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3 Tips to Build Future in Mathematics

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1.गणित में भविष्य निर्माण की 3 टिप्स (3 Tips to Build Future in Mathematics),छात्र-छात्राओं के लिए गणित में भविष्य निर्माण की 3 टिप्स (3 Tips for Building a Future for Students in Mathematics):

  • गणित में भविष्य निर्माण की 3 टिप्स (3 Tips to Build Future in Mathematics) से गणित के छात्र-छात्राएं अपना मनोरथ सिद्ध कर सकते हैं। ऐच्छिक गणित विषय लेने वाले छात्र-छात्राओं के मन में प्रारंभ में ऊंचे-ऊंचे सपने,अच्छा जॉब पाने की कल्पना तथा रंगीन मानसिकता होती है।परंतु ज्यों-ज्यों वह गणित विषय को पढ़ता है और आगे की कक्षाओं में पहुंचता है तो उसे गणित की जमीनी हकीकत मालूम पड़ती जाती है।अन्त में बहुत कम छात्र-छात्राओं के सपने साकार हो पाते हैं।
  • दरअसल बहुत से छात्र-छात्राएं अपनी प्रकृति,स्वभाव,गुणों,क्षमता तथा योग्यता का आकलन किए बिना दूसरे छात्र-छात्राओं की देखा-देखी गणित विषय ले तो लेते हैं परंतु गणित विषय की जटिलता,कठिनाइयों और समस्याओं से घबरा जाते हैं और अपने लक्ष्य से भटक जाते हैं।जो छात्र-छात्राएं अपनी गणित की कमजोर पृष्ठभूमि को जल्दी ही पहचान लेते हैं।वे बारहवीं कक्षा के बाद विषय बदल लेते हैं अथवा गणित में घिसट-घिसटकर जैसे-तैसे कक्षा दर कक्षा में उत्तीर्ण होते हैं।हमारे जीवन में कुछ घटनाएं ऐसी होती है जो छोटी-छोटी दिखाई देती है लेकिन समय के साथ-साथ यह छोटी-छोटी घटनाएं बड़ा रूप धारण कर लेती हैं।
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2.सोच समझकर निर्णय लें (Make a Conscious Decision):

  • छात्र-छात्राएं बिना सोचे समझे कभी गलत विषय का चयन कर लेते हैं,कभी योग्यता या स्वभाव के प्रतिकूल जाॅब का चयन कर लेते हैं,कभी सही मार्गदर्शन न मिलने के अभाव में उचित विषय अथवा उचित जाॅब का चुनाव नहीं कर पाते हैं। इसके परिणामस्वरूप वे जीवनभर गलत निर्णय का परिणाम भोगते रहते हैं।जाॅब को वे उथले अथवा बेमन से करते रहते हैं।अक्सर किसी से मिलते हैं तो कहते हुए सुने जाते हैं कि इस जाॅब में तो दम ही नहीं है।इस प्रकार के छात्र-छात्राओं को सोच लेना चाहिए कि आप जिस तरह के कर्म करने का चयन करते हैं तो वैसा ही आपके भविष्य का निर्माण होता है।अपने भविष्य के निर्माण का निर्माता छात्र-छात्राएं स्वयं होता है।भले ही उस जॉब का चयन आपने दूसरे की सलाह पर किया हो।दूसरा व्यक्ति आपको सुझाव देता है।वह दूसरा व्यक्ति चाहे आपका मित्र हो,माता पिता हो,शिक्षक हो,कैरियर काउंसलर हो परंतु निर्णय लेने वाले तो आप स्वयं ही हैं।
  • यदि गणित विषय की प्रकृति आपके अनुकूल नहीं है तो जल्दी आपको मालूम पड़ जाएगा कि आपने गलत विषय का चुनाव गलत कर लिया है।यह मालूम व्यावहारिक रूप में आप गणित को हल करेंगे तब मालूम पड़ेगा साथ ही आपको अपने आपका आत्म विश्लेषण भी करना होगा।
  • गलत विषय का चयन कर लेने पर यह नहीं समझ लेना चाहिए कि आप स्थाई रूप से अक्षम और बेकार हो गए हैं।यदि गलत रास्ते पर चलकर आप कुछ दूर चल भी चुके हैं तो सही रास्ते को अपनाकर अपने भविष्य को चमका भी सकते हैं।यह अवश्य जान लेना चाहिए कि कोई भी विषय सीधा और सरल नहीं होता है।आप उसमें कठिन परिश्रम करेंगे,प्रतिकूल परिस्थितियों को अनुकूल बनाने के प्रयत्न करेंगे तभी आपका भविष्य उज्जवल होगा। थोड़ी सी असावधानी तथा गलत निर्णय के कारण आपके जीवन की दिशा और दशा पलटकर गर्त और गड्ढे की तरफ अग्रसर हो सकती है।जैसे वाल्मीकि गलत निर्णय से डाकू बन गए और सही निर्णय से ऋषि वाल्मीकि बन गए।इसी प्रकार गलत निर्णय से मुंशीराम नास्तिक बन गए तो सही निर्णय से स्वामी श्रद्धानंद बन गए।

3.दूरगामी परिणामों पर विचार करें (Consider the Far-Reaching Consequences):

  • यदि आप गणित विषय का चयन करना चाहते हैं तो सबसे पहले अपनी योग्यता और रुचि को पहचानें। योग्यता और रुचि के बाद आप अपनी क्षमता,पारिवारिक परिस्थितियों और आर्थिक स्थिति,आपको उपलब्ध साधन सुविधाएं तथा वातावरण का मूल्यांकन करें।
  • वातावरण से तात्पर्य है कि यदि आपके आस-पास गणित शिक्षा संस्थान है या नहीं,गणित शिक्षा के लिए कोचिंग संस्थान है या नहीं।यदि हैं तो आपकी पारिवारिक आर्थिक स्थिति शिक्षा संस्थानों और कोचिंग की फीस वहन करने में सक्षम है या नहीं। गणित की संदर्भ पुस्तके तथा सहायक पुस्तके आसानी से उपलब्ध हो सकती है या नहीं।यदि हैं तो गणित विषय लेने का वातावरण आपके अनुकूल है।
  • योग्यता से तात्पर्य है कि गणित में आप अच्छे अंक प्राप्त कर रहे हैं तथा गणित में मूलभूत कमजोरी नहीं है बल्कि बेसिक बातें और आपकी पृष्ठभूमि अच्छी है।क्षमता से तात्पर्य है कि आप लगातार काफी समय तक निरंतर गणित का अभ्यास करने से थकते नहीं है बल्कि आपको गणित हल करने में आनंद आता है।इसका तात्पर्य है कि आप गणित विषय लेने के काबिल है और गणित में अपने भविष्य का निर्माण कर सकते हैं।
  • इसका तात्पर्य यह नहीं है कि कमजोर छात्र-छात्राएं गणित विषय में सफल नहीं हो सकते हैं।लेकिन कमजोर छात्र-छात्राओं को बहुत कड़ी मेहनत,अधिक अभ्यास,समर्पण और एकाग्रता की आवश्यकता होती है।अतः कमजोर छात्र-छात्राओं द्वारा गणित विषय लेकर पढ़ना और भविष्य बनाने की संभावना का प्रतिशत बहुत कम है।यानि ऐसे कमजोर छात्र-छात्राओं को सफल होने के चांसेज बहुत कम है।
  • कई छात्र-छात्राएं गणित विषय ले लेते हैं और जब सफल नहीं होते हैं तो अपने भाग्य को कोसते रहते हैं।ऐसे छात्र-छात्राएं अकर्मण्य होते हैं।ऐसी स्थिति में अपने भविष्य को लेकर जीवनभर पश्चाताप करते रहना कायरता है।ऐसे छात्र-छात्राएं अपनी अकर्मण्यता और कायरता के कारण अपने पुरुषार्थ का क्षरण करता रहता है।
  • ऊपर आपको जिन संतों पुरुषों का उदाहरण दिया है वे कभी पाप कर्मों में लिप्त थे तथा दुष्कर्मों के कारण पतन के मार्ग पर अग्रसर थे।अकर्मण्यता तथा भाग्य के भरोसे प्रतिभा सुप्त ही रह जाती है और सड़-गल जाती है।लेकिन साहसपूर्वक अपनी प्रतिभा को उभारने,निखारने तथा चमकाने में लगे रहते हैं तो उनका दुर्भाग्य सौभाग्य में बदल जाता है।

4.भविष्य निर्माण का दृष्टांत (The vision of Future Creation):

  • गणित विषय लेने पर हमारे जीवन में शुभ और अशुभ घटनाएँ घट सकती है।यह आवश्यक नहीं कि विद्यार्थी के लिए गणित विषय भविष्य के निर्माण के लिए शुभ ही हो।इस प्रकार की परिस्थिति में हमको कुछ भी निर्णय लेने से पहले भविष्य दृष्टा बनना पड़ता है।भविष्य दृष्टा बनने के लिए दूरगामी परिणामों पर तटस्थ भाव से तथा सभी परिस्थितियों पर हम अधिक से अधिक विचार करेंगे उतना ही अधिक विवेकपूर्ण निर्णय होने की संभावना रहेगी।तात्पर्य यह है कि अपनी सीमाओं एवं साधन सुविधाओं पर विचारपूर्वक निर्णय लेने पर भविष्य हमारे अनुकूल हो सकता है।यदि हम ऐसा नहीं करते तो हम ऐसे संकट को आमंत्रण देते हैं जिससे हमारे सामने संकट खड़ा हो जाता है जिसे पार पाना हमारे लिए कठिन हो सकता है।इसे अपने भविष्य निर्माण में अपने पांव में कुल्हाड़ी मारना सिद्ध हो सकता है।कोई भी संकल्प लेने के अवसर पर थोड़ा सा भी प्रमाद हमारे विनाश का कारण बन जाता है।
  • मनीषा नाम की एक लड़की ने अध्ययन करते-करते 10वीं उत्तीर्ण कर ली।11वीं कक्षा में ऐच्छिक विषय लेने के लिए कोचिंग संस्थान के निदेशक से पूछा। हालांकि उसके कस्बे में गणित में कोचिंग संस्थान व शिक्षा संस्थान भी थे।वह कोचिंग संस्थान व शिक्षा संस्थान की फीस चुकाने में भी समर्थ थी।उसकी गणित में रुचि भी थी।परंतु उसमें योग्यता तथा लगन का अभाव था।वह हर वर्ष लगभग 70% अंक प्राप्त करती थी।वह कठिन परिश्रम से जी चुराती थी,गणित का अच्छा अभ्यास नहीं करती थी।पर उसने अपनी सहेली की देखा-देखी गणित विषय ऐच्छिक विषय के रूप में ले लिया।वह आईआईटी करना चाहती थी।ज्योंही उसने 11वीं व 12वीं कक्षा उत्तीर्ण की तो उसे मालूम पड़ गया कि गणित में कितने कठिनपरिश्रम,विवेक,धैर्य,साहस,एकाग्रता,समर्पण की आवश्यकता होती है।उसको महसूस हो गया कि उसका निर्णय गलत था।बारहवीं कक्षा के बाद उसने अपना विषय परिवर्तित कर लिया क्योंकि उसे मालूम हो गया कि आईआईटी करना तो दूर है गणित से बीएससी करना ही मुश्किल है।उसने आर्ट्स विषय लेकर बीए उत्तीर्ण किया।जबकि उसकी सहेली का चयन आईआईटी में हो गया। शिक्षा:अपने भविष्य के निर्माता हम स्वयं हैं यदि उचित निर्णय लेना सीखें।
  • उपर्युक्त आर्टिकल में गणित में भविष्य निर्माण की 3 टिप्स (3 Tips to Build Future in Mathematics),छात्र-छात्राओं के लिए गणित में भविष्य निर्माण की 3 टिप्स (3 Tips for Building a Future for Students in Mathematics) के बारे में बताया गया है।

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5.ऐच्छिक गणित विषय लेने पर छात्र की हालत (हास्य-व्यंग्य) (Condition of Student on Taking Optional Mathematics) (Humour-Satire):

  • एक छात्रा ने अपने बॉयफ्रेंड सहेली को दिखाया तो वो बोली लड़का तो ठीक-ठाक है पर हँसता है तो इसके पूरे दांत बाहर निकल जाते हैं जो अच्छे नहीं लगते हैं।
  • छात्रा बोली:मैंने इसे गणित विषय लेने के लिए कहा है।ऐच्छिक गणित विषय लेने के बाद इसे हंसने का मौका ही नहीं मिलेगा।

6.गणित में भविष्य निर्माण की 3 टिप्स (3 Tips to Build Future in Mathematics),छात्र-छात्राओं के लिए गणित में भविष्य निर्माण की 3 टिप्स (3 Tips for Building a Future for Students in Mathematics) से संबंधित पूछे जाने वाले प्रश्नः

प्रश्न:1.गणित में भविष्य निर्माण का रहस्य क्या है? (What is the Secret of Future Creation in Mathematics?):

उत्तर:गणित में भविष्य निर्माण का रहस्य हमारे आज में ही छुपा हुआ है।यदि हम आज को ठीक कर लेंगे अर्थात् यदि वर्तमान में गणित का अभ्यास करेंगे,गणित को हल करने में मनन-चिंतन करेंगे तो हमारे भविष्य का निर्माण भी अच्छा होगा।यदि वर्तमान में गणित का ठीक से अध्ययन नहीं करेंगे,लापरवाही करेंगे,गणित संबंधी किसी भी निर्णय में गलतियां करेंगे तो वे छोटी-छोटी गलतियां बड़े खतरनाक परिणाम देने वाली साबित होगी।

प्रश्न:2.गणित शिक्षा में आगे बढ़ने का तरीका क्या है? (What is the Way Forward in Mathematics Education?):

उत्तर:छात्र-छात्राओं को गणित का अध्ययन करते समय दूसरे छात्र-छात्राओं की गलतियों पर ध्यान नहीं देना चाहिए और न टीका टिप्पणी करनी चाहिए क्योंकि ऐसा करने से अहंकार बढ़ता है। गणित शिक्षा तथा अन्य कला कौशल सीखने के लिए अहंकार बाधक है जबकि विनम्रता से ही शिक्षा और विद्या को हासिल किया जा सकता है। अहंकार से हमारे मन में यह धारणा होती है कि हम सही हैं और दूसरे गलत हैं।जब दूसरों की गलतियां देखते हैं तो स्वयं की गलतियों पर ध्यान नहीं जाता है।अतः छात्र-छात्राओं को गणित को हल करते समय अपनी गलतियों पर ध्यान केंद्रित करके उन्हें दूर करते रहना चाहिए।

प्रश्न:3.गणित में सफल होने का क्या तरीका है? (What is the Way to Succeed in Mathematics?):

उत्तर:श्रीमद्भगवद्गीता के अनुसार न दैन्यं न पलायनम् अर्थात् न दीनता (हार) स्वीकार करना चाहिए और न गणित में आने वाली परेशानियों से घबराकर मैदान छोड़कर भागना चाहिए।सहनशीलता,विवेक,धैर्य,एकाग्रता,दृढ़ संकल्पशक्ति,जिज्ञासा,लगन से गणित में सफलता प्राप्त कर सकते हैं।

  • उपर्युक्त प्रश्नों के उत्तर द्वारा गणित में भविष्य निर्माण की 3 टिप्स (3 Tips to Build Future in Mathematics),छात्र-छात्राओं के लिए गणित में भविष्य निर्माण की 3 टिप्स (3 Tips for Building a Future for Students in Mathematics) के बारे में ओर अधिक जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।

3 Tips to Build Future in Mathematics

गणित में भविष्य निर्माण की 3 टिप्स
(3 Tips to Build Future in Mathematics)

3 Tips to Build Future in Mathematics

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गणित के छात्र-छात्राएं अपना मनोरथ सिद्ध कर सकते हैं।
ऐच्छिक गणित विषय लेने वाले छात्र-छात्राओं के मन में प्रारंभ में ऊंचे-ऊंचे

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