अंक प्राप्त किए।सोचने वाली बात यह है कि जब एक वर्ष की लगन,कड़ी मेहनत,पुरुषार्थ और उत्साह से इतना अच्छा परिणाम प्राप्त हो सकता है तो विद्यार्थी काल में तप (साधना) और अध्यवसाय से क्या परिणाम निकल सकता है? अपने लक्ष्य की प्राप्ति की जा सकती है।एक प्रेरक प्रसंग ने उस विद्यार्थी की जीवन धारा ही बदल दी।प्रेरणा ने अनेक व्यक्तियों के जीवन की कायापलट कर दी है।
  • उपर्युक्त आर्टिकल में गणित के छात्र-छात्राओं को प्रेरित करने की 4 टिप्स (4 Tips to Motivate Maths Students),गणित के छात्र-छात्राओं को प्रेरित करने की 4 बेहतरीन टिप्स (4 Best Tips to Motivate Mathematics Students) के बारे में बताया गया है।

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6.गणित के जोड़ के सहारे उत्तीर्ण? (हास्य-व्यंग्य) (Pass with Help of Addition in Mathematics?) (Humour-Satire):

  • गणित शिक्षक (छात्र से):अपनी उत्तर पुस्तिका दिखाओ।
  • जगन:यह रही।
  • गणित शिक्षक:यह क्या इसमें तो जोड़ के सवाल हल कर रखें हैं।तुमने प्रश्न-पत्र के सवालों को तो हल किया ही नहीं,इनके आधार पर तुम उत्तीर्ण कैसे हो सकते हो?
  • जगन:जब पहली कक्षा की गणित से लेकर एमएससी,पीएचडी की पुस्तकों में जोड़,बाकी,गुणा,भाग के बिना गणित के सवालों को हल नहीं किया जा सकता और उत्तीर्ण नहीं हुआ जा सकता है तो मैं जोड़ के आधार पर उत्तीर्ण क्यों नहीं हो सकता?

7.गणित के छात्र-छात्राओं को प्रेरित करने की 4 टिप्स (Frequently Asked Questions Related to 4 Tips to Motivate Maths Students),गणित के छात्र-छात्राओं को प्रेरित करने की 4 बेहतरीन टिप्स (4 Best Tips to Motivate Mathematics Students) से सम्बन्धित अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न:

प्रश्न:1.हम दूसरो से क्यों प्रेरित होते हैं? (Why are We Inspired by Others?):

उत्तर:हम चाहते हैं कि दूसरों से प्रेरित हों तथा दूसरों से ही सीखा जा सकता है।यहाँ यह मंतव्य नहीं है कि दूसरों से प्रेरणा ग्रहण नहीं करना चाहिए।हम हमारे कार्यों की प्रशंसा दूसरों से चाहते हैं और स्वयं मूल्यांकन नहीं करते हैं।हम दूसरों से यह अपेक्षा करते हैं कि वे हमारी आगे बढ़ने में मदद करें।वस्तुतः बाहर के लोगों और चीजों से प्रेरित होना अस्थायी है।ऐसा इसलिए होता है क्योंकि हम स्वयं से प्रेरित नहीं होते हैं,स्वयं की प्रेरणा शक्ति को नहीं पहचानते हैं।बाहरी प्रेरणा प्रदान करने वाले समय पर मिल जाए यह जरूरी भी नहीं है अतः हमें स्वयं से प्रेरित होना चाहिए।

प्रश्न:2.क्या अध्यापक के समझाने के आधार पर आगे बढ़ना गलत है? (Can We Proceed on the Basis of the Teacher’s Persuasion?):

उत्तर:बहुत से छात्र-छात्राएं गणित अध्यापक या अन्य अध्यापक के समझाने पर ही समझते हैं।वे यदि नहीं समझाएं तो स्वयं समझने का प्रयास नहीं करते हैं।अध्यापक ठीक से पढ़ाते हैं तो अच्छे अंकों से उत्तीर्ण कर लेते हैं और यदि अध्यापक ठीक से नहीं पढ़ाते हैं या पढ़ाने वाले अध्यापक नहीं है तो परीक्षा परिणाम खराब आता है या अनुत्तीर्ण हो जाते हैं।इस प्रकार के छात्र-छात्राएं हर सवाल,हर समस्या के लिए अध्यापक पर आश्रित हो जाते हैं।यदि स्वयं के बलबूते पर सवालों और प्रश्नों को हल नहीं करेंगे तो हमारी प्रगति और उन्नति नहीं हो सकती है।ऐसे छात्र-छात्राएं खाली कालांश आता है तो या तो गप्पे हांकने लगते हैं अथवा निष्क्रिय बैठे रहते हैं।निष्क्रियता हमारी प्रगति एवं उन्नति में बाधक है।पूर्ण रूप से अध्यापक अथवा अन्य कोई हो,निर्भर रहना गलत है।

प्रश्न:3.गणितज्ञ किससे प्रेरित होते हैं? (What are Mathematicians Inspired by?):

उत्तर:गणितज्ञ,वैज्ञानिक तथा महापुरुष स्वप्रेरणा से प्रेरित होते हैं।वे अपने कार्य से इतना प्यार करते हैं कि उससे प्रेरित होते रहते हैं।उनका अन्तर्मन इतना पावन व पवित्र होता है कि हर क्षण उन्हें प्रेरित करता रहता है।उनकी तमाम खोजें,आविष्कार तथा महान कार्य आंतरिक प्रेरणा की गहराई में उतरने पर संभव हो पाते हैं।इनके पुरुषार्थ-कार्य आत्मप्रेरणा से ही प्रेरित हो सके थे।उनका प्रेरणा स्रोत उनके अपने अन्दर ही विद्यमान था और उसी से उन्हें खोज कार्य करने की दिशा सूझती थी।

  • उपर्युक्त प्रश्नों के उत्तर द्वारा गणित के छात्र-छात्राओं को प्रेरित करने की 4 टिप्स (4 Tips to Motivate Maths Students),गणित के छात्र-छात्राओं को प्रेरित करने की 4 बेहतरीन टिप्स (4 Best Tips to Motivate Mathematics Students) के बारे में ओर अधिक जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
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